UP Board Solutions for Class 9 Civics Chapter 4
UP Board Solutions for Class 9 Social Science Civics Chapter 4 चुनावी राजनीति
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पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
चुनाव क्यों होते हैं, इस बारे में इनमें से कौन-सा वाक्य ठीक नहीं है?
(क) चुनाव लोगों को सरकार के कामकाज का फैसला करने का अवसर देते हैं।
(ख) लोग चुनाव में अपनी पसंद के उम्मीदवार का चुनाव करते हैं।
(ग) चुनाव लोगों को न्यायपालिका के कामकाज का मूल्यांकन करने का अवसर देते हैं।
(घ) लोग चुनाव से अपनी पसंद की नीतियाँ बना सकते हैं।
उत्तर:
(ग) चुनाव लोगों को न्यायपालिका के कामकाज का मूल्यांकन करने का अवसर देते हैं।
प्रश्न 2.
भारत के चुनाव लोकतांत्रिक हैं, यह बताने के लिए इनमें कौन-सा वाक्य सही कारण नहीं देता?
(क) भारत में दुनिया के सबसे ज्यादा मतदाता हैं।
(ख) भारत में चुनाव आयोग काफी शक्तिशाली है।
(ग) भारत में 18 वर्ष से अधिक उम्र का हर व्यक्ति मतदाता है।
(घ) भारत में चुनाव हारने वाली पार्टियाँ जनादेश स्वीकार कर लेती हैं।
उत्तर:
(क) भारत में दुनिया के सबसे ज्यादा मतदाता हैं।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित में मेल हूँढ़ें|
उत्तर:
प्रश्न 4.
इस अध्याय में वर्णित चुनाव सम्बन्धी सभी गतिविधियों की सूची बनाएँ और इन्हें चुनाव में सबसे पहले किए जाने वाले काम से लेकर आखिर तक के क्रम में सजाएँ। इनमें से कुछ मामले हैं- . चुनावी घोषणा-पत्र जारी करना, वोटों की गिनती, मतदाता सूची बनाना, चुनाव अभियान, चुनाव नतीजों की घोषणा, मतदान, पुनर्मतदान के आदेश, चुनाव प्रक्रिया की घोषणा, नामांकन दाखिल करना।
उत्तर:
- मतदाता सूची बनाना
- चुनाव प्रक्रिया की घोषणा
- नामांकन दाखिल करन
- चुनाव घोषणा-पत्र जारी करना
- चुनाव-अभियान
- मतदान
- पुनर्मतदान के आदेश
- वोटों की गिनती
- चुनाव नतीजों की घोषणा।
प्रश्न 5.
सुरेखा एक राज्य विधानसभा क्षेत्र में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने वाली अधिकारी है। चुनाव के इन चरणों में उसे किन-किन बातों पर ध्यान देना चाहिए?
(क) चुनाव प्रचार
(ख) मतदान के दिन
(ग) मतगणना के दिन
उत्तर:
(क) चुनाव प्रचार : इसके लिए सुरेखा को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उम्मीदवार निम्नलिखित कार्य न करें
- चुनाव प्रचार हेतु पूजा स्थलों का प्रयोग करना।
- मंत्रीगणों द्वारा सरकारी वाहनों, हवाई जहाजों एवं कर्मचारियों का चुनाव हेतु प्रयोग।
- मतदाताओं को रिश्वत/घूस अथवा धमकी देना।
- जाति अथवा धर्म के नाम पर वोट देने की अपील करना।
- चुनाव अभियान के लिए सरकारी संसाधनों का प्रयोग करना।
- लोकसभा चुनाव हेतु चुनाव क्षेत्र में 25 लाख तथा विधानसभा चुनाव में 10 लाख से अधिक खर्च करना।
(ख) मतदान के दिन : इस दिन सुरेखा को यह सुनिश्चित करना होगा कि चुनावी गड़बड़ी, मतदान केन्द्रों पर कब्जा न हो।
(ग)। वोटों की गिनती का दिन : इस दिन सुरेखा को यह सुनिश्चित करना होगा कि सभी उम्मीदवारों के एजेन्ट वोटों की सुचारु रूप से गणना सुनिश्चित करने के लिए वहाँ मौजूद हैं।
प्रश्न 6.
नीचे दी गई तालिका बताती है कि अमेरिकी कांग्रेस के चुनावों के विजयी उम्मीदवारों में अमेरिकी समाज के विभिन्न समुदाय के सदस्यों का क्या अनुपात था। ये किस अनुपात में जीते। इसकी तुलना अमेरिकी समाज में इन समुदायों की आबादी के अनुपात से कीजिए। इसके आधार पर क्या आप अमेरिकी संसद के चुनाव में भी आरक्षण का सुझाव देंगे? अगर हाँ, तो क्यों और किस समुदाय के लिए? अगर नहीं तो क्यों?
उत्तर:
उपर्युक्त तालिका के आधार पर हिस्पैनिक समुदाय के लिए आरक्षण एक अच्छा विचार है। हिस्पैनिक समुदाय की जनसंख्या के अनुपात में प्रतिनिधित्व प्रदान करने के लिए ऐसा करना आवश्यक है।
प्रश्न 7.
क्या हम इस दी गई सूचनाओं के आधार पर निम्नलिखित निष्कर्ष निकाल सकते हैं? इनमें सभी पर अपनी राय के पक्ष में दो तथ्य प्रस्तुत कीजिए।
(क) भारत के चुनाव आयोग को देश में स्वतन्त्र और निष्पक्ष चुनाव करा सकने लायक पर्याप्त अधिकार नहीं हैं।
(ख) हमारे देश के चुनाव में लोगों की जबर्दस्त भागीदारी होती है। (ग) सत्ताधारी पार्टी के लिए चुनाव जीतना बहुत आसान होता है।
(घ) अपने चुनावों को पूरी तरह से निष्पक्ष और स्वतन्त्र बनाने के लिए कई कदम उठाने जरूरी हैं।
उत्तर:
(क) ऐसा नहीं है। यथार्थ में निर्वाचन आयोग को देश में स्वतन्त्र एवं निष्पक्ष चुनाव कराने का अधिकार प्राप्त है।
यह चुनाव के दौरान आदर्श आचार संहिता लागू करता है तथा इसका उल्लंघन करने वाले राजनीतिक दलों या प्रत्याशियों को दण्डित करता है। चुनाव ड्यूटी के दौरान नियुक्त कर्मचारी चुनाव आयोग के अधीन कार्य करते हैं न कि सरकार के।
(ख) यह सत्य है। चुनावों में लोगों की भागीदारी प्रायः मतदान करने वाले लोगों के आँकड़ों से मानी जाती है। मतदान
प्रतिशत योग्य मतदाताओं में से वास्तव में मतदान करने वाले लोगों के प्रतिशन को प्रदर्शित करता है। मतदाता चुनावों द्वारा राजनीतिक दलों पर अपने अनुकूल नीति एवं कार्यक्रमों के लिए दबाव डाल सकते हैं। मतदाताओं को ऐसा लगता है कि देश के शासन-संचालन के, तरी में उनके मन का विशेष महत्त्व है।
(ग) यह सत्य नहीं है। सत्ताधारी भी चुनाव में पराजित हुए हैं। कई बार ऐसे प्रत्याशी जो चुनावों में अधिक धन खर्च करते हैं, चुनाव हार जाते हैं।
(घ) यह सत्य है। चुनाव सुधार के द्वारा धन बल और अपराधिक छवि वाले उम्मीदवारों को राजनीति से दूर करने की आवश्यकता है। क्योंकि कई बार धन-बल और अपराधिक छवि वाले लोग राजनीतिक दलों से टिकट
पाने और चुनाव जीतने में सफल हो जाते हैं। ऐसे लोग जनकल्याण नहीं कर सकते बल्कि ये अपनी स्वार्थ सिद्ध में ही लगे रहते हैं।
प्रश्न 8.
