1st Year

राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान से आपका क्या तात्पर्य है? इसके लक्ष्य एवं उद्देश्यों का वर्णन कीजिए । What do you mean by Rashtriya Madhyamik Shiksha Abhiyan? Describes its Aims and Objectives.

प्रश्न  – राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान से आपका क्या तात्पर्य है? इसके लक्ष्य एवं उद्देश्यों का वर्णन कीजिए । What do you mean by Rashtriya Madhyamik Shiksha Abhiyan? Describes its Aims and Objectives.
या
राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान का विस्तृत वर्णन कीजिए। Describe the Rashtriya Madhyamik Shiksha Abhiyan in detail.

उत्तर- शिक्षा देश में उच्च स्तर पर चिरस्थायी विकास प्राप्त करने का विश्वस्त साधन है। इस सम्बन्ध में प्राथमिक शिक्षा सहभागिता, बुनियादी अभावों से मुक्ति तथा उनसे पार पाने के मूल कारक के रूप में कार्य करती है जबकि माध्यमिक शिक्षा आर्थिक विकास तथा सामाजिक न्याय की स्थापना को सुविधाजनक बनाती है। कई वर्षो से, उदारीकरण और वैश्वीकरण ने वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकी जगत में द्रुत परिवर्तन किए हैं और जीवन की गुणवत्ता सुधारते हुए आवश्यकताओं को पूरा किया है जिससे निर्धनता में कमी आई है। इसने बेशक स्कूल छोड़ने वालों के लिए ज्ञान और दक्षताओं का उच्चतर स्तर प्राप्त करना अनिवार्य किया है। साथ ही यह शैक्षिक पदानुक्रम, माध्यमिक शिक्षा का महत्त्वपूर्ण चरण भी है जो देश को उच्चतर शिक्षा और कार्य जगत में आगे बढ़ाने की दिशा में बच्चों को सक्षम बनाता है।

1986 की नई शिक्षा नीति और योजना कार्यक्रम और 1992 की सिफारिशों के अनुक्रम में भारत सरकार ने अलग-अलग समय में माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक स्कूलों के बच्चों की सहायता के लिए विभिन्न योजनाएं आरम्भ कीं। आई.ई.डी.एस.एस ( पूर्व में आई. ई.डी.सी.), बालिका छात्रावास तथा स्कूलों में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी योजनाएं भारत में माध्यमिक शिक्षा को गुणवत्तायुक्त बनाने के उद्देश्य से आरंभ की गईं। 2009 में राज्य सरकार और स्थानीय स्व-शासन की भागीदारी में आरम्भ आर.एम.एस.ए. मौजूदा चारों योजनाओं का अत्याधुनिक संस्करण है।

राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान भारत सरकार की एक फ्लैगशिप योजना है जो मार्च, 2009 में माध्यमिक शिक्षा तक पहुँच बढ़ाने और इसकी गुणवत्ता में सुधार के लिए शुरू की गई। इस योजना का कार्यान्वयन 2009-10 में मानव जनशक्ति सृजित करने तथा वृद्धि और विकास तथा समानता को तेज करने हेतु पर्याप्त स्थितियाँ उपलब्ध कराने के साथ-साथ भारत में सभी को गुणवत्तायुक्त जीवन देने के लिए आरम्भ हुआ । एस. एस. ए. की व्यापक सफलता को देखते हुए और एस.एस.ए. की तरह आर. एम. एस.ए बहुपक्षीय संगठनों, गैर-सरकारी संगठनों, सलाहकारों तथा परामर्शदाताओं, अनुसंधान एजेंसियों तथा संस्थाओं आदि से लाभप्रद सहायता लेता है। योजना में बहुआयामी अनुसंधान, तकनीकी परामर्श, कार्यान्वयन तथा निधियन सहयोग शामिल है।

