Maharashtra Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 4 साहित्य की निष्कपट विधा है-डायरी
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Maharashtra State Board Class 9 Hindi Lokvani Solutions Chapter 4 साहित्य की निष्कपट विधा है-डायरी
Hindi Lokvani 9th Std Digest Chapter 4 साहित्य की निष्कपट विधा है-डायरी Textbook Questions and Answers
1. शब्द – संपदा:
प्रश्न 1.
लिंग परिवर्तन कीजिए।
1. लेखक
2. विद्वान
उत्तर:
1. लेखिका
2. विदुषी
प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों के अर्थ लिखिए।
1. अवसाद
2. बेलाग
उत्तर:
1. दुख
2. बिना आधार का
प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों के अर्थ लिखिए।
1. दस्तावेज
2. उत्कृष्ट
उत्तर:
1. प्रलेख
2. सर्वोत्तम
2. उत्तर लिखिए:
प्रश्न 1.
1. ‘क्रोनोलॉजिकल आर्डर’ इसे कहा जाता है –
2. महात्मा गांधी द्वारा अपने अनुयायियों एवं कार्यकर्ताओं को दिया गया सुझाव –
उत्तर:
1. डायरी की दैनिक कालानुक्रम योजना को।
2. नियमित दैनंदिन लिखने का सुझाव।
भाषा बिंदु:
प्रश्न 1.
निम्न वाक्यों में से कारक पहचानकर तालिका में लिखिए।
उत्तर:
-
- किसी ने आज तक तेरे जीवन की कहानी नहीं लिखी।
- मेरी माता का नाम इति और पिता का नाम आदि है।
- वे सदा स्वाधीनता से विचरते आए हैं।
- अवसर हाथ से निकल जाता है।
- अरे भाई! मैं जाने के लिए तैयार हूँ।
- अपने समाज में यह सबका प्यारा बनेगा।
- उन्होंने पुस्तक को ध्यान से देखा।
- वक्ता महाशय वक्तृत्व देने को उठ खड़े हुए।
चिहन | नाम |
ने | कर्ता कारक |
का | संबंध कारक |
से | करण कारक |
से | अपादान कारक |
अरे ! | संबोधन कारक |
में | अधिकरण कारक |
को | कर्म कारक |
को | संप्रदान कारक |
लेखनीय:
प्रश्न 1.
किसी पठित गद्य/पद्य के आशय को स्पष्ट करने के लिए पी.पी.टी. (P. P. T) के मुद्दे बनाइए।
उत्तर:
कविता का नाम – नदी की पुकार
कवि का नाम – सुरेशचंद्र मिश्र
जीवन परिचय – सुरेशचंद्र मिश्र जी का जन्म उत्तर प्रदेश में प्रतापगढ़ जिले के धनऊपुर गाँव में हुआ था। आप आधुनिक हिंदी कविता क्षेत्र के जाने-माने गीतकार हैं।
नदी के कार्य – नदी हमेशा सभी प्राणियों को अपने जल द्वारा जीवन देती है। वह खेतों को हरियाली प्रदान करती है। सूखा पड़ जाने पर अपने थोड़े जल से भी लोगों की प्यास बुझाती है। कल-कल करती धारा के साथ वो हमें निरंतर गीत सुनाती है और खुशियाँ प्रदान करती है।
नदी का महत्त्व – नदी हमें अमृतधारा के समान पानी देती है। जिससे हमारी प्यास बुझती है। किसानों को फसलों की सिंचाई में मदद करती है; जिससे अन्न का उत्पादन होता है और हमारी भूख मिटती है। नदी नाविकों तथा मछुआरों को रोजगार भी देती है। अगर नदी नहीं रहेगी, तो सागर भी मुरझा जाएगा।
परोपकारी स्वभाव – नदी का स्वभाव परोपकारी है। वह सभी को निःशुल्क जल देती है। जो भी उसे पुकारता है वह उसकी प्यास बुझाती है और सभी प्राणियों को अपना बनाती है। वह किसी के साथ भेदभाव की भावना नहीं रखती है।
नदी का जीवन – नदी सभी मुश्किलों से लड़कर आगे बढ़ती रहती है। वह झरने से नीचे गिरती है। रास्ते के पत्थरों को तोड़ती हुई, बीहड़ जंगलों को पार करती हुई, ऊँचे-नीचे स्थानों से होती हुई अंत में सागर में जाकर मिल जाती है। नदी जन्म से मृत्यु पर्यंत संघर्ष करती जाती है।
नदी की वर्तमान स्थिति – नदी हमारे लिए सबसे महत्त्वपूर्ण है। अगर नदी नहीं रहेगी, तो संसार में जीवन ही संभव नहीं होगा; लेकिन इसके बावजूद हम नदी की उपेक्षा कर रहे हैं। हम उसके द्वारा किए जाने वाले उपकारों को भूलते जा रहे हैं। हमारे द्वारा लगातार नदियों में कचरा, घातक रासायनिक पदार्थ, गंदगी आदि बहाई जा रही है जिससे प्रदूषण का खतरा बढ़ता जा रहा है। अगर ऐसी स्थिति रही तो नदी का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगी।
नदी की पुकार – लगातार बढ़ते प्रदूषण के कारण नदी परेशान हो गई है। वह मनुष्य से अपने को प्रदूषण मुक्त करने के लिए बार-बार निवेदन करती है।
आसपास:
प्रश्न 1.
