1st Year

पार्श्वीकरण से सम्बन्धित मुद्दों पर जनसमूह  की अनुभूति को बदलने में मीडिया क्या भूमिका निभा सकती है? चर्चा कीजिए | Wha role can media play in changing the perceptions of masses on issues related to Marginalisation? Discuss

प्रश्न  – पार्श्वीकरण से सम्बन्धित मुद्दों पर जनसमूह  की अनुभूति को बदलने में मीडिया क्या भूमिका निभा सकती है? चर्चा कीजिए | Wha role can media play in changing the perceptions of masses on issues related to Marginalisation? Discuss.
या
सीमान्तीकरण के मुद्दों और रूढ़िवादिता से निपटने के तरीकों और धारणाओं को बनाने में मीडिया की भूमिका पर चर्चा कीजिए। Discuss the role of media in forming perceptions and ways of dealing with issues of marginalization and stereotyping.
उत्तर- मीडिया की भूमिका (Role of Media)
मीडिया देश के सामाजिक-राजनीतिक एवं आर्थिक विकास में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह गरिमा के साथ जीवन जीने के वैकल्पिक तरीकों को खोजने में सहायता करता है । मीडिया न केवल एक परिवार की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को बढ़ाने में सहायता करता है बल्कि साक्षरता दर एवं जीवन स्तर को बढ़ाने में सहायता करती है। साक्ष्य और निष्कर्ष बताते हैं कि मीडिया के कारण आयु के पुराने पारंपरिक ज्ञान एवं स्थिति में एक बदलाव हुआ है। हाल के दिनों में अधिकांश आदिवासी समस्याओं को उनकी संस्कृति के साथ संचार के उपयुक्त और प्रभावी तरीके से हल किया गया है क्योंकि यह मीडिया के जीवन का हिस्सा बन गया है। इसके बाद, मीडिया का जीवन सीमांत जनजातीय समुदायों को मुख्यधारा के समाज में सबसे आगे लाता है और उन्हें रोजमर्रा की जिंदगी में विकासात्मक प्रक्रिया की भागीदारी में सहायता करता है। व्यक्तियों के मनोभावों एवं व्यवहारों को प्रभावित करने में मीडिया महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। एक मीडिया सिद्धान्त के नजरिए से लिंग पर विचार करना जब लिंग सम्बन्धी यह प्रतिनिधित्व किया जाता है कि मीडिया क्या भेजता है तथा हमें क्या करना है? दोनों को स्वीकार करने एवं दोनों सन्देशों का अलग-अलग विरोध करना एक संयोजन का परिणाम होता है। नेतृत्व सिद्धान्तकारों का तर्क है कि मीडिया यथास्थिति का समर्थन करता है। दूसरे विचारकों का दावा है कि दर्शक केवल निष्क्रिय प्राप्तकर्ता नहीं हैं, वे पुनः व्याख्या कर सकते है कि वे सामाजिक स्थिति एवं पृष्ठभूमि के आधार पर क्या देखते हैं। प्रचलित मान्यताओं के प्रचार-प्रसार में मीडिया द्वारा निभाई गई भूमिका निम्नलिखित बातों से परिलक्षित होती है-
  1. सही सामाजिक एवं नैतिक विचारों का प्रचार- समाज में सही सामाजिक एवं नैतिक विचारों के प्रचार-प्रसार में मीडिया की भूमिका, समाज की अवधारणा एवं सामाजिक विचारों की गहराई जानने के द्वारा पूरा किया जाना चाहिए; जिससे अन्धविश्वासों की तरफ लोगों की प्रवृत्ति न हो। लोगों की क्षमता, प्रदर्शन, सामाजिक स्थिति एवं क्रियात्मक कार्यों के अनुसार सभी मीडिया समाज के अपेक्षित लक्ष्यों को प्राप्त करने एवं वांछित भूमिका को पूरा करने में सहायता कर . सकते हैं। मीडिया नए दर्शकों को आकर्षित करने के लिए समाज की सहायता से विश्वासियों के विश्वास को और गहरा करता है तथा सामाजिक एवं व्यक्तिगत जीवन के विभिन्न दृ ष्टिकोणों को प्रभावित करता है ।
