1st Year

जिला प्राथमिक शिक्षा कार्यक्रम से आप क्या समझते हैं? विस्तृत वर्णन कीजिए | What do you mean by District Primary Education Programme

प्रश्न – जिला प्राथमिक शिक्षा कार्यक्रम से आप क्या समझते हैं? विस्तृत वर्णन कीजिए |
What do you mean by District Primary Education Programme.
उत्तर- भूमिका (Introduction)
जिला प्राथमिक शिक्षा कार्यक्रम 1994 में शिक्षा को सर्वसुलभ बनाने के उद्देश्य से शुरू किया गया। इसके अन्तर्गत जिला विशेष के अनुसार नियोजन तथा पृथक लक्ष्य निर्धारण के माध्यम से सभी को शिक्षा दिलाना, स्कूलों में बालकों को बनाए रखना, शिक्षा के स्तर में सुधार करना एवं समाज के विभिन्न वर्गों में असमानता कम करके साथ – साथ काम करना था। 2009 में इसे भी सर्व शिक्षा अभियान के साथ जोड़ दिया गया । यह कार्यक्रम शैक्षिक रूप से पिछड़े जिलों में चलाया जा रहा है। इस कार्यक्रम में दो अध्यापक प्रति विद्यालय रखने का प्रावधान किया गया जिसमें एक अध्यापक महिला भी होगी। कक्षा-कक्ष में ब्लैक बोर्ड, चार्ट, नक्शे, खिलौने तथा कार्य अनुभव के लिए संसाधन की व्यवस्था पर ध्यान दिया गया जिससे शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को प्रभावी बनाया जा सकता है।

इस कार्यक्रम में सरकार विद्यालयों के निर्माण, शिशु बाल केन्द्रों का निर्माण, जिला खण्ड स्तर केन्द्र तथा संसाधन केन्द्र शिक्षण • अधिगम साधनों के विकास के लिए सहायता प्रदान करती है । दूरवर्ती शिक्षा के माध्यम से वंचित छात्रों को शिक्षित करना इस कार्यक्रम का हिस्सा है। इस कार्यक्रम के अन्तर्गत समावेशी शिक्षा को सम्मिलित किया गया है। इस कार्यक्रम में केन्द्र सरकार द्वारा 40 करोड़ रुपए खर्च करने का प्रावधान है जिसमें 33.3% धनराशि सिविल कार्यों तथा 6% प्रबन्धन पर खर्च किए जाने का प्रावधान है। यह कार्यक्रम अनुदान पर आधारित है। अतः शेष धनराशि गुणवत्ता के विकास पर खर्च जाएगी।

जिला प्राथमिक शिक्षा कार्यक्रम को तीन चरणों में सम्पादित किया गया। प्रथम चरण में यह कार्यक्रम देश के 7 राज्यों के 42. जनपदों में संचालित किया गया। जिन राज्यों में यह संचालित किया गया वे राज्य हैं- मध्य प्रदेश, असम, हरियाणा, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु तथा केरल। जिला प्राथमिक शिक्षा कार्यक्रम (डी.पी.ई.पी.) के द्वितीय चरण में उत्तर प्रदेश तथा इस कार्यक्रम में पहले से भाग ले रहे 7 राज्यों के 50-60 जिलों में कार्यक्रम का विस्तार किया गया । इसके अतिरिक्त तीन नए राज्यों गुजरात, हिमाचल प्रदेश और उड़ीसा में भी कार्यक्रम का विस्तार किया गया। इस परियोजना कार्यक्रम में सम्मिलित राज्यों में प्राथमिक शिक्षा के सुव्यवस्थित विकास के लिए राज्य, जनपद तथा विकास खण्ड स्तर पर प्रबन्धकीय तथा व्यावसायिक क्षमता का विकास किया गया । इसके द्वारा ऐसे क्रियाकलापों पर विशेष बल दिया गया जो प्राथमिक शिक्षा तक पहुँच को सरल बनाने, ह्रास को कम करने तथा अधिगम सम्प्राप्तियों में सुधार लाने के उद्देश्य से आयोजित किए गए।

वर्ष 1997 में डी.पी.ई.पी. द्वितीय के अन्तर्गत उत्तर प्रदेश के 22 जनपदों को चिह्नित किया गया। इनका चयन राष्ट्रीय महिला साक्षरता की अपेक्षा निम्न महिला साक्षरता के आधार पर किया गया। ये जिले हैं- बरेली, सोनभद्र, ललितपुर, बलरामपुर, ज्योतिबा फूले नगर, संत कबीर नगर, रामपुर, बहराइच, बाराबंकी, श्रावस्ती, फिरोजाबाद, हरदोई, देवरिया, बस्ती, शाहजहाँपुर,

