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बुद्धि निर्माण एवं बहु आयामी बुद्धि

बुद्धि निर्माण एवं बहु आयामी बुद्धि

बुद्धि निर्माण एवं बहु आयामी बुद्धि

Construction of Intelligence and Multi-Dimensional Intelligence
CTET परीक्षा के विगत वर्षों के प्रश्न-पत्रों का विश्लेषण करने से
यह ज्ञात होता है कि यह अध्याय अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। इस
अध्याय से वर्ष 2012 में 4 प्रश्न, 2013 में 3 प्रश्न, 2014 में
6 प्रश्न, 2015 में 3 प्रश्न तथा वर्ष 2016 में 2 प्रश्न पूछे गए हैं।
इस अध्याय के बहुबुद्धि सिद्धान्त, स्टर्नबर्ग, गार्डनर के बुद्धि
सिद्धान्तों से सर्वाधिक प्रश्न पूछे गए हैं।
7.1 बुद्धि
बुद्धि (Intelligence) शब्द का प्रयोग सामान्यतः प्रज्ञा, प्रतिभा, ज्ञान एवं समझ
इत्यादि के अर्थों में किया जाता है। यह वह शक्ति है, जो हमें समस्याओं का
समाधान करने एवं उद्देश्यों को प्राप्त करने में सक्षम बनाती है।
बुद्धि के सन्दर्भ में मनोवैज्ञानिकों में मतभेद हैं, फिर भी यह निश्चित तौर पर
कहा जाता है कि यह किसी के व्यक्तित्व का मुख्य निर्धारक है, क्योंकि इससे
व्यक्ति की योग्यता का पता चलता है। इसे व्यक्ति की जन्मजात शक्ति कहा
जाता है, जिसके उचित विकास में उसके परिवेश की भूमिका प्रमुख होती है।
मानव विकास की विभिन्न अवस्थाओं में बुद्धि के विकास में भी अन्तर होता है।
बुद्धि के मुख्य तीन पक्ष होते हैं–कार्यात्मक, संरचनात्मक एवं क्रियात्मक।
बुद्धि को मुख्यतः तीन श्रेणियों में रखा गया है-सामाजिक बुद्धि, स्थूल बुद्धि एवं
अमूर्त बुद्धि।
वंशानुक्रम एवं वातावरण तथा इन दोनों की अन्तःक्रिया बुद्धि को निर्धारित करने
वाले कारक हैं।
बुद्धि की परिभाषाएँ
बुद्धि के सन्दर्भ में विभिन्न मनोवैज्ञानिकों द्वारा निम्न परिभाषाएँ दी गई है
    एल.एम. टर्मन ने बुद्धि की परिभाषा (Delhitions of Intelligence)
इस प्रकार दी है, “बुसि अमूर्त विचारों के सन्दर्भ में सोचने की
योग्यता है”
     स्टर्न के अनुसार, “बुद्धि व्यक्ति की वह सामान्य योग्यता है, जिसके
द्वारा वह सचेत रूप से नवीन आवश्यकताओं के अनुसार चिन्तन
करता है। इस तरह, जीवन की नई समस्याओ एवं स्थितियों के
अनुसार अपने आपको ढालने की सामान्य मानसिक योग्यता ‘बुद्धि’
कहलाती है।”
      पिन्टर के अनुसार, “जीवन की अपेक्षाकृत नवीन परिस्थितियों से अपना
सामंजस्य करने की व्यक्ति की योग्यता ही बुद्धि है।”
       रायबर्न के अनुसार, “बुद्धि वह शक्ति है, जो हमें समस्याओं का
समाधान करने और उद्देश्यों को प्राप्त करने की क्षमता देती है।”
      वैश्लर के अनुसार, “बुद्धि किसी व्यक्ति के द्वारा उद्देश्यपूर्ण ढंग से
कार्य करने, तार्किक चिन्तन करने तथा वातावरण के साथ प्रभावपूर्ण
ढंग से क्रिया करने की सामूहिक योग्यता है।”
       वुडवर्थ के अनुसार, “बुद्धि, कार्य करने की एक विधि है।”
   वुडरो के अनुसार, “बुद्धि, ज्ञान अर्जन करने की क्षमता है।”
  हेनमॉन के अनुसार, “बुद्धि में मुख्य तत्त्व होते है ज्ञान की क्षमता एवं
निहित ज्ञाना”
      थॉर्नडाइक के अनुसार, “सत्य या तथ्य के दृष्टिकोण से उत्तम
प्रतिक्रियाओं की शक्ति ही बुद्धि है।”
      कॉलविन के अनुसार, “यदि व्यक्ति ने अपने वातावरण से सामंजस्य
करना सीख लिया है या सीख सकता है, तो उसमें बुद्धि है।”
उपरोक्त परिभाषाओं के अनुसार, हम यह कह सकते है कि बुद्धि अमूर्त
चिन्तन की योग्यता, अनुभव से लाभ उठाने की योग्यता, अपने वातावरण
से सामंजस्य करने की योग्यता, सीखने की योग्यता, समस्या समाधान करने
की योग्यता तथा सम्बन्धों को समझने की योग्यता है।
7.2 बुद्धि के सिद्धान्त
कुछ मनोवैज्ञानिकों ने बुद्धि के स्वरूप से सम्बन्धित विभिन्न सिद्धान्तों का
प्रतिपादन किया है, जिनसे बुद्धि के सम्बन्ध में कई प्रकार की महत्त्वपूर्ण
जानकारियाँ मिलती हैं, जो निम्न प्रकार हैं
7.2.1 एक-कारक सिद्धान्त
• एक-कारक सिद्धान्त (One-Factor or Monarchy Theory) का
प्रतिपादन बिने (Binet) ने किया और इस सिद्धान्त का समर्थन कर
इसको आगे बढ़ाने का श्रेय टर्मन, स्टर्न एनिंग्हास जैसे मनोवैज्ञानिकों
को है।
• इन मनोवैज्ञानिकों का मत है बुद्धि एक अविभाज्य इकाई है।
• स्पष्ट है कि इस सिद्धान्त के अनुसार बुद्धि को एक शक्ति या कारक के
रूप में माना गया है।
• इन मनोवैज्ञानिकों के अनुसार, बुद्धि वह मानसिक शक्ति है, जो व्यक्ति
के समस्त कार्यों का संचालन करती है तथा व्यक्ति के समस्त व्यवहारों
को प्रभावित करती है।
7.2.2 द्वि-कारक सिद्धान्त
इस सिद्धान्त के प्रतिपादक स्पीयरमैन है। उनके अनुसार बुद्धि में दो कारक है
अथवा सभी प्रकार के मानसिक कार्यों में दो प्रकार की मानसिक योग्यताओं
की आवश्यकता होती है। प्रथम सामान्य मानसिक योग्यता (General
intelligence ‘g’) द्वितीय विशिष्ट मानसिक योग्यता (Specific
intelligence ‘s’)
• प्रत्येक व्यक्ति में सामान्य मानसिक योग्यता के अतिरिक्त कुछ-न-कुछ
विशिष्ट योग्यताएँ पाई जाती हैं।
• एक व्यक्ति जितने ही क्षेत्रों अथवा विषयों में कुशल होता है, उसमें उतनी
ही विशिष्ट योग्यताएं पाई जाती हैं।
• यदि एक व्यक्ति में एक से अधिक विशिष्ट योग्यताएं हैं, तो इन विशिष्ट
योग्यताओं में कोई विशेष सम्बन्ध नहीं पाया जाता है।
• स्पीयरमैन का यह विचार है कि एक व्यक्ति में सामान्य योग्यता की मात्रा
जितनी ही अधिक पाई जाती है, वह उतना ही अधिक बुद्धिमान होता है।
7.2.3 बहुकारक सिद्धान्त
