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विलयन किसे कहते हैं | विलयन कितने प्रकार के होते हैं | विलयन के घटक क्या है

विलयन किसे कहते हैं | विलयन कितने प्रकार के होते हैं | विलयन के घटक क्या है

विलयन
◆ दो या दो से अधिक पदार्थों के परस्पर मिश्रण से जो सांग (Homogeneous) मिश्रण प्राप्त होता है विलयन (Solution) कहलाता है।
◆ किसी भी विलयन में विलेय के कणों की त्रिज्या 10-7 सेमी से कम होती है। अत: इन कणों को सूक्ष्मदर्शी द्वारा भी नहीं देखा जा सकता है।
◆ विलयन स्थायी एवं पारदर्शक होता है।
विलायक व विलेय (Solvent and Solute)
◆ विलयन में जो पदार्थ अपेक्षाकृत अधिक मात्रा में होता है, उसे विलायक कहते हैं तथा जो पदार्थ कम मात्रा में उपस्थित रहते हैं, विलेय कहलाते हैं।
◆ जिस विलायक का डाइइलेक्ट्रिक नियतांक जितना अधिक होता है, वह उतना ही अच्छा विलायक माना जाता है।
◆ जल का डाइइलेक्ट्रिक नियतांक का मान अधिक होने के कारण इसे सार्वत्रिक विलायक (Universal Soluent) कहा जाता है।
विलायक तथा उनमें विलेय पदार्थ
क्र. सं. विलायक विलेय पदार्थ
1. जल
नम, चीनी, फिटकरी,नीला थोथा (कापर-सल्फेट)
फेरस सल्फेट, एल्कोहल
2. एसीटोन 
वार्निश, कारडाइट, क्लोडियन, रेयान, सेलुलोस.
कृत्रिम रेशम
3. ऐल्कोहल वार्निश, पालिस, कपूर, चमड़ा, लाख, आयोडीन
4. कार्बन ट्रेटा क्लोराइड तेल, वसा, घी, मोम आदि
5. ईथर चर्बी, मोम, आदि
6. नैफ्था रबर
7. तारपीन का तेल  पेंट व रेजिन
8. कार्बन डाइसल्फाइड गंधक, फॉस्फोरस आदि
विलायक का उपयोग
(i) औषधी के निर्माण में
(ii) निर्जल धुलाई (Dry Cleaning) में (पेट्रोलियम, बेंजीन, ईथर जैसे विलायकों का)
(iii) इत्र निर्माण में
(iv) अनेक प्रकार के पेय व खाद्य पदार्थों के निर्माण में
विलयन के प्रकार:
1. संतृप्त विलयन (Saturated Solution) : किसी निश्चित ताप पर बना ऐसा विलयन जिसमें विलेय पदार्थ की अधिकतम मात्रा घुली हुई हो, संतृप्त विलयन कहलाता है।
2. असंतृप्त विलयन (Unsaturated Solution) : किसी निश्चित ताप पर बना ऐसा विलयन जिसमें विलेय पदार्थ की और अधिक मात्रा उस ताप पर घुलाई जा सकती है, असंतृप्त विलयन कहलाता है।
3. अतिसंतृप्त विलयन (Super Saturated Solution) : ऐसा संतृप्त विलयन जिसमें विलेय की मात्रा उस विलयन को संतृप्त करने के लिए आवश्यक विलेय की मात्रा से अधिक घुली हुई हो, अतिसंतृप्त विलयन कहलाता है।
विलयन के प्रकार
1. ठोस में ठोस का विलयन मिश्रधातुएँ जैसे- पीतल (ताँबा में जस्ता)
2. ठोस में द्रव का विलयन  थैलियम में पारा का विलयन
3. ठोस में गैस का विलयन
 कपूर में वायु का विलयन
4. द्रव में ठोस का विलयन  पारा में लेड का विलयन
5. द्रव में द्रव का विलयन  जल में अल्कोहल का विलयन
6. द्रव में गैस का विलयन  जल में कार्बन डाइऑक्साइड का विलयन
7. गैस में ठोस का विलयन  धुआँ, वायु में आयोडीन का विलयन
8. गैस में द्रव का विलयन
कुहरा, बादल, अमोनिया गैस का जल
में विलयन
9. गैस में गैस का विलयन वायु, गैसों का मिश्रण
विलेयता (Solubility) : किसी निश्चित ताप और दाब पर 100 ग्राम विलायक में घुलने वाली विलेय की अधिकतम मात्रा को उस विलेय पदार्थ की उस विलायक में विलेयता कहते हैं। इसे निम्नलिखित सूत्र से व्यक्त करते हैं-
विलेयता = विलेय की मात्रा / विलायक की मात्रा x 100