चिनप्पा को दहेज के लिए अपनी पत्नी को परेशान करने के जुर्म में सजा मिली थी। सतबीर को छुआछूत मानने को दोषी माना गया था। दोनों को अदालत ने चुनाव लड़ने की इजाजत नहीं दी। क्या यह फैसला लोकतांत्रिक चुनावों के बुनियादी सिद्धान्तों के खिलाफ जाता है? अपने उत्तर के पक्ष में तर्क दीजिए।
उत्तर:
यह निर्णय लोकतांत्रिक चुनावों के आधारभूत सिद्धान्तों के विरुद्ध नहीं है क्योंकि चिनप्पा और सतबीर दोनों ही अपराधी हैं। दोनों को कानून का पालन न करने पर न्यायालय द्वारा दण्डित किया जा चुका है अर्थात् ये दोनों देश के लिए । ‘ अच्छे व आदर्श नागरिक सिद्ध नहीं हुए हैं। इसलिए उन्हें केन्द्र अथवा राज्य सरकार में कोई पद धारण नहीं करने देना चाहिए क्योंकि उनमें परिवार और समाज के प्रति सम्मान का अभाव है और उनसे देश व समाज के प्रति सम्मान प्रदर्शन की आशा नहीं है।
प्रश्न 9.
यहाँ दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में चुनावी गड़बड़ियों की कुछ रिपोटें दी गई हैं। क्या ये देश अपने यहाँ के चुनावों के सुधार के लिए भारत से कुछ बातें सीख सकते हैं? प्रत्येक मामले में आप क्या सुझाव देंगे?
(क) नाइजीरिया के एक चुनाव में मतगणना अधिकारी ने जान-बूझकर एक उम्मीदवार को मिले वोटों की संख्या बढ़ा दी और उसे विजयी घोषित कर दिया। बाद में अदालत ने पाया कि दूसरे उम्मीदवार को मिले पाँच लाख वोटों को उस उम्मीदवार के पक्ष में दर्ज कर लिया गया था।
(ख)फिजी में चुनाव से ठीक पहले एक परचा बाँटा गया जिसमें धमकी दी गयी थी कि अगर पूर्व प्रधानमंत्री महेंद्र चौधरी के पक्ष में वोट दिया गया तो खून-खराबा हो जाएगा। यह धमकी भारतीय मूल के मतदाताओं को दी गई थी।
(ग) अमेरिका के हर प्रान्त में मतदान, मतगणना और चुनाव संचालन की अपनी-अपनी प्रणालियाँ हैं। सन् 2000 ई. के चुनाव में फ्लोरिडा प्रान्त के अधिकारियों ने जॉर्ज बुश के पक्ष में अनेक विवादास्पद फैसले लिए पर उनके फैसले को कोई भी नहीं बदल सका।
उत्तर:
(क) यदि चुनाव अधिकारी द्वारा की गयी गड़बड़ी न्यायालय में प्रमाणित हो जाती है तो उस चुनाव को अवैध घोषित कर दिया जाना चाहिए और उस चुनाव को दोबारा कराया जाना चाहिए। भारत में मतगणना के दौरान धाँधली सम्भव नहीं है क्योंकि मतगणना के दौरान उम्मीदवार अथवा उनके प्रतिनिधि मतगणना केन्द्र पर उपस्थित रहते हैं और मतगणना उनके सामने होती है।
(ख) चुनाव से पूर्व किसी प्रत्याशी के विरोध हेतु धमकी भरा परचा निकालना और एक समुदाय को भयभीत करना निश्चित रूप से चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन है। इस परचे को जारी करने वाले व्यक्ति अथवा राजनीतिक दल का पता लगा करके उसे दण्डित किया जाना चाहिए। क्योंकि चुनाव परिणाम को प्रभावित करने के लिए धमकी देना लोकतांत्रिक सिद्धान्तों के विरुद्ध है।
(ग) चूँकि, संयुक्त-राज्य अमेरिका के प्रत्येक राज्य को अपने चुनाव-संबंधी कानून बनाने का अधिकार है, फ्लोरिडा राज्य द्वारा लिया गया निर्णय उस राज्य के चुनाव के कानूनों के अनुकूल होगा। यदि ऐसा है तो किसी को भी ऐसे निर्णय को चुनौती देने का अधिकार नहीं होता। भारत में चूंकि राज्यों को अपने अलग चुनाव-सम्बन्धी कानून बनाने का अधिकार नहीं है, यहाँ पर ऐसी स्थिति उत्पन्न नहीं हो सकती।
प्रश्न 10.
भारत में चुनावी गड़बड़ियों से सम्बन्धित कुछ रिपोर्टों यहाँ दी गयी हैं। प्रत्येक मामले में समस्या की पहचान कीजिए। इन्हें दूर करने के लिए क्या किया जा सकता है?
(क) चुनाव की घोषणा होते ही मंत्री महोदय ने बन्द पड़ी चीनी मिल को दोबारा खोलने के लिए वित्तीय सहायता देने की घोषणा की।
(ख) विपक्षी दलों का आरोप था कि दूरदर्शन और आकाशवाणी पर उनके बयानों और चुनाव अभियान को उचित जगह नहीं मिली।
(ग) चुनाव आयोग की जाँच से एक राज्य की मतदाता सूची में 20 लाख फर्जी मतदाताओं के नाम मिले।
(घ) एक राजनैतिक दल के गुण्डे बन्दूकों के साथ घूम रहे थे, दूसरी पार्टियों के लोगों को मतदान में भाग लेने से रोक रहे थे और दूसरी पार्टी की चुनावी सभाओं पर हमले कर रहे थे।
उत्तर:
(क) चुनावी की तिथि घोषित हो जाने के बाद सरकार द्वारा नीतिगत निर्णय लेना उचित नहीं है। मंत्री महोदय ने चीनी मिल को आर्थिक सहायता देने का वायदा करके एक नीतिगत निर्णय की घोषणा की है। जो कि अनुचित है। क्योंकि इससे चुनाव को प्रभावित करने की मंशा साफ झलकती है। अतः मंत्री महोदय को चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। मंत्री महोदय का कृत्य आदर्श चुनाव आचार-संहिता का स्पष्ट उल्लंघन है।
(ख) सभी राजनैतिक दलों को रेडियो तथा दूरदर्शन अपने विचार प्रस्तुत करने की स्वतन्त्रता एवं समय दिया जाना चाहिए। भारत में सभी राजनैतिक दलों को निर्वाचन आयोग द्वारा समय दिया जाता है। विपक्षी दल के बयानों । एवं चुनाव अभियान को दूरदर्शन तथा आकाशवाणी पर उचित स्थान न देकर सरकार ने अपनी स्थिति का दुरुपयोग किया है। इसके प्रत्युत्तर में विपक्ष को राष्ट्रीय मीडिया में पर्याप्त समय मिलना चाहिए।
(ग) फर्जी मतदाताओं की मौजूदगी का अर्थ है कि मतदाता सूची तैयार करने वाले अधिकारियों ने चुनावी गड़बड़ी की तैयारी की थी। चुनाव आयोग को मतदाता सूची की तैयारी की देखभाल करनी चाहिए।
(घ) गुण्डों एवं आपराधिक तत्त्वों का प्रयोग करके राजनैतिक दलों द्वारा अपने प्रतिद्वन्द्वियों द्वारा धमकाना और भयभीत करना राजनैतिक दुराचार है। बन्दूक तथा अन्य घातक हथियारों के साथ चुनाव के दौरान लोगों का घूमना फिरना बन्द किया जाना चाहिए। जिनके पास लाइसेंसी हथियार हैं उनके हथियार चुनावी प्रक्रिया शुरू होते ही जमा करा लिए जाने चाहिए तथा अवैध हथियार लेकर घूमने वालों को दण्डित किया जाना चाहिए। सभी उम्मीदवारों को सरकार की ओर से सुरक्षा उपलब्ध कराई जानी चाहिए। इस बात के पुख्ता इंतजाम किए जाने चाहिए कि असामाजिक तत्त्व चुनाव के दौरान गड़बड़ी न कर सकें।
प्रश्न 11.
जब यह अध्याय पढ़ाया जा रहा था तो रमेश कक्षा में नहीं आ पाया था। अगले दिन कक्षा में आने के बाद उसने अपने पिताजी से सुनी बातों को दोहराया। क्या आप रमेश को बता सकते हैं कि उसके इन बयानों में क्या गड़बड़ी है?
