1st Year

वृद्धि एवं विकास में होने वाले परिवर्तनों के प्रकारों को स्पष्ट कीजिए | Explain the Types of Changes in Growth and Development.

प्रश्न – वृद्धि एवं विकास में होने वाले परिवर्तनों के प्रकारों को स्पष्ट कीजिए | Explain the Types of Changes in Growth and Development.
उत्तर – वृद्धि एवं विकास में होने वाले परिवर्तनों के प्रकार (Types of Changes in Occurring Growth and Development)
  1. आकार में परिवर्तन (Change in Size) – यह परिवर्तन शारीरिक तथा मानसिक दोनों प्रकार के विकास में दिखाई देता है। शारीरिक विकास से तात्पर्य भार, ऊँचाई, मोटाई, आदि में निरन्तर होने वाले परिवर्तन हैं। बालक के आन्तरिक भागों में भी परिवर्तन होता है। जैसे- हृदय, फेफड़ा, आँतों आदि में वृद्धि होती है। यह सभी अंग शरीर श्याओं को पूरा करने के लिए परमावश्यक हैं। आयु बढ़ने के साथ-साथ बालक का शब्द भण्डार एवं स्मरण शक्ति में भी वृद्धि होती है।
  2. अनुपात में परिवर्तन (Change in Proportion) – बालक का शारीरिक विकास सभी अंगों में एक समान रूप से नहीं होता है। नवजात शिशु के अन्य अंगों की अपेक्षा उसका सिर काफी बड़ा होता है परन्तु जैसे-जैसे शिशु का शारीरिक विकास होता है अर्थात् शिशु बढ़ता है वैसे-वैसे उसका सिर शरीर के अनुपात में तुलनात्मक रूप से कम बढ़ता है। इसी प्रकार बालक के मानसिक विकास में भी अन्तर दिखाई देता है। बाल्यावस्था की शुरुआत में बालकों की रुचि आत्म-केन्द्रित होती है। जैसे-जैसे आयु बढ़ती है उसके साथ-साथ उनकी रुचि का क्षेत्र भी बढ़ता जाता है।
  3. पुरानी आकृतियों का लोप (Disappearance of Old Images)–बालक में धीरे-धीरे उसकी बचपन की आकृ तियों का लोप होना प्रारम्भ हो जाता है। बचपन में बालों तथा दाँलों का लोप भी स्पष्टतम रूप में दिखाई देता है। इसी प्रकार बालक द्वारा बचपन में बोली जाने वाली भाषा जैसे- तुतलाना आदि का भी लोप हो जाता है। बचपन में बालक चलने की शुरुआत रेंगकर या घिसट कर करता है। धीरे-धीरे बचपन का रेंगना तथा घिसटना (creeping and crawling) भी समाप्त हो जाता है अर्थात् इसका लोप हो जाता है।
  4. नई आकृतियों की प्राप्ति (Acquisition of New Images) — विकास की अवस्था में पुरानी आकृतियों में परिवर्तन के साथ ही नई आकृतियों का बनना प्रारम्भ हो जाता है। यह परिवर्तन बालक की शारीरिक तथा मानसिक दोनों अवस्थाओं में क्रमशः दिखाई देता है। यह परिवर्तन सीखने की प्रक्रिया ( learning process) तथा परिपक्वता (maturation) के परिणामस्वरूप होता है। आयु बढ़ने के साथ ही लैंगिक चेतना का भी विकास होता है । किशोरावस्था में बालकों एवं बालिकाओं में अनेकों शारीरिक परिवर्तन होने लगते हैं ।

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