1st Year

पाठ्य पुस्तकों के चयन के सिद्धान्त लिखिए। पाठ्य-पुस्तक का चयन एवं लेखन किस प्रकार करना चाहिए?

प्रश्न – पाठ्य पुस्तकों के चयन के सिद्धान्त लिखिए। पाठ्य-पुस्तक का चयन एवं लेखन किस प्रकार करना चाहिए? Write the Principles of Selecting Text-Books. How should Select and Written of Text-Books become?
या
ज्ञान के स्रोत के रूप में पाठ्यपुस्तकों के चयन हेतु क्या आधार (बेसिस) होने चाहिए। What should be the bases of selection of textbooks as source of Knowledge?
या
ज्ञान के स्रोत के रूप में पाठ्यपुस्तकों के चयन हेतु आप किस प्रकार का मापदण्ड सुझाते हैं? स्पष्ट कीजिए। What criteria do you suggest from selection of Text Books as source of Knowledge? Explain. 
उत्तर- पाठ्य पुस्तकों के चयन के सिद्धान्त (Principles of Selecting Text-Books) )
  1. उपयुक्त विषय-सामग्री
    1. पाठ्य पुस्तक की विषय सामग्री छात्रों के मानसिक स्तर के अनुकूल होनी चाहिए। छात्रों के वातावरण सम्बन्धी विषय-सामग्री पाठ्य पुस्तक में निहित होनी चाहिए।
    2. विषय-सामग्री भारतीय संस्कृति, जीवन और सभ्यता से सम्बन्धित होनी चाहिए।
    3. पाठ्य सामग्री में वे सभी तथ्य हो जिनका ज्ञान प्राप्त करना एक व्यय वर्ग के बालकों के लिए आवश्यक हो ।
    4. विषय-सामग्री सूचना प्रदान करने वाली तथा छात्रों के व्यावहारिक प्रयोग के लिए उपयुक्त होनी चाहिए।
    5. पाठ्य-सामग्री में विभिन्नता के साथ-साथ श्रमबद्धता भी आवश्यक होती हैं।
    6. पाठ्य सामग्री में नैतिकता की बाते अवश्य होनी चाहिए।
  2. भाषण तथा शब्दावली
    1. छोटे बच्चों की पुस्तकें सरल तथा स्पष्ट भाषा में लिखी होनी चाहिए। बड़े बालकों की पुस्तकें भी ऐसी होनी चाहिए।
    2. पाठ्य पुस्तक में शब्दावली का चयन सतर्कता से किया जाना चाहिए। प्राथमिक कक्षाओं में प्रयोग होने वाली पाठ्य पुस्तकों की शब्दावली सीमित होनी चाहिए।
    3. शब्दावली इस तरह की होनी चाहिए जिसे शीघ्रता से पढ़ा जा सके।
  3. शैली ( Style)
    1. प्रारम्भिक कक्षाओं की पुस्तकें सरल तथा सीधे ढंग से लिखी जानी चाहिए। उच्च कक्षाओं के लिए भी ऐसी पुस्तकें होनी चाहिए।
    2. पाठ्य पुस्तक की शैली सरलता से जटिलता की ओर होनी चाहिए।
    3. शैली में विभिन्नता होनी चाहिए जिससे छात्र के मानसिक गुणों का विकास हो सके।
    4. शैली की विशेषता के लिए सरलता, सजीवता, भाव- प्रकाशन की स्पष्टता होनी चाहिए।
  4. व्यवस्था तथा नियोजन
    1. पाठ्य पुस्तक की विषय सामग्री सुव्यवस्थित और सुनियोजित होनी चाहिए।
    2. पाठ्य-सामग्री विभिन्न पाठों, सोपानों और इकाइयों में विभाजित करके नियोजन को उत्तम रूप प्रदान किया जाना चाहिए।
    3. अध्याय लम्बे नहीं होने चाहिए तथा विभिन्न विचारों को उपयुक्त शीर्षक के साथ अलग करना चाहिए।
  5. अभ्यास – प्रश्न
    पाठ्य पुस्तक के पाठ के अन्त में कक्षा तथा व्यक्तिगत कार्य के लिए विविध प्रश्न होने चाहिए।
  6. निदर्शन
    1. पाठ्य पुस्तक के पाठ्य-विषय से सम्बन्धित तथ्यों को स्पष्ट करने के लिए चित्र रेखाचित्र, मानचित्र आदि होने चाहिए।
    2. निम्न कक्षाओं की पाठ्य पुस्तकों में पूरे या आधे पृष्ठ के चित्र होने चाहिए।
    3. उच्च कक्षा में चित्र पृष्ठ के चौथाई भाग से अधिक नहीं होने चाहिए ।
    4. चित्र आकर्षक होने चाहिए ताकि छात्रों को जाग्रत कर सकें।
    5. निम्न कक्षाओं की पाठ्य पुस्तकों में चित्र रंगीन होने चाहिए।
  7. छपाई
