1st Year

विद्यालयी विषय से आप क्या समझते हैं? विद्यालयी विषयों की आवश्यकता और महत्त्व पर प्रकाश डालिए । What do you mean by School Subject? Describe the characteristics, need and Importance of School Subject?

प्रश्न  – विद्यालयी विषय से आप क्या समझते हैं? विद्यालयी विषयों की आवश्यकता और महत्त्व पर प्रकाश डालिए । What do you mean by School Subject? Describe the characteristics, need and Importance of School Subject?
या
विद्यालयी विषयों से आप क्या समझते हैं? विद्यालयी विषयों की प्रकृति एवं विशेषताओं का वर्णन करें। What do you mean by School Subject? Explain the nature and characteristics of School Subject.
उत्तर- विषय की अवधारणा (Concept of Subject)
विषय से अभिप्राय ज्ञान की उस शाखा से है जिसका अध्ययन अथवा अध्यापन किया जाता है। विद्यालय में छात्र विभिन्न विषयों, जैसे- विज्ञान, गणित, अर्थशास्त्र, इतिहास, नागरिकशास्त्र एवं भाषा इत्यादि का शिक्षण एवं अधिगम करता है। ज्ञान की शाखा के रूप में विषय शिक्षा के उद्देश्यों के अनुसार व्यवस्थित किए जाते हैं।
‘विषय’ शब्द को अन्य अर्थों में भी प्रयुक्त किया जाता है यह कौन, क्या क्रिया कर रहा है ये भी बताता है, जैसे-
  1. मैं टेनिस खेलता हूँ। इस वाक्य में ‘मैं’ विषय है।
  2. शाही अथवा राजतन्त्र में राज्य के सदस्यों के सम्बोधन में प्रयोग जैसे- राजा अपनी प्रजा (Subject) को सम्बोधित करता है।

इस वाक्य में प्रजा शब्द अंग्रेजी के ‘Subject’ शब्द का हिन्दी रूपान्तरण है।

विद्यालयी विषय की प्रकृति एवं विशेषताएँ Characteristics of School Subject)
विद्यालयी विषय का तात्पर्य उन परम्परागत शैक्षणिक विषयों से है जिन्हें विद्यालय में पढ़ाया जाता है। जैसे- गणित, विज्ञान, इतिहास, भूगोल, रसायन विज्ञान आदि। एक विद्यालयी विषय का गठन इस प्रकार से किया जाता है जिससे वह पाठ्यचर्या सामग्री, शिक्षण एवं अधिगम की सुनियोजित संरचना तैयार करने में सहायता प्रदान कर सके। एक विद्यालयी विषय का विद्यालयी पाठ्यचर्या के अन्तर्गत इस प्रकार गठन किया जाता है कि वे संस्थान में ज्ञान के क्षेत्र, अभ्यास एवं शिक्षण-अधिगम को परिभाषित कर सके। आजकल कुछ नए अपरम्परागत विषयों का समावेश विद्यालयी विषयों के रूप में हुआ है। जैसेपर्यटन एवं अतिथि सत्कार। शैक्षणिक विद्यालयी विषय (जैसेगणित, रसायन विज्ञान, भूगोल, इतिहास एवं वाणिज्य आदि) को अनिवार्य रूप से छात्रों को पढ़ाया जाता है। इन विषयों को शिक्षक द्वारा कक्षा शिक्षण के समय छात्रों के सम्मुख उचित रूप से प्रस्तुत करना होता है जिससे कक्षा में शिक्षण अधिगम प्रक्रिया प्रभावशाली रूप में सम्पन्न हो सके।

