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रासायनिक विज्ञान के महत्त्वपूर्ण तथ्य

रासायनिक विज्ञान के महत्त्वपूर्ण तथ्य

रासायनिक विज्ञान के महत्त्वपूर्ण तथ्य

रासायनिक विज्ञान के महत्त्वपूर्ण तथ्य

◆ क्षार: ऐसा भस्म (Base) जो जल में विलेय होता है।

◆ भस्म : ऐसा पदार्थ जो अम्ल से क्रिया करके लवण तथा जल बनाता है। यह इलेक्ट्रॉनदाता होता है।
◆ एमोर्फस: ऐसा पदार्थ जिसका निश्चित रूप और आकार न हो।
◆ उभयधर्मी : ऐसा पदार्थ जिसमें अम्ल तथा भस्म दोनों के गुण विद्यमान रहते हैं।
◆ अमलगम : किसी धातु की मरकरी के साथ मिश्र धातु को अमलगम कहते हैं।
एक ग्राम अणु में उपस्थित अणुओं की संख्या को एवोगाद्रो संख्या कहते हैं। इसका भाग 6.023X10²³ होता है।
◆ कार्बोहाइड्रेट : कार्बनिक यौगिक जिनका सामान्य सूत्र C× (H2O) होता है। ये भोजन का मुख्य अंग होते हैं।
◆ प्रोटीन : नाइट्रोजनी यौगिक जो प्राणी तथा वनस्पति अंगों के प्रमुख घटक होते हैं। ये अमीनो अम्ल से बनते हैं।
ऐसा पदार्थ जो किसी रासायनिक क्रिया की दर को परिवर्तित करता है, उत्प्रेरक कहलाता है।
दो या दो से अधिक तत्त्वों के निश्चित अनुपात से बना पदार्थ यौगिक कहलाता है।
भौतिक परिवर्तन में कोई रासायनिक क्रिया नहीं होती है, अर्थात् नया पदार्थ नहीं बनता है।
तत्त्वों की आवर्त सारणी (दीर्घ) में 18 समूह तथा 7 आवर्त हैं।
परमाणु क्रमांक की खोज वैज्ञानिक मोजले ने की थी। परमाणु संख्या किसी तत्त्व के परमाणु में उपस्थित प्रोटॉनों अथवा इलेक्ट्रॉनों की संख्या के बराबर होती है।
मैण्डलीफ की आवर्त सारणी समूह संख्या, उस समूह की उपस्थित तत्त्वों की संयोजकता को प्रदर्शित करती है।
प्रथम ए समूह के तत्त्वों को क्षार धातुएँ कहते हैं (Li, Na, K, Rb, Cs and Fr)
प्रथम – बी समूह के तत्त्वों को सिक्का धातु कहते हैं (Cu, Ag, Au) ।
मरकरी को क्विक सिल्वर कहा जाता है।
फॉर्मिक अम्ल लाल चींटियों से प्राप्त किया जाता है।
सर्वाधिक वैद्युत ऋणात्मक तत्त्व फ्लोरीन है।
सर्वाधिक वैद्युत धनात्मक तत्त्व फ्रैन्शियम है।
सर्वाधिक विद्युत चालकता वाला तत्त्व सिल्वर होता है।
सर्वाधिक विद्युत चालक अधातु ग्रेफाइट होता है।
उच्चतम इलेक्ट्रॉन बन्धुता वाला तत्त्व क्लोरीन होता है।
प्लेटिनम को सफेद स्वर्ण कहते हैं।
भू-परत में सबसे कम मात्रा में पाया जाने वाला तत्त्व एस्टैटीन (At) है।
भू-परत में सबसे अधिक मात्रा में पाया जाने वाला तत्त्व ऑक्सीजन है।
वायुमंडल में सर्वाधिक मात्रा में पाया जाने वाला तत्त्व नाइट्रोजन है।
पेट्रोल को द्रव स्वर्ण कहा जाता है।
24 कैरेट स्वर्ण, शुद्ध स्वर्ण को कहते है।
केवल हाइड्रोजन परमाणु ही ऐसा परमाणु है जिसके नाभिक में न्यूट्रॉन नहीं होता है।
गोल्ड, प्लेटिनम, मरकरी तथा सिल्वर उत्कृष्ट धातुएँ हैं।
लीथियम सबसे हल्का धात्विक तत्त्व है |
रेडॉन गैसीय तत्त्वों में सबसे भारी तत्त्व है।
एस्टैटीन ठोस अधातुओं में सबसे भारी तत्त्व है।
