मनुष्य द्वारा निर्मित पदार्थ
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मनुष्य द्वारा निर्मित पदार्थ
सीमेंट ( Cement)
◆ चूना पत्थर या खड़िया का मृत्तिका (लाल मिट्टी) या शेल के साथ खूब गर्म करने से प्राप्त होने वाले पदार्थ को सीमेंट कहते हैं।
◆ सीमेंट उत्पादक संयंत्रों को चूना पत्थर, चिकनी मिट्टी और जिप्सम की आवश्यकता होती है।
◆ सीमेंट प्रमुख रूप से कैल्सियम सिलिकेटों और एल्युमिनियम सिलिकेटों का मिश्रण है। जिसमें जल के साथ मिश्रित करने पर जमने का गुण होता है। जल के साथ मिश्रित करने पर सीमेंट का जमना उसमें उपस्थित कैल्सियम सिलिकेटों और एल्युमिनियम सिलिकेटों के जलयोजन के कारण होता है।
◆ सीमेंट में 2-5% तक जिप्सम ( CaSO4.2H₂O ) मिलाने का उद्देश्य, सीमेंट के प्रारंभिक जमाव को धीमा करना है। सीमेंट के धीमें जमाव से उसका अत्यधिक मजबूतीकरण होता है।
◆ जमते समय सीमेंट में दरारें पड़ने का मुख्य कारण इसमें चूना का अधिक होना है।
◆ सीमेंट के जल्दी जमने का मुख्य कारण, इसमें एल्युमिनियम की मात्रा का अधिक होना है।
◆ जब सीमेंट में आयरन की मात्रा कम होती है तो इसका रंग सफेद होता है।
◆ जब सीमेंट के साथ बालू और जल मिलाया जाता है तो इस so मिश्रण को मोर्टार (Mortar) कहते हैं। इसका उपयोग फर्श बनाने और प्लास्टर आदि में किया जाता है।
◆ जब सीमेंट के साथ बालू, जल और छोटे-छोटे पत्थर के टुकड़े मिलाये जाते हैं तो इस मिश्रण को कंकरीट (Concrete) कहते हैं। इसका उपयोग इमारतों के छतें, पुल व बाँध बनाने में किया जाता है।
नोट : वर्ष 1824 में एक ब्रिटिश इंजीनियर जोसेफ एस्पीडन ने चूना पत्थर तथा चिकनी मिट्टी से जोड़ने वाला ऐसा नया पदार्थ बनाया जो अधिक शक्तिशाली और जलरोधी था। उसने उसे पोर्टलैंड सीमेंट कहा, क्योंकि यह रंग में पोर्टलैंड के चूना पत्थर जैसा था।
सीमेंट का संघटन
CaO | 60-70% |
SiO₂ | 20-25% |
Al₂O₃ | 5-10% |
Fe₂O₃ | 2-3% |
MgO | 2% |
Na₂O | 1.5% |
K₂O | 1.5% |
SO₂ | 1% |
काँच (Glass)
◆ काँच विभिन्न क्षारीय धातु के सिलिकेटों का अक्रिस्टलीय मिश्रण होता है।
◆ साधारण काँच सिलिका (Si2), सोडियम सिलिकेट (Na2SiO3) और कैल्सियम सिलिकंट का ठोस विलयन (मिश्रण) होता है।
◆ काँच अक्रिस्टलीय ठोस के रूप में एक अतिशीतित द्रव है। इसलिए काँच की न तो क्रिस्टलीय संरचना होती है और न ही उसका कोई निश्चित गलनांक होता है।
◆ सोडियम कार्बोनेट व सिलिका को गर्म करने पर सोडियम सिलिकेट प्राप्त होता है। यह जल में विलेय है तथा इसे जल काँच (Water Glass) कहते हैं।
◆ काँच का कोई निश्चित रासायनिक सूत्र नहीं होता है, क्योकि काँच मिश्रण है, यौगिक नहीं। साधारण काँच का औसत संघटन Na2. SiO3,CaSiO3, 4SiO2 होता है।
विभिन्न प्रकार के काँच, संघटक एवं उनके उपयोग
काँच | संघटक | उपयोग |