विद्यालय में बच्चे गणित, विज्ञान, भाषा, इतिहास, धर्म, संगीत, कला, नृत्य, स्वास्थ्य जैसे कई विषयों को सीखत हैं। ये विषय ज्ञान की शाखाएँ हैं, जिन्हें अक्सर शिक्षा के लक्ष्यों को पूर्ण करने के लिए समायोजित किया जाता है। विद्यालयी विषय पाठ्यचर्या के अनुरूप ज्ञान के अधिगम का एक क्षेत्र है जो शिक्षण-अधिगम द्वारा व्यवहार में लाया जाता है। विद्यालय विषय, ज्ञान का एक क्षेत्र है जिसका विद्यालय में अध्ययन करते हैं। विद्यालयी विषय पारम्परिक शैक्षिक विषय हो सकते हैं, जैसे- गणित, इतिहास, भूगोल, रसायन विज्ञान और अर्थशास्त्र जिनका अपन मूल शैक्षिक विषय से सीधा सम्बन्ध है। कुछ अपरम्परागत विद्यालयी विषय, जैसे- पर्यटन और खातिरदारी, शैक्षिक विषयों से कम सम्बन्ध रखते है। विद्यालयी विषय शैक्षिक उददेश्यों के लिए, विशिष्ट, साददश्य निर्मित उद्यमी तथा विभिन्न सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक माँग तथा चुनौतियों की प्रतिक्रिया के फलस्वरूप बनता है।

कारमन के अनुसार, एक विद्यालयी विषय एक संगठनात्मक ढांचे का गठन करता है जो कि पाठ्यचर्या, विषय सूची, अध्यापन और सीखने की गतिविधियों को अर्थ तथा आकार देती है।

ब्रिटानिका एनसाइक्लोपीडिया के अनुसार, स्कूल विषय को ‘ज्ञान का एक क्षेत्र, जिसे स्कूल में पढाया जाता परिभाषित किया गया है।”

डेंग और ल्यूक (2008) के अनुसार, स्कूल विषय सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक एवं शैक्षिक वास्तविकताओं तथा आवश्यकताओं के जवाब में मानव निर्माण है। ये विशिष्ट उद्देश्यों के लिए शैक्षिक कल्पना के साथ तैयार किए गए शैक्षिक उद्यम हैं।

