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बहुलकीकरण एवं प्लास्टिक | बहुलीकरण किसे कहते हैं

बहुलकीकरण एवं प्लास्टिक | बहुलीकरण किसे कहते हैं

बहुलकीकरण एवं प्लास्टिक
बहुलकीकरण (Polymerisation)
◆ जब एक ही प्रकार के एक से अधिक अणु आपस में जुड़कर कोई अधिक अणुभार वाला बड़ा अणु बनाते हैं, तब इस अभिक्रिया को बहुलकीकरण कहा जाता है। बहुलकीकरण में भाग लेने वाले अणुओं को एकलक (Monomex) व उत्पाद को बहुलक (Ploymer) कहते हैं।
बहुलकीकरण की विशेषताएँ:
(i) इसमें एक ही यौगिक के अणु परस्पर संयोग करते हैं।
(ii) किसी भी अणु का निष्कर्षण नहीं होता है।
(iii) बहुलक का अणुभार मूल यौगिक के अणुभार का गुणक होता है।
◆ प्राकृतिक बहुलक के उदाहरण हैं- स्टार्च एवं सेल्यूलोज।
प्लास्टिक (Plastic)
◆ बहुत से असंतृप्त हाइड्रोकार्बन, जैसे- एथिलीन, प्रोपिलीन आदि बहुलकीकरण की क्रिया के बाद जो उच्च बहुलक बनाते हैं, उसे ही प्लास्टिक कहा जाता है। प्राकृतिक प्लास्टिक का उदाहरण है- लाह। ताप सहन करने की क्षमता के अनुसार रासायनिक विधि से तैयार प्लास्टिक दो प्रकार के होते हैं- 1. थर्मोप्लास्टिक 2. थर्मोसेटिंग प्लास्टिक।
1. थर्मोप्लास्टिक (Thermoplastic) : यह गर्म करने पर मुलायम तथा ठंडा करने पर कठोर हो जाता है। यह गुण इसमें सदैव मौजूद रहता है चाहे इसे कितनी बार ठंडा व गर्म किया जाये। जिन कार्बनिक यौगिकों के अंत में एक द्विबंध रहता है, उनके योग बहुलकीकरण से थर्मोप्लास्टिक बनाते हैं। उदाहरणार्थ- पॉलीथीन, नायलॉन, पॉलीस्टॉइरीन, टेफ्लॉन और
पॉलीविनाइल क्लोराइड आदि।
2. थर्मोसेटिंग प्लास्टिक (Thermosetting Plastic) : यह वह प्लास्टिक है, जो पहली बार गर्म करते समय मुलायम हो जाता है और उसे इच्छित आकार में ढाल लिया जाता है। इसे पुन: गर्म करके मुलायम नहीं बनाया जा सकता है। इस प्रकार के अनुक्रणीय बहुलकों को ताप दृढ़ बहुलक कहते हैं। उदाहरणार्थ- बैकलाइट तथा मेलामाइन।
प्लास्टिकों के प्रमुख प्रकारः
(i) पॉलीथीन (Polythene) : पॉलीथीन, एथिलीन (C₂H4) के उच्च ताप एवं उच्च दाब पर बहुलकीकरण के फलस्वरूप प्राप्त किया जाता है। पॉलीथीन पर अम्ल तथा क्षार आदि का प्रभाव नहीं पड़ता। इसका उपयोग तार के ऊपर का आवरण, खिलौने, बोतल, बाल्टी, पाइप एवं पैकिंग की थालियाँ बनाने में होता है।
(ii) पॉली विनाइल क्लोराइड (Poly Vinyl Chloride-PVC) : यह प्लास्टिक, विनाइल क्लोराइड के बहुलकीकरण के फलस्वरूप प्राप्त होता है। इसका उपयोग सीट कवर, चादरे, फिल्म, पर्स, बरसाती आदि बनाने में किया जाता है।
(iii) पॉलीस्टॉइरीन (Polystyrene) : यह प्लास्टिक, फेनिल एथिलीन के बहुलकीकरण के फलस्वरूप प्राप्त होता है। इसे स्टाइरोन (Styron) भी कहा जाता है। इसका उपयोग अम्ल रखने की बोतलों व सेलों के कवर आदि बनाने में किया जाता है।
(iv) बैकेलाइट (Bakelite) : यह प्लास्टिक, फिनॉल व फार्मेल्डिहाइड के बहुलकीकरण के फलस्वरूप प्राप्त होता है। यह रेडियो, टेलीविजन के आवरण, ढलाई तथा विद्युतरोधी समान बनाने आदि के काम आता है।
(v) यूरिया फार्मोल्डिहाइड प्लास्टिक (Urea Farmoldihide Plastic) : यह प्लास्टिक यूरिया व फार्मोल्डिहाइड के जलीय विलयन को गर्म करके बनाया जाता है। इसका उपयोग सजावट करने वाली वस्तुओं को बनाने में किया जाता है।
◆  रबर (Rubber) : रबर दो प्रकार का होता है- (i) प्राकृतिक रबर एवं (ii) संश्लिष्ट अथवा कृत्रिम रबर।
◆ प्राकृतिक रबर (Natural Rubber) : यह आइसोप्रीन (Isoprene) का बहुलक होता है, यह थर्मोप्लास्टिक है।
◆ वल्कनीकरण (Vulcanisation) : प्राकृतिक रबर को सल्फर के साथ मिलाकर गर्म करने की क्रिया वल्कनीकरण कहलाता है। इसके बाद रबर एक निश्चित आकार ग्रहण कर लेता है। इस प्रकार के रबर का उपयोग दस्ताना (Gloves) तथा रबर बैंड (Rubber Band) बनाने में किया जाता है।
◆ रबर आसानी से कार्बन डाइऑक्साइड में घुल जाता है।
