1st Year

लेखन कौशल की विशेषताएँ, उद्देश्य, उपयोगिता, आवश्यकता एवं महत्त्व की विवेचना कीजिए । (Describe the Characteristics, Objectives, Utility, Need and Importance of Writing Skill.)

प्रश्न  – लेखन कौशल की विशेषताएँ, उद्देश्य, उपयोगिता, आवश्यकता एवं महत्त्व की विवेचना कीजिए ।
(Describe the Characteristics, Objectives, Utility, Need and Importance of Writing Skill.)
उत्तर –  लेखन कौशल की विशेषताएँ (Characteristics of Writing Skill)
  1. लेखन के अन्तर्गत जो कुछ भी लिखा जाए, वह सुन्दर एवं आकर्षक होना ।
  2. लेखन में सभी अक्षर सुडौल एवं सानुपात होने चाहिए।
  3. लिखी गई विषय वस्तु पठनीय होनी चाहिए।
  4. अक्षरों का झुकाव दाहिनी ओर अथवा बायीं ओर नहीं होता, बिल्कुल सीखा लिखा जाना चाहिए।
  5. पंक्तियाँ टेढ़ी न होकर सीधी हो ।
  6. समान रूपों वाले अक्षर जैसे- म एवं य, भ एवं म, ध और घ सुपाठ्य लिखे जाने चाहिए।
  7. दो शब्दों के मध्य, दो पंक्तियों के मध्य एवं अनुच्छेदों के मध्य अन्तर होना चाहिए।.
लेखन कौशल के उद्देश्य (Objectives of Writing Skill) 
  1. स्पष्ट एवं साफ-साफ लिखने की आदत विकसित करना ।
  2. छात्रों में सावधानीपूर्वक लिखने की आदत विकसित करना ।
  3. छात्रों को वर्णों की ठीक-ठीक बनावट में लिखना सिखाना।
  4. छात्रों को सुन्दर व सुडौल लेख का अभ्यास कराना।
  5. छात्रों को शुद्ध अक्षर विन्यास का ज्ञान प्रदान करना ।
  6. छात्रों को शुद्ध वाक्य-रचना के नियमों से परिचित कराना।
  7. छात्रों को भाषा में प्रयुक्त शब्द, सूक्ति, मुहावरे एवं लोकोक्तियों को उचित एवं प्रसंगानुकूल प्रयोग करना सिखाना।
  8. छात्रों को विराम चिह्नों का सही-सही प्रयोग करना सिखाना।
  9. छात्रों को विषयानुसार भाषा शैली का प्रयोग करना सिखाना ।
  10. छात्रों में अपने अनुभवों व विचारों को लिखकर अभिव्यक्त करने की योग्यता विकसित करना।
  11. छात्रों को अपने विचारों को तार्किक एवं क्रमबद्ध रूप में प्रकट करना सिखाना।
  12. छात्रों को उचित अनुच्छेदों में विभाजित कर विचारों को अभिव्यक्त करना सिखाना।
  13. छात्रों की सृजनात्मक अभिक्षमता को विकसित कर उन्हें मौलिक रचना के योग्य बनाना।
  14. छात्रों में साहित्य के प्रति रुचि जाग्रत करना ।
  15. छात्रों में लिखित भाषा के माध्यम से ही लेखन कौशल का विकास करना ।
लेखन कौशल की आवश्यकता एवं महत्त्व (Need and Importance of Writing Skill)
  1. विचारों को सुरक्षित रखने के लिए लिखित अभियोग्यता की आवश्यकता है। लिखकर हम अपने विचारों को सदियों के लिए स्थायित्व प्रदान कर सकते हैं।
  2. दैनिक जीवन का विवरण रखने, घर का दैनिक हिसाब-किताब रखने के लिए लिखित भाषा का प्रयोग करना पड़ता है।
  3. हमारे देश की शिक्षा प्रणाली की प्रमुख विशेषता परीक्षा है। छात्रों की शैक्षिक उपलब्धि जानने के लिए अर्थात् मूल्यांकन करने के लिए मौखिक परीक्षा के साथ-साथ लिखित परीक्षा पर निर्भर रहना पड़ता है। अतः इसके बिना शिक्षा प्रणाली की कल्पना भी नही की जा सकती है।
