परमाणु संरचना किसे कहते हैं | परमाणु संरचना क्या है | परमाणु संरचना की खोज किसने की थी
परमाणु संरचना किसे कहते हैं | परमाणु संरचना क्या है | परमाणु संरचना की खोज किसने की थी
परमाणु की खोज जॉन डाल्टन ने 1808 में की थी
परमाणु की खोज जॉन डाल्टन एक गणितज्ञ और रासायनिक वैज्ञानिक थे जिन्होंने सबसे पहले यह सिद्ध किया की पदार्थ छोटे – छोटे कणो से मिलकर बना होता है जिन्हे उन्होंने परमाणु किया और डाल्टन ने 1803 में अपना परमाणु सिद्धांत प्रतिपादित किया जिसे डाल्टन का परमाणु सिद्धांत कहा जाता है।
इस सिद्धांत के अनुसार परमाणु के नाभिक में प्रोटॉन और न्यूट्रॉन होते हैं और नाभिक के चारों और इलेक्ट्रान चक्कर लगते हैं उन्होंने बताया की परमाणु नाभिक और इलेक्ट्रान से मिलकर बना होता है। इसलिए जॉन डाल्टन को परमाणु का खोजकर्ता माना जाता है।
परमाणु संरचना
◆ 1300 ई.पू. कणाद ऋषि ने बताया कि पदार्थ अत्यंत छोटे-छोटे कणों से मिलकर बना होता है।
◆ वर्ष 1808 ई. में ब्रिटेन के प्रसिद्ध भौतिकशास्त्री जॉन डाल्टन ने पदार्थ की संरचना के संदर्भ में बताया कि पदार्थ अत्यंत छोटे-छोटे अविभाज्य (Indivisible) कणों से मिलकर बना होता है, जिन्हें परमाणु कहते हैं।
◆ परमाणु (Atom) : परमाणु तत्त्व का वह छोटा-से-छोटा कण है जो किसी भी रासायनिक अभिक्रिया में भाग ले सकता है, परन्तु स्वतंत्र अवस्था में नहीं रह सकता है।
◆ अणु (Molecule) : तत्त्व तथा यौगिक का वह छोटा से छोटा कण जो स्वतंत्र अवस्था में सकता है,अणु कहलाता है।
◆ परमाणु भार (Atomic weight) : किसी तत्त्व का परमाणु भार वह संख्या है, जो यह प्रदर्शित करता है कि तत्त्व का एक परमाणु, कार्बन-12 के एक परमाणु के 1/12 भाग द्रव्यमान अथवा हाइड्रोजन के 1.008 भाग द्रव्यमान से कितना गुणा भारी है।
◆ अणुभार (Molecular Weight) : किसी पदार्थ का अणुभार वह संख्या है, जो यह प्रदर्शित करता है कि उस पदार्थ का एक अणु, कार्बन-12 के एक परमाणु के 1/12 भाग में कितना गुना भारी है।
◆ मोल धारणा (Mole Concept) : एक मोल किसी भी निश्चित सूत्र वाले पदार्थ की वह राशि है, जिसमें इस पदार्थ के इकाई-सूत्र की संख्या उतनी है, जिनकी शुद्ध कार्बन-12 समस्थानिक (Isotopes) के ठीक 12 ग्राम में परमाणुओं की संख्या है।
◆ मोल इकाई का मान (Value of Mole Unit) : मोल का मान 6.022X1023 है। कार्बन के 12 ग्राम या एक मोल में 6.022X1023परमाणु हैं। 6.022X1023 को आवोगाद्रो संख्या कहते हैं।
◆ मोल संख्या एवं द्रव्यमान दोनों का प्रतीक है। वर्ष 1967 ई. में मोल को इकाई के रूप में स्वीकार किया गया।
◆ 20वीं शताब्दी में आधुनिक खोजों के परिणामस्वरूप जे.जे. थॉमसन, रदरफोर्ड, चैडविक आदि वैज्ञानिकों ने यह सिद्ध कर दिया कि परमाणु विभाज्य है तथा मुख्यतः तीन मूल कणों से मिलकर बना है, जिन्हें इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन कहते हैं।