फ्लिन्ट काँच | पोटैशियम कार्बोनेट, लेड ऑक्साइड व सिलिका | कैमरा, दूरबीन के लेन्स व विद्युत बल्ब |
पाइरेक्स काँच | सोडियम सिलिकेट, बेरियम सिलिकेट | प्रयोगशाला के उपकरण |
सोडा काँच | सोडियम कार्बोनेट, कैल्सियम कार्बोनेट व सिलिका | ट्यूब लाइट, बोतलें, प्रयोगशाला के उपकरण व दैनिक प्रयोग के बर्तन |
क्रुक्स काँच | सिरियम ऑक्साइड व सिलिका | धूप-चश्मों के लेन्स |
पोटाश काँच | पोटैशियम कार्बोनेट, कैल्सियम कार्बोनेट व सिलिका | अधिक ताप तक गर्म किये जाने वाले काँच के बर्तन व प्रायोगिक उपकरण |
प्रकाशकीय काँच | पोटैशियम कार्बोनेट, रेड लेड तथा सिलिका | चश्मा, सूक्ष्मदर्शी, टेलिस्कोप एवं प्रिज्म बनाने में |
◆ रेशेदार काँच (Fibre Glass) का प्रयोग बुलेट प्रुफ जैकेट बनाने में किया जाता है।
◆ काँच की वस्तुओं को बनाने के बाद विशेष प्रकार की भट्टियों में धीरे-धीरे ठंडा करते हैं। इस क्रिया को काँच का तापानुशीतलन (Annealing of Glass) कहते हैं।
◆ काँच का रंग : काँच में रंग देने के लिए अल्प मात्रा में धातुओं के यौगिक (रंगीन) मिलाये जाते हैं। धात्विक यौगिक का चुनाव वांछित रंग पर निर्भर करता है।
काँच में रंग देने वाले पदार्थ
मिश्रित पदार्थ | काँच का रंग |
कोबाल्ट ऑक्साइड | गहरा नीला |
सोडियम क्रोमेट या फेरस ऑक्साइड | हरा |
सिलेनियम ऑक्साइड | नारंगी लाल |
फेरिक ऑक्साइड | भूरा |
गोल्ड क्लोराइड | रूबी लाल |
कैडमियम सल्फेट | पीला |
क्यूप्रिक लवण | पिकाक नीला |
क्रोमिक ऑक्साइड | हरा |
मैगनीज डाइऑक्साइड | लाल |
क्यूप्रस ऑक्साइड | चटक लाल |
नोट: फोटोक्रोमैटिक काँच सिल्वर ब्रोमाइड की उपस्थिति के कारण धूप में स्वतः काला हो जाता है।
साबुन ( Soap)
◆ सभी साधारण साबुन उच्चवसीय अम्लों जैसे- स्टियरिक, पालमिटिक अथवा ओलिक अम्ल के सोडियम अथवा पोटैशियम लवणों के मिश्रण होते हैं।
◆ साबुन बनाने की क्रिया को साबुनीकरण कहते हैं।
◆ वे साबुन जो उच्चवसीय अम्लों के सोडियम लवण (कॉस्टिक सोडा) होते हैं, कड़े साबुन कहलाते हैं। इनका उपयोग कपड़ा धोने में किया जाता है।
◆ वे साबुन जो उच्चवसीय अम्लों के पोटैशियम लवण (कॉस्टिक पोटाश ) होते है, वे मुलायम साबुन कहलाते हैं। इनका उपयोग स्नान करने में किया जाता है।
डिटर्जेंट (Detergents)
◆ इसमें लंबी श्रृंखला का हाइड्रोकार्बन होता है एवं श्रृंखला के अंत में एक ध्रुवीय समूह । परन्तु ये साबुन से इस मामले में उत्तम है कि Ca+², Mg+² तथा Fe+² आयन के साथ अघुलनशील लवण नहीं प्रदान करता है। इनके उदाहरण हैं- सोडियम एल्काइल सल्फोनेट, सोडियम एल्काइल बेंजीन सल्फोनेट आदि । डिटर्जेंट एवं एन्जाइम मिला हुआ पदार्थ बहुत ही साफ धुलाई करता है। इस प्रकार की धुलाई को माइक्रोसिस्टम धुलाई कहते हैं।
उर्वरक (Fertilizers )
