हस्तलेखन दोष के कारण एवं निवारण लिखिए । Write Causes and Prevention of handwriting Defects.
प्रश्न – हस्तलेखन दोष के कारण एवं निवारण लिखिए । Write Causes and Prevention of handwriting Defects.
उत्तर – हस्तलेखन दोष के कारण
- लेखन करते समय छात्र शब्दों के बीच की दूरी का ध्यान नहीं देते हैं। असमान दूरी के कारण लेखन प्रभावहीन हो जाता है।
- अक्षरों का विकृत आकार भी लेखन दोष का प्रमुख कारण है। किसी अक्षर को छोटा तथा किसी अक्षर को बड़ा बना देने पर लेखन विकृत हो जाता है।
- लेखन करते समय छात्र शिरोरेखा की उपेक्षा करते हैं जो लेखन दोष का प्रमुख कारण है।
- विराम चिह्नों के ज्ञान के अभाव के कारण भी लेखन दोष उत्पन्न हो जाता है ।
- अनुस्वारों का प्रयोग भी छात्र अज्ञानता के कारण त्रुटिपूर्ण ढंग से करते हैं जिससे अर्थ का अनर्थ हो जाता है तथा लेखन दोष उत्पन्न हो जाता है।
- लेखन कौशल के प्रति उदासीनता एवं उपेक्षित दृष्टिकोण के कारण शिक्षक एवं छात्र दोनों ही त्रुटियों पर ध्यान नहीं देते हैं। इससे लेखन दोष होना सम्भव है।
- स्थानीय भाषा का प्रभाव भी लेखन के मार्ग में बाधा उत्पन्न करता है, जैसे- राजस्थान में शंकर को संकर लिखा जाता है।
- अशुद्ध उच्चारण के कारण भी छात्र लेखन में त्रुटि करते हैं ।
- अनेक व्याकरणिक कारणों से छात्रों द्वारा लिंग, विभक्ति एवं वचन सम्बन्धी त्रुटियाँ की जाती हैं।
- अनुलिपि, प्रतिलिपि तथा सुलेख का अभ्यास कराते समय भी छात्र लेखन दोष करते हैं।
हस्तलेखन दोष का निवारण
- बालकों में लेखन के विकास हेतु शिरोरेखा एवं अक्षरों की बनावट के बारे में प्राथमिक स्तर से ही ज्ञान प्रदान करना चाहिए जिससे कि छात्र सुलेख के बारे में उचित रूप में ज्ञान प्राप्त कर सकें तथा सुलेख लिख सकें।
- लेखन के विकास हेतु छात्रों को शब्दगत दूरी को सिखाना चाहिए अर्थात् प्रत्येक शब्द के बीच में एक निश्चित दूरी होनी चाहिए जिससे लेखन कार्य सुन्दर लगे।
- छात्रों को विराम चिह्नों के प्रयोग एवं उनसे सम्बन्धित सम्पूर्ण ज्ञान प्रदान करना चाहिए जिससे कि वे उनका प्रयोग करके लिखित कार्य को प्रभावी बना सकें।
- छात्रों को अनुस्वार एवं अनुनासिक के प्रयोग सम्बन्धी जानकारी भी प्रदान करनी चाहिए जिससे वे अनुस्वार एवं अनुनासिक उचित एवं त्रुटि रहित प्रयोग कर सकें।
- शिक्षक द्वारा स्थानीय प्रभावों को रोकने के लिए शुद्ध उच्चारण एवं मानक भाषा का प्रयोग करना चाहिए तथा अन्य छात्रों को भी इस कार्य के लिए प्रेरणा प्रदान करनी चाहिए ।
- शिक्षक द्वारा छात्रों को लेखन चित्र के आधार पर सिखाना चाहिए क्योंकि इस विधि का प्रयोग छात्रों में लेखन का विकास तीव्रता से करता है ।
- बालकों के त्रुटिपूर्ण उच्चारण पर सकारात्मक रूप अपनाते हुए बिना किसी दण्ड के उनको शुद्ध उच्चारण लिए प्रेरित करना चाहिए, क्योंकि छात्र शुद्ध उच्चारण करेगा तो शुद्ध लेखन सम्भव होगा।
- छात्रों को कुछ विशेष शब्दों को अभ्यास के माध्यम से लिखना सिखाना चाहिए जिनको छात्र सामान्य रूप से त्रुटिपूर्ण ढंग से लिखते हैं। जैसे- आशीर्वाद को आर्शीवाद रूप में लिखते हैं ।
- छात्रों को अनुलिपि, प्रतिलिपि एवं श्रुतलेख सम्बन्धी अभ्यास कराना चाहिए जिससे कि छात्रों में लेखन कौशल का विकास सम्भव हो सके।
- विद्यालय स्तर पर कहानी लेखन, निबन्ध लेखन तथा कविता लेखन की प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाना चाहिए जिससे छात्रों में लेखन सीखने के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण उत्पन्न होता है।
