Haryana Board 10th Class Science Solutions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है
Haryana Board 10th Class Science Solutions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है
HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है
HBSE 10th Class Science जीव जनन कैसे करते है Textbook Questions and Answers
अध्याय संबंधी महत्त्वपूर्ण परिभाषाएँ/शब्दावली ||
HBSE 10th Class Science जीव जनन कैसे करते है InText Questions and Answers
पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न
(पाठ्य-पुस्तक पृ. सं. 142)
प्रश्न 1. डी.एन.ए. प्रतिकृति का प्रजनन में क्या महत्त्व है।
उत्तर- डी.एन.ए. में आनुवंशिक सूचनाएँ निहित होती हैं। डी.एन.ए. गुणसूत्रों के रूप में एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में जाते हैं। अतः डी.एन.ए. द्वारा अपने जैसे ही प्रतिरूप बनाने की क्षमता होती है। ऐसा डी.एन.ए. के प्रतिकृतिकरण द्वारा होता है। इसके द्वारा पीढ़ी-दर-पीढ़ी डी.एन.ए. की मात्रा सन्तुलित बनी रहती है।
प्रश्न 2. जीवों में विभिन्नता स्पीशीज के लिए तो लाभदायक है परन्तु व्यष्टि के लिए आवश्यक नहीं है क्यों ?
उत्तर-विभिन्नताएँ प्रजाति (Species) के लिए लाभदायक होती हैं, क्योंकि इनके कारण प्रजाति में कुछ ऐसे सदस्य उत्पन्न हो जाते हैं, जो अनेक प्रतिकूल परिस्थितियों के लिए स्वयं को अनुकूलित कर लेते हैं या इनके प्रतिरोधी होते हैं। प्राकृतिक चयन के फलस्वरूप योग्यतम जीव जीवित रहते हैं। व्यक्तिगत सदस्य में उत्पन्न विभिन्नताएँ पर्यावरण से अनुकूलित न रहने के कारण सदस्य जीवित नहीं रह पाता है। अतः विभिन्नताएँ प्रजाति के लिए लाभदायक किन्तु व्यष्टि के लिए हानिकारक होती हैं। विभिन्नताएं प्रजाति की उत्तरजीविता बनाये रखने में उपयोगी हैं।
(पाठ्य-पुस्तक पृ. सं. 146)
प्रश्न 1. द्विखण्डन बहुखण्डन से किस प्रकार भिन्न
उत्तर- द्विखण्डन तथा बहुखण्डन में अन्तर-
द्विखण्डन (Binary Fission) | बहुखण्डन (Multiple Fission) |
1. यह प्रायः अनुकूल परि स्थितियों में होता है। | यह प्रायः प्रतिकूल परि स्थितियों में होता है। |
2. इसमें केन्द्रक दो पुत्री केन्द्रकों में विभाजित होता है। | इसमें केन्द्रक अनेक संतति केन्द्रकों में विभाजित होता है। |
3. इसमें केन्द्रक विभाजन के साथ ही कोशिकाद्रव्य का विभाजन भी होता है। | इसमें केन्द्रक का विभाजन होने के पश्चात् प्रत्येक संतति केन्द्रक के चारों ओर थोड़ा- थोड़ा जीवद्रव्य एकत्र हो जाता है। |
4. इसमें एक मातृ जीव से दो संतति जीव बनते हैं। | इसमें एक मातृ जीव से अनेक संतति जीव बनते हैं। |
प्रश्न 2. बीजाणु द्वारा जनन से जीव किस प्रकार लाभान्वित होता है ?
उत्तर- बीजाणुजनन प्रायः पौधों में पाया जाता है। बीजाणुओं के ऊपर एक मोटा रक्षी आवरण होता है, जो इनकी प्रतिकूल पर्यावरण में रक्षा करता है। हल्के होने के कारण वायु द्वारा इनका प्रकीर्णन सरल होता है। अनुकूल परिस्थितियाँ (उचित ताप, नमी, भोज्य पदार्थ आदि) मिलने पर बीजाणु अंकुरण करके नये जीव को जन्म देते हैं। जैसे-राइजोपस, म्यूकर आदि।
प्रश्न 3. क्या आप कुछ कारण सोच सकते हैं जिससे पता चलता हो कि जटिल संरचना वाले जीव पुनरुद्भवन द्वारा नयी संतति उत्पन्न नहीं कर सकते ?
उत्तर- जटिल संरचना वाले जीवधारियों में कोशिकाएँ कार्यों के लिए विशिष्टीकृत होती हैं। ये कोशिकाएँ मिलकर, ऊतक, अंग, अंगतन्त्र तथा जीव शरीर का निर्माण करती हैं। इनमें केवल लैंगिक कोशिकाओं (नर तथा मादा युग्मक) के मिलने से ही नया जीव उत्पन्न होता है। इन जीवों की किसी अन्य कोशिका या ऊतक में नयी संतति उत्पन्न करने की क्षमता नहीं होती। इसके विपरीत कुछ सरल बहुकोशिकीय जीवों,जैसे-स्पंजों, हाइड्रा आदि में पुनरुद्भवन द्वारा नयी संतति बनाने की क्षमता होती है। इस प्रक्रिया में जीव का कोई कटा हुआ भाग नये जीव का निर्माण कर लेता है। जटिल संरचना वाले जीवों में पुनरुद्भवन की क्षमता केवल घाव भरने तक सीमित रह जाती है।
प्रश्न 4. कुछ पौधों को उगाने के लिए कायिक प्रवर्धन का उपयोग क्यों किया जाता है ?
उत्तर- कुछ पौधों को उगाने के लिए कायिक प्रवर्धन का उपयोग निम्नलिखित कारणों से किया जाता है –
- कायिक प्रवर्धन से प्राप्त पौधे पूर्ण रूप से अपने जनकों के समान लक्षणों वाले होते हैं।
- कुछ पौधे जिनके बीजों में जनन क्षमता नहीं होती उनका कायिक प्रवर्धन किया जा सकता है।
- कायिक प्रजनन द्वारा कम समय में अधिक पौधे प्राप्त किये जा सकते हैं।
- पौधों को बीज से उत्पन्न करने में लम्बा समय लगता है, जबकि कायिक प्रवर्धन से काफी बड़े पौधे कम समय में तैयार किये जा सकते हैं।
- कायिक प्रवर्धन एक सस्ती विधि है।
प्रश्न 5. डी.एन.ए. की प्रतिकृति बनाना जनन के लिए क्यों आवश्यक है ?
उत्तर- डी. एन. ए. की प्रतिकृति बनाना जनन के लिए आवश्यक है। यह जनन के लिए एक मूल घटना है। जनक कोशिका की दो कोशिकाएँ बनती है। ये दोनों प्रतिकृतियाँ अलग होना आवश्यक हैं तभी जनन हो सकता है। इसके लिए एक अलग से कोशिकीय संरचना आवश्यक है। एक प्रतिकृति नई संरचना में तथा एक मूल कोशिका में रह जाती है। इस प्रकार दो प्रतिकृतियाँ दो नई कोशिकाएँ बनाने में सहायता करती हैं और जनन होता है।
(पाठ्य-पुस्तक पृ. सं. 154)
प्रश्न 1. परागण क्रिया निषेचन से किस प्रकार भिन्न है।
उत्तर- परागण तथा निषेचन में अन्तर-
परागण (Pollination) | निषेचन (Fertilization) |
1. परागकोष (anther) से परागकणों का वर्तिकाग्र पर पहुँचना परागण कहलाती है। | 1. नर तथा मादा युग्मकों के मिलने की क्रिया निषेचन कहलाता है। |
2. यह क्रिया किसी माध्यम (जैसे-वायु, जल, कीट, पक्षी आदि) द्वारा होती है। | 2. निषेचन में नर युग्मक परागण नलिका के माध यम से मादा युग्मक तक पहुँचते हैं। अत: किसी माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है। |
3. यह क्रिया निषेचन से पहले होती है। | 3. परागण क्रिया के सफलतापूर्वक सम्पन्न होने के पश्चात् निषेचन की क्रिया होती है। |
प्रश्न 2. शुक्राशय तथा प्रोस्टेट ग्रन्थि की क्या भूमिका है।
उत्तर- शुक्राशय (Seminal Vesicle) तथा प्रोस्टेट ग्रन्थि (Prostate gland) नर जनन तन्त्र के भाग होते हैं। शुक्राशय एक पोषक तरल पदार्थ स्रावित करता है जो शुक्राणुओं के साथ मिलकर वीर्य (Semen) बनाता है। यह तरल शुक्राणुओं का पोषण करता है, इनकी सुरक्षा करता है तथा इन्हें सक्रिय बनाये रखता है। यह तरल स्त्री की योनि के अम्लीय प्रभाव को कम करके शुक्राणुओं की रक्षा करता है।
प्रोस्टेट ग्रन्थि से हल्का अम्लीय तरल स्रावित होता है। यह वीर्य का लगभग 25 प्रतिशत भाग बनाता है। इसमें उपस्थित पदार्थ शुक्राणुओं के स्कन्दन को रोकते हैं तथा इन्हें सक्रिय रखते हैं।
प्रश्न 3. यौवनारम्भ के समय लड़कियों में कौन-कौन से परिवर्तन दिखाई देते हैं ?