  4. लिखित भाषा ही साहित्य के भंडार में वृद्धि करती है यदि लिपि न होती तो साहित्य भी नहीं होता।
  5. व्यावसायिक एवं औद्योगिक प्रगति का आधार भी लिखित भाषा है। मौखिक रूप से कार्य व्यवसाय में सफलता प्राप्त नही की जा सकती है। प्रत्येक व्यवसाय में तरह-तरह के रिकॉर्ड आदि लिखकर रखने पड़ते हैं ।
  6. सभी सरकारी कार्यालयों में लिखित भाषा का प्रयोग किया जाता है। कार्यालयों तथा न्यायालयों के रिकॉर्ड, निर्णय, नीतियाँ तथा नियम लिखित भाषा में होते हैं ।
  7. आधुनिक युग में ज्ञान का आदान-प्रदान चल रहा है। महाविद्यालयों में पाठ्यक्रम की पुस्तके निर्धारित की जाती है। पाठ्य-वस्तु को पढ़ने के लिए विद्यार्थी को सामग्री, इकट्ठी करनी पड़ती है और नोट्स बनाने पड़ते है इसलिए लिखित भाषा का ज्ञान विद्यार्थियों के लिए अनिवार्य है।
  8. जीवन के ऐसे बहुत से क्षेत्र हैं जहाँ मात्र मौखिक अभिव्यक्ति से काम नहीं चल सकता ऐसे क्षेत्रों में लिखित अभिव्यक्ति का ही सहारा लेना पड़ता है।
  9. भाषा के मुख्य दो रूप हैं- मौखिक एवं लिखित । अतः भाषा पर अधिकार की दृष्टि से दोनों रूपों की शिक्षा अनिवार्य है।
  10. लिखित भाषा से ही साहित्यिक ज्ञान के भण्डार में वृद्धि होती है। लेखन कौशल नहीं होता तो नए साहित्य एवं नवीन रचनाओं का होना सम्भव नहीं हो सकता था।
लेखन कौशल की उपयोगिता (Utility of Writing Skills)
उपयोगिता की दृष्टि से मानव अपने अनुभवों और कल्पनाशक्ति के भण्डार को लिखित अभिव्यक्ति द्वारा चिरकाल से संचित करता आ रहा है तथा संचालित लेखों के द्वारा विभिन्न अनुभवों से लाभ उठा रहा है। आज हम विभिन्न महाकाव्यों, नाटकों, कहानियों या महापुरुषों की उपदेशात्मक बातों से उनके लेखों के द्वारा ही लाभ उठा रहे हैं। साहित्य के अभाव में मनुष्य का जीवन पशुवत् हो जाता, वह केवल खाता और सोता है। लिखित अभिव्यक्ति के लिए चार बिन्दु हैं-
  1. सुस्पष्टता,
  2. शुद्धता,
  3. क्रमबद्धता एवं
  4. सुसम्बद्धता।
लेखन कौशल को विकसित करने वाले निम्न गुणों के द्वारा उसकी उपयोगिता और भी बढ़ जाती है –
  1. सुलेख में गतिपूर्वक शुद्ध वर्तनी तथा उचित विराम चिह्नों का प्रयोग करते हुए लिखना।
  2. सरल कहानी, घटनाओं, दृश्यों आदि का लिखित वर्णन करना ।
  3. कल्पना के आधार पर कहानी, संवाद या कविताएँ लिखना।
  4. विशिष्ट शब्दों, मुहावरों, लोकोक्तियों के द्वारा लिखित भाषा को प्रभावशाली बनाना।
  5. विभिन्न विषयों पर लघु निबन्ध का लेखन ।
  6. विराम-चिह्नों का यथोचित प्रयोग करना ।
  7. क्रमबद्धता बनाए रखना ।
  8. सुसम्बद्धता बनाए रखना ।
  9. भाषा की दृष्टि से अभिव्यक्ति में संक्षिप्तता लाना।
  10. अनुलेख, अतिलेख तथा श्रुतलेख लिख सकना ।
  11. सुपाठ्य लेख लिखना।
  12. लेखन कार्य को यथोचित अनुच्छेदानुसार लिखना।

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