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Haryana Board 10th Class Science Solutions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है

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HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है

HBSE 10th Class Science जीव जनन कैसे करते है Textbook Questions and Answers

अध्याय संबंधी महत्त्वपूर्ण परिभाषाएँ/शब्दावली ||

1. जनन (Reproduction) – वह प्रक्रिया जिसमें कोई जीव अपने जैसे जीव को जन्म देता है या उत्पन्न करता है l
2. विकास (Evolution ) – एक निरंतर प्रक्रिया जिसके द्वारा प्राचीन समय में पाए जाने वाले जीवों से आज के पौधे व जीव-जंतु बने हैं।
3. डी०एन०ए० प्रतिकृति ( DNA Replication) – पुरानी डी०एन०ए० शृंखला (टेंपलेट) पर नए डी०एन०ए० का संश्लेषण, डी०एन०ए० प्रतिकृति कहलाता है।
4. कोशिकीय घटकं ( Cellular Apparatus) – कोशिका में निहित वस्तुएँ; जैसे जीवद्रव्य, एंजाइम, हॉर्मोन, डी०एन०ए०, आर०एन०ए० आदि जो उपापचय में भाग लेते हैं ।
5. जनसंख्या (Population) – किसी क्षेत्र विशेष में रहने वाले किसी एक जाति के जीवों की संख्या l
6. स्पीशीज़ ( Species) जीव जो आपस में संचरण कर सकते हैं और जिनके लक्षण / गुण भी समान होते हैं। एक स्पीशीज बनाते हैं।
7. यीस्ट / खमीर (Yeast) – सूक्ष्मजीवी कवक जिसका उपयोग सामान्यतः किण्वन प्रक्रिया में किया जाता है।
8. विखंडन (Fission) – यह एक प्रक्रिया है जिसमें किसी एक सूक्ष्मजीव के विभाजन से दो या इससे अधिक जीव बनते हैं।
9. मुकुल ( Bud) – एक प्रवर्ध जो शरीर से उभार के रूप में निकलता है, जो जीव से अलग होने के बाद पूर्ण जीव में विकसित हो जाता है। ऐसा एककोशिक या बहुकोशिकीय दोनों प्रकार के जीवों में हो सकता है।
10. द्विखंडन (Binary Fission) – विखंडन (विभाजन) की प्रक्रिया जिसमें कोई कोशिकीय जीव; जैसे अमीबा दो भागों में विभक्त हो जाता है और प्रत्येक भाग पूर्ण जीव के रूप में व्यवहार करता है ।
11. बहुखंडन (Multiple Fission) – विखंडन प्रक्रिया जिसमें एककोशिक जीव; जैसे प्लाज़्मोडियम से अनेक जीव उत्पन्न होते हैं।
12. खंडन (Fragmentation) – अलैंगिक (कायिक) जनन का एक प्रकार जिसमें तंतुनुमा बहुकोशिकीय जीव; जैसे स्पाइरोगाइरा दो या दो से अधिक टुकड़ों में टूट जाते हैं तथा प्रत्येक भाग कोशिका विभाजन द्वारा पूर्ण जीव में विकसित हो जाता है।
13. पुनरुद्भवन / पुनर्जनन (Regeneration) – कुछ जीवों में अपने कायिक भाग से नए जीव के निर्माण की क्षमता होती है। ये जीव अपने खोए हुए अंगों को भी इसी विधि द्वारा प्राप्त करने की क्षमता रखते हैं। विकास की इस विधि को पुनर्जनन कहते हैं ।
14. कायिक प्रवर्धन (Vegetative Propagation) – अलैंगिक प्रजनन का वह प्रक्रम जिसमें किसी जीव के कायिक भागों से पूर्ण जीव विकसित हो जाता है, कायिक प्रवर्धन कहलाता है। ऐसा बहुत सारे पौधों में होता है।
15. बीजाणु (Spores) – वे एककोशिकीय संरचनाएँ जो किसी जीव में कायिक अंगों/भागों से कुछ जीवों (जीवाणु, कवक, टैरिडोफाइटस) में बनती हैं तथा उचित परिस्थिति में पूर्ण जीव में विकसित हो जाती हैं ।
16. अलैंगिक जनन (Asexual Reproduction)- जनन की वह प्रक्रिया जिसमें न ही युग्मक बनते हैं और न ही उनका संयोग होता है।
17. ऊतक संवर्धन (Tissue Culture ) – अलैंगिक प्रजनन की एक विधि जिसमें ऊतक के छोटे-से टुकड़े/ या भाग से कृत्रिम माध्यम में अनेकों पौधे विकसित किए जाते हैं ।
18. लैंगिक जनन (Sexual Reproduction) – जनन की वह प्रक्रिया जिसमें युग्मक बनते हैं तथा उनका संयोग होता है l
19. नर युग्मक (Male Gametes) – नर में उत्पादित सैक्स कोशिकाएँ जिन्हें शुक्राणु कहते हैं ।
20. मादा युग्मक (Female Gametes) – मादाओं में उत्पादित सैक्स कोशिकाएँ जिन्हें अंडाणु/अंडज कहते हैं।
21. बीजांड (Ovule) – एक बहुकोशिकीय अंडाकार / गोलाकार संरचना जो स्त्रीकेसर के अंडाशय में विकसित होती है। इसमें भ्रूणकोष अंडाणु तथा कठोर आवरण होता है।
22. अंड कोशिका (Ovum) – मादा जंतु में परिपक्व जनन कोशिका जो अंडाशय में अंड जनन प्रक्रिया द्वारा बनती है।
23. निषेचन (Fertilization) – नर तथा मादा युग्मक के संयोग करने की क्रिया निषेचन कहलाती है।
24. परागकण (Pollen Grains) – हैप्लॉयड एककोशिक संरचना जो परागकोश में अर्धसूत्री विभाजन के परिणामस्वरूप बनती है। यह नर गैमिटोफाइट की प्रथम संरचना होती है।
25. स्वपरागण (Self Pollination) – किसी फूल के परागकोशों से परागकणों का उसी फूल या उसी पौधे पर अन्य फूल के (स्त्रीकेसर ) वर्तिकाग्र तक पहुँचना, स्वपरागण कहलाता है ।
26. परपरागण (Cross Pollination) – परागकणों को एक फूल से किसी अन्य पौधे पर लगे फूल में वर्तिकाग्र तक पहुँचना परपरागण कहलाता है ।
27. भ्रूण (Embryo) – बहुकोशिकीय संरचना जो पौधों में युग्मनज से विकसित होती है और बीज के अंदर सुप्तपादप के रूप में सुरक्षित रहती है।
28. बीज (Seed) – परिपक्व बीजांड जिसमें भ्रूण होता है और जो टैस्टा या बीज आवरण से ढका हुआ होता है, उसे बीज कहते हैं
29. बीज का अंकुरण (Germination of Seed) – बीजों का उगकर पौध/ पौधा बनने की प्रक्रिया, बीज का अंकुरण कहलाती है ।
30. बीजपत्र (Cotyledons) – छोटे पत्ते की तरह की संरचनाएँ जो बीजांड के परिपक्व होते समय बीज में विकसित होती हैं तथा जिसमें सामान्यतः भोजन संचित रहता ।
31. यौवनारंभ (Puberty) – सैक्स / यौन परिपक्वता जिसे प्राथमिक तथा द्वितीयक लैंगिक अंगों/लक्षणों के विकास के रूप में देखा जाता है।
32. अपरा/प्लैसेंटा (Placenta) – एक तश्तरीनुमा संरचना जो गर्भाशय की भित्ति में धँसी होती है, जिसके माध्यम से भ्रूण पोषण ग्रहण करता है तथा व्यर्थ पदार्थ उत्सर्जित करता है ।
33. ऋतुस्राव / रजोधर्म ( Menstruation) – मानव मादाओं में रक्त स्राव जो 4-5 दिन रहता है। ऐसा गर्भाशय की भित्ति के फटने के कारण होता है ।
34. यौन संचरित रोग (Sexually Transmitted Diseases – STDs) – मनुष्य में जो रोग यौन क्रिया के कारण फैलते हैं; जैसे सुजाक, एड्स आदि ।
35. गर्भरोधक (Contraception) – जन्मदर को नियंत्रित करने के लिए गर्भ को रोकने की विधियाँ |
36. गर्भनिरोधक (Contraceptives) – वे विधियाँ या उपाय जो गर्भधारण को रोकने के लिए प्रयुक्त होते हैं।
पाठ एक नज़र में
1. जनन प्रक्रिया नए जीव उत्पन्न करके पृथ्वी पर जीवन को बनाए रखती है ।
2. कोशिका के केंद्रक में क्रोमोसोम / गुणसूत्रों में गुणों के एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में जाने के लिए सूचना निहित रहती है ।
3. डी०एन०ए० आनुवांशिक पदार्थ है।
4. जनन के समय डी०एन०ए० प्रतिकृति वनने में लगातार समानता रहनी चाहिए। यह जीव के शरीर की रचना / ढाँचा नाए रखने में सहायक है।
5. एककोशिकीय जीवों में कोशिका विभाजन या विखंडन से नए जीवों की उत्पत्ति होती है ।
6. विभिन्न प्रकार के जीवों में विखंडन भी विभिन्न प्रकार से हो सकता है।
7. यीस्ट में जनन मुकुलन द्वारा होता है, जबकि स्पाइरोगाइरा में खंडन द्वारा। यह उनमें जनन का सामान्य प्रकार है ।
8. बहुत से पौधों का कायिक जनन द्वारा, उनके शरीर के किसी भाग द्वारा वर्धन करवाया जा सकता है ।
9. पत्थर चट/ब्रायोफिलम पौधे का उनके पत्तों से प्रजनन करवाया जा सकता है ।
10. ऊतक संवर्धन, पौधे के विभिन्न भागों को कृत्रिम माध्यम में संवर्धित करवाने की एक तकनीक है ।
11. जीवाणु, कवक तथा टैरिडोफाइट एककोशिक गतिशील या अगतिशील संरचना बनाते हैं, जिन्हें बीजाणु (Spores) कहते हैं ।
12. लैंगिक जनन का मुख्य लक्षण युग्मक बनाना तथा उनका संयोग करना है ।
13. एंजियोस्पर्म में जनन अंग फूल के अंदर स्थित होते हैं ।
14. पुंकेसर नर जनन भाग है और स्त्रीकेसर मादा जनन भाग/अंग है।
15. एंजियोस्पर्म में युग्मकोदभिद में दो नर युग्मक होते हैं जिनमें से एक अंडज के साथ तथा दूसरा केंद्रीय केंद्रक के साथ संयोग करता है ।
16. निषेचन के पश्चात् बीजांड बीज के रूप में परिपक्व होता है तथा स्त्रीकेसर का अंडाशय फूल में।
17. बीज का सबसे महत्त्वपूर्ण भाग बीज होता है जो युग्मनज से विकसित होता है ।
18. यौवनावस्था आरंभ होने पर द्वितीय लैंगिक गुण नज़र आने लगते हैं।
19. मानव मादा में अंडाणु डिंबवाहिनी (नलिका) में निषेचित होते हैं ।
20. मादा जनन चक्र को आवर्त चक्र कहते हैं जो लगभग 28 दिन का होता है तथा जिसमें 2 से 8 दिनों का रजोधर्म होता है ।
21. किशोर व किशोरियों को यौन क्रियाओं की स्वच्छ आदतें अपनानी चाहिएँ, अन्यथा उनमें यौन संचारित रोग अधिक फैलेंगे ।
22. एड्स मुख्य रूप से यौन क्रिया / संभोग के द्वारा फैलता है ।
23. यौन क्रिया के कारण हमेशा ही गर्भ धारण करने की संभावना बनी रहती है ।
24. हमें अपनी जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए गर्भनिरोधक विधियों का उपयोग करना चाहिए ।
25. निरोध के प्रयोग से यौन संचरित रोगों, जिसमें AIDS भी शामिल है, से बचा जा सकता है ।

HBSE 10th Class Science जीव जनन कैसे करते है  InText Questions and Answers

पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न 

(पाठ्य-पुस्तक पृ. सं. 142)

प्रश्न 1. डी.एन.ए. प्रतिकृति का प्रजनन में क्या महत्त्व है।
उत्तर- डी.एन.ए. में आनुवंशिक सूचनाएँ निहित होती हैं। डी.एन.ए. गुणसूत्रों के रूप में एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में जाते हैं। अतः डी.एन.ए. द्वारा अपने जैसे ही प्रतिरूप बनाने की क्षमता होती है। ऐसा डी.एन.ए. के प्रतिकृतिकरण द्वारा होता है। इसके द्वारा पीढ़ी-दर-पीढ़ी डी.एन.ए. की मात्रा सन्तुलित बनी रहती है।

प्रश्न 2. जीवों में विभिन्नता स्पीशीज के लिए तो लाभदायक है परन्तु व्यष्टि के लिए आवश्यक नहीं है क्यों ?
उत्तर-विभिन्नताएँ प्रजाति (Species) के लिए लाभदायक होती हैं, क्योंकि इनके कारण प्रजाति में कुछ ऐसे सदस्य उत्पन्न हो जाते हैं, जो अनेक प्रतिकूल परिस्थितियों के लिए स्वयं को अनुकूलित कर लेते हैं या इनके प्रतिरोधी होते हैं। प्राकृतिक चयन के फलस्वरूप योग्यतम जीव जीवित रहते हैं। व्यक्तिगत सदस्य में उत्पन्न विभिन्नताएँ पर्यावरण से अनुकूलित न रहने के कारण सदस्य जीवित नहीं रह पाता है। अतः विभिन्नताएँ प्रजाति के लिए लाभदायक किन्तु व्यष्टि के लिए हानिकारक होती हैं। विभिन्नताएं प्रजाति की उत्तरजीविता बनाये रखने में उपयोगी हैं।

(पाठ्य-पुस्तक पृ. सं. 146)