सबसे प्रबल अपचायक लीथियम होता है।
परमाणु बम नाभिकीय विखण्डन पर आधारित है।
हाइड्रोजन बम नाभिकीय संलयन पर आधारित है।
ठोस कार्बन डाइऑक्साइड को शुष्क बर्फ कहते है।
केवल हाइड्रोजन एक ऐसा तत्त्व है, जिसके सभी समस्थानिकों को अलग-अलग नाम दिये गये हैं। (प्रोटियम, ड्यूटिरियम तथा ट्राइटियम) ।
अल्फा कण (a) हीलियम नाभिक के समकक्ष होता है।
बीटा कण (B) इलेट्रॉन के समकक्ष होता है।
हीरा प्रकृति में पाया जाने वाला सबसे कठोर पदार्थ होता है।
पोलोनियम (Po) के सर्वाधिक समस्थानिक ( 27 समस्थानिक) होते हैं ।
आयरन सल्फाइड (FeS2) को झूठा सोना कहा जाता है।
कार्बन ऐसा तत्त्व है, जिसमें सबसे अधिक श्रृंखलन की प्रवृत्ति होती है।
मार्श गैस का प्रमुख घटक मिथेन (CH4) है।
ऑक्सी-एसीटिलीन ज्वाला धातुओं को काटने तथा वैल्ड करने के काम आती है।
पेट्रोल को खनिज तेल, रॉक तेल तथा क्रूड तेल भी कहते हैं ।
शराब (Wine) में लगभग 12% एथिल एल्कोहॉल होता है।
बीयर (Beer) में लगभग 4% एथिल एल्कोहॉल होता है।
व्हिस्की और ब्रान्डी में 40-50% एथिल एल्कोहॉल होता है।
एसिटिक अम्ल में 10% विलयन को सिरका कहते हैं।
शुद्ध सेल्यूलोज से कागज बनता है।
फ्रिऑन (CF2CI2) एक अति प्रचलित प्रशीतक है।
रेक्टिफाइड स्पिरिट (Rectified Spirit) में 95.6% एथिल एल्कोहॉल तथा 4.4% जल होता है। इसे कामर्शियल एल्कोहॉल भी कहते हैं।
ग्रेफाइट को पेंसिल लैड भी कहते हैं ।
स्टेनलैस स्टली में 7% आयरन, 18% क्रोमियम, 1% कार्बन और 8% निकिल होता है।
चाय तथा कॉफी में कैपीन नामक प्यूरीन पाया जाता है, जो स्फूर्ति का अनुभव कराता है।
दूध में जल, वसा, शर्करा के अतिरिक्त कैफीन नामक फॉस्फो प्रोटीन भी पाया जाता है।
प्रोटीन पाचन का अन्तिम उत्पाद अमीनो अम्ल होता है।
भारी जल परमाणु भट्टी में मंदक के रूप में प्रयुक्त होता है।
जब तेलों को निकिल फॉमेंट की उपस्थिति में 150°-180° पर गर्म करके हाइड्रोजन गैस प्रवाहित की जाती है तो दानेदार ठोस वनस्पति घी प्राप्त होता है।
मेधाइल आइसोसाइनाइट को (MIC) मिक गैस कहते हैं। यह अत्यन्त विषैली गैस है। भोपाल गैस कांड (1984) में इसी गैस के रिसाब ने हाहाकार मचाया था।
शुद्ध जल का pH 7 होता है।
4°C तापमान पर जल का घनत्व अधिकतम होता है।
आग बुझाने के लिए कार्बन डाइऑक्साइड का प्रयोग किया जाता है।
हीरा तथा ग्रेफाइट कार्बन के क्रिस्टलीय अपररूप हैं।
ईंधनों के जलने से प्राप्त कार्बन डाइऑक्साइड प्रदूषण का मुख्य कारण है।
ओजोन मंडल पराबैंगनी किरणों को अवशोषित करके पृथ्वी के जीवों की रक्षा करता है।
पेट्रोल की गाड़ी चन्द्रमा पर नहीं चल सकती, क्योंकि वहाँ पर वायुमंडल नहीं है।
पीतल जस्ता व ताँबा की मिश्रधातु है।
नाइट्रस ऑक्साइड तथा सल्फर डाइऑक्साइड पर्यावरण में अम्ल वर्षा का प्रमुख कारण है।
सोने के आभूषण बनाते समय सोने में ताँबा मिलाया जाता है।