◆ किसी पदार्थ की विलायक में विलेयता, विलायक तथा विलेय की प्रकृति पर, ताप एवं दाब पर निर्भर करती है।
विलेयता पर ताप का प्रभाव
◆ सामान्यत: ठोस पदार्थों की विलेयता ताप बढ़ाने से बढ़ती है। कुछ ठोस पदार्थों की विलेयता ताप बढ़ाने से घटती है। जैसे- सोडियम सल्फेट, कैल्सियम हाइड्रॉक्साइड, कैल्सियम नाइट्रेट आदि।
◆ किसी द्रव में गैस की विलेयता ताप बढ़ाने से घटती है।
विलेयता पर दाब का प्रभाव : दाब बढ़ाने पर द्रव में गैस की विलेयता बढ़ती है।
◆ विलयन की सांद्रता (Concentration or solution) : किसी विलायक (या विलयन) की इकाई मात्रा में उपस्थित विलेय की मात्रा को विलयन की सांद्रता कहते हैं। जिस विलयन में विलय की पर्याप्त मात्रा घुली रहती है उसे सांद्र विलयन (Concentrated Solution) कहा जाता है और जिसमें विलेय की कम मात्रा घुली रहती है उसे तनु विलयन (Dilute Solution) कहा जाता है। सभी तनु विलयन असंतृप्त विलयन (Unsaturated Solution) होते हैं।  जो विलयन जितना ही अधिक तनु होता है वह उतना ही अधिक असंतृप्त होता है।
◆ परिक्षेपण (Dispersion) : जब किसी पदार्थ के कण (परमाणु, अणु या आयन) दूसरे पदार्थ के कणों के इर्द-गिर्द बिखेर दिये जाते हैं तो यह क्रिया परिक्षेपण (Dispersion) कहलाती है। पहले पदार्थ को परिक्षेपित पदार्थ और दूसरे को परिक्षेपण माध्यम कहा जाता है। परिक्षेपण के परिणामस्वरूप दो प्रकार के पदार्थ बनते हैं- (i) विषमांग पदार्थ (निलंबन एवं कोलॉइड) (ii) समांग पदार्थ (वास्तविक विलयन)।
◆ निलंबन (Suspension) : इसमें परिक्षेपित कणों का आकार 10-3सेमी से 10-4सेमी या इससे अधिक होता है। इन्हें आँखों से देखा जा सकता है। इसके कण छन्न-पत्र के आर-पार नहीं आ-जा सकते। ये अस्थायी होते हैं तथा इनके कणों में परिक्षेपण माध्यम से अलग हो जाने की प्रवृत्ति पायी जाती है। उदाहरणार्थ- नदी का गंदा पानी, वायु में धुंआ आदि।
◆ कोलॉइड (Colloid) : इसमें परिक्षेपित कणों का आकार 10-5सेमी और 10-7सेमी के बीच होता है। इसके कणों को नग्न आँखों की सहायता से नहीं देखा जा सकता है बल्कि सूक्ष्मदर्शी की सहायता से देखा जा सकता है। इसके कण छन्ना पत्र के आर-पार आ-जा सकते हैं, लेकिन चर्म पत्र से नहीं निकल सकते हैं। इसके कणों में परिक्षेपण माध्यम से अलग हो जाने
को बहुत कम प्रवृत्ति पायी जाती है। उदाहरणार्थ- दूध, गोंद, रक्त, स्याही आदि।
कोलॉइड के विभिन्न प्रकार
◆ सोल : वैसा कोलॉइड जिसमें ठोस कण द्रव में परिक्षेपित होते हैं, उसे सोल कहा जाता है। रबर के दस्तानों का निर्माण विद्युत लेपन द्वारा रबर सोल से किया जाता है।
◆ जेल : वैसा कोलॉइड जिसमें ठोस कण द्रव में समान रूप से परिक्षेपित तो होते हैं, पर उनमें प्रवहता (Flow) नहीं होती है, जेल कहलाती है। उदाहरणार्थ- जेली या जिलेटिन।
◆ एरोसोल : किसी गैस में द्रव या ठोस कणों का परिक्षेपण एरोसोल कहलाता है। जब परिक्षेपित कण ठोस होता है तो ऐसे एरोसोल को धुंआ (Smoke) कहा जाता है और जब परिक्षेपित पदार्थ द्रव होता है तो ऐसे एरोसोल को कोहरा (Fog) कहा जाता है।
नोट : जब परिक्षेपण का माध्यम जल, अल्कोहल एवं बेंजीन हो तो कोलॉइडों को क्रमशः हाइड्रोसोल, अल्कोहल एवं बेंजोसोल कहते हैं।
◆ स्कंदन (Coagulation) : जब कोलॉइडी विलयन में कोई विद्युत अपघट्य मिलाते हैं तो कोलॉइडी कणों का आवेश उदासीन हो जाता है और उसका अवक्षेपण हो जाता है, इसे स्कंदन कहते हैं।
