आनुवंशिकता एवं वातावरण का प्रभाव
आनुवंशिकता एवं वातावरण का प्रभाव
आनुवंशिकता एवं वातावरण का प्रभाव
Influence of Heredity and Environment
CTET परीक्षा के विगत वर्षों के प्रश्न-पत्रों का विश्लेषण करने
से यह ज्ञात होता है कि इस अध्याय से वर्ष 2012 में
3 प्रश्न, 2013 में 1 प्रश्न, 2014 में 1 प्रश्न, 2015 में
1 प्रश्न तथा वर्ष 2016 में 2 प्रश्न पूछे गए हैं।
3.1 आनुवंशिकता का अर्थ
आनुवंशिक या वंशानुगत गुणों का एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थानान्तरण
को आनुवंशिकता या वंशानुक्रम (Heredity) कहा जाता है। आनुवंशिकता के
माध्यम से शारीरिक, मानसिक, सामाजिक गुणों का स्थानान्तरण बालकों में
होता है।
जेम्स ड्रेवर के अनुसार, “शारीरिक एवं मानसिक विशेषताओं का
माता-पिता से सन्तानों में हस्तान्तरण होना आनुवंशिकता
कहलाता है।”
एच ए पेटरसन एवं वुडवर्थ के अनुसार, “व्यक्ति अपने माता-पिता के
माध्यम से पूर्वजों की, जो विशेषताएँ प्राप्त करता है, उसे वंशानुक्रम
कहते हैं।”
3.2 आनुवंशिकता का प्रभाव
आनुवंशिकता का प्रभाव (Effect of Heredity) विभिन्न लक्षणों
जैसे―शारीरिक बुद्धि तथा चरित्र पर अलग-अलग पड़ता है।
3.2.1 शारीरिक लक्षणों पर प्रभाव
• बालक के रंग-रूप, आकार, शारीरिक गठन, ऊँचाई इत्यादि के निर्धारण में
उसके आनुवंशिक गुणों का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है।
• अधिकांश जुड़वाँ भाई द्वि-युग्मक होते हैं, जो दो पृथक् युग्मजों (Zygote) से
विकसित होते हैं। यह भाइयों जैसे जुड़वाँ भाई और बहनों की तरह
मिलते-जुलते होते हैं, परन्तु वे अनेक प्रकार से परस्पर एक-दूसरे से भिन्न
भी होते हैं। बालक के आनुवंशिक गुण उसकी वृद्धि एवं विकास को भी
प्रभावित करते हैं।
• शारीरिक लक्षणों के वाहक जीन प्रखर अथवा प्रतिगामी दोनों प्रकार के हो
सकते हैं। यह एक ज्ञात सत्य है कि किन्हीं विशेष रंगों के लिए पुरुष और
महिला में रंगों को पहचानने की अन्धता (कलर ब्लाइण्डनेस) अथवा किन्हीं
विशिष्ट रंगों की संवेदना नारी में नर से अधिक हो सकती है। एक दादी
और माँ, स्वयं रंग-अन्धता से ग्रस्त हुए बिना किसी नर शिशु को यह स्थिति
हस्तानान्तरित कर सकती है। ऐसी स्थिति इसलिए है, क्योंकि यह विकृति
प्रखर होती है, परन्तु महिलाओं में यही प्रतिगामी (Recessive) होती है।
• जीन्स जोड़ों (Pairs) में होते हैं। यदि किसी जोड़े में दोनों जीन प्रखर होंगे
तो, उस व्यक्ति में वह विशिष्ट लक्षण दिखाई देगा (जैसे रंगों को पहचानने
की अन्धता), यदि एक जीन प्रखर हो और दूसरा प्रतिगामी, तो जो प्रखर
होगा वही अस्तित्व में रहेगा।
• प्रतिगामी जीन आगे सम्प्रेषित हो जाएगा और यह अगली किसी पीढ़ी में अपने
लक्षण प्रदर्शित कर सकता है। अत: किसी व्यक्ति में किसी विशिष्ट लक्षण के
दिखाई देने के लिए प्रखर जीन ही जिम्मेदार होता है।
• जो अभिलक्षण दिखाई देते हैं और प्रदर्शित होते हैं; जैसे आँखों का रंग, उन्हें
समलक्षणी (Phenotypic) कहते हैं।
• प्रतिगामी जीन अपने लक्षण प्रदर्शित नहीं करते, जब तक कि वे अपने समान
अन्य जीन के साथ जोड़े नहीं बना लेते, जो अभिलक्षण आनुवंशिक रूप से
प्रतिगामी जीनों के रूप में आगे संचारित (Transfer) हो जाते हैं, परन्तु वे