(क) औरतें उसी तरह वोट देती हैं जैसा पुरुष उनसे कहते हैं इसलिए उनके मताधिकार का कोई मतलब नहीं है।
(ख) पार्टी-पॉलिटिक्स से समाज में तनाव पैदा होता है। चुनाव में सबकी सहमति वाला फैसला होना चाहिए, प्रतिद्वंद्विता नहीं होनी चाहिए।
(ग) सिर्फ स्नातकों को ही चुनाव लड़ने की इजाजत होनी चाहिए।
उत्तर:
(क) यह बात सही नहीं है। वर्तमान भारत में आज ऐसी महिलाएँ बहुत बड़ी संख्या में विद्यमान हैं जो स्वेच्छा से मतदान करती हैं। महिलाओं को मताधिकार से वंचित करना अथवा उन्हें जबरन किसी प्रत्याशी विशेष के लिए मतदान करने के लिए प्रेरित करना लोकतांत्रिक रूप से अनुचित है। इसीलिए विश्व के सभी लोकतांत्रिक देशों में महिलाओं को मतदान और चुनाव लड़ने का अधिकार दिया गया है।
(ख) यह सत्य है कि दलगत राजनीति समाज में तनाव उत्पन्न करती है किन्तु इसके लिए कोई दूसरा रास्ता भी नहीं है। वर्तमान में राज्यों की जनसंख्या करोड़ों में है और इतने लोगों से किसी सहमति पर पहुँचना बहुत कठिन होगा।
(ग) केवल स्नातकों को चुनाव लड़ने का अधिकार देना अलोकतांत्रिक होगा। इसका आशय यह होगा कि उन लोगों को चुनाव न लड़ने दिया जाए जो स्नातक नहीं हैं। प्रत्याशियों का शिक्षित होना अच्छी बात है, लेकिन इसके लिए सरकार को दायित्व है कि वह लोगों को शिक्षित करने का प्रयास करे।
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
चुनाव का अर्थ बताइए।
उत्तर:
लोकतन्त्र में शासन जनता द्वारा निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के माध्यम से चलाया जाता है। चुनाव वह प्रक्रिया है। जिसके माध्यम से नागरिक अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करते हैं।
प्रश्न 2.
मतदाता किसे कहते हैं?
उत्तर:
एक राज्य में निवास करने वाले ऐसे व्यक्ति जिन्हें प्रतिनिधियों के चुनाव में भाग लेने एवं मतदान करने का अधिकार होता है उन्हें मतदाता कहा जाता है।
प्रश्न 3.
चुनावी धाँधली से क्या आशय है?
उत्तर:
चुनाव में अपने वोट बढ़ाने के लिए उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों द्वारा की जाने वाली गड़बड़ी को चुनावी धाँधली कहते हैं। एक ही व्यक्ति द्वारा अलग-अलग लोगों के नाम पर वोट डालना और मतदान अधिकारी को डरा धमका कर या घूस देकर अपने उम्मीदवार के पक्ष में काम करवाने जैसी बातें चुनावी धाँधली में शामिल हैं।
प्रश्न 4.
मतदान केन्द्र पर कब्जा से क्या आशय है? ।
उत्तर:
मतदान के दौरान किसी उम्मीदवार अथवा दल के समर्थकों अथवा भाड़े के अपराधियों द्वारा मतदान केन्द्रों पर नियंत्रण करना, असली मतदाताओं को मतदान केन्द्रों पर आने से रोकना तथा स्वयं ज्यादातर वोट डाल देना, मतदान केन्द्रों पर कब्जा कहलाता है।
प्रश्न 5.
चुनाव में उम्मीदवार बनने की योग्यता बताइए।
उत्तर:
चुनाव में उम्मीदवार के लिए निम्न योग्यताएँ होनी चाहिए
- वह देश का नागरिक हो।
- उस पर किसी तरह का अपराध करने का आरोप सिद्ध नहीं हुआ हो।
- 25 वर्ष की न्यूनतम आयु वाला कोई भी मतदाता।
- वह पागल व दिवालिया न हो।।
प्रश्न 6.
लोकतन्त्र में चुनाव का महत्त्व बताइए।
उत्तर:
आधुनिक राज्यों में प्रायः अप्रत्यक्ष लोकतन्त्र को स्थापित किया गया है। इस प्रणाली में मतदाता एक निश्चित काल के लिए अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करते हैं, जो सरकार को चलाते हैं। प्रतिनिधियों को चुनने के लिए चुनाव आवश्यक होते हैं। चुनाव प्रायः दलीय आधार पर लड़े जाते हैं, परन्तु कई उम्मीदवार स्वतन्त्र (Independent) उम्मीदवार भी चुनाव लड़ते हैं। चुनावों में जिस राजनैतिक दल को पूर्ण बहुमत प्राप्त हो जाता है, वह सरकार का गठन करता है और शासन की बागडोर अपने हाथों में सँभालता है।
प्रश्न 7.
आधुनिक लोकतन्त्र को अप्रत्यक्ष लोकतन्त्र क्यों कहते हैं?
उत्तर:
आधुनिक राज्य जनसंख्या और क्षेत्रफल की दृष्टि से बहुत बड़े हैं। इसमें सभी मतदाताओं के लिए राज्य के कार्यों में प्रत्यक्ष रूप से भाग लेना सम्भव नहीं है। इसमें नागरिक एक निश्चित अवधि के लिए अपने जनप्रतिनिधियों का चुनाव करते हैं जो उसे निर्धारित अवधि तक शासन का संचालन करते हैं। प्रतिनिधियों के माध्यम से संचालित होने के कारण ही इसे अप्रत्यक्ष लोकतन्त्र कहते हैं।
प्रश्न 8.
उप-चुनाव से आप क्या समझते हैं? |
उत्तर:
संसद या राज्य विधानमण्डल के किसी सदस्य की मृत्यु होने अथवा सदस्य द्वारा किसी कारण से त्यागपत्र देने
या उसे पदच्युत किए जाने की स्थिति में रिक्त हुई लोकसभा या विधानसभा सीट के लिए कराए जाने वाले चुनाव को उपचुनाव कहते हैं। इस चुनाव में निर्वाचित सदस्य केवल उस सदन के शेष कार्यकाल के लिए ही चुने जाते हैं। .
प्रश्न 9.
मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति और पदमुक्त करने की प्रक्रिया का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
भारत के राष्ट्रपति द्वारा देश के मुख्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति की जाती है। एक बार नियुक्त हो जाने के बाद चुनाव आयुक्त राष्ट्रपति या सरकार के प्रति जवाबदेह नहीं होता है। यदि शासक दल या सरकार को चुनाव आयुक्त पसन्द न हो तब भी मुख्य चुनाव आयुक्त को उसके पद से मुक्त कर पाना सम्भव नहीं होता है।
प्रश्न 10.
चुनाव में किस तरह की गड़बड़ियों की आशंका होती है?
उत्तर:
चुनाव में निम्न गड़बड़ियों की आशंका बनी रहती है
- अमीर उम्मीदवारों और बड़ी पार्टियों द्वारा बड़े पैमाने पर धन खर्च करने की।
- मतदान के दिन मतदाताओं को डराना और फर्जी मतदान करना।
- मतदाता सूची में फर्जी नाम डालने और असली नामों को गायब करने की।
- शासक दल द्वारा सरकारी सुविधाओं और अधिकारियों के दुरुपयोग की।
प्रश्न 11.
भारत में किसे मताधिकार प्राप्त है? किसे मताधिकार से वंचित किया जा सकता है?
उत्तर:
भारत में वयस्कता की आयु 18 वर्ष निर्धारित की गयी है। 18 वर्ष या इससे अधिक उम्र का कोई व्यक्ति चुनाव में मतदान कर सकता है। उसे जाति, धर्म, लिंग के आधार पर मताधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है। लेकिन अपराधियों एवं मानसिक रूप से असंतुलित लोगों को मताधिकार का प्रयोग करने का अधिकार नहीं है।
प्रश्न 12.
“मतदाता सूची’ किसे कहते हैं?
उत्तर:
लोकतांत्रिक निर्वाचन व्यवस्था में निर्वाचन से पहले मतदान की योग्यता रखने वालों की सूची तैयार की जाती है।
इस सूची को अधिकारिक रूप से मतदाता सूची कहते हैं।
प्रश्न 13.
1987 ई. में हुए हरियाणा राज्य विधानसभा के बाद अस्तित्व में आयी सरकार ने क्या महत्त्वपूर्णघोषणा की?