  2. संवाद के लिए अवसर प्रदान करना – मास मीडिया में विशेष समूहों के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए लोगों को बातचीत के अवसर प्रदान करने चाहिए। मास मीडिया जन संचार के अवसर एवं सीमाएँ दोनों पर विचार करने की आवश्यकता प्रस्तुत करता है जब बच्चे दुरूपयोग एवं उपेक्षा के रूप में सामाजिक समस्याओं की सहायता के लिए मास मीडिया इसके उन्मूलन के लिए योजना बना रहा है। मास मीडिया की शक्ति, सार्वजनिक एजेण्डे एवं मुद्दे स्थापित करने के लिए स्थानीय प्रयासों को मजबूत करता है। मास मीडिया का प्रयोग व्यवहार एवं विश्वासों के स्थानान्तरण तथा अन्य सक्षम कारकों के अभाव में व्यवहार परिवर्तन में किया जाता है।
  3. समाज की जागरूकता में वृद्धि – मीडिया लोगों के मनोभावों एवं व्यवहारों को प्रभावित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। बाल शोषण के प्रति मीडिया लोगों का ध्यान आकर्षित करती है तथा सामाजिक जागरूकता के विकास में मीडिया महत्त्वपूर्ण भूमिका का निभाती है। मीडिया रचनात्मक कार्यों के लिए भी कैसे उपयोग की जाती है इसके प्रभाव को समझना चाहिए। मीडिया को बच्चों, युवाओं एवं उनके परिवारों के लिए कानूनी अनिवार्य उपकरण के रूप में प्रयोग किया जा सकता है। मास मीडिया शिक्षा एवं रोकथाम अभियान के अतिरिक्त समाचार फीचर लेख एवं छोटी-मोटी अन्वेषण पत्रिकाओं को प्रारम्भ कर रहा है। मीडिया शिक्षा एवं मनोरंजन जैसे प्रोग्राम टेलीविजन कार्यक्रमों, फिल्म एवं लाइव प्रस्तुतियों तथा अन्य रूपों से बच्चों में सकारात्मक दृष्टिकोण को प्रोत्साहित करता है तथा बाल शोषण को रोकने के लिए यह प्रारम्भ किया जाता है।
  4. धार्मिक विश्वासों एवं संस्थागत मानकों का मॉडल बनाना–मीडिया धार्मिक विश्वासों एवं संस्थागत मानकों का मॉडल प्रस्तुत करने में सक्रिय भूमिका निभाता है। प्रत्येक व्यक्ति यह जानता है कि मीडिया इस सम्बन्ध में महत्त्वपूर्ण सक्रिय भूमिका यह है कि मीडिया समाज एवं सरकार के जिन सांस्कृतिक उद्देश्यों एवं नीतियों की सही समझ नहीं है या धर्म एवं धार्मिक लक्ष्यों के साथ अपने सम्बन्धों में गलती करते हैं उनका रिवर्स सम्भव है। यह अपरिवर्तनीय सांस्कृतिक एवं वैचारिक संकट के लिए भी समाधान प्रस्तुत करता है।
  5. वर्तमान मुद्दों का प्रचार विश्व में बहुत लोग सोचते हैं कि मीडिया क्या है? विशेष रूप से वे क्षेत्र जिनका प्रत्यक्ष अनुभव या ज्ञान से सम्पर्क नहीं है उन दर्शकों को प्रत्यक्ष ज्ञान या अनुभव प्रदान करने में अहम् भूमिका निभाती है। मीडिया सूचनाओं का सम्प्रेषण करने में केन्द्रीय भूमिका के रूप में हैं।
लोकप्रिय संस्कृति में लिंग भूमिकाओं के सुदृढीकरण में मीडिया की भूमिका
  1. महिलाओं की परम्परागत सोच और भूमिका में परिवर्तन लाना- महिलाओं की परम्परागत भूमिकाएँ घरों तक सीमित थी और घरेलू कार्यों को ही उसके अस्तित्व के साथ जोड़कर देखा जाता रहा है। इस परम्परागत भूमिका को बदलने में प्रिंट मीडिया अपने स्तम्भों और सम्पादकीय लेखों द्वारा जागरूकता पैदा करने की कोशिश कर सकता है। आलबर्ग और जेनसन के अनुसार, “लैंगिकता को परिभाषित और निश्चित करने में मीडिया की अहम भूमिका होती है। ” According to Aalberg and Jensen, “Media is deeply implicated in the process of defining and framing gender.”.