पानी की स्थायी कठोरता का कारण कैल्शियम तथा मैग्नीशियम के घुलित क्लोराइड तथा सल्फेट लवण होते हैं।
पानी की अस्थायी कठोरता कैल्शियम तथा मैग्नीशियम के बाइकार्बोनेटों के कारण होती है।
पानी की अस्थायी कठोरता को पानी को उबालकर दूर किया जा सकता है।
फॉस्फोरस का अणु सूत्र P4 तथा सल्फर का S8 होता है।
यदि पृथ्वी पर सारी वनस्पति नष्ट हो जाये तो सभी जीव-जन्तु ऑक्सीजन के अभाव में मर जायेंगे।
नींबू में साइट्रिक अम्ल पाया जाता है।
इमली में टारटरिक अम्ल होता है।
बॉक्साइट एल्युमीनियम का प्रमुख खनिज होता है।
साधारण काँच में सोडियम, पोटैशिमय, कैल्शियम और लैड के सिलिकेट होते हैं।
यदि साधारण काँच को बनाते समय उसमें सिल्वर क्लोराइड डाल दिया जाये तो वह काँच फोटोक्रोमिक किस्म का अथवा स्वतः रंग बदलने वाला बन जाता है।
घरों में ईंधन के रूप में प्रयुक्त की जाने वाली द्रवित प्राकृतिक गैस को एलपीजी (LPG) कहते हैं। यह ब्यूटेन तथा प्रोपेन गैसों का मिश्रण होता है।
किसी विद्युत अपघटनी सैल के एनोड पर हमेशा ऑक्सीकरण और कैथोड पर अवकरण की क्रिया होती है।
सोडियम एक ऐसी धातु है जो जल पर तैरती है।
ग्रीन हाउस प्रभाव में प्रमुख उत्तरदायी गैस कार्बन डाइऑक्साइड है।
गंधक के अम्ल का प्रयोग मोटरकार की बैटरियों में किया जाता है।
क्वार्टज प्रकृति में सबसे अधिक मात्रा में पाया जाने वाला खनिज है। अधिकतर चट्टानें इसी से बनी हैं।
कुछ पदार्थ सूर्य के प्रकाश में रखने के बाद प्रकाश से हटाये जाने पर भी प्रकाश निकालते रहते हैं। इस घटना को स्फुरण (Phosphorescence) कहते हैं। यह गुण कैल्शियम सल्फाइड में पाया जाता है।
सबसे भारी धातु ओसमियम (Os) है।
डीडीटी का पूरा नाम डाइक्लोरो डाइफिनाइल ट्राइक्लोरोईथेन है। यह एक कीटाणुनाशक दवा है।
धातुओं की विद्युत चालकता तापमान बढ़ाने के साथ बढ़ती है और ताममान घटाने पर कम होती है।
– 273°C तापमान का केल्विन में मान O°K होता है।
0°K तापमान को परम शून्य (Absolute Zero) कहते हैं।
परम शून्य तापमान पर गैसों का आयतन शून्य हो जाता है अथवा अणुओं के सभी प्रकार की गति शून्य हो जाती है।
VII B उप समूह के तत्त्वों (F, Cl, Br, I, At) को हैलोजन कहते हैं जिसका अर्थ है लवण बनाने वाले।
क्लोरीन एक रोगाणुनाशी है।
एस्प्रिन तथा पैरासिटामोल ज्वरनाशी पदार्थ है।
नाइट्रस ऑक्साइड (N20) एक सामान्य निश्चेतक है।
क्लोरोफॉर्म का प्रयोग भी निश्चेतक के रूप में किया जाता है।
प्रतिजैविक (Antibiotics) बैक्टीरिया, कवक तथा मोल्डस द्वारा उत्पन्न होते हैं, जो अन्य बैक्टीरिया के लिए विषैले होते हैं।
पेनसिलिन एक उत्तम प्रतिजैविक है, जो कवक से प्राप्त होता है।
क्लोरोमफेनिकोल का व्यापारिक नाम क्लोरोमाइसिटिन हैं इसका प्रयोग टाइफाइड, ज्वर, डाइरिया तथा पेचिस में किया जाता है। यह एक प्रभावी प्रतिजैविक है।
रेशम तथा ऊन जंतु से निकले प्राकृतिक रेशे हैं। सूत, जूट तथा हैम्प वानस्पतिक से निकले प्राकृतिक रेशे हैं।