प्रश्न 1. द्विखण्डन बहुखण्डन से किस प्रकार भिन्न
उत्तर- द्विखण्डन तथा बहुखण्डन में अन्तर-

द्विखण्डन (Binary Fission) बहुखण्डन (Multiple Fission)
1. यह प्रायः अनुकूल परि स्थितियों में होता है। यह प्रायः प्रतिकूल परि स्थितियों में होता है।
2. इसमें केन्द्रक दो पुत्री केन्द्रकों में विभाजित होता है। इसमें केन्द्रक अनेक संतति केन्द्रकों में विभाजित होता है।
3. इसमें केन्द्रक विभाजन के साथ ही कोशिकाद्रव्य का विभाजन भी होता है। इसमें केन्द्रक का विभाजन होने के पश्चात् प्रत्येक संतति केन्द्रक के चारों ओर थोड़ा- थोड़ा जीवद्रव्य एकत्र हो जाता है।
4. इसमें एक मातृ जीव से दो संतति जीव बनते हैं। इसमें एक मातृ जीव से अनेक संतति जीव बनते हैं।

प्रश्न 2. बीजाणु द्वारा जनन से जीव किस प्रकार लाभान्वित होता है ?
उत्तर- बीजाणुजनन प्रायः पौधों में पाया जाता है। बीजाणुओं के ऊपर एक मोटा रक्षी आवरण होता है, जो इनकी प्रतिकूल पर्यावरण में रक्षा करता है। हल्के होने के कारण वायु द्वारा इनका प्रकीर्णन सरल होता है। अनुकूल परिस्थितियाँ (उचित ताप, नमी, भोज्य पदार्थ आदि) मिलने पर बीजाणु अंकुरण करके नये जीव को जन्म देते हैं। जैसे-राइजोपस, म्यूकर आदि।

प्रश्न 3. क्या आप कुछ कारण सोच सकते हैं जिससे पता चलता हो कि जटिल संरचना वाले जीव पुनरुद्भवन द्वारा नयी संतति उत्पन्न नहीं कर सकते ?
उत्तर- जटिल संरचना वाले जीवधारियों में कोशिकाएँ कार्यों के लिए विशिष्टीकृत होती हैं। ये कोशिकाएँ मिलकर, ऊतक, अंग, अंगतन्त्र तथा जीव शरीर का निर्माण करती हैं। इनमें केवल लैंगिक कोशिकाओं (नर तथा मादा युग्मक) के मिलने से ही नया जीव उत्पन्न होता है। इन जीवों की किसी अन्य कोशिका या ऊतक में नयी संतति उत्पन्न करने की क्षमता नहीं होती। इसके विपरीत कुछ सरल बहुकोशिकीय जीवों,जैसे-स्पंजों, हाइड्रा आदि में पुनरुद्भवन द्वारा नयी संतति बनाने की क्षमता होती है। इस प्रक्रिया में जीव का कोई कटा हुआ भाग नये जीव का निर्माण कर लेता है। जटिल संरचना वाले जीवों में पुनरुद्भवन की क्षमता केवल घाव भरने तक सीमित रह जाती है।

प्रश्न 4. कुछ पौधों को उगाने के लिए कायिक प्रवर्धन का उपयोग क्यों किया जाता है ?
उत्तर- कुछ पौधों को उगाने के लिए कायिक प्रवर्धन का उपयोग निम्नलिखित कारणों से किया जाता है –

  • कायिक प्रवर्धन से प्राप्त पौधे पूर्ण रूप से अपने जनकों के समान लक्षणों वाले होते हैं।
  • कुछ पौधे जिनके बीजों में जनन क्षमता नहीं होती उनका कायिक प्रवर्धन किया जा सकता है।
  • कायिक प्रजनन द्वारा कम समय में अधिक पौधे प्राप्त किये जा सकते हैं।
  • पौधों को बीज से उत्पन्न करने में लम्बा समय लगता है, जबकि कायिक प्रवर्धन से काफी बड़े पौधे कम समय में तैयार किये जा सकते हैं।
  • कायिक प्रवर्धन एक सस्ती विधि है।

प्रश्न 5. डी.एन.ए. की प्रतिकृति बनाना जनन के लिए क्यों आवश्यक है ?
उत्तर- डी. एन. ए. की प्रतिकृति बनाना जनन के लिए आवश्यक है। यह जनन के लिए एक मूल घटना है। जनक कोशिका की दो कोशिकाएँ बनती है। ये दोनों प्रतिकृतियाँ अलग होना आवश्यक हैं तभी जनन हो सकता है। इसके लिए एक अलग से कोशिकीय संरचना आवश्यक है। एक प्रतिकृति नई संरचना में तथा एक मूल कोशिका में रह जाती है। इस प्रकार दो प्रतिकृतियाँ दो नई कोशिकाएँ बनाने में सहायता करती हैं और जनन होता है।

(पाठ्य-पुस्तक पृ. सं. 154)

प्रश्न 1. परागण क्रिया निषेचन से किस प्रकार भिन्न है।
उत्तर- परागण तथा निषेचन में अन्तर-

परागण (Pollination) निषेचन  (Fertilization)
1. परागकोष (anther) से परागकणों का वर्तिकाग्र पर पहुँचना परागण कहलाती है। 1. नर तथा मादा युग्मकों के मिलने की क्रिया निषेचन कहलाता है।
2. यह क्रिया किसी माध्यम (जैसे-वायु, जल, कीट, पक्षी आदि) द्वारा होती है। 2. निषेचन में नर युग्मक परागण नलिका के माध यम से मादा युग्मक तक पहुँचते हैं। अत: किसी माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है।
3. यह क्रिया निषेचन से पहले होती है। 3. परागण क्रिया के सफलतापूर्वक सम्पन्न होने के पश्चात् निषेचन की क्रिया होती है।

प्रश्न 2. शुक्राशय तथा प्रोस्टेट ग्रन्थि की क्या भूमिका है।
उत्तर- शुक्राशय (Seminal Vesicle) तथा प्रोस्टेट ग्रन्थि (Prostate gland) नर जनन तन्त्र के भाग होते हैं। शुक्राशय एक पोषक तरल पदार्थ स्रावित करता है जो शुक्राणुओं के साथ मिलकर वीर्य (Semen) बनाता है। यह तरल शुक्राणुओं का पोषण करता है, इनकी सुरक्षा करता है तथा इन्हें सक्रिय बनाये रखता है। यह तरल स्त्री की योनि के अम्लीय प्रभाव को कम करके शुक्राणुओं की रक्षा करता है।

प्रोस्टेट ग्रन्थि से हल्का अम्लीय तरल स्रावित होता है। यह वीर्य का लगभग 25 प्रतिशत भाग बनाता है। इसमें उपस्थित पदार्थ शुक्राणुओं के स्कन्दन को रोकते हैं तथा इन्हें सक्रिय रखते हैं।

प्रश्न 3. यौवनारम्भ के समय लड़कियों में कौन-कौन से परिवर्तन दिखाई देते हैं ?
उत्तर- लड़कों एवं लड़कियों में बाल्यावस्था में इनके जननांगों के अलावा अन्य शारीरिक लक्षणों तथा व्यवहार
आदि में विशेष अन्तर नहीं होता है। लड़कियों में लगभग 11 से 13 वर्ष की आयु से यौवनारम्भ था किशोरावस्था प्रारम्भ होती है।

इसमें निम्नलिखित परिवर्तन दिखाई देते हैं-

  • स्तनों की वृद्धि तथा दुग्धग्रन्थियों का विकास होने लगता है।
  • स्तनों के मध्य उभरे भाग पर स्थित चूचुक (nipples) के चारों ओर छोटा-सा रंगयुक्त क्षेत्र और अधिक गहरा हो जाता है।
  • श्रोणि भाग चौड़ा और नितम्ब भारी हो जाते हैं।
  • आवाज महीन एवं सुरीली हो जाती है।
  • त्वचा तैलीय हो जाती है।
  • बगल एवं जंघा प्रदेश में बाल उग आते हैं।
  • आर्तव चक्र (Menstrual cycle) प्रारम्भ हो जाता
  • व्यवहार में भी बदलाव होने लगते हैं।
  • अंडवाही नलियाँ (fallopian tube), गर्भाशय (uterus) और योनि (vagina) के आकार में वृद्धि हो जाती है।

प्रश्न 4. माँ के शरीर में गर्भस्थ भ्रूण को पोषण किस प्रकार प्राप्त होता है?
उत्तर- मनुष्य एक स्तनधारी प्राणी है। निम्न श्रेणी के स्तनधारियों को छोड़कर अन्य सभी स्तनधारी जरायुजी (Viviparous) होते हैं अर्थात् शिशु को जन्म देते हैं। इनमें भ्रूण का विकास गर्भाशय में होता है और विकासशील भ्रूण का पोषण माता के गर्भाशय की दीवारों से अपरा (Placenta) द्वारा होता है। भ्रूणीय विकास के तीसरे सप्ताह में भ्रूण का रोपण गर्भाशय में प्राथमिक रसांकुरों (Primary Villi) द्वारा होता है और अन्त में अपरा नाल द्वारा गर्भाशय की दीवार से जुड़ जाता है। अपरा द्वारा पोषक पदार्थ तथा ऑक्सीजन भ्रूण को प्राप्त होती रहती है तथा भ्रूण के उत्सर्जी पदार्थ अपरा द्वारा ही माँ के रुधिर में छोड़ दिये जाते हैं, जहाँ से ये बाहर उत्सर्जित किये जाते हैं।

प्रश्न 5. यदि कोई महिला कॉपर ‘टी’ का प्रर कर रही है तो क्या यह उसकी यौन-संचारित रोगों से रक्षा करेगी?
उत्तर- नहीं। कॉपर ‘टी’ का प्रयोग गर्भ निरोधन के लिए किया जाता है। इसका यौन-संचारित रोगों से बचाव में कोई योगदान नहीं होता है।

HBSE 10th Class Science जीव जनन कैसे करते है Textbook Questions and Answers

पाठ्य-पुस्तक के अभ्यास के प्रश्न 

प्रश्न 1. अलैंगिक जनन मुकुलन द्वारा होता है –
(a) अमीबा में
(b) यीस्ट में
(c) प्लाज्मोडियम में
(d) लेस्मानिया में।
उत्तर- (b) यीस्ट।

प्रश्न 2. निम्न में से कौन मानव में मादा जनन तन्त्र का भाग नहीं है
(a) अण्डाशय
(b) गर्भाशय
(c) शुक्रवाहिका
(d) डिम्बवाहिनी।
उत्तर- (c) शुक्रवाहिका।

प्रश्न 3. परागकोश में होते हैं-
(a) बाह्यदल
(b) अण्डाशय
(c) अण्डप
(d) पराग कण।
उत्तर – (d) पराग कण।

प्रश्न 4. अलैंगिक जनन की अपेक्षा लैंगिक जनन के क्या लाभ हैं ?
उत्तर – अलैंगिक जनन में केवल एक जीवधारी के लक्षण ही संतति जीव में आते हैं। इन संतति जीवों में आनुवंशिक ओज क्षीण होता है। इनके जननद्रव्य में विभिन्नताओं की सम्भावना कम होती है।

लैंगिक जनन निम्नलिखित कारणों से अलैंगिक जनन की अपेक्षा अधिक लाभकारी है-

  • लैंगिक जनन में नर एवं मादा के सम्मिलन से नये जीव की उत्पत्ति होती है जिससे दो प्रकार के जनन द्रव्यों का मिलन होता है। इन संतति जीवों में विभिन्नता की सम्भावनाएँ होती हैं।
  • लैंगिक जनन से गुणसूत्रों के नये जोड़े बनते हैं। – इससे विकासवाद की दिशा को नये आयाम प्राप्त होते हैं।
  • लैंगिक जनन से उत्पन्न जीवों में श्रेष्ठ गुणों का समावेश होता है तथा इनमें संकर ओज अधिक होता है।

प्रश्न 5. मानव में वृषण के क्या कार्य हैं ?
उत्तर- मानव में वृषण के प्रमुख कार्य निम्न हैं-

  • ये शुक्राणुओं का निर्माण करते हैं।
  • ये टेस्टोस्टेरॉन नामक हॉर्मोन उत्पन्न करते हैं, जो शुक्राणुओं के उत्पादन को नियन्त्रित करता है।
  • यह हॉर्मोन बालकों में द्वितीय लक्षणों के विकास को प्रेरित करता है।

प्रश्न 6. ऋतुस्राव क्यों होता है?
उत्तर- स्त्रियों में अण्डाशय प्रत्येक माह एक अण्ड का निर्मोचन (Ovulation) करता है। निषेचित अण्डाणु द्वारा बने भ्रूण के रोपण के लिए गर्भाशय में कुछ परिवर्तन होते हैं। गर्भाशय की भित्ति में सूक्ष्मांकुर बन जाते हैं, चौड़ी वाहिकाओं का निर्माण हो जाता है तथा भ्रूण के पोषण के लिए परिवर्तन होते हैं। यदि अण्ड का निषेचन नहीं होता है तो गर्भाशय में हुए परिवर्तनों से पुन: सामान्य सी स्थिति बनती है जिसमें गर्भाशय भित्ति, सूक्ष्मांकुरों, म्यूकस तथा वाहिकाओं का विघटन होता है। ये सभी रचनाएँ एक स्राव के रूप में प्रत्येक 28 दिन पश्चात् योनि मार्ग से स्रावित होती हैं। इसे ऋतुस्राव (menstruation cycle) कहते हैं। यदि अण्ड का निषेचन हो जाता है तो ऋतुस्राव चक्र रुक जाता है और गर्भ धारण हो जाता है।

प्रश्न 7. पुष्प की अनुदैर्ध्य काट का नामांकित चित्र बनाइए।
उत्तर- पुष्य की अनुदैर्ध्य काट-
HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है 1

