गोपेश्वर के गोपीनाथ मंदिर में स्थित रहस्यमयी त्रिशूल का इतिहास

चमोली ज़िले के गोपेश्वर शहर के मध्य में स्थित गोपीनाथ मंदिर के प्रांगण में लगभग पाँच मीटर ऊँची एक त्रिशूल है जिसके बारे में कई किद्वंतियाँ और ऐतिहासिक कहानियाँ प्रसिद्ध है।

इस त्रिशूल के बारे में ऐसे धरना है कि इसे तर्जनी अंगुली से छूने से यह हिलने लगती है जबकि पूरा ज़ोर देकर हिलाने का प्रयास हमेशा विफल होता है। इसी तरह का एक और त्रिशूल उत्तरकाशी के बाडाहाट और एक नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर में भी स्थित है। 12वीं सदी के दौरान इन तीनों स्थानों पर नेपाली मल्ल वंश का शासन था।

9वीं सदी के अंतिम वर्षों में जब कट्यूरि शासन की राजधानी जोशीमठ स्थान्तरित हुई तो उसी दौरान गोपेश्वर में गोपीनाथ मंदिर की स्थापना हुई।

12वीं सदी के अंतिम वर्षों के दौरान जब नेपाल के मल्ल वंश ने केदार-खंड क्षेत्र पर अपना अधिकार किया तो गोपीनाथ मंदिर में एक त्रिशूल स्थापित किया।

नीचे बर्तन-नुमा एक अभिलेख पर नेपाली राजा अनेक मल्ला द्वारा वर्ष 1191 में इस क्षेत्र पर विजय का वर्णन है।

इसी तरह का एक अन्य त्रिशूल उत्तरकाशी के बाडाहाट में भी स्थित है जो मल्ल वंश की राजधानी हुआ करती थी। एक तीसरा त्रिसुल नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर में स्थित है जिसका भार लगभग एक मण हुआ करता था।

इन तीन में से दो त्रिशूल (उत्तरकाशी के बाडाहाट और गोपेश्वर का गोपीनाथ) की स्थापना नेपाली के बुद्ध अनुयायी राजा अनेक मल्ला ने 12वीं सदी के दौरान स्थापित किया था।