इस सिद्धान्त के मुख्य समर्थक थॉर्नडाइक थे। इस सिद्धान्त के अनुसार, बुद्धि
कई तत्त्वों का समूह होती है और प्रत्येक तत्त्व में कोई सूक्ष्म योग्यता निहित
होती है। अत: सामान्य बुद्धि नाम की कोई चीज नहीं होती, बल्कि बुद्धि में
कई स्वतन्त्र, विशिष्ट योग्यताएँ निहित रहती है, जो विभिन्न कार्यों को
सम्पादित करती हैं।
थॉर्नडाइक ने तीन प्रकार की बुद्धि के बारे में बताया। ये बुद्धि है― अमूर्त
बुद्धि, सामाजिक बुद्धि तथा यान्त्रिक बुद्धि।
इसके अतिरिक्त थॉर्नडाइक ने बुद्धि के चार स्वतन्त्र प्रतिमान (aspects) दिए है
1. स्तर (Level) स्तर का शाब्दिक अर्थ होता है कि किसी विशेष
कठिनाई स्तर का कितना कार्य किसी व्यक्ति द्वारा किया जा सकता है।
2. परास/सीमा (Range) इसका अर्थ है, कार्य की उस विविधता से जो
किसी स्तर पर कोई व्यक्ति समस्या का समाधान कर सकता है।
3. क्षेत्र (Area) क्षेत्र का अभिप्राय है, क्रियाओं को उन कुल संख्याओं से
है, जिनका हम समाधान कर सकते हैं।
4. गति (Speed) इसका अर्थ कार्य करने की गति है।
                     बुद्धि के सिद्धान्त
सिद्धान्त                                         प्रतिपादक
एक कारक सिद्धान्त                          बिने, टर्मन, स्टर्न
द्वि-कारक सिद्धान्त                            स्पीयरमैन
बहुकारक सिद्धान्त                             थॉर्नडाइक
प्रतिदर्श सिद्धान्त                                थॉमसन
समूहकारक सिद्धान्त                           थर्सटन
पदानुक्रमिक सिद्धान्त (त्रिआयामी)         जे.पी. गिलफोर्ड
तरल ठोस बुद्धि सिद्धान्त                      आर.बी. कैटेल
बहुबुद्धि सिद्धान्त                                 हॉवर्ड गार्डनर
7.2.4 प्रतिदर्श सिद्धान्त
• इस सिद्धान्त का प्रतिपादन थॉमसन ने किया था। उसने अपने इस सिद्धान्त
का प्रतिपादन स्पीयरमैन के द्वि-कारक सिद्धान्त के विरोध में किया था।
• थॉमसन ने इस बात का तर्क दिया कि व्यक्ति का बौद्धिक व्यवहार अनेक
स्वतन्त्र योग्यताओं पर निर्भर करता है, किन्तु इन स्वतन्त्र योग्यताओं का
क्षेत्र सीमित होता है।
• प्रतिदर्श सिद्धान्त (Sample Theory) के अनुसार बुद्धि कई स्वतन्त्र तत्त्वों
से बनी होती है। कोई विशिष्ट परीक्षण या विद्यालय सम्बन्धी क्रिया में इनमें
से कुछ तत्त्व स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगते हैं। यह भी हो सकता है कि
दो या अधिक परीक्षाओं में एक ही प्रकार के तत्त्व दिखाई दें तब उनमें
एक सामान्य तत्त्व की विद्यमानता मानी जाती है। यह भी सम्भव है कि
अन्य परीक्षाओं में विभिन्न तत्त्व दिखाई दें तब उनमें कोई भी तत्त्व सामान्य
नहीं होगा और प्रत्येक तत्त्व अपने आप में विशिष्ट होगा।
7.2.5 समूह-तत्त्व सिद्धान्त
• स्पीयरमैन के सिद्धान्त के विरूद्ध थर्सटन महोदय ने समूह तत्व सिद्धान्त
(Group Element Theory) प्रतिपादित किया।
• वे तत्त्व जो प्रतिभात्मक योग्यताओं में तो सामान्य नहीं होते, परन्तु कई
क्रियाओं में सामान्य होते हैं, उन्हें समूह-तत्त्व की संज्ञा दी गई है।
• इस सिद्धान्त के समर्थकों में थर्सटन का नाम प्रमुख है। प्रारम्भिक मानसिक
योग्यताओं का परीक्षण करते हुए वह इस निष्कर्ष पर पहुँचे थे कि कुछ
मानसिक क्रियाओं में एक प्रमुख तत्त्व सामान्य रूप से विद्यमान होता है, जो उन
क्रियाओं के कई ग्रुप होते हैं, उनमें अपना एक प्रमुख तत्त्व होता है।
• ग्रुप तत्त्व सिद्धान्त की सबसे बड़ी कमी यह है कि यह सामान्य तत्व की
धारणा का खण्डन करता है।
अन्य मनोवैज्ञानिकों ने भी बुद्धि परीक्षण से सम्बन्धित सिद्धान्त दिये है जो कि
निम्नलिखित है।
7.2.6 गिलफोर्ड का सिद्धान्त
जे.पी. गिलफोर्ड और उसके सहयोगियों ने बुद्धि परीक्षण से सम्बन्धित कई
परीक्षणों पर कारक विश्लेषण तकनीक का प्रयोग करते हुए मानव बुद्धि के
विभिन्न तत्त्वों या कारकों को प्रकाश में लाने वाला प्रतिमान विकसित किया।
इस सिद्धान्त को पदानुक्रमिक सिद्धान्त (त्रि-आयामी) भी कहा जाता है।
1. संज्ञान (Cognition) इसका अर्थ होता है, खोज, दोबारा खोज या
पहचान की क्षमता इत्यादि।
2. स्मृति (Memory) इसका अर्थ होता है, जो भी संज्ञान में आया है उसे
धारण करना
3. मूल्यांकन (Evaluation) इस प्रक्रिया के अन्तर्गत व्यक्ति जो कुछ
जानता है वह उसकी स्मृति में रहता है तथा जो कुछ वह मौलिक
चिन्तन में निर्मित करता है, उनके परिणामों की अच्छाई, सत्यता,
उपयुक्तता के विषय में निर्णय लेता है।
4. अभिसारी चिन्तन (Convergent Thinking) के अन्तर्गत व्यक्ति
समस्या के ऐसे समाधान पर पहुँचता है, जो परम्परा एवं प्रचलन के
अनुसार स्वीकृत एवं सही समझा जाता हो।
5. अपसारी चिन्तन (Divergent Thinking) के अन्तर्गत व्यक्ति
विभिन्न दिशाओं, विभिन्न मार्गों से विभिन्नता के साथ समस्या का हल
निकालता है तथा व्यक्ति उनके परिणाम की अच्छाई तथा उपयोगिता
के सन्दर्भ में निर्णय लेता है। ऑउट ऑफ द बॉक्स चिन्तन इसी के
अन्तर्गत आता है।
गिलफोर्ड एवं उसके सहयोगियों ने अपने अध्ययन एवं प्रयासों के
द्वारा यह प्रतिपादित करने की कोशिश की कि हमारी किसी भी
मानसिक प्रक्रिया अथवा बौद्धिक कार्य को तीन आधारभूत
आयामों-संक्रिया (operation), सूचना सामग्री या विषय-वस्तु तथा
उत्पादन में विभाजित किया जा सकता है।
7.2.7 हावर्ड गार्डनर का बहु-बुद्धि सिद्धान्त
हावर्ड गार्डनर महोदय ने 1983 ई. में बुद्धि का एक नवीन सिद्धान्त प्रतिपादित
किया, जिसे गार्डनर का बहु-बुद्धि सिद्धान्त के नाम से जाना जाता है। इस
