शिक्षण विधि का अर्थ स्पष्ट कीजिए। शिक्षण विधि की विशेषताओं, आवश्यकता एवं महत्त्व का वर्णन कीजिए | What do you mean by Teaching Method. Explain the Characteristics, need and Importance of Teaching Methods.
ब्राउडी के अनुसार शिक्षण नीतियों का सम्बन्ध एवं क्षेत्र अत्यन्त ही व्यापक है। शिक्षण व्यूह रचनाओं में विभिन्न शिक्षण विधियाँ, रीतियाँ तथा युक्तियाँ शामिल हैं।
बेस्ले के अनुसार, “शिक्षण विधि शिक्षक द्वारा संचालित वह क्रिया है जिससे छात्रों को ज्ञान की प्राप्ति होती है ।
बिनिंग के अनुसार शिक्षण प्रविधि शिक्षक प्रक्रिया का गतिशील कार्य है।
बाइनिंग व बाइनिंग के अनुसार, अच्छी विधियाँ वे हैं जो रुचि और प्रयासों को उत्प्रेरित करती हैं और जो स्वक्रिया और स्वतः प्रेरणा विकसित करती है जो छात्रों को स्वतन्त्र विचार और निर्णय हेतु प्रेरित करती है और जो सहयोग एवं समाजीकरण को प्रोत्साहन देती है।
- शिक्षण की वही सबसे उत्तम विधि है जो पूर्व निर्धारित उद्देश्यों की प्राप्ति में सहायक सिद्ध हो सकें।
- शिक्षण विधि का चयन यह देखकर किया जाए कि वह सुनिश्चित एवं प्रयोग करने योग्य हो ।
- शिक्षण की सबसे उत्तम पद्धति कलात्मक होती हैं शिक्षक को यह वांछित एवं अवांछित दोनों का ही ज्ञान प्रदान करती है।
- शिक्षण की उत्तम पद्धति का चयन व्यक्तिगत आधार पर किया जाता है।
- शिक्षण की उत्तम विधि विद्यार्थियों में वाँछित परिवर्तन लाती है एवं उनमें अच्छी आदतों का विकास भी करती है।
- शिक्षण विधि ऐसी हो जो विद्यार्थियों की विषय-वस्तु के प्रति रुचि उत्पन्न कर सके।
- शिक्षण पद्धति ऐसी हो जो विद्यार्थियों को शिक्षा का सक्रिय सदस्य बनाए । शिक्षण विधि में आवश्यक स्थनों पर विद्यार्थियों द्वारा सम्पादित करने के लिए पर्याप्त क्रियाओं का होना आवश्यक है।
- शिक्षण पद्धति ऐसी होनी चाहिए जो विद्यार्थियों को स्वाध्याय हेतु प्रेरित कर सकें।
- उत्तम शिक्षण विधि विद्यार्थियों की तर्क, निर्णय एवं विश्लेषण शक्ति का विकास करती है तथा व्यक्तिगत विभिन्नताओं को पूर्ण मान्यता प्रदान करती है।
- शिक्षण की प्रकृति का निर्माण करने के लिए आवश्यक।
- शिक्षण एवं अधिगम सम्बन्धों को स्थापित करने के लिए आवश्यक।
- शिक्षण की नवीन तकनीकों की जानकारी के लिए आवश्यक।
- शिक्षण अनुदेशकों के निर्माण करने में सहायक।
- शिक्षण उद्देश्यों का निर्धारण करने में सहायक।
- सुनियोजित, सुसंगठित एवं अच्छे ढंग से पाठ योजनाओं को क्रियान्वित करने के लिए आवश्यक।
- शिक्षण के विभिन्न चरों की भूमिका एवं अनेक सम्बन्धों का पता लगाने के लिए आवश्यक।
- शिक्षण-कौशलों के निर्माण एवं अनुपालन के लिए आवश्यक शिक्षण को व्यवस्थित करने के लिए शिक्षण विधि मार्गदर्शिका के रूप में सहायक।
- शिक्षण विधियों के द्वारा ही बालक के पूर्व व्यवहार से लेकर मूल्यांकन तक का नियोजन किया जा सकता है।
- शिक्षण को वैज्ञानिक दृष्टिकोण प्रदान करने में सहायक।
- शिक्षण विधि कक्षा-कक्ष में प्रभावशाली शिक्षण के लिए आवश्यक ।
प्रारम्भ में विभिन्न विदेशी भाषाओं एवं विदेशी भाषा में उपलब्ध अन्य विषयों के शिक्षण हेतु व्याकरण- ट्रांसलेशन शिक्षण विधि पर बल दिया गया किन्तु 20वीं शताब्दी में इस शिक्षण विधि में व्यापक सुधार की आवश्यकता का अनुभव किया जाने लगा और द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से छात्रों में अधिगम क्षमता बढ़ाने हेतु निर्देशात्मक शिक्षण विधियों का अविर्भाव हुआ।
1960 के दशक में नवीन तकनीको पर आधारित शिक्षण विधियों का अविभवि हुआ जिसमें सबसे महत्त्वपूर्ण नोऑम चॉमस्की की परिवर्तनकारी उत्पादक व्याकरण शिक्षण विधि थी ।
1980 के दशक में प्राकृतिक दृष्टिकोणो पर आधारित शिक्षण विधियों का अविर्भाव हुआ जो छात्र के स्वतंत्र रूप से सीखने पर बल देती है।
आधुनिक दौर में विषय विशेष के प्रभावपूर्ण शिक्षण वाली शिक्षण विधियों का अविर्भाव हुआ जिसमें प्रत्येक बालक एवं प्रत्येक विषय की विशेष आवश्यकतों को दृष्टिगत रखते हुए शिक्षण कार्य किया जाता है।
