S-3

कार्य और शिक्षा | D.El.Ed Notes in Hindi

कार्य और शिक्षा | D.El.Ed Notes in Hindi

लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1. कार्यानुभव के प्रमुख क्षेत्र और क्रियाकलापों के विभिन्न प्रकारों का
वर्णन करें।
उत्तर―कार्यानुभव के प्रमुख क्षेत्र 6 हैं:
1.स्वास्थ्य एवं स्वच्छता
2. भोजन
3. आवास
4. वस्त्र
5. सांस्कृतिक एवं मनोरंजनात्मक क्रियाएँ
6. सामुदायिक कार्य एवं समाज-सेवा
क्षेत्रों का वर्गीकरण निम्न प्रकार कर सकते हैं:
1. ये क्रियाकलाप जो स्वास्थ्य एवं स्वच्छता, भोजन, आवास एवं वस्त्र जैसे चार मूलभूत
आवश्यकता क्षेत्रों से उभरकर आते हैं।
2. आस-पास के परिवेश, विद्यालय, घर और समुदाय के सौंदर्गीकरण के लिए
सृजनात्मक क्रियाएँ (कागज गत्ता, मोटा गत्ता, पत्तियाँ, फल, मिट्टी, अनुपयोगी सामग्री आदि
के प्रयोग से संबंधित क्रियाएँ।
3. बच्चों की सांस्कृतिक विरासत से संबंधित क्रियाकलाप जैसे–नृत्य, नाटक एवं अन्य
कलात्मक क्रिया ।
4.सामुदायिक कार्य एवं समाज-सेवा से संबंधित क्रियाकलाप जैसे–सफाई अभियान,
उपकरणों तथा अन्य वस्तुओं की मरम्मत, सामाजिक बुराइयों, बीमारियों के खिलाफ
अभियान।
कुछ क्रियाकलाप निम्नलिखित हैं:
(i) व्यक्तिगत सफाई से संबंधित क्रियाकलाप, जैसे—रिबन, मोजे, रूमाल, अंत:वस्त्र,
तौलिया, झाड़न आदि धोना, बटन टाँकना एवं जूते पॉलिश करना।
(ii) कार्य-स्थल एवं आस-पड़ोस की सफाई करना।
(iii) उपकरणों की सफाई करना एवं उन्हें उचित स्थान पर रखना।
(iv) कूड़ेदान बनाना एवं कक्षा में उनका प्रयोग करना।
(v) पत्ते, छिलके, फूल, बीज, पंख आदि जैसी सामग्री को एकत्र करना ।
(vi) पौधों की देखभाल करना।
(vii) स्थानीय रूप से उपलब्ध सामग्री से चटाइयाँ बनाना ।
(viii) फॉर्म हाउस अथवा खेतों का भ्रमण करना एवं खेती संबंधी क्रियाकलापों का
प्रेक्षण करना।
(ix) उद्यान के रख-रखाव में बड़ों की सहायता करना, जैसे—पानी देना, खरपतवार
निकालना, कटाई-छंटाई करना आदि ।
(x) मिट्टी, बाँस और लकड़ी से बने घर के फर्श, दीवारों एवं छत की छोटी-मोटी
मरम्मत करना।
(xi) चारपाई, टाँड और नलों की टोटियों की छोटी-मोटी मरम्मत करना।
(xii) बटन टाँकना और घर में, लॉण्ड्री में, दर्जी की दुकान पर एवं वस्त्र बनाने
वाले कारखाने में क्रमशः वस्त्रों की धुलाई और सिंचाई संबंधी क्रियाकलापों का प्रेक्षण
करना।
(xii) फटे हुए कपड़ों की मरम्मत करना एवं कीड़ों से उनकी सुरक्षा करना।
(xiv) रोजमर्रा की चीजों का प्रयोग करते हुए कागज पर डिजाइन बनाना, जैसे—स्याही
से डिजाइन धागे द्वारा बनाना, सब्जी आदि से छपाई और मार्बल पेंटिंग आदि ।