उत्तर:
हरियाणा में चुनाव परिणामों की घोषणा के बाद चौधरी देवीलाल राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री बने। मुख्यमंत्री पद ग्रहण करने के बाद चौधरी देवीलाल ने सर्वप्रथम छोटे किसान, खेतिहर मजदूर और छोटे व्यापारियों के बकाया ऋण को माफ करने का निर्णय किया।
प्रश्न 14.
न्याय युद्ध आन्दोलन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
हरियाणा में 1982 ई. में कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार अस्तित्व में थी। तत्कालीन नेता विपक्ष चौधरी देवीलाल ने कांग्रेस शासन के विरुद्ध न्याय युद्ध आन्दोलन का नेतृत्व किया और लोकदल नामक नए राजनीतिक दल का गठन किया। चौधरी देवीलाल ने कांग्रेस के विरुद्ध चुनाव लड़ने के लिए अन्य विपक्षी दलों को मिलाकर एक मोर्चे का गठन किया।
प्रश्न 15.
1971 ई. में इन्दिरा गाँधी ने, 1977 ई. में जनता पार्टी ने और 1977 ई. में ही बंगाल में वामपंथियों ने चुनाव में क्या नारा दिया था?
उत्तर:
1971 ई. के लोकसभा के चुनावों में इन्दिरा गाँधी की नेतृत्व वाली कांग्रेस पार्टी ने गरीबी हटाओ का नारा दिया। था। 1977 ई. में हुए लोकसभा चुनावों में जनता पार्टी ने लोकतन्त्र बचाओ का नारा दिया था। वामपंथी दलों ने 1977 ई. में हुए पश्चिम बंगाल विधान सभा चुनाव में जमीन जोतने वाले को जमीन का नारा दिया था।
प्रश्न 16.
मध्यावधि चुनाव किसे कहते हैं?
उत्तर :
भारत में लोकसभा और विधानसभा का चुनाव प्रायः पाँच वर्ष के लिए करवाया जाता है किन्तु यदि लोकसभा या विधानसभा को उसके निश्चित कार्यकाल से पहले भंग कर दिया जाता है तो उसके लिए नए चुनाव करवाए जाते हैं, तो ऐसे चुनाव को
प्रश्न 17.
भारत के मुख्य निर्वाचन आयुक्त (2018) कौन हैं?
उत्तर:
भारत के वर्तमान (2018) मुख्य चुनाव आयुक्त ओम प्रकाश रावत हैं। इनकी नियुक्ति अचल कुमार ज्योति के स्थान पर 23 जनवरी, 2018 ई. को की गयी। वे भारत के 22वें मुख्य निर्वाचन आयुक्त हैं। चुनाव आयुक्त का कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की अवधि तक होता है।
प्रश्न 18.
चुनाव को लोकतांत्रिक बनाने के दो आधार बताइए।
उत्तर:
(i) प्रत्येक मतदाता को समान रूप से चुनाव लड़ने का अधिकार हो और राजनैतिक दलों तथा उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने की आजादी हो और वे मतदाताओं के सम्मुख विकल्प प्रस्तुत कर सकें।
(ii) देश के प्रत्येक नागरिक को बिना किसी प्रकार के भेदभाव के मतदान का अधिकार प्राप्त हो और प्रत्येक मतदाता के मत का मूल्य समान हो।
प्रश्न 19.
राजनैतिक प्रतिद्वन्द्विता का महत्त्व बताइए।
उत्तर:
चुनाव का वास्तविक अर्थ राजनैतिक प्रतिद्वन्द्विता है। इसके कई रूप हो सकते हैं जिनमें से सबसे स्पष्ट रूप है।
राजनैतिक दलों के बीच प्रतिद्वन्द्विता। निर्वाचन-क्षेत्र में इसका रूप उम्मीदवारों के बीच प्रतिद्वन्द्विता का हो जाता है।
यदि प्रतिद्वन्द्विता न रहे तो चुनाव बेमानी हो जाएँगे।
प्रश्न 20.
चुनाव आयोग के दो प्रमुख कार्य बताइए।
उत्तर:
चुनाव आयोग के दो प्रमुख कार्य इस प्रकार हैं
- यह चुनावों का प्रबन्ध, निर्देशन नथा नियंत्रण करता है तथा चुनावों से सम्बन्धित समस्याओं का समाधान करता है।
- चुनाव आयोग चुनावों से पूर्व चुनाव-क्षेत्र के आधार पर मतदाताओं की सूचियाँ तैयार करवाता है।
प्रश्न 21.
भारत की चुनाव-व्यवस्था के कोई दो दोष (त्रुटियाँ) लिखें।
उत्तर:
(i) चुनावों में धन की बढ़ती हुई भूमिका।
(ii) जाति तथा धर्म के आधार पर मतदान।
प्रश्न 22.
गुप्त मतदान का क्या अर्थ है?
उत्तर:
गुप्त मतदान का अर्थ है कि चुनाव अधिकारियों द्वारा चुनाव के लिए ऐसी प्रबन्ध किया जाता है कि स्वयं मतदाता के अतिरिक्त किसी अन्य व्यक्ति को यह मालूम न हो कि मतदाता ने किस उम्मीदवार को अपना मत दिया है।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
भारत में राजनैतिक दलों को चुनाव में चुनाव चिह्न दिए जाने का कारण है?
उत्तर:
चुनाव आयोग द्वारा भारत में विभिन्न राजनीतिक दलों को विभिन्न चुनाव चिह्न आबंटित किये गये। उदाहरण के लिए कांग्रेस (इ) का चुनाव चिह्न ‘हाथ का पंजा’ तथा भाजपा का चुनाव चिह्न ‘कमल का फूल’ है।
राजनैतिक दलों को चुनाव चिह्न प्रदान करने का प्रमुख कारण यह है
- यदि एक ही नाम के दो अथवा अधिक उम्मीदवार हों, तो चुनाव चिह्नों की सहायता से उनकी पहचान करना। आसीन हो जाता है।
- चिह्न के द्वारा एक साधारण तथा अशिक्षित व्यक्ति भी चिह्न से सम्बन्धित राजनैतिक दल के उम्मीदवार की पहचान कर सकता है। |
- चुनाव चिह्न की सहायता से सभी चुनाव क्षेत्रों में राजनैतिक दल बड़ी आसानी से अपना चुनाव-प्रचार कर सकते। हैं। चुनाव चिह्नों से उन्हें जलूस तथा जलसे आदि संगठित करने में आसानी होती है।
प्रश्न 2.
चुनाव घोषणा-पत्र किसे कहते हैं?
उत्तर:
राजनैतिक दलों द्वारा चुनाव के समय अपने कार्यक्रम, नीतियों तथा उद्देश्यों को बताने के लिए जो प्रपत्र जारी किया जाता है, उसी प्रपत्र को चुनाव घोषणा-पत्र कहते हैं। चुनाव के कुछ दिन पहले प्रत्येक राजनैतिक दल अपना घोषणापत्र जारीं करते हैं। इस प्रपत्र के माध्यम से राजनीतिक दल लोगों को यह बताते हैं कि देश की आन्तरिक तथा विदेश नीति के बारे में उनके क्या विचार हैं और उसे यदि सरकार बनाने का अवसर मिला, तो वह कौन-कौन से कार्य करेंगे।
चुनाव घोषणा-पत्र के निम्नलिखित उपयोग (लाभ) हैं
- इससे विभिन्न राजनैतिक दलों की आन्तरिक तथा बाहरी नीति के बारे में लोगों को जानकारी मिल सकती है।
- विभिन्न राजनैतिक दलों के चुनाव घोषणा-पत्रों को देखने के पश्चात् मतदाताओं के लिए मत का निर्णय लेना आसान होता है।
- चुनाव जीतने वाले दल के लिए घोषणा-पत्र पथ-प्रदर्शन का कार्य करता है, क्योंकि उन्हें अपना कार्य उसी के । अनुसार करना होता है।
- चुनाव के पश्चात् घोषणा-पत्र के अनुसार कार्य करने के लिए जनता सरकार पर दबाव डाल सकती है।
- यदि सरकार उन वायदों को पूरा नहीं करती जो घोषणा-पत्र में दिए गए थे, तो जनता सरकार की आलोचना कर सकती है।
प्रश्न 3.