प्रश्न 8. गर्भ निरोधन की विभिन्न विधियाँ कौन-सी
उत्तर- मादा द्वारा गर्भधारण न होने देना गर्भ निरोधन (Contraception) कहलाता है। गर्भ निरोधन की विधियाँ , निम्नलिखित हैं:
1. रासायनिक विधियाँ-अनेक प्रकार के रासायनिक पदार्थ मादा में निषेचन क्रिया को रोक सकते हैं। ऐसी अनेक गोलियाँ (pills) बाजारों में उपलब्ध हैं जिन्हें खाने से गर्भधारण नहीं हो पाता है। झाग की गोली, जैली तथा विभिन्न क्रीमों के प्रयोग से भी गर्भधारण रोका जा सकता है।

2. शल्य विधियाँ-पुरुष नसबंदी (Vasectomy) तथा स्त्री नसबंदी (Tubectomy) द्वारा निषेचन क्रिया को बाधित किया जा सकता है। इस प्रक्रिया में कुशल चिकित्सकों द्वारा पुरुषों में शुक्रवाहिनी तथा स्त्रियों में अण्डवाहिनी को काटकर बाँध दिया जाता है जिससे शुक्राणुओं का अण्डाणुओं से मिलन नहीं हो पाता है।

3. भौतिक विधियाँ-इन विधियों में कुछ उपकरणों द्वारा शुक्राणु एवं अण्डाणु के मिलन को रोक दिया जाता है। पुरुष कण्डोम, स्त्री कण्डोम, कॉपर ‘टी’, गर्भ निरोधन लूप आदि भौतिक गर्भ निरोधन युक्तियाँ हैं।

प्रश्न 9. एककोशिक तथा बहुकोशिक जीवों की जनन पद्धति में क्या अन्तर है ?
उत्तर- एककोशिक तथा बहुकोशिक जीवों की जनन पद्धति में अन्तर –

एककोशिक जीवों में जनन बहुकोशिक जीवों में जनन
1. इनमें जनन विधि सरल होती है। इनमें जनन विधि जटिल होती है।
2. इनमें जनन प्रायः अलैं- गिक विधियों द्वारा होता इनमें जनन प्रायः लैंगिक विधियों द्वारा होता है।
3. इनमें जनन के लिए विशेष प्रकार की कोशिकाएँ नहीं होती हैं। इनमें जनन के लिए विशिष्ट प्रकार की कोशिकाएँ होती हैं।
4. इनमें जनन के लिए कोई विशेष अंग भी नहीं होता हैं। इनमें जनन के लिए विशेष अंग होते हैं।
5. यह सामान्यतः सूत्री विभाजन द्वारा होता है। यह प्रायः अर्धसूत्री विभाजन द्वारा होता है।

प्रश्न 10. जनन किसी स्पीशीज की समष्टि के स्थायित्व में किस प्रकार सहायक है ?
उत्तर- जनन द्वारा पैतृक पीढ़ी से पुत्री पीढ़ी का निर्माण होता है। पुत्री पीढ़ी आगे चलकर पैतृक पीढ़ी का कार्य करती है और सन्तान उत्पन्न करती है। यह क्रम लगातार चलता रहता है और इस प्रकार स्पीशीज की समष्टि का स्थायित्व बना रहता है।

प्रश्न 11. गर्भ-निरोधक युक्तियाँ अपनाने के क्या कारण हो सकते हैं ?
उत्तर- गर्भ-निरोधक युक्तियों के अपनाने के निम्नलिखित कारण हैं

  • इनके द्वारा बढ़ती हुई जनसंख्या पर नियन्त्रण किया जा सकता है।
  • इसके द्वारा अवांछित सन्तान से बचा जा सकता है।
  • इनके द्वारा जल्दी-जल्दी गर्भधारण को रोका जा सकता है क्योंकि जल्दी-जल्दी गर्भधारण से स्त्री के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव होता है।
  • कुछ गर्भ निरोधन युक्तियाँ यौन-संचारित रोगों से बचने में सहायता करती हैं।
  • परिवार नियोजन अपना कर खुशहाल जीवनयापन किया जा सकता है।

Haryana Board 10th Class Science Important Questions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न (Very short Answer Type Questions)

बहुविकल्पीय प्रश्न (Objective Type Questions)

1. अमीबा में जनन की अलैंगिक विधि है-
(A) विखण्डन
(B) बहुविखण्डन
(C) (A) व (B) दोनों
(D) युग्मक लयन
उत्तर- (C) (A) व (B) दोनों

2. मादा-मानव में निषेचन कहाँ होता है ?
(A) गर्भाशय में
(B) अण्डाशय में
(C) योनि में
(D) फैलोपियन नलिका में
उत्तर- (D) फैलोपियन नलिका में

3. बीजाणुओं द्वारा अलैंगिक जनन होता है-
(A) अमीबा में
(B) मनुष्य में
(C) यीस्ट में
(D) मॉस में
उत्तर- (D) मॉस में

4. तने द्वारा कायिक प्रवर्धन होता है-
(A) पोदीने में
(B) हल्दी में
(C) अदरक में
(D) सभी में
उत्तर- (D) सभी में

5. पौधे के जननांग हैं-
(A) पुंकेसर
(B) स्त्रीकेसर
(C) (A) तथा (B) दोनों
(D) बाह्य दल
उत्तर- (C) (A) तथा (B) दोनों

6. मनुष्य में अण्डाशयों की संख्या होती है
(A) एक
(B) दो
(C) तीन
(D) चार।
उत्तर- (B) दो

7. परागकणों का निर्माण होता है-
(A) परागकोष में
(B) भ्रणकोष में
(C) भ्रूणपोष में
(D) पुष्पासन में
उत्तर- (A) परागकोष में

8. आलू में कायिक जनन होता है-
(A) जड़ से
(B) कन्द से
(C) तने से
(D) पुष्प से
उत्तर- (B) कन्द से

9. आलू में कायिक प्रवर्धन होता है –
(A) पत्तों द्वारा
(B) तने द्वारा
(C) जड़ों द्वारा
(D) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर – (B) तने द्वारा
10. कोशिकाओं / ऊतक से कृत्रिम माध्यम में अनेक पौधे प्राप्त करने की क्रिया कहलाती है –
(A) कोशिका संवर्धन
(B) यीस्ट संवर्धन
(C) ऊतक संवर्धन
(D) जीवाणु संवर्धन
उत्तर-(C) ऊतक संवर्धन
11. राइजोपस में अलैंगिक जनन होता है –
(A) बीजाणु जनन द्वारा
(B) मुकुलन द्वारा
(C) द्विखंडन द्वारा
(D) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर – (A) बीजाणु जनन द्वारा
12. निम्नलिखित में से किसमें पैदा होने वाले जीव आनुवांशिक रूप से भिन्न होते हैं?
(A) लैंगिक जनन
(B) अलैंगिक जनन
(C) कायिक प्रवर्धन
(D) ये सभी
उत्तर – (A) लैंगिक जनन
13. प्रायः पपीते में फूल होते हैं –
(A) एकलिंगी
(B) द्विलिंगी
(C) न्यूटर/अलिंगी
(D) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर – (A) एकलिंगी
14. परागकण अंकुरित होने पर उत्पन्न करते हैं –
(A) परागनलिका
(B) नर केंद्रक / युग्मक
(C) नर युग्मकोद्भिद
(D) उपरोक्त सभी
उत्तर-(D) उपरोक्त सभी
15. कुछ एककोशीय जीव एक साथ अनेक संतति कोशिका में विभाजित हो जाते हैं। जनन की इस विधि को क्या कहा जाता है ?
(A) विखंडन
(B) मुकुलन
(C) खंडन
(D) बहु विखंडन
उत्तर-(D) बहु विखंडन
16. युग्मनज होते हैं –
(A) अगुणित
(B) द्विगुणित
(C) त्रिगुणित
(D) चतुर्थगुणित
उत्तर-(B) द्विगुणित
17. एंडोस्पर्म केंद्रक होता है –
(A) अगुणित
(B) द्विगुणित
(C) त्रिगुणित
(D) चतुर्थ गुणित
उत्तर-(C) त्रिगुणित
18. दोहरा निषेचन निम्नलिखित में से किसका लक्षण है?
(A) एंजियोस्पर्म
(B) जिम्नोस्पर्म
(C) टैरिडोफाइट
(D) ब्रायोफाइट
उत्तर – (A) एंजियोस्पर्म
19. परिपक्व बीजांड कहलाता है –
(A) बीज
(B) फल
(C) युग्मकोद्भिद
(D) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर- (A) बीज
20. प्रत्येक परागकण कितने नर युग्मक उत्पन्न करता है?
(A) 1
(B) 2
(C) 3
(D) 4
उत्तर (B) 2
21. परागकणों का स्त्रीकेसर के वर्तिकाग्र तक स्थानांतरित होना, कहलाता है –
(A) अंकुरण
(B) परागण
(C) निषेचन
(D) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर-(B) परागण
22. मानव नर में प्राथमिक जनन अंग है –
(A) वृषण
(B) शिश्न
(C) गदूद
(D) शुक्रवाहिनी
उत्तर- (A) वृषण
23. नर लैंगिक हॉर्मोन है –
(A) ल्युटिनाइजिंग हॉर्मोन (LH)
(B) फोलिकल स्टीमुलेटिंग हॉर्मोन (FSH)
(C) टेस्टोस्टेरोन
(D) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर-(C) टेस्टोस्टेरोन
24. मादा लैंगिक हॉर्मोन है –
(A) एस्ट्रोजन
(B) ल्युटिनाइजिंग हॉर्मोन (LH)
(C) फोलिकल स्टीमुलेटिंग हार्मोन (FSH)
(D) प्रोगैस्ट्रॉन
उत्तर – (A) एस्ट्रोजन
25. मानव मादा में प्राथमिक लैंगिक अंग है –
(A) गर्भाशय
(B) योनि
(C) डिंब / अंडवाहिनी
(D) अंडाशय
उत्तर-(D) अंडाशय
26. मानव मादाओं में अंड का निषेचन होता है –
(A) अंडाशय में
(B) अंडवाहिनी में
(C) गर्भाशय में
(D) योनि में
उत्तर – (B) अंडवाहिनी में
27. अंडाशय से अंड के मोचन की क्रिया कहलाती है –
(A) अंडोत्सर्ग
(B) निषेचन
(C) रोपण
(D) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर-(A) अंडोत्सर्ग
28. ब्लास्टुला का गर्भाशय की भित्ति के साथ जुड़ना कहलाता है –
(A) निषेचन
(B) रोपण
(C) रजोधर्म
(D) गर्भ गिरना
उत्तर-(B) रोपण
29. अंडोत्सर्ग की क्रिया लैंगिक चक्र (आवर्त चक्र) के किस दिन होती है?
(A) चौथे दिन
(B) 14वें दिन
(C) 28वें दिन
(D) लैंगिक चक्र के अंतिम दिन से पहले 14वें दिन
उत्तर – (D) लैंगिक चक्र के अंतिम दिन से पहले 14वें दिन
30. कोर्पस ल्युटियम द्वारा कौन-सा हॉर्मोन स्रावित होता है?
(A) एस्ट्रोजन
(B) प्रोगैस्ट्रॉन
(C) ल्युटिनाइजिंग हॉर्मोन (LH)
(D) फोलिकल स्टीमुलेटिंग हार्मोन (FSH)
उत्तर–(B) प्रोगैस्ट्रॉन
31. कौन-सा हॉर्मोन गर्भ को बनाए रखने में सहायक है ?
(A) प्रोगैस्ट्रॉन
(B) ल्युटिनाइजिंग हॉर्मोन (LH)
(C) फोलिकल स्टीमुलेटिंग हार्मोन (FSH)
(D) एस्ट्रोजन
उत्तर-(A) प्रोगैस्ट्रॉन
32. प्लैसेंटा कहाँ पर धँसा होता है ?
(A) ग्रीवा
(B) योनि
(C) गर्भाशय
(D) अंडवाहिक
उत्तर-(C) गर्भाशय
33. अपरा (प्लेसेंटा) का कार्य है –
(A) विकसित हो रहे शिशु (foetus) को पोषण प्रदान करना
(B) शिशु द्वारा उत्पादित व्यर्थ पदार्थों को बाहर निकालना
(C) माँ के शरीर से प्रतिरक्षी शिशु में स्थानांतरित करना
(D) उपरोक्त सभी
उत्तर – (D) उपरोक्त सभी
34. भ्रूण पूर्ण शिशु में विकसित होने में कितना समय लेता है ?
(A) 270 दिन
(B) 240 दिन
(C) 210 दिन
(D) 300 दिन
उत्तर- (A) 270 दिन
35. मादा मानव में योनि मार्ग से हर माह रुधिर एवं म्यूकस के निष्कासन को कहते हैं –
(A) रजोधर्म
(B) निषेचन
(C) लेस्मानीया.
(D) कुछ भी नहीं
उत्तर- (A) रजोधर्म
36. एड्स का कारण है –
(A) जीवाणु
(B) विषाणु
(C) प्रोटोजोआ
(D) कवक
उत्तर-(B) विषाणु
37. निम्नलिखित में से कौन-सा एक यौन संचारित रोग है ?
(A) एड्स
(B) सुजाक
(C) गोनेरिया
(D) उपरोक्त सभी
उत्तर – (D) उपरोक्त सभी
38. कंडोम के उपयोग से बचाव हो सकता है-
(A) STDs से
(B) गर्भधारण से
(C) (A) तथा (B) दोनों
(D) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर- (C) (A) तथा (B) दोनों
39. HIV संक्रमित व्यक्ति में एड्स के लक्षणों के विलंब के लिए किस थेरेपी का प्रयोग होता है ?
(A) प्रति रैट्रोवायरल थेरेपी
(B) जीन थेरेपी
(C) विकिरण थेरेपी
(D) रासायनिक थेरेपी
उत्तर – (A) प्रति रैट्रोवायरल थेरेपी
40. एड्स के फैलने का कारण है –
(A) असुरक्षित यौन संबंध (बिना कंडोम के )
(B) अप्रमाणित रक्त का उपयोग
(C) एक से अधिक साथियों के साथ संभोग
(D) उपरोक्त सभी
उत्तर – (D) उपरोक्त सभी

