पोषण एवं स्वास्थ्य
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पोषण एवं स्वास्थ्य
◆ पोषक तत्त्व भोज्य पदार्थों में निहित उपयोगी रासायनिक घटक होते हैं, जिनका उपयुक्त मात्रा में उपलब्ध होना शरीर को स्वस्थ्य रखने के लिए परम आवश्यक है। रासायनिक आधार पर पोषक तत्त्वों को दो वर्गों में बाँटा गया है- 1. कार्बनिक पोषक तत्त्व एवं 2. अकार्बनिक पोषक तत्त्व |
1. कार्बनिक पोषक तत्त्व
◆ इसमें प्रमुख पाँच तत्त्व होते हैं, जो निम्नलिखित हैं
(i) कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrates ) : यह हमारे शरीर के लिए आवश्यक तत्त्व है। हमारे आहार में इनकी मात्रा 65% ऊर्जा का आयोजन करने वाली होनी चाहिए। ये रासायनिक यौगिक होते हैं जिनमें कार्बन, हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन होते हैं।
कार्बोहाइड्रेट के प्रमुख कार्य :
◆ ये शरीर को ऊर्जा प्रदान करते हैं।
◆ शरीर में वसा के उपयोग के लिए ये जरूरी होते हैं।
◆ ये प्रोटीन को शरीर के निर्माणकारी कार्यों के लिए सुरक्षित रखते हैं और बदले में शरीर की ऊर्जा की माँग पूरी करते हैं। एक ग्राम कार्बोहाइड्रेट लगभग चार कैलोरी ऊर्जा उत्पन्न करती है।
◆ ये विटामिन C का निर्माण करते हैं।
कार्बोहाइड्रेट का महत्त्व
◆ कार्बोहाइड्रेट की अधिकता से शरीर का वजन बढ़ता है, तथा मोटापे से सम्बन्धित रोग हो जाते हैं।
◆ कार्बोहाइड्रेट की कमी से शरीर का वजन कम हो जाता है, कार्यशक्ति घट जाती है और प्रोटीन ऊर्जा उत्पन्न करने हेतु प्रयुक्त होने लगती है, जिससे यकृत एवं नाड़ी संस्थान के क्रिया-कलापों में शिथिलता आ जाती है।
◆ कार्बोहाइड्रेट के प्रमुख स्रोत : गेहूँ, मक्का, चावल, बाजरा, जौ, शक्कर, गुड़, शहद, सूखे फल, अंजीर, दूध, पके फल, आलू, शकरकंद, चुकंदर, रसीले फल आदि ।
(ii) प्रोटीन (Protein) : प्रोटीन अत्यंत जटिल तथा नाइट्रोजन युक्त पदार्थ होते हैं। इसकी रचना लगभग 20 अमीनों अम्लों (Amino Acids) के भिन्न-भिन्न संयोगों से हुआ है। ये अमीनो अम्ल शरीर के उचित पोषण के लिए नितांत आवश्यक होते हैं और किसी भी आहार में इनकी व्यवस्था पर्याप्त तथा उचित मात्रा में होना आवश्यक है। मानव शरीर का लगभग 20% भाग प्रोटीन से ही निर्मित होता है।
प्रोटीन के प्रमुख कार्य
ये कोशिकाओं की वृद्धि एवं मरम्मत का कार्य करती हैं।
◆ अनेक जटिल प्रोटीन उपापचयी प्रक्रमों (Metabolic Processes) में एन्जाइम का कार्य करती हैं।
◆ कुछ प्रोटीन हार्मोन संश्लेषण में भाग लेते हैं।
◆ ये हीमोग्लोबिन के रूप में शरीर में गैसीय संवहन का कार्य करती है ।
◆ ये एण्टीबॉडीज (Antibodies) के रूप में शरीर की सुरक्षा करती है।
प्रोटीन का महत्त्व
◆ प्रोटीन की कमी से शरीर की मांसपेशियाँ कमजोर हो जाती है, भौतिक, शारीरिक तथा मानसिक विकास रुक जाता है एवं रोग प्रतिरोधी शक्तियाँ कम हो जाती है।
◆ प्रोटीन की कमी से बच्चों में क्वाशियोर्कर (Kwashiorkor) नामक रोग होता है। इस रोग में बच्चों का हाथ-पाँव दुबला-पतला हो जाता है एवं पेट बाहर की ओर निकल आता है।