प्रमुख मूल कणों के लक्षण
मूल कण | प्रतीक | आवेश | द्रव्यमान (ग्राम) | खोजकर्ता | वर्ष |
इलेक्ट्रॉन | -leº | -1 | 9.1095×10-28g | जे.जे थॉमसन | 1897 ई. |
प्रोटॉन | 1p1 | +1 | 1.6726X10-24g | रदरफोर्ड | 1919-20 ई. |
न्यूट्रॉन | on1 | 0 | 1-6749X10-24g | चैडविक | 1932 ई. |
◆ परमाणु क्रमांक (Atomic Number) : किसी तत्त्व के परमाणु के नाभिक में उपस्थित प्रोटॉनों की संख्या को परमाणु क्रमांक कहते हैं।
◆ द्रव्यमान संख्या (Mass Number) : किसी परमाणु के नाभिक में उपस्थित प्रोटॉनों और न्यूट्रॉनों की संख्याओं का योग उस परमाणु की द्रव्यमान संख्या कहलाती है। इसे निम्नलिखित सूत्र से व्यक्त किया जा सकता है-
द्रव्यमान संख्या = प्रोटॉनों की संख्या + न्यूट्रॉनों की संख्या
◆ परमाणु के नाभिक में उपस्थित इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर विभिन्न बंद कक्षाओं में चक्कर लगाते हैं। इन कक्षाओं को 1,2,3,4 या K,L,M,N आदि से प्रदर्शित करते हैं। किसी भी कक्षा में इलेक्ट्रॉनों की संख्या 2n² से अधिक नहीं हो सकती है, जहाँ n कक्षा संख्या है अर्थात् पहली कक्षा में 2 इलेक्ट्रॉन, दूसरी कक्षा में 8 इलेक्ट्रॉन, तीसरी कक्षा में 18 इलेक्ट्रॉन होते हैं।
◆ संयोजकता का इलेक्ट्रॉनिक सिद्धान्त (Electronic Theory of Valency) : तत्त्वों के परमाणुओं के परस्पर संयोजन करने की क्षमता को ही संयोजकता (Valency) कहते हैं। किसी तत्त्व की संयोजकता उसके परमाणु की बाहरी कक्षा में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की संख्या पर निर्भर करती है। प्रत्येक तत्त्व के परमाणु की यह प्रवृत्ति होती है कि वह अपनी बाह्य कक्षा में 8 इलेक्ट्रॉन रखकर स्थायी अवस्था प्राप्त करे। यदि परमाणु के बाहरी कक्षा में इलेक्ट्रानों की संख्या से कम होती है तो वह उतने ही इलेक्ट्रॉनों को प्राप्त कर अपना अष्टक पूर्ण करना चाहता है तथा ऐसे तत्त्वों की संयोजकता ऋणात्मक (Negative) होती है। दूसरी ओर यदि तत्त्व के बाहरी कक्षा में इलेक्ट्रॉनो की संख्या 8 से अधिक होती है तो यह परमाणु अधिक इलेक्ट्रॉनों को त्याग कर अपना अष्टक पूर्ण करता है तथा ऐसे तत्त्वों की संयोजकता धनात्मक (Positive) होती है।
◆ जिन तत्त्वों के परमाणुओं की बाह्य कक्षा में 8 इलेक्ट्रॉन नहीं होते, उनके परमाणु ही रासायनिक क्रिया में भाग लेते हैं तथा क्रियाशील होते हैं। इसके विपरीत जिन तत्त्वों के परमाणुओं की बाह्य कक्षा में 8 इलेक्ट्रॉन होते हैं, उनके परमाणु अक्रिय होते हैं तथा रासायनिक क्रिया में भाग नहीं लेते।
◆ प्रकृति में 6 गैसों के परमाणु अक्रिय होते हैं। इनमें से हीलियम गैस को छोड़कर सभी के परमाणुओं की बाह्य कक्षा में आठ इलेक्ट्रॉन होते हैं।