◆प्राकृतिक रबर बहुत मुलायम होता है, इसे कठोर बनाने के लिए इसमें कार्बन मिलाया जाता है। तब इसका प्रयोग टायर एवं ट्यूब आदि बनाने में किया जाता है।
◆ संश्लिष्ट रबर (Syntnetic Rubber) : यह दो प्रकार का होता है-
(i) नियोप्रीन (Neoprene) : यह 2-क्लोरोब्यूटाडाइन (2-Chirobutadiene) के बहुलकीकरण से बनता है। इसका उपयोग विद्युतरोधी पदार्थ (Insulating Material), विद्युत तार (Electri Cable), कनवेयर बेल्टर (Conveyor Belt) तथा खनिज तेल ले जाने वाले पाइप बनाने में किया जाता है।
(ii) थाईकॉल (Thiokol) : यह दूसरे कृत्रिम रबर है, जो डाइक्लोरो इथेन (Dichloro Ehtene) को पॉलीसल्फाइड (Polysulphide) की प्रतिक्रिया से बनाया जाता है। इसका उपयोग खनिज तेल ले जाने वाले पाइप बनाने में, विलायक जमा करने वाला है। (Solvant Storage Tank) आदि बनाने में किया जाता है।
नोट : थाईकॉल रबर को ऑक्सीजन मुक्त करने वाले रसायनों के साथ मिलाकर रॉकेट इंजनों में ठोस ईंधन के रूप में प्रयोग किया जाता है।
◆ रेशे (Fibres) : वे शृंखला-युक्त ठोस जिनकी लंबाई, चौड़ाई की अपेक्षा सैकड़ों या हजारों गुना अधिक हो, रेशे कहलाते हैं।
रासायनिक रेशे
◆ नायलॉन (Nylon) : नॉयलॉन शब्द न्यूयार्क (Newyork) शहर के ‘NY’ तथा लंदन (London) शहर के ‘LON’ को मिलाकर बनाया गया है। नॉयलॉन ऐसे छोटे कार्बनिक अणुओं के बहुलकीकरण प्रक्रिया द्वारा बनाया जाता है, जो प्राकृतिक रूप से उपलब्ध नहीं है। यह एक पॉली  एमाइड रेशे का उदाहरण है, जिसमें एमाइड समूह (>CONH₂) प्रत्येक इकाई पर होता है तथा बार-बार दोहराया जाता है। पॉली एमाइड रेशा बनाने के लिए, दो एमीन (-NH₂) समूह-युक्त किसी कार्बनिक यौगिक की अभिक्रिया किसी ऐसे कार्बनिक यौगिक के साथ की जाती है, जिसमें कार्बोक्सिलिक अम्ल (-COOH) के दो समूह हों। नॉयलॉन मानव द्वारा संश्लिष्ट किया गया पहला रेशा था। इसका निर्माण सर्वप्रथम 1935 ई. में किया गया था तथा व्यापारिक स्तर पर पहली बार 1939 ई. में महिलाओं के लिए इससे जुराबें (Socks) इससे बनायी गयीं। नॉयलॉन का उपयोग मछली पकड़ने के जाल में, पैरासूट के कपड़ा में, टायर, दाँत ब्रश, पर्वतारोही के लिए रस्सी बनाने आदि में होता है।
◆ रेयॉन (Rayon) : सेल्युलोज से बने कृत्रिम रेशे को रेयॉन कहते हैं। रेयॉन बनाने के लिए सेल्युलोज कागज की लुगदी या काष्ठ को लिया जाता है। इसे सान्द्र तथा ठंडे सोडियम हाइड्रोक्साइड तथा कार्बन डाइसल्फाइड से उपचारित करते हैं, उसके बाद इस सेल्युलोज के विलयन को धातु बेलनों में बने छिद्रों में से होकर तनु सल्फ्यूरिक अम्ल में गिराया जाता है, यहाँ इसके लंबे-लंबे तंतु बन जाते हैं। रेयॉन रासायनिक दृष्टि से सूत के समान है। रेयॉन की उपयोग कपड़ा बनाने में, कालीन बनाने में चिकित्सा क्षेत्र में लिंट या जाली बनाने के लिए किया जाता है।
◆ पॉलिएस्टर (Polyster) : इसे इंग्लैंड में विकसित किया गया था। इसे संश्लिष्ट करने के लिए दो हाइड्रोक्सिल (-OH) समूह-युक्त कार्बन यौगिक की अभिक्रिया दो कार्बोक्सिलिक (-COOH) समूह के यौगिक के साथ की जाती है। हाइड्रोक्सिल तथा कार्बोक्सिलिक समूह के मध्य अभिक्रिया के परिणामस्वरूप एस्टर समूह बनाता है। चूँकि इस रेशे में अनेक एस्टर समूह होते हैं, इसलिए इसे पॉलिएस्टर कहते हैं। पॉलिएस्टर का उपयोग कपड़े के रूप में, पाल नौकाओं का पाल बनाने में, अग्निशमन में प्रयुक्त हौज पाइप बनाने में इसका प्रयोग किया जाता है।
◆ कार्बन फाइबर (Carbon Fibres) : कार्बन फाइबर कार्बन परमाणुओं की लंबी श्रृंखला से बने होते हैं। इनका संक्षारण (Corrosion) नहीं होता है। इसका निर्माण संश्लिष्ट रेशों को ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में गर्म करके किया जाता है, जिससे रेशे अपघटित होकर कार्बन फाइबर उत्पन्न करते हैं। इसका उपयोग अंतरिक्ष तथा खेलकूद की सामग्री बनाने में होता है।

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