सिद्धान्त के अन्तर्गत तीन कारकों पर बल दिया गया है, जो निम्न प्रकार है
• बुद्धि का स्वरूप एकाकी न होकर बहुकारकीय होता है तथा प्रत्येक बुद्धि
एक-दूसरे से अलग होती है।
• प्रत्येक ज्ञान/बुद्धि एक-दूसरे से स्वतन्त्र होती है। बुद्धि के विभिन्न प्रकारों
में एक-दूसरे के साथ अन्तःक्रिया करने की प्रवृत्ति पाई जाती है।
• प्रत्येक व्यक्ति में विलक्षण योग्यता होती है।
गार्डनर ने आठ प्रकार से बुद्धि का वर्णन किया है, जो निम्न प्रकार है
1. भाषाई बुद्धि (Linguistic-Intelligence) इस प्रकार की बुद्धि से
भाषा सम्बन्धी क्षमता का विकास होता है।
2. तार्किक गणितीय बुद्धि (Logical Mathematical Intelligence)
बुद्धि का यह अंग तार्किक योग्यता एवं गणितीय कार्यों से सम्बद्ध है।
3. स्थानिक बुद्धि (Spatial Intelligence) इस तरह की बुद्धि का
उपयोग अन्तरिक्ष यात्रा के दौरान, मानसिक कल्पनाओं को चित्र का
स्वरूप देने में किया जाता है।
4. शारीरिक गतिक बुद्धि (Body Kinesthetic Intelligence) इस
प्रकार की बुद्धि का प्रयोग सूक्ष्म एवं परिष्कृत समन्वय के साथ
शारीरिक गति से सम्बन्धित कार्यों में होता है-नृत्य, सर्कस, व्यायाम।
5. सांगीतिक बुद्धि (Musical-Intelligence) इस प्रकार के ज्ञान का
उपयोग संगीत के क्षेत्र में होता है।
6. अन्तः पारस्परिक बुद्धि (Inter-related Intelligence) इस प्रकार
के ज्ञान का उपयोग सामाजिक व्यवहारों में प्रायः होता है।
7. अन्तःवैयक्तिक बुद्धि (Interpersonal Intelligence) इस प्रकार
की बुद्धि का प्रयोग आत्मबोध, पहचान तथा स्वयं की भावनाओं एवं
कौशल क्षमता को जानना है।
8. नैसर्गिक बुद्धि या प्राकृतिक (Natural Intelligence) इस प्रकार
के ज्ञान का सम्बन्ध वनस्पति जगत्, पेड़-पौधे, जीव-जन्तु या प्राणी
समूह या प्राकृतिक सौन्दर्य को परखने इत्यादि में होता है।
7.2.8 फ्लूइड तथा क्रिस्टलाइज्ड सिद्धान्त
• इस सिद्धान्त के प्रतिपादक आर.बी.कैटिल है। तरल (fluid) बुद्धि
वंशानुक्रम कार्य कुशलता अथवा केन्द्रीय नाड़ी संस्थान की दी हुई विशेषता
पर आधारित एक सामान्य योग्यता है। यह सामान्य योग्यता संस्कृति से ही
प्रभावित नहीं होती, बल्कि नवीन एवं विगत परिस्थितियों से भी प्रभावित
होती है।
• दूसरी ओर ठोस (crystallised) बुद्धि भी एक प्रकार की सामान्य योग्यता
है, जो अनुभव, अधिगम तथा वातावरण सम्बन्धी कारकों पर आधारित
होती है।
7.2.9 राबर्ट स्टर्नबर्ग का त्रिपाचीय सिद्धान्त
यह सिसान्त स्टनबर्ग द्वारा प्रतिपादित किया है। समय के अनुसार “बुद्धि
वह योग्यता है, जिसके अनुरूप व्यक्ति स्वयं को पर्यावरण के अनुकूल बनाता
है तथा अपने समाज एवं उद्देश्यों की पूर्ति के लिए वातावरण के कुछ
घटकों का चयन करता है और उन्हें परिवर्तित करता है।
राबर्ट स्टर्नबर्ग ने बुद्धि/ज्ञान को तीन भागों में विभाजित किया है
1. घटकीय बुद्धि या विश्लेषणात्मक बुद्धि (Analytical
Intelligence) इस ज्ञान के अन्तर्गत मनुष्य किसी समस्या के निराकरण
हेतु प्राप्त सूचनाओं का विश्लेषण करता है। इसके तीन प्रकार है
(i) ज्ञानार्जन घटक (Knowledgeable-component) इस घटना के
द्वारा व्यक्ति सीखता है तथा अनेक कार्यों को करने का तरीका
सीखता है। सूचनाओं का संकेतन, संयोजन भी ज्ञानार्जन घटक का
महत्त्वपूर्ण अंग है।
(ii) अधिघटक या उच्च घटक (High-component) इसके
अन्तर्गत व्यक्ति योजनाएं बनाता है। इस घटक के अन्तर्गत व्यक्ति
संज्ञानात्मक, प्रक्रियात्मक क्रिया पर नियन्त्रण, निरीक्षण तथा
मूल्यांकन करता है।
(iii) निष्पादन घटक (Performance-component) इसके अन्तर्गत
व्यक्ति अपने कार्य का निष्पादन करता है।
2. आनुभविक बुद्धि (Empirical Intelligence) इसके अन्तर्गत
व्यक्ति नई समस्या के समाधान हेतु पूर्व अनुभवों का उपयोग
करता है।
3. व्यावहारिक बुद्धि (Behaviour Intelligence) व्यावहारिक बुद्धि
वह बुद्धि है, जिसके अन्तर्गत व्यक्ति अपने दिन-प्रतिदिन के जीवन में
आने वाली वातावरणीय मांगों की समस्या से निपटता है। ऐसी बुद्धि वाले
व्यक्ति स्वयं को नवीन वातावरण में आसानी से स्थापित कर लेते है।
7.3 बहुआयामी बुद्धि
बहुआयामी बुद्धि (Multi-Dimensional Intelligence) का शब्दिक अर्थ
होता है, एक ही व्यक्ति के अन्दर विभिन्न प्रकार के कौशलों का विकास,
अर्धात् उसमें सामाजिक समझ, राजनैतिक समझ, समस्या समाधान से
सम्बन्धित समझ तथा नेतृत्व का गुण इत्यादि का होना।
• केली एवं घर्सटन नामक मनोवैज्ञानिकों ने बताया कि बुद्धि का निर्माण
प्राथमिक मानसिक योग्यताओं के द्वारा होता है।
• केली के अनुसार, बुद्धि का निर्माण इन योग्यताओं से होता है वाचिक
योग्यता, गामक योग्यता, सांख्यिक योग्यता, यान्त्रिक योग्यता, सामाजिक
योग्यता, संगीतात्मक योग्यता, स्थानिक सम्बन्धों के साथ उचित ढंग से
व्यवहार करने की योग्यता, रुचि और शारीरिक योग्यता।
• थर्सटन का मत है कि बुसि इन प्राथमिक मानसिक योग्यताओं का समूह
होता है प्रत्यक्षीकरण सम्बन्धी योग्यता, तार्किक योग्यता, सांख्यिकी योग्यता,
समस्या समाधान की योग्यता, स्मृति सम्बन्धी योग्यता।
• यद्यपि अधिकतर मनोवैज्ञानिकों ने केली एवं धर्सटन के बुद्धि सिद्धान्तों
की आलोचना की, किन्तु अधिकतर मनोवैज्ञानिकों ने यह भी माना कि
बुद्धि का बहुआयामी होना निश्चित तौर पर सम्भव है। बहुआयामी बुद्धि
होने के कारण ही कुछ लोग कई प्रकार के कौशलों में निपुण होते हैं।
7.4 मानसिक आयु एवं बुद्धि परीक्षण
बुद्धि-परीक्षण के द्वारा व्यक्ति के व्यक्तित्व की विशेषताओं का पता लगाया