लोकतन्त्र में चुनाव क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
भग्त जैसे लोकतांत्रिक देश में चुनाव के समय लोग आपस में विचार-विमर्श करके मतदान का निर्णय करते हैं। किन्तु लोगों के लिए व्यावहारिक रूप से यह संभव नहीं है कि सभी मुद्दों पर सभी नागरिक बैठकर आपस में निर्णय लें क्योंकि इसके लिए सभी व्यक्तियों के पास इसके लिए आवश्यक समय तथा ज्ञान नहीं होता है।
इसलिए अधिकतर लोकने देशों में लोग अपने प्रतिनिधियों द्वारा शासन करते हैं। लोकतंत्र चुनाव के माध्यम से लोगों को एक ऐसा तरीका उपलब्ध करा है जिसके द्वारा लोग नियमित अन्तरलों पर अपने प्रतिनिधियों को चुन सकते हैं तथा यदि वे चाहें तो उन्हें बदल भी सकते हैं। अतः किसी भी लोकतन्त्र के लिए चुनाव आवश्यक है।
प्रश्न 4.
भारत में चुनावी प्रतिद्वन्द्विता के दोषों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
भारत में चुनाव प्रतिद्वन्द्विता के कुछ दोष इस प्रकार हैं
- चुनाव जीतने का दबाव सही किस्म की दीर्घकालिक राजनीति को पनपने नहीं देता।
- समाज तथा देश की सेवा करने की इच्छा रखने वाले अच्छे लोग भी इन्हीं कारणों से चुनावी मुकाबले में नहीं उतरते।
- यह प्रत्येक समुदाय में ‘अलगाव तथा ‘भिन्नता’ की भावना पैदा करता है।
- विभिन्न राजनैतिक दल तथा नेतागण एक दूसरे पर आरोप लगाते हैं।
- दल तथा उम्मीदवार चुनाव जीतने के लिए तरह-तरह के हथकण्डे अपनाते हैं।
प्रश्न 5.
सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
लोकतन्त्र के प्रसार से पहले मताधिकार सम्पत्ति, शिक्षा, नस्ल, लिंग आदि पर आधारित होता था, परन्तु आधुनिक समय में इस समस्त पूर्ववर्ती मान्यताओं को अस्वीकार कर दिया गया है। अब वयस्कता को ही मतदान का एकमात्र आधार माना जाने लगा है। इसमें प्रत्येक नागरिक को, जो वयस्क हो गया है, मतदान का अधिकार दे दिया जाता है। केवल अल्पवयस्क, पागल, दिवालिया, अपराधी तथा विदेशी लोगों को ही मताधिकार से वंचित नहीं किया जाता है।
किसी भी व्यक्ति को उसके धर्म, जाति, वंश, लिंग तथा जन्म-स्थान के आधार पर मताधिकार से वंचित किया जाता। वयस्क होने की आयु भिन्नभिन्न देशों में भिन्न-भिन्न रखी गयी है। स्विट्जरलैण्ड में यह आयु 20 वर्ष है। भारत में व्यक्ति के वयस्क होने के लिए न्यूनतम आयु 18 वर्ष और जापान में 25 वर्ष निश्चित की गई है। वर्तमान युग में विश्व के लगभग सभी देशों में वयस्क मताधिकार को लागू किया गया है।
प्रश्न 6.
सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के विपक्ष में तर्क प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
- प्रशासन तथा देश की समस्याएँ जटिल- आधुनिक युग में शासन सम्बन्धी प्रश्न तथा समस्याएँ दिन-प्रतिदिन जटिल होती जा रही हैं, जिन्हें समझ पाना साधारण व्यक्ति के बस की बात नहीं है। प्रायः साधारण मतदाता अयोग्य व्यक्ति को चुन लेते हैं क्योंकि उनके पास देश की समस्याओं पर विचार करने तथा उन्हें समझने के लिए समय ही नहीं होता। इस कारण से भी मतदान का अधिकार केवल शिक्षित व्यक्तियों को ही देना चाहिए।
- साधारण जनता रूढ़िवादी होती है- साधारण जनता द्वारा आर्थिक तथा सामाजिक क्षेत्र में प्रगतिशील नीतियों का विरोध किया जाता है। अतः मताधिकार ऐसे व्यक्तियों को दिया जाना चाहिए जो इसका उचित प्रयोग करने की योग्यता रखता हो।
- अज्ञानी व्यक्तियों को मताधिकार देना अनुचित है– प्रत्येक देश में अधिकतर जनता अशिक्षित तथा अज्ञानी होती है। वे उम्मीदवार के गुणों को न देखकर जाति, धर्म तथा मित्रता आदि के आधार पर अपने मत का प्रयोग करते हैं। ऐसे व्यक्ति राजनीतिक नेताओं के जोशीले भाषणों से भी शीघ्र प्रभावित हो जाते हैं। अतः अशिक्षित व्यक्तियों को मताधिकार देना उचित नहीं है। |
- भ्रष्टाचार को बढ़ावा– वयस्क मताधिकार प्रणाली में भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है। धनी उम्मीदवारों द्वारा निर्धन व्यक्तियों के मतों को खरीद लिया जाता है। निर्धन व्यक्ति थोड़े-से लालच में पड़कर अपना मत स्वार्थी तथा भ्रष्टाचारी उम्मीदवारों के हाथों में बेच देते हैं।
प्रश्न 7.
चुनाव अभियान को संक्षेप में लिखिए।
उत्तर:
भारत में चुनाव अभियान प्रत्याशियों की अन्तिम सूची की घोषणा से मतदान की तिथि (लगभग 2 सप्ताह तक चलता है। इस अवधि के दौरान प्रत्याशी अपने मतदाताओं से संपर्क करता है, राजनैतिक नेता चुनावी सभाओं ‘ को सम्बोधित करते हैं तथा राजनैतिक दल अपने समर्थकों को सक्रिय करते हैं।
अखबारों, दूरदर्शन चैनलों, चुनाव सभाओं, पोस्टरों, होर्डिंग इत्यादि के द्वारा भी प्रचार किया जाता है। चुनाव अभियान के दौरान राजनैतिक दल बड़े मुद्दों की ओर जनसाधारण का ध्यान आकृष्ट करने का प्रयास करते हैं जिसके लिए सामान्यतः लुभावने नारे तैयार किए जाते हैं ताकि लोगों का ध्यान खींचा जा सके।
प्रश्न 8.
उन तत्त्वों का उल्लेख कीजिए जो चुनाव को लोकतांत्रिक बनाती हैं?
उत्तर:
प्रायः सभी लोकतांत्रिक देशों में चुनाव प्रक्रिया अपनायी जाती है। निम्नलिखित तत्त्व चुनाव को लोकतांत्रिक बनाते हैं
- कुछ वर्षों के अंतराल पर नियमित रूप से चुनाव होने चाहिए।
- चुनाव स्वतन्त्र तथा निष्पक्ष होने चाहिए ताकि लोग अपनी इच्छानुसार उम्मीदवार चुन सकें। |
- प्रत्येक व्यक्ति को वोट को अधिकार होना चाहिए तथा प्रत्येक वोट का समान मूल्य होना चाहिए।
- दलों तथा उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने की स्वतंत्रता होनी चाहिए तथा उन्हें मतदाता को वास्तविक चुनाव हेतु न।’ विकल्प उपलब्ध कराना चाहिए। |
प्रश्न 9.
इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के बारे में बताइए।
उत्तर:
पहले मतदान के लिए बैलेट पेपर का प्रयोग किया जाता था जिस पर मतदाता अपनी पसन्द के उम्मीदवार के नाम के आगे अंकित चुनाव चिह्न पर मुहर लगाकर मतदान करते थे किन्तु अब मतदान के लिए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का प्रयोग किया जाता है। मशीन प्रत्याशियों के नाम तथा दलों के चुनाव चिह्न दर्शाती है। आजाद उम्मीदवारों को भी चुनाव आयोग द्वारा चुनाव चिह्न प्रदान किए जाते हैं। मतदाता को केवल उस उम्मीदवार के सामने का बटन दबाना होता है जिसे वह वोट देना चाहता/चाहती है।
एक बार मतदान समाप्त हो जाने के बाद सभी ई.वी.एम. सील की जाती हैं तथा किसी सुरक्षित । स्थान पर ले जाई जाती हैं। उसके बाद निर्धारित तिथि को प्रत्येक उम्मीदवार को मिले वोटों की गणना की जाती है तथा जिस उम्मीदवार को सबसे अधिक वोट मिलते हैं उसे निर्वाचित घोषित किया जाता है।
प्रश्न 10.