प्रदर्शित नहीं होते, उन्हें समजीनोटाइप (Genotype) कहते हैं।
3.2.2 बुद्धि पर प्रभाव
• बुद्धि को अधिगम (Learning) की योग्यता, समायोजन योग्यता, निर्णय लेने
की क्षमता इत्यादि के रूप में परिभाषित किया जाता है। जिस बालक के
सीखने की गति अधिक होती है, उसका मानसिक विकास भी तीव्र गति से
होगा। बालक अपने परिवार, समाज एवं विद्यालय में अपने आपको किस
तरह समायोजित करता है यह उसकी बुद्धि पर निर्भर करता है।
• गोडार्ड का मत है कि “मन्दबुद्धि माता-पिता की सन्तान मन्दबुद्धि और
तीव्रबुद्धि माता-पिता की सन्तान तीव्रबुद्धि वाली होती है।” मानसिक क्षमता के
अनुकूल ही बालक में संवेगात्मक क्षमता का विकास होता है।
• बालक में जिस प्रकार के संवेगों का जिस रूप में विकास होगा वह उसके
सामाजिक, मानसिक, नैतिक, शारीरिक तथा भाषा सम्बन्धी विकास को पूरी
तरह प्रभावित करने की क्षमता रखता है। यदि बालक अत्यधिक क्रोधित या
भयभीत रहता है अथवा यदि उसमें ईर्ष्या एवं वैमनस्यता की भावना अधिक
होती है, तो उसके विकास की प्रक्रिया पर इन सबका प्रतिकूल प्रभाव पड़ना
स्वाभाविक ही है।
• संवेगात्मक रूप से असन्तुलित बालक पढ़ाई में या किसी अन्य गम्भीर कार्यों में
ध्यान नहीं दे पाते, फलस्वरूप उनका मानसिक विकास भी प्रभावित होता है।
3.2.3 चरित्र पर प्रभाव
• डगडेल नामक मनोवैज्ञानिक ने अपने अनुसन्धान के आधार पर यह बताया
कि माता-पिता के चरित्र का प्रभाव भी उसके बच्चे पर पड़ता है।
• व्यक्ति के चरित्र पर उसके वंशानुगत कारकों का प्रभाव भी स्पष्ट तौर पर
देखा जाता है, इसलिए बच्चे पर उसका प्रभाव पड़ना स्वाभाविक ही है।
डगडेल ने 1877 ई. में ज्यूक नामक व्यक्ति के वंशजों का अध्ययन करके
यह बात सिद्ध की।
3.3 वातावरण का अर्थ एवं परिभाषा
वातावरण का अर्थ पर्यावरण है। पर्यावरण दो शब्दों-परि एवं आवरण के
मिलने से बना है। परि का अर्थ होता है चारों ओर, आवरण का अर्थ होता है
ढकना। इस प्रकार पर्यावरण का अर्थ होता है चारों ओर से घेरने वाला। प्राणी
या मनुष्य जल, वायु, वनस्पति, पहाड़, पठार, नदी, वस्तु आदि से घिरा हुआ
है यही सब मिलकर पर्यावरण का निर्माण करते हैं। इसे वातावरण या पोषण
के नाम से भी जाना जाता है। वातावरण मानव जीवन के विकास पर
महत्त्वपूर्ण प्रभाव डालता है। मानव विकास में जितना योगदान आनुवंशिकता
का है उतना ही वातावरण का भी। इसलिए कुछ मनोवैज्ञानिक वातावरण को
सामाजिक वंशानुक्रम भी कहते है। व्यवहारवादी मनोवैज्ञानिकों ने वंशानुक्रम से
अधिक वातावरण को महत्त्व दिया है।
एनास्टैसी के अनुसार, “पर्यावरण वह हर चीज है, जो व्यक्ति के जीवन
के अलावा उसे प्रभावित करती है।”
जिसबर्ट के अनुसार, “जो किसी एक वस्तु को चारों ओर से घेरे हुए है
तथा उस पर प्रत्यक्ष प्रभाव डालता है वह पर्यावरण होता है।”
हॉलैण्ड एवं डगलास के अनुसार, “जीव-जगत् के प्राणियों के विकास,
परिपक्वता, प्रकृति, व्यवहार तथा जीवन शैली को प्रभावित करने वाले
बाह्य समस्त शक्तियों, परिस्थितियों तथा घटना को पर्यावरण में
सम्मिलित किया जाता है और उन्हीं की सहायता से पर्यावरण का
वर्णन किया जाता है।”
3.4 वातावरण का प्रभाव
वातावरण के सन्दर्भ में निम्नलिखित प्रभावों का वर्णन निम्न प्रकार किया जा