जाता है। पाश्चात्य मनोवैज्ञानिकों ने खुशि के प्रामाणिक मापन की विधियों
की खोज की। इस सन्दर्भ में सर्वप्रथम जर्मन मनोवैज्ञानिक वुण्ट का नाम
आता है, जिसने वर्ष 1879 में बुद्धि के मापन के लिए मनोवैज्ञानिक
प्रयोगशाला की स्थापना की।
• फ्रांसीसी मनोवैज्ञानिक अल्फ्रेड बिने एवं उसके साथी साइमन ने बुद्धि के
मापन का आधार बच्चों के निर्णय, स्मृति, तर्क एवं आंकिक जैसे मानसिक
कार्यों को माना।
• उन्होंने इन कार्यों से सम्बन्धित अनेक प्रश्न तैयार किए और उन्हें अनेक
बच्चों पर आजमाया।
• इस परीक्षण के अनुसार जो बालक अपनी आयु के अनुरूप निर्धारित सभी
प्रश्नों के सही उत्तर देता है वह सामान्य बुद्धि का होता है, जो अपनी आयु
से ऊपर की आयु के बच्चों के लिए निर्धारित प्रश्नों के उत्तर भी दे देता
है, वह उच्च बुद्धि का होता है।
• जो बालक अपनी आयु से ऊपर की आयु के बच्चों के लिए निर्धारित
सभी प्रश्नों के सही उत्तर देता है वह सर्वोच्च बुद्धि का होता है एवं जो
अपनी आयु के बच्चों के लिए निर्धारित प्रश्नों के सही उत्तर नहीं दे पाता
वह निम्न बुद्धि का होता है।
• उपरोक्त मनोवैज्ञानिकों के बाद सर्वप्रथम विलियम स्टर्न ने बुद्धि के मापन
के लिए बुद्धि-लब्धि (Intelligence Quotient) के प्रयोग का सुझाव
दिया।
मानसिक आयु
किसी व्यक्ति का बौद्धिक विकास अपने समान आयु वर्ग की तुलना में
कितना हुआ है, इस मापन की विधि को मानसिक आयु (Mental Ago)
कहते हैं।
उदाहरण यदि कोई 6 वर्ष का बालक 15 वर्ष के व्यक्ति के अनुसार दिमाग
रखता है या सोचता है तो 15 वर्ष उस बालक की मानसिक आयु होगी।
वास्तविक आयु या कालानुक्रम आयु
यह किसी भी मनुष्य की वास्तविक आयु होती है अर्थात् वह कितने वर्ष का
हो गया है। 10 वर्ष का व्यक्ति जो 160 अंक लिया हुआ है, उसकी मानसिक
आयु क्या होगी?
बुद्धि-लब्यि = 160
वास्तविक आयु =10
बुद्धि-लब्धि = मानसिक आयु X (M.A)/वास्तविक आयु (Real Age) X 100
160 = M.A/10 x100
M.A = 160 x10/100 =16 वर्ष
टर्मन ने सर्वप्रथम बुद्धि-लब्धांक ज्ञात करने की विधि बताई। इसके अनुसार
बुद्धि-लब्धि बच्चे की मानसिक आयु को उसकी वास्तविक आयु से भाग
करके, 100 से गुणा करने पर प्राप्त की जाती है। इसके अनुसार बुद्धि-लब्धि
(Intelligence Quotient-IQ) का सूत्र है
बुद्धि-लब्धि = मानसिक आयु/कालानुक्रमिक आयु (Chronological Ago) x 100
उदाहरणस्वरूप, यदि किसी बालक की मानसिक आयु 12 वर्ष और
वास्तविक आयु 10 वर्ष है, तो उसकी बुद्धि-लब्धि की गणना निम्न प्रकार
होगी
बुद्धि-लब्धि (IQ) = मानसिक आयु/कालानुक्रमिक आयु X100 = 12/10 x100 =120
मनोवैज्ञानिक वेश्लर द्वारा निर्मित IQ वितरण
बुद्धि-लब्धि (IQ)                           वितरण (Distribution)
130 या इससे ऊपर                     अति श्रेष्ठ बुद्धि अर्थात् प्रतिभाशाली बुद्धि
120-129                                  श्रेष्ठ बुद्धि
110-119                                  उच्च सामान्य बुद्धि
90-109                                    सामान्य बुद्धि
80-89                                      मन्द बुद्धि
70-79                                      क्षीण बुद्धि
69 से नीचे                                 निश्चित क्षीण बुद्धि
मनोवैज्ञानिक मैरिल द्वारा निर्मित IQ वितरण
बुद्धि-लब्धि (IQ)               वितरण (Distribution)
140 या इससे ऊपर            अति श्रेष्ठ बुद्धि अर्थात् प्रतिभाशाली बुद्धि
120-139                         श्रेष्ठ बुद्धि
110-119                         उच्च सामान्य बुद्धि
90-109                            सामान्य बुद्धि
80-89                              मन्द बुद्धि
70-79                              क्षीण बुद्धि
69 से नीचे                         निश्चित क्षीण बुद्धि
7.5 बौद्धिक विवृद्धि और विकास
बौद्धिक विवृद्धि और विकास (Mental Growth and Development)
अनेक कारकों पर निर्भर करता है। मस्तिष्क की परिपक्वता बौद्धिक विवृद्धि
को सर्वाधिक प्रभावित करती है। जन्म के समय बालक में उसकी बौद्धिक
योग्यताएँ अनेक विकास की प्रथमावस्था के निम्नतम स्तर पर होती है। बालक
की आयु बढ़ने के साथ-साथ उसकी बौद्धिक योग्यताओं में विवृद्धि और
विकास होता रहता है। शैशवावस्था से बाल्यावस्था तक यह विकास तीव्र गति
से होता है, परन्तु किशोरावस्था के अन्त से और प्रौढ़ावस्था में इस विकास
की गति मन्द हो जाती है।
थर्सटन का विचार है कि उसके द्वारा किए गए कारक विश्लेषण अध्ययनों के
आधार पर प्राप्त सात प्राथमिक मानसिक योग्यताएँ एकसाथ एकसमान आयु
स्तर पर परिपक्व नहीं होती है। उसके अनुसार प्रत्यक्षपरक योग्यता बारह वर्ष
की अवस्था में अपनी विवृद्धि की पूर्णता की ओर अग्रसर होती है।
इसी प्रकार चौदह वर्ष की अवस्था में तथा तार्किक योग्यता सोलह वर्ष की
आयु में स्मृति योग्यता और संख्यात्मक योग्यता परिपक्वावस्था की ओर
अग्रसर होती है। बालकों की शाब्दिक योग्यता तथा भाषा बोध आदि योग्यताएँ
इस आयु अवस्था के बाद विकसित होती है।
वेश्लर का विचार है कि बौद्धिक विवृद्धि कम-से-कम बीस वर्ष की आयु
तक होती रहती है। आधुनिक शोधों से यह पता चला है कि साठ वर्ष की
आयु तक बुद्धि-लव्यांक में वृद्धि होती रहती है।
7.6 शिक्षा के क्षेत्र में बुद्धि परीक्षणों का महत्त्व
शिक्षा के क्षेत्र में बुद्धि परीक्षणों का महत्त्व निम्न प्रकार है
7.5.1 शैक्षणिक मार्गदर्शन
• विज्ञान के साथ-साथ मनोविज्ञान ने मानवीय समस्याओं के समाधान में
असाधारण योगदान दिया है। इसके द्वारा बच्चों के भविष्य निर्धारण की