‘अंतरजाल से कोई अनुदित कहानी ढूँढ़कर रसास्वादन करते हुए वाचन कीजिए।
उत्तर:
बहुत समय पहले की बात है किसी गाँव में एक किसान रहता था। वह बहुत ही अच्छा किसान था और खेतों से ही अपने परिवार का भरण-पोषण करता था। एक दिन की बात है कि तूफान जोर से आया और उसकी सारी फसल को नष्ट कर दिया। वह बहुत ही दुखी हुआ और मन ही मन सोचने लगा कि मेरा और मेरे परिवार का क्या होगा? कुछ दिन मौन रहने के बाद उसको एक उपाय सुझा, उसने मन बनाया कि भगवान को एक पत्र लिखेगा और अपनी फसल की दुर्दशा उसमें लिखेगा। पूरा दिन सोचने के बाद उसने भगवान को एक पत्र लिखा। पत्र लिखने के बाद वह पास ही एक डाकखाने में उस पत्र को पोस्ट करके आ गया।
जब उसका पत्र डाकखाने में पहुँचा तो सब लोग हँसने लगे और बोले पहली बार भगवान के नाम का पत्र आया है, लेकिन कुछ टाइम बाद जब एक क्लर्क ने उस पत्र को पढ़ना आरंभ किया तो उसमें किसान ने अपनी पूरी मनोदशा का वर्णन किया था। पत्र पढ़ने के बाद सभी की आँखो में आँसू आ गए और सब लोग अपने वेतन का कुछ हिस्सा किसान को देने के लिए राजी हो गए। किसान ने भगवान से 3000 रुपया माँगा था, लेकिन सब मिलाकर पोस्ट ऑफिस वालों ने 2000 ही उसको भेजा। सारे पोस्ट ऑफिस वाले बहुत ही खुश थे कि उन लोगों ने उस किसान की मदद की।
कुछ समय बाद किसान को वह पत्र मिला जिसमें 2000 रुपया था। वह बहुत ही खुश हुआ और भगवान को धन्यवाद दिया साथ में यह भी कहा – हे भगवान, अगली बार आप पोस्ट ऑफिस से सीधे पैसा मत देना ये पोस्ट ऑफिस वाले चोर होते हैं। मुझको पता है कि आप ने मुझको पूरा पैसा दिया था, लेकिन ये पोस्ट ऑफिस वालों ने चुरा लिया होगा, क्योंकि ये हैं ही बेईमानों की झुण्ड।
मौलिक सृजन:
प्रश्न 1.
डायरी लेखन में व्यक्ति का व्यक्तित्व झलकता है।
उत्तरः
डायरी लेखन हिंदी साहित्य की सबसे प्राचीन विधा है। इसमें लिखने वाले व्यक्ति का व्यक्तित्व झलकता है क्योंकि लेखक इसमें अपने मन की बातों का अंकन करता है। डायरी लेखक के मन का केंद्रबिंदु होता है, जिसमें वह खुशी-गम, अच्छे-बुरे का लेखन करता है। किसी भी महान व्यक्ति की डायरी पढ़ने से हमें यह ज्ञात होता है कि उस महान व्यक्ति का व्यक्तित्व कैसा था। इसमें हमें उस व्यक्ति की ताकत तथा कमजोरियों के बारें में पता चलता है।
डायरी डायरीकार का एक सच्चा मित्र होता है। जो गलत करने पर आत्मग्लानि तथा सही काम करने पर आत्म सम्मान रूपी पुरस्कार देता है। डायरी सही मायनों में उस व्यक्ति की आत्मकथा बन जाती है, क्योंकि उस डायरी में उसके जीवन से जुड़ी हर छोटी-बड़ी घटना का उल्लेख होता है और उसे पढ़ने से उस लेखक के अनुभवों का निचोड़ हमारे सामने आता है इन अनुभवों से लाभान्वित होकर हम अपने व्यक्तित्व को उन्नत बना सकते हैं।
पाठ के आँगन में:
प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए।
उत्तरः
पाठ से आगे:
प्रश्न 1.