◆ प्रोटीन की ही कमी से बच्चों में मरास्मस (Marasmus) नामक रोग होता है। इस रोग में बच्चों की मांपपेशियाँ ढीली हो जाती है।
◆ प्रोटीन के प्रमुख स्रोत : दूध, अंडा, फली, बादाम, दाल, सोयाबीन, पनीर, खोया, मांस, मछली आदि।
(iii) वसा (Fat) : वसा शरीर को ऊर्जा प्रदान करने वाले प्रमुख खाद्य पदार्थ हैं पर ये सांद्र (Concetrated) स्रोत हैं। एक ग्राम वसा लगभग 9 कैलोरी ऊर्जा प्रदान करती है। सामान्यतः एक वयस्क व्यक्ति को 20-30% ऊर्जा वसा से प्राप्त होनी चाहिए। शरीर में वसा का संश्लेषण माइटोकॉण्ड्रिया में होता है। वसा सामान्यत: 20°C ताप पर ठोस अवस्था में होते हैं, परन्तु यदि वे इस ताप पर द्रव अवस्था में हों तो उन्हें ‘तेल’ कहते हैं।
वसा के प्रमुख कार्य
यह खाद्य पदार्थों में स्वाद उत्पन्न करती हैं और आहार को रुचिकर बनती है।
◆ यह ठोस रूप में शरीर को ऊर्जा प्रदान करती है। एक ग्राम वसा में 9 कैलोरी ऊर्जा होती है।
◆ यह त्वचा के नीचे जमा होकर शरीर के ताप को बाहर नहीं निकलने देती।
◆ यह शरीर के विभिन्न अंगों को चोटों से बचाती है।
◆ प्रोटीन के स्थान में जलकर शरीर को ऊर्जा प्रदान करती है।
वसा का महत्त्व
◆ वसा की कमी से त्वचा रूखी हो जाती है, वजन में कमी हो जाती है तथा शरीर का विकास रूक जाता है।
◆ वसा की अधिकता से शरीर स्थूल हो जाता है तथा हृदय की बीमारी, रक्तचाप का बढ़ना आदि रोग हो जाते हैं।
◆ वसा के प्रमुख स्रोत : दूध, मांस, मछ मक्खन, मूँगफली के तेल एवं अन्य तेल, घी आदि । “
(iv) जल (Water) : शरीर के भार का लगभग 70% पानी होता है। यह शरीर की सभी कोशिकाओं का एक महत्त्वपूर्ण घटक है।
जल का महत्त्व
◆ शरीर में सम्पूर्ण रासायनिक अभिक्रियाएँ तथा प्रक्रमण पानी के माध्यम से ही होते हैं। अतः शरीर में प्रतिदिन पर्याप्त मात्रा में पानी का पहुँचना आवश्यक है।
◆ सामान्यतः स्वस्थ्य व्यक्ति को औसतन 4-5 लीटर पानी पीना चाहिए।
(v) विटामिन (Vitamins) : 1911 ई. में फंक (Funk) ने विटामिन का आविष्कार किया था।
विटामिन का महत्त्व
◆ विटामिन एक प्रकार का कार्बनिक यौगिक है जो शरीर की सामान्य वृद्धि तथा रोगों से रक्षा के लिए अत्यंत ही आवश्यक है। इसकी कमी के कारण शरीर किसी न किसी रोग का शिकार हो जाता है।
◆ विटामिन से कोई कैलोरी नहीं प्राप्त होती, परन्तु ये शरीर के उपापचय (Metabolism) में रासायनिक प्रतिक्रियाओं के नियमन के लिए अत्यंत आवश्यक है।
◆ विटामिनों को रक्षात्मक खाद्य (Protective Foods) कहते हैं।
◆ रासायनिक बनावट और किये गये शारीरिक कार्यों के अनुसार विटामिन को A, B, C, D. E एवं K अक्षरों के नाम से जाना जाता है।
◆ विटामिनों को घुलनशीलता के आधार पर दो भागों में बाँटा गया है –
(a) जल में घुलनशील विटामिन-विटामिन B एवं विटामिन C ।
(b) वसा में घुलनशील विटामिन– विटामिन A, विटामिन – D, विटामिन E तथा विटामिन – K ।
विटामिन की कमी से होने वाला रोग एवं उसके स्रोत
विटामिन | रासायनिक नाम | कमी से होने वाला रोग | स्रोत |