उत्तर- लड़कों एवं लड़कियों में बाल्यावस्था में इनके जननांगों के अलावा अन्य शारीरिक लक्षणों तथा व्यवहार
आदि में विशेष अन्तर नहीं होता है। लड़कियों में लगभग 11 से 13 वर्ष की आयु से यौवनारम्भ था किशोरावस्था प्रारम्भ होती है।
इसमें निम्नलिखित परिवर्तन दिखाई देते हैं-
- स्तनों की वृद्धि तथा दुग्धग्रन्थियों का विकास होने लगता है।
- स्तनों के मध्य उभरे भाग पर स्थित चूचुक (nipples) के चारों ओर छोटा-सा रंगयुक्त क्षेत्र और अधिक गहरा हो जाता है।
- श्रोणि भाग चौड़ा और नितम्ब भारी हो जाते हैं।
- आवाज महीन एवं सुरीली हो जाती है।
- त्वचा तैलीय हो जाती है।
- बगल एवं जंघा प्रदेश में बाल उग आते हैं।
- आर्तव चक्र (Menstrual cycle) प्रारम्भ हो जाता
- व्यवहार में भी बदलाव होने लगते हैं।
- अंडवाही नलियाँ (fallopian tube), गर्भाशय (uterus) और योनि (vagina) के आकार में वृद्धि हो जाती है।
प्रश्न 4. माँ के शरीर में गर्भस्थ भ्रूण को पोषण किस प्रकार प्राप्त होता है?
उत्तर- मनुष्य एक स्तनधारी प्राणी है। निम्न श्रेणी के स्तनधारियों को छोड़कर अन्य सभी स्तनधारी जरायुजी (Viviparous) होते हैं अर्थात् शिशु को जन्म देते हैं। इनमें भ्रूण का विकास गर्भाशय में होता है और विकासशील भ्रूण का पोषण माता के गर्भाशय की दीवारों से अपरा (Placenta) द्वारा होता है। भ्रूणीय विकास के तीसरे सप्ताह में भ्रूण का रोपण गर्भाशय में प्राथमिक रसांकुरों (Primary Villi) द्वारा होता है और अन्त में अपरा नाल द्वारा गर्भाशय की दीवार से जुड़ जाता है। अपरा द्वारा पोषक पदार्थ तथा ऑक्सीजन भ्रूण को प्राप्त होती रहती है तथा भ्रूण के उत्सर्जी पदार्थ अपरा द्वारा ही माँ के रुधिर में छोड़ दिये जाते हैं, जहाँ से ये बाहर उत्सर्जित किये जाते हैं।
प्रश्न 5. यदि कोई महिला कॉपर ‘टी’ का प्रर कर रही है तो क्या यह उसकी यौन-संचारित रोगों से रक्षा करेगी?
उत्तर- नहीं। कॉपर ‘टी’ का प्रयोग गर्भ निरोधन के लिए किया जाता है। इसका यौन-संचारित रोगों से बचाव में कोई योगदान नहीं होता है।
HBSE 10th Class Science जीव जनन कैसे करते है Textbook Questions and Answers
प्रश्न 1. अलैंगिक जनन मुकुलन द्वारा होता है –
(a) अमीबा में
(b) यीस्ट में
(c) प्लाज्मोडियम में
(d) लेस्मानिया में।
उत्तर- (b) यीस्ट।
प्रश्न 2. निम्न में से कौन मानव में मादा जनन तन्त्र का भाग नहीं है
(a) अण्डाशय
(b) गर्भाशय
(c) शुक्रवाहिका
(d) डिम्बवाहिनी।
उत्तर- (c) शुक्रवाहिका।
प्रश्न 3. परागकोश में होते हैं-
(a) बाह्यदल
(b) अण्डाशय
(c) अण्डप
(d) पराग कण।
उत्तर – (d) पराग कण।
प्रश्न 4. अलैंगिक जनन की अपेक्षा लैंगिक जनन के क्या लाभ हैं ?
उत्तर – अलैंगिक जनन में केवल एक जीवधारी के लक्षण ही संतति जीव में आते हैं। इन संतति जीवों में आनुवंशिक ओज क्षीण होता है। इनके जननद्रव्य में विभिन्नताओं की सम्भावना कम होती है।
लैंगिक जनन निम्नलिखित कारणों से अलैंगिक जनन की अपेक्षा अधिक लाभकारी है-
- लैंगिक जनन में नर एवं मादा के सम्मिलन से नये जीव की उत्पत्ति होती है जिससे दो प्रकार के जनन द्रव्यों का मिलन होता है। इन संतति जीवों में विभिन्नता की सम्भावनाएँ होती हैं।
- लैंगिक जनन से गुणसूत्रों के नये जोड़े बनते हैं। – इससे विकासवाद की दिशा को नये आयाम प्राप्त होते हैं।
- लैंगिक जनन से उत्पन्न जीवों में श्रेष्ठ गुणों का समावेश होता है तथा इनमें संकर ओज अधिक होता है।
प्रश्न 5. मानव में वृषण के क्या कार्य हैं ?
उत्तर- मानव में वृषण के प्रमुख कार्य निम्न हैं-
- ये शुक्राणुओं का निर्माण करते हैं।
- ये टेस्टोस्टेरॉन नामक हॉर्मोन उत्पन्न करते हैं, जो शुक्राणुओं के उत्पादन को नियन्त्रित करता है।
- यह हॉर्मोन बालकों में द्वितीय लक्षणों के विकास को प्रेरित करता है।
प्रश्न 6. ऋतुस्राव क्यों होता है?
