समूह–अधिगम से आप क्या समझते हैं? इसके गण दोषों की व्याख्या कीजिए । What do you understand by group learning? Explain it merits and demerits?
बासकिन (1961) ने कहा है कि समूह कार्य में छात्र स्वयं अध्ययन- अथवा छोटे-छोटे समूह में कार्य करते हैं। इसमें शिक्षक को उपस्थित रहने की आवश्यकता नहीं होती है। इसमें कक्षा शिक्षण की भाँति नियमित कार्यक्रम का अनुसरण नहीं किया जा सकता है। शिक्षक छात्रों को कार्य बता देते हैं। छात्र अपने कार्य या अध्ययन की रूपरेखा स्वयं बनाते हैं तथा स्वयं ही उनका संचालन करते हैं। शिक्षक का कार्य एक सलाहकार एवं निर्देशक के रूप में होता है। इस शिक्षण आव्यूह रचना में छात्र कार्य या अध्ययन को आपस में सहयोग, विचार विमर्श आलोचना तथा सुधार के द्वारा पूरा करते हैं। इस प्रकार छात्र अपने कार्यों को समूह में मिल-जुल कर करते हैं। इस छात्र केन्द्रित विधि में शिक्षक छात्रों में इतनी क्षमता पैदा करने का प्रयास करता है कि वे स्वतन्त्र रूप से समूह में एक दूसरे का सहयोग लेकर कार्य को भली-भाँति सम्पन्न कर सकें।
- छात्र अपने कार्य को पूर्ण करने के लिए बिल्कुल स्वतन्त्र रहते हैं।
- आपसी सहयोग से कार्य पूरा किया जाता हैं इसमें छात्र में सहयोग की भावना का जन्म होता है।
- छात्र समूह में बिल्कुल स्वतन्त्र रहकर कार्य करते हैं। जिससे वे विचारों को बिना किसी भय के रख सकते हैं जिससे कार्य भली-भाँति सम्पन्न किया जा सकता है।
- छात्र का बौद्धिक व सामाजिक विकास होता है।
- छात्र चिन्ता व दबाव मुक्त रहते हैं।
- छात्रों में टीम भावना पैदा होती है।
- इससे व्यक्तिगत शीलगुण, मूल्यों तथा ज्ञानात्मक योग्यताओं का विकास होता है।
- इसके प्रयोग से छात्र में आत्मविश्वास की वृद्धि होती है।
- इसमें स्वयं को तथा दूसरों को समझने का अवसर मिलता है।
- शिक्षक की उपस्थिति के बिना छात्र कार्य या अध्ययन को उतनी सफलतापूर्वक पूर्ण नहीं कर पाते हैं। जितना शिक्षक की उपस्थिति में कर सकते हैं ।
- समूह को अधिक स्वतन्त्रता देने से या बिल्कुल स्वतन्त्र छोड़ देने से त्रुटियाँ करने की सम्भावना में वृद्धि होती हैं ।