रहा है
1. शारीरिक अन्तर का प्रभाव
व्यक्ति के शारीरिक लक्षण वैसे तो वंशानुगत होते हैं, किन्तु इस पर वातावरण
का प्रभाव स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले लोगो
का कद छोटा होता है, जबकि मैदानी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों का शरीर
लम्बा एवं गठीला होता है। अनेक पीढ़ियों से निवास स्थल में परिवर्तन करने
के बाद उपरोक्त लोगों के कद एवं रंग में अन्तर वातावरण के प्रभाव के
कारण देखा गया है।
2. प्रजाति की श्रेष्ठता पर प्रभाव
कुछ प्रजातियों की बौद्धिक श्रेष्ठता का कारण वंशानुगत न होकर वातावरणीय
होता है। वे लोग इसलिए अधिक विकास कर पाते हैं, क्योकि उनके पास
श्रेष्ठ शैक्षिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक वातावरण उपलब्ध होता है
उदाहरणस्वरूप यदि एक महान् व्यक्ति के पुत्र को ऐसी जगह पर छोड़ दिया
जाए, जहाँ शैक्षिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक वातावरण उपलब्ध न हो, तो
उसका अपने पिता की तरह महान् बनना सम्भव नहीं हो सकता।
3. व्यक्तित्व पर प्रभाव
व्यक्तित्व के निर्माण में वंशानुक्रम की अपेक्षा वातावरण का अधिक प्रभाव
पड़ता है। कोई भी व्यक्ति उपयुक्त वातावरण में रहकर अपने व्यक्तित्व का
निर्माण करके महान् बन सकता है। ऐसे कई उदाहरण हमारे आस-पास
देखने को मिलते हैं, जिनमें निर्धन परिवारों में जन्मे व्यक्ति भी अपने परिश्रम
एवं लगन से श्रेष्ठ सफलताएँ प्राप्त करने में सक्षम हो जाते हैं। न्यूमैन, फ्रीमैन
और होलजिंगर ने इस बात को साबित करने के लिए 20 जोड़े जुड़वाँ बच्चों
को अलग-अलग वातावरण में रखकर उनका अध्ययन किया। उन्होंने एक
जोड़े के एक बच्चे को गाँव के फार्म पर और दूसरे को नगर में रखा। बड़े
होने पर दोनों बच्चों में पर्याप्त अन्तर पाया गया। फार्म का बच्चा अशिष्ट,
चिन्ताग्रस्त और बुद्धिमान था। उसके विपरीत, नगर का बच्चा, शिष्ट,
चिन्तामुक्त और अधिक बुद्धिमान था।
4. मानसिक विकास पर प्रभाव
गोर्डन नामक मनोवैज्ञानिक का मत है कि उचित सामाजिक और सांस्कृतिक
वातावरण नहीं मिलने पर मानसिक विकास की गति धीमी हो जाती है। उसने
यह बात नदियों के किनारे रहने वाले बच्चों का अध्ययन करके सिद्ध की।
इन बच्चों का वातावरण गन्दा और समाज के अच्छे प्रभावों से दूर था।
अध्ययन में पाया गया कि गन्दे एवं समाज के अच्छे प्रभावों से दूर रहने के
कारण बच्चों के मानसिक विकास पर भी प्रतिकूल असर पड़ा था।
5. बालक पर बहुमुखी प्रभाव
वातावरण, बालक के शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, संवेगात्मक आदि सभी
अंगों पर प्रभाव डालता है। इसकी पुष्टि ‘एवेरॉन का जंगली बालक’ के
उदाहरण से की जा सकती है। इस बालक को जन्म के बाद एक भेड़िया
उठा ले गया था और उसका पालन-पोषण जंगली पशुओं के बीच में हुआ
था। कुछ शिकारियों ने उसे 1799 ई. में पकड़ लिया। उस समय उसकी आयु
11 अथवा 12 वर्ष की थी। उसकी आकृति पशुओं-सी हो गई थी। वह उनके समान
ही हाथों-पैरों से चलता था। वह कच्चा मांस खाता था। उसमें मनुष्य के समान
बोलने और विचार करने की शक्ति नहीं थी। उसको मनुष्य के समान सभ्य और
शिक्षित बनाने के सब प्रयास विफल हुए।
3.5 वातावरण सम्बन्धी कारक