विटामिन-A | रेटिनॉल | रतौंधी, संक्रमणों का खतरा, जीरोप्थैलमिया | दूध, अंडा, पनीर, हरी साग-सब्जी, मछलीयकृत तेल |
विटामिन-B1 | थायमिन | बेरी-बेरी | मूँगफली, तिल, सूखी मिर्च, बिना घुली दाल, यकृत, अंडा एवं सब्जियाँ |
विटामिन -B2 | राइबोफ्लेविन | त्वचा का फटना, आँखों का लाल होना, जिह्वा का फटना | खमीर, कलेजी, मांस, हरी सब्जियाँ, दूध |
विटामिन – B3 | पैन्टोथेनिक अम्ल | बाल सफेद होना, मंद बुद्धि होना | मांस, दूध, मूँगफली, गन्ना, टमाटर |
विटामिन – B5 | निकोटिनैमाइड या नियासिन | पेलाग्रा ( त्वचा दाद) 4- D सिंड्रोम | मांस, मूँगफली, आलू, टमाटर, पत्ती वाली सब्जियाँ |
विटामिन – B6 | पाइरीडॉक्सिन | एनीमिया, त्वचा रोग | यकृत, मांस, अनाज |
विटामिन – B7 | बायोटीन | लकवा, शरीर में दर्द, बालों का गिरना | मांस, अंडा, यकृत, दूध |
विटामिन B12 | साएनोकोबालमिन | एनीमिया, पांडुरोग | मांस, कलेजी, दूध |
फॉलिक अम्ल | टेरोईल ग्लूटैमिक | एनीमिया, पेचिश रोग | दाल, यकृत, सब्जियाँ, अंडा, सेम |
विटामिन -C | एस्कार्बिक एसिड | स्कर्वी, मसूड़े का फूलना | नींबू, संतरा, नारंगी, टमाटर, खट्टे पदार्थ, मिर्च, अंकुरित अनाज |
विटामिन -D | कैल्सिफेरॉल | रिकेट्स (बच्चो में) ऑस्टियोमलेशिया ( वयस्क में) | मछली, यकृत, तेल, दूध, अंडे |
विटामिन -E | टोकोफेरॉल | जननशक्ति का कम होना | पत्ती वाली सब्जियाँ, दूध, मक्खन, अंकुरित गेहूँ, वनस्पति तेल |
विटामिन -K | फिलोक्विनोन | रक्त का थक्का न बनना | टमाटर, हरी सब्जियाँ, आँतों में भी उत्पन्न |
2. अकार्बनिक पोषक तत्त्व
◆ शरीर में कुछ अकार्बनिक रसायन तत्त्व भी विद्यमान रहते हैं। ये रचनात्मक तत्त्व कहे जाते हैं, क्योंकि ये हमारे शरीर को रोगों से बचाते हैं तथा उसके विकास में सहयोग देते हैं। औसतन मनुष्य को प्रतिदिन 20-30 ग्राम इन अर्काबकिन तत्त्वों ( खनिज लवणों) का उपयोग करना चाहिए। मुख्य अकार्बनिक तत्त्व निम्नलिखित हैं –
(i) कैल्सियम (Calcium) : इसके मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं –
◆ यह अस्थि एवं दाँत का निर्माण करता है।
◆ यह हृदय की धड़कन को संचालित करता है।
◆ यह रक्त के जमने (Clotting) की क्रिया में सहायता करता है। इस प्रकार यह विटामिन K के रूप में कार्य करता है ।
◆ यह नाड़ियों को स्वस्थ्य रखता है।
◆ यह एन्जाइमों के स्रावित होने में सहायता करता है ।
कैल्सियम का महत्त्व
◆ कैल्सियम की कमी से अस्थियों का ठीक से निर्माण नहीं होता तथा दाँत विलम्ब से निकलते हैं एवं जल्दी टूटते हैं।
◆ वयस्क एवं गर्भवती स्त्रियों की हड्डियों में बनावट की प्रक्रिया रुक जाती है जिससे हड्डियों के विकास में असंतुलन आ जाता है।
◆ कैल्सियम के प्रमुख स्रोत : दूध, दूध से निर्मित वस्तुएँ, हरी पत्तेदार सब्जियाँ, चावल को छोड़कर, बाजरा, रागी, मक्का आदि जैसे अनाज।
(ii) फॉस्फोरस (Phosphorus): इसके मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं
◆ यह कैल्सियम के साथ संयुक्त होकर अस्थि एवं दाँतों का निर्माण करता है।
◆ यह वसा ( Fats ) एवं कार्बोहाइड्रेट के पाचन में सहायता करता है।