उत्तर- स्त्रियों में अण्डाशय प्रत्येक माह एक अण्ड का निर्मोचन (Ovulation) करता है। निषेचित अण्डाणु द्वारा बने भ्रूण के रोपण के लिए गर्भाशय में कुछ परिवर्तन होते हैं। गर्भाशय की भित्ति में सूक्ष्मांकुर बन जाते हैं, चौड़ी वाहिकाओं का निर्माण हो जाता है तथा भ्रूण के पोषण के लिए परिवर्तन होते हैं। यदि अण्ड का निषेचन नहीं होता है तो गर्भाशय में हुए परिवर्तनों से पुन: सामान्य सी स्थिति बनती है जिसमें गर्भाशय भित्ति, सूक्ष्मांकुरों, म्यूकस तथा वाहिकाओं का विघटन होता है। ये सभी रचनाएँ एक स्राव के रूप में प्रत्येक 28 दिन पश्चात् योनि मार्ग से स्रावित होती हैं। इसे ऋतुस्राव (menstruation cycle) कहते हैं। यदि अण्ड का निषेचन हो जाता है तो ऋतुस्राव चक्र रुक जाता है और गर्भ धारण हो जाता है।
प्रश्न 7. पुष्प की अनुदैर्ध्य काट का नामांकित चित्र बनाइए।
उत्तर- पुष्य की अनुदैर्ध्य काट-
प्रश्न 8. गर्भ निरोधन की विभिन्न विधियाँ कौन-सी
उत्तर- मादा द्वारा गर्भधारण न होने देना गर्भ निरोधन (Contraception) कहलाता है। गर्भ निरोधन की विधियाँ , निम्नलिखित हैं:
1. रासायनिक विधियाँ-अनेक प्रकार के रासायनिक पदार्थ मादा में निषेचन क्रिया को रोक सकते हैं। ऐसी अनेक गोलियाँ (pills) बाजारों में उपलब्ध हैं जिन्हें खाने से गर्भधारण नहीं हो पाता है। झाग की गोली, जैली तथा विभिन्न क्रीमों के प्रयोग से भी गर्भधारण रोका जा सकता है।
2. शल्य विधियाँ-पुरुष नसबंदी (Vasectomy) तथा स्त्री नसबंदी (Tubectomy) द्वारा निषेचन क्रिया को बाधित किया जा सकता है। इस प्रक्रिया में कुशल चिकित्सकों द्वारा पुरुषों में शुक्रवाहिनी तथा स्त्रियों में अण्डवाहिनी को काटकर बाँध दिया जाता है जिससे शुक्राणुओं का अण्डाणुओं से मिलन नहीं हो पाता है।
3. भौतिक विधियाँ-इन विधियों में कुछ उपकरणों द्वारा शुक्राणु एवं अण्डाणु के मिलन को रोक दिया जाता है। पुरुष कण्डोम, स्त्री कण्डोम, कॉपर ‘टी’, गर्भ निरोधन लूप आदि भौतिक गर्भ निरोधन युक्तियाँ हैं।
प्रश्न 9. एककोशिक तथा बहुकोशिक जीवों की जनन पद्धति में क्या अन्तर है ?
उत्तर- एककोशिक तथा बहुकोशिक जीवों की जनन पद्धति में अन्तर –
एककोशिक जीवों में जनन | बहुकोशिक जीवों में जनन |
1. इनमें जनन विधि सरल होती है। | इनमें जनन विधि जटिल होती है। |
2. इनमें जनन प्रायः अलैं- गिक विधियों द्वारा होता | इनमें जनन प्रायः लैंगिक विधियों द्वारा होता है। |
3. इनमें जनन के लिए विशेष प्रकार की कोशिकाएँ नहीं होती हैं। | इनमें जनन के लिए विशिष्ट प्रकार की कोशिकाएँ होती हैं। |
4. इनमें जनन के लिए कोई विशेष अंग भी नहीं होता हैं। | इनमें जनन के लिए विशेष अंग होते हैं। |
5. यह सामान्यतः सूत्री विभाजन द्वारा होता है। | यह प्रायः अर्धसूत्री विभाजन द्वारा होता है। |
प्रश्न 10. जनन किसी स्पीशीज की समष्टि के स्थायित्व में किस प्रकार सहायक है ?
उत्तर- जनन द्वारा पैतृक पीढ़ी से पुत्री पीढ़ी का निर्माण होता है। पुत्री पीढ़ी आगे चलकर पैतृक पीढ़ी का कार्य करती है और सन्तान उत्पन्न करती है। यह क्रम लगातार चलता रहता है और इस प्रकार स्पीशीज की समष्टि का स्थायित्व बना रहता है।
प्रश्न 11. गर्भ-निरोधक युक्तियाँ अपनाने के क्या कारण हो सकते हैं ?
उत्तर- गर्भ-निरोधक युक्तियों के अपनाने के निम्नलिखित कारण हैं
- इनके द्वारा बढ़ती हुई जनसंख्या पर नियन्त्रण किया जा सकता है।
- इसके द्वारा अवांछित सन्तान से बचा जा सकता है।
- इनके द्वारा जल्दी-जल्दी गर्भधारण को रोका जा सकता है क्योंकि जल्दी-जल्दी गर्भधारण से स्त्री के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव होता है।
- कुछ गर्भ निरोधन युक्तियाँ यौन-संचारित रोगों से बचने में सहायता करती हैं।
- परिवार नियोजन अपना कर खुशहाल जीवनयापन किया जा सकता है।
Haryana Board 10th Class Science Important Questions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न (Very short Answer Type Questions)
बहुविकल्पीय प्रश्न (Objective Type Questions)
1. अमीबा में जनन की अलैंगिक विधि है-
(A) विखण्डन
(B) बहुविखण्डन
(C) (A) व (B) दोनों
(D) युग्मक लयन
उत्तर- (C) (A) व (B) दोनों
2. मादा-मानव में निषेचन कहाँ होता है ?
(A) गर्भाशय में
(B) अण्डाशय में
(C) योनि में
(D) फैलोपियन नलिका में
उत्तर- (D) फैलोपियन नलिका में
3. बीजाणुओं द्वारा अलैंगिक जनन होता है-
(A) अमीबा में
(B) मनुष्य में
(C) यीस्ट में
(D) मॉस में
उत्तर- (D) मॉस में
4. तने द्वारा कायिक प्रवर्धन होता है-
(A) पोदीने में
(B) हल्दी में
(C) अदरक में
(D) सभी में
उत्तर- (D) सभी में
5. पौधे के जननांग हैं-
(A) पुंकेसर
(B) स्त्रीकेसर
(C) (A) तथा (B) दोनों
(D) बाह्य दल
उत्तर- (C) (A) तथा (B) दोनों
6. मनुष्य में अण्डाशयों की संख्या होती है
(A) एक
(B) दो
(C) तीन
(D) चार।
उत्तर- (B) दो
7. परागकणों का निर्माण होता है-
(A) परागकोष में
(B) भ्रणकोष में
(C) भ्रूणपोष में
(D) पुष्पासन में
उत्तर- (A) परागकोष में
8. आलू में कायिक जनन होता है-
(A) जड़ से
(B) कन्द से
(C) तने से
(D) पुष्प से
उत्तर- (B) कन्द से
Haryana Board 10th Class Science Important Questions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है
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प्रश्न 1. जनन की परिभाषा लिखिए। स्पीशीज़ की समष्टि को स्थायित्व प्रदान करने में यह किस प्रकार सहायता करता है?
उत्तर- जनन-जीवों द्वारा लैंगिक अथवा अलैंगिक प्रजनन विधियों द्वारा अपने ही जैसे जीवों को उत्पन्न करने की प्रक्रिया को जनन कहते हैं। यह पृथ्वी पर जीवन के लिए अति आवश्यक है। जनन प्रक्रिया द्वारा किसी स्पीशीज़ की समष्टि में मृत्यु होने के कारण जीवों की संख्या घटने को पुनः पहले की संख्या के अनुपात के बराबर लाया जा सकता है। इस प्रकार जनन प्रक्रिया किसी भी स्पीशीज़ की समष्टि को एक विशेष स्थान पर स्थायित्व प्रदान करने में सहायक होती है।
प्रश्न 2. प्रोटीन संश्लेषण क्यों आवश्यक है ?
उत्तर- प्रोटीन संश्लेषण DNA के नियन्त्रण में कोशिका के अन्दर होता है। प्रोटीन्स एन्जाइमों के रूप में विभिन्न उपापचयी क्रियाओं का संचालन करते हैं। इन क्रियाओं द्वारा जीव में वृद्धि होती है। वृद्धि का अन्तिम परिणाम जनन होता है।
प्रश्न 3. DNA का प्रतिकृतिकरण क्यों आवश्यक है?
उत्तर- एक ही प्रजाति के जीवों में DNA की समान मात्रा पायी जाती है। संतति जीवों में DNA की मात्रा का सन्तुलन बनाए रखने के लिए DNA का प्रतिकृतिकरण होता है। DNA ही पुत्री पीढ़ियों में विभिन्न लक्षणों का नियमन करता है।
प्रश्न 4. विभिन्नताएँ क्यों आवश्यक हैं ?
