विद्यालयी पाठ्यक्रम में विषयों को शामिल करने के उद्देश्य बताइए । अध्ययन विषयों एवं विषय के मूल तत्त्वों का वर्णन करते हुए विद्यालयी विषय एवं अध्ययन विषयों के बीच समानताएँ एवं असमानताएँ लिखिए |
प्रश्न – विद्यालयी पाठ्यक्रम में विषयों को शामिल करने के उद्देश्य बताइए । अध्ययन विषयों एवं विषय के मूल तत्त्वों का वर्णन करते हुए विद्यालयी विषय एवं अध्ययन विषयों के बीच समानताएँ एवं असमानताएँ लिखिए |
Explain the objectives of including subjects in the school syllabus. Describe the basic elements of Disciplines and Subject and write similarities and disimilarities between School Subjects and Disciplines.
या
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(1) विद्यालयी विषय और विषयों के बीच समानताएँ (Similarities between School Subjects and Disciplines)
(2) विषय एवं अध्ययन विषयों में असमानताएँ (Disimilarities between School Subject and Disciplines)
उत्तर – विद्यालयी पाठ्यक्रम में विषयों को शामिल करने के उद्देश्य
- पढ़ने, लेखन और अंकगणित, जैसे- बुनियादी कौशल विकसित करने के लिए ।
- छात्रों को अपने समाज की समझ, उनके राष्ट्र, मानव दुनिया और भौतिक वातावरण को बढ़ाने के लिए ।
- छात्रों को स्वतन्त्र विचारक बनने में सहायता करने के लिए ताकि वे व्यक्तिगत और सामाजिक परिस्थितियों को बदलने के लिए उपयुक्त ज्ञान का निर्माण कर सकें।
- छात्रों को महत्त्वपूर्ण सोच कौशल, रचनात्मकता, समस्या सुलझाने के कौशल, संचार कौशल और सूचना प्रौद्योगिकी कौशल समेत जीवन भर की सीख के लिए कई कौशल विकसित करना ।
- छात्रों को जीवन के प्रति सकारात्मक मूल्यों और दृष्टिकोण का विकास करने में सहायता करने के लिए, ताकि वे समाज, देश और विश्व के सूचित और जिम्मेदार नागरिक हो जाएँ ।
- बच्चे के सर्वांगीण विकास और शिक्षा के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए।
अध्ययन विषयों एवं विषय के मूल तत्त्व ( Basic Elements of Disciplines and Subject)
ब्रूनर ने अपनी पुस्तक ‘Structure of Discipline’ में कुछ उदाहरणों से इस प्रश्न को हल करने का प्रयास किया कि विषयों के मूल तत्त्व क्या होते हैं, उन्होंने इस सन्दर्भ में कुछ उदाहरण प्रस्तुत किए हैं-
- ब्रूनर के दृष्टिकोण से जीव-विज्ञान की संरचना वाह्य अभिप्रेरणा तथा गमनशील क्रिया के बुनियादी सम्बन्धों पर आधारित है।
- ब्रूनर ने भाषा की संरचना का आधार वाक्य गठन तथा उस विषय को माना जिसके द्वारा अर्थ बदले बिना भाषा के रूप में विविधता लाई जा सकती है ।
- बीजगणित की संरचना गुणन, वितरण तथा सह-सम्बन्धों पर आधारित है। उनके अनुसार ये तीन आधारभूत तत्त्व बीजगणित की विविध क्रियाओं को समझने का आधार प्रदान करते हैं ।
- कभी-कभी किसी विषय का आधार समानान्तर स्थितियों की खोज हो सकती है ।
विद्यालयी विषय और विषयों के बीच समानताएँ (Similarities between School Subjects and Disciplines )
- विषय एवं अध्ययन विषय अनिवार्य रूप से सतत् होते हैं-सतत् भाग छात्रों के बौद्धिक क्षमता के विकास के लिए अध्ययन विषय के ज्ञान के स्थानान्तरण में महत्त्वपूर्ण होता है। अध्ययन विषय के सिद्धान्तों के अनुसार विषय अस्वीकृत रूप में होता है तथा इसका संगठन अध्ययन विषय के अनुसार किया जाता है।
- विषय एवं अध्ययन विषय मूल रूप से असतत् होते हैं – विद्यालयी विषय एवं अध्ययन विषय का उद्देश्य एवं सार असतत् होता है । विषय का निर्माण व्यवसाय, पेशा तथा वृत्तिक सन्दर्भ में किया जाता है। अध्ययन विषय व्यवसाय में वास्तविक ज्ञान की आवश्यकता में वृद्धि करते हैं।
- विषय एवं अध्ययन विषय भिन्न परन्तु परस्पर सम्बन्धित होते हैं – विषय एवं अध्ययन विषय एक-दूसरे से भिन्न होते हुए भी परस्पर एक-दूसरे से सम्बन्धित होते हैं। इसमें निम्नलिखित प्रकार का सम्बन्ध पाया जाता है
- अध्ययन विषय, स्कूल विषय में वृद्धि करता हैं एवं स्कूल विषय अध्ययन विषय में वृद्धि करता है।
- विद्यालय के विषय शैक्षणिक विषयों से पहले होते हैं, और विषय मुख्यतः अध्ययन विषय का रूपान्तरण होता है।
- विषयों और विषयों के बीच का सम्बन्ध विरोधाभासी है अर्थात् दोनों परस्पर विरोधी होते हैं।
- ज्ञान के विकास में दोनों की समान्तर भूमिका होती है।
- दोनों में संयोजन होता है अर्थात् अध्ययन बिषय, विद्यालय विषय के निर्माण में अन्तिम रूप तक सहयोग करता है तथा विद्यालय विषय अध्ययन विषय को समझने में सहयोग करता है।
इस प्रकार विद्यालयी विषय का शैक्षणिक अध्ययन का विषय से विभिन्न परिवर्तनीय सम्बन्ध है जो उनके उद्देश्यों, प्रकरणों एवं विकास के चरणों पर निर्भर करता है।