◆ रक्त में इसकी उपस्थिति से शारीरिक अम्ल – क्षार संतुलन ठीक रहता है।
◆ फॉस्फोरस के प्रमुख स्रोत: दूध, पनीर, अंडे का पीला भाग, मांस, मछली, दाल, मेवे तथा सम्पूर्ण धान्य आदि।
(iii) लोहा (Iron/Ferrum) : इसके मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं
◆ लौह लवण की कमी प्रमुखतया बालकों एवं महिलाओं में पायी जाती है। लौह लवण से रक्त का हीमोग्लोबिन बनता है जो शरीर में ऑक्सीजन का संवाहक होता है।
लोहा का महत्त्व
◆ लोहे की कमी से रक्त के ऑक्सीजन संवहन की क्षमता कम हो जाती है, जिसे अरक्तता (Anaemia) कहते हैं ।
◆ लोहे की कमी से शरीर की शक्ति में क्षीणता आती है। थकान अत्यधिक महसूस होती है।
◆ एक व्यक्ति को एक दिन में लगभग 20 मिलग्राम लोहा आवश्यक होता है। लोहा का अधिशोषण केवल 10% ही होता है।
◆ लोहा के प्रमुख स्रोत : यकृत इसका सर्वोत्तम स्रोत है। इसके अतिरिक्त अंडा, पालक मेथी, अनाज तथा मेवा आदि ।
(iv) आयोडीन (Iodine) : इसके मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं –
◆ थाइरॉइड ग्रन्थि से उत्पन्न होने वाला हार्मोन थाइरॉक्सिन (Thyroxin) कहलाता है जिसमें आयोडीन बहुत अधिक होता है। भोजन और पानी में थाइरॉक्सिन के उत्पादन के लिए आयोडीन अनिवार्य है।
विभिन्न भोज्य पदार्थों में लोहे (%) की मात्रा
भोज्य पदार्थ | लोहा (मिलीग्राम) |
मेथी (सब्जी) | 16.9 |
पुदीना | 15.6 |
पालक | 10.9 |
तिल | 10.5 |
हरी धनिया | 10.8 |
चना | 9.8 |
पोहा | 8.0 |
आटा | 5.3 |
मूँगफली (छिलके वाली) | 8.5 |
आयोडीन का महत्त्व
◆ आयोडीन की कमी से थाइरॉइड ग्रन्थि बड़ी हो जाती है। इससे प्रभावित व्यक्ति के गर्दन की बीच सूजन आ जाती है। इस बीमारी को घेंघा (Goitre) कहते हैं।
◆ आयोडीन के प्रमुख स्रोत : आयोडीन, समुद्री वनस्पति, मछली, आयोडीनयुक्त नमक आदि ।
(v) सोडियम (Sodium) : इसके मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं –
◆ यह रक्त दाब नियंत्रित करने में सहायक होता है।
◆ यह जल का संतुलन बनाये रखता है।
(vi) पोटैशियम (Potassium) : इसके मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं –
◆ यह हृदय की धड़कन एवं नाड़ी संस्थान के कार्यों को संचालित करता है।
◆ पोटैशियम के प्रमुख स्रोत : मांस, मछली, अनाज, फल, सब्जियाँ आदि ।
महत्त्वपूर्ण खनिज पदार्थ तथा उनके कार्य
खनिज | दैनिक मात्रा | मुख्य स्रोत | कार्य |
सोडियम (सोडियम क्लोराइड के रूप में) | 2-5 g | साधारण नमक, मछली, मांस, अंडे, दूध। | यह सामान्यत: कोशिका बाहय द्रव में धनायन के रूप में होता है तथा निम्न कार्यों में सम्बद्ध है- पेशियों का संकुचन, तंत्रिका तंतु में तंत्रिका आवेग का संचरण, शरीर में धनात्मक विद्युत अपघट्य संतुलन बनाये रखना। |
पोटैशियम | लगभग सभी खाद्य पदार्थों में होता है। | सामान्यतः कोशिका द्रव में धनायन के रूप में पाया जाता है। यह निम्न अभिक्रियाओं के लिए आवश्यक है- कोशिकाओं में होने वाले अनेक रासायनिक अभिक्रियाएँ, पेशीय संकुचन, तंत्रिका आवेग का संचरण, शरीर में विद्युत – अपघट्य संतुलन बनाये रखना। | |