हिंदी में अनुवादित उल्लेखनीय डायरी लेखकों के नामों की सूची तैयार कीजिए।
उत्तरः
डायरी लेखकों का नाम:
- मनुबहन गांधी
- महादेव देसाई
- सीताराम सेकसरिया
- सुशीला नैयर
- जमनालाल बजाज
- घनश्याम बिड़ला
- श्रीराम शर्मा
- हीरालाल जी शास्त्री
Hindi Lokvani 9th Std Textbook Solutions Chapter 4 साहित्य की निष्कपट विधा है-डायरी Additional Important Questions and Answers
(क) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।
कृति (1): आकलन कृति
प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 2.
समझकर लिखिए।
1. डायरी विधा इस अर्थ में नई है –
2. डायरी का मतलब –
उत्तर:
1. डायरी का संबंध मनुष्य के दैनंदिन जीवनक्रम के साथ घनिष्ठता से जुड़ा हुआ है।
2. जिसमें तारीखवार हिसाब-किताब, लेन-देन के ब्यौरे आदि दर्ज किए जाते हैं।
कृति (2): शब्द-संपदा
प्रश्न 1.
गद्यांश से प्रत्यय युक्त शब्द ढूँढकर लिखिए।
उत्तर:
1. घनिष्ठता
2. मानवीय
कृति (3): स्वमत अभिव्यक्ति
प्रश्न 1.
‘डायरी विधा का बढ़ता प्रचलन’ इस पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
डायरी लेखन अब भारत में भी एक जानी-पहचानी विधा है। इसे घर-घर में लिखा जा रहा है। अब इस पर चर्चा भी होती है। इसे हमारे साहित्य जगत ने भी स्वीकार कर लिया है। व्यक्तिगत और प्रकाशित न होने के कारण इसकी संख्या के बारे में सही अनुमान लगाना संभव नहीं है। इसके बावजूद यह कहा जा सकता है कि अभी भी यह अन्य देशों की तुलना में हमारे देश में कम ही लिखी जाती है और जो थोड़ी-बहुत लिखी भी जाती है उसमें नियमितता व निरंतरता का अभाव देखने को मिलता है।
(ख) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।
कृति (1): आकलन कृति
प्रश्न 1.
उत्तर लिखिए।
1. डायरी में मनुष्य इन स्थितियों को अंकित करता है –
2. डायरी विधा की विशेषता –
उत्तरः
1. डायरी में मनुष्य अपने अंतर्जीवन एवं बाह्यजीवन की लगभग सभी स्थितियों को यथास्थिति अंकित करता है।
2. डायरी साहित्य की सबसे अधिक स्वाभाविक सरल एवं आत्मप्रकटीकरण की सादगी से युक्त विधा है।
प्रश्न 2.
सत्य या असत्य पहचानकर लिखिए।
1. डायरी के लिए विषयवस्तु का बंधन होता है।
2. डायरी में जो जीवन है वह सावधानीपूर्वक रचा हुआ जीवन नहीं है।
उत्तर:
1. असत्य
2. सत्य
कृति (2):शब्द-संपदा
प्रश्न 1.
गद्यांश से विलोम शब्द ढूँढ़कर लिखिए।
1. अस्वस्थ × ………….
2. कठिन × …………..
उत्तर:
1. स्वस्थ
2. सरल
कृति (3): स्वमत अभिव्यक्ति
प्रश्न 1.