उत्तर- जीवधारियों में अपने जनकों की अपेक्षा कुछ अन्तर उत्पन्न होना विभिन्नताएँ कहलाती हैं। इनके द्वारा जीव स्वयं को बदलते पर्यावरण के अनुरूप अनुकूलित कर लेता है। ऐसे जीव जिनमें लम्बे समय से विभिन्नता उत्पन्न नहीं हुई है, वे पर्यावरण के साथ तालमेल नहीं कर पाते हैं और वे प्रायः विलुप्त होने लगते हैं।
प्रश्न 5. प्रजनन के विभिन्न प्रकारों के नाम लिखिए।
उत्तर-
प्रश्न 6. अमीबा में द्विखण्डन को चित्र की सहायता से समझाइए।
उत्तर- अमीबा एक कोशिकीय जीव है। इसकी कोशिका पहले लम्बी हो जाती है, साथ ही इसका जीवद्रव्य और केन्द्रक भी लम्बाई में फैल जाता है।
अब इसके बीचों- बीच एक खाँच उत्पन्न होती है जो कोशिकाद्रव्य एवं केन्द्रक को दो भागों में विभाजित कर देती है। इस प्रकार दो सन्तति या पुत्री अमीबा बन जाते हैं।
प्रश्न 7. उन दो प्रेक्षणों की सूची बनाइए जिनके आधार पर यह निष्कर्ष निकाला जा सके कि दी गयी स्लाइड अमीबा में द्विखण्डन दर्शाती है।
उत्तर- स्लाइड अमीबा में द्विखण्डन को दर्शाने वाले दो प्रेक्षण-
- कोशिका झिल्ली के मध्य भाग में एक खांच बनने लगती है।
- केन्द्रक लम्बा होने लगता है तथा बीच में से पतला होने लगता है। अगली अवस्था में वह दो भागों में विभाजित होता दिखाई देता है। इन प्रेक्षणों के आधार पर यह निष्कर्ष निकलता है कि दी गई स्लाइड अमीबा में द्विखण्डन दर्शाने के लिए तैयार है।
प्रश्न 8. कोई छात्र यीस्ट में होने वाले अलैंगिक जनन के विभिन्न चरणों को क्रमवार दर्शाने वाली स्थायी स्लाइड का प्रेक्षण कर रहा है। इस प्रक्रिया का नाम लिखिए। जो कुछ वह प्रेक्षण करता है, उसे उचित क्रम में, आरेख खींचकर दर्शाइए।
उत्तर- इस प्रक्रिया का नाम मुकुलन प्रजनन विधि है।
प्रश्न 9. जीवों के जनन के संदर्भ में उपयोग होने वाले पद “पुनरुद्भवन” (पुनर्जनन) की व्याख्या कीजिए। संक्षेप में वर्णन कीजिए कि हाइड्रा जैसे बहुकोशिक जीवों में ‘पुनरुद्भवन’ की, प्रक्रिया किस प्रकार सम्पन्न होती है?
उत्तर- “पुनरुद्भवन” (पुनर्जनन)-जब किसी छोटे प्राणी का शरीर कुछ विशेष टुकड़ों में बँट जाता है तथा प्रत्येक टुकड़ा एक नये जीव में विकसित हो जाता है तो इसे पुनर्जनन कहते हैं। प्लेनेरिया तथा हाइड्रा जैसे सरल एवं बहुकोशिकीय प्राणी पुनर्जनन दर्शाते हैं।
हाइड्रा में पुनरुद्भवन’-
- यदि हाइड्रा का शरीर कई टुकड़ों में बंट जाता है तो प्रत्येक टुकड़ा अपने खोए हुए अंगों को पुनर्जीवित करके एक पूर्ण हाइड्रा में विकसित हो जाता है।
- इन जीवों में अपने शरीर के अंग की कोशिकाओं से शरीर का पुनर्जनन, विकास तथा वृद्धि की प्रक्रिया द्वारा होता
- हाइड्रा के शरीर की कोशिकाओं का कटा हुआ भाग एक संपूर्ण कोशिका/कोशिकाओं का गोला बनाने के लिए विभाजित होता रहता है।
- तब कोशिकाएँ विभिन्न प्रकार के विशेष उत्तक बनाने लगती हैं जो फिर से जीव के पूरे शरीर का निर्माण करते हैं।
प्रश्न 10. प्लाज्मोडियम में बहुविखण्डन को समझाइए।
उत्तर- प्लाज्मोडियम (मलेरिया परजीवी) में कोशिका के चारों ओर एक रक्षी आवरण बन जाता है। इस आवरण के अन्दर केन्द्रक अनेक बार विभाजित होता है। प्रत्येक पुत्री केन्द्रक के चारों ओर जीवद्रव्य की थोड़ी-थोड़ी मात्रा भी एकत्र हो जाती है। अनुकूल मौसम में बाह्य आवरण फट जाता है तथा पुत्री केन्द्रक स्वतन्त्र जीव के रूप में बाहर निकल आते हैं।
प्रश्न 11. स्पाइरोगाइरा में अलैंगिक जनन किस प्रकार होता है?
उत्तर- स्पाइरोगाइरा (Spirogyra) में अलैंगिक जनन खण्डन द्वारा होता है। स्पाइरोगाइरा एक तन्तुवत् शैवाल है जिसमें आयताकार कोशिकाएँ एक लड़ी के रूप में व्यवस्थित होती हैं। जब स्पाइरोगाइरा का तन्तु टुकड़ों में टूट जाता है तो प्रत्येक खण्ड नये जीव में विकसित हो जाता है।
प्रश्न 12. हाइड्रा में मुकुलन को चित्र द्वारा समझाइए।
उत्तर- हाइड्रा में कायिक प्रजनन मुकुलन (Budding) द्वारा होता है। हाइड्रा में आधार से कुछ ऊपर की कुछ कोशिकाएँ विभाजित होकर एक बटन जैसी रचना बनाती हैं। इस रचना को कलिका कहते हैं। यह कलिका वृद्धि करती है और इसके अग्र भाग पर छोटे-छोटे स्पर्शक बन जाते हैं। यह अब एक शिशु हाइड्रा का रूप ले लेती है और मातृ जीव से अलग होकर स्वतन्त्र जीवन यापन करती हैं।
प्रश्न 13. कायिक प्रवर्धन के लाभ लिखिए।
उत्तर-
- इससे प्राप्त पौधे जनकों के समान लक्षणों वाले होते हैं अतः कायिक प्रवर्धन से वांछित पौधे तैयार किये जा सकते हैं।
- वे पौधे जो बीजों द्वारा उत्पन्न नहीं होते हैं उन्हें कायिक प्रवर्धन द्वारा प्राप्त कर सकते हैं।
- कम समय में अधिक संख्या में और बड़े पौधे प्राप्त किये जा सकते हैं।
- इन्हें प्रयोगशालाओं में तैयार किया जा सकता है।
प्रश्न 14. ब्रायोफिल्लम् में कायिक जनन किस प्रकार होता है?
उत्तर- ब्रायोफिल्लम् में पत्तियों द्वारा कायिक प्रजनन होता है | इसमें पत्तियों के / किनारों की खाँचों से पर्णकलिका पर्णकलिकाएँ निकल आती हैं जिनमें जड़ें उत्पन्न हो जाती हैं। ये कलिकाएँ पत्तियों से विलग होकर भूमि पर गिर कर नये पौधे को जन्म देती हैं।
प्रश्न 15. राइजोपस में अलैंगिक प्रजनन किस प्रकार होता है ?
उत्तर- राइजोपस (ब्रेड फर्कंद) का कायिक शरीर कवक जाल होता है। कवक जाल से ऊर्ध्व तन्तुओं का विकास होता है जिनके शीर्ष पर गोलाकार संरचनाएँ बीजाणु-धानी बनाती हैं। इनमें बीजाणुओं का निर्माण (Spore formation) होता है। ये बीजाणु हवा द्वारा प्रकीर्णित होते हैं। प्रत्येक बीजाणु अंकुरण करके नये कवक जाल का निर्माण करता है।
प्रश्न 16. लैंगिक जनन में महत्त्वपूर्ण घटना क्या होती है? इसका क्या महत्त्व है?