Haryana Board 10th Class Science Important Questions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है

एक शब्द / वाक्यांश प्रश्न
प्रश्न 1. जनन प्रक्रिया को परिभाषित करें ।
उत्तर – अपने जैसी संतति / संतान को जन्म देने की प्रक्रिया जनन कहलाती है।
प्रश्न 2. क्या जीव बिल्कुल अपने जैसी प्रतिकृति उत्पन्न करते हैं ?
उत्तर – नहीं, जीव बिल्कुल अपने जैसी प्रतिकृति उत्पन्न नहीं करते ।
प्रश्न 3. उस अणु का नाम बताएँ जो जीव संरचना / डिज़ाइन का ब्लूप्रिंट रखता है ?
उत्तर – डी ऑक्सीराइबोज न्यूक्लिक अम्ल (DNA)।
प्रश्न 4. जनन की आधारभूत घटना क्या है ?
उत्तर – डी०एन०ए० प्रतिकृति ।
प्रश्न 5. जैव विकास का क्या आधार है ?
उत्तर – विभिन्नताएँ विकास का आधार हैं ।
प्रश्न 6. विभिन्नताओं का आधार क्या है?
उत्तर – DNA (जीन) प्रतिकृति के समय हुए परिवर्तन जीनी उत्परिवर्तन कहलाते हैं। उत्परिवर्तन ही विभिन्नताओं के आधार हैं ।
प्रश्न 7. ‘उत्परिवर्तन’ क्या हैं?
उत्तर – आनुवांशिक पदार्थ में हुए अचानक परिवर्तनों को उत्परिवर्तन कहते हैं ।
प्रश्न 8. जीवों में जनन की दो सामान्य विधियाँ कौन-सी हैं ?
उत्तर – (i) लैंगिक जनन (ii) अलैंगिक जनन ।
प्रश्न 9. अलैंगिक जनन का क्या अर्थ है ?
उत्तर – जनन की वह प्रक्रिया जिसमें युग्मकों का बनना व उनका संयोग करना नहीं होता, अलैंगिक जनन कहलाता है।
प्रश्न 10. उस जनन प्रक्रिया को किस नाम से जाना जाता है जिसमें युग्मक बनते हैं तथा संयोग करते हैं?
उत्तर – लैंगिक जनन ।
प्रश्न 11. उस जनन प्रक्रिया का नाम बताइए जिसमें केवल एक ही जनक ( Parent) भाग लेता है ।
उत्तर – अलैंगिक जनन ।
प्रश्न 12. हाइड्रा में जनन की सामान्य विधि क्या है ?
उत्तर – मुकुलन ।
प्रश्न 13. अमीबा में जनन किस विधि द्वारा होता है ?
उत्तर – द्विखंडन द्वारा ।
प्रश्न 14. दो जंतुओं के नाम बताएँ जिनमें अलैंगिक जनन होता है ।
उत्तर – (i) हाइड्रा, (ii) प्लेनेरिया ।
प्रश्न 15. उस जीव का नाम बताएँ जिससे मलेरिया होता है ।
उत्तर – प्लैज़्मोडियम, यह एक एककोशिकीय जीव है ।
प्रश्न 16. कौन-सा जीव कालाज़ार का रोगाणु है ?
उत्तर – लेस्मानिया कालाजार का रोगाणु है ।
प्रश्न 17. दो जंतुओं के नाम बताएँ जिनमें पुनरुद्भवन की क्षमता होती है।
उत्तर – (i) प्लेनेरिया, (ii) केंचुआ ।
प्रश्न 18. पुनरुद्भवन जनन के समान नहीं है, क्यों?
उत्तर – पुनरुद्भवन का अर्थ है अपने शरीर के खोए हुए अंगों को पुनः प्राप्त करना । यह लैंगिक अथवा अलैंगिक जनन के अंतर्गत नहीं आता ।
प्रश्न 19. एक जीव का नाम बताएँ जो मुकुलन द्वारा जनन करता है ।
उत्तर – हाइड्रा – एक सिलेंटरेटा ।
प्रश्न 20 . मुकुलन प्रक्रिया को परिभाषित करें ।
उत्तर – मुकुलन वह प्रक्रिया है जिसमें जीव के शरीर से कोई प्रवर्ध निकलता है, जो जीव से अलग होने के पश्चात् पूर्ण जीव के रूप में विकसित हो जाता है ।
प्रश्न 21. कायिक प्रवर्धन से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – अलैंगिक जनन का प्रकार जिसमें पौधे का पूरा का पूरा शरीर पौधे के किसी कायिक भाग; जैसे जड़, तना या पत्ते से विकसित होता है, कायिक प्रवर्धन कहलाता है ।
प्रश्न 22. दो पौधों के नाम बताएँ जिनमें कायिक जनन तने द्वारा होता है । 
उत्तर – आलू तथा अदरक ।
प्रश्न 23. एक पौधे का नाम बताएँ जिसमें कायिक जनन जड़ द्वारा होता है ।
उत्तर – शीशम (डलब्रजिया शिशु) ।
प्रश्न 24. कायिक प्रवर्धन की दो पद्धतियों के नाम लिखिए ।
उत्तर – (1) कलम लगाकर, (2) दाब लगाकर, (3) कलम या कलिका चढ़ाकर । –
प्रश्न 25. लेस्मानिया तथा पैरामीशियम में जनन विधि का नाम बताएँ।
उत्तर – द्विखंडन ।
प्रश्न 26. युग्मनज क्या है?
उत्तर – द्विगुणित संरचना जो नर तथा मादा युग्मक के संयोग से बनती है।
प्रश्न 27. ‘निषेचन’ या ‘फर्टिलाइजेशन’ क्या है?
उत्तर – नर तथा मादा युग्मक के संयोग की क्रिया निषेचन या फर्टिलाइजेशन कहलाती है।
प्रश्न 28. युग्मक किस प्रक्रिया द्वारा बनते हैं ?
उत्तर – अर्ध-सूत्री विभाजन प्रक्रिया द्वारा |
प्रश्न 29 जनन कोशिकाएँ क्या होती हैं ?
उत्तर – युग्मकों को जनन कोशिकाएँ कहते हैं l
प्रश्न 30. पुष्प के जनन अंगों के नाम बताएँ ।
उत्तर – पुंकेसर व स्त्रीकेसर ।
प्रश्न 31. स्त्रीकेसर क्या होता है ?
उत्तर – पुष्प का मादा भाग जिसमें बीजांड में मादा युग्मकोदभिद होता है, स्त्रीकेसर कहलाता है ।
प्रश्न 32. बीजांड क्या होता है?
उत्तर – बीज वाले पौधों में मादा जनन अंग का वह भाग जिसमें भ्रूणपोष, भ्रूणकोश तथा आवरण होते हैं, बीजांड कहलाता है।
प्रश्न 33. एक अंड कोशिका क्या होती है ?
उत्तर – बीजांड में उपस्थित मादा युग्मक जो भ्रूण कोश में उपस्थित होता है, अंडकोशिका कहलाती है।
प्रश्न 34. परागण क्या है?
उत्तर – परागकणों का परागकोश से वर्तिकाग्र तक स्थानांतरण होना परागण कहलाता है ।
प्रश्न 35. परागकण क्या होते हैं?
उत्तर – परागकण वे गुणित कोशिकाएँ होती हैं जो परागकोश में पराग मातृ कोशिकाओं (PMC) में अर्धसूत्री विभाजन के परिणामस्वरूप बनती हैं ।
प्रश्न 36 बीज क्या है?
उत्तर – परिपक्व बीजांड जिसमें भ्रूण होता है, बीज कहलाता है |
प्रश्न 37. ‘फल’ क्या होता है?
उत्तर – परिपक्व अंडाशय को फल कहते हैं
प्रश्न 38. बीजों के अंकुरण से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर – बीज के उगने की क्रिया जिसमें भ्रूण से छोटा पौधा बनता है, बीज अंकुरण कहलाता है ।
प्रश्न 39. बीजपत्र क्या होते हैं ?
उत्तर – बीज के अंदर भ्रूण के साथ उपस्थित पत्तों जैसी संरचनाएँ बीजपत्र कहलाती हैं ।
प्रश्न 40. दूध के दाँत क्या होते हैं?
उत्तर – शिशु में दाँतों का प्रथम स्तर, दूध के दाँत कहलाते हैं ।
प्रश्न 41. यौवनारंभ से क्या अभिप्राय है?
उत्तर – नर / मादा में लैंगिक परिपक्वता के आरंभ को यौवनारंभ कहते हैं ।
प्रश्न 42. लैंगिक परिपक्वता का क्या अर्थ है?
उत्तर – जब लैंगिक / जनन अंग पूर्ण रूप से विकसित व क्रियाशील हो जाते हैं, तो इसे लैंगिक परिपक्वता कहते हैं। इसमें द्वितीयक लैंगिक लक्षण भी प्रकट हो जाते हैं। ।
प्रश्न 43. मानव नर में शुक्राणु कहाँ पर बनते हैं ?
उत्तर – मानव नर में शुक्राणु वृषण में बनते हैं ।
प्रश्न 44. वृषण शरीर में कहाँ पर स्थित होते हैं?
उत्तर – वृषण उदर गुहा के बाहर वृषण कोश में स्थित होते हैं ।

Haryana Board 10th Class Science Important Questions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है

लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1. जनन की परिभाषा लिखिए। स्पीशीज़ की समष्टि को स्थायित्व प्रदान करने में यह किस प्रकार सहायता करता है? 
उत्तर- जनन-जीवों द्वारा लैंगिक अथवा अलैंगिक प्रजनन विधियों द्वारा अपने ही जैसे जीवों को उत्पन्न करने की प्रक्रिया को जनन कहते हैं। यह पृथ्वी पर जीवन के लिए अति आवश्यक है। जनन प्रक्रिया द्वारा किसी स्पीशीज़ की समष्टि में मृत्यु होने के कारण जीवों की संख्या घटने को पुनः पहले की संख्या के अनुपात के बराबर लाया जा सकता है। इस प्रकार जनन प्रक्रिया किसी भी स्पीशीज़ की समष्टि को एक विशेष स्थान पर स्थायित्व प्रदान करने में सहायक होती है।

प्रश्न 2. प्रोटीन संश्लेषण क्यों आवश्यक है ?
उत्तर- प्रोटीन संश्लेषण DNA के नियन्त्रण में कोशिका के अन्दर होता है। प्रोटीन्स एन्जाइमों के रूप में विभिन्न उपापचयी क्रियाओं का संचालन करते हैं। इन क्रियाओं द्वारा जीव में वृद्धि होती है। वृद्धि का अन्तिम परिणाम जनन होता है।

प्रश्न 3. DNA का प्रतिकृतिकरण क्यों आवश्यक है?
उत्तर- एक ही प्रजाति के जीवों में DNA की समान मात्रा पायी जाती है। संतति जीवों में DNA की मात्रा का सन्तुलन बनाए रखने के लिए DNA का प्रतिकृतिकरण होता है। DNA ही पुत्री पीढ़ियों में विभिन्न लक्षणों का नियमन करता है।

प्रश्न 4. विभिन्नताएँ क्यों आवश्यक हैं ?
उत्तर- जीवधारियों में अपने जनकों की अपेक्षा कुछ अन्तर उत्पन्न होना विभिन्नताएँ कहलाती हैं। इनके द्वारा जीव स्वयं को बदलते पर्यावरण के अनुरूप अनुकूलित कर लेता है। ऐसे जीव जिनमें लम्बे समय से विभिन्नता उत्पन्न नहीं हुई है, वे पर्यावरण के साथ तालमेल नहीं कर पाते हैं और वे प्रायः विलुप्त होने लगते हैं।

प्रश्न 5. प्रजनन के विभिन्न प्रकारों के नाम लिखिए।
उत्तर-
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है 1

प्रश्न 6. अमीबा में द्विखण्डन को चित्र की सहायता से समझाइए। 
उत्तर- अमीबा एक कोशिकीय जीव है। इसकी कोशिका पहले लम्बी हो जाती है, साथ ही इसका जीवद्रव्य और केन्द्रक भी लम्बाई में फैल जाता है।
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है 2
अब इसके बीचों- बीच एक खाँच उत्पन्न होती है जो कोशिकाद्रव्य एवं केन्द्रक को दो भागों में विभाजित कर देती है। इस प्रकार दो सन्तति या पुत्री अमीबा बन जाते हैं।

प्रश्न 7. उन दो प्रेक्षणों की सूची बनाइए जिनके आधार पर यह निष्कर्ष निकाला जा सके कि दी गयी स्लाइड अमीबा में द्विखण्डन दर्शाती है। 
उत्तर- स्लाइड अमीबा में द्विखण्डन को दर्शाने वाले दो प्रेक्षण-

  • कोशिका झिल्ली के मध्य भाग में एक खांच बनने लगती है।
  • केन्द्रक लम्बा होने लगता है तथा बीच में से पतला होने लगता है। अगली अवस्था में वह दो भागों में विभाजित होता दिखाई देता है। इन प्रेक्षणों के आधार पर यह निष्कर्ष निकलता है कि दी गई स्लाइड अमीबा में द्विखण्डन दर्शाने के लिए तैयार है।

प्रश्न 8. कोई छात्र यीस्ट में होने वाले अलैंगिक जनन के विभिन्न चरणों को क्रमवार दर्शाने वाली स्थायी स्लाइड का प्रेक्षण कर रहा है। इस प्रक्रिया का नाम लिखिए। जो कुछ वह प्रेक्षण करता है, उसे उचित क्रम में, आरेख खींचकर दर्शाइए। 
उत्तर- इस प्रक्रिया का नाम मुकुलन प्रजनन विधि है।

