Agricultural-science 6

UP Board Class 6 Agricultural Science | मृदा

UP Board Class 6 Agricultural Science | मृदा

UP Board Solutions for Class 6 Agricultural Science Chapter 1 मृदा

मृदा

अभ्यास

प्रश्न 1.
सही उत्तर पर सही (✓) का निशान लगायें

(i) मिट्टी है –

(क) पृथ्वी की ऊपरी सतह ✓
(ख) कच्चे मकान का फर्श
(ग) नदी का निचला भाग
(घ) कुएँ का फर्श

(ii) फसलें खड़ी रहती हैं –

(क) हवा में
(ख) पानी में
(ग) पत्थर पर
(घ) मिट्टी में ✓

(iii) मृदा माध्यम है –

(क) मनुष्यों के रहने का
(ख) पशुओं के ठहरने का
(ग) पौधों के उगने का ✓
(घ) यंत्रों के बनने का

(iv) चट्टानों एवं खनिजों के टूटने से बनती है –

(क) बालू ✓
(ख) सिल्ट
(ग) मृत्तिका
(घ) कार्बनिक पदार्थ

(v) नालों की निचली सतह में जमा होता है

(क) चट्टानें
(ख) बालू
(ग) सिल्ट ✓
(घ) मृत्तिका

(vi) बोलू का आकार होता है –

(क) 4.00-3.00 मिमी 0
(ख) 3.0-2.0 मिमी 0
(ग) 2.0-1.0 मिमी 0
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं ✓

प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –

(क) पृथ्वी के ऊपरी सतह को मृदा कहते हैं। (जल, मृदा)
(ख) आदिमानव ने मृदा की जानकारी भोजन के अभाव में कीं। (मिठाई, भोजन)
(ग) मृदा में मुख्य रूप से चार घटक पाए जाते हैं। (तीन, चार)
(घ) बलुई मृदा में बालू अधिक मात्रा में होती है। (सिल्ट, बालु)
(ङ) काली मृदा में मृतिका की मात्रा अधिक होती है। (मृतिका, बालु)
(च) कृषि के आधार पर मृदा को चार वर्गों में बाँटते हैं। दो, चार)

प्रश्न 3.
निम्नलिखित कथनों में सही के सामने सही (✓) और गलत के सामने गलत (✗) का निशान लगाएँ –

(क) पशु अपना भोजन प्रायः पेड़-पौधों से लेता है। (✓)
(ख) दोमट मृदा कृषि के लिए सर्वोत्तम नहीं होती है। (✗)
(ग) चिकनी मिट्टी के सूखने पर दरारें नहीं पड़तीं। (✗)
(घ) रेतील मृदा अधिक उपजाऊ होती है। (✗)
(ङ) ऊबड़-खाबड़ मृदा कृषि के लिए अयोग्य होती है। (✓)

प्रश्न 4.
निम्नलिखित में स्तम्भ ‘क’ को स्तम्भ ‘ख’ से सुमेल कीजिए – (सुमेल करके)
उत्तर :

UP Board Solutions for Class 6 Agricultural Science Chapter 1 मृदा 1

प्रश्न 5.

(क) मृदा की परिभाषा लिखिए।
(ख) मृदा में पाए जाने वाले घटक व उनकी प्रतिशत मात्रा लिखिए।
(ग) मृदा कणों के आकार तालिका में लिखिए।
(घ) चिकनी मृदा के प्रमुख गुण लिखिए।
(ङ) उत्तर प्रदेश की प्रमुख मृदाओं के नाम लिखिए।

उत्तर :

(क) मृदा पृथ्वी का सबसे ऊपरी भाग है, जो चट्टानों एवं खनिजों के टूटने-फूटने व स्थानांतरित होकर एकत्रित होने से बनी है।
(ख) मृदा में खनिज 45 प्रतिशत, जैविक पदार्थ 5 प्रतिशत, मृदा जल 25 प्रतिशत, मृदा वायु 25 प्रतिशत हैं।
(ग) मोटी बालू 2.0-0.2, महीन बालू 0.2-0.02, सिल्ट 0.02-0.002, मृत्तिका (क्ले) 0.002 से कम।
(घ) चिकनी मिट्टी मृत्तिका की अधिकता से बनती है। इसे धनखर मिट्टी कहते हैं। इसमें धान की फसल अच्छी होती है।
(ङ) उत्तर प्रदेश की मृदाओं को दो भागों में विभाजित किया गया है – 1. कायँ मिट्टी 2. मिश्रित लाल और काली मिट्टी।

प्रश्न 6.