‘डायरी लेखन में लेखकीय महत्वाकांक्षा की आवश्यकता नहीं’ इस पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
डायरी लेखन के लिए लेखक होना जरूरी नहीं होता है। इसमें व्याकरण, वर्तनी और वर्ण विन्यास का शुद्ध और सही होना आवश्यक नहीं होता है। विश्व में उनकी डायरी सर्वाधिक सफल, लोकप्रिय व सशक्त मानी जाती है; जिन्हें भाषा का ज्ञान नहीं था। जब सामान्य आदमी भी अपने विचारों, मतों व भावनाओं को सहज और स्वाभाविक रूप से प्रस्तुत करता है; तो पाठक और समाज को एक नया दृष्टिकोण मिलता है। इस तरह का मौलिक लेखन धरातल से जुड़ा होता है जिसमें खरेपन के साथ सहज संवेदनाएं संचारित होती हैं। डायरी लेखन में लेखकों का विभिन्न कार्यक्षेत्र व पृष्ठभूमि से आना रचना में विविधता व नवीनता पैदा करता है।
(ग) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।
कृति (1): आकलन कृति
प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
कृति (2): शब्द-संपदा
प्रश्न 1.
समानार्थी शब्द बताइए।
1. मात्र
2. अवस्था
उत्तर:
1. केवल
2. स्थिति
प्रश्न 2.
निम्न शब्दों के विलोम शब्द लिखिए।
1. अनैतिक × ………….
2. नीरस × ……………
उत्तर:
1. नैतिक
2. सरस
कृति (3): स्वमत अभिव्यक्ति
प्रश्न 1.
‘डायरी लेखन के महत्त्वपूर्ण मुद्दे’ पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
डायरी लिखने की शुरूवात मन की बातों को अभिव्यक्ति देने की जरूरत से जन्म ले सकती है। डायरी लिखना रोज के अनुभवों को लिपिबद्ध करने का एक बहाना भी हो सकता है। डायरी लिखते समय हमें भाषा की गलतियों की परवाह किए बिना सीधेसपाट शब्दों में अपनी बात लिखनी चाहिए। डायरी लिखते समय मन में आने वाले सवालों, उलझनों, भावनाओं, हलचलों को ज्यों-का-त्यों व्यक्त करने की कोशिश करनी चाहिए। डायरी में निजता का भाव होता है। यह हमारे लिए वह स्थान होता है, जहाँ हम खुद का सामना बिना किसी मुखौटे के करते हैं। डायरी लेखन के दौरान हम खद को अपने ज्यादा करीब होने का मौका देते हैं। डायरी लेखन में जहाँ तक संभव हो अपनी मातृभाषा में लिखने की कोशिश करनी चाहिए। बाकी किसी नई भाषा में भी डायरी लिखी जा सकती है।
(घ) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।
कृति (1): आकलन कृति
प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 2.
समझकर लिखिए।
1. इस छवि को रखने में डायरी साहित्य का उत्कृष्ट माध्यम है –
2. डायरी इनका दस्तावेज है –
उत्तर:
1. अपने जीवन की सच्ची, निष्काय, पारदर्शी छवि को रखने में।
2. डायरीकार की निजी भावनाओं, विचारों एवं प्रतिक्रियाओं के द्वारा अंकित उसके अपने जीवन एवं परिवेश का।
कृति (2): शब्द-संपदा
प्रश्न 1.
प्रत्यय लगाकर शब्द बनाइए।
1. अंतरंग
2. ईमानदार
उत्तर:
1. अंतरंग + ता = अंतरंगता
2. ईमानदार + ई = ईमानदारी
कृति (3): स्वमत अभिव्यक्ति
प्रश्न 1.
