“भारत जैसे विकासशील देश में गरीबी वंचित होने का सबसे बड़ा कारण है कथन का औचित्य बताइए। “In a developing country like India, poverty is the biggest cause of deprivation.” Justify the statement
प्रश्न – “भारत जैसे विकासशील देश में गरीबी वंचित होने का सबसे बड़ा कारण है कथन का औचित्य बताइए। “In a developing country like India, poverty is the biggest cause of deprivation.” Justify the statement.
या
गरीबी से क्रा तात्पर्य है? इसके कारणों का संक्षिप्त उल्लेख कीजिए । बढ़ते बालकों के जीवन पर निर्धनता का क्या प्रभाव पड़ता है ? What is meant by poverty ? Describe its causes briefly. What is the impact of poverty on growing up children ?
उत्तर- वर्तमान में विभिन्न सामाजिक समस्याओं में गरीबी अत्यन्त महत्त्वपूर्ण समस्या है क्योंकि इससे समाज के आर्थिक, शैक्षिक एवं नैतिक विकास में बाधाएँ आती है। सामान्य अर्थों में धन के अभाव अथवा कमी को गरीबी कहते है या यूँ कहें कि जीवन, स्वास्थ्य तथा कार्य कुशलता के लिए न्यूनतम उपभोग आवश्यकताओं की प्राप्ति में अयोग्यता ही गरीबी या निर्धनता है। यह एक सापेक्ष शब्द है । अतः गरीबी का निर्धारण सम्पूर्ण समाज के जीवन स्तर के सन्दर्भ में ही सम्भव होता है। समाज मनोवैज्ञानिकों के अनुसार, “गरीबी वह आर्थिक स्थिति है जिसमें व्यक्ति अपनी ओर से अपने आश्रितों की मौलिक आवश्यकताओं को पूरा करने में असमर्थ होता है।”
रेबर एवं रेबर के अनुसार, “निर्धनता का तात्पर्य सम्पत्ति तथा सामग्रियों के अर्थ में अपेक्षाकृत निम्न जीवन स्तर से है । ” According to Reber and Reber, “Poverty refers to a relatively low standard of living in terms of good and materials.”
गरीबी के कारण (Causes of Poverty)
- व्यक्तिगत कारक (Individual Factors) – व्यक्ति विशेष अथवा परिवार विशेष से सम्बन्धित कारणों को निर्धनता का व्यक्तिगत कारण कहते हैं। ऐसे कारणों में शारीरिक दोष, शारीरिक रोग, मानसिक रोग व अक्षमता, परिवारिक प्रतिस्पर्धा तथा विकृति आदि आते हैं। जिस समाज या परिवार की संख्या जितनी अधिक होगी वह उतना ही अधिक निर्धनता से पीड़ित रहता है तथा उसकी इससे मुक्ति का सम्भावना नगण्य रहती है ।
- जैविक कारक (Biological Factors) – जैविक कारकों के अन्तर्गत जन्मदर पर नियंत्रण की कमी, बढ़ती हुई जनसंख्या आदि आते हैं जिसके कारण गरीबों की समस्याएँ अत्यन्त गम्भीर हो गई है। एक ओर परिवार के सदस्यों की बढ़ती संख्या तथा दूसरी ओर आय के स्रोत की कमी के कारण गरीबों का जीवन दुःखों का भण्डार बन कर रह गया है।
- आर्थिक (Economic Factors)-आर्थिक असमानता निर्धनता का मूल कारण है। भारत में → औद्योगीकरण का अभाव, कृषि क्षेत्र में उन्नति की कमी, अनार्थिक भूमि इकाइयों की संख्या में वृद्धि कृषकों में खेती के नवीन तरीकों की अपेक्षा, शिक्षा के अभाव में सरकारी या गैर सरकारी नौकरी के अवसरों का अभाव आदि कारणों से गरीबी की आर्थिक स्थिति खराब हो जाती है।
- सामाजिक कारक ( Social Factors)- गरीबी के सामाजिक कारणों में जाति व्यवस्था, वर्ण व्यवस्था, धार्मिक विश्वास आदि मुख्य है। जाति व्यवस्था के कठोर विश्वास के कारण कुछ लोग अपने परम्परागत व्यवसाय को छोड़कर दूसरे लाभप्रद व्यवसाय को अपनाने के लिए तैयार नहीं होते हैं ।
- शैक्षिक कारक (Educational Factors) – निर्धन परिवार के बालकों को पढ़ने-लिखने का अवसर नहीं प्राप्त होता है। निर्धन माता-पिता आर्थिक रूप से इतने पिछड़े होते है कि अपने बालकों को शिक्षा देने में सक्षम नहीं होते हैं । माता-पिता अपने बालकों को आर्थिक अर्जन का साधन समझते हैं इसके लिए उन्हें मजदूरी करने में लगा देते हैं।