प्रश्न 9. जीवों के जनन के संदर्भ में उपयोग होने वाले पद “पुनरुद्भवन” (पुनर्जनन) की व्याख्या कीजिए। संक्षेप में वर्णन कीजिए कि हाइड्रा जैसे बहुकोशिक जीवों में ‘पुनरुद्भवन’ की, प्रक्रिया किस प्रकार सम्पन्न होती है?
उत्तर- “पुनरुद्भवन” (पुनर्जनन)-जब किसी छोटे प्राणी का शरीर कुछ विशेष टुकड़ों में बँट जाता है तथा प्रत्येक टुकड़ा एक नये जीव में विकसित हो जाता है तो इसे पुनर्जनन कहते हैं। प्लेनेरिया तथा हाइड्रा जैसे सरल एवं बहुकोशिकीय प्राणी पुनर्जनन दर्शाते हैं।

हाइड्रा में पुनरुद्भवन’-

  • यदि हाइड्रा का शरीर कई टुकड़ों में बंट जाता है तो प्रत्येक टुकड़ा अपने खोए हुए अंगों को पुनर्जीवित करके एक पूर्ण हाइड्रा में विकसित हो जाता है।
  • इन जीवों में अपने शरीर के अंग की कोशिकाओं से शरीर का पुनर्जनन, विकास तथा वृद्धि की प्रक्रिया द्वारा होता
  • हाइड्रा के शरीर की कोशिकाओं का कटा हुआ भाग एक संपूर्ण कोशिका/कोशिकाओं का गोला बनाने के लिए विभाजित होता रहता है।
  • तब कोशिकाएँ विभिन्न प्रकार के विशेष उत्तक बनाने लगती हैं जो फिर से जीव के पूरे शरीर का निर्माण करते हैं।

प्रश्न 10. प्लाज्मोडियम में बहुविखण्डन को समझाइए।
उत्तर- प्लाज्मोडियम (मलेरिया परजीवी) में कोशिका के चारों ओर एक रक्षी आवरण बन जाता है। इस आवरण के अन्दर केन्द्रक अनेक बार विभाजित होता है। प्रत्येक पुत्री केन्द्रक के चारों ओर जीवद्रव्य की थोड़ी-थोड़ी मात्रा भी एकत्र हो जाती है। अनुकूल मौसम में बाह्य आवरण फट जाता है तथा पुत्री केन्द्रक स्वतन्त्र जीव के रूप में बाहर निकल आते हैं।

प्रश्न 11. स्पाइरोगाइरा में अलैंगिक जनन किस प्रकार होता है?
उत्तर- स्पाइरोगाइरा (Spirogyra) में अलैंगिक जनन खण्डन द्वारा होता है। स्पाइरोगाइरा एक तन्तुवत् शैवाल है जिसमें आयताकार कोशिकाएँ एक लड़ी के रूप में व्यवस्थित होती हैं। जब स्पाइरोगाइरा का तन्तु टुकड़ों में टूट जाता है तो प्रत्येक खण्ड नये जीव में विकसित हो जाता है।
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है 5

प्रश्न 12. हाइड्रा में मुकुलन को चित्र द्वारा समझाइए। 
उत्तर- हाइड्रा में कायिक प्रजनन मुकुलन (Budding) द्वारा होता है। हाइड्रा में आधार से कुछ ऊपर की कुछ कोशिकाएँ विभाजित होकर एक बटन जैसी रचना बनाती हैं। इस रचना को कलिका कहते हैं। यह कलिका वृद्धि करती है और इसके अग्र भाग पर छोटे-छोटे स्पर्शक बन जाते हैं। यह अब एक शिशु हाइड्रा का रूप ले लेती है और मातृ जीव से अलग होकर स्वतन्त्र जीवन यापन करती हैं।
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है 6

प्रश्न 13. कायिक प्रवर्धन के लाभ लिखिए।
उत्तर-

  • इससे प्राप्त पौधे जनकों के समान लक्षणों वाले होते हैं अतः कायिक प्रवर्धन से वांछित पौधे तैयार किये जा सकते हैं।
  • वे पौधे जो बीजों द्वारा उत्पन्न नहीं होते हैं उन्हें कायिक प्रवर्धन द्वारा प्राप्त कर सकते हैं।
  • कम समय में अधिक संख्या में और बड़े पौधे प्राप्त किये जा सकते हैं।
  • इन्हें प्रयोगशालाओं में तैयार किया जा सकता है।

प्रश्न 14. ब्रायोफिल्लम् में कायिक जनन किस प्रकार होता है? 
उत्तर- ब्रायोफिल्लम् में पत्तियों द्वारा कायिक प्रजनन होता है | इसमें पत्तियों के / किनारों की खाँचों से पर्णकलिका पर्णकलिकाएँ निकल आती हैं जिनमें जड़ें उत्पन्न हो जाती हैं। ये कलिकाएँ पत्तियों से विलग होकर भूमि पर गिर कर नये पौधे को जन्म देती हैं।

प्रश्न 15. राइजोपस में अलैंगिक प्रजनन किस प्रकार होता है ? 
उत्तर- राइजोपस (ब्रेड फर्कंद) का कायिक शरीर कवक जाल होता है। कवक जाल से ऊर्ध्व तन्तुओं का विकास होता है जिनके शीर्ष पर गोलाकार संरचनाएँ बीजाणु-धानी बनाती हैं। इनमें बीजाणुओं का निर्माण (Spore formation) होता है। ये बीजाणु हवा द्वारा प्रकीर्णित होते हैं। प्रत्येक बीजाणु अंकुरण करके नये कवक जाल का निर्माण करता है।

प्रश्न 16. लैंगिक जनन में महत्त्वपूर्ण घटना क्या होती है? इसका क्या महत्त्व है? 
उत्तर- लैंगिक जनन में नर तथा मादा युग्मकों का मिलन होता है। ये युग्मक गुणसूत्रों के अर्धसूत्रण से बनते हैं। युग्मों के संलयन के पश्चात् गुणसूत्रों की संख्या यथावत हो जाती है। ऐसा होने से नये संयोग बनते हैं।

प्रश्न 17. पुष्प के विभिन्न भागों के नाम तथा कार्य लिखिए।
उत्तर- एक प्रारूपिक पुष्प में निम्नलिखित भाग पाए जाते हैं

  1. बाह्य दलपुंज (Calyx)-यह पुष्प के सबसे बाहर की ओर स्थित होते हैं। ये कलिका अवस्था में पुष्पीय अंगों की रक्षा करते हैं।
  2. दलपुंज (Corolla)-ये विभिन्न रंगों के होते हैं और परागण के लिए कीटों को आकर्षित करते हैं।
  3. पुंकेसर (Androecium)-ये पुष्प के नर जननांग हैं। पुंकेसर के परागकोष में परागकणों का निर्माण होता है।
  4. स्त्रीकेसर (Gyanoecium)-ये पुष्प के मादा जननांग हैं। इनमें अण्डपों का निर्माण होता है।

प्रश्न 18. स्व-परागण तथा पर-परागण में क्या अन्तर है? 
उत्तर- स्व-परागण तथा पर-परागण में अन्तर –

स्व-परागण (Self-Pollination) पर-परागण (Cross-Pollination)
1. इसमें एक पुष्प के परा गकण उसी पुष्प या उसी पौधे के किसी अन्य पुष्प के वर्तिकान पर पहुँचते हैं। एक पुष्प के परागकण उसी जाति के किसी अन्य पौधे के पुष्प के वर्तिकान पर पहुँचते हैं।
2. इससे परागकणों के नष्ट होने की सम्भावना कम होती है। इससे परागकणों के नष्ट होने की सम्भावना अधिक होती है।
3. इससे उत्पन्न बीज कम ओजस्वी होते हैं। इससे उत्पन्न बीज अधिक ओजस्वी होते हैं।
4. इस क्रिया से विभिन्न- ताओं की सम्भावना कम होती है। इस क्रिया से विभिन्नताओं की सम्भावना बढ़ जाती है।

प्रश्न 19. वतिकाग्र पर परागकणों के अंकुरण का नामांकित चित्र बनाइए। 
उत्तर-

प्रश्न 20. यदि अंड का निषेचन नहीं होता है, तब क्या होगा? समझाइये। 
उत्तर- यदि अंड का निषेचन नहीं होता है तो यह लगभग 1 दिन तक जीवित रहता है। अंडाश्य से प्रत्येक 1 माह एक अंड का मोचन होता है। गर्भाशय की अंदरूनी दीवार मोटी स्पंजी हो जाती है। निषेचन ना हो पाने की स्थिति में इस परत की आवश्यकता नहीं रहती, अत: इसकी परत धीरे-धीरे टूटकर योनि मार्ग से रक्त व म्यूकस के रूप में बाहर निकलती है। यह चक्र लगभग हर माह में होता है।

प्रश्न 21. लड़कों एवं लड़कियों में उत्पन्न होने वाले तीन-तीन द्वितीयक लक्षणों को बताइए।
उत्तर- लड़कों में-

  • दाढ़ी एवं मूंछ उगना।
  • जननांगों का विकसित होना ।
  • आवाज भारी होना।

लड़कियों में-

  1. स्तनों का विकास होना।
  2. जननांगों का विकास होना।
  3. आवाज पतली होना।

प्रश्न 22. मानव में नर तथा मादा जनन तन्त्र क्या हैं? उनके दो-दो कार्य लिखिए।
उत्तर- मानव में नर तथा मादा जनन तन्त्र क्रमशः वृषण तथा अण्डाशय हैं।
वृषण के कार्य-

  • शुक्राणुओं का निर्माण करना।
  • नर हॉर्मोन्स का स्रावण करना।

अण्डाशय के कार्य-

  • अण्डाणु का निर्माण करना।
  • मादा हॉर्मोन्स का स्रावण करना।

प्रश्न 23. नर मानव में वृषण शरीर के बाहर क्यों स्थित होते हैं?
उत्तर- नर मानव में वृषण उदर गुहा के बाहर थैले जैसी रचना वृषण कोष (Scrotum) में पाये जाते हैं। शुक्राणु शरीर के ताप से 3°C कम ताप पर सक्रिय होते हैं। वृषण कोषों का ताप शरीर के ताप से निम्न होता है। इसीलिए वृषण शरीर से बाहर स्थित होते हैं।

प्रश्न 24. अण्डाणु तथा शुक्राणु में क्या अन्तर है?
उत्तर- अण्डाणु तथा शुक्राणु में अन्तर-

अण्डाणु (Ovum) शुक्राणु (Sperm)
1. यह मादा जनन कोशिका 1. यह नर जनन कोशिका
2. यह आकार में शुक्राणु से बड़ा होता है। 2. यह अण्डाणु से छोटा होता है।
3. यह प्रायः गोलाकार होता है। 3. यह पुच्छ युक्त होता है।
4. यह अचल होता है। 4. यह सचल होता है।

प्रश्न 25. लैंगिक जनन तथा अलैंगिक जनन में अन्तर लिखिए। 
उत्तर- लैंगिक जनन तथा अलैंगिक जनन में अन्तर –

लैंगिक जनन (Sexual Reproduction) अलैंगिक जनन (Asexual Reproduction)
1. इस प्रकार जनन प्रायः उच्च श्रेणी के जीवों में होता है। 1. इस प्रकार का जनन प्रायः निम्न श्रेणी के जीवों में होता है।
2. इसमें नर तथा मादा जीवों की आवश्यकता होती 2. इसमें केवल एक जीव की आवश्यकता होती
3. इसमें निषेचन होता है। 3. इसमें निषेचन नहीं होता है।
4. इससे उत्पन्न सन्तानों में नये गुण उत्पन्न होते हैं। 4. इससे उत्पन्न सन्तानों में नये गुण उत्पन्न नहीं होते है।
5. इस क्रिया में बीजाणु नहीं बनते हैं। 5. इस क्रिया में बीजाणु बनते हैं।

प्रश्न 26. निम्न रेखाचित्र पर अंकित A, B, C, D तथा E के नाम तथा इनका एक-एक कार्य लिखिए।

उत्तर-
A. फैलोपियन नलिका-निषेचन क्रिया सम्पन्न करना।
B. अण्डाशय-अण्ड का निर्माण करना।
C. गर्भाशय-गर्भ धारण करना।
D. गर्भाशय मुख-शुक्राणु को ग्रहण करना।
E. योनि-मैथुन क्रिया के लिए स्राव उत्पन्न करना।

प्रश्न 27. लैंगिक संचारित रोग क्या हैं? उदाहरण दीजिए।
उत्तर- लैंगिक संचारित रोग (Sexually Transmitted Diseases)- ऐसे रोग जो लैंगिक संसर्ग द्वारा संक्रमित व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्ति में स्थानान्तरित होते हैं, लैंगिक संचारित रोग कहलाते हैं। उदाहरण-एड्स (AIDS), सिफिलिस (Syphilis), गोनोरिया (Gonnorhoea) आदि ।

प्रश्न 28. (a) मनुष्य में उस अंग का नाम लिखिए जो शुक्राणु बनाता है तथा एक हार्मोन भी उत्पन्न करता है। उस हार्मोन का नाम लिखिए तथा उसका कार्य भी लिखिए।
(b) स्त्री के जनन तंत्र के उस अंग का नाम लिखिए जहाँ निषेचन होता है।
(c) विकसित होता भ्रूण माता के शरीर से किस प्रकार पोषण प्राप्त करता है? इसका वर्णन कीजिए। 
उत्तर- (a) मनुष्य का वह अंग जो शुक्राणु बनाता है तथा एक हॉर्मोन भी उत्पन्न करता है : वृषण जो हार्मोन उत्पन्न हुआ है : टेस्टेस्टेरॉन हॉर्मोन। टेस्टेस्ट्रॉन के कार्य-यह हार्मोन लड़कों में किशोरावस्था में होने वाले शारीरिक परिवर्तनों तथा जनन अंगों के परिवर्तनों को नियंत्रित करता है। जैसे-किशोरों में चेहरे पर दाढ़ी-मूछों का विकसित होना आदि।
(b) स्त्री के जनन तंत्र का वह अंग जहाँ निषेचन होता है : अण्डवाहिका
(c) गर्भस्थ भ्रूण माँ के रुधिर से अपना पोषण विशेष उत्तकों द्वारा बनी नलिका से प्राप्त करता है जिसे अपरा (प्लैसेन्टा) कहते हैं। यह एक तश्तरीनुमा संरचना होती है जो गर्भाशय की भित्ति में धंसी होती है। प्लैसेन्टा माँ से भ्रूण को ग्लूकोज़, ऑक्सीजन एवं अन्य पदार्थों के स्थानान्तरण हेतु एक बड़ा क्षेत्र प्रदान करता है। विकासशील भ्रूण द्वारा उत्पादित अपशिष्ट पदार्थों को प्लेसेन्टा के माध्यम द्वारा माँ के रुधिर को भेजा जाता है। माँ के रुधिर से ये अपशिष्ट पदार्थ माँ के मूत्र के रूप में शरीर से बाहर निकलते हैं।