वातावरण एक बहुआयामी संकल्पना है, यह व्यक्ति को जन्म से लेकर मृत्यु
तक प्रभावित करती है। बालक की सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति का प्रभाव
उसके जीवन के सम्पूर्ण भाग पर पड़ता है, शहरी एवं ग्रामीण बालकों के
बीच विकास के अन्तर के सन्दर्भ में इसे समझा जा सकता है। शहरी बालकों
की तुलना में ग्रामीण परिवेश के बालकों के सामाजिक, मानसिक, सांस्कृतिक
तथा व्यावहारिक विकास में भिन्नता दिखती है। माता-पिता से प्राप्त
आनुवंशिकी गुण भी बालकों को प्रभावित करते हैं। पालन-पोषण का प्रभाव
भी बालकों के शैक्षिक विकास पर पड़ता है, क्योकि अगर पालन-पोषण
उचित तरीके से नहीं होगा तो उसके शारीरिक विकास पर इसका नकारात्मक
प्रभाव पड़ सकता है। बालकों के विकास में उसके परिवेश अर्थात परिवार,
समाज तथा पास-पड़ोस की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है, ये सभी अनौपचारिक
शिक्षा के महत्वपूर्ण अंग होते हैं।
वातावरण से सम्बन्धित कारकों का वर्णन निम्न प्रकार से वर्णित है
1 भौतिक कारक (Physical Factor) इसके अन्तर्गत प्राकृतिक एवं
भौगोलिक परिस्थितियाँ आती है। मनुष्य के विकास पर जलवायु का
प्रभाव पड़ता है। जहाँ अधिक सर्दी पड़ती है या जहाँ अधिक गर्मी पड़ती
है वहाँ मनुष्य का विकास एक जैसा नहीं होता है। ठण्डे प्रदेशों के
व्यक्ति सुन्दर, गोरे, सुडौल, स्वस्थ एवं बुद्धिमान होते हैं। धैर्य भी इनमें
अधिक होता है, जबकि गर्म प्रदेश के व्यक्ति काले, चिड़चिड़े तथा
आक्रामक स्वभाव के होते हैं।
2. सामाजिक कारक (Social Factor) मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है
इसलिए उस पर समाज का प्रभाव अधिक दिखाई देता है। सामाजिक
व्यवस्था, रहन-सहन, परम्पराएँ, धार्मिक कृत्य, रीति-रिवाज, पारस्परिक
अन्त:क्रिया और सम्बन्ध आदि बहुत-से तत्त्व है, जो मनुष्य के
शारीरिक, मानसिक, एवं बौद्धिक विकास को किसी-न-किसी रूप से
अवश्य प्रभावित करते हैं।
3. आर्थिक कारक (Economic Factor) अर्थ अर्थात् धन से केवल
सुविधाएँ ही नहीं प्राप्त होती हैं, बल्कि इससे पौष्टिक चीजें भी खरीदी
जा सकती हैं, जिससे मनुष्य का शरीर विकसित होता है। आर्थिक
वातावरण मनुष्य की बौद्धिक क्षमता को भी प्रभावित करता है।
सामाजिक विकास पर भी इसका प्रभाव पड़ता है।
4. सांस्कृतिक कारक (Cultural Factor) धर्म और संस्कृति मनुष्य के
विकास को गहरे स्तर पर प्रभावित करती हैं। हमारा खान-पान,
रहन-सहन, पूजा-पाठ, संस्कार तथा आचार-विचार इत्यादि हमारी
संस्कृति के अभिन्न अंग हैं। जिन संस्कृतियों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण
समाहित है उनका विकास ठीक ढंग से होता है, लेकिन जहाँ
अन्धविश्वास और रूढ़िवाद का समावेश है उस समाज का विकास
अत्यन्त मन्द गति से होता है।
3.6 आनुवंशिकता एवं वातावरण का शैक्षिक महत्त्व
आनुवंशिकता एवं वातावरण का शैक्षिक महत्त्व (Educational Importance
of Heredity and Environment) के सन्दर्भ में यह कहा जाता है कि ये
दोनों आपस में इस प्रकार जुड़े हुए हैं कि इन्हें पृथक् नहीं किया जा सकता
तथा इनके बिना बालकों के विकास की कल्पना नहीं की जा सकती, ये बाल
विकास को गहरे स्तर पर प्रभावित करते हैं।