इस समय कार्यान्वयन के चौथे वर्ष में आर.एम.एस.ए 50,000 सरकारी तथा स्थानीय निकाय माध्यमिक स्कूलों को शामिल करता है। इसके अलावा 30,000 अतिरिक्त सहायता प्राप्त माध्यमिक स्कूल भी आर.एम.एस.ए के लाभ उठा सकते हैं लेकिन कोर क्षेत्रों में अवसंरचना तथा सहयोग नहीं ले सकते ।

राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के लक्ष्य तथा उद्देश्य 

  1. इस योजना में 2005-06 में 52.26% की तुलना में अपने कार्यान्वयन के पाँच वर्ष के भीतर किसी भी बस्ती से उपयुक्त दूरी पर एक माध्यमिक स्कूल उपलब्ध कराकर कक्षा IX-X के लिए 75% का सकल नामांकन अनुपात प्राप्त करने पर ध्यान दिया गया है।
  2. सभी माध्यमिक स्कूलों को निर्धारित मानदण्डों के अनुरूप बनाकर माध्यमिक स्तर पर दी जा रही शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना।
  3. लैंगिक, सामाजिक, आर्थिक तथा निःशक्तता बाधाएं हटाना ।
  4. वर्ष 2017 अर्थात् 12वीं पंचवर्षीय योजना के अंत तक माध्यमिक स्तर शिक्षा तक व्यापक पहुँच।
  5. वर्ष 2020 तक छात्रों को स्कूल में बनाए रखने में वृद्धि और उसका सर्वसुलभीकरण ।
  6. विशेष वर्गो (अनुसूचित जातियों / जनजातियों अन्य पिछड़े वर्गों, गरीबों व अपंगों आदि) के लिए माध्यमिक शिक्षा की व्यवस्था करना ।
  7. सभी माध्यमिक स्कूलों में भौतिक सुविधाएँ, स्टाफ एवं सामग्री सुनिश्चित करना ।
  8. सामान्य स्कूल प्रणाली की दिशा में प्रगति करना ।
  9. शिक्षा प्रबन्धों में पंचायतों एवं अन्य स्थानीय संस्थाओं की भागीदारी सुनिश्चित करना।
  10. स्कूलों तक पहुँचने के लिए सुरक्षित एवं प्रभावशाली यात्रायात सुविधाओं का विकास ।
  11. मुक्त विद्यालय सुविधाओं का विकास करना।
  12. माध्यमिक शिक्षा गृहण कर रहे सभी छात्रों के लिए यह सुनिश्चित करना कि वह अच्छी गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा ग्रहण करें। प्रभावशाली बौद्धिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक अधिगम हेतु माध्यमिक शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हेतु प्रयास करना । पर्वतीय एवं अन्य इलाकों में आवासीय स्कूलों का विकास करना।
योजना के लिए कार्यान्वयन तन्त्र
प्रत्येक राज्य में आर.एम.एस.ए. राज्य कार्यान्वयन समितियों की मदद से कार्य करता है। आर.एम.एस.ए. का समन्वय करने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय केन्द्र सरकार का नोडल मंत्रालय है। हालांकि आर.एम.एस.ए. के बेहतर कार्यान्वयन के लिए अनेक सहयोगी व्यवस्थाएँ तथा संस्थाएँ उपलब्ध हैं। एक राष्ट्रीय संसाधन दल शिक्षण अधिगम प्रक्रियाओं, पाठ्यचर्या, शिक्षण अधिगम सामग्री, सूचना संचार प्रौद्योगिकी (आई.सी.टी.) शिक्षा तथा निगरानी और मूल्यांकन के तंत्रों में सुधार के लिए मार्गदर्शन देता है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा समर्थित तकनीकी सहयोग दल राष्ट्रीय संसाधन दल का संघटक है तथा मंत्रालय से इसका सीधा सम्बन्ध है। तकनीकी सहयोग दल राष्ट्रीय तथा राज्य स्तरीय टीमों को तकनीकी और प्रचलन सम्बन्धी सहयोग तथा विशेषज्ञता उपलब्ध कराता है।