विभिन्न अक्रिय गैस
गैस | इलेक्ट्रॉनों की संख्या | विभिन्न कक्षाओं में इलेक्ट्रॉनों की संख्या |
हीलियम (He) | 2 | 2 |
नियान (Ne) | 10 | 2 8 |
आर्गन (Ar) | 18 | 2 8 8 |
क्रिप्टान (Kr) | 36 | 2 8 18 8 |
जीनान (Xe) | 44 | 2 8 18 8 8 |
रेडान (Rn) | 62 | 2 8 18 18 8 8 |
नोट : अक्रिय गैसों (Inert Gases) को नोबेल गैस तथा Ideal Gas भी कहते हैं। इनकी खोज रैमजै ने की थी। इनमें रेडान (Rn) को छोड़कर सभी गैसें वायुमंडल में थोड़ी-बहुत मात्रा में पायी जाती हैं।
◆● क्वाण्टम संख्या (Quantum Number) : स्पेक्ट्रम रेखाओं की सूक्ष्म प्रकृति समझाने तथा इलेक्ट्रॉन की ठीक-ठीक स्थिति का वर्णन करने हेतु चार क्वाण्टम संख्याओं का प्रयोग किया जाता है, ये हैं-
(i) मुख्य क्वाण्टम संख्या (Principal Quantum Number) : ‘n’- यह इलेक्ट्रॉन में मुख्य ऊर्जा स्तर को प्रदर्शित करती है।
(ii) दिगंशी क्वाण्टम संख्या (Azimuthal Quantum Number) : ‘ι’- यह इलेक्ट्रॉन कक्षक (Orbital) की आकृति को प्रकट करती है। ι का न्यूनतम मान शून्य तथा अधिकतम मान (n-ι) होता है।
(iii) चुंबकीय क्वाण्टम संख्या (Magnetic Quantum Nubmer) : ‘m’- यह उप ऊर्जा स्तरों के कक्षकों (Orbitals) को प्रदर्शित करती है। m का मान ι के मान पर निर्भर करता है। किसी ι के लिए m का मान +ι से लेकर –ι तक होते हैं (शून्य सहित)।
(iv) चक्रण क्वाण्टम संख्या (Spine Quantum Number) : ‘s’- यह इलेक्ट्रॉन के चक्रण की दिशा को प्रदर्शित करती है। किसी चुंबकीय क्वाण्टम संख्या (m) के लिए चक्रण क्वाण्टम संख्या (s) का मान +1/2 और -1/2 होता है।
◆ समस्थानिक (Isotopes) : समान परमाणु क्रमांक (Atomic Number) परन्तु भिन्न परमाणु द्रव्यमानों (Atomic Masses) के परमाणुओं को समस्थानिक कहते हैं। समस्थानिकों में प्रोटॉन की संख्या समान होती है, किन्तु न्यूट्रॉन की संख्या भिन्न होती है। जैसे- 1H1, 2H2 तथा 1H3 समस्थानिक है।
◆ सबसे अधिक समस्थानिकों वाला तत्त्व पोलोनियम है।
◆ समभारिक (Isobars) : समान परमाणु द्रव्यमान परन्तु भिन्न परमाणु क्रमांक के परमाणुओं को समभारिक कहते हैं। जैसे- 18Ar40, 19K40, 20Ca40 समभारिक है।
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◆ समन्यूट्रॉनिक (Isotone) : जिन परमाणुओं में न्यूट्रॉनों की संख्या समान होती है, उन्हें समन्यूट्रॉनिक कहते हैं। जैसे- 1H3और 2He4। इन दोनों परमाणुओं के नाभिक में न्यूट्रॉनों की
संख्या दो-दो है।
◆ समइलेक्ट्रॉनिक (Isoelectronic) : जिन आयनों और परमाणुओं के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास समान होते हैं, उन्हें समइलेक्ट्रॉनिक कहते हैं। समइलेक्ट्रॉनिक परमाणुओं और आयनों में इलेक्ट्रॉनों की संख्या समान होती है। जैसे- Ne, Na+‘, Mg++और AI+++ समइलेक्ट्रॉनिक है।