समाजीकरण में सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक एवं राजनीतिक भिन्नताओं का वर्णन कीजिए । सामाजिक समावेशन हेतु शिक्षा का निहितार्थ बताइए। Describe social, economic, cultural and political difference in socialisation. Describe implications of education for social inclusion.
प्रश्न – समाजीकरण में सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक एवं राजनीतिक भिन्नताओं का वर्णन कीजिए । सामाजिक समावेशन हेतु शिक्षा का निहितार्थ बताइए। Describe social, economic, cultural and political difference in socialisation. Describe implications of education for social inclusion.
या
समाजीकरण में सामाजिक, आर्थिक सांस्कृतिक एवं राजनीतिक भिन्नताओं की चर्चा कीजिए | Discuss social, economic, cultural and political difference in socialisation
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बाल विकास पर सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तन की मान्यताओं का वर्णन कीजिए । Discuss the implications of Social and Cultural Change on Child Development.
उत्तर– भिन्नताएँ या विषमता आधुनिक विश्व की एक प्रमुख समस्या है जिसके परिणामस्वरूप अनेक प्रकार की अन्य समस्याएँ भी उत्पन्न होती हैं। वर्तमान समय की एक प्रमुख विशेषता है कि प्रत्येक व्यक्ति स्वयं को समानता के सिद्धान्त से सम्बन्धित मानते है जबकि वे अपने स्वयं के एवं अन्य लोगों के जीवन में असमानता पाते हैं। वर्तमान की दो प्रमुख राजनीतिक विचारधाराएँ– प्रजातन्त्र तथा समाजवाद यद्यपि मनुष्य की सामाजिकता पर ही आधारित है फिर भी दोनों ही प्रकार की समाज व्यवस्था वाले समाजों में पर्याप्त विषमता दर्शित होती है । यह बात दूसरी है कि समय एवं स्थान के अनुसार विषमता के स्वरूप या प्रकार में भिन्नता अवश्य पाई जाती है। औद्योगीकरण के परिणाम स्वरूप विषमता के प्राचीन स्वरूप लुप्त प्राय हो गए है और इनके जगह पर कुछ नए स्वरूप उभर कर सामने आ गए हैं। औद्योगीकरण के परिणाम स्वरूप विषमता के प्राचीन स्वरूप लुप्त प्राय हो गए है और इनके जगह पर कुछ नए स्वरूप उभर कर सामने आ गए है जो निम्नलिखित हैं-
- सामाजिक भिन्नताएँ (Social Differences ) – बच्चे के समाजीकरण पर उसके परिवार सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति का बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। निम्न या मध्यम सामाजिक या आर्थिक स्तर के बालकों की अपेक्षा उच्च सामाजिक या आर्थिक स्तर के बालकों पर अधिक ध्यान दिया जाता है। उच्च स्तर के बालकों का समाजीकरण अधिक व्यापक होता है क्योंकि वे विभिन्न प्रकार के व्यक्तित्व वाले लोगों के सम्पर्क में आते रहते हैं। निम्न और मध्य वर्ग के बच्चों का समाजीकरण भी होता है, किन्तु उच्च वर्ग के बालकों की अपेक्षाकृत कम होता है। संक्षेप में कहें तो निम्न और मध्य वर्ग के बालकों का समाजीकरण शिथिल होता है किन्तु यह बिल्कुल भी नहीं कह सकते कि उनका समाजीकरण नहीं होता उनमें अन्तर केवल उनके आर्थिक और सामाजिक स्थिति का होता है।