(xv) रूमाल, मेजपोश इत्यादि पर आसान-सी कढ़ाई करना।
(xvi) रद्दी सामग्री और प्रकृति के पदार्थों से फूलदान, हाथ के पंखे, लिफाफे, कागज
के थैले तथा दीवार पर सजावट की चीजें और ग्रीटिंग कार्ड आदि बनाना ।
(xvii) सांस्कृतिक एवं मनोरंजनात्मक क्रियाकलापों में भाग लेना, जैसे—त्योहार मनाने
में, कठपुतली के खेल में, नृत्य-सामुदायिक गायन आदि में।
(xviii) आस-पड़ोस में सफाई अभियान में भाग लेना।
(xix) गाँव के मेले, प्रदर्शनी आदि में समाज-सेवा संबंधी क्रियाकलाप करना।
(xx) सामाजिक/सामुदायिक उत्सवों में भाग लेना।
(xxi) डाकखाना, बस डिपो, रेलवे स्टेशन, हवाई अड्डा, डिस्पेंसरी अथवा अस्पताल
जाना और उनका प्रेक्षण करना।
प्रश्न 2. कला अनुभव क्या हैं? इसके महत्व एवं उपयोगिता बताइए।
उत्तर―कला अनुभव से तात्पर्य ऐसी प्रक्रिया से है, जिसमें बच्चों को विभिन्न
कलाओं-चित्रकला, संगीत, नृत्य, नाटक के अनुभव से गुजारते हुए सभी कलाओं से परिचय
कराया जाए । अनुभव से हमारा तात्पर्य एक ऐसी एकीकृत प्रक्रिया से है, जिसमें बच्चों की
सीखने-सीखाने की प्रक्रिया में शरीर, मन और मस्तिष्क की बराबर से भागीदारी हो । कला
के क्षेत्र में बच्चों की भागीदारी से आशय यह है कि बच्चों द्वारा एक मनमोहक चित्र का
पूर्ण बन जाना, दर्शकों को लुभाने वाला एक नृत्य या गीत तैयार हो जाना उतना महत्वपूर्ण
नहीं है, जितना इसकी सृजन की प्रक्रिया । प्राथमिक कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए विभिन्न
कलाओं से परिचय पाना, उनमें अपनी अभिव्यक्ति ढूँढ पाना औश्र साथ ही अपनी सांस्कृतिक
विरासत से रिश्ता बनाना सबसे अधिक महत्वपूर्ण है।
        कला-अनुभव का महत्व या उपयोगिता–कला अनुभव के दौरान प्रारंभिक कक्षाओं
में बच्चों को विभिन्न कलाओं के माध्यम से अभिव्यक्ति के अवसर उपलब्ध कराना अधिक
महत्वपूर्ण है । इसके दौरान बच्चे सभी कलाओं के विभिन्न रूपों से अपने ढंग से दोस्ती कर
बड़े उमंग और उत्साह से सीखने की राह पर खुद-ब-खुद चल पड़ते हैं । विभिन्न ज्ञानेन्द्रियों
को शामिल कर लेने के गुण के कारण कलाओं में सीखने-सीखाने की अनगिनत गांठे खोल
देने की क्षमता अन्तर्निहित है। कला अनुभव योजनाबद्ध और लचीली, दोनों होनी चाहिए
ताकि सभी बच्चों के सीखने-सीखाने की गति और रूचि का ख्याल रखा जा सकें। पूरे
कला-अनुभव के दौरान बच्चों को यह स्वतंत्रता होती है कि वो अपनी कृति को अपना एक
अर्थ दे सके । कला अनुभव में बच्चों पर यह दबाव नहीं होता कि वे अपनी कलाकृति को
तत्काल पूरी करे । इन्हें जब चाहे, तब-तब चाहें पूरी कर सकते हैं।
प्रश्न 3. भोजन का क्या अर्थ है ? इसके साधन क्या है ?