• आनुवंशिकता एवं वातावरण के शैक्षिक महत्त्व को इस प्रकार समझा जा
सकता है।
• विकास की वर्तमान विचारधारा में प्रकृति और पालन-पोषण दोनों को महत्त्व
दिया गया है। आनुवंशिकता की भूमिका को समझना बहुत महत्त्वपूर्ण है और
इससे भी अधिक लाभकारी है कि हम समझें कि परिवेश में कैसे सुधार किया
जा सकता है? ताकि बच्चे की आनुवंशिकता द्वारा निर्धारित सीमाओं के
भीतर सर्वोत्तम सम्भावित विकास के लिए सहायता की जा सके।
• वस्तुतः बालक के सम्पूर्ण व्यवहार की सृष्टि, वंशानुक्रम और वातावरण
की अन्तःक्रिया द्वारा होती है।
• शिक्षा की किसी भी योजना में वंशानुक्रम और वातावरण को एक-दूसरे
से पृथक् नहीं किया जा सकता है।
• शारीरिक, मानसिक, संवेगात्मक, सामाजिक, सभी प्रकार के विकासों पर
आनुवंशिकता एवं वातावरण का प्रभाव पड़ता है। यही कारण है कि
बालक की शिक्षा भी इससे प्रभावित होती है।
• अतः बच्चे के बारे में इस प्रकार की जानकारियाँ उसकी समस्याओं के
समाधान में शिक्षक की सहायता करती हैं।
• बालक को समझकर ही उसे दिशा-निर्देश दिया जा सकता है। एक कक्षा
में पढ़ने वाले सभी बालकों का शारीरिक, मानसिक स्वास्थ्य एक समान
नहीं होता है।
• शारीरिक विकास मानसिक विकास से जुड़ा है और जिसका मानसिक
विकास अच्छा होता है, उसकी शिक्षा भी अच्छी होती है।
• वंशानुक्रम से व्यक्ति शरीर का आकार-प्रकार प्राप्त करता है। वातावरण
शरीर को पुष्ट करता है। यदि परिवार में पौष्टिक भोजन बच्चे को दिया
जाता है, तो उसकी माँसपेशियाँ, हड्डियाँ तथा अन्य प्रकार की शारीरिक
क्षमताएँ बढ़ती हैं।
• बौद्धिक क्षमता के लिए सामान्यत: वंशानुक्रम ही जिम्मेदार होता है।
इसलिए बालक को समझने के लिए इन दोनों कारकों को समझना
आवश्यक है।
• विद्यालयों में कई प्रकार की अनुशासनहीनता दिखाई पड़ती है। कई
बार इनके लिए परिवार का परिवेश ही नहीं, बल्कि काफी हद तक
वंशानुक्रम भी जिम्मेदार होता है; जैसे-चोरी करना, अपराध में
लिप्त रहना, झूठ बोलना आदि अवगुणों के विकास में बालक के
परिवार एवं उसके वंशानुक्रम की भूमिका अहम होती है।
• बालक की रुचियाँ, प्रवृत्तियाँ तथा अभिवृत्ति आदि के विकास के लिए भी
वातावरण अधिक जिम्मेदार होता है।
• लेकिन वातावरण के साथ यदि वंशानुक्रम भी ठीक है, तो इसको सार्थक
दिशा मिल जाती है।
• उदाहरण के लिए एक व्यवसायी के बच्चे के जीवन में व्यावसायिक
अभिरुचि एवं क्षमता पाई जाती है। यदि उसे व्यवसाय का परिवेश प्राप्त
हो, तो उस दिशा में सफलता मिल सकती है।
• आनुवंशिकी एवं वातावरण के बालक के विकास पर पड़ने वाले प्रभावों
के ज्ञान के अनुरूप शिक्षक विद्यालय के वातावरण को बच्चों के लिए
उपयुक्त बनाता है, जिससे छात्रों के व्यवहार में अपेक्षित परिवर्तन किया
जा सके एवं शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया को अधिक प्रभावशाली बनाया
जा सके।
अभ्यास प्रश्न
1. आनुवंशिक गुणों का स्थानान्तरण एक पीढ़ी
से दूसरी पीढ़ी में होता है
(1) सिर्फ माता से
(2) सिर्फ पिता से
(3) माता एवं पिता दोनों से
(4) माता-पिता एवं उनके पूर्वजों से
2. “शारीरिक एवं मानसिक विशेषताओं का
माता-पिता से सन्तानों में हस्तान्तरण
आनुवंशिकता कहलाता है।” आनुवंशिकता
के सन्दर्भ में निम्न कथन किस विचारक
का है?