उत्तर- लैंगिक जनन में नर तथा मादा युग्मकों का मिलन होता है। ये युग्मक गुणसूत्रों के अर्धसूत्रण से बनते हैं। युग्मों के संलयन के पश्चात् गुणसूत्रों की संख्या यथावत हो जाती है। ऐसा होने से नये संयोग बनते हैं।
प्रश्न 17. पुष्प के विभिन्न भागों के नाम तथा कार्य लिखिए।
उत्तर- एक प्रारूपिक पुष्प में निम्नलिखित भाग पाए जाते हैं
- बाह्य दलपुंज (Calyx)-यह पुष्प के सबसे बाहर की ओर स्थित होते हैं। ये कलिका अवस्था में पुष्पीय अंगों की रक्षा करते हैं।
- दलपुंज (Corolla)-ये विभिन्न रंगों के होते हैं और परागण के लिए कीटों को आकर्षित करते हैं।
- पुंकेसर (Androecium)-ये पुष्प के नर जननांग हैं। पुंकेसर के परागकोष में परागकणों का निर्माण होता है।
- स्त्रीकेसर (Gyanoecium)-ये पुष्प के मादा जननांग हैं। इनमें अण्डपों का निर्माण होता है।
प्रश्न 18. स्व-परागण तथा पर-परागण में क्या अन्तर है?
उत्तर- स्व-परागण तथा पर-परागण में अन्तर –
स्व-परागण (Self-Pollination) | पर-परागण (Cross-Pollination) |
1. इसमें एक पुष्प के परा गकण उसी पुष्प या उसी पौधे के किसी अन्य पुष्प के वर्तिकान पर पहुँचते हैं। | एक पुष्प के परागकण उसी जाति के किसी अन्य पौधे के पुष्प के वर्तिकान पर पहुँचते हैं। |
2. इससे परागकणों के नष्ट होने की सम्भावना कम होती है। | इससे परागकणों के नष्ट होने की सम्भावना अधिक होती है। |
3. इससे उत्पन्न बीज कम ओजस्वी होते हैं। | इससे उत्पन्न बीज अधिक ओजस्वी होते हैं। |
4. इस क्रिया से विभिन्न- ताओं की सम्भावना कम होती है। | इस क्रिया से विभिन्नताओं की सम्भावना बढ़ जाती है। |
प्रश्न 19. वतिकाग्र पर परागकणों के अंकुरण का नामांकित चित्र बनाइए।
उत्तर-
प्रश्न 20. यदि अंड का निषेचन नहीं होता है, तब क्या होगा? समझाइये।
उत्तर- यदि अंड का निषेचन नहीं होता है तो यह लगभग 1 दिन तक जीवित रहता है। अंडाश्य से प्रत्येक 1 माह एक अंड का मोचन होता है। गर्भाशय की अंदरूनी दीवार मोटी स्पंजी हो जाती है। निषेचन ना हो पाने की स्थिति में इस परत की आवश्यकता नहीं रहती, अत: इसकी परत धीरे-धीरे टूटकर योनि मार्ग से रक्त व म्यूकस के रूप में बाहर निकलती है। यह चक्र लगभग हर माह में होता है।
प्रश्न 21. लड़कों एवं लड़कियों में उत्पन्न होने वाले तीन-तीन द्वितीयक लक्षणों को बताइए।
उत्तर- लड़कों में-
- दाढ़ी एवं मूंछ उगना।
- जननांगों का विकसित होना ।
- आवाज भारी होना।
लड़कियों में-
- स्तनों का विकास होना।
- जननांगों का विकास होना।
- आवाज पतली होना।
प्रश्न 22. मानव में नर तथा मादा जनन तन्त्र क्या हैं? उनके दो-दो कार्य लिखिए।
उत्तर- मानव में नर तथा मादा जनन तन्त्र क्रमशः वृषण तथा अण्डाशय हैं।
वृषण के कार्य-
- शुक्राणुओं का निर्माण करना।
- नर हॉर्मोन्स का स्रावण करना।
अण्डाशय के कार्य-
- अण्डाणु का निर्माण करना।
- मादा हॉर्मोन्स का स्रावण करना।
प्रश्न 23. नर मानव में वृषण शरीर के बाहर क्यों स्थित होते हैं?
उत्तर- नर मानव में वृषण उदर गुहा के बाहर थैले जैसी रचना वृषण कोष (Scrotum) में पाये जाते हैं। शुक्राणु शरीर के ताप से 3°C कम ताप पर सक्रिय होते हैं। वृषण कोषों का ताप शरीर के ताप से निम्न होता है। इसीलिए वृषण शरीर से बाहर स्थित होते हैं।
प्रश्न 24. अण्डाणु तथा शुक्राणु में क्या अन्तर है?
उत्तर- अण्डाणु तथा शुक्राणु में अन्तर-
अण्डाणु (Ovum) | शुक्राणु (Sperm) |
1. यह मादा जनन कोशिका | 1. यह नर जनन कोशिका |
2. यह आकार में शुक्राणु से बड़ा होता है। | 2. यह अण्डाणु से छोटा होता है। |
3. यह प्रायः गोलाकार होता है। | 3. यह पुच्छ युक्त होता है। |
4. यह अचल होता है। | 4. यह सचल होता है। |
प्रश्न 25. लैंगिक जनन तथा अलैंगिक जनन में अन्तर लिखिए।
उत्तर- लैंगिक जनन तथा अलैंगिक जनन में अन्तर –
लैंगिक जनन (Sexual Reproduction) | अलैंगिक जनन (Asexual Reproduction) |
1. इस प्रकार जनन प्रायः उच्च श्रेणी के जीवों में होता है। | 1. इस प्रकार का जनन प्रायः निम्न श्रेणी के जीवों में होता है। |
2. इसमें नर तथा मादा जीवों की आवश्यकता होती | 2. इसमें केवल एक जीव की आवश्यकता होती |
3. इसमें निषेचन होता है। | 3. इसमें निषेचन नहीं होता है। |
4. इससे उत्पन्न सन्तानों में नये गुण उत्पन्न होते हैं। | 4. इससे उत्पन्न सन्तानों में नये गुण उत्पन्न नहीं होते है। |
5. इस क्रिया में बीजाणु नहीं बनते हैं। | 5. इस क्रिया में बीजाणु बनते हैं। |
प्रश्न 26. निम्न रेखाचित्र पर अंकित A, B, C, D तथा E के नाम तथा इनका एक-एक कार्य लिखिए।
उत्तर-
A. फैलोपियन नलिका-निषेचन क्रिया सम्पन्न करना।
B. अण्डाशय-अण्ड का निर्माण करना।
C. गर्भाशय-गर्भ धारण करना।
D. गर्भाशय मुख-शुक्राणु को ग्रहण करना।
E. योनि-मैथुन क्रिया के लिए स्राव उत्पन्न करना।
प्रश्न 27. लैंगिक संचारित रोग क्या हैं? उदाहरण दीजिए।
उत्तर- लैंगिक संचारित रोग (Sexually Transmitted Diseases)- ऐसे रोग जो लैंगिक संसर्ग द्वारा संक्रमित व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्ति में स्थानान्तरित होते हैं, लैंगिक संचारित रोग कहलाते हैं। उदाहरण-एड्स (AIDS), सिफिलिस (Syphilis), गोनोरिया (Gonnorhoea) आदि ।
प्रश्न 28. (a) मनुष्य में उस अंग का नाम लिखिए जो शुक्राणु बनाता है तथा एक हार्मोन भी उत्पन्न करता है। उस हार्मोन का नाम लिखिए तथा उसका कार्य भी लिखिए।