◆ पायस (Emulsion) : जब किसी कोलॉइड में एक द्रव के सारे कण दूसरे द्रव के सारे कणों में परिक्षेपित तो हो जाते हैं, लेकिन घुलते नहीं हैं, तो इस कोलॉइड को पायस कहते हैं। पायस बनाने की प्रक्रिया को पायसीकण कहते हैं। दूध एक प्राकृतिक पायस है, जबकि पेंट एक कृत्रिम पायस। कॉडलिवर तेल जिसमें जल के कण तेल में परिक्षेपित होते हैं, भी पायस का
उदाहरण है। सबसे बड़े पैमाने पर पायसीकरण के रूप में साबुनों और डिटर्जेंट का प्रयोग किया जाता है। इनकी पायसीकरण की प्रकृति कपड़ों को धोने में सहायता करती है। पायसी कारकों का प्रयोग अयस्कों के सान्द्रण में भी किया जाता है।
◆ झाग (Foams) : द्रव में गैस का परिक्षेपण झाग कहलाता है। ये साबुन से उत्पन्न होते हैं।
◆ वास्तविक विलयन (True Solution) : इनके कण आणविक आकार वाले होते हैं अर्थात् इनके कणों का आकार 10-7 से 10-8सेमी होता है। इसके कण छन्ना-पत्र के आर-पार आसानी से आ-जा सकते हैं। यह सबसे स्थायी एवं पारदर्शक होता है। इन्हें आँख तथा सूक्ष्मदर्शी से नहीं देखा जा सकता है।
◆ बफर विलयन (Buffer Solution) : वह विलयन जो कि अम्ल या क्षार की साधारण मात्राओं को अपनी प्रभावी अम्लता या क्षारता में पर्याप्त परविर्तन किये बिना अवशोषित कर लेता है, बफर विलयन कहलाता है। उदाहरणार्थ- सोडियम ऐसीडेट तथा ऐसीटिक अम्ल का मिश्रण एक प्रभावी बफर है, जब उसे पानी में विलीन किया जाता है।
वास्तविक विलयन और कोलॉइडी विलयन में अन्तर
वास्तविक विलयन कोलॉइडी विलयन
1. वास्तविक विलयन में पदार्थ (विलेय) के कणों का आकार (व्यास) 10-7 से कम रहता है। 1. कोलॉइडी विलयन में पदार्थ  (विलेय) के कणों का आकार (व्यास) प्राय: 10-7सेमी और 10-5 सेमी के बीच रहता है।
2. इस पदार्थ के कण हर अवस्था में अदृश्य होते हैं। 2.
कोलॉइडी कणों से उत्पन्न प्रकाश प्रकीर्णन को अल्ट्रा-माइक्रोस्कोप द्वारा देखा जा सकता है।
3. इसमें पदार्थ का कण प्रकाश का प्रकीर्णन नहीं करते हैं। 3.
ये कण प्रकाश का प्रकीर्णन करते
हैं।
4. इस विलयन का परासरणी दाब अधिक होता है। 4.
इसका परासरणी दाब अपेक्षाकृत
कम होता है।
5. यह समांग तथा एकांगी स्वरूप वाला होता है। 5.
यह विषमांग तथा दो स्वरूप
होता है।
◆ अपोहन (Dialysis) : कोलॉइडी विलयन को वास्तविक विलयन से अलग करने की प्रक्रिया अपोहन कहलाती है। अर्थात् इस विधि द्वारा कोलॉइडी विलयन को शुद्ध किया जाता है।
◆ ब्राउनी गति (Brownian Movement) : कोलॉइडी विलयन के कण लगातार इधर-उधर भागते रहते हैं, इसे ब्राउली गति कहते हैं। यह गति कोलॉइड कणों की प्रकृति पर निर्भर नहीं करती है। कण जितने ही सूक्ष्म होते हैं तथा माध्यम की श्यानता जितनी ही कम होती है एवं ताप जितना ही अधिक होता है, वह गति उतनी ही तेज होती है।
◆ टिंडल प्रभाव (Tindal Effect) : जब किसी कोलॉइडी में तीव्र प्रकाश गुजारते हैं और इसके लम्बवत् रखे सूक्ष्मदर्शी से देखते हैं तो कोलॉइड कण काली पृष्ठभूमि में आलपिन की नोक की भाँति चमकने लगते हैं। इसे टिंडल प्रभाव कहते हैं। टिंडल प्रभाव का कारण प्रकाश का प्रकीर्णन (Scattering of Light) है।
विलयन का रंग
सूचक अम्लीय विलयन  क्षारीय विलयन  उदासीन विलयन
मिथाईल औरेंज गुलाबी पीला नारंगी
लिट्मस लाल नीला बैगनी
फिनॉल्फथेलीन रंगहीन गुलाबी रंगहीन

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