- समाजीकरण में आर्थिक भिन्नताएँ (Economic Differences in Socialisation)- समाजीकरण की प्रक्रिया को आर्थिक भिन्नता बहुत अधिक मात्रा में प्रभावित करती है। व्यक्ति अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार ही एक . सामाजिक परिवेश का चयन करता है । आर्थिक स्तर ही व्यक्ति के रहन-सहन, भोजन, सुविधा, एवं आवश्यकताओं की पूर्ति के स्तर को तय करते हैं। बालक का जन्म इस प्रकार के परिवार में होने पर वह भी वह इन सुविधाओं, रहन-सहन के स्तर आदि से प्रभावित होते हैं। इन आर्थिक परिस्थितियों में रहकर बालक विभिन्न आर्थिक क्रियाओं को चुनता है तथा उसी के अनुरूप सैकड़ों आर्थिक समूहों से अनुकूलन करता है। व्यक्ति जीवन निर्वाह हेतु विभिन्न आर्थिक क्रियाएँ करता है। उसका आर्थिक स्तर उसकी आर्थिक क्रियाओं पर ही निर्भर करता है। इन्हीं के द्वारा बालक बाजार, बैंक, दुकान से परिचित होता है तथा उसमें विभिन्न आर्थिक क्रियाओं को करने सम्बन्धी गुण भी सीखता है। उसमें आर्थिक समन्वय, सहयोग के साथ-साथ प्रतिस्पर्धा, समायोजन, बेईमानी व ईमानदारी के भाव भी सीखता है। बालक की समस्त क्रियाएँ उसकी आर्थिक स्थिति के अनुसार ही होती हैं।
- (Cultural सांस्कृतिक भिन्नताएँ Differences ) — समाजीकरण में सांस्कृतिक आत्मसातीकरण तथा सांस्कृतिक हस्तान्तरण की प्रक्रिया समाहित होती है। इस पक्ष का सबसे अधिक समर्थन किम्बल यंग (Kimball Young) ने किया है। समाजीकरण के दौरान समाज व उसकी संस्कृति को अनदेखा नहीं कर सकते हैं। समाजीकरण में समाज के अन्य तत्त्वों के साथ-साथ सांस्कृतिक मानकों को ग्रहण • किया गया है। समाजीकरण द्वारा ही समाज को अपनी संस्कृति मानकों को ग्रहण किया गया है। समाजीकरण द्वारा ही समाज अपनी संस्कृति को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में हस्तान्तरित करता है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि समाजीकरण दो पीढ़ियों के मध्य सम्बन्ध स्थापित करने का कार्य करता है। समाजीकरण द्वारा ही मनुष्य अपनी सामाजिक एवं सांस्कृतिक दुनिया से परिचित होता है। इस प्रकार स्पष्ट होता है कि विभिन्न सांस्कृतिक व्यक्तियों में निवासित लोगों का सांस्कृतिकरण भिन्न-भिन्न होता है। यह विभिन्नता देश, धर्म एवं समूह के आधार पर होती है तथा इसी के आधार पर उनके समाजीकरण में विभिन्नताओं का समावेश होता है।
- राजनीतिक भिन्नताएँ (Political Differences ) – देश की शासन व्यवस्था अर्थात्, राजधर्म समाजीकरण की प्रक्रिया को प्रभावित करती है। राजनीति ही समाज, संस्कृति, शिक्षा, आर्थिक स्थिति के विकास का आधार है तथा यह सभी राजनैतिक दशाओं पर निर्भर करती है। राजनीतिक भिन्नता क्षेत्र एवं भौगोलिक सीमाओं के अनुसार भिन्न-भिन्न होती हैं। देश अपनी भौगोलिक सीमाओं में रहकर ही अपना राजनैतिक, सामाजिक एवं आर्थिक विकास करता है। उन्हीं के अनुरूप वह क्षेत्र विशेष के विकास एवं कल्याण हेतु कल्याणकारी योजनाओं का संचालन एवं निर्वाहन करता है। एक व्यक्ति अथवा बालक इन्हीं परिस्थितियों में रहकर अपने समाज सम्बन्धी आवश्यकताओं की पूर्ति करता है। राजनीतिक क्षेत्र विशेष के अनुसार अपनी भौगोलिक सीमाओं के अन्तर्गत अलग-अलग योजनाओं का संचालन करता है। इन्हीं कल्याणकारी योजना पर बालक का विकास आधारित होता है। इस