प्रश्न 29. स्त्रियों में गर्भधारण को रोकने की कोई तीन विधियाँ लिखिए? इनमें से कौन-सी विधि पुरुष के लिए उपयोग नहीं की जा सकती? इन विधियों को अपनाने से एक परिवार के स्वास्थ्य तथा उन्नति पर क्या प्रभाव पड़ता है? 
उत्तर- स्त्रियों में गर्भधारण को रोकने की कोई तीन विधियाँ-

  • यांत्रिक अवरोध विधि-इस विधि में पुरुष शिश्न को ढकने वाले कंडोम तथा स्त्रियाँ डायाफ्राम का प्रयोग करती हैं।
  • हार्मोन विधि (रासायनिक विधि)-इस विधि में स्त्रियों को गोलियाँ (मौखिक तथा यौनिक) दी जाती हैं जो उनके हार्मोन संतुलन को नियंत्रित करती हैं ताकि वह गर्भधारण न कर सकें।
  • शल्य विधि-इस विधि में शल्य चिकित्सा द्वारा पुरुषों की शुक्रवाहिकाओं को अवरुद्ध कर दिया जाता है जिससे शुक्राणुओं का स्थानांतरण रूक जाता है तथा स्त्रियों की अण्डवाहिनी को बाधित कर दिया जाता है जिसके परिणामस्वरूप अंड गर्भाशय तक नहीं पहुँच पाता। हार्मोन विधि का प्रयोग पुरुषों द्वारा नहीं किया जा सकता।

इन विधियों को अपनाने से पस्विार के स्वास्थ्य तथा उन्नति पर प्रभाव-गर्भरोधक विधियों को अपना कर एक परिवार बच्चों की संख्या को सीमित कर सकते हैं जिससे उसकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हो जाएगी। ऐसे परिवारों में कम बच्चे होने से माता-पिता उनको अच्छी शिक्षा तथा अच्छा पोषण दे पायेंगे जिससे बच्चों का स्वास्थ्य अच्छा रहेगा। यही नहीं इन विधियों को अपनाने से बढ़ती जनसंख्या जैसी भयानक समस्या पर भी नियंत्रण किया जा सकता है।

प्रश्न 30. अलैंगिक जनन और लैंगिक जनन के बीच एक अन्तर लिखिए। अलैंगिक जनन करने वाली अथवा लैंगिक जनन करने वाली स्पीशीज़ में से किसके द्वारा जनित स्पीशीज़ की उत्तरजीविता के अपेक्षाकृत अधिक संयोग हो सकते हैं? अपने उत्तर की पुष्टि के लिए कारण दीजिए। 
उत्तर- अलैंगिक जनन में केवल एक जनक भाग लेता
लैंगिक जनन में नर तथा मादा दोनों जनक भाग लेते हैं।
लैंगिक जनन करने वाली स्पीशीज़ द्वारा जनित स्पीशीज़ की उत्तरजीविता के अपेक्षाकृत अधिक संयोग होते हैं क्योंकि लैंगिक जनन में दो प्रकार की जनन कोशिकाओं में डी.एन. ए. अणुओं की प्रतिकृति बनने के कारण, नई संतति में अधिक विभिन्नताएँ आती हैं, इसलिए उनमें उत्तरजीविता के अपेक्षाकृत अधिक संयोग होते हैं। नीचे दिए गए अनुच्छेद और पढ़ी गई सम्बन्धित संकल्पनाओं की व्याख्या के आधार पर

(a) लड़कों एवं लड़कियों में लैंगिक परिपक्वता के सामान्य लक्षण निम्न प्रकार हैं

  • लड़कों के वृषण में शुक्राणुओं का बनना शुरु हो जाता है और लड़कियों के अण्डाणु में अण्डों का बनना प्रारम्भ हो जाता है।
  • लड़कों के चेहरों पर मूंछे तथा दाढ़ी आने लगती हैं जबकि लड़कियों का मासिक चक्र आरम्भ हो जाता है एवं जननांगों और बगलों पर बाल उगने लगते हैं।

(b) अविवेचित मादा भ्रूण हत्या के परिणामस्वरूप मादा बच्चों का अनुपात लगातार कम होता जाता है जिससे जनसंख्या में नर व मादा बच्चों का अनुपात असंतुलित हो जाता है।

प्रश्न 31. मानव जनसंख्या की वृद्धि सभी मनुष्यों की चिन्ता का विषय है। किसी समष्टि में जीवन दर और मृत्यु दर उसके आकार को निर्धारित करते हैं। जनन वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा जीव अपनी समष्टि की वृद्धि करते हैं। जनन के लिए लैंगिक परिपक्वता आनुक्रमिक होती है और यह तब होती है जब सामान्य शरीर में वृद्धि हो रही होती है। किसी सीमा तक लैंगिक परिपक्वता का यह अर्थ नहीं होता कि शरीर अथवा मस्तिष्क लैंगिक क्रिया अथवा बच्चे उत्पन्न करने योग्य हो गया है।

समष्टि के आकार को नियंत्रित करने के लिए मानव द्वारा विभिन्न गर्भनिरोध युक्तियाँ उपयोग की जा रही हैं।
(a) लड़के एवं लड़कियों में लैंगिक परिपक्वता के दो सामान्य लक्षणों की सूची बनाइए।
(b) अविवेचित मादा भ्रूण हत्या का क्या परिणाम होता है?
(c) गर्भ-निरोधन की कौन-सी विधि शरीर का हॉर्मोनी-संतुलन परिवर्तित कर देती है? .
(d) समष्टि (जनसंख्या) के आकार को निर्धारित करने वाले दो कारक लिखिए। 
उत्तर-
(a) लड़कों एवं लड़कियों में लैंगिक परिपक्वता के सामान्य लक्षण निम्न प्रकार हैं

  • लड़कों के वृषण में शुक्राणुओं का बनना शुरु हो जाता है और लड़कियों के अण्डाणु में अण्डों का बनना प्रारम्भ हो जाता है।
  • लड़कों के चेहरों पर मूंछे तथा दाढ़ी आने लगती हैं जबकि लड़कियों का मासिक चक्र आरम्भ हो जाता है एवं जननांगों और बगलों पर बाल उगने लगते हैं।

(b) अविवेचित मादा भ्रूण हत्या के परिणामस्वरूप मादा बच्चों का अनुपात लगातार कम होता जाता है जिससे जनसंख्या में नर व मादा बच्चों का अनुपात असंतुलित हो जाता है।
(c) गर्भ-निरोधन की रासायनिक विधि, जिसमें स्त्री गोलियों के रूप में रासायनिक दवाइयाँ मुख द्वारा लेती है, जो हॉर्मोनी-संतुलन परिवर्तित कर देती है।
(d) जीवन दर व मृत्यु दर समष्टि (जनसंख्या) के आकार को निर्धारित करने वाले कारक हैं।

Haryana Board 10th Class Science Important Questions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है

निबन्धात्मक प्रश्न [Essay Type Questions]

