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Bal Ram Katha Class 6 Questions and Answers Summary Chapter 6 दण्डक वन में दस वर्ष

Bal Ram Katha Class 6 Questions and Answers Summary Chapter 6 दण्डक वन में दस वर्ष

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Class 6 Hindi Bal Ram Katha Chapter 6 Question Answers Summary दण्डक वन में दस वर्ष

Bal Ram Katha Class 6 Question Answers Chapter 6

प्रश्न 1.
राम चित्रकूट से दूर क्यों चले जाना चाहते थे?
उत्तर:
चित्रकूट अयोध्या से केवल चार दिन की दूरी पर था। यदि राम वहाँ रहते तो अयोध्या से वहाँ आना-जाना लगा रहता। वे उनसे राय भी माँगते। उनको राय देना राजकाज में हस्तक्षेप करने के समान था। राम ने चित्रकूट में न ठहरने का मन बना लिया। इसका एक अन्य कारण भी था-अब यह वन राक्षसों से रहित हो गया था। तपस्वी अब निर्भय होकर तपस्या कर सकते थे।

प्रश्न 2.
दण्डक वन कैसा था? राम को देखकर मुनिगण प्रसन्न क्यों हुए?
उत्तर:
दण्डक वन बहुत ही घना था। पशु-पक्षियों और वनस्पतियों से परिपूर्ण था। इस वन में अनेक तपस्वियों के आश्रम थे, साथ ही राक्षसों की भी कमी न थी। राक्षस अनुष्ठानों में विघ्न डालकर तपस्वियों को कष्ट देते थे। मुनियों ने राम का स्वागत करते हुए कहा कि आप उन दुष्ट मायावी राक्षसों से हमारी रक्षा करें। अब राम राक्षसों से उनकी रक्षा करेंगे, यही सोचकर मुनिगण प्रसन्न थे।

प्रश्न 3.
सुतीक्ष्ण मुनि ने, अगस्त्य मुनि के बारे में राम को क्या बताया?
उत्तर:
सुतीक्ष्ण मुनि ने राम को अगस्त्य मुनि से भेंट करने की सलाह दी। अगस्त्य मुनि विंध्याचल पर्वत पार करने वाले पहले ऋषि थे। मुनि ने राम को गोदावरी के तट पर जाने को कहा।

प्रश्न 4.
पंचवटी के मार्ग में राम और जटायु की भेंट का वर्णन करो।
उत्तर:
पंचवटी के मार्ग में राम को एक विशालकाय पक्षी मिला। सीता उसके स्वरूप को देखकर डर गई। लक्ष्मण ने उसे मायावी राक्षस समझा। लक्ष्मण धनुष उठा ही रहे थे कि जटायु ने उनसे कहा कि मुझसे डरो मत; मैं तुम्हारे पिता का मित्र हूँ। वन में तुम्हारी सहायता करूँगा।

प्रश्न 5.
पंचवटी में लक्ष्मण ने कैसी कुटिया बनाई?
उत्तर:
पंचवटी में लक्ष्मण ने बहुत सुंदर कुटिया बनाई। मिट्टी की दीवारें बनाईं। बाँस के खंभे लगाए। कुश और पत्तों से छप्पर डाला। कुटिया ने उस मनोरम पंचवटी को और सुंदर बना दिया। कुटी के आस-पास सुंदर पुष्प-लताएँ थीं। हिरण घूमते थे और मोर नाचते थे।

प्रश्न 6.
शूर्पणखा कौन थी? लक्ष्मण ने शूर्पणखा के नाक-कान क्यों काट लिए?
उत्तर:
शूर्पणखा लंका के राजा रावण की बहिन थी। शूर्पणखा ने पंचवटी में जब राम को देखा तो वह उनकी सुंदरता पर मोहित हो गई। शूर्पणखा ने राम के साथ विवाह करने का प्रस्ताव रखा। राम ने यह कहकर कि मैं तो विवाहित हूँ शूर्पणखा के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। शूर्पणखा फिर लक्ष्मण के पास गई। लक्ष्मण ने पुनः उसको राम के पास जाने को कहा। बार-बार इस आने-जाने के खेल में शूर्पणखा क्रोधित होकर सीता पर झपटी। लक्ष्मण ने आगे बढ़कर शूर्पणखा के नाक-कान काट लिए।