    1. छपाई के लिए काली, गहरी तथा चमकने वाली स्याही का प्रयोग किया जाना चाहिए।
    2. छपी पंक्तियों की दूरी एक दूसरे से पर्याप्त दूरी पर होनी चाहिए।
    3. प्रत्येक पृष्ठ के चारों ओर पर्याप्त स्थान होना चाहिए।
  8. कागज- पाठ्य पुस्तक का कागज मोटा तथा चिकना होना चाहिए। कागज बहुत चमकने वाला ना हो, खुरदरा कागज नहीं होना चाहिए तथा पतले कागज भी उपयुक्त नहीं होते।
  9. जिल्द, सिलाई तथा आकार पुस्तक की जिल्द मोटी, मजबूत तथा टिकाऊ होनी चाहिए। जिल्द के ऊपर पाठ्य पुस्तक से सम्बन्धित कोई रंगीन या आकर्षक चित्र होना चाहिए। जिल्द के ऊपर सुन्दर छपा हुआ कागज चढ़ाने से पुस्तक का आकर्षण बढ़ जाता है। छोटी कक्षाओं के लिए पाठ्य पुस्तक का आकार चार तह का होना चाहिए । पुस्तक की सिलाई टिकाऊ होनी चाहिए ताकि पुस्तक सुगमता से खुल सके।
पाठ्य-पुस्तक का चयन एवं लेखन
  1. सामाजिक समाज की आवश्यकताएँ – भारतीय आवश्यकताओं एवं मान्यताओं के अनुसार एक पाठ्य पुस्तक का चयन किया जाना चाहिए। छात्रों को भविष्य में व्यावसायिक सहयोग एवं मार्गदर्शन प्राप्त होना चाहिए जिससे उनकी योग्यताओं एवं कौशलों का विकास हो सके। पर्यावरणीय जागरूकता, समस्या समाधान आदि की जानकारी छात्रों को पाठ्य पुस्तकों के माध्यम से मिलना चाहिए। इसके अतिरिक्त छात्रों में देशप्रेम व राष्ट्रीयता की भावना का विकास भी होना चाहिए।
    अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्ध पड़ोसी देशों से सम्बन्ध बनाना, जनसंख्या की जानकारी आदि को छात्रों के समक्ष प्रस्तुत किया जा सके। इस प्रकार पाठ्य पुस्तकों का चयन सामाजिक आवश्यकताओं के आधार पर किया जा सकें।
  2. उपयोगी- पाठ्य- – पुस्तकों का चयन उसकी उपयोगिता को देखते हुए किया जाना चाहिए। बालक के बौद्धिक, सामाजिक, संवेगात्मक एवं शारीरिक विकास के अनुसार उसकी रुचियाँ एवं आवश्यकताएं परिवर्तित होती रहती है।
    अतः बालक के लिए उपयोगी पुस्तकों का चयन किया जाना चाहिए। पाठय पुस्तक की पाठ्यवस्तु छात्रों हेतु अधिक से अधिक उपयोगी होना चाहिए जो कि उनके अध्ययन में सहायक बने तथा उन्हें संशयों से मुक्ति दिलाए । छात्रों के भविष्य में व्यावसायिक मार्गदर्शन तथा परामर्श भी पाठ्य पुस्तकें दे सकती है जो कि बालकों के लिए सबसे अधिक उपयोगी होगा।
  3. भाषा-शैली – पाठ्य पुस्तक की विषय वस्तु को छात्रों तक पहुँचाने का सशक्त एवं उत्तम साधन उस पाठ्य पुस्तक की भाषा एवं भाषा-शैली होती है। पाठ्य पुस्तक की भाषा अत्यन्त ही सुगम होनी चाहिए जिससे छात्रों को समझने में कठिनाई न हो एवं पुस्तक का सार छात्र सरलता से ग्रहण कर सकें। पुस्तक की शैली छात्रों के स्तरानुकूल होनी चाहिए। कई शब्दों के हिन्दी एवं अंग्रेजी रूपान्तरण भी दिए जा सकते है।
  4. वैधता एवं विश्वसनीयता – किसी भी पाठ्य पुस्तक की वैधता उस पाठ्य पुस्तक के मानदण्ड होते है। विश्वसनीयता पुस्तक की होती है। कहने का शुद्धता एवं तथ्यों की सत्यता तात्पर्य है कि पाठ्य पुस्तक की समक्ष पाठ्यवस्तु सत्य एवं तार्किक रूप से शुद्ध हो। यह शिक्षक को समझकर पाठ्य पुस्तक के सार को छात्रों के प्रस्तुत कर सकता है। इसके अतिरिक्त व्याकरण से सम्बन्धित त्रुटियाँ आदि भी पाठ्य पुस्तक की विश्वसनीयता पर प्रश्न चिन्ह लगाती है।
  5. सम्पूर्णता- किसी भी प्रकार की पाठ्य पुस्तक छात्रों हेतु उपयोगी होगी तभी वह सम्पूर्ण मानी जाएगी जैसे- छात्रों की परीक्षा की दृष्टि से सहायता करें। पाठ्य पुस्तक के प्रकरणों की सम्पूर्णता से छात्रों का ज्ञानात्मक विकास होगा। इस प्रकार पाठ्य पुस्तक के तत्त्वों को संशयपूर्ण नहीं होना चाहिए न उन्हें अधूरा ही होना चाहिए।