                                          अथवा,
विभिन्न प्रकार के पोषणों को बताइए।
उत्तर―”किसी भी प्रकार का खाद्य पदार्थ जिसे कोई खाता है और जो एक सजीव
के शरीर के लिए लाभदायक सामग्रियाँ प्रदान करता है, को भोजन’ कहा जा सकता है।”
भोजन के मुख्य साधन पौधे और जानवर हैं ।
        हरे पौधे अपना भोजन सूर्य के प्रकाश, हवा, पानी और मिट्टी से प्राप्त खनिजों की
सहायता से स्वयं तैयार करते हैं । वे हमें अनाज, दालें, सब्जियाँ, फल, चीनी, वनस्पति तेल,
मसाले, गिरी और पेय प्रदान करते हैं।
        जानवर हमें दूध, मास, अण्डा, मछली और शहर के रूप में भोजन प्रदान करता है।
भोजन हमें बढ़ने और स्वस्थ्य रखने में सहायता करता है। यह प्रत्येक कार्य के लिए
ऊर्जा प्रदान करता है। यह हमें बीमारियों से भी बचाता है। हमारे भोजन में सभी पोषण
जैसे काबोहाइड्रेट, वसा, प्रोटीन, विटामिन आदि होना चाहिए । पोषण काम करने और खेलने
लिए शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है। हम पोषणों को इस प्रकार वर्गीकृत कर सकते
हैं―
(i) काबोहाइड्रेट्स (ऊर्जा देने वाले भोजन)―इसके साधन हैं-गेहूँ, चावल, आलू,
झोनी, आम, केला आदि।
(ii) वसा (ऊर्जा देने वाले भोजन)―इसके साधन घी, मक्खन, संतरा, गिरी आदि
है।
(iii) प्रोटीन (शरीर बनाने वाला भोजन)—इसके साधन सब्जियाँ, दालें, चीज,
अंडा, दूध, मछली आदि है।
(iv) खनिज लवण (सुरक्षा प्रदान करने वाला भोजन)―इसके साधन, दूध, चीज,
हरी पत्तेदार सब्जियाँ, दालें आदि है।
(v) विटामिन (सुरक्षा प्रदान करने वाला भोजन)―इसके साधन फल, सब्जियाँ,
अंडा, दूध आदि है।
(vi) मोटा चारा (पौधे का तंतु)―इसके साधन सलाद, सब्जियों और फल हैं । यह
पाचन प्रणाली में सहायता करता है।
(vii) जल—यह हमारे शरीर को कार्य करने के लिए एक महत्वपूर्ण घटक है।
प्रश्न 4. मिश्रित कोलाज क्या ? मिश्रित कोलाज की विधि बताएँ।
उत्तर―मिश्रित कोलाज-विभिन्न वस्तुओं के मिश्रण से जब कोलाज चित्र का
निर्माण किया जाता है तो उसे मिश्रित कोलाज कहते हैं।
आवश्यक सामग्री―सूखे फूल, पत्ते, पोस्टर रंग, नारियल की छाल, पेड़ों की छाल,
सूखी पंखुड़ियाँ, ऊन के धागे, तौलियाँ, सितारे, मोती, रंगीन, कागज, झाडू की तिलियाँ, ड्राइंग
शीट, स्केच पैन, पेंसिल, पोस्टर कागज आदि ।
मिश्रित कोलाज विधि―चित्र की आवश्यकता एवं अपनी-अपनी कल्पना के अनुसार
सर्वप्रथम पेंसिल से पोस्टर कागज पर चित्र बनाकर तत्पश्चात् उपलब्ध सामग्री को
आवश्यकतानुसार चिपका कर स्वाभाविक व वास्तविक रूप प्रदान किया जाना चाहिए जो
चित्रकार की वास्तविक कल्पना का परिचायक होगा।
प्रश्न 5. पोस्टर रंग से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर―यह रंग Acralic Colours की तरह ही होते हैं। परंतु इनमें पानी का अंश
उनसे कम होता है। इसलिए यह उनकी अपेक्षा अधिक चटक, चमकीला प्रभाव प्रस्तुत करते
है एवं यह रंग अधिक टिकाऊ भी होते हैं। यह रंग भी शीशियों में उपलब्ध होते हैं । इन
रंगों के द्वारा प्रभावपूर्ण शेडिंग कार्य भी किया जा सकता है। इन रंगों के प्रयोग में दक्षता
व अभ्यास की बहुत आवश्यकता होती है।
प्रश्न 6. कोलॉज बनाने की विधि को संक्षेप में बताएँ।
उत्तर―ऐसी विधि जिसमें धरातल पर विभिन्न प्रकार की सामग्री जैसे पत्र-पत्रिकाओं
के रंगीन कागज, लकड़ी का बुरादा, रंगीन कपड़ा, दालें, बटन, काँच, रेती, मूंगफली के दाने
आदि को चिपकाकर चित्र तैयार करना कोलाज कहलाता है।