मुरादाबाद, पीलीभीत, लखीमपुर, गोण्डा, सिद्धार्थनगर, महाराजगंज, बदायूँ । प्रदेश में सभी के लिए शिक्षा परियोजना तथा डी.पी.ई.पी. द्वितीय के सकारात्मक परिणामों को देखते हुए सन् 2000 में डी.पी.ई.पी. तृतीय की शुरुआत की गई तथा इससे सम्बन्धित 32 जनपद हैं- कुशीनगर, प्रतापगढ़, हमीरपुर, महोबा, आजमगढ़, रायबरेली फैजाबाद, आगरा, बिजनौर, फतेहपुर, मुजफ्फरनगर, मथरा, एटा, झाँसी, मैनपुरी, जालौन, फरूखाबाद, कन्नौज, मऊ, मिर्जापुर सुल्तानपुर उन्नाव, अम्बेडकरनगर, बलिया, बुलन्दरशहर, गाजीपुर गाजियाबाद, मेरठ, गौतमबुद्धनगर, जौनपुर, बागपत, कानपुर देहात। डी.पी.ई.पी. योजना के अन्तर्गत तीन प्रमुख पक्षों पर विशेष बल दिया गया ।
(1) भवन तथा संस्थागत क्षमता का सुदृढीकरण ।
(2) गुणवत्ता में सुधार सम्प्राप्ति ह्रास कमी लाना।
(3) प्राथमिक शिक्षा तक पहुँच का विस्तार करना ।

जिला प्राथमिक शिक्षा कार्यक्रम के उद्देश्य (Objectives of District Primary Education Programme)