(b) स्त्री के जनन तंत्र के उस अंग का नाम लिखिए जहाँ निषेचन होता है।
(c) विकसित होता भ्रूण माता के शरीर से किस प्रकार पोषण प्राप्त करता है? इसका वर्णन कीजिए।
उत्तर- (a) मनुष्य का वह अंग जो शुक्राणु बनाता है तथा एक हॉर्मोन भी उत्पन्न करता है : वृषण जो हार्मोन उत्पन्न हुआ है : टेस्टेस्टेरॉन हॉर्मोन। टेस्टेस्ट्रॉन के कार्य-यह हार्मोन लड़कों में किशोरावस्था में होने वाले शारीरिक परिवर्तनों तथा जनन अंगों के परिवर्तनों को नियंत्रित करता है। जैसे-किशोरों में चेहरे पर दाढ़ी-मूछों का विकसित होना आदि।
(b) स्त्री के जनन तंत्र का वह अंग जहाँ निषेचन होता है : अण्डवाहिका
(c) गर्भस्थ भ्रूण माँ के रुधिर से अपना पोषण विशेष उत्तकों द्वारा बनी नलिका से प्राप्त करता है जिसे अपरा (प्लैसेन्टा) कहते हैं। यह एक तश्तरीनुमा संरचना होती है जो गर्भाशय की भित्ति में धंसी होती है। प्लैसेन्टा माँ से भ्रूण को ग्लूकोज़, ऑक्सीजन एवं अन्य पदार्थों के स्थानान्तरण हेतु एक बड़ा क्षेत्र प्रदान करता है। विकासशील भ्रूण द्वारा उत्पादित अपशिष्ट पदार्थों को प्लेसेन्टा के माध्यम द्वारा माँ के रुधिर को भेजा जाता है। माँ के रुधिर से ये अपशिष्ट पदार्थ माँ के मूत्र के रूप में शरीर से बाहर निकलते हैं।
प्रश्न 29. स्त्रियों में गर्भधारण को रोकने की कोई तीन विधियाँ लिखिए? इनमें से कौन-सी विधि पुरुष के लिए उपयोग नहीं की जा सकती? इन विधियों को अपनाने से एक परिवार के स्वास्थ्य तथा उन्नति पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर- स्त्रियों में गर्भधारण को रोकने की कोई तीन विधियाँ-
- यांत्रिक अवरोध विधि-इस विधि में पुरुष शिश्न को ढकने वाले कंडोम तथा स्त्रियाँ डायाफ्राम का प्रयोग करती हैं।
- हार्मोन विधि (रासायनिक विधि)-इस विधि में स्त्रियों को गोलियाँ (मौखिक तथा यौनिक) दी जाती हैं जो उनके हार्मोन संतुलन को नियंत्रित करती हैं ताकि वह गर्भधारण न कर सकें।
- शल्य विधि-इस विधि में शल्य चिकित्सा द्वारा पुरुषों की शुक्रवाहिकाओं को अवरुद्ध कर दिया जाता है जिससे शुक्राणुओं का स्थानांतरण रूक जाता है तथा स्त्रियों की अण्डवाहिनी को बाधित कर दिया जाता है जिसके परिणामस्वरूप अंड गर्भाशय तक नहीं पहुँच पाता। हार्मोन विधि का प्रयोग पुरुषों द्वारा नहीं किया जा सकता।
इन विधियों को अपनाने से पस्विार के स्वास्थ्य तथा उन्नति पर प्रभाव-गर्भरोधक विधियों को अपना कर एक परिवार बच्चों की संख्या को सीमित कर सकते हैं जिससे उसकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हो जाएगी। ऐसे परिवारों में कम बच्चे होने से माता-पिता उनको अच्छी शिक्षा तथा अच्छा पोषण दे पायेंगे जिससे बच्चों का स्वास्थ्य अच्छा रहेगा। यही नहीं इन विधियों को अपनाने से बढ़ती जनसंख्या जैसी भयानक समस्या पर भी नियंत्रण किया जा सकता है।
प्रश्न 30. अलैंगिक जनन और लैंगिक जनन के बीच एक अन्तर लिखिए। अलैंगिक जनन करने वाली अथवा लैंगिक जनन करने वाली स्पीशीज़ में से किसके द्वारा जनित स्पीशीज़ की उत्तरजीविता के अपेक्षाकृत अधिक संयोग हो सकते हैं? अपने उत्तर की पुष्टि के लिए कारण दीजिए।
उत्तर- अलैंगिक जनन में केवल एक जनक भाग लेता
लैंगिक जनन में नर तथा मादा दोनों जनक भाग लेते हैं।
लैंगिक जनन करने वाली स्पीशीज़ द्वारा जनित स्पीशीज़ की उत्तरजीविता के अपेक्षाकृत अधिक संयोग होते हैं क्योंकि लैंगिक जनन में दो प्रकार की जनन कोशिकाओं में डी.एन. ए. अणुओं की प्रतिकृति बनने के कारण, नई संतति में अधिक विभिन्नताएँ आती हैं, इसलिए उनमें उत्तरजीविता के अपेक्षाकृत अधिक संयोग होते हैं। नीचे दिए गए अनुच्छेद और पढ़ी गई सम्बन्धित संकल्पनाओं की व्याख्या के आधार पर
(a) लड़कों एवं लड़कियों में लैंगिक परिपक्वता के सामान्य लक्षण निम्न प्रकार हैं
- लड़कों के वृषण में शुक्राणुओं का बनना शुरु हो जाता है और लड़कियों के अण्डाणु में अण्डों का बनना प्रारम्भ हो जाता है।
- लड़कों के चेहरों पर मूंछे तथा दाढ़ी आने लगती हैं जबकि लड़कियों का मासिक चक्र आरम्भ हो जाता है एवं जननांगों और बगलों पर बाल उगने लगते हैं।
(b) अविवेचित मादा भ्रूण हत्या के परिणामस्वरूप मादा बच्चों का अनुपात लगातार कम होता जाता है जिससे जनसंख्या में नर व मादा बच्चों का अनुपात असंतुलित हो जाता है।
प्रश्न 31. मानव जनसंख्या की वृद्धि सभी मनुष्यों की चिन्ता का विषय है। किसी समष्टि में जीवन दर और मृत्यु दर उसके आकार को निर्धारित करते हैं। जनन वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा जीव अपनी समष्टि की वृद्धि करते हैं। जनन के लिए लैंगिक परिपक्वता आनुक्रमिक होती है और यह तब होती है जब सामान्य शरीर में वृद्धि हो रही होती है। किसी सीमा तक लैंगिक परिपक्वता का यह अर्थ नहीं होता कि शरीर अथवा मस्तिष्क लैंगिक क्रिया अथवा बच्चे उत्पन्न करने योग्य हो गया है।
समष्टि के आकार को नियंत्रित करने के लिए मानव द्वारा विभिन्न गर्भनिरोध युक्तियाँ उपयोग की जा रही हैं।
(a) लड़के एवं लड़कियों में लैंगिक परिपक्वता के दो सामान्य लक्षणों की सूची बनाइए।
(b) अविवेचित मादा भ्रूण हत्या का क्या परिणाम होता है?
(c) गर्भ-निरोधन की कौन-सी विधि शरीर का हॉर्मोनी-संतुलन परिवर्तित कर देती है? .