प्रश्न 7.
नाक-कान कटने के बाद शूर्पणखा ने क्या किया?
उत्तर:
शूर्पणखा उसी जंगल में रहने वाले अपने चचेरे भाइयों खर व दूषण के पास गई। खर-दूषण ने जब शूर्पणखा की दशा देखी तो उनके क्रोध की सीमा न रही। उन्होंने चौदह राक्षस भेजे। वे राक्षसों की पूरी सेना के साथ आए। राम इसके लिए पहले से ही तैयार थे। भयंकर युद्ध हुआ। खर-दूषण सेना सहित मारे गए।

प्रश्न 8.
रावण ने सीता का हरण करने की क्यों सोची?
उत्तर:
जब खर-दूषण के साथ राम का युद्ध हो रहा था तो अकंपन नाम का एक राक्षस भाग कर रावण के पास गया। उसने रावण को पूरा विवरण बताते हुए कहा कि राम को युद्ध में हराना आसान नहीं है। यदि उसकी पत्नी सीता का हरण कर लिया जाए तो उसके प्राण पत्नी के वियोग में स्वयं ही निकल जाएँगे।

प्रश्न 9.
रावण मारीच के पास क्यों गया? मारीच ने रावण को क्या समझाया?
उत्तर:
रावण सीता-हरण के लिए मारीच की मदद चाहता था, इसलिए वह उसके पास गया। मारीच राम की शक्ति से परिचित था। उसने रावण को समझाते हुए कहा कि सीता का हरण करना विनाश को आमंत्रण देना है। रावण मारीच की बात मान गया और लंका लौट आया।

प्रश्न 10.
शूर्पणखा ने सीता-हरण के लिए रावण को क्या-क्या कहकर उकसाया?
उत्तर:
शूर्पणखा चीखती-चिल्लाती और विलाप करती हुई रावण के पास पहुंची। वह रावण को धिक्कार रही थी। उसके पौरूष को ललकारते हुए शूर्पणखा ने कहा-“तेरे महाबली होने का क्या लाभ? तेरे रहते मेरी यह दुर्गति! तेरा बल किस दिन के लिए है? तू किसी को मुँह दिखाने के लायक नहीं रह गया है!” मैं सीता को तुम्हारे लिए लाना चाहती थी। मैंने जब उन्हें बताया कि मैं रावण की बहिन हूँ, क्रोध में लक्ष्मण ने मेरे नाक-कान काट लिए।

प्रश्न 11.
रावण ने दोबारा मारीच को क्या कहकर सीता-हरण में सहायता के लिए तैयार किया?
उत्तर:
जब रावण मारीच के पास दुबारा गया तो मारीच ने पुनः वही बात कही कि सीता-हरण का विचार त्याग दो। रावण ने उसकी नहीं सुनी और उसे डाँटकर कहा कि वह उसकी सहायता करे। मारीच को पता था कि यदि वह इस बार राम के पास गया तो उनके हाथों अवश्य मारा जाएगा। रावण उसके मनोभावों को समझते हुए बोला कि हो सकता है राम तुम्हें मार दे, लेकिन न जाने पर तुम्हारी मेरे हाथों मृत्यु निश्चित है। विवश होकर मारीच को रावण का आदेश मानना पड़ा।

Bal Ram Katha Class 6 Chapter 6 Summary

भरत चित्रकूट से राम की खड़ाऊँ लेकर अयोध्या लौट चुके थे। राम पर्णकुटी के बाहर एक शिलाखंड पर बैठे सोच रहे थे कि अयोध्या यहाँ से चार दिन की दूरी पर है। अतः लोगों का आना-जाना यहाँ लगा ही रहेगा। वे राय माँगेंगे। यह राज-काज में हस्तक्षेप की तरह होगा। राम ने वहाँ से कहीं दूर चले जाने की सोची। तीनों मुनि अत्रि से विदा लेकर दण्डक वन की ओर चल पड़े। यह वन बहुत धना था। इसमें अनेक तपस्वियों के आश्रम थे। राक्षस भी कम नहीं थे। मुनियों ने राम से कहा कि आप राक्षसों से हमारी रक्षा करें। स्थान और आश्रम बदलते हए राम और लक्ष्मण दण्डकारण्य में दस वर्ष तक रहे। राम ने क्षरभंग मुनि के आश्रम में पहुँचकर उनकी राक्षसों से रक्षा की। सुतीक्ष्ण मुनि ने राम को अगस्त्य ऋषि से भेंट करने की सलाह दी। अगस्त्य विंध्याचल पार करने वाले पहले ऋषि थे।

