ScienceVVI

रासायनिक बंधन किसे कहते हैं | रासायनिक बंधन कितने प्रकार के होते हैं

रासायनिक बंधन किसे कहते हैं | रासायनिक बंधन कितने प्रकार के होते हैं

किसी अणु में दो या दो से अधिक परमाणु जिस बल के द्वारा एक दूसरे से बंधे होते हैं उसे रासायनिक बन्ध (केमिकल बॉण्ड) कहते हैं। ये आबन्ध रासायनिक संयोग के बाद बनते हैं तथा परमाणु अपने से सबसे पास वाली निष्क्रिय गैस का इलेक्ट्रान विन्यास प्राप्त कर लेते हैं।

रासायनिक बंधन
◆ परमाणु स्थायी संरचना प्राप्त करने के लिए रासायनिक बंधन (Chemical Bonding) बनाते हैं।
◆ रासायनिक बंधन तीन प्रकार के होते हैं- 1. वैद्युत संयोजी बंधन 2. सहसंयोजी बंधन और 3. उप-सहसंयोजी बंधन। इनके अतिरिक्त ये हाइड्रोजन बंधन भी बनाते हैं।
1. वैद्युत संयोजी बंधन (Electrovalent Bond)
◆ परमाणुओं के मध्य इलेक्ट्रॉनों के स्थानांतरण से जो बंधन बनते हैं, उन्हें वैद्युत संयोजी बंधन या आयनिक (Ionic) बंधन कहते हैं।
◆ जब कोई धातु, किसी अधातु के साथ संयोग करती है, तो उनके मध्य साधारणतः वैद्युत संयोजी बंधन बनता है।
वैद्युत संयोजी/आयनिक बंधन के गुण
(i) आयनिक यौगिक ध्रुवीय घोल में प्रायः घुलनशील होती है। (वह घोलक जिनका परावैद्युत स्थिरांक उच्च होता है ध्रुवीय घोलक कहलाता है, जैसे जल)।
(ii) द्रवणांक एवं क्वथनांक (Melting and Boiling Point) उच्च होते हैं।
(iii) जलीय घोल विद्युत का सुचालक होता है।
(iv) आयनन की मात्रा प्रायः उच्च होती है।
नोट : जालक ऊर्जा : किसी रवा (Crystal) के आयनों को एक-दूसरे से अनंत दूरी तक अलग करने के लिए आवश्यक ऊर्जा को जालक ऊर्जा कहते हैं।
2. सहसंयोजी बंधन (Covalent Bond)
◆ परमाणुओं के मध्य इलेक्ट्रॉन युग्मों की साझेदारी से जो बंधन बनते हैं, उन्हें सहसंयोजी बंधन कहते हैं।
◆ जब दो ऋण विद्युती तत्त्वों (अधातुओं) के परमाणु परस्पर संयोग करते हैं, तो उनके मध्य सहसंयोजी बंधन बनते हैं।
उदाहरणत: HCI, H2O , NH2 , आदि।
◆ जब दो ऋण विद्युती तत्त्व (अधातु) के दो या अधिक परमाणु परस्पर संयोग करते हैं तो उनके मध्य सहसंयोजी बंधन बनते हैं। उदाहरणतः H2 , N2 , O2 , CI2 , आदि।
सहसंयोजी बंधन के प्रकार
(i) एकल बंधन (एक इलेक्ट्रॉन युग्म के साझेदार)
(ii) युग्म बंधन (दो इलेक्ट्रॉन युग्म के साझेदार)
(iii) त्रिक बंधन (तीन इलेक्ट्रॉन युग्म के साझेदार)
सहसंयोजी यौगिक के गुण
(i) सहसंयोजी बंधन दृढ़ (Rigid) और दिशात्मक (Directional) होता है। अतः वे विभिन्न स्थानिक अवस्था (Spatial Arrangement) में रहते हैं, तथा त्रिविम समावयता (Stereo Isomerism) प्रदर्शित करते हैं।
(ii) सहसंयोजी यौगिक आणविक रूप में रहते हैं, न कि आयनिक रूप में। इस कारण ये घोल को अवस्था में विद्युत के कुचालक होते हैं।
(iii) ताप, दाब की सामान्य अवस्था में प्रायः गैस, वाष्पशील द्रव एवं मुलायम ठोस पदार्थ होते हैं।
(iv) इनका द्रवणांक एवं क्वथनांक (Melting and Boiling Point) निम्न होता है।
(v) ध्रुवीय घोलकों में प्रायः अघुलनशील किन्तु अध्रुवीय घोलकों में प्रायः घुलनशील होता है।
3. उप-सहसंयोजी बंधन (Co-ordinate Bond)
◆  उप-सहसंयोजी बंधन एक विशेष प्रकार का सहसंयोजी बंधन है, जिसमें दो परमाणु परस्पर साझे के एक इलेक्ट्रॉन युग्म द्वारा बंधे रहते हैं, परन्तु साझे का इलेक्ट्रॉन युग्म केवल एक परमाणु द्वारा दिया जाता है, जो परमाणु साझे के लिए इलेक्ट्रॉन युग्म देता है उसे दाता परमाणु कहते हैं तथा जो परमाणु इलेक्ट्रॉन युग्म ग्रहण करता है, उसे ग्राही परमाणु कहते हैं।
◆ इलेक्ट्रॉन युग्म दाता : वह परमाणु, आयन या अणु जिसके पास एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म होता है, इलेक्ट्रॉन युग्म दाता का कार्य करता है।
◆ इलेक्ट्रॉन युग्म ग्राही : वह अणु, जिसमें केन्द्रीय परमाणु को अपने संयोजी कोश में 8 इलेक्ट्रॉन पूरे करने के लिए एक या अधिक इलेक्ट्रॉन युग्मों की आवश्यकता होती है, इलेक्ट्रॉन युग्म ग्राही का कार्य करता है।
हाइड्रोजन बंधन (Hydrogen Bond)
◆ यह एक प्रबल ऋण विद्युती परमाणु A से सहसंयोजक बंधन द्वारा जुड़े हाइड्रोजन परमाणु में दूसरे प्रबल ऋण विद्युती परमाणु B के साथ एक अपेक्षाकृत क्षीण बंधन बनाने की प्रवृत्ति होती है। यह अपेक्षाकृत क्षीण बंधन होता है, जो एक ऋण विद्युती परमाणु A से जुड़ा हाइड्रोजन परमाणु दूसरे ऋण विद्युती परमाणु B के साथ बनाता है, हाइड्रोजन बंधन कहलाता है। यह दो प्रकार के होते हैं-
(i) अंतराअणुक हाइड्रोजन बंधन (उदाहरणत: H2O अणु आदि)
(ii) अंतः अणुक हाइड्रोजन बंधन (उदाहरणतः 0 नाइट्रो फिनोल आदि।)
◆ हाइड्रोजन बंधन एक कमजोर स्थिर वैद्युत आकर्षण बल है, जो सहसंयोजक बंधन से कमजोर होता है।
◆ हाइड्रोजन बंधन सिर्फ क्लोरीन, ऑक्सीजन एवं नाइट्रोजन के यौगिकों में ही पाया जाता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *