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ईंधन किसे कहते हैं | ईंधन खनिज किसे कहते हैं | ईंधन क्या है

ईंधन किसे कहते हैं | ईंधन खनिज किसे कहते हैं | ईंधन क्या है

इंधन (Fuel)
◆ वह पदार्थ जो हवा में जलकर बगैर अनावश्यक उत्पाद के ऊष्मा उत्पन्न करता है, ईंधन कहलाता है।
ईंधन खनिज – ऐसे खनिज जो ईंधन के रूप में प्रयुक्त होते है, ईंधन खनिज कहलाते हैं। ये अवसादी चट्टानों में पाये जाते है। जैसे – कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस।
अच्छे ईंधन के गुणः
(i) वह सस्ता एवं आसानी से उपलब्ध होना चाहिए।
(ii) उसका ऊष्मीय मान (Calorific value) उच्च होना चाहिए।
(iii) जलने के बाद उससे अधिक मात्रा में अवशिष्ट पदार्थ नहीं बचना चाहिए।
(iv) जलने के दौरान या बाद में कोई हानिकारक पदार्थ नहीं उत्पन्न होना चाहिए।
(v) उसका जमाव और परिवहन आसान होना चाहिए।
(vi) उसका जलना नियंत्रित होना चाहिए।
(vii) उसका प्रज्वलन ताप (Ignition Temperature) निम्न होना चाहिए।
ईंधन का ऊष्मीय मान (Calorific Value of Fuels)
◆ किसी ईंधन का ऊष्मीय मान ऊष्मा की वह मात्रा है, जो उस ईंधन के एक ग्राम को वायु या ऑक्सीजन में पूर्णतः जलाने के पश्चात् प्राप्त होती है। किसी भी अच्छे ईंधन का ऊष्मीय मान अधिक होना चाहिए। सभी ईंधनों में हाइड्रोजन का ऊष्मीय मान सबसे अधिक होता है परन्तु सुरक्षित भंडारण की सुविधा नहीं होने के कारण इसका उपयोग आमतौर पर नहीं किया जाता
है। हाइड्रोजन का उपयोग रॉकेट ईंधन के रूप में तथा उच्च ताप उत्पन्न करने वाले ज्वालकों में किया जाता है। हाइड्रोजन को भविष्य का ईंधन भी कहा जाता है।
अपस्फोटन (Knocking) व आक्टेन संख्या (Octane Number)
◆ कुछ ईंधन ऐसे होते हैं जिनके वायु मिश्रण का इंजनों के सिलेण्डर में ज्वलन समय से पहले हो जाता है, जिससे ऊष्मा पूर्णतया कार्य में परिवर्तित न होकर धात्विक ध्वनि उत्पन्न करने में नष्ट हो जाती है। यह धात्विक ध्वनि ही अपस्फोटन (Knocking) कहलाती है। ऐसे ईंधन जिनका अपस्फोटन अधिक होता है, उपयोग के लिए उचित नहीं माने जाते हैं। अपस्फोटन कम करने के लिए ऐसे ईंधन में अपस्फोटनरोधी यौगिक मिला दिये जाते हैं, जिससे इनका अपस्फोटन कम हो जाता है। सबसे अच्छा अपस्फोटनरोधी यौगिक टेट्रा एथिल लेड (TEL) है। अपस्फोटन को ऑक्टेन संख्या (Octane Number) के द्वारा व्यक्त किया जाता है। किसी ईंधन, जिसकी ऑक्टेन संख्या जितनी अधिक होती है, का अपस्फोटन उतना ही कम होता है तथा वह उतना ही उत्तम ईंधन माना जाता है।
इंधन के प्रकार
◆ भौतिक अवस्था के आधार पर ईंधन तीन प्रकार के होते हैं-
1. ठोस ईधन (Solid Fuel)
2. द्रव ईंधन (Liquid Fuel)
3. गैसीय ईंधन (Gascous Fuel)
ईंधन किसे कहते हैं | ईंधन खनिज किसे कहते हैं | ईंधन क्या है
1.ठोस ईंधन (Solid Fuel)
◆ ये ईधन ठोस रूप में होते हैं तथा जलाने पर कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड व ऊष्मा उत्पन्न करते हैं। लकड़ी, कोयला, कोक आदि ठोस ईंधनों के उदाहरण हैं। ठोस ईंधन में सबसे मुख्य कोयला है।
◆ कोयला (Coal) : कार्बन की मात्रा के आधार पर कोयला चार प्रकार के होते हैं-
(i). पीट कोयला :इसमें कार्बन की मात्रा 50% से 60% तक होती है। इसे जलाने पर अधिक राख एवं धुंआ निकलता है। यह सबसे निम्न श्रेणी का कोयला होता है।