  2. महिलाओं और पुरुषों की समस्याओं को उजागर करना- समाज के दर्पण की भूमिका निभाते हुए मीडिया महिलाओं और पुरुषों की समस्याओं को उजागर करता है। इस प्रकार समाज में होने वाली घटनाओं को अपने कवरेज में शामिल करके एवं उसको खबर बनाकर दिखाने से किसी भी घटना को समाज के परिप्रेक्ष्य में दिखाया जा सकता है। दिल्ली में ‘निर्भया काण्ड’ में मीडिया ने अहम भूमिका निभाई और महिलाओं की सुरक्षा के सवाल पर सरकार एवं समाज दोनों को कटघरे में खड़ा कर दिया। इसी प्रकार महिलाओं की शिक्षा महिलाओं की रोजगार से सम्बन्धित स्थिति एवं शोषण से सम्बन्धित घटनाओं को दिखाकर यथार्थ चित्रण करके जागरूकता फैलाने का काम मीडिया करती है।
  3. सरकार के प्रयासों की आलोचना एवं अपेक्षाओं से अवगत कराना – मीडिया, सरकार और जनता के बीच एक सेतु का काम करती है। लैंगिक असमानता या महिलाओं से भेदभाव के लिए सरकार से उनके लिए जा रहे प्रयासों को दिखाना और समाज के परिप्रेक्ष्य में महिलाओं की सोच और माँग को सरकार के सामने रखना भी मीडिया की प्रमुख भूमिका है।
  4. लैंगिक रूढ़िवादिता को समाप्त करने में अहम भूमिका- मीडिया, लैंगिक रूढ़िवादितां (Gender Stereotypes) को समाप्त करने में भी प्रमुख भूमिका निभाती है। समाज द्वारा परम्परा और मूल्यों के रूप में महिलाओं की भूमिका को परम्परागत ढाँचे में व्यवस्थित करने पर मीडिया सवाल खड़े करते रहता है और महिलाओं की स्वतंत्रता, समानता और अधिकार की माँग को समाज और सरकार के सामने रखता है। महिलाओं के समर्थन में मीडिया, नए बदलाव और आधुनिकता के दौर में महिलाओं की तर्क संगत भूमिका बनाता है और महिलाओं के परप्परागत भूमिका समाप्त करने के लिए भरसक प्रयास करता है ताकि उनकी भूमिकाओं में बदलाव लाया जा सके।
  5. विश्व स्तर पर लैंगिक भूमिका को प्रचारित करना – विश्व भर में महिलाओं की स्थिति कैसी है? विकसित देशों में महिलाओं की भूमिका और उनके जीवन शैली को मीडिया हमारे समाज में प्रवेशित करके महिलाओं को जागरूक बनाने का काम भी करती है। विश्व में महिलाएँ स्वतन्त्रता की जिस विचारधारा को अपनाती हैं उसे मीडिया अपनी खबरों के माध्यम से प्रचारित करके हमारे समाज में आधुनिकता को विकसित करता है। इसी आधुनिक विचारों के प्रवेश के कारण समाज में महिलाओं को अपनी स्थिति का अहसास होता है और अपनी भूमिका को लेकर चिन्तित होने लगती हैं और इसमें परिवर्तन लाने का प्रयास करने लगती है ।
  6. नई पीढ़ी के विचारों में परिवर्तन लाना- नई पीढ़ी के विचारों में परिवर्तन करने में मीडिया की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। लैंगिक रूढ़िवादिता को यदि बार-बार दिखाया जाए तो नई पीढ़ी भी उसी भूमिका को स्वीकार करने लगती है लेकिन इस लैंगिक रूढ़िवादिता के विरुद्ध वाली भूमिकाओं को दिखाया जाए तो नई पीढ़ी की मानसिकता को बदला जा सकता है। यदि मीडिया में रूढ़िवादी भूमिका ही दिखाई जाए तो इससे लैंगिक भूमिकाएँ सीमित हो जाती हैं क्योंकि यह उनके लिए अवसरों को सीमित करता है। इससे महिलाओं के स्वाभिमान को भी ठेस पहुँचती है। शम (Shrum) के अनुसार, “टेलीविजन देखने से देखने वालों की अभिवृत्ति में अन्तर आ जाता है।” यदि टेलीविजन में विकासशील नारी की भूमिकाएँ दिखाई जाएंगी तो महिलाओं और पुरुषों की मानसिकता सकारात्मक रूप से प्रभावित होती है। बदलाव वाली भूमिकाओं से संज्ञानात्मक स्तर पर बदलाव आ जाता है। बेहम (Behum) आदि ने अपने निष्कर्ष में यह बताया है कि “कॉलेज जाने वाले किशोर नए जमाने की फिल्मों को देखने के बाद रूढ़िवादी भूमिकाओं को अस्वीकार करके स्त्री-पुरुष के सम्बन्धों को अलग तरीके से देखने लगते हैं। “