प्रश्न 1. अलैंगिक जनन के विभिन्न प्रकार कौन से हैं ?
उत्तर – अलैंगिक जनन में नर तथा मादा दोनों जीवों की आवश्यकता नहीं होती। इसमें युग्मक नहीं बनते । इस विधि में नर या मादा जीव अपनी संख्या बढ़ाते हैं । अलैंगिक जनन की विभिन्न विधियाँ अग्रलिखित हैं –
1. द्विखंडन-जब विखंडन प्रक्रिया द्वारा एक जीव से दो जीव बनते हैं, तो इस प्रक्रिया को द्विखंडन कहते हैं। पहले जीवकोशिका का केंद्रक विभाजित होता है तथा उसके बाद जीवद्रव्य ।
उदाहरण- अमीबा, पैरामीशियम ।
2. बहुखंडन- इस विधि में पूर्ण विकसित जीव का केंद्रक अनेक केंद्रकों में समसूत्री विभाजन द्वारा विभक्त हो जाता है । इसके परिणामस्वरूप अनेक केंद्रक बनते हैं। इसके पश्चात् प्रत्येक केंद्रक थोड़े-थोड़े जीवद्रव्य द्वारा घिर जाता है और अनेक संतति कोशिकाएँ बनती हैं।
उदाहरण- प्लाज्मोडियम ।
3. मुकुलन – पूर्ण विकसित पादप / जंतु के शरीर से एक उभार- सा विकसित होता है, जिसे मुकुल कहते हैं । मुकुल के साथ वाली कायिक कोशिका से केंद्रक दो भागों में विभक्त हो जाता है तथा एक केंद्रक मुकुल में प्रवेश करता है । मुकुल जीव के शरीर से अलग हो जाती है तथा पूर्ण जीव में विकसित होती है ।
उदाहरण- हाइड्रा, यीस्ट ।
4. बीजाणुओं द्वारा – यह प्रक्रिया कवक तथा जीवाणुओं में होती है। इनसे विकसित बीजाणुधानी में अनगिनत बीजाणु होते हैं। बीजाणुधानी के अंदर केंद्रक अनेक बार विभक्त होकर बीजाणु बनाता है। ये बीजाणु जब किसी नमी-युक्त स्थान पर गिरते हैं तो अंकुरित होकर थैलस (कवक) बनाते हैं ।
उदाहरण के लिए – राइजोपस, म्यूकर, पैनिसिलियम आदि ।
5. पुनरुद्भवन-किसी जीव के शरीर के टूटे हुए या छोटे-से भाग से पूर्ण जीव के विकसित होने की प्रक्रिया या अंग के विकास की प्रक्रिया को पुनरुद्भवन कहते हैं ।
उदाहरण – पुनरुद्भवन की प्रक्रिया हाइड्रा, प्लेनेरिया तथा स्पंज में होती है ।
6. कायिक प्रवर्धन – पौधे के किसी कायिक भाग से पौधा उगाने की प्रक्रिया, कायिक प्रवर्धन कहलाती है । इस जनन में बीज़ों की आवश्यकता नहीं पड़ती । यह मुख्यतः दो प्रकार का होता है – (i) प्राकृतिक, (ii) कृत्रिम ।
(i) प्राकृतिक कायिक प्रवर्धन-पौधे के शरीर पर उपस्थित कलिकाओं से पौधा प्राप्त करने की क्रिया, प्राकृतिक कायिक प्रवर्धन कहलाती है। ये कलिकाएँ पौधे के तने, जड़ तथा पत्तों पर हो सकती हैं जैसे – तना, जड़, पत्ती इत्यादि ।
(ii) कृत्रिम कायिक प्रवर्धन- मनुष्य स्वयं कलम द्वारा, परतन रोपण द्वारा पौधे तैयार कर सकता है। इस विधि को कृत्रिम कायिक प्रवर्धन कहते हैं ; जैसे आम, सेब इत्यादि ।
प्रश्न 2. पौधों में प्राकृतिक कायिक प्रवर्धन का वर्णन करें ।
उत्तर – प्राकृतिक कायिक प्रवर्धन- पौधे में बीज को छोड़कर, किसी अन्य भाग; जैसे जड़, तना, पत्ते से पौधा विकसित होने की प्रक्रिया, प्राकृतिक कायिक प्रवर्धन कहलाती है । यह तीन प्रकार से होता है –
(i) जड़ों के द्वारा – कुछ पौधों की जड़ों पर कायिक कलिकाएँ होती हैं, जब वे उगती हैं तो वे पौधे को जन्म देती हैं ।
जब शक्करकंदी को गीली मिट्टी में दबाया जाता है तो उस पर उपस्थित कायिक कलिकाएँ उगती हैं तथा नया पौधा बनाती हैं । अमरूद तथा पुदीने की छोटी जड़ों पर उपस्थित कलिकाएँ नए पौधों को जन्म देती हैं।
(ii) तने के द्वारा – बहुत-से पौधों के तने पर कायिक कलिकाएँ होती हैं। उदाहरण के लिए, आलू तथा अदरक को जब हम मिट्टी में दबाते हैं तो ये कलिकाएँ अंकुरित होकर नया पौधा बनाती हैं ।
(iii) पत्तों के द्वारा- कुछ पौधे के पत्तों पर कायिक कलिकाएँ उपस्थित होती हैं। ये कलिकाएँ उचित परिस्थितियों में नया पौधा बनाती हैं। इसलिए उन्हें मिट्टी में लगाकर नए पौधे प्राप्त किए जा सकते हैं ।
प्रश्न 3. पुष्प (फूल) क्या होता है ? इसके विभिन्न भागों का वर्णन करें तथा नामांकित चित्र बनाएँ ।
अथवा
पुष्प के मादा जननांग की संरचना का वर्णन करें ।
उत्तर – पुष्प / फूल- यह विशिष्ट प्ररोह होता है जो लैंगिक जनन के लिए ऐंजियोस्पर्म में पाया जाता है और यह फल और बीज बनाता है।
फूल के भाग-फूल के निम्नलिखित भाग होते हैं –
(i) बाह्यदल, (ii) दल ( पंखुड़ी), (iii) पुंकेसर, (iv) स्त्रीकेसर ।
(i) बाह्यदल – फूल में यह पत्तों का बाह्यदल होता है। ये सामान्यतः हरे होते हैं तथा फूल के अंदर वाले भागों की रक्षा करते हैं। इन्हें हरी पत्तियाँ (Sepals) भी कहते हैं ।
(ii) दल ( पंखुड़ी ) – यह फूल में पत्तियों का दूसरा चक्र होता है। ये सामान्यतः रंगीन होते हैं और इन्हें रंगदार पत्तियाँ (Petals) कहते हैं। इनके कारण फूल विभिन्न रंगों के होते हैं। ये कीटों को आकर्षित करती हैं तथा परागण में सहायता करती हैं।
(iii) पुंकेसर – यह फूल का नर जनने भाग होता है । इसकी प्रत्येक इकाई को स्टेमन कहते हैं । इसके दो मुख्य भाग हैं : परागकोश तथा तंतु। परागकोश में परागकण उपस्थित होते हैं जो अंकुरित होकर नर युग्मक उत्पन्न करते हैं।
(iv) स्त्रीकेसर – यह फूल का मादा जनन अंग है । इसकी प्रत्येक इकाई को कार्पल कहते हैं । यह फूल का सबसे अंदर वाला भाग होता है। इसके निम्नलिखित तीन भाग होते हैं –
(a) वर्तिका – यह कार्पल का सबसे ऊपर वाला फूला हुआ भाग होता है । इसके चिपचिपा होने के कारण परागकण इस पर चिपक जाते हैं ।
(b) वर्तिकानली – यह एक लंबी पतली नलिका होती है। बीजांड तक पहुँचने के लिए परागनली इसमें से होकर गुजरती है ।
(c) अंडाशय-यह कार्पल का सबसे नीचे वाला फूला हुआ भाग होता है । इसमें बीजांड उपस्थित होते हैं । निषेचन के बाद यह फल में तथा बीजांड बीजों में विकसित होते हैं ।
प्रश्न 4. मानव नर जनन तंत्र का वर्णन करें ।
उत्तर – मानव नर जनन तंत्र निम्नलिखित अंगों से मिलकर बना होता है
(a ) वृषण- ये प्राथमिक नर जनन अंग होते हैं। ये कोमल अंडाकार की संरचनाएँ 5 cm x 2.5 cm x 3 cm के आकार की होती हैं l
ये थैलीनुमा संरचना में बंद होती हैं जिन्हें वृषणकोश कहते हैं। वृषणकोश उदर गुहा के बाहर टाँगों के बीच स्थित होते हैं ।
कार्य- (i) वृषण शुक्राणु उत्पन्न करते हैं जिन्हें नर जनन कोशिकाएँ कहते हैं ।
(ii) ये नर लैंगिक हॉर्मोन टेस्टोस्टेरोन स्रावित करते हैं ।
(iii) वृषणकोश ताप नियंत्रक के रूप में कार्य करते हैं क्योंकि शुक्राणुओं के बनने के लिए शरीर के ताप (37°C) से 1–3° C न्यून ताप की आवश्यकता होती है।
(b) अधिवृषण–ये लगभग 6 m लंबी अति कुंडलित नलिकाएँ होती हैं जो वृषण के साथ जुड़ी होती हैं ।
कार्य– ये वृषण से शुक्राणु ग्रहण करती हैं तथा उन्हें स्खलन से पहले अस्थायी रूप से संचित करके रखती हैं ।
(c) शुक्रवाहिनी– प्रत्येक शुक्रवाहिनी एक लंबी नलिका होती है जिसकी भित्ति मोटी व पेशीय होती है । यह उदर गुहा में एक नली के माध्यम से प्रवेश करती है जिसे इनगुइनल कैनाल कहते हैं ।
कार्य – (i) यह एपिडिडाइमस से शुक्राणुओं को लेकर जाती है ।
(ii) यह शुक्राशय नलिका के साथ मिलकर स्खलन नलिका बनाती है।
(d) स्खलन नलिका– प्रत्येक नलिका एक छोटी पतली नलिका होती है जो गदूद (प्रोस्टेट ग्रंथि) में से होकर गुज़रती है तथा मूत्रमार्ग में खुलती है । मूत्रमार्ग शिश्न में से होकर शिश्न की चोटी पर नर जनन छिद्र के रूप में खुलती है ।
कार्य– मूत्रनली स्खलन नलिका से वीर्य को ग्रहण करके बाहर निकालती है । यह मूत्र को भी शरीर से बाहर निकालती है ।
(e) शिश्न – यह एक सिलेंडर की आकृति का स्पंजी, पेशीय तथा अति रक्त संचरित अंग है ।
कार्य– (i) इसे लैंगिक कार्य के लिए उपयोग किया जाता है तथा योनि में शुक्राणुओं को जमा करने के लिए भी ।
(ii) इसे मूत्र को शरीर से बाहर निकालने के लिए भी प्रयोग किया जाता है ।
प्रश्न 5. मानव में मादा जनन तंत्र का वर्णन करें ।
उत्तर – मानव में मादा जनन तंत्र के निम्नलिखित अंग हैं –
(a) अंडाशय – ये संख्या में दो होती हैं तथा प्राथमिक लैंगिक अंग हैं । ये ग्राफियन फॉलिकल में अंड/ डिंब उत्पन्न करती हैं। ये लगभग 3 cm × 1.5 cm x 1cm आकार की होती हैं । ये उदर गुहा में वृक्क के पास स्थित होती हैं। ये एक झिल्ली के द्वारा शरीर की भित्ति के साथ लटकी होती हैं ।
कार्य – (i) अंड उत्पादन l
(ii) मादक सेक्स हॉमोन एस्ट्रोजन तथा प्रोगेस्ट्रोन का उत्पादन प्रत्येक अंडवाहिनी नलिका लगभग 12 cm लंबी पेशीय नलिका होती है।
(b) अंड डिबवाहिनी – (i) प्रत्येक अंडवाहिनी अंडाशय से अंड ग्रहण करती है तथा उसे गर्भाशय तक स्थानांतरित करती है ताकि उसका रोपण हो सके।
(ii) अंड का निषेचन भी अंडवाहिनी नली में ही होता है।
(c) गर्भाशय – यह एक बड़ा लचीला थैला होता है जिसे गर्भाशय कहते हैं। इसमें दो डिंबवाहिनी नलिकाएँ खुलती हैं। इसका नीचे वाला पतला भाग ग्रीवा कहलाता है जो योनि में खुलता है।
कार्य – (i) शिशु का विकास गर्भाशय के अंदर होता है।
(ii) यह विकसित हो रहे बच्चे को विशेष ऊतक अपरा के माध्यम से पोषण उपलब्ध करवाता है।
(d) योनि – यह लगभग 7.5cm लंबी एक पेशीय टयूब होती है। इसे जन्म नलिका भी कहते हैं। यह एक संभोग अंग भी क्योंकि यह शिश्न को ग्रहण करती है।
कार्य – (i) यह नर के साथ संभोग करने जुड़ने के काम आती है।
(ii) यह नर से शुक्राणु ग्रहण करती है ।
(e) बाह्य जनन अंग- योनि के सामने एक गड़ा-सा होता है जिसे वैस्टिबूल कहते हैं। इसके साथ त्वचा के दो पेशीय मोड़ (झिल्लियाँ) लेबिया माइनर तथा लेबिया मेजर होते हैं।
कार्य – (i) ये योनि को ढकते हैं ।
(ii) इनमें संवेदी ऊतक होता है जिसे ‘भग’ कहते हैं (जो नरों में शिश्न के समाजात होता है) ।

Haryana Board 10th Class Science Important Questions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है

महत्त्वपूर्ण प्रायोगिक क्रियाकलाप
प्रयोग 1. यीस्ट में मुकुलन का अध्ययन करना ।
आवश्यक सामग्री – यीस्ट पाउडर, शर्करा ग्लूकोज़, शंक्वाकार फ्लास्क, रूई, बीकर, परखनली, जल आदि ।
विधि –
(i) 100 ml जल में लगभग 10 ग्राम चीनी को घोलिए ।
(ii) एक परखनली में इस विलयन का 20 ml लेकर इसमें एक चुटकी यीस्ट पाउडर डालिए ।
(iii) परखनली के मुख को रूई से ढककर किसी गर्म स्थान पर रखिए ।
(iv) 1 या 2 घंटे पश्चात्, परखनली से यीस्ट-संवर्ध की एक बूँद स्लाइड पर लेकर उस पर कवर स्लिप रखिए सूक्ष्मदर्शी की सहायता से स्लाइड का प्रक्षेप कीजिए ।
अवलोकन – (i) यीस्ट कोशिकाएँ मुकुल के रूप में कुछ प्रवर्ध दिखलाती हैं।
(ii) अनेक यीस्ट कोशिकाएँ मुकुल के साथ दिखाई देती हैं ।
परिणाम / निष्कर्ष- यीस्ट में अलैंगिक जनन मुकुलन द्वारा होता है ।
प्रयोग 2. अमीबा में अलैंगिक जनन की सामान्य विधि का अध्ययन करना ।
आवश्यक सामग्री – अमीबा की स्थायी स्लाइड, द्विखंडन दर्शाती हुई स्लाइड, सूक्ष्मदर्शी ।
विधि –
(i) अमीबा की स्थायी स्लाइड का सूक्ष्मदर्शी की सहायता से प्रेक्षण कीजिए ।
(ii) इसी प्रकार अमीबा के द्विखंडन की स्थायी स्लाइड का प्रेक्षण कीजिए ।
(iii) अब दोनों स्लाइडों की तुलना कीजिए ।
अवलोकन –
परिणाम / निष्कर्ष
(i) अमीबा एक प्रोटिस्ट है, जिसकी संरचना पादाभ की उपस्थिति के कारण अनियमित सी होती है ।
(ii) अमीबा दो जीवों में द्विखंडन के द्वारा विभक्त हो जाता है ।
प्रयोग 3. आलू में कायिक जनन का अध्ययन करना ।
आवश्यक सामग्री – आलू, रूई, जल, चाकू आदि । विधि
(i) एक आलू लेकर उसकी सतह का निरीक्षण कीजिए | क्या इसमें कुछ गर्त दिखाई देते हैं?
(ii) आलू को छोटे-छोटे टुकड़ों में इस प्रकार काटिए कि कुछ में तो ये गर्त हों और कुछ में नहीं ।
(iii) एक ट्रे में रूई की पतली पर्त बिछाकर उसे गीला कीजिए ।
(iv) कलिका / गर्त वाले टुकड़ों को एक ओर तथा बिना गर्त वाले टुकड़ों को दूसरी ओर रख दीजिए।
(v) अगले कुछ दिनों तक इन टुकड़ों में होने वाले परिवर्तनों का प्रेक्षण कीजिए । ध्यान रखिए कि रूई में नमी बनी रहे ।
वे कौन-से टुकड़े हैं जिनसे हरे प्ररोह तथा जड़ विकसित हो रहे हैं?
अवलोकन – (i) गर्त में से कलिकाएँ उगकर आलू का पौधा बनाती हैं।
(ii) जिन आलू के टुकड़ों में गर्त नहीं था उनसे आलू का पौधा नहीं बनता।
परिणाम / निष्कर्ष- आलू टयूबर एक तना है जिस पर कलिकाएँ होती हैं जो उगकर नया पौधां बनाती हैं।
प्रयोग 4. बीज की संरचना का अध्ययन करना ।
आवश्यक सामग्री – चने के बीज, जल, कपड़ा, सूई, आदि ।
विधि –
(i) चने के कुछ बीजों को एक रात तक जल में भिगो दीजिए ।
(ii) अधिक जल को फेंक दीजिए तथा भीगे हुए बीजों को गीले कपड़े से ढककर एक दिन के लिए रख दीजिए। ध्यान रहे कि बीज सूखें नहीं।
(iii) बीजों को सावधानी से खोलकर उसके विभिन्न भागों का प्रेक्षण कीजिए ।
अवलोकन – बीज, बीज आवरण से ढका होता है । चने के बीज में दो बीजपत्र होते हैं। बीज में सबसे महत्त्वपूर्ण भाग बीजपत्र होता है ।
परिणाम / निष्कर्ष – बीज में पौधे का छोटा रूप होता है जो भ्रूण के रूप में होता है जो अंकुरण के पश्चात् पौध बनाता है। बीजपत्र में खाद्य पदार्थ संचित होता है ।

Haryana Board 10th Class Science Notes Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है

→ DNA (Deoxyribonucleic acid) के अणुओं में आनुवंशिक गुणों का सन्देश होता है जो जनक से संतति पीढ़ी में जाता है। DNA की प्रतिकृति का बनना, जनन की मूल घटना है।

→ जनन (Reproduction)-किसी जीवधारी द्वारा अपने जैसे प्रतिरूप अथवा सन्तान का उत्पन्न करना जनन कहलाता  है। जनन मुख्यतः दो प्रकार का होता है-

  • अलैंगिक जनन तथा
  • लैंगिक जनन।

→ अलैंगिक जनन (Asexual reproduction)-इस प्रकार के जनन में केवल एक ही जीव सन्तान उत्पन्न कर सकता है। इस प्रकार जनन एककोशिकीय जीवों, कुछ प्राणियों तथा पादपों में पाया जाता है। अलैंगिक जनन की अनेक विधियाँ हैं-द्विखण्डन, बहुविखण्डन, बीजाणुजनन, मुकुलन, कायिक प्रवर्धन, पुनरुद्भवने आदि।

→ विखण्डन (Fission)-अलैंगिक जनन की वह विधि जिसमें एक जीव टुकड़ों में टूटकर नये जीवों का निर्माण करता है, विखण्डन कहलाती है। यह दो प्रकार का होता है|