◆ कृषि में फसलों के अधिक उत्पादन व पौधों की वृद्धि के लिए नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटैशियम, कैल्सियम आदि तत्त्वों की आवश्यकता होती है। पौधे इन तत्त्वों को भूमि से ग्रहण करते हैं, लेकिन धीरे-धीरे भूमि में इन तत्त्वों की कमी हो जाती है। इस कमी को पूरा करने के लिए कृत्रिम रूप से बनाये गये इन तत्त्वों के यौगिक उचित मात्रा में भूमि में मिलाये जाते हैं। कृत्रिम रूप से बनाये गये इन यौगिकों को ही उर्वरक कहते हैं। उर्वरक कई प्रकार के होते हैं, जिनका विवरण निम्नलिखित है –
A. नाइट्रोजन के उर्वरक ( Nitrogenous Fertilizers ) : इन उर्वरकों में मुख्यतः नाइट्रोजन तत्त्व पाया जाता है। जैसे –
(i) यूरिया [Urea (H2 NCONH2)] : यूरिया में 46% नाइट्रोजन की मात्रा पायी जाती है।
(ii) अमोनिया सल्फेट [Ammonium Sulphate (NH4)2SO4 ] : इसमें नाइट्रोजन अमोनिया के रूप में उपस्थित रहती है तथा लगभग 25% अमोनिया पायी जाती है। यह आलू की कृषि के लिए अच्छा उर्वरक है। इसका प्रयोग चूनारहित भूमि में नहीं किया जाता है।
(iii) कैल्सियम नाइट्रेट (Calcium Nitrate (CaNO3)] : यह नाइट्रोजन का सबसे अच्छा उर्वरक है। बाजार में यह नार्वेजियन साल्टपीटर के नाम से जाना जाता है।
(iv) कैल्सियम सायनामाइड [Calcium Cyanamide (CaCN2)] : इसका बुआई करने से पहले भूमि में छिड़काव किया जाता है। पौधों की वृद्धि के समय इस उर्वरक का प्रयोग पौधों के लिए लाभप्रद नहीं होता। कार्बन के साथ इसके मिश्रण को बाजार में नाइट्रोलिम के नाम से बेचा जाता है।
B. पोटैशियम के उर्वरक (Potassium Fertilizers) : पोटैशियम क्लोराइड, पोटैशियम नाइट्रेट, पोटैशियम सल्फेट आदि पोटैशियम के कुछ प्रमुख उर्वरक हैं।
C. फॉस्फोरस के उर्वरक (Phosphous Fertilizers) : सुपर फॉस्फेट ऑफ लाइम, फास्फेटी धातुमल, फॉस्फोरस के प्रमुख उर्वरक हैं। सुपर फॉस्फेट को हड्डियों को पीस कर बनाया जाता है। इसमें 16-20% P2O5 रहता है।
D. मिश्रित उर्वरक (Mixed Fertilizers ) : इस प्रकार के उर्वरकों में एक से अधिक तत्त्व पाये जाते हैं। जैसे- अमोनियम फॉस्फेट एवं अमोनियम सुपर फॉस्फेट आदि।
विस्फोटक (Explosive)
◆ विस्फोटक ऐसे पदार्थ होते हैं, जिनके दहन पर अत्यधिक ऊष्मा व तीव्र ध्वनि उत्पन्न होती है। कुछ प्रमुख विस्फोटक निम्नलिखित हैं –
(i) डाइनामाइट (Dynamite )
◆ इसका आविष्कार अल्फ्रेड नोबेल ने 1863 ई. में किया था।
◆ यह नाइट्रोग्लिसरीन को किसी अक्रिय पदार्थ जैसे लकड़ी के बुरादे या कीजेलगूर (Kieselguhr) में अवशोषित करके बनाया जाता है।
◆ जिलेटिन डाइनामाइट में नाइट्रो सेलुलोस की भी मात्रा उपस्थित रहती है। इसके विस्फोट के समय उत्पन्न गैसों का आयतन बहुत अधिक होता है।
◆ आधुनिक डाइनामाइट में नाइट्रोग्लिसरीन की जगह सोडियम नाइट्रेट का प्रयोग किया जाता है।
(ii) ट्राई नाइट्रो-टाल्वीन (T.N.T.)