(क) मृदा घटक का वर्णन चित्र सहित कीजिए।
(ख) कणों के आधार पर मृदा का वर्गीकरण कीजिए।
(ग) मुख्य कणाकार गठन के आधार पर मृदा का वर्गीकरण कीजिए एवं उनका वर्णन कीजिए।
(घ) कृषि के दृष्टिकोण से मृदा का वर्गीकरण एवं विभिन्न मृदाओं का वर्णन कीजिए।

उत्तर :
(क) मृदा घटक –

  1. मृदा खनिज 45%
  2. जैविक पदार्थ 5%
  3. मृदा जल 25%
  4. मृदा वायु 25%

UP Board Solutions for Class 6 Agricultural Science Chapter 1 मृदा 2

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जिस मिट्टी में बालू की अधिकता होती है, उसे बलुई मिट्टी कहते हैं। दूसरी प्रकार की बलुई दोमट मिट्टी में बालू कुछ कम होती है। तीसरी प्रकार की दोमट मिट्टी कृषि के लिए सर्वोत्तम होती है। इसमें सिल्ट व बालू की मात्रा बराबर होती है। चौथी मिट्टी सिल्ट या गाद कही जाती है। इसकी जल धारण क्षमता अधिक होती है। पाँचवीं मिट्टी चिकनी मृत्तिका होती है। यह मिट्टी सबसे कठोर होती है। इसके कण बहुत बारीक होते हैं। सूखने पर इस प्रकार की मिट्टी में दरारें पड़ जाती हैं।

(घ) कृषि के आधार पर मृदा को चार भागों में बाँटते हैं –

  1. अधिक उपजाऊ
  2. सामान्य उपजाऊ
  3. कम उपजाऊ
  4. अनुपजाऊ

सबसे अधिक उपजाऊ मृदा काली, काली-भूरी या भूरी होती है। इसमें जल और वायु का संचार अच्छा होता है। बलुई दोमट मिट्टी सामान्य उपजाऊ होती है। बलुई, रेतीली, ऊबड़-खाबड़ मिट्टी कम उपजाऊ होती है। ऊसर, बंजर तथा जलमग्न मृदाएँ अनुपजाऊ होती हैं।

प्रश्न 7.
मृदा में रंधावकाश की जानकारी कैसे प्राप्त करेंगे लिखिए।

(क) काली मृदा के गुण-दोष लिखिए।
उत्तर :
काली मृदा के गुण व दोष

  1. यह मृदा गहरे भूरे, काले रंग की होती है।
  2. इस मृदा में लोहा, चूना, कैल्सियम, मैग्नीशियम तथा मृत्तिका की प्रचुरता होती है।
  3. इस मृदा में नवजन, फॉस्फोरस तथा कार्बनिक पदार्थ की न्यूनता पाई जाती है।
  4. यह मृदा स्वभाव में चिपचिपी एवं सुघट्य होती है।
  5. इस मृदा में सिकुड़ने एवं फूलने का गुण पाया जाता है तथा सूखने पर दरारें पड़ जाती हैं।
  6. यह मृदा काली, कपासी मृदा एवं रेगुर के नाम से भी प्रचलिीत है।

(ख) खादर या कछारीय मृदा का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
ये नवीन जलोढ़ मृदाएँ हैं ये हल्के भूरे रंग की छिद्रयुक्त महीन कणों वाली होती हैं। चूना, पोटाश व मैग्नीशियम पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है।

(ग) तराई मृदा के गुण-दोष लिखिए।
उत्तर :
ये मृदाएँ हिमालयी नदियों के भारी निक्षेपों से निर्मित होने के कारण इनमें कंकड़, पत्थर एवं बालू की अधिकता होती है। मृदाएँ उथली तथा इनकी जल धारण क्षमता कम होती है। गन्ना, धान, इन मृदा क्षेत्रों की प्रमुख फसलें हैं।

प्रोजेक्ट कार्य –
नोट – विद्यार्थी स्वयं करें।

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