कैल्सियम | लगभग 1.2g | दूध, पनीर, अंडे, चना, हरी सब्जियाँ, साबुत अन्न, रागी मछली। | यह विटामिन के साथ हड्डियों तथा दाँतों को दृढ़ता प्रदान करता है। रुधिर के स्कंदन (clotting) एवं पेशीय संकुचन प्रक्रिया से सम्बद्ध। |
फॉस्फोरस | 1.2 g | दूध, पनीर, हरी पत्तेदार सब्जियाँ, बाजरा, रागी, गिरी, जई, आटा, कलेजी तथा गुर्दे I | कैल्शियम से सम्बद्ध होकर दाँतों तथा हड्डियों को दृढ़ता प्रदान करना। यह शरीर के तरल पदार्थों के संरचनात्मक संतुलन बनाये रखने में सहायक है। |
लौह | 25 mg (बालक)
35mg (बालिका)
|
कलेजी, गुर्दे, अंडे का पीतक, चोकरयुक्त आटे की रोटी बाजरा, रागी, सेव, केला, पालक एवं अन्य हरी सब्जियाँ तथा गुड़। | लोहा लाल रुधिर कणिकाओं में हीमोग्लोबिन के बनने के लिए आवश्यक है। यह ऊतक में ऑक्सीकरण के लिए आवश्यक है। |
आयोडीन | 20 mg | मछली, भोजन (समुद्री), हरी पत्तेदार सब्जियाँ, आयोडीन नमक। | यह थॉइराइड ग्रन्थि द्वारा स्रावित थॉइरॉक्सिन हार्मोन के संश्लेषण के लिए आवश्यक है। |
मैग्नीशियम | अत्यल्प | सब्जियाँ | पेशी तंत्र एवं तंत्रिका तंत्र की क्रिया हेतु। |
जस्ता | अत्यल्प | यकृत एवं मछलियाँ | इन्सुलिन कार्यिकी के लिए। |
ताँबा | अत्यल्प | मांस, मछली, यकृत एवं अनाज | हीमोग्लोबिन तथा अस्थियों के निर्माण एवं इलेक्ट्रॉन संवाहक के रूप में |
कोबाल्ट | अत्यल्प | मांस, मछली एवं जल | RBC तथा विटामिन B12 के संश्लेषण हेतु। |
नोट: गर्भवती स्त्रियों में प्रायः कैल्सियम और आयरन की कमी हो जाती है।
आहार में पोषक तत्त्वों की आवश्यकता
खाद्य पदार्थ | वयस्क पुरुष | वयस्क महिला | बच्चे | बालक | बालिका |
सामान्य | मध्यम | कठोर | सामान्य | मध्यम | कठोर | 1-3 | 4-6 | 10-18 | 10-16 | |
अन्न (गेहूँ, चावल) | 400 | 520 | 670 | 410 | 440 | 575 | 175 | 270 | 420 | 380 |
दालें | 40 | 50 | 60 | 40 | 45 | 50 | 35 | 35 | 45 | 45 |
पत्तेदार सब्जियाँ | 40 | 40 | 40 | 100 | 100 | 50 | 40 | 50 | 50 | 50 |
सब्जियाँ (अन्य) | 60 | 70 | 80 | 40 | 40 | 100 | 20 | 30 | 50 | 50 |
दूध | 150 | 200 | 250 | 100 | 150 | 200 | 300 | 250 | 250 | 250 |
कंदमूल | 50 | 60 | 80 | 50 | 50 | 60 | 10 | 20 | 30 | 30 |
30 | 35 | 55 | 20 | 20 | 40 | 30 | 40 | 45 | 45 | |
वसा व तेल | 40 | 45 | 65 | 20 | 25 | 40 | 15 | 25 | 40 | 35 |
नोट: संतुलित पोषण : वह पोषण जिससे जीव के लिए आवश्यक सभी पोषक पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हों, संतुलित पोषण कहलाता है। संतुलित पोषण संतुलित आहार से प्राप्त होता है। आजकल दूध को संतुलित आहार नहीं माना जाता है, क्योंकि इसमें आयरन एवं विटामिन C का अभाव होता है।
मानव शरीर की कैलोरी सम्बन्धी आवश्यकताएँ
कार्य की प्रकृति | पुरुष | स्त्री |
हल्का कार्य करने वाले | 2000 कैलोरी | 2100 कैलोरी |
आठ घंटा कार्य करने वाले | 3000 कैलोरी | 2500 कैलोरी |
कठिन परिश्रम करने वाले | 3600 कैलोरी | 3000 कैलोरी |