इसके अतिरिक्त एन. आर. जी. के अन्तर्गत विभिन्न उप- समितियाँ जैसे पाठ्यचर्या सुधार उप-समिति, शिक्षक और शिक्षक विकास उप-समिति, आई.सी.टी. उप-समिति और योजना और प्रबन्धन उप–समिति गठित की गई है। इन उप-समितियों में टी.एस.जी. से सदस्य लिए जाते हैं और इनकी वर्ष में तीन बैठकें होती हैं जिनमें वे परस्पर निर्धारित लक्ष्यों और प्रतिबद्धताओं की प्रगति से स्वयं को अवगत कराती हैं। इसके अतिरिक्त एन.सी.ई.आर.टी. और एन.यू.ई.पी.ए. आर.एम.एस.ए. की समर्पित इकाइयों के माध्यम से सहायता करते हैं। डी.एफ.आई.डी. की सहायता से क्षमता निर्माण सहायता के लिए आर.एम.एस.ए-टीसीए का भी गठन किया गया है। वित्तीय निविष्टियों के रूप में केन्द्र का हिस्सा कार्यान्वयन एजेंसियों को सीधे जारी किया जाता है जबकि राज्य का उपयुक्त हिस्सा भी सम्बन्धित राज्य सरकारों द्वारा एजेंसियों को जारी किया जाता है।

योजना और मूल्यांकन प्रक्रिया
जिला और राज्य स्तर पर आर. एम.एस.ए कार्यक्रम के कार्यान्वयन में योजना और मूल्यांकन चुनौतीपूर्ण कार्य है। आर एम. एस. ए. के तहत माध्यमिक शिक्षा योजना की चुनौती अपनी विशिष्ट विशेषता के कारण है जिसमें बहुलतावादी सामाजिक आर्थिक स्थिति से बच्चों की आवश्यकता का समाधान, शैक्षणिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि, उच्च शिक्षा जारी रखने के साथ आवश्यकता और आकांक्षा की पूर्ति शामिल है। चुनौती इन योजनाओं के दृष्टिकोणों, मध्यस्थता और संसाधनों के बीच सामंजस्य बढ़ाने की भी है। आर.एम.एस.ए. समाज, पंचायतीराज संस्थानों और अन्य हितधारकों के लिए योजना और कार्यान्वयन के सभी पहलुओं से मुख्य कार्य करता है जिससे पर्याप्त समर्पण और प्रौद्योगीकरण के विकेन्द्रीकरण और प्रबंधन कार्य होते हैं ।

अतः आर.एम.एस.ए के अन्तर्गत तैयार जिला और राज्य स्तरीय माध्यमिक शिक्षा योजनाओं के विकास और मूल्यांकन में बहुत व्यावहारिक दृष्टिकोणों की आवश्यकता है। परिमाणात्मक दृष्टिकोणों सहित पर्याप्त तकनीकी ज्ञान और गुणवत्ता के मुद्दों का उचित रूप में समाधान करने की भी आवश्यकता है। आर. एम.एस.ए. कार्यक्रम के तहत उनके सम्बन्धित क्षेत्रों में माध्यमिक शिक्षा की योजना और प्रबंधन के लिए राज्य और जिला स्तर पर गठित योजना दलों की क्षमता को बढ़ाना चुनौतीपूर्ण कार्य है।