योजनाओं को बनाया जा रहा है। इसी प्रकार से शिक्षा के क्षेत्र में सही
दिशा एवं लक्ष्य को प्राप्त करने में बुद्धि परीक्षाएं समर्थ होती हैं।
• शिक्षा के विकास के लिए प्राथमिक एवं व्यावहारिक दोनों ही प्रकार के
पाठ्यक्रमों की आवश्यकता होती है। प्राथमिक पाठ्यक्रम बालकों को
अच्छा नागरिक बनाने के लिए प्रस्तुत किया जाता है।
• जबकि व्यावहारिक पाठ्यक्रम उनकी आदत के अनुसार निश्चित किया
जाता है। बुद्धि परीक्षणों द्वारा प्रत्येक छात्र की सही उन्नति के मार्ग को
प्रशस्त किया जाता है।
7.5.2 छात्र वर्गीकरण
• ज्ञान प्राप्त करने की शक्ति छात्रों की मानसिकता पर निर्भर करती है इसके
फलस्वरूप, एक ही कक्षा-शिक्षण का निष्पादन भिन्न-भिन्न होता है।
• ज्ञान अर्जन बालकों की बुद्धि क्षमता पर सीधा प्रभाव डालता है। अत: छात्र
वर्गीकरण (Students’ Classification) में बुद्धि परीक्षाएं उपयोगी होती हैं।
• वर्तमान भारतीय शिक्षा व्यवस्था में एक कक्षा में सामान्य, सामान्य से उच्च
एवं सामान्य से नीचे आदि स्तरों के छात्र-छात्राएँ अध्ययनरत रहते हैं। प्रश्न
उठता है कि क्या सभी बच्चों का शैक्षिक विकास उत्तम हो सकेगा? ऐसी
परिस्थिति में, बुद्धि-परीक्षण के माध्यम से शिक्षक सामान्य, सामान्य से
भिन्न एवं उच्च आदि छात्रों का वर्गीकरण करके उपयुक्त शिक्षण का
प्रबन्ध करेगा ताकि सभी स्तरों के छात्र-छात्राएं पाठ्यक्रम को धारण करके
उत्तम निष्पादन प्रस्तुत कर सके।
• इस प्रकार बुद्धि-परीक्षण से अध्यापकीय, छात्र एवं पाठ्यक्रम सम्बन्धी
सभी समस्याएं आसानी से समाप्त हो जाती हैं।
7.6.3 लैंगिक-भिन्नता में उपयोगी
• शोध कार्यों से स्पष्ट हुआ है कि लड़के एवं लड़कियों में बुद्धि के आधार पर
ही कार्यकुशलताओं में अन्तर पाया जाता है। इनके शारीरिक एवं मानसिक
विकास का क्रम भिन्न होता है। अतः ज्ञान अर्जन की क्षमताओं में भी भिन्नता
पाई जाती है।
• स्पीयरमैन के अनुसार, दोनों में सामान्य एवं विशिष्ट योग्यताएँ पाई जाती हैं
और इनका निर्धारण बुद्धि-परीक्षणों के आधार पर ही सम्भव है। अत:
सामाजिक व्यवस्था को सामान्य बनाए रखने के लिए यौन-भिन्नता के आधार
पर विभिन्न अन्तरों की पहचान कर उनके बीच समायोजन स्थापित करने के
लिए बुद्धि-परीक्षणों का प्रयोग किया जाता है।
7.6.4 स्वयं का ज्ञान
• शिक्षा का प्रयल बच्चों का सामान्य विकास करना होता है। बुद्धि परीक्षण
के जरिए बच्चे अपने भीतर की क्षमताओं एवं शक्तियों को पहचानकर
अपनी आकांक्षाओं (Goals) की पूर्ति आसानी से कर सकते हैं।
बुद्धि परीक्षाएँ बालकों के व्यक्तित्व के स्वरूप को स्पष्ट करती हैं। वह
अपने भीतर विघटित तत्त्वों को निकाल देता है और अविघटित तत्त्वों
को विकसित करता है।
7.6.5 अधिगम प्रणाली में उपयोगी
• सीखने की प्रक्रिया बुद्धि पर निर्भर करती है। छात्र की लगन, अभ्यास
प्रक्रिया, गलतियों का धारणा एवं प्रोत्साहन में वृद्धि एवं स्थानान्तरण आदि
में बुद्धि का प्रभाव सर्वाधिक होता है।
• बुद्धि परीक्षणों ने स्पष्ट कर दिया है कि प्रतिभाशाली बच्चे कम समय में
अधिक अधिगम एवं ज्ञान अर्जित करने में सक्षम होते हैं।
7.6.6 व्यावसायिक मार्गदर्शन
• व्यवसाय में मनोविज्ञान ने पर्दापण करके विभिन्न समस्याओं का समाधान
निकाला है। विभिन्न व्यवस्थाओं के लिए भिन्न प्रकार के मानसिक स्तर के
व्यक्तियों की आवश्यकता होती है।
• उपयुक्त मानसिक स्तर का व्यक्ति अपने व्यवसायों को विकासशील बनाने
में सहायक होता है।
• जब हम गलत व्यवसाय का चयन कर लेते हैं तो हमारी अभिरुचि एवं
कार्यक्षमता का हास होने लगता है, फलस्वरूप व्यवसाय और व्यक्ति दोनों
का विकास अवरुद्ध हो जाता है।
• इस तरह व्यावसायिक मार्गदर्शन (Business Guideline) में भी बुद्धि
परीक्षण की भूमिका अहम होती है।
7.6.7 अनुसन्धान
• शिक्षा के क्षेत्र में विकास अनुसन्धानों के ऊपर निर्भर करता है। कक्षा के
भीतर की समस्याएँ और सामान्य समस्याओं के समाधान के लिए
अनुसन्धान का सहारा लेना पड़ता है।
• प्रत्येक अनुसन्धान (Research) के लिए बुद्धि परीक्षण आवश्यक होता है।
विभिन्न घटकों का चयन करना होता है, तो बुद्धि भी एक आधार होता है
ताकि कम-से-कम त्रुटि हो।
7.6.8 छात्र चयन में उपयोगी
विद्यालय में प्रवेश करने के बाद बालक के विकास का उत्तरदायित्व विद्यालय
का होता है। विद्यालय-प्रशासन एवं प्रबन्धन बुद्धि-परीक्षणों का प्रयोग
निम्नलिखित क्षेत्रों में छात्र चयन हेतु करता है
1. प्रवेश (Entry) किसी भी कार्य के लिए छात्र को अनुमति देने से पहले
से उसकी शारीरिक एवं मानसिक परिपक्वता का पता लगाना आवश्यक
होता है। बुद्धि परीक्षण की सहायता इस कार्य में ली जाती है
2. छात्रवृत्ति (Scholarship) शिक्षा के क्षेत्र में गरीबों और पिछड़े वर्गों के
छात्रों का समुचित विकास करना प्रशासन का परम उद्देश्य रहा है।
इसके लिए छात्रवृत्ति, निर्धन पुस्तक सहायता योजना और पिछड़े वर्ग की
व्यक्तिगत शिक्षण योजनाएं वर्तमान सरकार द्वारा चलाई जा रही हैं। इनमें
छात्रवृत्ति का प्रारूप बुद्धि-लब्धि के आधार पर तैयार किया जाता है।
3. विशिष्ट योग्यताएँ (Specific Ability) प्रौद्योगीकरण के विकास ने
योग्यता के क्षेत्र को अत्यन्त विशाल बना दिया है। आज प्रत्येक क्षेत्र में
नवीन प्रतिभाओं की खोज हो रही है। प्रतिभा खोज (Talent Search)
का प्रमुख आधार बुद्धि परीक्षाओं को ही माना जाता है।
1. “सत्य या तथ्य के दृष्टिकोण से उत्तम
प्रक्रियाओं की शक्ति ही बुद्धि है।” बुद्धि
के सन्दर्भ में दिया गया कथन किसका है?