  • द्विखण्डन (Binary Fission)-कुछ एककोशिकीय जीवों, जैसे-अमीबा, पैरामीशियम आदि में कोशिका दोभागों में बँट जाती है। प्रत्येक भाग नये जीव का निर्माण कर लेता है। इस प्रक्रिया को द्विखण्डन कहते हैं।
  • बहुविखण्डन (Multiple Fission)-कुछ एककोशिकीय जीवों, जैसे-अमीबा, प्लाज्मोडियम (मलेरिया परजीवी) में अत्यधिक ताप तथा शीत से बचने के लिए यह अपने चारों ओर पुटी (cyst) बना लेते हैं। इसका केन्द्रक तथा कोशा द्रव्य अनेक बार विभाजन करके अनेक पुत्री कोशिकाएँ बना लेता है। अनुकूल परिस्थितियाँ आने पर पुटी की भित्ति फट जाती है तथा नन्हें जीव बाहर निकल आते हैं।

→ पुनरुद्भवन (Regeneration)- यह प्रक्रिया स्पंजों, हाइड्रा आदि में मुख्य रूप से पायी जाती है। इसमें जीव किसी कारणवश दो या अधिक भागों में बँट जाता है और कटा हुआ प्रत्येक भाग नये जीव का निर्माण कर लेता है।

→ मुकुलन (Budding)-कुछ जीवों जैसे यीस्ट, हाइड्रा आदि के शरीर से एक छोटी कलिका निकलती है। इस कलिका में जीवद्रव्य एवं केन्द्रक का भाग भी होता है। अन्ततः यह कलिका मातृ जीव से पृथक् होकर नये जीव का निर्माण करती है।

→ कायिक प्रवर्धन (Vegetative Propagation)- अनेक पौधों में ऐसी कायिक संरचनाएँ पायी जाती हैं, जो मात पौध से अलग होकर नये पौधे का निर्माण करती हैं। उदाहरण के लिए; आलू के कन्द, ब्रायोफिलम् एवं केलेन्चों पर्ण कलिकाएँ, अदरक में प्रकन्द, अरबी में घनकन्द इत्यादि।

→ बीजाणुजनन (Spore Formation)-कुछ एक-कोशिकीय जीव जैसे अमीबा आदि में कभी-कभी केन्द्रक कला कई स्थानों पर टूट जाती है और इसके केन्द्रक में स्थित क्रोमैटिन कण टूटकर अपने चारों ओर जीवद्रव्य एकत्र करके जीवाणु बनाते हैं। अनुकूल परिस्थितियों में आवरण के फटने पर बीजाणु बाहर निकल आते हैं, तथा अंकुरण करके नया जीव बनाते हैं। अनेक पौधों जैसे-शैवाल, कवक, लाइकेन आदि में बीजाणुओं का निर्माण अनुकूल तथा प्रतिकूल दोनों ही मौसमों में होता है।

→ लैंगिक जनन (Sexual Reproduction)-जनन की वह विधि जिसमें नर तथा मादा जीव युग्मक उत्पन्न करते हैं। जिनके मिलन से नयी सन्तान का निर्माण होता है, लैंगिक जनन कहलाती है। लैंगिक जनन द्वारा उत्पन्न संतान में कुछ विभिन्नताएँ उत्पन्न हो जाती हैं। किसी जाति समूह में पायी जाने वाली विभिन्नताएँ उप जाति के अस्तित्व को बनाए रखने में सहायक होती हैं।

लैंगिक जनन में भाग लेने वाले दोनों जीव पहले युग्मक (Gamete) का निर्माण करते हैं जिनमें DNA की मात्रा पैतृक | कोशिकाओं की अपेक्षा आधी हो जाती है। जब नर एवं मादा युग्मक आपस में संयुजन करते हैं तो युग्मनज (Zygote) का निर्माण होता है। इससे DNA की मात्रा पुर्नस्थापित हो जाती है।

लैंगिकता के आधार पर दो प्रकार के जीव होते हैं-

  • एकलिंगी जीव (Unisexual Organisms)- इनमें नर एवं मादा जननांग अलग-अलग जीवों में पाए जाते हैं; जैसे-मनुष्य, पपीता।
  • द्विलिंगी जीव (Hermaphrodite Organisms)-इनमें नर एवं मादा जननांग एक ही जीव में पाए जाते हैं। जैसे-केंचुआ, जोंक, अधिकांश पौधे।

→ पौधों में लैंगिक जनन (Sexual Reproduction in Plants)- पुष्पीय पौधों में लैंगिक जनन के लिए विशेष रचनाओं ‘पुष्प’ का निर्माण होता है। पुष्प में नर जननांग (पुंकेसर) तथा मादा जननांग (स्त्रीकेसर) पाये जाते हैं। पौधों में लैंगिक जनन के निम्न चरण होते हैं –

(i) युग्मकजनन (Gametogenesis)-पुंकेसरों के परागकोष में युग्मक जनन द्वारा अगुणित परागकणों का निर्माण होता है। स्त्रीकेसर के अण्डाशय में युग्मक जनन द्वारा भ्रूणकोष का निर्माण होता है। भ्रूणकोष में एक अण्डकोशिका, दो सहायक कोशिकाएं, तीन प्रतिमुख कोशिकाएँ तथा दो ध्रुवीय केन्द्रक होते हैं।

(ii) परागण (Pollination)- परागकोष से परागकणों (Pollengrains) का वर्तिकाग्र तक पहुँचना परागण कहलाता है। यह क्रिया वायु, जल, कीट, पक्षी अथवा चमगादड़ों द्वारा सम्पन्न होती है। परागण क्रिया दो प्रकार की होती है-स्वपरागण तथा पर-परागण। स्वपरागण में एक पौधे के परागकण उसी पुष्प या उसी पौधे के अन्य पुष्प के वर्तिकान पर पहुंचते हैं। पर-परागण में एक पौधे के पुष्प से परागकण उसी  जाति के किसी दूसरे पौधे के पुष्प के वर्तिकान पर पहुँचते हैं।

(iii) निषेचन (Fertilization)- परागण के पश्चात् परागकण से परागनलिका निकलती है जो वर्तिका (Style) को भेदती हुई भ्रूणकोष में प्रवेश कर जाती है। परागनलिका दो नर केन्द्रकों (युग्मकों) को भ्रूणकोष में छोड़ देती है। इनमें से एक केन्द्रक अण्ड केन्द्रक से तथा दूसरा केन्द्रक द्वितीयक केन्द्रक से संलयन करता है। आवृतबीजियों में इस प्रक्रिया को द्विनिषेचन (Double Fertilization) कहते हैं।

(iv) भ्रूण एवं भ्रूणपोष निर्माण (Formation of Embryo and Endosperm)-निषेचित अण्ड विकसित होकर द्विगुणित भूण का तथा द्वितीयक केन्द्रक संलयन के पश्चात् त्रिगुणित भ्रूणपोष का निर्माण करता है। इसके बाद बीजाण्ड से बीज तथा सम्पूर्ण अण्डाशय से फल बनता है। संलयन (Fusion) नर तथा मादा युग्मकों का मिलना संलयन कहलाता है।

→ सूक्ष्म प्रवर्धन (Micropropagation)-पौधों की कोशिकाओं, कलिकाओं अथवा किसी अंग का संवर्धन करके नये । पौधे का निर्माण करना सूक्ष्म प्रवर्धन कहलाता है।

→ मानव के नर जनन अंग (Male Reproductive Organ’s of Human)-नर जनन तन्त्र के निम्नलिखित भाग होते हैं।

  • वृषण (Testes)-पुरुषों में एक जोड़ी वृषण गुहा के बाहर तथा टाँगों के बीच थैली समान रचना वृषण कोष (Scrotal Sac) में स्थित होते हैं। वृषणों में शुक्राणु जनन द्वारा शुक्राणुओं का निर्माण होता है।
  • अधिवृषण (Epididymis)-वृषण में निर्मित शुक्राणु अनेक नलिकाओं से गुजरते हुए वृषण के बाहर स्थित एक अतिकुण्डलित नलिका से बने अधिवृषण में आते हैं। अधिवृषण भी वृषण कोष में स्थित होते हैं।
  • शुक्रवाहिनी (Vas deferens)-अधिवृषण की नलिका एक पतली नली शुक्रवाहिनी में खुलती है जो शुक्राणुओं को शुक्राशय में ले जाती है।
  • शुक्राशय (Seminal Vesicle)-यह थैलीनुमा रचना है। इसमें शुक्र पोषक पदार्थ होते हैं, इस तरल पदार्थ को वीर्य कहते हैं। शुक्राणु शुक्राशय में एकत्र होते हैं। दोनों शुक्रनलिकाएँ इसमें खुलती हैं।
  • मूत्रमार्ग (Urethra)-शुक्राशय एक संकरी नली, स्खलन नलिका द्वारा एक संकरे मार्ग मूत्रमार्ग में खुलता है। मूत्रमार्ग एक माँसल रचना शिश्न में होता है। यह एक छिद्र द्वारा बाहर खुलता है।
  • ग्रन्थियाँ (Glands)- नर जनन तन्त्र में कुछ ग्रन्थियाँ जैसे- प्रोस्टेट ग्रन्थि, काउपर्स ग्रन्थि तथा पीनियल ग्रन्थि वीर्य बनाने, शुक्राणुओं का पोषण तथा इनकी सुरक्षा आदि का कार्य करती हैं।

→  मानव के मादा जनन अंग (Female Reproductive Organ’s of Human)-मादा जनन तन्त्र के निम्नलिखित भाग होते हैं –

  • अण्डाशय (Ovaries)-स्त्री में एक जोड़ी अण्डाशय होते हैं। ये अण्डाकार, भूरे रंग के तथा उदर गुहा में गर्भाशय के दोनों ओर स्थित होते हैं। ये अण्डजनन द्वारा अण्डाणु का निर्माण करते हैं।
  • अण्डवाहिनी (Oviduct)-प्रत्येक अण्डाशय के समीप स्थित एक झालरदार कीप से एक-एक अण्डवाहिनी निकलती है जो आगे चलकर फैलोपियन नलिका में खुलती है। दोनों ओर की फैलोपियन नलिकाएँ गर्भाशय के ऊपरी भाग में खुलती हैं। .
  • गर्भाशय (Uterus)-गर्भाशय एक बन्द मुट्ठी के आकार की रचना है। इसका ऊपरी भाग चौड़ा तथा निचला भाग संकरा होता है। चौड़े भाग में फैलोपियन नलिका खुलती है। संकरा भाग योनि में खुलता है जिसे योनिमुख (Cervics) कहते हैं।
  • योनि (Vagina)-योनिमुख एक संकरी माँसल नलिका में खुलता है। इसे योनि कहते हैं। इसी भाग में नर द्वारा शुक्राणु छोड़े जाते हैं।
  • भग (Vulva)- योनि एक छिद्र द्वारा बाहर खुलती है। इसे भग कहते हैं। यह दो कपाटनुमा संरचनाओं से ढकी होती है। इन्हें बाह्य ओष्ठ तथा अन्तः ओष्ठ कहते हैं। इनके जुड़ने के स्थान पर ऊपर की ओर भग शिश्न होता हैं।

→ अण्ड प्रजक (Oviparous)- ऐसे जीव जो अण्डे देते हैं, अण्ड प्रजक कहलाते हैं। ऐसे जीवों में बाह्य परिवर्धन होता है।

→ सजीव-प्रजक (Viviparous)- ऐसे जीव जो शिशुओं को जन्म देते हैं, सजीव-प्रजक कहलाते हैं। ऐसे जीवों में आन्तरिक परिवर्धन होता है।

→ अनिषेक जनन (Parthenogenesis)-वह प्रक्रिया जिसमें संतति जीव की उत्पत्ति अनिषेचित अण्ड से होती है,अनिषेक जनन कहलाता है।

→ लैंगिक द्विरूपता (Sexual Dimorphism)-कशेरुकियों में नर तथा मादा जीव संरचनात्मक रूप से अलग-अलग होते हैं, इसे लैंगिक द्विरूपता कहते हैं।

→ उभयलिंगता (Bisexuality)- एक ही जीव में नर तथा मादा जननांगों का पाया जाना उभयलिंगता कहलाती है।

→  शुक्राणुजनन (Spermatogenesis)-वृषणों में शुक्राणुओं का निर्माण होना शुक्राणु जनन कहलाता है। अण्डजनन (Oogenesis)-अण्डाशय में अण्डाणु का बनना अण्ड जनन कहलाता है। अण्डोत्सर्ग (Ovulation)-अण्डाशय से अण्ड का निकलना, अण्डोत्सर्ग कहलाता है। रोपण (Implantation)- भ्रूण का गर्भाशय में स्थापित होना रोपण कहलाता है।

→ रजोधर्म (Menstruation)- स्त्रियों में निषेचन न होने की अवस्था में गर्भाशय की आन्तरिक मोटी भित्ति रुधिर वाहिनियों के साथ टूटकर रुधिर स्राव के रूप में योनिमार्ग से बाहर आती है, इसे रजोधर्म कहते हैं।

→ आर्तव चक्र (Menstruation Cycle)-स्त्रियों में प्रत्येक 28 दिन बाद अण्डाशय तथा गर्भाशय में होने वाली घटना आर्तव चक्र कहलाती है।

→ रजोनिवृत्ति (Menopause)-रजोधर्म का स्थायी रूप से बन्द होना रजोनिवृत्ति कहलाता है।

→ ट्यूबेक्टोमी (Tubectomy)- गर्भधारण को रोकने के लिए अण्डवाहिनी के एक भाग को काटकर बाँध देना ट्यूबेक्टोमी कहलाता है।

→ वासोक्टोमी (Vasoctomy)- पुरुषों में शुक्रवाहिनी को काटकर बाँध देना वासोक्टोमी कहलाता है।

→ जनन स्वास्थ्य (Reproductive health)-जनन स्वास्थ्य का अर्थ जनन के सभी पहलुओं सहित सम्पूर्ण स्वास्थ्य अर्थात शारीरिक, भावनात्मक, व्यवहारात्मक, सामाजिक स्वास्थ्य है। जनन स्वास्थ्य में परिवार नियोजन का बहुत महत्त्व है। परिवार नियोजन के लिए विभिन्न विधियाँ, जैसे- रासायनिक, यांत्रिक तथा शल्य क्रियात्मक विधि अपनायी जाती हैं।

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