(1) एच. ए. पेटरसन
(2) अब्राहम मास्लो
(3) जेम्स ड्रेवर
(4) दुडवर्थ
3. निम्नलिखित में से कौन-सा मुख्य रूप से
आनुवंशिकता सम्बन्धी कारक है?
(1) आँखों का रंग
(2) सामाजिक गतिविधियों में भागीदारिता
(3) समकक्ष व्यक्तियों के समूह के प्रति अभिवृत्ति
(4) चिन्तन पैटर्न
4. माता-पिता से सन्तानों को प्राप्त होने वाले
गुणों को कहते है
(1) वंश
(2) वंशानुक्रम
(3) वातावरण
(4) इनमें से कोई नहीं
5. निम्नलिखित में से कौन-सा किसी बच्चे पर
आनुवंशिकता का प्रभाव है?
A. विशिष्ट शारीरिक लक्षण
B. विशिष्ट बुद्धि
C. विशिष्ट चरित्र
(1) केवल A
(2) केवल B
(3) A और B
(4) ये सभी
6. आनुवंशिकता तथा वातावरण परस्पर हैं
A.निर्भर
B. पूरक
C.सहयोगी
(1) केवल A
(2) केवल B
(3) केवल C
(4) ये सभी
7. निम्नलिखित में से किस प्रकार के विकास
पर आनुवंशिकता एवं वातावरण का प्रभाव
पड़ता है?
A. सामाजिक विकास B.संवेगात्मक विकास
c.मानसिक विकास D.शारीरिक विकास
(1) केवल D
(2) A और B
(3) A,B और C
(4) ये सभी
8. किसी बालक का शारीरिक लक्षण प्रभावित
होता है
(1) केवल पिता के डीएनए से
(2) केवल माता के डीएनए से
(3) माता एवं पिता दोनों के डीएनए से
(4) न तो माता के और न ही पिता के डीएनए से
9. बालक के सम्पूर्ण व्यवहार की सृष्टि
………. और ……. की अन्त:क्रिया द्वारा
होती है।
(1) माता-पिता के व्यवहार
(2) उसके मित्रों, भाई-बहनो के व्यवहार
(3) उसके शिक्षकों, अभिभावकों के व्यवहार
(4) आनुवंशिकता, वातावरण
10. बालक को जो मूल प्रवृत्तियाँ ……….. से
प्राप्त होती है, उनका विकास ………… में होता
है।
(1) वातावरण, वंशानुक्रम
(2) वंशानुक्रम, वातावरण
(3) परिवार, विद्यालय
(4) समाज, परिवार
11. बालक के सम्यक् विकास के लिए
निम्नलिखित में से किनका संयोग सर्वाधिक
अनिवार्य है?
(1) उसके विद्यालय एवं परिवार
(2) उसके वंशानुक्रम और वातावरण
(3) उसके परिवार एवं समाज
(4) उसके समाज एवं राष्ट्र
12. “वातावरण वह बाहरी शक्ति है, जो हमें
प्रभावित करती है।” किसने कहा था?
(1) वुडवर्थ
(2) रॉस
(3) एनास्टसी
(4) उपरोक्त में से किसी ने नहीं
13. बच्चे उसी वातावरण में सीख सकते हैं,
जहाँ
(1) उनके अनुभवों एवं भावनाओं को उचित स्थान मिले
(2) उन्हें खेलने का मौका मिले
(3) उन्हें मित्र बनाने का मौका मिले
(4) कड़ा अनुशासन हो
14. आप दिल्ली के किसी केन्द्रीय विद्यालय में
शिक्षक है। आपकी कक्षा का एक छात्र
अफजल हिमाचल प्रदेश का रहने वाला है
तथा एक अन्य छात्र सुदीप केरल का मूल
निवासी है। आप दोनों के रंग, रूप, स्वभाव
आदि में काफी विभिन्नताएँ देखते हैं। इसका
प्रमुख कारण हो सकता है
(1) वातावरणीय प्रभाव
(2) विद्यालय में दोनों का शैक्षिक स्तर
(3) आपकी शिक्षण विधि
(4) उपरोक्त सभी
15. बच्चे की आनुवंशिकता द्वारा निर्धारित
सीमाओं के भीतर सर्वोत्तम सम्भावित
विकास के लिए एक शिक्षक को क्या करना
चाहिए?
