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भौगोलिक खोजों के कारण

भौगोलिक खोजों के कारण

भौगोलिक खोजों के कारण

(i) कौतूहल की भावना
(ii) मॉनसून की जानकारी
(ii) नवीन वैज्ञानिक आविष्कारों का योगदान
(iv) जहाजरानी में विकास
(v) आग्नेयास्त्रों का ज्ञान
(vi) भौगोलिक ज्ञान में वृद्धि
(vii) स्पेनवासियों का उत्साह
(viii) व्यापार-वाणिज्य का विकास
(ix) धर्मयुद्धों का प्रभाव
(x) राष्ट्रीय राज्यों का उत्कर्ष
(xi) कुस्तुनतुनिया का पतन
भौगोलिक खोजों के कारण-भौगोलिक खोजों के लिए निम्नलिखित कारण उत्तरदायी थे-
(i) कौतूहल की भावना-यूरोप के कुछ साहसी व्यक्तियों ने कौतूहल की भावना से नए देशों की खोज का कार्य आरंभ किया। वे अपने देश से बाहर जाकर नए स्थानों का पता लगाना चाहते थे।
(ii) मॉनसून की जानकारी-मॉनसून का ज्ञान प्राप्त होने से जलयात्रा सुगम हो गई। नाविक इसका सहारा लेकर निर्विघ्न यात्रा
कर सकते थे।
(iii) नवीन वैज्ञानिक आविष्कारों का योगदान-भौगोलिक खोजों को बढ़ावा देने में नवीन आविष्कारों का महत्त्वपूर्ण योगदान
था। गैलीलियो ने दूरबीन का आविष्कार कर यात्रा सुलभ कर दी। 1380 में अरबों से कुतुबनुमा का ज्ञान प्राप्त कर यूरोपवालों ने इसका लाभ उठाया। कुतुबनुमा (कंपास) एवं दूरबीन के आविष्कार से खोजियों को पर्याप्त सहायता मिली। इसकी सहायता से दिशा एवं दूरी का पता लगाकर सुगमतापूर्वक यात्रा की जा सकती थी। मार्ग में भटकने की संभावना कम हो गई। मानचित्र में ऐस्ट्रोलेव (अक्षांश बतानेवाला उपकरण) अथवा उन्नतांशमापी यंत्र के व्यवहार से सुधार आया।
(iv) जहाजरानी में विकास-जहाजरानी में भी विकास हुआ। इटली, स्पेन एवं पुर्तगाल में परंपरागत नावों के स्थान पर खाँचा
पद्धति से विशाल और मजबूत जहाज बनाए जाने लगे। इनमें सामान ढोने की क्षमता अधिक थी तथा आत्मरक्षा के लिए ये
अस्त्र-शस्त्रों से सुसज्जित रहते थे। पुर्तगालियों ने हल्के और तेज गति से चलनेवाले कैरेवल जहाज बनाए। नए मानचित्रों
तथा मार्गदर्शक पुस्तकों के फलस्वरूप समुद्री यात्रा सुगम हो गई और भौगोलिक खोजों को गति मिली।
(v) आग्नेयास्त्रों का ज्ञान-जहाजरानी में विकास के साथ- साथ सुरक्षा के दृष्टिकोण से जहाजों में आग्नेयास्त्रों को रखने
की परंपरा भी विकसित हई। जहाजों को बंदूकों एवं तोपों से सुसज्जित किया जाने लगा जिससे कि जहाजी अपनी यात्राओं
के दौरान समुद्री डाकुओं का मुकाबला कर सकें। इससे समुद्री यात्रा सुरक्षित हो गई। 14वीं शताब्दी में सबसे पहले
वेनिसवालों ने जहाजों को तोपों-बंदूकों से सुसज्जित करना आरंभ किया। 15वीं शताब्दी तक सभी यूरोपीय शक्तियाँ
इनका व्यवहार करने लगीं। 16वीं शताब्दी तक यूरोपीय जहाज समुद्र में यात्रा करने योग्य सबसे अच्छे जहाज बन गए। इससे
समुद्र पर यूरोपियनों का प्रभाव स्थापित हुआ और भौगोलिक खोजों को प्रेरणा मिली।
(vi) भौगोलिक ज्ञान में वृद्धि-15वीं शताब्दी तक अनेक पुस्तकों द्वारा लोगों का भौगोलिक ज्ञान विस्तृत हो चुका था। टॉलेमी की पुस्तक ज्योग्राफी (Geography) का खोजी नाविकों पर व्यापक प्रभाव पड़ा। 1477 में प्रकाशित इस पुस्तक के द्वारा