(d) समष्टि (जनसंख्या) के आकार को निर्धारित करने वाले दो कारक लिखिए।
उत्तर-
(a) लड़कों एवं लड़कियों में लैंगिक परिपक्वता के सामान्य लक्षण निम्न प्रकार हैं
- लड़कों के वृषण में शुक्राणुओं का बनना शुरु हो जाता है और लड़कियों के अण्डाणु में अण्डों का बनना प्रारम्भ हो जाता है।
- लड़कों के चेहरों पर मूंछे तथा दाढ़ी आने लगती हैं जबकि लड़कियों का मासिक चक्र आरम्भ हो जाता है एवं जननांगों और बगलों पर बाल उगने लगते हैं।
(b) अविवेचित मादा भ्रूण हत्या के परिणामस्वरूप मादा बच्चों का अनुपात लगातार कम होता जाता है जिससे जनसंख्या में नर व मादा बच्चों का अनुपात असंतुलित हो जाता है।
(c) गर्भ-निरोधन की रासायनिक विधि, जिसमें स्त्री गोलियों के रूप में रासायनिक दवाइयाँ मुख द्वारा लेती है, जो हॉर्मोनी-संतुलन परिवर्तित कर देती है।
(d) जीवन दर व मृत्यु दर समष्टि (जनसंख्या) के आकार को निर्धारित करने वाले कारक हैं।
Haryana Board 10th Class Science Important Questions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है
निबन्धात्मक प्रश्न [Essay Type Questions]
Haryana Board 10th Class Science Important Questions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है
Haryana Board 10th Class Science Notes Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है
→ DNA (Deoxyribonucleic acid) के अणुओं में आनुवंशिक गुणों का सन्देश होता है जो जनक से संतति पीढ़ी में जाता है। DNA की प्रतिकृति का बनना, जनन की मूल घटना है।
→ जनन (Reproduction)-किसी जीवधारी द्वारा अपने जैसे प्रतिरूप अथवा सन्तान का उत्पन्न करना जनन कहलाता है। जनन मुख्यतः दो प्रकार का होता है-
- अलैंगिक जनन तथा
- लैंगिक जनन।
→ अलैंगिक जनन (Asexual reproduction)-इस प्रकार के जनन में केवल एक ही जीव सन्तान उत्पन्न कर सकता है। इस प्रकार जनन एककोशिकीय जीवों, कुछ प्राणियों तथा पादपों में पाया जाता है। अलैंगिक जनन की अनेक विधियाँ हैं-द्विखण्डन, बहुविखण्डन, बीजाणुजनन, मुकुलन, कायिक प्रवर्धन, पुनरुद्भवने आदि।
→ विखण्डन (Fission)-अलैंगिक जनन की वह विधि जिसमें एक जीव टुकड़ों में टूटकर नये जीवों का निर्माण करता है, विखण्डन कहलाती है। यह दो प्रकार का होता है|
- द्विखण्डन (Binary Fission)-कुछ एककोशिकीय जीवों, जैसे-अमीबा, पैरामीशियम आदि में कोशिका दोभागों में बँट जाती है। प्रत्येक भाग नये जीव का निर्माण कर लेता है। इस प्रक्रिया को द्विखण्डन कहते हैं।
- बहुविखण्डन (Multiple Fission)-कुछ एककोशिकीय जीवों, जैसे-अमीबा, प्लाज्मोडियम (मलेरिया परजीवी) में अत्यधिक ताप तथा शीत से बचने के लिए यह अपने चारों ओर पुटी (cyst) बना लेते हैं। इसका केन्द्रक तथा कोशा द्रव्य अनेक बार विभाजन करके अनेक पुत्री कोशिकाएँ बना लेता है। अनुकूल परिस्थितियाँ आने पर पुटी की भित्ति फट जाती है तथा नन्हें जीव बाहर निकल आते हैं।
→ पुनरुद्भवन (Regeneration)- यह प्रक्रिया स्पंजों, हाइड्रा आदि में मुख्य रूप से पायी जाती है। इसमें जीव किसी कारणवश दो या अधिक भागों में बँट जाता है और कटा हुआ प्रत्येक भाग नये जीव का निर्माण कर लेता है।
→ मुकुलन (Budding)-कुछ जीवों जैसे यीस्ट, हाइड्रा आदि के शरीर से एक छोटी कलिका निकलती है। इस कलिका में जीवद्रव्य एवं केन्द्रक का भाग भी होता है। अन्ततः यह कलिका मातृ जीव से पृथक् होकर नये जीव का निर्माण करती है।
→ कायिक प्रवर्धन (Vegetative Propagation)- अनेक पौधों में ऐसी कायिक संरचनाएँ पायी जाती हैं, जो मात पौध से अलग होकर नये पौधे का निर्माण करती हैं। उदाहरण के लिए; आलू के कन्द, ब्रायोफिलम् एवं केलेन्चों पर्ण कलिकाएँ, अदरक में प्रकन्द, अरबी में घनकन्द इत्यादि।
→ बीजाणुजनन (Spore Formation)-कुछ एक-कोशिकीय जीव जैसे अमीबा आदि में कभी-कभी केन्द्रक कला कई स्थानों पर टूट जाती है और इसके केन्द्रक में स्थित क्रोमैटिन कण टूटकर अपने चारों ओर जीवद्रव्य एकत्र करके जीवाणु बनाते हैं। अनुकूल परिस्थितियों में आवरण के फटने पर बीजाणु बाहर निकल आते हैं, तथा अंकुरण करके नया जीव बनाते हैं। अनेक पौधों जैसे-शैवाल, कवक, लाइकेन आदि में बीजाणुओं का निर्माण अनुकूल तथा प्रतिकूल दोनों ही मौसमों में होता है।
→ लैंगिक जनन (Sexual Reproduction)-जनन की वह विधि जिसमें नर तथा मादा जीव युग्मक उत्पन्न करते हैं। जिनके मिलन से नयी सन्तान का निर्माण होता है, लैंगिक जनन कहलाती है। लैंगिक जनन द्वारा उत्पन्न संतान में कुछ विभिन्नताएँ उत्पन्न हो जाती हैं। किसी जाति समूह में पायी जाने वाली विभिन्नताएँ उप जाति के अस्तित्व को बनाए रखने में सहायक होती हैं।
लैंगिक जनन में भाग लेने वाले दोनों जीव पहले युग्मक (Gamete) का निर्माण करते हैं जिनमें DNA की मात्रा पैतृक | कोशिकाओं की अपेक्षा आधी हो जाती है। जब नर एवं मादा युग्मक आपस में संयुजन करते हैं तो युग्मनज (Zygote) का निर्माण होता है। इससे DNA की मात्रा पुर्नस्थापित हो जाती है।
लैंगिकता के आधार पर दो प्रकार के जीव होते हैं-
- एकलिंगी जीव (Unisexual Organisms)- इनमें नर एवं मादा जननांग अलग-अलग जीवों में पाए जाते हैं; जैसे-मनुष्य, पपीता।
- द्विलिंगी जीव (Hermaphrodite Organisms)-इनमें नर एवं मादा जननांग एक ही जीव में पाए जाते हैं। जैसे-केंचुआ, जोंक, अधिकांश पौधे।
→ पौधों में लैंगिक जनन (Sexual Reproduction in Plants)- पुष्पीय पौधों में लैंगिक जनन के लिए विशेष रचनाओं ‘पुष्प’ का निर्माण होता है। पुष्प में नर जननांग (पुंकेसर) तथा मादा जननांग (स्त्रीकेसर) पाये जाते हैं। पौधों में लैंगिक जनन के निम्न चरण होते हैं –
(i) युग्मकजनन (Gametogenesis)-पुंकेसरों के परागकोष में युग्मक जनन द्वारा अगुणित परागकणों का निर्माण होता है। स्त्रीकेसर के अण्डाशय में युग्मक जनन द्वारा भ्रूणकोष का निर्माण होता है। भ्रूणकोष में एक अण्डकोशिका, दो सहायक कोशिकाएं, तीन प्रतिमुख कोशिकाएँ तथा दो ध्रुवीय केन्द्रक होते हैं।