प्रकार क्षेत्रीयता के आधार पर राजनीति अपनी कल्याणकारी योजनाओं के द्वारा समाजीकरण में विभिन्नताएँ उत्पन्न करता है। भौगोलिक सीमाओं के बाहर अन्य देश एवं प्रान्त में उनकी अपनी राजनीति, विकास एवं योजनाएं होती हैं। प्रत्येक देश अपनी राजनैतिक सीमा के अन्तर्गत रहकर ही अपना जीवनयापन करता है तथा वहाँ की राजनीतिक छत्र छाया में रहकर अपना विकास करता है। इस प्रकार राजनीति भी उसके समाजीकरण की प्रक्रिया में सहभागी बनती है।
सामाजिक समावेशन हेंतु शिक्षा का निहितार्थ
- समाज के व्यक्तियों का बौद्धिक विकास (Intellectual ‘Development of Social Citizens) – शिक्षा का एक प्रमुख कार्य व्यक्ति के अनुभवों तथा तार्किक योग्यता को बढ़ाकर उसका बौद्धिक विकास करना है। यही कारण है कि जिस समाज में जितनी अधिक शिक्षा होगी वहाँ पर समाज में व्याप्त रूढ़ियाँ, कुरीतियाँ, अन्धविश्वास, आदि का प्रभाव कम होता है जो समाज शिक्षित होता है उसमें सामाजिक जागरुकता भी अन्य समाज की अपेक्षा अधिक पाई जाती है। इसीलिए शिक्षा को जनतन्त्र में बड़ी आवश्यकता के रूप में स्वीकार किया जाता है।
- सामाजिक नियन्त्रण की व्यवस्था (Arrangement of Social Control) – प्रत्येक समाज का यह लक्ष्य होता है कि वह विभिन्न साधनों के द्वारा व्यक्ति तथा समाज में रहने वाले समूहों पर नियन्त्रण करें। नियन्त्रण के नकारात्मक साधन जहाँ दबाव, उत्पीड़न तथा दण्ड को महत्त्व देते हैं। वहीं शिक्षा व्यक्ति को विवेक देती है जिससे वह परिस्थितियों के अनुसार व्यवहार करना सीख सकें । तथा विपरीत परिस्थितियों को भी अनुकूल बना सकें । शिक्षा व्यक्ति के अन्दर सन्तुलित विचारों को विकसित कर उसे अपने व्यवहारों पर नियन्त्रण करना सिखाती है ।
- आर्थिक विकास में योगदान (Contribution in Economical Development ) – शिक्षा एक ऐसा साधन है जिसके द्वारा व्यक्ति अपनी क्षमता तथा कार्य-कुशलता में वृद्धि करता है जिससे आर्थिक विकास के लिए उपयुक्त वातावरण बनने लगता है। शिक्षा द्वारा प्राप्त ज्ञान से नए-नए आविष्कार होते हैं तथा व्यक्ति के व्यवहारों को प्रोत्साहन मिलता है जो उपयोगी होते है। देखा भी गया कि शिक्षित समाज में आर्थिक विकास की प्रक्रिया तेजी से होती है।
- नैतिक गुणों का विकास (Development of Moral Values) — शिक्षा का एक प्रमुख कार्य व्यक्ति में नैतिक गुणों, जैसे अनुशासन, बन्धुत्व, सहयोग, प्रेम, पारस्परिक समायोजन तथा कर्त्तव्य की भावना का विकास करना है क्योंकि ये वे गुण हैं जो व्यक्ति के चरित्र का निर्माण करके उसे आत्म-नियन्त्रण की शक्ति देते हैं व इससे समाज का संगठन भी सुदृढ़ होने लगता है ।
- व्यक्ति का a of समाजीकरण (Socialisation Person) – शिक्षा व्यवस्था नैतिक विचारों को स्पष्ट करके तथा बच्चे का बौद्धिक विकास करती है जिसके कारण वह समाजीकरण का उपयोगी सदस्य बनता है। शिक्षा विवेक को विकसित करती है तथा स्पष्ट करती है कि उचित क्या है? तथा अनुचित क्या है ? शिक्षा के द्वारा दी जाने वाली सांस्कृतिक सीख ही व्यक्ति के समाजीकरण का आधार है। शिक्षा ही व्यक्ति को अपने मूल्यों, नियमों, कानूनों द्वारा आवश्यकताओं से परिचित कराकर पारस्परिक सहयोग को प्रोत्साहन देती है।