(1) उसे बालक के परिवेश में सुधार करना चाहिए
(2) उसे बालक को अधिक से अधिक पुस्तक पढने
की सलाह देनी चाहिए
(3) उसे खेल-कूद में अधिक से अधिक भाग लेने
की सलाह देनी चाहिए
(4) उसे विकास के लिए प्रेरित करना चाहिए
16. बच्चे के विकास में उसके परिवेश का जो
प्रभाव उस पर पड़ता है, उसे हम…………
कहते है।
(1) पालन-पोषण
(2) सामाजिक विकास
(3) संवेगात्मक विकास
(4) परिवेश के लाभ
17. परिवेश के प्रभाव, मानव के …………. और
………….. दोनों चरणों में बहुत ही
महत्त्वपूर्ण है।
(1) सामाजिक, आर्थिक
(2) समाज, विद्यालय में शिक्षा
(3) प्रसव-पूर्व, प्रसव के उपरान्त
(4) परिवार, विद्यालय में विकास
18. ‘प्रत्येक छात्र स्वयं में विभिन्न है।’ इस तथ्य
का प्रमुख कारण क्या है?
A. भौतिक वातावरण
B. सामाजिक वातावरण
C. वंशानुक्रम
(1) केवल A
(2) A और B
(3) A और
(4) ये सभी
19. आपकी कक्षा का एक छात्र, कक्षा में रोज
अनुशासनहीनता करता है। आप इस समस्या
के समाधान हेतु निम्न में से क्या उपाय
अपनाएँगे?
(1) उसके वंशानुक्रम तथा वातावरण का पता
लगाकर उसका सही दिशा में मार्गदर्शन करेंगे
(2) पत्र को रोज पीटेंगे जब तक कि वह कक्षा में
अनुशासनहीनता करना नहीं छोड़ देता है
(3) स्कूल से उसका नाम काटने के लिए
प्रधानाचार्य से कहेंगे
(4) उसको इलाज के लिए किसी अयो
मनोचिकित्सक के पास लेकर जाएँगे
20. बालक क्या है? उसकी क्षमता क्या है?
उसका पर्याप्त विकास क्यों नहीं हो रहा है?
आदि प्रश्नों के उत्तरदायी तत्त्व है
A. वंशानुक्रम
B. वातावरण
(1) केवल A
(2) A और B दोनों
(3) केवल B
(4) न तो A और न ही B
21. आज बालापराध की घटनाएँ बढ़ती जा रही
हैं, जिसके कारण शिक्षण प्रणाली में
जटिलताएँ आ रही हैं। आपके अनुसार
इसका प्रमुख कारण क्या है?
A. दूषित वंशानुक्रम
B. दूषित सामाजिक वातावरण
C. दूषित परिवेश
(1) केवल A
(2) केवल B
(3) केवल C
(4) ये सभी
22. विकास की वर्तमान विचारधारा में
निम्नलिखित में से किसका महत्त्व है?
