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लिंग असमानता से आप क्या समझते हैं? भारतवर्ष में लैंगिक असमानता की स्थिति, कारण एवं दुष्प्रभाव पर चर्चा कीजिए।

प्रश्न  – लिंग असमानता से आप क्या समझते हैं? भारतवर्ष में लैंगिक असमानता की स्थिति, कारण एवं दुष्प्रभाव पर चर्चा कीजिए। What do you mean by Gender Inequality. Discuss the Status, Causes and IIIEffects of Gender Inequality in India.
उत्तर- लिंग असमानता (Gender Inequality)
साधारणतया लिंग असमानता से हमारा तात्पर्य लड़का और लड़की अथवा स्त्री व पुरुष में पाई जाने वाली असमानता (समानता की कमी या अभाव) से लगाया जाता है। इस प्रकार लिंग के आधार पर किए जाने वाले भेदभाव या असमानता के व्यवहार को लिंग असमानता कहते हैं। हमारे देश भारत में स्त्री एवं पुरुष के अधिकारों में प्रायः अन्तर पाया जाता है। लिंग के आधार पर दोनों में परस्पर भेद किया जाता है यही लिंग असमानता है।
भारतवर्ष में लैंगिक असमानता की स्थिति (Status of Gender Inequality in India)
भारतवर्ष में लैंगिक असमानता स्त्री और पुरुषों के सन्दर्भ में स्वास्थ्य, शिक्षा, आर्थिक और राजनैतिक क्षेत्रों में पाई जाने वाली असमानता है। इन सभी क्षेत्रों में पाई जाने वाली असमानता इस बात की द्योतक है कि भारत में लैंगिक समानता कम है। इस बात की पुष्टि वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (World Economic Forum) द्वारा जारी रिपोर्ट करती है। जिसमें इस फोरम ने भारत को मात्र 0.66 अंक दिए हैं जिसके अनुसार 136 देशों की सूची में भारत को 101 वाँ स्थान प्राप्त हुआ है। विश्वस्तर पर लैंगिक असमानता के लिए लिंग अनुपात महिलाओं का स्वास्थ्य, शैक्षिक प्राप्ति और उनकी आर्थिक स्थिति को आधार बनाया जाता है। इन क्षेत्रों में स्थिति अच्छी न होने की अवस्था में ही लैंगिक असमानता की स्थिति को विद्यमान माना जाता है। लैंगिक समानता भारत में पुरुष और महिला, दोनों की असमानता के पहलुओं से सम्बन्धित है। विश्व आर्थिक फोरम प्रत्येक वर्ष विश्व लिंग अन्तराल (World Gender Index) सूची प्रकाशित करता है। यह सूची न सिर्फ महिला सशक्तीकरण को आधार बनाती है बल्कि चार अन्य मौलिक क्षेत्रों, आर्थिक भागीदारी, शैक्षिक प्राप्ति, स्वास्थ्य एवं अस्तित्व और राजनैतिक सशक्तीकरण में पुरुष और स्त्री के बीच अन्तर को आधार बनाती है।

इसके अन्तर्गत लिंग निर्धारण के लिए गर्भपात, देश में कितने वर्षों तक महिला राजनीतिक अध्यक्ष रहीं, महिला-पुरुष साक्षरता दर, पुरुष-महिला आय अनुपात को भी शामिल किया जाता है। इसके अन्तर्गत पुरुष – स्त्री अपराध अनुपात (Male-Female Crime Ratio) घरेलू हिंसा (Domestic Violence), इज्जत के लिए मृत्यु (Honour Killing) आदि पहलुओं को शामिल नहीं किया जाता है।

इस सूची को तैयार करने में प्रयुक्त घटकों को यदि विहंगम दृ ष्टि से देखा जाए तो हमें इन महत्त्वपूर्ण पहलुओं की जानकारी मिलती है जिनको नियन्त्रित करके ही लैंगिक समानता की स्थिति को प्राप्त किया जा सकता है। लैंगिक समानता का अर्थ समझने के लिए उन निर्धारक कारकों की पहचान करनी आवश्यक है जो मुख्य रूप से लैंगिक समानता के लिए जिम्मेदार होती है।

लिंग असमानता के कारण (Causes of Gender Inequality) 
  1. सामाजिक स्तरीकरण- हमारे समाज में महिलाओं को सामाजिक स्तरीकरण में पुरुषों की तुलना में निचले स्तर पर रखा गया है। यह महिलाओं के कार्यों एवं शक्तियों के आधार पर किया जाता है। महिलाओं को सामाजिक स्तरीकरण में निचला स्थान प्राप्त होना लैंगिक असमानता का प्रमुख कारण है।
  2. सामाजिक संरचना की जटिलता- लैंगिक असमानता की प्रमुख वजह जटिल सामाजिक संरचना भी है। पितृसत्तात्मक संरचना के आधार पर समाज ने पुरुषों को ज्यादा महत्त्वपूर्ण कार्य प्रदान किए जिसके कारण महिलाओं को कम महत्त्व प्रदान किया गया। महिलाओं को इस सामाजिक संरचना में इतनी जटिलता से स्थापित कर दिया कि महिलाएँ इस बन्धन को तोड़ नहीं पातीं।
  3. लैंगिक रूढ़िवादिता – स्त्री पुरुषों से सम्बन्धित व्यवहारों व कार्यों को समाज विशेष रूप से परिभाषित करता है और इन्हीं व्यवहारों व कार्यों की अपेक्षा भी करता है। समाज की इस जटिल अपेक्षा को लैंगिक रूढ़िवादिता कहा जाता है। लैंगिक रूढ़िवादिता महिलाओं को सभी क्षेत्रों में परिसीमन करता है। इस कारण भी लैंगिक असमानता में वृद्धि होती रही है।
  4. अशिक्षा एवं जागरूकता की कमी- लैंगिक असमानता के लिए अशिक्षा एवं जागरूकता की कमी भी प्रमुख कारणों में एक है। शिक्षा की पहुँच महिलाओं तक न होना और समाज में उपयुक्त जागरूकता की कमी के कारण ही लैंगिक समानता का प्रसार होता रहा।
लिंग असमानता के दुष्प्रभाव (III-Effects of Gender Inequality)
  1. राष्ट्रीय एकता के मार्ग में लिंग असमानता बहुत बड़ी बाधा है क्योंकि जब तक हम लिंग सम्बन्धी असमानता को भुलाएँगे नहीं, तब तक हम सब एक नहीं हो सकेंगे जिसके परिणामस्वरूप देश पूरी तरह से उन्नति नहीं कर सकेगा।
  2. हम सभी जानते हैं कि लोकतन्त्र समानता, भाईचारे, न्याय तथा स्वतन्त्रता जैसे मूल्यों पर केन्द्रित है किन्तु लिंग असमानता के कारण ये मूल्य कदापि अपना प्रभाव नहीं दिखा सकते हैं।
  3. राष्ट्रीय विकास से अभिप्राय देश या राष्ट्र के सर्वांगीण विकास से लगाया जाता है जबकि लिंग असमानता के कारण देश के कुछ विशेष वर्गों का ही विकास हो पाता है। अतः लिंग असमानता देश के विकास में बहुत बड़ी बाधा है।
  4. इसी असमानता के कारण प्राय: अनेक अभिभावक अपने बालकों में भेद करने लगते हैं और लड़कियों को शिक्षा प्राप्त करने में बाधक बन जाते हैं। बालिकाएँ घर पर ही रहकर कार्य करती हैं अतः शिक्षा के सार्वभौमीकरण में यह असमानता बड़ी बाधक है।

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