(1) पिन्टर
(2) वुडवर्थ
(3) थार्नडाइक
(4) कॉलविन
2. बुद्धि के सन्दर्भ में निम्नलिखित में से
कौन-सा कथन सत्य है?
A. बुद्धि नवीन पर्यावरण के साथ
समायोजन की योग्यता है।
B. बुद्धि सीखने की योग्यता है।
C. बुद्धि अमूर्त चिन्तन की योग्यता है।
(1) केवल A
(2) केवल B
(3) Aऔर
(4) ये सभी
3. “बुद्धि व्यक्ति की वह समुच्चय या
सार्वभौमिक क्षमता है, जो उसे उद्देश्यपूर्ण
क्रिया करने, तर्कपूर्ण चिन्तन करने तथा
वातावरण के साथ प्रभावपूर्ण समायोजन में
सहायता करती है।” यह किसका
कथन है?
(1) वेश्लर
(2) हैवर एवं फ्राइड
(3) थर्सटन
(4) टर्मन
4. निम्नलिखित में से कौन बुद्धि को निर्धारित
करने वाले कारक है?
(1) वंशानुगत कारक
(2) वातावरणीय कारक
(3) वंशानुगत एवं वातावरणीय दोनों कारक
(4) उपरोक्त में से कोई नहीं
5. यदि व्यक्ति ने अपने वातावरण से
सामंजस्य करना सीख लिया है या सीख
सकता है, तो उसमें बुद्धि है। बुद्धि की यह
परिभाषा किसने दी?
(1) थॉर्नडाइक ने
(2) रायबर्न ने
(3) कॉलविन ने
(4) थॉमसन ने
6. निम्नलिखित में से कौन बुद्धि की परिभाषा
नहीं है?
(1) बुद्धि, कार्य करने की एक विधि है
(2) बुद्धि, ज्ञान अर्जन करने की क्षमता है
(3) जीवन की अपेक्षाकृत नवीन परिस्थितियों से
अपना सामंजस्य करने की व्यक्ति की योग्यता
ही बुद्धि है
(4) राजनीतिक, आर्थिक एवं सामाजिक शक्ति
प्राप्त करने के लिए प्रयुक्त उक्ति बुद्धि है
7. जो चद्धि सिद्धान्त बुद्धि में सम्मिलित
मानसिक प्रक्रियाओं (जैसे परा-घटक)
और बुद्धि द्वारा लिए जा सकने वाले
विविध रूपों (जैसे सृजनात्मक बुद्धि) को
शामिल करता है, वह है
(1) स्पीयरमैन का ‘जी’ कारक
(2) स्टर्नबर्ग का बुद्धिमत्ता का वितन्त्र सिद्धान्त
(3) बुद्धि का सावेंट सिद्धान्त
(4) थर्सटन की प्राथमिक मानसिक योग्यताएँ
8. एक शिक्षिका अपने शिक्षार्थियों की विभिन्न
अधिगम-शैलियों को सन्तुष्ट करने के लिए
वैविध्यपूर्ण कार्यों का उपयोग करती है। वह
………. से प्रभावित है।
(1) पियाजे के संज्ञानात्मक विकास के सिद्धान्त
(2) कोद्वर्ग के नैतिक विकास के सिद्धान्त
(3) गार्डनर के बहुबुद्धि सिद्धान्त
(4) वाइगोत्स्की के सामाजिक-सांस्कृतिक सिद्धान्त
9. बुद्धि का एक-कारक सिद्धान्त निम्नलिखित
में से किसने दिया?
(1) बिने
(2) टर्मन
(3) गार्डनर
(4) किंबल यंग
10. ‘तार्किक गणितीय बुद्धि’ ………….. से
सम्बन्धित है।
(1) द्वि-कारक सिद्धान्त
(2) समूह कारक सिद्धान्त
(3) पदानुक्रमिक सिद्धान्त
(4) बहुबुद्धि सिद्धान्त
11. निम्नलिखित में से किस प्रकार की बुद्धि का
प्रयोग अन्तरिक्ष यात्रा के दौरान होता है?
(1) स्थानिक बुद्धि
(2) भाषाई बुद्धि
(3) शारीरिक गतिक बुद्धि
(4) सांगीतिक बुद्धि
12. “प्रत्येक युद्धि एक-दूसरे से भिन्न होती है।”
यह कथन निम्न में से किसका है?
(1) हावर्ड गार्डनर
(2) मास्लो
(3) अरस्तू
(4) स्टर्नवर्ग
13. निम्न में से कौन एक सुमेलित नहीं है?
(1) एक कारक सिद्धान्त-टर्मन
(2) तरल तथा ठोस बुद्धि सिद्धान्त-थार्नडाइक
(3) द्विकारक सिद्धान्त-स्पीयरमैन
(4) समूह कारक सिद्धान्त-थर्सटन
14. बुद्धि का द्वि-कारक सिद्धान्त क्या है?
(1) बुद्धि कई तत्त्वों का समूह होती है और प्रत्येक
तत्व में कोई सूक्ष्म योग्यता निहित होती है
(2) कुछ मानसिक क्रियाओं में एक प्रमुख तत्त्व
सामान्य रूप से विद्यमान होता है जो उन
क्रियाओं के कई ग्रुप होते हैं, उनमें अपना एक
प्रमुख तत्व होता है
(3) व्यक्ति का बौद्धिक व्यवहार अनेक स्वतन्त्र
योग्यताओं पर निर्भर करता है, किन्तु इन
स्वतन्त्र योग्यताओं का क्षेत्र सीमित होता है
(4) सभी प्रकार के मानसिक कार्यों में दो प्रकार की
मानसिक योग्यताओं की आवश्यकता होती है-
प्रथम सामान्य मानसिक योग्यता, द्वितीय
विशिष्ट मानसिक योग्यता
15. बुद्धि के बहुकारक सिद्धान्त के मुख्य
समर्थक थॉर्नडाइक थे। निम्नलिखित में से
कौन-सा कथन इस सिद्धान्त के अनुरूप है।
(1) युधि कई साचों का समूह होती है और प्रत्येक
तत्व में कोई सूक्ष्म योग्यता निहित होती है
(2) कुछ मानसिक क्रियाओं में एक प्रमुख तत्व
सामान्य रूप से विद्यमान होता है, जो उन
क्रियाओं के कई पुप होते है, उनमें अपना एक
प्रमुख तत्व होता
(3) व्यक्ति का बौधिक व्यवहार अनेक स्वतन
योग्यताओं पर निर्भर करता है, किन्तु इन
स्वतन्त्र योग्यताओं का बोत्र सीमित होता है
(4) सभी प्रकार के मानसिक कार्यों में दो प्रकार
की मानसिक योग्यताओं की आवश्यकता होती
है प्रथम सामान्य मानसिक योग्यता, द्वितीय
विशिष्ट मानसिक योग्यता
16. निम्नलिखित में से कौन सा आलोचनात्मक
दृष्टिकोण ‘बहु-बुद्धि सिद्धान्त’ (Theory of
Multiple Intelligences) से सम्बद्ध
नहीं है?