प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष चुनाव में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वह चुनाव प्रणाली जिसमें साधारण मतदाता अपने जनप्रतिनिधियों को स्वयं चुनते हैं, उसे प्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली कहते हैं। इसमें प्रत्येक मतदाता विभिन्न उम्मीदवारों में से एक उम्मीदवार के पक्ष में मतदान करता है और चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों में से जो उम्मीदवार शेष सभी उम्मीदवारों से अधिक मत प्राप्त कर लेता है, वह निर्वाचित घोषित कर दिया जाता है। भारत में लोकसभा के सदस्यों के चुनाव के लिए वही चुनाव प्रणाली लागू की गई है।
इसके विपरीत अप्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली के अन्तर्गत मतदाता स्वयं अपने प्रतिनिधियों का चुनाव नहीं करते। मतदाता अपने मत डालकर कुछ निर्वाचकों अथवा प्रतिनिधियों का चुनाव करते हैं और इस प्रकार एक निर्वाचक मण्डल का निर्माण होता है। इस निर्वाचक मण्डल के सदस्य विशेष अधिकारी का चुनाव करते हैं। भारत में राष्ट्रपति तथा उप-राष्ट्रपति के चुनाव के लिए इस चुनाव-प्रणाली को अपनाया गया है।
प्रश्न 11.
चुनाव जीतने के लिए उम्मीदवार किस अनुचित साधनों का प्रयोग करते हैं?
उत्तर:
लोकतन्त्र में चुनाव जीतने के लिए उम्मीदवार कई बार अनुचित साधनों का प्रयोग करते हैं, जिनका विवरण इस प्रकार है..
- मतदाताओं को भयभीत करना और मतदान के दिन चुनावी धाँधली करना।
- कुछ प्रभावशाली उम्मीदवारों द्वारा चुनाव जीतने हेतु मतदान केन्द्रों पर कब्जा भी किया जाता है।
- मतदाता सूची में झूठे नाम शामिल करना तथा वास्तविक नामों को हटाना।
- सत्ताधारी दल द्वारा सरकारी सुविधाओं व कर्मचारियों का दुरुपयोग।
- बड़े दल एवं धनी उम्मीदवारों द्वारा निर्धारित सीमा से अधिक धनराशि का प्रयोग।
प्रश्न 12.
भारतीय चुनावों की चुनौतियों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारतीय चुनावों की प्रमुख चुनौतियाँ इस प्रकार हैं
- अक्सर आम आदमी के लिए चुनाव में कोई ढंग का विकल्प होता ही नहीं क्योंकि दोनों प्रमुख पार्टियों की नीतियाँ 319 एवं व्यवहार लगभग एक जैसे ही होते हैं।
- बड़ी पार्टियों की अपेक्षा छोटे दलों तथा निर्दलीय उम्मीदवारों को कई प्रकार की परेशानियाँ उठानी पड़ती हैं।
- आर्थिक रूप से सम्पन्न उम्मीदवार एवं दल चाहे चुनाव में अपनी विजय के प्रति आश्वस्त न हों लेकिन छोटे दलों एवं निर्दलीय उम्मीदवारों पर बड़ा तथा अनुचित लाभ पाते हैं।
- देश के कुछ भागों में आपराधिक छवि वाले लोग अन्य लोगों को चुनावी दौड़ में पछाड़ कर मुख्य दलों से चुनाव | का टिकट पाने में सफल हो जाते हैं।
- लग-अलग दलों पर कुछेक परिवारों का जोर है तथा उनके रिश्तेदार आसानी से टिकट पा जाते हैं।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
स्वतन्त्र एवं निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए भारत में क्या प्रयास किए गए हैं?
उत्तर:
भारत में स्वतन्त्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए किये गये प्रयासों का विवरण इस प्रकार है
- चुनाव आयोग की स्थापना- भारत में स्वतन्त्र एवं निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए संविधान द्वारा एक चुनाव आयोग की स्थापना की गयी है। इसमें एक मुख्य चुनाव आयुक्त तथा दो अन्य आयुक्त होते हैं।
- चुनाव से पहले मतदाता सूचियों को ठीक करना- चुनावों के कुछ समय पहले राज्य विधानसभा तथा संसद के प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र की मतदाता सूचियों को दोहराया जाता है और इस बात की तसल्ली की जाती है कि कोई मतदाता ऐसा न रह जाए जिसका नाम उस सूची में शामिल न हो।
- सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग पर नियंत्रण- चुनाव आयोग द्वारा इस बात का ध्यान रखा जाता है कि सत्तारूढ़ दल सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग न करें।
- मतदाताओं के लिए पहचान-पत्र- फर्जी मतदान को रोकने के लिए मतदाताओं को फोटो सहित पहचान-पत्र जारी किए जाते हैं।
- चुनाव याचिका को शीघ्र निपटारा- यदि चुनावों के पश्चात् कोई उम्मीदवार चुनाव याचिका पेश करता है तो ,उसे जल्द से जल्द निपटा देना चाहिए।
- चुनावों में धन का प्रयोग- चुनावों में धन की भूमिका को कम-से-कम करने के लिए प्रत्येक उम्मीदवार द्वारा किए गए खर्च की जाँच की जाए। यदि किसी उम्मीदवार ने निश्चित की गई सीमा से अधिक धन खर्च किया है। तो उसके चुनाव को अवैध घोषित किया जा सकता है।
प्रश्न 2.
निर्वाचन को संक्षेप में प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
लोकतन्त्र में स्वतन्त्र एवं निष्पक्ष चुनावों के महत्त्व को देखते हुए इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए संविधान निर्माताओं द्वारा संविधान में एक निर्वाचन आयोग की स्थापना का प्रावधान किया गया है। चुनाव आयोग में एक मुख्य चुनाव आयुक्त तथा कुछ अन्य सदस्य होते हैं।
वर्तमान समय में चुनाव आयोग में मुख्य चुनाव आयुक्त के अतिरिक्त दो अन्य सदस्य नियुक्त किए गए हैं। उनकी नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। उनका कार्यकाल 6 वर्ष निश्चित किया गया है।
चुनाव आयोग के मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं
- देश में सभी चुनाव सम्बन्धी मामलों पर निरीक्षण तथा नियंत्रण रखना।।
- राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति, लोकसभा, राज्यसभा, राज्य विधानसभाओं व विधानपरिषदों के चुनाव करवाना तथा परिणाम घोषित करना।
- मतदाताओं की सूचियाँ तैयार करवाना।
- राजनैतिक दलों को मान्यता प्रदान करना तथा उन्हें चुनाव चिह्न देना।
- विभिन्न चुनाव करवाने के लिए रिटर्निंग ऑफिसर तथा सहायक रिटर्निंग ऑफिसर नियुक्त करना।
- नाव के लिए नामांकन पत्रों को जमा कराने, नाम वापस लेने तथा मतदान की तिथियाँ निश्चित करना।
- राजनैतिक दलों के लिए आचार-संहिता तैयार करना।
- विभिन्न राजनैतिक दलों को रेडियो तथा टेलीविजन आदि पर चुनाव प्रचार करने की सुविधाएँ दिलाना।
प्रश्न 3.