  6. लेखक – एक उत्तम पुस्तक निर्माण के मानदण्ड उस पुस्तक के लेखक के लिए भी निर्धारित होना चाहिए जैसे- लेखक की शैक्षिक योग्यता, अनुभव, उसका पद, शोधकार्य में योगदान, सहशैक्षिक उपाधियाँ आदि। लेखक को शिक्षा के क्षेत्र में योगदान भी उसकी योग्यता को दर्शाता है। विषय विशेषज्ञ भी पुस्तक लेखन की जिम्मेदारी उठा सकते हैं।
    नवीन विषयों को पाठ्य पुस्तक में सम्मिलित करना उत्तम लेखक का गुण है। लेखक को भी केवल धन कमाने हेतु ही लेखन कार्य नहीं करना चाहिए बल्कि उसे छात्रों के स्तर का ध्यान रखकर ही विचारों को पुस्तकीय रूप चाहिए।
  7.  क्रमबद्धता–पाठ्य पुस्तक में पाठ्यवस्तु एवं प्रकरण एक क्रमबद्ध रूप से एक व्यवस्था के अन्तर्गत रखे जाने चाहिए जिससे छात्रों को पूर्व ज्ञान को नवीन ज्ञान के साथ सम्बद्ध करने में कठिनाई न आए तथा एक ही तारतम्य में ज्ञान का विकास एवं प्रसार हो सकें। पूर्व ज्ञान होने से आधार ज्ञान सुदृढ होगा।
  8. पाठ्यवस्तु – किसी भी विषय की पाठ्यवस्तु छात्रों के स्तर के अनुरूप होनी चाहिए जिनसे छात्र उस ज्ञान को जल्दी ग्रहण कर सके। छात्रों का बौद्धिक स्तर ही पाठ्यवस्तु की गुणवत्ता को समझ सकता है। छात्रों को सरल से कठिन की ओर ज्ञान प्रदर्शित करना चाहिए। पाठ्य-वस्तु समस्त तत्त्वों का सामन्जस्य भी छात्रों की समझ के अनुरूप होना चाहिए, जिससे कि उनकी विषय में रुचि भी बढे ।
पाठ्य-पुस्तकों का लेखन (Writing of Text-Books)
  1. पाठ्य पुस्तकों का प्रारूप विशिष्ट होता है। जिस स्तर के छात्रों के लिए पुस्तक लिखी जाए उनके मानसिक विकास के अनुरूप होनी चाहिए।
  2. पुस्तक की रचना में शिक्षा तथा पाठ्यक्रम के उद्देश्य भी ध्यान रखने चाहिए।
  3. पाठ्यवस्तु तथा प्रकरण के तत्त्वों को चढ़ाव के क्रम में व्यवस्थित करना चाहिए। सरल से कठिन, ज्ञात से अज्ञात की ओर नियमों का समावेश या पालन करना चाहिए।
  4. पाठ्यवस्तु के लिए छोटे-छोटे वाक्य तथा पैराग्राफ भी छोटे होने चाहिए जिससे छात्र आसानी से सीख सकें।
  5. विषय-वस्तु शुद्ध रूप में लिखी जाए तथा उसी के अनुरूप चित्र, मानचित्र, आकृतियाँ आदि प्रस्तुत हो जिससे छात्रों को समझने में सरलता हो सके।
  6. पाठ्य पुस्तकों की भाषा-शैली तथा शब्दावली ऐसी हो जिससे छात्रों को पठन कार्य में परेशानी ना हो। कठिन शब्दों का प्रयोग नहीं होना चाहिए। तकनीकी शब्द अंग्रेजी भाषा के साथ हों, वाक्य आकार छात्र के अनुकूल होना चाहिए।
  7. पाठ्य पुस्तकों का प्रकाशन स्वच्छ, शुद्ध तथा स्पष्ट होना चाहिए। उत्तम कागज का प्रयोग करना चाहिए।
  8. कठिन प्रत्यय को सरल ढंग से उदाहरणों की सहायता से प्रस्तुत करना चाहिए। उदाहरण- वास्तविक जीवन मे सम्बन्धित हो ।
  9. पुस्तकों के अध्याय का आकार बालक के मानसिक स्तर अनुकूल होना चाहिए। छोटे बालकों के लिए अध्याय छोटे तथा बड़े छात्रों के अध्याय का आकार बडा होना चाहिए।
  10. पाठ के शुरू में उद्देश्यों का समावेश होना चाहिए त अध्याय के अन्त में सीखने के अभ्यास प्रश्न दिए जाएं। प्रश्न पाठ्यवस्तु पर आधारित होने चाहिए।
  11. पाठ्य पुस्तक का मुखपृष्ठ आकर्षक होना चाहिए। मुखपृष्ठ से ही विषय-वस्तु का भाव प्रकट होता है। इससे पुस्तक की उद्देश्य वैधता अधिक होती है।

The Complete Educational Website

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *