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जीवधारियों का वर्गीकरण (Classification of Organism)

जीवधारियों का वर्गीकरण (Classification of Organism)

जीवधारियों का वर्गीकरण (Classification of Organism)

जीवधारियों का वर्गीकरण (Classification of Organism)

अरस्तू द्वारा समस्त जीवों को दो समूहों में विभाजित किया गया – जन्तु समूह एवं वनस्पति समूह ।
कैरोलस लीनियस ने भी अपनी पुस्तक Systema Natureae में सम्पूर्ण जीवधारियों को दो जगतों (Kingdoms ) – पादप जगत (Plant Kingdom) तथा जन्तु जगत ( Animal Kingdom) में विभाजित किया।
कैरोलस लीनियस ने वर्गीकरण की जो प्रणाली शुरू की उसी से आधुनिक वर्गीकरण प्रणाली की नींव पड़ी। इसलिए उन्हें आधुनिक वर्गीकरण का पिता (Father of Modern Taxonomy) कहते हैं।
परंपरागत द्वि-जगत वर्गीकरण का स्थान 1969 ई. में आर. एच. ह्विटकर (R.H. Whittaker) द्वारा प्रतिपादित पाँच जगत प्रणाली ने ले लिया। इसके अनुसार समस्त जीवों को निम्नलिखित पाँच जगत (Kingdom) में वर्गीकृत किया गया है।
1. मोनेरा (Monera) : इसमें सभी प्रोकैरियोटिक जीव (Procaryotic) अर्थात् जीवणु, सायनोवैक्टीरिया तथा आर्की बैक्टीरिया सम्मिलित किये जाते हैं। तंतुमय जीवाणु भी इसी जगत के भाग हैं।
2. प्रोटिस्टा (Protista ) : इस जगत में विविध प्रकार के एककोशिकीय (Unicellular), प्रायः जलीय (Aquatic) यूकैरियोटिक (Eucaryotic) जीव सम्मिलित किये गये हैं। पादप एवं जंतु के बीच स्थित यूग्लीना इसी जगत में हैं। यह दो प्रकार की जीवन पद्धति प्रदर्शित करती है- सूर्य के प्रकाश में स्वपोषित एवं प्रकाश के अभाव में इतर पोषित, इसके अन्तर्गत साधारणतया प्रोटोजोआ आते हैं। –
3. प्लांटी (Plantae) : ये बहुकोशिकीय पौधे होते हैं। इनमें प्रकाश संश्लेषण होता है। इनकी कोशिकाओं में रिक्तिका (Vacuole) पायी जाती है। जैसे- सभी प्रकार के पेड़-पौधे ।
4. कवक (Fungi) : इस जगत में वे यूकैरियोटिक तथा परपोषित जीवधारी सम्मिलित किये जाते हैं जिनमें अवशोषण द्वारा पोषण होता है। ये सभी इत्तरपोषी होते हैं। ये परजीवी अथवा मृतोपजीवी होते हैं। इसकी कोशिका भित्ति काइटिन की बनी होती है।
5. जन्तु (Animal) : इस जगत में सभी बहुकोशिकीय जन्तुसमभोजी (Holozoic) यूकैरियोटिक, उपभोक्ता जीव सम्मिलित किये जाते हैं। इनको मेटाजोआ (Metazoa) भी कहते हैं। हाइड्रा जेली फिश, कृमि, सितारा, मछली, सरीसृप, उभयचर, पक्षी तथा स्तनधारी जीव इसी जगत के अंग हैं।
जीवों के नामकरण की द्विनाम पद्धति
1753 ई. में कैरोलस लीनियस नामक वैज्ञानिक के जीवों की द्विनाम पद्धति को प्रचलित किया। उन्हें वर्गिकी का जन्मदाता (Father of Taxonomy) भी कहा जाता है।
इस पद्धति के अनुसार प्रत्येक जीवधारी का नाम लैटिन भाषा के दो शब्दों से मिलकर बनता है। पहला शब्द वंश नाम (Generic Name) तथा दूसरा शब्द जाति नाम (Species Name) कहलाता है।
वंश तथा जाति नामों के बाद उस वर्गिकीविद अर्थात् वैज्ञानिक का नाम लिखा जाता है, जिसने सबसे पहले उस जाति को खोजा या जिसने इस जाति को सबसे पहले वर्तमान नाम प्रदान किया। जैसे – मानव का वैज्ञानिक नाम होमो सैपियन्स लिन (Homo Sapiens Linn) है । वास्तव में होमो (Homo) उस वंश का नाम है, जिसकी एक जाति सैपियन्स है। लिन (Linn) वास्तव में लीनियस (Linnaeus) शब्द का संक्षिप्त रूप है। इसका अर्थ यह है कि सबसे पहले लीनियस ने इस जाति को हामो सैपियन्स नाम से पुकारा।
कुछ जीवधारियों के वैज्ञानिक नाम
मनुष्य (Man) Homo Sapiens
मेढ़क (Frog) Rana Tigrina
बिल्ली (Cat) Felis Domestica
कुत्ता (Dog) Canis Familiaris
गाय (Cow ) Bos Indicus
मक्खी (Housefly ) Musca Domestica
आम (Mango ) Mangifera Indica
धान (Rice) Oryza Sativa
गेहूँ (Wheat) Triticum Aestivum
मटर (Pea) Pisum Sativum
चना (Gram ) Cicer Arietinum
सरसों (Mustard) Brassica Campestris

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