भारतीय चुनाव प्रणाली की विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
भारत में लोकतांत्रिक शासन प्रणाली अस्तित्व में है अतः एक निश्चित समयान्तराल पर चुनाव होते रहते हैं। भारत में अपनायी गयी निर्वाचन प्रणाली की प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं
- प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष चुनाव- भारत में प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष दोनों प्रकार के चुनाव कराए जाते हैं। लोकसभा,
विधानसभाओं, नगरपालिकाओं तथा पंचायतों आदि के सदस्य जनता द्वारा प्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली से चुने जाते हैं। इसके विपरीत राष्ट्रपति तथा उप-राष्ट्रपति के चुनाव के लिए अप्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली का प्रयोग किया जाता है। - चुनाव याचिका- यदि कोई उम्मीदवार या मतदाता किसी चुनाव से संतुष्ट नहीं है, तो वह उच्च न्यायालय में उस चुनाव के विरुद्ध अपनी याचिका भेज सकता है।
- अनुसूचित जातियों तथा जनजातियों के लिए स्थान सुरक्षित करना– भारतीय संविधान के अनुसार संसद, राज्यों के विधानमण्डलों तथा स्थानीय स्वशासन की इकाइयों में पिछड़ी जातियों तथा हरिजनों के लिए स्थान सुरक्षित रखने की व्यवस्था की गयी है।
- वयस्क मताधिकार– भारत में चुनाव वयस्क मताधिकार के आधार पर होते हैं। इनका अर्थ यह है कि प्रत्येक उस नागरिक को जिसकी आयु 18 वर्ष अथवा इससे अधिक है, बिना जाति, धर्म, लिंग तथा रंग आदि के भेदभाव के मतदान का अधिकार दिया गया है।
- संयुक्त-निर्वाचन- ब्रिटिश सरकार ने भारत में रहने वाली विभिन्न जातियों के सदस्यों में फूट डालने के लिए साम्प्रदायिक चुनाव-प्रणाली को लागू किया था, परन्तु स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् इसे समाप्त कर दिया गया है। अब एक चुनाव-क्षेत्र में रहने वाले सभी मतदाता, चाहे वह किसी भी जाति अथवा धर्म से सम्बन्ध रखते हों, अपना एक ही प्रतिनिधि चुनते हैं।
- एक सदस्य निर्वाचन क्षेत्र- इसका अर्थ यह है कि चुनाव के समय समस्त देश को या उस राज्य को जिसमें चुनाव होना है लगभग बराबर जनसंख्या वाले चुनाव-क्षेत्रों में बाँट दिया जाता है और प्रत्येक चुनाव-क्षेत्र में एक ही सदस्य निर्वाचित किया जाता है।
- गुप्त मतदान- चुनाव गुप्त मतदान रीति से होता है। स्वयं मतदाता के अतिरिक्त अन्य किसी व्यक्ति को इस बात
का पता नहीं चल सकता कि मतदाता ने किस उम्मीदवार के पक्ष में मतदान किया है।
प्रश्न 4.
भारत में चुनाव के विभिन्न सोपानों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत में चुनाव के प्रमुख सोपान इस प्रकार हैं
- प्रत्याशी द्वारा नामांकन- कोई भी व्यक्ति जो मतदान कर सकता है वह चुनाव में प्रत्याशी भी बन सकता है।
किन्तु मतदान हेतु न्यूनतम आयु सीमा 18 वर्ष है जबकि प्रत्याशी बनने हेतु न्यूनतम आयु सीमा 25 वर्ष है। राजनैतिक दल अपने प्रत्याशी नामित करते हैं जिन्हें उस दल का चुनाव निशान तथा नामांकन उपलब्ध होता है। दल द्वारा नामांकन को दल को ‘टिकट’ भी कहा जाता है। चुनाव लड़ने के इच्छुक प्रत्येक व्यक्ति को एक नामांकन पत्र भरना होता है तथा उसे जमानत के रूप में कुछ पैसा जमा करना होता है। - चुनाव अभियान- चुनाव अभियान की पूरी प्रक्रिया प्रत्याशियों की अन्तिम सूची की घोषणा से मतदान की तिथि
(लगभग 2 सप्ताह की अवधि) तक क्रियाशील रहता है। चुनाव अभियान के दौरान प्रत्याशी अपने मतदाताओं से | सम्पर्क करता है, चुनावी सभाओं को सम्बोधित करता है। इस प्रकार राजनैतिक दल अपने समर्थकों को जागरुक करते हैं। समाचार-पत्रों, दूरदर्शन चैनलों, चुनाव सभाओं, पोस्टरों, होर्डिंग इत्यादि के द्वारा प्रचार किया जाता है। चुनाव अभियान के दौरान राजनैतिक दल बड़े मुद्दों की ओर जनसाधारण का ध्यान आकृष्ट करने का प्रयास करते हैं जिसके लिए सामान्यतः लुभावने नारे तैयार किए जाते हैं ताकि लोगों का ध्यान खींचा जा सके। - मतदान व मतगणना- मतदान के दिन मतदाता अपना वोट देते हैं। जिन लोगों को मतदान का अधिकार है वे निकटतम ‘मतदान केन्द्र पर जाकर मतदान करते हैं। मतदान करने वाले व्यक्ति की अंगुली पर एक पहचान चिह्न लगाया जाता है जिससे कोई भी मतदाता एक बार से अधिक मतदान न कर सके। मतदान की अविध समाप्त हो जाने के बाद ई.वी.एम. मशीनों को सील कर दिया जाता है तथा इसे सुरक्षित स्थलों पर पहुँचा दिया जाता है। मतगणना के लिए पूर्व निर्धारित तिथि को मतों की गणना की जाती है तथा सर्वाधिक मत पाने वाले प्रत्याशी को निर्वाचित घोषित कर दिया जाता है।
प्रश्न 5.
आरक्षित चुनाव क्षेत्र से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
भारतीय संविधान में प्रदत्त अधिकार के माध्यम से प्रत्येक नागरिक अपना जनप्रतिनिधि स्वेच्छा से चुन सकता है और स्वयं एक प्रतिनिधि के रूप में चुना जा सकता है। हमारे संविधान निर्माताओं ने समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए आरक्षित चुनाव क्षेत्रों की एक विशेष प्रणाली अपनायी है। ऐसा आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के अधिकारों की रक्षा करने के लिए किया गया है ताकि वे लोकसभा तथा विधानसभा के लिए निर्वाचित हो सकें जो कि अन्य संसाधनों तथा शिक्षा आदि की कमी के कारण अन्यथा उनके लिए संभव नहीं हो पाता।
कुछ चुनावी क्षेत्र अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों से सम्बन्ध रखने वाले लोगों के लिए आरक्षित किए गए हैं। फिलहाल, लोकसभा में अनुसूचित जातियों के लिए 79 तथा अनुसूचित जनजातियों के लिए 41 सीटें आरक्षित हैं। कुछ राज्यों में अब अन्य पिछड़े वर्गों के लिए भी ग्रामीण पंचायत तथा शहरी नगरपालिका एवं नगर निगम, स्थानीय निकायों में आरक्षण देना प्रारम्भ किया है। इसी प्रकार ग्रामीण तथा शहरी स्थानीय निकायों में महिलाओं के लिए भी एक तिहाई सीटें आरक्षित हैं।
प्रश्न 6.
चुनाव-अभियान के दौरान प्रयोग में लाए जाने वाले साधनों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
चुनाव अभियान निर्वाचन की एक प्रमुख प्रक्रिया है। इसके माध्यम से उम्मीदवार मतदाताओं को अपने पक्ष में मतदान करने हेतु प्रेरित करने का प्रयास करता है। उम्मीदवारों द्वारा चुनाव अभियान के दौरान निम्न साधनों का प्रयोग किया जाता है
- प्रेस व समाचार-पत्र- पढ़े-लिखे मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए समाचार-पत्रों तथा पत्रिकाओं का भी प्रयोग किया जाता है। विभिन्न नेता उनमें अपने विचार व्यक्त करते हैं तथा जनता को अपने पक्ष में मतदान करने की अपील करते हैं।
- रेडियो तथा टेलीविजन- रेडियो तथा टेलीविजन में भी प्रायः सभी दलों को कुछ निश्चित समय प्रदान किया जाता है जिससे वे अपनी नीतियों तथा कार्यक्रम का प्रचार करते हैं।
- घर-घर जाकर मुलाकात करना- चुनाव के दिनों में प्रत्येक उम्मीदवार अपने कार्यकर्ताओं को साथ लेकर घर| घर जाकर मतदाताओं से वोट माँगता है। मतदाताओं को उम्मीदवार तथा उसके दल के बारे में जानकारी दी जाती है और उनकी शंकाएँ दूर की जाती हैं। लोगों में पोस्टर तथा घोषणा-पत्र भी बाँटे जाते हैं और उनका समर्थन प्राप्त करने का प्रयत्न किया जाता है।
- पोस्टर लगाना- पोस्टर के माध्यम से राजनीतिक दल तथा उम्मीदवार पढ़े-लिखे मतदाताओं को लुभाने का प्रयत्न करते हैं। पोस्टरों द्वारा आकर्षक नारे, प्रभावशाली आक्षेप, कार्टून तथा चुनाव सम्बन्धी विभिन्न सूचनाएँ दी जाती हैं।
- सभाएँ करना वे भाषण देना– विभिन्न राजनैतिक दल तथा उम्मीदकर आम सभाएँ करके अपने विचार जन साधारण तक पहुँचाते हैं, वे अपनी अथवा अपने दल की अच्छाइयों तथा विरोधी दल की बुराइयों से जनता को अवगत कराते रहते हैं।
- जलूस निकालना- मतदाताओं को प्रभावित करने तथा अपने पक्ष में करने के लिए विभिन्न दल जलूस निकालते हैं जिनमें लाउडस्पीकरों से जोर-जोर से नारे लगाए जाते हैं। मतदाताओं से यह अपील की जाती है कि वह उस दल अथवा उम्मीदवार के पक्ष में मतदान करें।
प्रश्न 7.