◆ यह हल्का पीला क्रिस्टलीय ठोस पदार्थ है।
◆ यह टाल्वीन (C6H5CH3) के साथ सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल (H2SO4) व सान्द्र नाइट्रिक अम्ल (HNO3) की क्रिया से बनाया जाता है।
◆ इसका सबसे अधिक उपयोग विस्फोटक के रूप में किया जाता है।
◆ इसकी विस्फोटक गति 6900 मीटर/सेकंड है।
(iii) ट्राईनाइट्रो ग्लिसरीन (T.N.G.)
◆ यह एक रंगहीन तैलीय द्रव है। इसे नोबेल का तेल (Nobel’s Oil) भी कहा जाता है।
◆ यह डाइनामाइट बनाने के काम आता है।
◆ यह सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल (H2SO4) और सान्द्र नाइट्रिक अम्ल (HNO3) को ग्लिसरीन के साथ क्रिया करके बनाया जाता है।
(iv) ट्राईनाइट्रो फिनॉल (T.N.P.)
◆ इसे पिकरिक अम्ल भी कहा जाता है।
◆ यह फीनॉल एवं सान्द्र नाइट्रिक अम्ल (HNO3) की अभिक्रिया द्वारा बनाया जाता है।
◆ यह हल्का पीला, क्रिस्टलीय ठोस होता है तथा अत्यधिक विस्फोटक होता है।
(v) आर.डी.एक्स. (R.D.X.)
◆ R.D.X का पूरा नाम Research and Development Explosive है।
◆ इसका रासायनिक नाम साइक्लो ट्राइमिथाइलीन ट्राईनाइट्रोमाइन है।
◆ इसे प्लास्टिक विस्फोटक भी कहा जाता है।
इस विस्फोटक को यू.एस.ए, में साइक्लोनाइट, जर्मनी में हेक्सोजन तथा इटली में टी-4 के नाम से जाना जाता है।
◆ R.D.X. एक प्रचंड विस्फोटक है तथा इसके तापमान व आग की गति को बढ़ाने के लिए इसमें एल्युमिनियम चूर्ण को मिलाया जाता है।
◆ R.D.X. की विस्फोटक ऊष्मा 1510 किलो कैलोरी प्रति किग्रा होती है।
◆ इसकी खोज 1899 ई. में जर्मनी के हेंस हेनिंग ने शुद्ध सफेद दानेदार पाउडर के रूप में किया। था। इसका उपयोग द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान इसे स्थिर यौगिक के रूप में परिवर्तित किये जाने के बाद प्रारंभ हुआ।
गन पाउडर (Gun Powder)
◆ इसकी खोज रोजर बैंकन ने किया था।
◆ इसका प्रथम अभिलेखित प्रयोग 1346 ई. में अंग्रेजों द्वारा यूनान के युद्ध में किया गया था।