  1. प्राथमिकता और प्रक्रिया कार्य-योजना प्रारम्भ करने के लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं है लेकिन प्रत्येक वर्ष जनवरी और जुलाई में संयुक्त समीक्षा मिशन (जे.आर.एम.) द्वारा दी गई टिप्पणी अगले वर्ष की योजना के लिए बहुत सी प्राथमिकताओं के निर्धारण में सहायक है। पंचवर्षीय योजना आवंटन और केन्द्रीय बजट भी योजना के लिए प्राथमिकता देता है। इनपुट के आधार पर टी. एस. जी. विभिन्न राज्यों के साथ क्षेत्रीय कार्यशालाओं का आयोजन करता है जिसमें कार्यान्वयन मूल्यांकन प्रक्रिया पर चर्चा और योजना प्राथमिकताओं के सम्बन्ध में विचार प्राप्त किए जाते हैं।
  2. योजनाओं की तैयारी – राज्य योजना सामान्यतः एन.यू.ई. पी.ए द्वारा तैयार डब्ल्यू.पी.आर.बी. मैन्यूवल में निहित लगभग 10 अध्यायों से तैयार की जाती है। एसपीओ और जिला अधिकारी का कार्य योजना तैयार करने के लिए आवश्यक 60 विषम तालिकाओं में निहित पूर्ण सूचना, यू. डी.आई.एस.ई. डाटा को अन्तिम रूप देने पर केन्द्रित करने और सिविल कार्य से सम्बन्धित सूचना संकलित करना है जबकि स्कूल डाटा हेतु अन्तिम तारीख (यू.डी.आई.एस.ई) 30 सितम्बर है, राज्य दिसम्बर तक डाटा अद्यतन करते हैं। अतः जिला योजना का लेखन और राज्य में उसका संकलन दिसम्बर और मार्च के बीच किया जाता है।
  3. योजनाओं की प्रस्तुति, टी. एस. जी. और पूर्व पी.ए.बी. से चर्चा और अन्तिम पी. ए. बी. अनुमोदन–आर.एम.एस. ए. के तहत योजनाओं की समीक्षा वर्तमान में दो चरणों राज्य स्तर और उसके बाद राष्ट्रीय स्तर पर अपेक्षित है। राज्य स्तरीय समीक्षा आर.एम.एस.ए. की राज्य कार्यकारी परिषद् द्वारा की जाती है जबकि परियोजना अनुमोदन बोर्ड (पी.ए.बी.) राष्ट्रीय स्तर पर अन्तिम मंच है जहाँ राज्य की योजनाओं पर चर्चा, मूल्यांकन और अनुमोदन किया जाता है। पी.ए.बी. की तारीखें, सामान्यतः एक पी.ए.बी. दिन में 3 – 4 राज्यों को कवर करते हुए घोषित की जाती है।
गुणवत्ता (Quality)
माध्यमिक स्तर के स्कूल – अध्ययन कक्ष स्तर पर गुणवत्ता और उनके क्षमता सुधार करना आर. एम. एस. ए का मुख्य कार्यक्षेत्र है। अधिकतम उपयोग के बिना संसाधनों / अवसंरचना के प्रबंधन को विपरीत रूप से प्रभावित करने के साथ ही बिना शिक्षण स्तर के सुधार के केवल शिक्षा की पहुँच बनाने से लाभ नहीं होता है अतः आवश्यकता है कि पहुँच और समता की वृद्धि के निर्देश के प्रभाव एवं गुणवत्ता की प्राप्ति का प्रयास साथ-साथ चले। इसके अतिरिक्त यह अक्सर अनुभव किया जाता है कि पाठ्यक्रम सुधार और शैक्षणिक सुधार के लिए दखल / उन्नति की योजना बनाना, मूल्यांकन और कार्यान्वयन एकं कठिन कार्य है। अतः सम्पूर्ण गतिविधियों में निगरानी का मुख्य स्थान है जिसका उद्देश्य माध्यमिक शिक्षा के स्तर में सुधार करना है। सभी गुणवत्ता प्रयासों का मुख्य लक्ष्य स्कूल-अध्ययन कक्ष व्यवस्था के भीतर अनुकूल बदलाव लाना है। अतः गुणवत्तायुक्त शिक्षा की प्राप्ति के लिए इनपुट और प्रक्रिया की गुणवत्ता सुनिश्चित करना आवश्यक है ।

आध्यमिक स्तर के लिए रणनीति (Strategy for  Secondary Stage )