(1) यह शोधाधारित नहीं है
(2) विभिन्न बुद्धियाँ मिन्न-भिन्न विद्यार्थियों के लिए
विभिन्न पद्धतियों की माँग करती है
(3) प्रतिभाशाली विद्यार्थी प्रायः एक क्षेत्र में ही अपनी
विशिष्टता प्रदर्शित करते हैं
(4) इसका कोई अनुभावात्मक आधार नहीं है
17. बहुबुशि सिशान्त निम्नलिखित निहितार्थ देता
है सिवाय
(1) संवेगात्मक बुद्धि, बुद्धि-लबि से सम्बन्धित
नहीं है
(2) बुद्धि प्रक्रमण सक्रियाओं का एक विशिष्ट
समुच्चय है, जिसका उपयोग एक व्यक्ति द्वारा
समस्या समाधान के लिए किया जाता है
(3) विषयों को विभिन्न तरीकों से प्रस्तुत किया जा
सकता है
(4) विविध तरीकों से सीखने का आकलन किया जा
सकता है
18. आजकल बुद्धि-परीक्षण का उपयोग शिक्षा
जगत् में हो रहा है। बुद्धि-परीक्षण का
निम्नलिखित में से कौन-सा उपयोग बालक
के विकास के दृष्टिकोण से सही नहीं है?
(1) शैक्षिक मार्गदर्शन
(2) बुद्धि-परीक्षण के परिणाम के आधार पर अधिक
बुद्धि वाले बालकों पर अन्य बालकों की तुलना
में अधिक ध्यान देना
(3) अच्छी अधिगम प्रणाली के प्रयोग के लिए
बुद्धि-परीक्षण करना
(4) बुद्धि-परीक्षण के आधार पर छात्रों का
वर्गीकरण करना
19. 20 वर्षीय बच्चा युखि-लब्धि परीक्षण में
120 अंक प्राप्त करता है उसकी मानसिक
आयु …………. वर्ष होगी।
(1) 15
(2) 24
(3) 8
(4) 14
20. बुद्धि-लब्धांक प्राप्त करने का सही सूत्र है
(1) मानसिक आयु/कालानुक्रमिक आयु × 100
(2) कालानुक्रमिक आयु/मानसिक आयु × 100
(3) मानसिक आयु/कालानुक्रमिक आयु × 125
(4) कालानुक्रमिक आयु /मानसिक आयु ×125
21. फ्रांसीसी मनोवैज्ञानिक अल्फ्रेड बिने एवं
उसके साथी साइमन ने युद्धि के मापन के
आधार के लिए किसे सर्वाधिक उपयुक्त
पाया?
(1) बच्चों की रुचि को
(2) बच्चों के निर्णय, स्मृति, तर्क एवं आकिक जैसे
मानसिक कार्यों को
(3) बच्चों की शारीरिक क्षमता को
(4) उपरोक्त में से कोई नहीं
22. यदि किसी बालक की मानसिक आयु 12
वर्ष एवं वास्तविक आयु 10 वर्ष हो, तो
उसका बुद्धि-लब्धांक कितना होगा?
(1) 120
(2) 100
(3) 124
(4) 130
23. आप आठवीं कक्षा के अध्यापक हैं। आप
इस कक्षा के एक छात्र का बुद्धि-लब्यांक
130 से अधिक पाते हैं, तो इसका अर्थ है
कि वह ……….. बालक है।
(1) मन्द बुद्धि
(2) औसत बुद्धि
(3) अति श्रेष्ठ बुद्धि
(4) सामान्य बुद्धि
24. निम्नलिखित में से किस कथन से बुद्धि एवं
बुद्धि-परीक्षण के महत्त्व का पता चलता है?
A. व्यावसायिक मार्गदर्शन में बुद्धि-परीक्षण
की भूमिका अहम होती है।
B. बुद्धि-परीक्षणों द्वारा प्रत्येक छात्र की
सही उन्नति के मार्ग को प्रशस्त किया
जाता है।
C. अनुसन्धान के विभिन्न घटको का चयन
करना होता है तो बुद्धि भी एक आधार
होता है ताकि कम-से-कम त्रुटि हो।
(1) A और B
(2) केवलB
(3) B और C
(4) ये सभी
25. आजकल बुद्धि-परीक्षण का उपयोग शिक्षा
जगत् में व्यापक रूप से हो रहा है।
निम्नलिखित में से कौन-सा शिक्षा जगत् में
बुद्धि-परीक्षण के सदुपयोग का एक
उदाहरण है?
A. बुद्धि-परीक्षण के आधार पर छात्रवृत्ति
सुनिश्चित करना
B. बुद्धि-परीक्षण के आधार पर छात्रों के
लिए अधिगम प्रणाली का चयन करना
C बुद्धि-परीक्षण के आधार पर छात्रों को
परामर्श देना
(1) केवलA
(2) A और B
(3) Bऔर C
(4) ये सभी
26, एक अच्छे शिक्षक के रूप में व्यक्ति को
बुद्धि-परीक्षण के परिणाम जानने के बाद
निम्नलिखित में से किस व्यवहार से बचना
चाहिए?
(1) परिणाम के आधार पर सुधार के लिए
परामर्श देना
(2) परिणाम के आधार पर कम बुद्धि वाले बच्चों
का चयन कर उन्हें कठिन कार्य करने से
रोकना
(3) बुद्धि-परीक्षण का उपयोग अनुसन्धान में बच्चों
का व्यापक सहयोग लेने के लिए करना
(4) शिक्षक को बुद्धि-परीक्षण के परिणाम के आधार
पर कोई भी कार्य नहीं करना चाहिए
                          विगत वर्षों में पूछे गए प्रश्न
27. एक शिक्षिका अपने शिक्षार्थियों की विभिन्न
अधिगम-शैलियों को सन्तुष्ट करने के लिए
वैविध्यपूर्ण कार्यों का उपयोग करती है। वह
……. से प्रभावित है। [CTET Jan 2012]
(1) पियाजे के संज्ञानात्मक विकास के सिद्धान्त
(2) कोडवर्ग के नैतिक विकास के सिद्धान्त
(3) गार्डनर के बहुबुधि सिद्धान्त
(4) वाइगोत्स्की के सामाजिक-सांस्कृतिक सिद्धान्त
28. बुद्धि लब्धांश सामान्यतः …………. रूप से
शैक्षणिक निष्पादन से सम्बन्धित होते है।
                                                       [CTET Nov 2012]
(1) मध्यम
(2) कम से कम
(3) पूर्ण
(4) उच्च
29. बहुबुद्धि सिद्धान्त निम्नलिखित निहितार्थ देता
है सिवाय                              [CTET Nov 2012]
(1) संवेगात्मक बुद्धि, बुद्धि-लधि से सम्बन्धित
नही है
(2) बुधि प्रक्रमण सक्रियाओं का एक विशिष्ट
समुन्थय है, जिसका उपयोग एक व्यक्ति द्वारा
समस्या समाधान के लिए किया जाता है
(3) विषयों को विभिन्न तरीको से प्रस्तुत किया जा
सकता है
(4) विविध तरीको से सीखने का आकलन प्रस्तुत
किया जा सकता है।
30. 16 वर्षीय बच्चा बुद्धि-लब्धि परीक्षण में
75 अंक प्राप्त करता है उसकी मानसिक
आयु ………… वर्ष होगी। [CTET Nov 2012]
(1) 15
(2) 12
(3) 8
(4) 14
31. ………… के अतिरिक्त बुद्धि के निम्नलिखित
पक्षों को स्टर्नवर्ग के त्रितन्त्र सिद्धान्त में
सम्बोधित किया गया है।                   [CTET July 2013]
(1) सन्दर्भगत
(2) अवयवभूत
(3) सामाजिक
(4) आनुभविक
32. हावर्ड गार्डनर का बुद्धि का सिद्धान्त ………..