नाविकों को विभिन्न क्षेत्रों के अक्षांश एवं देशांतर को समझने और उनके भूगोल को जानने में मदद मिली। टॉलेमी ने बतलाया कि दुनिया गोल है, यह तीन महाद्वीपों-यूरोप, एशिया और अफ्रीका में विभक्त है, महासागर कम चौड़े हैं जिन्हें आसानी से
पार किया जा सकता है। इस जानकारी से भौगोलिक खोजों को प्रेरणा मिली। इसके पहले ही 1410 में कार्डिनल पिएर डिऐली
(Cardinal Pierre d’Ailly) ने यूनानी, लैटिन और अरबी स्रोतों के आधार पर इमगो मुंडी (Imago Mundi) नामक पुस्तक
प्रकाशित की। इस पुस्तक से प्राप्त ज्ञान के आधार पर कोलम्बस को सामुद्रिक अभियान पर जाने की प्रेरणा मिली। 13वीं शताब्दी में ही इतालवी समुद्र विशेषज्ञों ने समुद्रयात्रा के दौरान व्यवहार में लाए जानेवाले नक्शे (portolano) बनाए। इनसे सामुद्रिक अभियानों में सहायता मिली।
(vii) स्पेनवासियों का उत्साह-आर्थिक और धार्मिक कारणों से उत्प्रेरित होकर पुर्तगाल के समान स्पेन ने भी भौगोलिक खोजों में उत्साह से भाग लिया। 1492 में ईसाई राजाओं द्वारा अरबों के आधिपत्य से आइबेरियन प्रायद्वीप को स्वतंत्र कराए जाने की घटना-रीकांक्विस्टा (Reconquista)—से उत्साहित होकर स्पेनी नए क्षेत्रों की खोज, वहाँ ईसाई धर्म के प्रचार की संभावना तथा उपनिवेश स्थापित कर राजसत्ता के विस्तार के उद्देश्य से भौगोलिक खोजों की दिशा में अग्रसर हो गए।
(viii) व्यापार-वाणिज्य का विकास-सामंतवाद के पतन, धर्मसुधार आंदोलन और पुनर्जागरण के परिणामस्वरूप व्यापार-
वाणिज्य की प्रगति हुई। कच्चा माल प्राप्त करने एवं निर्मित वस्तुओं की बिक्री के लिए नए देशों और व्यापारिक मार्गों की
खोज आवश्यक हो गई।
(ix) धर्मयुद्धों का प्रभाव-11वीं-12वीं शताब्दियों में आधुनिक इजरायल स्थित जेरूसलम-पवित्र नगर (Holy City)-के
आधिपत्य के प्रश्न पर ईसाइयों और तुर्कों के बीच लंबा संघर्ष हुआ। इससे सामंतवाद को तो क्षति हुई, परंतु धर्मयुद्धों के बाद
यूरोपवालों की रुचि पूर्वी देशों में बढ़ गई। वहाँ से व्यापार करना अत्यंत लाभदायक था। अतः, प्रत्येक राष्ट्र इस दिशा में
प्रयासशील हो गया। इससे भौगोलिक खोजों को प्रेरणा मिली।
(x) राष्ट्रीय राज्यों का उत्कर्ष-राष्ट्रीय राज्यों के उत्कर्ष के बाद प्रत्येक राष्ट्र अपनी आर्थिक स्थिति सुदद करने एवं अपना
सम्मान बढ़ाने में लग गया। भौगोलिक खोजों से दोनों उद्देश्यों की पूर्ति संभव थी, इसलिए राष्ट्रीय राज्यों ने भौगोलिक खोजों को
प्रश्रय दिया। इसमें स्पेन और पुर्तगाल की प्रमुख भूमिका थी।
(xi) कुस्तुनतुनिया का पतन-भौगोलिक खोजों को सबसे अधिक प्रेरणा 1453 में बिजेंटाइन साम्राज्य की राजधानी कुस्तुनतुनिया के पतन से मिली। कुस्तुनतुनिया पर उस्मानी तुर्को का अधिकार हो जाने से पूरब के साथ व्यापार करने के लिए
यूरोपवालों को नए व्यापारिक समुद्री मार्गों की आवश्यकता पड़ी। इसका प्रमुख कारण था तुर्कों द्वारा इस मार्ग से व्यापार करनेवाले व्यापारियों से भारी कर वसूलना। अतः, इस दिशा में प्रयास आरंभ कर दिए गए।

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