पंचवटी के मार्ग में राम को जटायु नाम का एक विशालकाय पक्षी मिला। उसने कहा-मैं तुम्हारे पिता का मित्र हूँ। वन में तुम्हारी सहायता करूँगा। पंचवटी में लक्ष्मण ने बहुत ही सुंदर कुटिया बनाई। राम निरंतर राक्षसों का संहार करते रहे। एक दिन राम-लक्ष्मण और सीता कुटिया के बाहर बैठे वहाँ के प्राकृतिक सौंदर्य को निहार रहे थे, तभी रावण की बहिन शूर्पणखा वहाँ आई। राम को देखकर वह उन पर आसक्त हो गई। एक सुंदर स्त्री का रूप धारण करके वह राम के पास आकर बोली कि मैं तुमसे विवाह करना चाहती हूँ। राम ने बता दिया कि उनका विवाह हो चुका है। इसके बाद वह लक्ष्मण के पास गई। लक्ष्मण ने उसको पुनः राम के पास भेज दिया। यह खेल कई बार हुआ तो क्रोध में आकर शूर्पणखा ने सीता पर झपट्टा मारा। लक्ष्मण ने तत्काल उठकर शूर्पणखा के नाक कान काट लिए।

शूर्पणखा अपने कटे नाक-कान लेकर अपने चचेरे भाइयों खर, दूषण के पास गई, जो उसी वन में रहते थे। वे बदला लेने के लिए पंचवटी में राक्षसी सेना के साथ आए। राम ने उन सबका संहार कर दिया। कुछ राक्षस भाग गए। भागने वालों में एक राक्षस का नाम था-अकंपन। उसने सीधे रावण के पास जाकर पूरा वृत्तांत सुनाया। उसने कहा-राम को युद्ध में पराजित करना असंभव है। उससे बदला लेने का एक ही उपाय है सीता का अपहरण कर लिया जाए। वह स्वयं ही मर जाएगा।

सीता के हरण के लिए रावण ने अपने मामा मारीच से भेंट की। मारीच ने ऐसा करने से मना किया, क्योंकि ऐसा करना विनाश को निमंत्रण देने के समान था। थोड़ी देर बाद विलाप करती हुई शूर्पणखा लंका पहुँची। वह रावण को धिक्कार रही थी। उसने कहा कि सीता अतीव सुंदरी है। मैं तो उसे तुम्हारे लिए लाना चाहती थी। क्रोध में लक्ष्मण ने मेरे नाक-कान काट लिए। इस बार रावण पुनः मारीच के पास गया और डाँट-डपटकर सीता-हरण के लिए राजी कर लिया।

मारीच जानता था कि यदि वह दोबारा राम के पास गया तो अवश्य ही मारा जाएगा। रावण ने मारीच के मन की बात भाँपते हुए कहा कि वहाँ जाने पर हो सकता है राम तुम्हें मार दे, परन्तु यदि तू न गया तो मेरे हाथों मारा जाएगा। मारीच को रावण का आदेश मानना ही पड़ा। रथ में बैठकर रावण और मारीच पंचवटी पहुँचे। मारीच सोने का हिरण बनकर कुटिया के आसपास घूमने लगा। रावण तपस्वी का वेश धारण कर एक पेड़ के पीछे छिप गया। सीता ने जब हिरण को देखा तो वह उस पर मुग्ध हो गई। राम को इस वन में सोने का हिरण होने पर संदेह था। सीता उनके सामने उस हिरण को मारकर लाने का आग्रह करने लगी। सीता की प्रसन्नता के लिए राम हिरण के पीछे चले गए। कुटी से निकलते समय राम ने लक्ष्मण को बुलाकर सीता की रक्षा का आदेश दिया। लक्ष्मण सीता की रक्षा के लिए धनुष लेकर कुटिया के बाहर खड़े हो गए।

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