  7. अन्य भूमिकाएँ (Other Roles) – जनसंचार माध्यम से महिलाओं के सकारात्मक छवि को प्रस्तुत करके लिंग भूमिकाओं के सुदृढ़ीकरण करने में मीडिया महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन कर रहा है।
    1. महिलाओं को केवल लैंगिक वस्तु के रूप में माना जाता था परन्तु मीडिया के द्वारा उनकी भूमिका को सक्रिय कार्यकर्ता एवं नेतृत्वकर्ता के रूप में प्रदर्शित करके लिंग भूमिकाओं का सुदृढ़ीकरण किया जा रहा है।
    2. समाज द्वारा महिलाओं को गौड़ स्थान प्राप्त था लेकिन विभिन्न प्रकार के जनसंचार के माध्यमों द्वारा महिलाओं को मुख्य पात्र के रूप में दिखाया जाता है जिससे समाज पर भी इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ा । इस प्रकार लैंगिक सुदृढ़ीकरण में मीडिया की मुख्य भूमिका है।
    3. समाज में पुरुषों एवं स्त्रियों के व्यावसायिक स्थिति में स्पष्ट रूप से असमानता हैं इसे कम करने के लिए मीडिया अपने कार्यक्रमों, पत्र-पत्रिकाओं आदि में महिला-पुरुषों समान अधिकारों एवं समान व्यवसाय चयन करने की स्वतंत्रता को प्रदर्शित करता है। इसके परिणामस्वरूप समाज में समान व्यावसायिक स्थिति उत्पन्न हो रही है । इस प्रकार मीडिया व्यवसाय के क्षेत्र में समानता लाने के लिए तथा लैंगिक भूमिका को सुदृढ़ करने के लिए महत्त्वपूर्ण भूमिका प्रस्तुत कर रहा है।
    4. प्राचीनकाल में स्त्रियों को अबला कहकर कमजोर प्राणी के रूप में समझा जाता था वह पिता पति परिवार पर आश्रित रहने वाली माना जाता था परन्तु वर्तमान समय में मीडिया के प्रचार-प्रसार द्वारा एवं अनेक कार्यक्रमों द्वारा महिलाओं को पॉयलेट, डॉक्टर, वकील, इंजीनियर, सिविल आदि उच्च पदों पर दिखाकर महिलाओं में शक्ति, उत्साह एवं बुद्धि का संचार किया जा रहा है जिसके परिणाम स्वरूप महिलाएँ सशक्त होकर उच्च पदों पर अपनी पहचान बना रही हैं। इस प्रकार लिंग भूमिका को सुदृढ़ करने में मीडिया की महत्त्वपूर्ण भूमिका है।
    5. अन्तर्राष्ट्रीय खेलों, राष्ट्रमण्डल एवं एशियाई खेलों में पुरुषों के समान महिलाओं के पदकों का उत्साहपूर्वक अर्जन समाचार पत्रों, रेडियो, टीवी, एवं इंटरनेट आदि के द्वारा प्रस्तुत करके गरीब, अशिक्षित एवं सामाजिक रूप से पिछड़ी महिलाओं को आगे बढ़ने के लिए मीडिया प्रोत्साहित कर रहा है।
    6. लिंग भूमिकाओं को सुदृढ़ करने के लिए विज्ञापनों का उपयोग किया जा रहा है। समाज में फैली हुई लैंगिक रुढ़िबद्धता को कम करने के लिए मीडिया अपने कार्यक्रमों के द्वारा महिला पुरुषों में समानता लाने का भरसक प्रयास कर रही है ।
    7. वर्तमान समय में मीडिया के द्वारा महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है ताकि समाज में समानता की भावना व्याप्त हो । इस प्रकार मीडिया का लिंग भूमिका के सुदृढ़ींकरण में महत्त्वपूर्ण भूमिका है।
    8. जनसंचार माध्यमों के द्वारा महिलाओं एवं पुरुषों की जिस प्रकार की भूमिका व्यक्त की जा रही है उससे समाज भी प्रभावित हो रहा है तथा महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा भी मिल रहा है।
    9. पुरुषों को मीडिया के द्वारा यह बताने का प्रयास किया जा रहा है कि महिलाएँ केवल भोग की वस्तु नहीं हैं वह किसी की बहन, किसी की बेटी तथा किसी की माँ होती हैं अतः स्त्री-पुरुषों को मिलकर सहयोगात्मक रूप से दायित्वों का निर्वहन करना चाहिए। इस प्रकार मीडिया लिंग भूमिका को सुदृढ़ करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका है।

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