  1. प्रवेश (Access ) – भारत के विभिन्न क्षेत्रों में शिक्षा व्यवस्था की स्थिति भी भिन्न-भिन्न है। माध्यमिक शिक्षा के व्यावसायीकरण के लिए इस भिन्नता में एकरूपता लाई जानी चाहिए जिसके लिए निम्न कदम उठाए जाएंगे-
    1. आवश्यकतानुसार नए माध्यमिक विद्यालय खोलना ।
    2. उच्चतर प्राथमिक विद्यालयों की प्रोन्नति करना ।
    3. माध्यमिक विद्यालयों को उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में सम्मिलित करना ।
    4. मौजूदा माध्यमिक तथा उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में दूसरीं शिफ्ट (Second Shift) शुरु करना ।
    5. विकलांगों के लिए विद्यालय की इमारत में विशेष प्रस्ताव |
  2. गुणवत्ता (Quality)- माध्यमिक शिक्षा की गुणवत्ता के लिए निम्नांकित कदम उठाए जाएंगे-
    1. अध्यापकों को सेवाकालीन प्रशिक्षण व अन्य अध्यापकों की नियुक्ति ।
    2. पाठ्यक्रम में सुधार ।
    3. विद्यालय छोड़ चुकें विद्यार्थियों के लिए अतिरिक्त ब्रिज कोर्स (Bridge Courses) |
    4. पर्वतीय तथा ग्रामीण इलाकों में शिक्षकों के लिए आवास उपलब्ध कराना ।
    5. विद्यालय के लिए अनावश्यक ब्लैक-बोर्ड, फर्नीचर, पुस्तकालय तथा प्रयोगशालाएं आदि प्रदान करना ।
  3. समानता (Equity) – माध्यमिक शिक्षा में समानता के लिए निम्नांकित प्रयास किए जाएंगे–
    1. माध्यमिक स्तर के मेधावी छात्रों के लिए छात्रवृत्तियाँ ।
    2. मुफ्त एवं दूरस्थ शिक्षा का प्रसार ।
    3. अनुसूचित जातियों / जनजातियों, अन्य पिछड़े वर्गों एवं अल्पसंख्यक छात्रों के लिए मुफ्त रहने व खाने की सुविधा ।
    4. लड़कियों के लिए आवासीय विद्यालयों, नगद छात्रवृत्ति, वर्दी, किताबों आदि की सुविधा ।
    5. समाहित शिक्षा / समेकित शिक्षा (Inclusive Education
  4. केन्द्र–अनुदानित योजनाएँ (Centrally Sponsored Schemes) – केन्द्र सरकार चार केन्द्र – अनुदानिक योजनाओं की व्यवस्था करती है, ये हैं –
    1. विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार ।
    2. छात्राओं के लिए हॉस्टल सुविधा कार्यक्रम को मजबूती प्रदान करना ।
    3. विद्यालयों में कम्प्यूटर (Computer) शिक्षा प्रदान करने के लिए सरकारों को अनुदान देना ।
    4. राज्य सरकारों एवं गैर-सरकारी संगठनों को समेकित शिक्षा के लिए अनुदान देना।
  5. संसाधन संस्थाओं का सशक्तीकरण व संस्थागत सुधार (Strengthening of Resource Institution and Institutional Reforms)
    1. माध्यमिक शिक्षा प्रणाली में आवश्यक व्यावसायिक एवं अकादमिक निवेश ।
    2. शिक्षा प्रशासन में आधुनिकीकरण तथा विकेन्द्रीकरण ।
    3. विद्यालय प्रबन्ध में सुधार।
    4. वित्तीय – प्रक्रिया को अधिक गतिमान ।
    5. संसाधन संस्थाओं का सशक्तीकरण ।
    6. अध्यापकों की भर्ती, नियुक्ति, प्रशिक्षण, वेतन आदि के लिए तर्कशील नीति ।
  6. पंचायती राज नगरपालिका, समुदाय आदि की भागीदारी Raj, (Involvement of Panchayati Municipal Bodies, Community, etc.) – राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान शिक्षा एवं प्रबन्ध में पंचायती राज संस्थाओं, नगरपालिका, समुदाय, माता-पिता समाज आदि की भागीदारी पर विशेष बल देता है। इसके अनुसार इनको शिक्षा प्रबन्ध का अभिन्न अंग बनाया जाना चाहिए।

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