बोरिक अम्ल तथा पोटैशियम परमैग्नेट प्रतिरोधी (Antiseptic) पदार्थ हैं।
आयोडीन एक प्रबल जीवाणुनाशी है। आयोडीन का प्रयोग टिक्चर बनाने में किया जाता है।
एन्जाइम विशेष प्रकार के प्रोटीन होते हैं।
गेमैक्सिन (C6H6Cl6) हैक्साक्लोरो साइक्लो हैक्सेन है। यह एक उत्तम कीटनाशी है।
हीमोग्लोबिन एक विशेष प्रकार का प्रोटीन है, जिसका प्रमुख कार्य फेफड़ों से आक्सीजन को रक्त धारा की सहायता से विभिन्न ऊतकों को पहुँचाना है।
कार्बन टेट्रराक्लोराइड (CCI4) का प्रयोग पायरीन के नाम से आग बुझाने के संयंत्रों में किया जाता है।
नाइट्रोग्लिसरीन का प्रयोग डायनामाइट बनाने में किया जाता है।
एलम (Alum) का प्रयोग चमड़े की टेनिंग में किया जाता है।
क्यूप्रस ऑक्साइड (Cu2O) को रूबी कॉपर कहते हैं। इसका प्रयोग काँच को रंगीन बनाने में किया जाता है।
मैग्नीशियम सल्फेट (MgSO4. 7H2O) को एप्सोम लवण कहते हैं। इसका उपयोग दस्तावर (Purgative) के रूप में होता है।
ग्राह्य लवण सोडियम हैक्सामेटा फॉस्फेट (NaPO3)6 को कहते हैं। इसका प्रयोग जल की कठोरता दूर करने में किया जाता है। इसे केल्गन ( Calgen) भी कहते हैं।
स्टैनिक सल्फाइड (SnS2 ) को मोसाइक गोल्ड कहते हैं। इसका प्रयोग पेंट के रूप में किया जाता है।
मैग्नीशियम एल्व [Mg(OH)2.MgCO3.3H2O] का प्रयोग पेट की अम्लता दूर करने में किया जाता है, अतः यह एक एन्टासिड है।
मैग्नीशियम हाइड्रॉक्साइड [Mg (OH)2, को मिल्क ऑफ मैग्नीशियम कहा जाता है। इसका प्रयोग पेट की दवाओं में किया जाता है।
पोटैशिमय नाइट्रेट (KNO3) को नाइटर या शोरा कहा जाता है। इसका प्रयोग विस्फोटकों में होता है।
प्रोड्यूसर गैस में CO2, N2 तथा H, होती है। यह एक ईंधन गैस है।
पोटैशियम कार्बोनेट को पर्ल एश (Pearl Ash) कहते हैं। यह सोप बनाने में काम आता है।
सुपर फॉस्फेट ऑफ लाइम [Ca(H2PO4)2.H2O+2CuSO4.2H2O] एक उत्तम फॉस्फेटी है।
अमोनियम फॉस्फेट (NH4CI) को नौसादर कहते हैं। यह औषधियों में काम आता है।
कैल्शियम फॉस्फेट [Ca3(PO4)2H2O] का प्रयोग हड्डी टूटने पर प्लास्टर चढ़ाने के काम आता है।
सिक्का धातु में 75% कॉपर तथा 25% निकिल होता है।
नाइक्रोम (Nichrome) क्रोमियम, निकिल तथा आयरन की मिश्र धातु है। यह हीटरों के कॉइल (Coil) बनाने के काम आती है।
इनवार मिश्र धातु में 63% आयरन, 36% निकिल और 1% कार्बन होता है। यह घड़ियों के पेन्डुलम बनाने के काम आती है।
ग्रेफाइट का प्रयोग शुष्क स्नेहक (Dry Lubricant) के रूप में किया जाता है।
कार्बन डाइऑक्साइड पौधों के लिए प्राणदायिनी गैस है।
बादल तथा कोहरा कोलॉइडी विलयन है।
जब कोई ठोस पदार्थ द्रव में परिक्षेपित होकर कोलॉइडी विलयन बनाता है तो वह सॉल (Sol) कहलाता है।
जब कोई द्रव किसी ठोस में परिक्षेपित होकर कोलॉइडी विलयन बनाता है, तो वह जैल (Gel) कहलाता है, जैसे- जैली, पनीर, मक्खन आदि ।
वायुमण्डल में धूल के कोलॉइडी कण नीले रंग के प्रकाश का प्रकीर्णन करते हैं और शेष रंगों को अवशोषित कर लेते हैं। इसलिए आकाश नीला दिखायी पड़ता है।