(ii) लिग्नाइट कोयला : इसमें कार्बन की मात्रा 65% से 70% तक होती है। इसका रंग भूरा (Brown) होता है। इसमें जलवाष्प की मात्रा अधिक होती है।
(iii) बिटुमिनस कोयला : इसे मुलायम कोयला (Soft Coal) भी कहा जाता है। इसमें कार्बन की मात्रा 70% से 85% तक होती है।
(iv) एंथासाइट कोयला : यह सबसे उत्तम श्रेणी का कोयला है। इसमें कार्बन की मात्रा 85% से भी अधिक होती है।
2. दव ईंधन (Liquid Fuel)
◆ द्रव ईंधन विभिन्न प्रकार के हाइड्रोकार्बन के मिश्रण से बने होते हैं तथा जलाने पर कार्बन डाइऑक्साइड व जल का निर्माण करते हैं।
◆ किरोसीन, पेट्रोल, डीजल, अल्कोहल, ईथर एवं स्प्रिट आदि द्रव ईंधन के उदाहरण हैं।
3. गैसीय ईंधन (Gaseous Fuel)
◆ जिस प्रकार ठोस व द्रव ईंधन जलाने पर ऊष्मा उत्पन्न करते हैं, उसी प्रकार कुछ ऐसी गैसें भी हैं जो जलाने पर ऊष्मा उत्पन्न करती हैं। गैस ईंधन द्रव व ठोस ईंधनों की अपेक्षा अधिक सुविधाजनक होते हैं व पाइपों द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान तक सरलतापूर्वक भेजे जा सकते हैं। इसके अतिरिक्त गैस ईंधन की ऊष्मा सरलता से नियंत्रित की जा सकती है।
प्रमुख गैस ईंधन निम्न हैं-
(i) प्राकृतिक गैस (Natural Gas) : यह पेट्रोलियम कुआँ से निकलती है। इसमें 95% हाइड्रोकार्बन होता है, जिसमें 80% मिथेन रहता है। घरों में प्रयुक्त होने वाली द्रवित प्राकृतिक गैस को एलपीजी (LPG) कहते हैं। यह ब्यूटेन एवं प्रोपेन का मिश्रण होता है, जिसे उच्च दाब पर द्रवित कर सिलेण्डरों में भर लिया जाता है। एलपीजी (LPG) अत्यधिक ज्वलनशील होती है। अतः इससे होने वाली दुर्घटना से बचने के लिए इसमें सल्फर के यौगिक (मिथाइल मरकॉप्टेन) को मिला देते हैं, ताकि इसके
रिसाव को इसकी गंध से पहचान लिया जाये।
(ii) गोबर गैस (Bio-Gas) : गीले गोबर (पशुओं के मल) के सड़ने पर ज्वलनशील मिथेन गैस बनती है, जो वायु की उपस्थिति में सुगमता से जलती है। गोबर गैस संयंत्र में शेष रहे पदार्थ का उपयोग कार्बनिक खाद के रूप में किया जाता है।
(iii) प्रोड्यूसर गैस (Producer Gas) : यह गैस लाल तप्त कोक पर वायु प्रवाहित करके बनायी जाती है, इसमें मुख्यत: कार्बन मोनोऑक्साइड ईंधन का काम करता है। इसमें 70% नाइट्रोजन, 25% कार्बन मोनोऑक्साइड एवं 4% कार्बन डाइऑक्साइड रहता है। इसका ऊष्मीय मान (Calorific Value) 1100-1750 Kcal/Kg होता है। काँच एवं इस्यात
उद्योग में इसका उपयोग ईंधन के रूप में किया जाता है।
(iv) जल गैस (Water Gas) : इसमें हाइड्रोजन 49%, कार्बन मोनोऑक्साइड 45% तथा कार्बन डाइऑक्साइड 4.5% होता है। इसका ऊष्मीय मान 2500 से 2800 Kcal/Kg होता है। इसका उपयोग हाइड्रोजन एवं अल्कोहल के निर्माण में अपचायक के रूप में होता है।
(v) कोल गैस (Coal Gas) : यह कोयले के भंजक आसवन (Destructive Distillation) से बनाया जाता है। यह रंगहीन एवं तीक्ष्ण गंध वाली गैस है। यह वायु के साथ विस्फोटक मिश्रण बनाती है। इसमें 54% हाइड्रोजन, 35% मिथेन, 11% कार्बन मोनोऑक्साइड, 5% हाइड्रोकार्बन, 3% कार्बन डाइऑक्साइड होता है।
◆ ईंधन का ऊष्मीय मान उसकी कोटि का निर्धारण करता है।
◆ अल्कोहल को जब पेट्रोल में मिला दिया जाता है, तो उसे पॉवर अल्कोहल (Power Alcohol) कहते हैं, जो ऊर्जा का एक वैकल्पिक स्रोत है।

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