(ii) परागण (Pollination)- परागकोष से परागकणों (Pollengrains) का वर्तिकाग्र तक पहुँचना परागण कहलाता है। यह क्रिया वायु, जल, कीट, पक्षी अथवा चमगादड़ों द्वारा सम्पन्न होती है। परागण क्रिया दो प्रकार की होती है-स्वपरागण तथा पर-परागण। स्वपरागण में एक पौधे के परागकण उसी पुष्प या उसी पौधे के अन्य पुष्प के वर्तिकान पर पहुंचते हैं। पर-परागण में एक पौधे के पुष्प से परागकण उसी जाति के किसी दूसरे पौधे के पुष्प के वर्तिकान पर पहुँचते हैं।
(iii) निषेचन (Fertilization)- परागण के पश्चात् परागकण से परागनलिका निकलती है जो वर्तिका (Style) को भेदती हुई भ्रूणकोष में प्रवेश कर जाती है। परागनलिका दो नर केन्द्रकों (युग्मकों) को भ्रूणकोष में छोड़ देती है। इनमें से एक केन्द्रक अण्ड केन्द्रक से तथा दूसरा केन्द्रक द्वितीयक केन्द्रक से संलयन करता है। आवृतबीजियों में इस प्रक्रिया को द्विनिषेचन (Double Fertilization) कहते हैं।
(iv) भ्रूण एवं भ्रूणपोष निर्माण (Formation of Embryo and Endosperm)-निषेचित अण्ड विकसित होकर द्विगुणित भूण का तथा द्वितीयक केन्द्रक संलयन के पश्चात् त्रिगुणित भ्रूणपोष का निर्माण करता है। इसके बाद बीजाण्ड से बीज तथा सम्पूर्ण अण्डाशय से फल बनता है। संलयन (Fusion) नर तथा मादा युग्मकों का मिलना संलयन कहलाता है।
→ सूक्ष्म प्रवर्धन (Micropropagation)-पौधों की कोशिकाओं, कलिकाओं अथवा किसी अंग का संवर्धन करके नये । पौधे का निर्माण करना सूक्ष्म प्रवर्धन कहलाता है।
→ मानव के नर जनन अंग (Male Reproductive Organ’s of Human)-नर जनन तन्त्र के निम्नलिखित भाग होते हैं।
- वृषण (Testes)-पुरुषों में एक जोड़ी वृषण गुहा के बाहर तथा टाँगों के बीच थैली समान रचना वृषण कोष (Scrotal Sac) में स्थित होते हैं। वृषणों में शुक्राणु जनन द्वारा शुक्राणुओं का निर्माण होता है।
- अधिवृषण (Epididymis)-वृषण में निर्मित शुक्राणु अनेक नलिकाओं से गुजरते हुए वृषण के बाहर स्थित एक अतिकुण्डलित नलिका से बने अधिवृषण में आते हैं। अधिवृषण भी वृषण कोष में स्थित होते हैं।
- शुक्रवाहिनी (Vas deferens)-अधिवृषण की नलिका एक पतली नली शुक्रवाहिनी में खुलती है जो शुक्राणुओं को शुक्राशय में ले जाती है।
- शुक्राशय (Seminal Vesicle)-यह थैलीनुमा रचना है। इसमें शुक्र पोषक पदार्थ होते हैं, इस तरल पदार्थ को वीर्य कहते हैं। शुक्राणु शुक्राशय में एकत्र होते हैं। दोनों शुक्रनलिकाएँ इसमें खुलती हैं।
- मूत्रमार्ग (Urethra)-शुक्राशय एक संकरी नली, स्खलन नलिका द्वारा एक संकरे मार्ग मूत्रमार्ग में खुलता है। मूत्रमार्ग एक माँसल रचना शिश्न में होता है। यह एक छिद्र द्वारा बाहर खुलता है।
- ग्रन्थियाँ (Glands)- नर जनन तन्त्र में कुछ ग्रन्थियाँ जैसे- प्रोस्टेट ग्रन्थि, काउपर्स ग्रन्थि तथा पीनियल ग्रन्थि वीर्य बनाने, शुक्राणुओं का पोषण तथा इनकी सुरक्षा आदि का कार्य करती हैं।
→ मानव के मादा जनन अंग (Female Reproductive Organ’s of Human)-मादा जनन तन्त्र के निम्नलिखित भाग होते हैं –
- अण्डाशय (Ovaries)-स्त्री में एक जोड़ी अण्डाशय होते हैं। ये अण्डाकार, भूरे रंग के तथा उदर गुहा में गर्भाशय के दोनों ओर स्थित होते हैं। ये अण्डजनन द्वारा अण्डाणु का निर्माण करते हैं।
- अण्डवाहिनी (Oviduct)-प्रत्येक अण्डाशय के समीप स्थित एक झालरदार कीप से एक-एक अण्डवाहिनी निकलती है जो आगे चलकर फैलोपियन नलिका में खुलती है। दोनों ओर की फैलोपियन नलिकाएँ गर्भाशय के ऊपरी भाग में खुलती हैं। .
- गर्भाशय (Uterus)-गर्भाशय एक बन्द मुट्ठी के आकार की रचना है। इसका ऊपरी भाग चौड़ा तथा निचला भाग संकरा होता है। चौड़े भाग में फैलोपियन नलिका खुलती है। संकरा भाग योनि में खुलता है जिसे योनिमुख (Cervics) कहते हैं।
- योनि (Vagina)-योनिमुख एक संकरी माँसल नलिका में खुलता है। इसे योनि कहते हैं। इसी भाग में नर द्वारा शुक्राणु छोड़े जाते हैं।
- भग (Vulva)- योनि एक छिद्र द्वारा बाहर खुलती है। इसे भग कहते हैं। यह दो कपाटनुमा संरचनाओं से ढकी होती है। इन्हें बाह्य ओष्ठ तथा अन्तः ओष्ठ कहते हैं। इनके जुड़ने के स्थान पर ऊपर की ओर भग शिश्न होता हैं।
→ अण्ड प्रजक (Oviparous)- ऐसे जीव जो अण्डे देते हैं, अण्ड प्रजक कहलाते हैं। ऐसे जीवों में बाह्य परिवर्धन होता है।
→ सजीव-प्रजक (Viviparous)- ऐसे जीव जो शिशुओं को जन्म देते हैं, सजीव-प्रजक कहलाते हैं। ऐसे जीवों में आन्तरिक परिवर्धन होता है।
→ अनिषेक जनन (Parthenogenesis)-वह प्रक्रिया जिसमें संतति जीव की उत्पत्ति अनिषेचित अण्ड से होती है,अनिषेक जनन कहलाता है।
→ लैंगिक द्विरूपता (Sexual Dimorphism)-कशेरुकियों में नर तथा मादा जीव संरचनात्मक रूप से अलग-अलग होते हैं, इसे लैंगिक द्विरूपता कहते हैं।
→ उभयलिंगता (Bisexuality)- एक ही जीव में नर तथा मादा जननांगों का पाया जाना उभयलिंगता कहलाती है।
→ शुक्राणुजनन (Spermatogenesis)-वृषणों में शुक्राणुओं का निर्माण होना शुक्राणु जनन कहलाता है। अण्डजनन (Oogenesis)-अण्डाशय में अण्डाणु का बनना अण्ड जनन कहलाता है। अण्डोत्सर्ग (Ovulation)-अण्डाशय से अण्ड का निकलना, अण्डोत्सर्ग कहलाता है। रोपण (Implantation)- भ्रूण का गर्भाशय में स्थापित होना रोपण कहलाता है।
→ रजोधर्म (Menstruation)- स्त्रियों में निषेचन न होने की अवस्था में गर्भाशय की आन्तरिक मोटी भित्ति रुधिर वाहिनियों के साथ टूटकर रुधिर स्राव के रूप में योनिमार्ग से बाहर आती है, इसे रजोधर्म कहते हैं।
→ आर्तव चक्र (Menstruation Cycle)-स्त्रियों में प्रत्येक 28 दिन बाद अण्डाशय तथा गर्भाशय में होने वाली घटना आर्तव चक्र कहलाती है।
→ रजोनिवृत्ति (Menopause)-रजोधर्म का स्थायी रूप से बन्द होना रजोनिवृत्ति कहलाता है।
→ ट्यूबेक्टोमी (Tubectomy)- गर्भधारण को रोकने के लिए अण्डवाहिनी के एक भाग को काटकर बाँध देना ट्यूबेक्टोमी कहलाता है।
→ वासोक्टोमी (Vasoctomy)- पुरुषों में शुक्रवाहिनी को काटकर बाँध देना वासोक्टोमी कहलाता है।
→ जनन स्वास्थ्य (Reproductive health)-जनन स्वास्थ्य का अर्थ जनन के सभी पहलुओं सहित सम्पूर्ण स्वास्थ्य अर्थात शारीरिक, भावनात्मक, व्यवहारात्मक, सामाजिक स्वास्थ्य है। जनन स्वास्थ्य में परिवार नियोजन का बहुत महत्त्व है। परिवार नियोजन के लिए विभिन्न विधियाँ, जैसे- रासायनिक, यांत्रिक तथा शल्य क्रियात्मक विधि अपनायी जाती हैं।