विद्यालयी विषय की प्रकृति एवं विशेषताएँ (Nature and Characteristics of School Subject)
  1. कक्षा-कक्ष शिक्षण का सुनिश्चयन- शैक्षणिक विषयों की विषय वस्तु की आवश्यकता शिक्षण में एक पथ के रूप में होता हैं। यह कक्षा-कक्ष शिक्षण को सुनिश्चित करता है।
  2. ज्ञान एवं कौशल के स्थानान्तरण- इसके निर्माण में विषय-वस्तु के ज्ञान के चयन एवं संगठन को सम्मिलित किया जाता है। विद्यालयी विषय का उपयोग कक्षा-कक्ष में ज्ञान एवं कौशल के स्थानान्तरण के लिए किया जाता है।
  3. अपेक्षाओं एवं क्रियाओं का महत्त्व – विद्यालयी विषय का निर्माण समाज की अपेक्षाओं एवं शिक्षण की क्रियाओं के अनुसार होता है।
  4. पाठ्यचर्या प्रारूप निर्माण में सहायक- यह अधिगम क्रियाओं, शिक्षण, विषय-वस्तु एवं पाठ्यचर्या का आकार संगठन एवं अर्थ के प्रारूप का निर्माण करता है ।
  5. लक्ष्यों की पूर्ति – विद्यालयी विषय विभिन्न उपक्रमों के उद्देश्यों का निर्माण करता है। यह विभिन्न सामाजिक, सांस्कृतिक एवं राजनैतिक शिक्षा के लक्ष्यों हेतु माँग एवं चुनौती होती है।
  6. अध्ययन की एक प्रक्रिया – प्रत्येक विषय के अध्ययन की एक प्रक्रिया होती है। उसी के अनुसार शिक्षक अपनी शिक्षण प्रक्रिया तथा छात्र अपनी अधिगम प्रक्रिया का संचालन करता है ।
विद्यालयी विषयों की आवश्यकता और महत्त्व
  1. ज्ञान और कक्षा अध्यापन के बीच के लिंक की जाँच के लिए विद्यालयी विषय का अध्ययन करना आवश्यक है।
  2. विद्यालयी विषयों को अब सांस्कृतिक और ऐतिहासिक घटना के रूप में माना जा रहा है, इसलिए उनके बारे में अध्ययन करना जरूरी है।
  3. विद्यालयी विषयों का अध्ययन करने के लिए एक महत्त्वपूर्ण कारण यह है कि वे स्कूल के ज्ञान और प्रथाओं की एक स्पष्ट तस्वीर प्रदर्शित करते हैं ।
  4. विद्यालयी विषयों का अध्ययन इस प्रकार सामग्री के सिद्धान्त’ की समझ को समझता है जो कि सामग्री में सन्निहित शैक्षिक क्षमता को प्रकट करने के लिए महत्त्वपूर्ण है।
  5. विद्यालयी विषयों का उद्देश्य शैक्षणिक संस्कृति को बनाए रखना और छात्रों की बौद्धिक क्षमता विकसित करना है। भविष्य के नागरिकों को आवश्यक ज्ञान, कौशल और पूँजी के साथ लैस करके आर्थिक और सामाजिक उत्पादकता को बनाए रखने और बढ़ाने के प्राथमिक उद्देश्य के लिए स्कूल विषय तैयार किए गए हैं।
  6. विद्यालय के छात्रों को सार्थक सीखने के अनुभव प्रदान करने वाले छात्रों को मुहैया कराने के लिए और सामाजिक गतिविधि का कारण बनना आवश्यक है।
  7. विद्यालयी विषय निर्माण के लिए अनुमति दी जाती है और आगे के अनुभव वाले छात्रों को प्रदान करते हैं जो उनके बौद्धिक विकास में योगदान करते हैं। स्कूल पाठ्यक्रम एक स्कूल विषय के निर्माण के लिए एक शिक्षार्थी-उन्मुख दृ ष्टिकोण को प्रोत्साहित करता है जो छात्रों को अध्ययन के अपने चुने हुए क्षेत्रों में उनकी आवश्यकताओं और रुचियों के अनुसार जानने की अनुमति देता है। वैश्वीकरण और ज्ञान-आधारित अर्थव्यवस्था की चुनौतियों का सामना करने के लिए विद्यालयी विषय छात्रों को सामान्य कौशल और सीखने की क्षमता से परिपूर्ण करते हैं।
  8. विद्यालयी विषय छात्रों को उनके दृष्टिकोणों को व्यापक बनाने, उनकी सामाजिक जागरूकता बढ़ाने, सकारात्मक व्यवहार और मूल्यों को विकसित करने और समस्या को सुलझाने और महत्त्वपूर्ण सोच कौशल विकसित करने का मार्ग प्रशस्त करता है। इस प्रकार, विद्यालय के विषयों का अध्ययन छात्रों के लिए एक विस्तृत क्षितिज प्रदान करने के लिए प्रबुद्धता के लिए अग्रणी नए गलियारों का निर्माण और पता लगाने के लिए खड़ा है।
  9. शिक्षकों को स्कूल विषय जानने के लिए उन्हें ‘कंटेंट ऑफ थिअरी- पता होना चाहिए कि किस प्रकार सामग्री का चयन किया गया है, किस प्रकार पाठ्यक्रम के रूप में तैयार किया गया है और इसे कैसे बदला जा सकता है ताकि शिक्षार्थियों के अपने ज्ञान का निर्माण किया जा सके।
  10. विद्यालयी विषयों का अध्ययन करने से हमें यह विश्लेषण करने में मदद मिलती है कि किसी राष्ट्र के समाज, संस्कृति और मूल्यों से स्कूल विषय कैसे प्रभावित होता है ।

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