धुआँ वायु में कार्बन और अन्य कणों का कोलॉइडी विलयन होता है।
फोटोग्राफिक प्लेट पर सिल्वर ब्रोमाइड तथा जिलैटिन की पतली परत चढ़ी होती है।
हीलियम गैस हल्की होने के कारण वायुयानों के टायरों में भरी जाती है।
हीलियम और ऑक्सीजन का मिश्रण गहरे समुद्रों में गोताखोरों द्वारा वायु के स्थान पर प्रयोग किया जाता है, क्योंकि अधिक दाब पर हीलियम नाइट्रोजन की अपेक्षा रक्त में कम विलेय होती है।
दमा के रोगी को भी हीलियम और ऑक्सीजन का मिश्रण वायु के स्थान पर दिया जाता है।
विज्ञापन चिह्नों में विभिन्न रंग के प्रकाश उत्पन्न करने के लिए नियॉन गैस का प्रयोग किया जाता है।
हवाई अड्डों पर विमान चालकों को संकेत देने के लिए नियॉन लैम्प का प्रयोग किया जाता है, क्योंकि यह प्रकाश कुहरे में अधिक चमकता है।
आर्गन गैस विद्युत बल्बों में भरी जाती है, क्योंकि इसकी उपस्थिति में तन्तु (Filament) बहुत समय तक सुरक्षित रहता है ।
रेडॉन का प्रयोग कैंसर उपचार में किया जाता है।
हाइड्रोजन परॉक्साइड के तनु विलयन का प्रयोग कीटाणुनाशक के रूप में, दाँत, कान, घाव आदि धोने में किया जाता है।
पुराने तैल चित्रों को चमकदार बनाने के लिए हाइड्रोजन परॉक्साइड का प्रयोग किया जाता है।
सोडियम हाइड्रॉक्साइड का प्रयोग सूती कपड़ों में चमक पैदा करने ( Marcerisation) में किया जाता है।
सोडियम बाइकार्बोनेट (NaHCO3) का प्रयोग बेकिंग पाउडर, झागदार पेय तथा अनेक दवाइयों में किया जाता है।
पोटैशियम क्लोरेट (KCIO3) का प्रयोग आतिशबाजी तथा कीड़े मारने की दवाई के रूप में किया जाता है।
पोटैशियम साइनाइड (KCN) एक विष है, इसका प्रयोग सोने व चाँदी के विद्युत लेपन में किया जाता है।
कॉपर सल्फेट एक जहर है। इसे कीटाणुनाशक के रूप में प्रयोग किया जाता है।
सिल्वर नाइट्रेट (AgNO3) का प्रयोग निशान लगाने वाली स्याही बनाने में किया जाता है। वोटरों की अँगुली पर इसी का निशान लगाया जाता है।
बुझा हुआ चूना [Ca(OH)2] दीवारों पर सफेदी करने के काम आता है।
कैल्शियम कार्बोनेट (CaCO3) दीवारों पर सफेदी करने के काम आता है।
कैल्शियम कार्बोनेट (CaCO3) का प्रयोग दंत मंजन, पाउडर तथा पेस्ट बनाने में किया जाता है।
जिंक ऑक्साइड (ZnO), जिंक व्हाइट अथवा चाइनीज व्हाइट के नाम से सफेद पेन्टों में प्रयोग किया जाता है।
मरहम और चेहरे की क्रीम बनाने में भी जिंक ऑक्साइड (ZnO) का प्रयोग किया जाता है।
जिंक सल्फा स्फुरदीप्ति पर्दे (Phosphorescence Screens) बनाने में काम आता है ।
मरक्यूरिक क्लोराइड (HgCl2) का 1% विलयन शल्यकर्म औजारों के निजर्मीकरण (Sterilisation) में प्रयोग किया जाता है।
पारे का उपयोग मरकरी वाष्प लैम्प बनाने में होता है।
एल्युमिनियम का प्रयोग सिगरेट, साबुन, मिठाई लपेटने के लिए पतली परतों के रूप में किया जाता है।

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