कागज कोलाज―इस विधि में विभिन्न प्रकार के कागजों को काँट-छाँटकर एक ठोस
(कागज) धरातल पर चिपकाया जाता है तथा अपनी कल्पना से सुन्दर दृश्य, संयोजन आदि
किया जाता है।
आवश्यक सामग्री―पुराने अखबार, मैगजीन, पत्रिका आदि के रंगीन पन्ने, गत्ते, गोंद,
कैंची, ब्लेड, ड्राइंग कागज, पोस्टर कागज, थर्मोकोल शीट, फैवीकोल, चिमटी (फॉरशेप),
कैंची छोटी बड़ी, स्केल, आदि ।
कोलाज विधि―सर्वप्रथम, धरातल कागज अथवा थर्मोकोल शीट पर पेंसिल से अपनी
कल्पना अनुसार रेखांकन करना चाहिए । जहाँ तक हो सके साधारण रेखा चित्रांकन होना
चाहिए। ताकि चित्रण में जटिलता न आए और अपनाए गये विषय का भाव आसानी से दर्शक
समझ सकें इसके पश्चात् चित्र की आवश्यकतानुसार उपलब्ध कागजों से रंगों का चुनाव
करके उन्हें हाथों से ही काटकर आकार दिया जाए। कैंची चालाना वर्जित है। आकाश और
पानी के लिए नीला, हरे रंग के लिए हरा कागज को हाथ से काटकर यथा स्थान गोंद से
चिपकाए जाए । विभिन्न प्रकार के कागजों का चुनाव विभिन्न धरातल के लिए किया जाये।
प्रश्न 7. कागज के मुखौटे बनाने की विधि को संक्षेप में बताएँ।
उत्तर―मुखौटे बनाने के लिए आवश्यक सामग्री― कागज (थोड़ा मोटा), कैंची,
रंग, ब्रश, रबर, पेंसिल, कटर आदि ।
विधि―कागज का मुखौटा बनाने के लिए सर्वप्रथम जिस व्यक्ति, बच्चे अथवा जानवर
का मुखौटा बनाना है, उसका नाप लेकर कागज पर नाप लेना चाहिए । निश्चित नाप लेकर
कागज पर आँखों पर निशान लगा दिया जाएगा और आँखों के आकार को कैंची से काट
कर कान के नीचे से दो छेद कर दिया जाएगा, जिससे पीछे बाँधा जा सके । तत्पश्चात् पात्र
के अनुरूप दाढ़ी, मूंछे, तिलक, चेहरे, नाक, आँखों पर भावाभिव्यक्ति की जाये । इस प्रकार
इच्छानुसार मुखौटे तैयार हो सकेंगे।
प्रश्न 8. चिकनी मिट्टी के मॉडल किस प्रकार तैयार किए जाते हैं ?
उत्तर―चिकनी मिट्टी के मॉडल चमटी में थोड़ी बारीक रेत व थोड़ा पानी
मिलाकर सर्वप्रथम मिट्टी को आटे की तरह मलकर अच्छे से तैयार कर लें। इसके उपरान्त
इससे विभिन्न आकृतियों या चित्रों को सामने रखकर या ध्यान में केन्द्रित करके बना लें व
इसके उपरान्त मॉडल में थोड़ा विभिन्न भागों पर पानी मिली पतली व गीली मिट्टी का तले
में लेप लगाकर उचित स्थान पर लगा दें। सूखने पर यह बिल्कुल मजबूती से अपने स्थान
को पकड़ लेगी। इसके उपरान्त अलग-अलग रंगों से वस्तुओं को उनका स्वाभाविक व
आकर्षक रूप प्रदान करें।
प्रश्न 9. पाक कला से आप क्या समझते हैं?
उत्तर―पेट भरने के लिए भोजन की आवश्यकता होती है। भिन्न-भिन्न प्रकार वे
स्वादिष्ट पौष्टिक भोजन व व्यंजन बनाने की विधि को पाक कला कहते हैं। आज पाक कला
पर आधारित बहुत सारी पुस्तकें हैं, जिनमें तरह-तरह के व्यंजन बनाने के तरीके होते हैं।
रसोईघर से सम्बन्धित एक ऐसी पुस्तक जिसमें विभिन्न प्रकार का खाना बनाने की बहुत सारी
विधियों का संग्रह होता है उसको पाक कला पुस्तक कहते हैं। आज पाक कला एक
यवसाय भी बन गया है। आजकल कुछ टीवी चैनल भी व्यंजनों से संबंधित प्रतियोगिताएँ
आयोजित करते हैं।
       जैसे कि आजकल ‘चीफ मास्टर शेफ’ जैसे प्रोग्राम्स आयोजित हो रहे हैं। जिनके द्वारा
भोजन बनाने की कला का चलन व महत्व भी बढ़ गया है। बहुत से लोगों को तरह-तरह
के व्यंजन बनाने का शौक भी होता है। जिसके कारण (पाक कला) तरह-तरह के व्यंजन
बनाना एक फैशन भी बन गया है। भारत के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग तरह की
