पृष्ठ तनाव क्या है | पृष्ठ तनाव का उदाहरण | पृष्ठ तनाव का सिद्धांत
पृष्ठ तनाव क्या है | पृष्ठ तनाव का उदाहरण | पृष्ठ तनाव का सिद्धांत
पृष्ठ तनाव
पृष्ठ तनाव (Surface Tension)
◆ द्रव अपने पृष्ठीय क्षेत्रफल को न्यूनतम करने की प्रवृत्ति रखता है, जिसके कारण उसका पृष्ठ सदैव तनाव की स्थिति में रहती है। इसे ही पृष्ठ तनाव कहते हैं। किसी द्रव का पृष्ठ तनाव वह बल है, जो द्रव के पृष्ठ पर खींची गयी काल्पनिक रेखा की इकाई लंबाई पर रेखा के लंबवत् कार्य करता है। पृष्ठ तनाव का SI मात्रक न्यूटन/मीटर होता है। यदि रेखा की लंबाई (1) पर F बल कार्य करता है, तो पृष्ठ तनाव होगा, T=F/11
◆ द्रव के पृष्ठ के क्षेत्रफल में एकांक वृद्धि करने के लिए किया गया कार्य द्रव के पृष्ठ तनाव के बराबर होता है। इसके अनुसार पृष्ठ तनाव का मात्रक जूल/मीटर होगा।
◆ द्रव का ताप बढ़ाने पर पृष्ठ तनाव कम हो जाता है और क्रांतिक ताप (Critical Temperature) पर यह शून्य हो जाता है।
पृष्ठ तनाव के कुछ उदाहरण
(i) जल की सतह पर हल्के से पिन रखे जाने पर पिन तैरता है। जल की वह सतह दब जाती है और तानित कला (Stretched Membrance) के रूप में कार्य करने लगती है। पिन को अँगुली से दबा देने पर पृष्ठ तनाव की तह टूट जाती है और पिन जल में डूब जाता है।
(ii) शेविंग ब्रश को जल से निकाले जाने पर इसके केश आपस में सटे रहते हैं।
(iii) पतली नली के सिरे से पिघला सीसा गिराये जाने पर सीसे की बूँद पृष्ठ तनाव के कारण गोलाकार रूप ले लेती है। कारखाने में सीसे की गोली इसी तरह बनायी जाती है।
(iv) पानी भरे गड्ढे में मिट्टी का तेल छिड़क देने से मच्छर मर जाते हैं क्योंकि, मिट्टी का तेल छिड़कने से पानी का पृष्ठ तनाव कम हो जाता है। पृष्ठ तनाव कम होने से उसकी सतह पर जो तनाव झिल्ली होती है वह टूट जाती है, जिससे मच्छर बैठते ही डूबकर मर जाते हैं।
(v) समुद्र की लहरों को शांत करने के लिए तेल गिराया जाता है। पृष्ठ तनाव में कमी आने पर लहरों की ऊँचाई कम हो जाती है।
(vi) साबुन के घोल के बुलबुले बड़े इसलिए बनते हैं क्योंकि जल में साबुन घोलने पर उसका पृष्ठ तनाव कम हो जाता है।
ससंजक बल (Cohesive Force)
◆ एक ही पदार्थ के अणुओं के बीच कार्यकारी आकर्षण बलों को ससंजक बल कहते हैं। टोसों में ससंजक बल का मान अधिक होता है, फलतः उनके आकार निश्चित होते हैं। गैयों में ससंजक बल का मान नगण्य होता है। पृष्ठ तनाव का कारण ससंजक बलों का होता है।
आसंजक बल (Adhesive Force)
◆ भिन्न-भिन्न पदार्थों के अणुओं के बीच कार्यकारी बल को आसंजक बल कहते हैं। आसंजक बल के कारण ही एक वस्तु दूसरे से चिपकती है।
केशिकत्व (Capillarity)
◆ केशनली (Capillary Tube) एक ऐसी नली होती है जिसकी क्रिया बहुत कम तथा एक समान होती है।
◆ केशनली में द्रव के ऊपर चढ़ने या नीचे उतरने की घटना को कंशिकत्व (Capillarity) कहते हैं।
◆ केशनली में द्रव किस सीमा तक चढ़ता या उतरता है, यह केशनली की क्रिया पर निर्भर करता है। संकीर्ण नली में द्रव का चढ़ाव अधिक तथा चौड़ी नली में द्रव का चढ़ाव कम होता है।
◆ सामान्यतः जो द्रव काँच को भिंगोता है, वह केशनली में ऊपर चढ़ जाता है और जो द्रव काँच को नहीं भिंगोता है वह नीचे दब जाता है, जैसे- जब केशनली को पानी में डुबाया जाता है तो पानी ऊपर चढ़ जाता है और पानी का सतह केशनली के अंदर फँसा हुआ रहता है। इसके विपरीत जब केशनली को पारे में डुबाया जाता है, तो पारा केशनली में बर्तन में रखे पार की
सतह से नीचे ही रहता है और केशनली में पारा की सतह उभरा हुआ रहता है।
केशिकत्व के कुछ उदाहरण
(i) ब्लॉटिंग पेपर स्याही को शीघ्र सोख लेता है, क्योंकि इसमें बने छोटे-छोटे छिद्र केशनली की तरह कार्य करती है।
(ii) लालटेन या लैंप की बत्ती में केशिकत्व के कारण ही तेल ऊपर चढ़ता है।
(iii) पेड़-पौधों की शाखाओं, तनों एवं पत्तियों तक जल और आवश्यक लवण केशिकत्व की क्रिया के द्वारा ही पहुँचते हैं।
(iv) कृत्रिम उपग्रह के अंदर (भारहीनता की अवस्था) यदि किसी केशनली को जल में खड़ा किया जाये तो नली में चढ़ने वाले जल स्तंभ का प्रभावी भार शून्य होने के कारण जल नली के दूसरे सिरे तक पहुँच जायेगा चाहे केशनली कितनी लंबी क्यों न हो।
(v) वर्षा के बाद किसान अपने खेतों की जुताई कर देते हैं ताकि मिट्टी में बनी केशनलियाँ टूट जाये और पानी ऊपर न आ सके व मिट्टी में नमी बनी रहे।