(1) केवल प्रकृति
(2) केवल पोषण
(3) प्रकृत्ति एवं पालन-पोषण दोनों का
(4) उपरोक्त में से कोई नहीं
विगत वर्षों में पूछे गए प्रश्न
23. मानव-व्यक्तित्व परिणाम है [CTET Jan 2012]
(1) केवल आनुवंशिकता का
(2) पालन-पोषण और शिक्षा का
(3) आनुवंशिकता और वातावरण की अन्तःक्रिया का
(4) केवल वातावरण का
24. एक जुड़वाँ भाइयों में से एक को सामाजिक
एवं आर्थिक रूप से धनाढ्य परिवार द्वारा
गोद लिया जाता है और दूसरे को एक निर्धन
परिवार द्वारा। एक वर्ष के बाद उनके
बुद्धि-लब्धांक के बारे में निम्नलिखित में से
क्या अवलोकित होने की सर्वाधिक सम्भावना है? [CTET Nov 2012]
(1) धनी सामाजिक-आर्थिक परिवार वाले लड़के की
अपेक्षा निर्धन परिवार वाला लड़का अधिक अंक
प्राप्त करेगा।
(2) सामाजिक-आर्थिक स्तर बुद्धि-लब्धांक को
प्रभावित नहीं करता।
(3) निर्धन परिवार वाले लड़के की अपेक्षा धनी
सामाजिक-आर्थिक परिवार वाला लड़का अधिक
अंक प्राप्त करेगा।
(4) दोनों समान रूप से अंक प्राप्त करेंगे।
25. सीखने सम्बन्धी निर्योग्यताएँ सामान्यतः [CTET Nov 2012]
(1) लड़कियों की तुलना में अधिकतम लड़कों में पाई
जाती हैं
(2) अधिकतम उन बच्चों में पाई जाती हैं, जो
शहरी क्षेत्रों की अपेक्षा ग्रामीण क्षेत्रों से
सम्बन्ध रखते हैं।
(3) उन बच्चों में पाई जाती है विशेषतः जिनके
पैत्रिक अभिभावक इस प्रकार की समस्याओं
से ग्रसित होते हैं
(4) औसत से श्रेष्ठ बुद्धि लब्धि वाले बच्चों में
पाई जाती है।
26. बच्चे के विकास में आनुवंशिकता और
वातावरण की भूमिका के बारे में
निम्नलिखित में से कौन-सा कथन
सत्य है? [CTET July 2013]
(1) आनुवंशिकता और वातावरण दोनों एक बच्चे
के विकास में 50-50% योगदान रखते हैं।
(2) समवयस्कों और पित्रेक (genes) का सापेक्ष
योगदान योगात्मक नहीं होता।
(3) आनुवंशिकता और वातावरण एकसाथ परिचालित
नहीं होते।
(4) सहज रुझान वातावरण से सम्बनिधत है,
जबकि वास्तविक विकास के लिए
आनुवंशिकता जरूरी है।
27. निम्नलिखित में से कौन-सा कथन
सत्य है? [CTET Feb 2014]
(1) आनुवंशिक बनावट व्यक्ति की, परिवेश की
गुणवत्ता के प्रति, प्रत्युत्तरात्मकता को
प्रभावित करती है।
(2) गोद लिए गए बच्चों का वही बुद्धि-लब्धांक
(IQ) होता है, जो गोद लिए गए उनके सगे
भाई-बहनों का होता है।
(3) अनुभव मस्तिष्क के विकास को प्रभावित नहीं
करता।
(4) विद्यालयीकरण का बुद्धि पर कोई प्रभाव नहीं
पड़ता।
28. प्रकृति-पोषण विवाद निम्नलिखित में से
किससे सम्बन्धित है? [CTET Sept 2015]
(1) आनुवंशिकी एवं वातावरण
(2) व्यवहार एवं वातावरण
(3) वातावरण एवं जीव विज्ञान
(4) वातावरण एवं पालन-पोषण
29. ‘प्रकृति-पोषण’ विवाद में ‘प्रकृति’ से क्या
अभिप्राय है? [CTET Sept 2016]
(1) जैविकीय विशिष्टताएँ या वंशानुक्रम सूचनाएँ
(2) एक व्यक्ति की मूल वृत्ति
(3) भौतिक और सामाजिक संसार की जटिल
शक्तियाँ
(4) हमारे आस-पास का वातावरण
30. एक 6 वर्ष की लड़की खेलकूद में
असाधारण योग्यता प्रदर्शित करती है। उसके
माता-पिता दोनों ही खिलाड़ी हैं,
उसे नित्य
प्रशिक्षण प्राप्त करने भेजते हैं और सप्ताहांत
में उसे प्रशिक्षण देते हैं। बहुत सम्भव है कि
उसकी क्षमताएँ निम्नलिखित दोनों के बीच
परस्पर प्रतिक्रिया का परिणाम होगी. [CTET Sept 2016]
(1) वृद्धि और विकास
(2) स्वस्थ्य और प्रशिक्षण
(3) अनुशासन और पौष्टिकता
(4) आनुवंशिकता और पर्यावरण
उत्तरमाला
1. (4) 2. (3) 3. (1) 4. (2) 5 (4) 6. (4) 7. (4) 8. (3) 9. (4) 10. (2)
11. (2) 12. (2) 13. (1) 14. (1) 15. (1) 16. (1) 17. (3) 18. (4)
19. (1) 20. (2) 21. (4) 22. (3) 23. (3) 24. (2) 25. (3) 26. (2)
27. (1) 28 (1) 29. (1) 30. (4)
★★★