पर बल देता है।             [CTET July 2013]
(1) शिक्षार्थियों में अनुपवित्रत कौशलो
(2) सामान्य बुद्धि
(3) विद्यालय में आवश्यक समान योग्यताओं
(4) प्रत्येक व्यक्ति की विलक्षण योग्यताओं
33. मानव बुद्धि एवं विकास की समझ शिक्षक
को योग्य बनाती है।     [CTET July 2013]
(1) निष्पक्ष रूप से अपने शिक्षण-अभ्यास
(2) शिक्षण के समय शिक्षार्थियों के संवेगों पर
नियन्त्रण बनाए रखने
(3) विविध शिक्षार्थियों के शिक्षण के बारे में
स्पष्टता
(4) शिक्षार्थियों को यह बताने कि वे अपने जीवन
को कैसे सुधार सकते है?
34. निम्नलिखित में से कौन-सा आलोचनात्मक
दृष्टिकोण ‘बहु-बुद्धि सिद्धान्त’ (Theory of
Multiple Intelligences) से सम्बद्ध
नहीं है।                  [CTET Feb 2014]
(1) यह शोधाधारित नहीं है
(2) विभिन्न बुद्धियाँ मिन्न-भिन्न विद्यार्थियों के लिए
विभिन्न पद्धतियों की मांग करती हैं
(3) प्रतिभाशाली विद्यार्थी प्रायः एक क्षेत्र में ही
अपनी विशिष्टता प्रदर्शित करते हैं
(4) इसका कोई अनुभावात्मक आधार नहीं है
35. ‘बहु-बुद्धि सिद्धान्त’ को वैध नहीं माना जा
सकता, क्योंकि                [CTET Feb 2014]
(1) विशिष्ट परीक्षणों के अभाव में भिन्न बुद्धियों
(different intelligences) का मापन सम्भव
नहीं है।
(2) यह सभी सात बुद्धियों को समान महत्व नहीं
देता है
(3) यह केवल अब्राहम मैस्लों के जीवन-भर के
सुदृढ अनुभावात्मक अध्ययन पर आधारित है
(4) यह सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण सामान्य बुधि के
अनुकूल (गुसंगत) नहीं है
36. निम्न में से कौन-सा स्टर्नबर्ग का बुद्धि का
त्रिस्तरीय सिद्धान्त का एक रूप है?
                                                [CTET Sept 2014]
(1) व्यावहारिक बुद्धि
(2) प्रायोगिक बुद्धि
(3) संसाधनपूर्ण बुद्धि
(4) गणितीय बुद्धि
37. किसने सबसे पहले बुद्धि परीक्षण का
निर्माण किया?         [CTET Sept 2014]
(1) डेविड वैश्लर
(2) एल्फ्रेड दिने
(3) चार्ल्स एडवर्ड स्पीयरमैन
(4) रॉबर्ट स्टर्नबर्ग
38. जब बच्चे एक अवधारणा को सीखते है
और उसका प्रयोग करते हैं, तो अभ्यास
उनके द्वारा की जाने वाली त्रुटियों को कम
करने में मदद करता है। यह विचार
……. के द्वारा दिया गया।
(1) ई.एल. थार्नडाइक [CTET Sept 2014]
(2) जीन पियाजे
(3) जे.बी. वॉटसन
(2) लेव वाइगोत्स्की
39. निम्नलिखित में से कौन-सा कौशल
संवेगात्मक बुद्धि से संबंधित है?
(1) याद करना
(2) गतिक करना
(3) विचार करना
(4) सहानुभूति देना
[CTET Sept 2014]
(3) क्षमता भाग्य है और एक अवधि के भीतर व
बदलती
(4) हर बच्चे को प्रत्येक विषय आठ मिन्न तरीके
से पदाया जाना चाहिए ताकि सभी बुदियों
विकसित हों।
उत्तरमाला
40. इनमें से कौन-सा त्रितन्त्रीय सिद्धान्त में
व्यावहारिक बुद्धि का अभिप्राय नहीं है?
                                      [CTET Feb 2015]
(1) पर्यावरण का पुनर्निर्माण करना
(2) केवल अपने विषय में व्यावहारिक रूप से
विचार करना
(3) इस प्रकार के पर्यावरण का चयन करना
जिसमें आप सफत हो सकते हैं
(4) पर्यावरण के साथ अनुकूलन करना
41. कक्षा-अध्यापक ने राघव को अपनी कक्षा
में अपने की-बोर्ड पर स्वयं द्वारा तैयार
किया गया मधुर संगीत बजाते हुए देखा।
कक्षा-अध्यापक ने विचार किया कि राघव
में …………. बुद्धि उच्च स्तरीय थी।
                                                [CTET Sept 2015]
(1) शारीरिक गतिबोधक
(2) संगीतमय
(3) भाषायी
(4) स्थानिक
42. ऑउट-ऑफ-द-बॉक्स चिंतन किससे
संबंधित है?                         [CTET Feb 2015]
(1) अनुकूल चिंतन
(2) स्मृति आधारित चिंतन
(3) अपसारी चिंतन
(4) अभिसारी चिंतन
43. बुद्धि है                [CTET Feb 2016]
(1) सामों का एक समुच्चय
(2) एक अकेला और जातीय विचार
(3) दूसरों के अनुकरण करने की योग्यता
(4) एक विशिष्ट योग्यता
44. हॉवर्ड गार्डनर का बहुबुद्धि सिद्धान्त सुझाता
है कि                        [CTET Sept 2016]
(1) बुद्धि को केवल बुद्धिलब्धि (IQ) परीक्षा से ही
निर्धारित किया जा सकता है
(2) शिक्षक को चाहिए कि विषयवस्तु को वैकल्पिक
विधियों से पढ़ाने के लिए बहुबुद्धियों को एक
रूपरेखा की तरह ग्रहण करे
(3) क्षमता भाग्य है और एक अवधि के भीतर व
बदलती
(4) हर बच्चे को प्रत्येक विषय आठ मिन्न तरीके
से पदाया जाना चाहिए ताकि सभी बुदियों
विकसित हों।
                                             उत्तरमाला
1. (3) 2. (4) 3. (1) 4. (3) 5. (3) 6. (4) 7. (2) 8. (3) 9. (1) 10.4
11. (1) 12 (1) 13. (2) 14. (4) 15. (1) 16. (3) 17. (2) 18. (2)
19. (2) 20. (1) 21. (2) 22. (1) 23. (3) 24. (4) 25. (4) 26. (2)
27. (3) 28. (4) 29. (2) 30. (2) 31. (3) 32. (4) 33. (3) 34 (3)
35. (1) 36. (1) 37. (2) 38. (1) 39. (4) 40. (2) 41. (2) 42. (1)
43. (3) 44. (2)
                                         ★★★

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