  1. प्राथमिक शिक्षा के साथ सभी छात्रों को जोड़ना (Connect All Students with Primary Education)इस कार्यक्रम के तहत जिन जिलों का चयन हुआ है वहाँ ” के सभी छात्रों को प्राथमिक शिक्षा से जोड़ने का उद्देश्य इस कार्यक्रम का है। इससे शिक्षा का प्रचार प्रसार होगा तथा अन्य छात्र प्रेरित होकर विद्यालय आएंगे।
  2. औपचारिक शिक्षा प्रदान करना (Provide Formal Education) — इस कार्यक्रम का प्रमुख उद्देश्य शिक्षा के सार्वभौमीकरण के लिए औपचारिक शिक्षा को छात्रों तक पहुँचाना है। इससे साक्षरता दर वृद्धि होगी तथा छात्रों की संख्या में वृद्धि होगी। इस कार्यक्रम के द्वारा प्राथमिक शिक्षा का विस्तार किया जाएगा ।
  3. छात्रों में लैंगिक असमानता व भेदभाव को समाप्त करना (Eradicate Gender Inequality and Discrimination Among Students ) – इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य है। छात्रों में पारस्परिक भेदभाव को समाप्त करना । इससे छात्रों में सहयोग की भावना का विकास होगा। इसके अतिरिक्त जातीय भेदभाव को समाप्त करके छात्रों को प्राथमिक स्तर तक की शिक्षा प्रदान करना भी इस कार्यक्रम का उद्देश्य है ।
  4. सभी अनुसूचित जाति व जनजाति के छात्रों को सहायक सामग्री प्रदान करना (Provide Support Material to All SC and ST Students ) – इस कार्यक्रम के अनुसार सभी अनुसूचित जाति व जनजाति के छात्रों को प्राथमिक शिक्षा निःशुल्क दी जाएगी। जिसके लिए उन्हें सहायक सामग्री, किताबें, बैग आदि भी सरकार द्वारा प्रदान की जाएंगी।
  5. जिला स्तर पर एकता को लागू करना (Implement Feeling of Unity at District Level) – इस कार्यक्रम के द्वारा छात्रों व समाज के अलग-अलग हिस्सों से निकले बच्चों में एकता का भाव उत्पन्न करना लक्षित है। सरकार जिला स्तर पर सभी के लिए एकरूपता स्थापित करती है। इस कार्यक्रम के द्वारा समाज के पिछड़े वर्गों व वंचित भाग को प्रगति के अवसर प्राप्त होंगे।
  6.  25% अधिगम क्षमताओं को बढ़ाना ( Increase 25% Learning Abilities) — छात्रों के अधिगम स्तर में कम से कम 25% वृद्धि करने के लिए प्राथमिक स्तर तक गुणात्मक शिक्षा प्रदान की जाएगी। इससे छात्रों को माध्यमिक स्तर की शिक्षा के लिए पूर्ण रूप से तैयार किया जा सकता है।
  7. प्राथमिक स्तर पर शिक्षा छोड़ चुके छात्रों की संख्या को कम करना (Minimise the Dropout Students’s Rate at Primary Level) – इस कार्यक्रम में उन छात्रों को शिक्षा से पुनः जोड़ा जाता है जो फेल होने या किसी अन्य कारण से विद्यालय छोड़ देते हैं। इससे उनके विकास में वृद्धि होगी तथा शिक्षा के प्रति रुचि बढ़ेगी।
  8. कार्यक्रम की पूर्ण सफलता (Full Success of Programme )- इस कार्यक्रम को सफलता तभी मिलेगी। जब छात्रों के जीवन का पूर्ण विकास होगा। इसके अन्तर्गत कुछ चयनित जिलों में शिक्षा का विकास किया गया। कार्यक्रम के द्वारा गुणात्मक शिक्षा में वृद्धि करके साक्षरता दर को पूर्ण करना है।
  9. सामुदायिक कार्यक्रम की भागीदारी (Participation of Community Programme ) – इस कार्यक्रम के द्वारा समाज के सभी लोग एक साथ रहते हैं। इसके अन्तर्गत ग्रामीण, सरपंच, पंच, विद्यालय के अधिकारी अपनी सफल भूमिका निभाएंगे। समाज को सम्मिलित करने से इस कार्यक्रम की सफलता सुनिश्चित किया जा सकता है।
जिला प्राथमिक शिक्षा कार्यक्रम की मुख्य विशेषताएँ 
  1. इस प्रोग्राम के तहत 1,77,000 अध्यापकों की नियुक्ति की गई।
  2. इस प्रोग्राम के अनुसार 1 लाख 60 हजार नए विद्यालय खोले गए जिसमें 83 वैकल्पिक विद्यालय एवं संस्थान हैं । इस कार्यक्रम के अन्तर्गत ब्रिज कोर्स के द्वारा 2 लाख बच्चों को शिक्षित किया गया ।
  3. इस कार्यक्रम के द्वारा 52,758 विद्यालय के भवनों का निर्माण तथा विद्यालयों के संरचनात्मक ढाँचे को विकसित किया गया। इसके अतिरिक्त 16,619 संसाधन केन्द्र शुरू किए गए। विद्यालयों में शौचालय का निर्माण तथा 29,307 कमरों की मरम्मत करायी गई ।
  4. इस कार्यक्रम के द्वारा वैकल्पिक विद्यालयों तथा शिक्षा की गारंटी के आधार पर साक्षरता अनुपात को 2001-02 में 100% तक पहुँचाया गया ।
  5. इस कार्यक्रम के द्वारा लड़कियों की संख्या में वृद्धि तथा लगभग 48-49% उपस्थिति दर्ज की गई।
  6. इस प्रोग्राम में जिला स्तर पर 3,380 संसाधन केन्द्र तथा क्लस्टर स्तर पर 29,725 केन्द्र बनाए गए जो शिक्षा के स्तर एवं अध्यापक प्रशिक्षण सुविधाओं में योगदान देते हैं।
  7. स कार्यक्रम के अन्तर्गत 4,20,203 विकलांग बच्चे सम्मिलित किए गए। इसके अतिरिक्त अलग-अलग राज्यों से 5,53,844 बच्चे शामिल किए गए जो पूर्ण रूप से स्वस्थ थे।
  8. ग्रामीण विद्यालय के व्यक्ति तथा अभिभावकों के लिए ग्राम शिक्षा कमेटी व विद्यालय प्रबन्धन समिति का निर्माण किया गया।
डी.पी.ई.पी. के उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु प्रमुख रणनीतियाँ 
  1. निचले स्तर तक योजना निर्माण एवं क्रियान्वयन में सहभागिता ।
  2. बालिका शिक्षा को विशेष महत्त्व |
  3. विद्यालय की प्रभावकारिता बढ़ाने पर बल ।
  4. वैकल्पिक शिक्षा का सुदृढ़ीकरण ।
  5. सामुदायिक सहयोग एवं समानता पर बल ।
  6. शिक्षक दक्षता में वृद्धि ।

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