भोजन बनाने की पद्धति प्रचलित है।
प्रश्न 10. कार्य शिक्षा के महत्व को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर–कार्य शिक्षा के महत्व को निम्नलिखित पंक्तियों के अंतर्गत स्पष्ट किया गया
है:
1. बच्चों में अपने शरीर की प्राकृतिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए नियमित
आदतों और सकारात्मक दृष्टिकोण का विकास होता है।
2. अपने आस-पास के परिवेश के प्रति जागरूकता और संवेदनशीलता उत्पन्न होती
है तथा मानव जाति और पर्यावरण के अंतःसम्बन्ध के प्रति समझ विकसित होती है।
3. शारीरिक कार्य और श्रम के महत्व के प्रति समझ व सम्मान की भावना पैदा होती
है।
4. सामाजिक रूप से वांछनीय मूल्यों का विकास करने में मदद मिलती है—नियमितता,
समय की पाबंदी, स्वच्छता, आत्मनियंत्रण, परिश्रमशीलता, कर्तव्यबोध, सेवा भावना,
उत्तरदायित्व की भावना, उद्यमशील, समानता के प्रति संवेदनशीलता, भाईचारे की भावना इन
समी गुणों का विकास मात्र किताबें पड़ने या प्रवचन सुनने से नहीं हो । बल्कि जब विद्यार्थी
मिल-जुलकर भिन्न-भिन्न प्रकार के कार्यकलापा करते हैं। तब सब उनके अंदर सामाजिक
रूप गुण होते हैं।
प्रश्न 11. पौधों की सिंचाई के लिए उचित विधि को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर―निम्न विधि के द्वारा सिंचाई करना पौधों की सिंचाई के लिए उचित विधि माना
जाता है :
1. छोटे पौधों एवं क्यारियों में झोर द्वारा पानी देना चाहिए, जिससे मिट्टी का क्षरण न
हो तथा पौधों की जड़ें भी खुली न रहे।
2.बड़े पौधों व वृक्षों में नाली बनाकर अथवा थाला बनाकर पानी देना उचित होता है।
3. फूलों, सब्जियों एंव मौसमी पौधों की छोटी-छोटी क्यारियों में रबर के पाईप द्बारा
क्यारी के एक सिरे पर पानी छोड़कर सिंचाई की जा सकती है।
4. गर्मी के दिनों में एक सप्ताह तथा सर्दियचों में 15-20 दिनों के अंतर पर सिंचाई
करें।
5. ग्रीष्मकाल में सिंचाई सुबह अथवा शाम के समय ही करना चाहिए।
प्रश्न 12. मिट्टी के खिलौने वाले की प्रक्रिया को बताइए।
उत्तर―मिट्टी के खिलौने बनाने के लिए निम्नलिखित सामग्री का होना जरूरी है:
अखबर की रद्दी, खड़िया मिट्टी/चिकनी गीली मिट्टी, गोंद, रंगने के लिए-रंग, ब्रश।
खिलौने बनाने की प्रक्रिया मिट्टी के खिलौने बनाने के लिए अखबार की रद्दी की
हाथ से बारीक-बारीक कतरन करेंगे। इन कतरनों को 3-4 दिन के लिए पानी में गलने में
लिये रखेंगे । इन गले कागज को कपड़े के थैले में भरकर मुंगेरी से कूट लेंगे। इसके लिए
खलबट्टा का उपयोग भी कर सकते हैं।
     अब कागज की यह लुगदी बहुत महीन हो जाएगी । लुगदी के एक चौथाई भाग बराबर
खड़िया मिट्टी मिलाएंगे। साथ ही आवश्यकतानुसार गोंद मिलाकर मिश्रण को अच्छी तरह
आटे जैसा गूंथ लेंगे। अब यह मिट्टी खिलौने बनाने के लिए तैयार है । कलाकार का मन
इस लुगदी का उपयोग अपनी सृजनशीलता के विभिन्न स्तरों पर करने के लिए स्वतंत्र है।
          मिट्टी के खिलौने बनाकर इसे छाँव में सुखा गोंद ले । 3-4 दिन के पश्चात् जब यह
सूख जाये तव खड़िया मिट्टी थोड़े पानी में घोलकर इसमें थोड़ा गों भी डाल दें। पतला लेप
बनाकर ब्रश से खिलौने पर लगा दें। सूखने पर खिलौने को गमाल पेपर से रगड़कर चिकना
कर लें। इस प्रकार अपनी मनचाही आकृति के अनुसार खिलौना तैयार है । इस प्रकार अपनी
मनपसंद आकृतियों के खिलौने आसानी से तैयार किये जा सकते हैं।

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