‘डायरी लिखने के फायदे’ इस विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
डायरी लिखने के भी अनेक फायदे होते हैं। डायरी लिखने से हम अपने लक्ष्यों को पूरा करने में सफल होते हैं क्योंकि जब हम डायरी में अपने लक्ष्यों को लिखते हैं तो हमारे मस्तिष्क में उनका मनोवैज्ञानिक ब्लू प्रिंट बनता है। जिसे सफलतापूर्वक पूरा करने की संभावना बनी रहती है। जब हम अपनी भावनाओं को लिखते हैं तो अन्य बुरे विचारों के उलझन से भी मुक्त हो जाते हैं। डायरी लिखने से नए विचार और भावनाएँ बाहर आती हैं। सोच का दायरा बढ़ाने में मदद मिलती है। डायरी लिखने का महत्त्वपूर्ण फायदा यह भी है कि हम अपनी चीजों के बारे में इससे जानकारी ले सकते हैं क्योंकि सब कुछ याद रखना दिमाग के लिए आसान काम नहीं होता है।
साहित्य की निष्कपट विधा है-डायरी Summary in Hindi
लेखक-परिचय:
जीवन-परिचय: कुबेर कुमावत आधुनिक साहित्यकारों में अति परिचित नाम है। विशेषतः इनके विचारात्मक तथा वर्णनात्मक निबंध बहुत लोकप्रिय हैं। पत्र-पत्रिकाओं में आपकी कहानियाँ नियमित रूप से प्रकाशित होती हैं।
प्रमुख कृतियाँ: पत्र-पत्रिकाओं में आपकी कहानियाँ नियमित रूप से प्रकाशित होती है।
गद्य-परिचय:
डायरी: किसी भी व्यक्ति द्वारा अपने अनुभवों, सोच और भावनाओं को लिखित रूप में अंकित कर बनाया गया संग्रह डायरी लेखन कहलाता है। यह रोज लिखा जाने वाला लेखन है। इसमें प्रतिदिन अनुभव की गई भावनाओं तथा घटने वाली घटनाओं को समय, दिन एवं स्थान आदि विवरण के साथ लिखा जाता है।
प्रस्तावना: प्रस्तुत पाठ ‘साहित्य की निष्कपट विधा है-डायरी’ में लेखक कुबेर कुमावत जी ने ‘डायरी’ विधा के लेखन की प्रक्रिया,
उसके महत्त्व आदि को स्पष्ट किया है।
सारांश:
प्रस्तुत पाठ में लेखक ने बताया है कि डायरी गद्य साहित्य की सबसे प्राचीन विधा है। जिसमें तारीखवार हिसाब-किताब, लेन-देन के ब्यौरे आदि दर्ज किए जाते हैं। डायरी में मनुष्य अपने अंतर्जीवन एवं बाह्य जीवन के बारे में लिख सकता है। विरोधाभासों के बीच अपने को स्वस्थ एवं प्रसन्न रखने का माध्यम है डायरी। गुजराती में लिखी बहुत-सी डायरियाँ हिंदी में अनुवादित हैं जिसमें महादेव देसाई, मनु बहन गाँधी की डायरी मुख्य है। आधुनिक समय में भी बहुत-सी डायरियाँ प्रकाशित हैं, जिनमें शिवपूजन, सहाय, गणेश शंकर विद्यार्थी, रामधारी सिंह ‘दिनकर’ आदि की डायरियाँ प्रमुख हैं।
अपने जीवन की सच्ची निष्काय पारदर्शी छवि को याद रखने में डायरी साहित्य का उत्कृष्ट माध्यम है। डायरी जीवन का अंतरदर्शन है। एक अच्छी, सच्ची एवं सादगीयुक्त डायरी के लिए लेखक का साहसी और ईमानदार होना आवश्यक है। दैनंदिन जीवन के अनेक प्रसंग भाव, भावनाएँ, विचार आदि डायरीकार अपनी डायरी में लिखता है, परंतु इसके पीछे लेखक की निष्कपट स्वीकारोक्तियों का स्थान सर्वाधिक है। हिंदी में अनेक डायरियाँ ऐसी हैं जो प्रायः यथावत अवस्था में प्रकाशित हुई हैं। डायरी को बेलाग आत्मप्रकाशन की विधा बनाने में महात्मा गाँधी का योगदान सर्वोपरि है। उन्होंने अपने अनुयायियों को दैनंदिन लिखने का सुझाव दिया। डायरी अपनी रचना द्वारा मनुष्य के जीवन में जहाँ आतंरिक अनुशासन बनाए रखती है; वही मनोवैज्ञानिक संतुलन का कार्य भी करती है।
शब्दार्थ:
- विधा – प्रकार
- दैनंदिनी – दैनिकी
- मनोवैज्ञानिक – मन में उठनेवाले विचारों का विवेचन करने वाला
- अतुल्य – अनुपम, अद्वितीय
- श्लाघ्यनीय – प्रशंसनीय
- संतुलन – दो पक्षों का बल बराबर रखना
- कायरता – भीरुता, डरपोकपन
- गरिमा – गौरव, प्रशंसनीय
- वर्जना – रोक लगाना
- मंशा – इच्छा
- बेलाग – बिना आधार का
- फर्जी – नकली
- कसाव – भाव, कसा हुआ
- विवेच्य – जिसकी विवेचना की जाती है
- सर्वोपरि – सबसे ऊपर
- अंतद्वंद्व – किसी बात पर मन के अंदर चलने वाला विरोधाभास
- अवसाद – दुख
- निष्कपट – छलरहित, सीधा
मुहावरे:
1. दूर-दूर तक संबंध न होना – कुछ भी संबंध न होना।