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जल की कठोरता | जल की कठोरता कितने प्रकार की होती है

जल की कठोरता | जल की कठोरता कितने प्रकार की होती है

◆  जल एक यौगिक (Compound) है। इसमें हाइड्रोजन व ऑक्सीजन का अनुपात भार के अनुपात में 1:8 एवं आयतन के अनुपात में 2:1 होता है।
◆ जल दो प्रकार का होता है- 1. मृदु जल (Soft Water) एवं 2. कठोर जल (Hard Water)।
1. मृदु जल (Soft Water)
जो जल साबुन के साथ आसानी से झाग देता है और पीने में उपयुक्त होता है, उसे मृदु व शुद्ध जल कहते हैं।
2. कठोर जल (Hard Water)
◆ वह जल जिसमें साबुन आसानी से झाग नहीं देता है और पीने में उपयुक्त नहीं होता है, उसे कठोर जल कहते हैं।
◆ जल की कठोरता : जल की कठोरता, जल में कैल्सियम और मैग्नीशियम के घुलनशील लवणों (बाईकार्बोनेट, सल्फेट, क्लोराइड आदि) के कारण होती है। जल की कठोरता को दूर करने के लिए इसमें सोडियम कार्बोनेट (Na₂CO₃) मिलाया जाता है।
◆ जल की कठोरता दो प्रकार की होती है- 1. अस्थायी कठोरता (Temporary Hardness) 2. स्थायी कठोरता (Permanent Hardness)।
1. अस्थायी कठोरता (Temporary Hardness): जल की अस्थायी कठोरता उसमें कैल्सियम (Ca) और मैग्नीशियम (Mg) के बाईकार्बोनेट के घुले रहने के कारण होती है। जल की अस्थायी कठोरता निम्न विधियों से दूर की जा सकती है-
(i) उबालकर : जल को उबालने पर कैल्सियम और मैग्नीशियम के बाईकार्बोनेट विच्छेदित होकर अघुलनशील कार्बोनेट में परिणत हो जाते हैं, जिन्हें छानकर अलग कर दिया जाता है।
(ii) क्लार्क विधि : जल में चूना- जल मिलाकर भी अस्थायी कठोरता दूर की जाती है। इस विधि को क्लार्क विधि कहा जाता है। कठोर जल में चूना-जल की आवश्यक मात्रा डालने पर, कैल्सियम बाईकार्बोनेट और मैग्नीशियम बाइकार्बोनेट क्रमशः कैल्सियम कार्बोनेट और मैग्नीशियम बाइकार्बोनेट में परिणत होकर अवक्षेपित हो जाते हैं।
(iii) जल में कॉस्टिक सोडा या अमोनिया हाइड्रोऑक्साइड भी डालकर अस्थायी कठोरता दूर की जाती है।
2. स्थायी कठोरता (Permanent Hardness) : जल की कठोरता यदि जल को उबालने से दूर नहीं होती है, तो उस प्रकार की कठोरता स्थायी कठोरता कहलाती है। जल की स्थयी कठोरता निम्नलिखित विधियों से दूर की जा सकती है-
(i) सोडा विधि : जल की स्थायी कठोरता कैल्सियम और मैग्नीशियम के घुलनशील लवणों के कारण होती है। इन्हें जल से अलग करने के लिए इसमें सोडियम कार्बोनेट का घोल मिलाया जाता है जिससे कैल्सियम और मैग्नीशियम के घुलनशील लवण अघुलनशील कार्बोनेट में परिणत हो जाते हैं, जिन्हें छानकर अलग निकाल दिया जाता है।
(ii) साबुन विधि : जल की स्थायी कठोरता साबुन मिलाकर भी दूर की जा सकती है। साबुन उच्च वसा-अम्लों का सोडियम लवण होता है। जल में उपस्थित कैल्सियम और मैग्नीशियम के घुलनशील लवण साबुन की प्रतिक्रिया से, कैल्सियम और मैग्नीशियम के अघुलनशील लवण के रूप में परिणत हो जाते हैं, जिन्हें छानकर बाहर निकाल दिया जाता है।
(iii) परम्यूटिट विधि : यह जल की स्थायी कठोरता दूर करने की मुख्य विधि है। सोडियम और एल्युमिनियम के मिश्रित सिलिकेट को परम्यूटिट या सोडियम जियोलाइट भी कहा जाता है। कठोर जल को जियोलाइट की तहों से प्रवाहित करने पर जल में उपस्थित कैल्सियम और मैग्नीशियम के लवण सोडियम लवण के रूप में परिणत हो जाते हैं।
(iv) कैलगन विधि : कैलगन, सोडियम हेक्सामेटा फॉस्फेट का व्यापारिक नाम है। यह जल में उपस्थित कैल्शियम और मैग्नीशियम के लवणों के साथ प्रतिक्रिया करता है और इसके फलस्वरूप ऐसे यौगिक का निर्माण होता है, जो अवक्षेप के रूप में जल से अलग तो नहीं होता, साबुन के साथ प्रतिक्रिया भी नहीं करता है।
(v) स्रवण विधि : इस विधि में जल को उबालकर वाष्प में परिणत किया जाता है, पुनः वाष्प को संघनित कर जल में परिणत कर दिया जाता है। फलस्वरूप अपद्रव्य जल से अलग हो जाता है।

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