- राजनैतिक कारक (Political Factors)- राजनैतिक उपेक्षा भी निर्धनता का कारण है। ब्रिटिश काल में राजनैतिक अधीनता के परिणामस्वरूप सरकार ने अपने हित पर ध्यान दिया तथा भारतीय निर्धन किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए कोई प्रयास नहीं किए गए। यहाँ तक कि स्वतंत्रता प्राप्त होने के बाद भी निर्धनों को राजनैतिक चक्कर से छुटकारा नहीं मिला ।
- प्रेरणात्मक कारक (Motivational_Factors) – निम्न प्रेरणात्मक स्तर निर्धनता का एक कारण है। निम्न आकाँक्षा स्तर, निम्न उपलब्धि स्तर, निम्न जीवन लक्ष्य, निम्न जोखिम स्तर आदि प्रेरणात्मक कारणों के उदाहरण है। निम्न प्रेरणात्मक स्तर के कारण ही व्यक्तियों की स्थिति क्रमशः खराब हो जाती है तथा वह निर्धन की श्रेणी में आ जाते है।
बढ़ते बालकों के जीवन पर निर्धनता का प्रभाव
- आवश्यकताओं की पूर्ति में कठिनाई (Difficulty in Need Fulfilment)– गरीबी के कारण बहुत से लोग अपने बच्चों की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं कर पाते हैं जिससे बालपन में ही बच्चों में हीन भावना उत्पन्न हो जाती है जिससे बच्चों का व्यक्तित्व विकृत बन जाता है।
- पारिवारिक विघटन (Family Disorganisation) – निर्धनता का प्रतिकूल प्रभाव परिवार पर पड़ता है जिससे परिवार में रहने वाले बच्चे भी प्रभावित होते हैं । अधिकांशतः गरीबी के कारण परिवार में संघर्ष तथा कलह 3 ” का वातावरण उत्पन्न हो जाता है जिससे परिवार विघटित हो जाता है।
- शैक्षिक पिछड़ापन (Educational Backwardness) – गरीबी का प्रभाव बच्चों की शिक्षा पर भी पड़ता है। गरीब परिवार अपने बच्चों के लिए उचित शिक्षा का प्रबन्ध नहीं कर पाते हैं। जिससे गरीब परिवार के बच्चे शैक्षिक रूप से पिछड़ जाते हैं। इस शैक्षिक पिछड़ेपन के कारण बालक सामाजिक दृष्टिकोणों से भी पिछड़ जाता है।
- निम्न आकांक्षा स्तर (Lower Aspirational Level) गरीब परिवार के बच्चों का आकांक्षा स्तर तथा उपलब्धि स्तर बचपन में ही गिर जाता है। इसका प्रतिकूल प्रभाव बालक के मानसिक विकास, सामाजिक विकास, संवेगात्मक विकास तथा आर्थिक विकास पर पड़ता है जिससे उनका व्यक्तित्व पूर्ण रूप से विकसित नहीं हो पाता है ।
- शारीरिक एवं मानसिक विकास पर प्रतिकूल प्रभाव (Adverse Effect on Physical and Mental Health)प्रायः गरीब परिवार के बच्चे बालपन से ही शारीरिक एवं मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं होते हैं जिसके परिणामस्वरूप वे अनेक शारीरिक एवं मानसिक व्याधियों से पीड़ित रहते हैं। इस प्रकार उनका जीवन काँटों की सेज बनकर रह जाता है। विभिन्न बातों के समान होने पर भी अमीर लोगों की अपेक्षा गरीब लोगों का जीवन स्तर सीमित होता है ।
- सामाजिक परिवर्तन की अज्ञानता (Unawareness of Social Changes)—गरीब परिवार के बच्चे अपने तथा दूसरों के समाजों में घटित परिवर्तनों से अपरिचित रहते हैं। गरीब परिवार यह भी नहीं जान पाते हैं कि समाज में कौन-कौन से सकारात्मक परिवर्तन हुए हैं जिसका लाभ उठाकर वे अपने बच्चों का जीवन स्तर उठा सकें। इसी अज्ञानता के कारण वे सदा पिछड़ते ही चले जाते हैं तथा वे सम्पूर्ण जीवन शारीरिक एवं मानसिक कष्टों को सहते ही रहते हैं ।
- सामाजिक उपेक्षा (Social Neglect) – प्रायः गरीब परिवार के बच्चे सामाजिक उपेक्षा, हीनभाव, तिरस्कार आदि के शिकार बन जाते हैं जिसके परिणामस्वरूप गरीब परिवार के बच्चे असामाजिक कार्य तथा अपराधी व्यवहार करने के लिए बाध्य हो जाते हैं। अध्ययनों एवं निरीक्षणों से ज्ञात होता है कि अपराध का एक बड़ा कारण गरीबी है।
- हीनता का भाव (Feeling of Inferiority) – निर्धनता या गरीब का प्रभाव हीनता – भाव के रूप में परिलक्षित होता है। गरीब परिवार के बच्चे जब अमीर बच्चों के सुखद जीवन पर नजर डालते हैं तथा उनके रहन-सहन खानपान को देखते हैं तो वे हीनता के भाव से ग्रसित हो जाते हैं।