भारत में चुनाव-प्रणाली की चुनौतियों का उल्लेख कीजिए। इन चुनौतियों के समाधान हेतु सुझाव भी प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
जनसंख्या की दृष्टि से भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतन्त्र है। भारत में 62 करोड़ से अधिक मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करते हैं। भारत में अब तक लोकसभा के 16 चुनाव हो चुके हैं। किन्तु इस दौरान भारतीय चुनाव प्रणाली के कुछ दोष भी दिखलायी पड़े जिनका विवरण इस प्रकार है
(i) चुनाव में बाहुबल और हिंसा- भारतीय चुनाव में एक और गम्भीर त्रुटि और समस्या है चुनाव में बाहुबल का प्रयोग। चुनने में हिंसा बढ़ती जा रही है। चुनाव में बाहुबल और हिंसा का प्रयोग विशेषकर हरियाणा, पश्चिमी बंगाल, जम्मू-कश्मीर तथा बिहार आदि राज्यों में हो रहा है। विधानसभा और लोकसभा के चुनावों में बम विस्फोट, छुरेबाजी औं गोली का प्रयोग होता है। मतदाताओं को डराया-धमकाया जाता है और उन्हें एक विशेष दल के पक्ष में वोट डालने के लिए कहा जाता है। मतदान केंद्रों पर कब्जा किया जाता है। चुनाव के दिनों में आम आदमी सुरक्षित महसूस नहीं करता। मतदान केन्द्रों पर कब्जा बड़े नियोजित ढंग से किया जाता है।
(ii) चुनाव याचिका के निपटारे में देरी– साधारणतः यह देखा गया है कि चुनाव याचिका के निपटारे में बहुत अधिक समय लग जाता है। कई बार तो उम्मीदवार का कार्यकाल समाप्त होने को आता है और चुनाव याचिका का निर्णय ही नहीं होता।
(iii) सरकारी तंत्र का दुरुपयोग- भारतीय चुनाव व्यवस्था की एक और गम्भीर त्रुटि सामने आयी है। मंत्रियों द्वारा
दलीय लाभ के लिए सरकारी तंत्र का प्रयोग किया जाता है। वोट बटोरने के लिए मंत्रियों द्वारा लोगों को तरह-तरह के आश्वासन दिए जाते हैं। विभिन्न वर्गों के लिए अनेकानेक रियायतों और सुविधाओं की घोषणा की जाती है। अनेक प्रकार की विकास योजनाओं की घोषणा की जाती है; जैसे–कारखानों, स्कूलों, कॉलेजों, अस्पतालों व पुलों के शिलान्यास आदि की घोषणा करना। सरकारी कर्मचारी के वेतन-भत्ते आदि में वृद्धि की जाती है। कर्जे माफ किए जाते हैं।
(iv) मतदाताओं की अनुपस्थिति- चुनावों में बहुत से मतदाता भाग लेते ही नहीं। मतदाता चुनावों में रुचि लेते ही नहीं।
उनके लिए वोट डालना एक समस्या बन गई है। वह मतपत्र का प्रयोग करते ही नहीं। मतपत्र का प्रयोग न करना एक प्रकार से लोकतंत्र को धोखा देना ही है। अक्सर देखने में आता है कि 60 प्रतिशत मतदाता ही वोट डालते हैं। मतदान का प्रतिशत कई चुनावों में तो 60% अथवा इससे भी कम रहता है।
(v) राजनीति का अपराधीकरण- पिछले कुछ वर्षों में भारतीय चुनाव-प्रणाली में एक और दोषपूर्ण मोड़ आया है।
प्रायः सभी राजनीतिक दलों ने ऐसे बहुत-से उम्मीदवार चुनाव में खड़े किए, जिनका अपराधों की दुनिया में नाम था। ऐसे व्यक्तियों ने राजनीति में अपराधीकरण को बढ़ावा देने का काम किया और लोगों को भय दिखाकर वोट माँगे तथा गोली के बल पर विरोधियों को न चुनाव लड़ने दिया और न ही वोट डालने दिया। जब अपराधी, तस्कर और लुटेरे पहले किसी दल के सक्रिय सदस्य तथा बाद में विधायक बन जाएँ तो उस देश के भविष्य के उज्ज्वल होने की आशा नहीं की जा सकती।
(vi) चुनावों में धन की बढ़ती हुई भूमिका- भारतीय चुनाव-प्रणाली का सबसे बड़ा दोष चुनावों में धन की बढ़ती हुई भूमिका है। भारतीय चुनावों में धन का अंधाधुंध प्रयोग और दुरुपयोग ने भारत की राजनीति को काफी भ्रष्ट किया है। भारत में काले धन का बड़ा बोलबाला है और उसका चुनावों में दिल खोलकर प्रयोग किया जाता है। मतदाताओं के लिए शराब के दौर चलाए जाते हैं, मत खरीदे जाते हैं, उम्मीदवारों को धनी लोगों द्वारा खड़ा किया जाता है। और पैसे के बल पर बिठाया जाता है तथा मतदाताओं को लाने व ले जाने के लिए गाड़ियों का प्रयोग किया जाता है। आज का चुनाव पैसे के बल पर ही जीता जा सकता है और इस धन ने मतदाताओं, राजनीतिक दलों तथा प्रतिनिधियों सबको भ्रष्ट बना दिया है।
(vii) जाति और धर्म के नाम पर वोट- भारत में सांप्रदायिकता का बड़ा प्रभाव है और इसने हमारी प्रगति में सदैव बाधा उत्पन्न की है। जाति और धर्म के नाम पर खुले रूप से मत माँगे और डाले जाते हैं। राजनीतिक दल भी अपने उम्मीदवार खड़े करते समय इस बात को ध्यान में रखते हैं और उसी जाति और धर्म का उम्मीदवार खड़ा करने का प्रयत्न करते हैं, जिस जाति का उस निर्वाचन-क्षेत्र में बहुमत हो। भारत में अब तक जो चुनाव हुए हैं, उनके आँकड़े भी इस बात का समर्थन करते हैं।
(viii) मतदाता सूचियों के बनाने में लापरवाही- यह भी देखा गया है कि भारत में मतदाता सूचियों के बनाने में बड़ी लापरवाही से काम लिया जाता है और कई बार जान-बूझकर तथा कई बार अनजाने में पूरे-के-पूरे मोहल्ले सूचियों से गायब हो जाते हैं। मतदाता सूचियाँ अधिकतर राज्य सरकार के कर्मचारियों द्वारा बनायी जाती हैं और वे इसे फिजूल का काम समझते हैं। पटवारी तथा स्कूल के अध्यापकों से ये काम करवाया जाता है। एक मतदाता का नाम अनेकों बार तथा जाली मतदाताओं के नाम मतदाता सूची में जोड़ दिए जाते हैं।
चुनाव प्रणाली के सम्मुख उपस्थित चुनौतियों के सुधार हेतु निम्न उपाय अपनाए जा सकते हैं
- फर्जी मतदान तथा चुनाव-केन्द्रों पर कब्जा करने की घटनाओं को सख्ती के साथ निपटोना चाहिए।
- सभी उम्मीदवारों तथा राजनैतिक दलों को प्रचार करने के लिए रेडियो तथा मीडिया का प्रयोग करने दिया जाए। चुनावी राजनीति
- मतदान अनिवार्य कर देना चाहिए।
- चुनाव-याचिका थोड़े समय में ही निपटा देनी चाहिए।
- चुनावों में धन की भूमिका को कम करने के लिए चुनाव खर्च राज्य द्वारा किया जाना चाहिए।
- चुनावों में सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग पर सख्त पाबंदी लगाई जाए।
- उन उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने से रोक दिया जाए जो चुनाव में धर्म तथा जाति का प्रयोग करते हैं।