Class 7 Hindi Mahabharat Questions and Answers Summary Chapter 33 अभिमन्यु
Class 7 Hindi Mahabharat Questions and Answers Summary Chapter 33 अभिमन्यु
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Bal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers Summary in Hindi Chapter 33 अभिमन्यु
Bal Mahabharat Katha Class 7 Questions Answers in Hindi Chapter 33
प्रश्न 1.
अर्जुन को युद्ध भूमि से दूर ले जाने के लिए कौरवों ने क्या किया ?
उत्तर:
संशप्तकों के साथ युद्ध करते-करते अर्जुन दक्षिण दिशा की ओर निकल गया। वे किसी भी प्रकार अर्जुन को दूर ले जाना चाहते थे।
प्रश्न 2.
अर्जुन के दूर चले जाने पर द्रोणाचार्य ने क्या किया ?
उत्तर:
अर्जुन के दूर चले जाने पर द्रोणाचार्य ने चक्रव्यूह की रचना की। पांडव सेना में केवल अर्जुन ही इस चक्रव्यूह को भेदना जानता था।
प्रश्न 3.
द्रोणाचार्य द्वारा व्यूह रचना की खबर पाकर युधिष्ठिर ने क्या किया ?
उत्तर:
युधिष्ठिर ने अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु को बुलाकर कहा कि द्रोणाचार्य के व्यूह को हममें से कोई भेदना नहीं जानता। अकेले तुम ही हो जो इस व्यूह को भेद सकते हो।
प्रश्न 4.
अभिमन्यु ने युधिष्ठिर की बात का क्या उत्तर दिया ?
उत्तर:
युधिष्ठिर की बात सुनकर अभिमन्यु बोला-“महाराज, इस चक्रव्यूह में मुझ प्रवेश करना तो आता है”, परन्तु किसी संकट के आने पर व्यूह से निकलना मुझे नहीं आता।
प्रश्न 5.
अभिमन्यु ने किस प्रकार व्यूह में प्रवेश किया ?
उत्तर:
अपने सारथी को उत्साहित करते हुए अभिमन्यु व्यूह में प्रवेश कर गया। द्रोणाचार्य के देखते ही देखते उसका बनाया हुआ व्यूह टूट गया। अभिमन्यु व्यूह के अंदर दाखिल हो गया और जो भी कौरव वीर अभिमन्यु का सामना करने आता वह पतंगे की तरह भस्म हो जाता था।
प्रश्न 6.
पांडव सेना व्यूह में क्यों प्रवेश नहीं कर सकी ?
उत्तर:
जब अभिमन्यु व्यूह तोड़कर अंदर घुसा उसी समय जयद्रथ अपनी विशाल सेना के साथ आ गया। उसने टूटे व्यूह को फिर से जोड़ दिया। इस प्रकार पांडव सेना बाहर ही रह गई। केवल अभिमन्यु ही व्यूह में प्रवेश कर सका।
प्रश्न 7.
दुर्योधन ने यह क्यों कहा कि अभिमन्यु का इसी समय वध कर दो ?
उत्तर:
अभिमन्यु ने अपने भाले के वार से दुर्योधन के पुत्र लक्ष्मण का वध कर दिया था। अपने पुत्र को मृत देखकर दुर्योधन ने कहा कि अभी इसी समय अभिमन्यु का वध कर दो।
प्रश्न 8.
कौरव महारथियों ने किस प्रकार अभिमन्यु पर आक्रमण किया ?
उत्तर:
द्रोणाचार्य, अश्वत्थामा, कृतवर्मा, कर्ण, कृपाचार्य आदि महारथी अभिमन्यु पर एक साथ टूट पड़े। कर्ण ने अभिमन्यु पर पीछे से आक्रमण किया। अभिमन्यु का धनुष टूट गया। उसका सारथी भी मारा गया तथा घोड़े भी मारे गए। अभिमन्यु अपने रथ का पहिया निकालकर ही युद्ध करने लगा। बाणों की बौछार से उसका पहिया भी चूर-चूर हो गया। अंत में दुःशासन के पुत्र की गदा के प्रहार से अभिमन्यु का प्राणांत हो गया।
प्रश्न 9.
अर्जुन ने अभिमन्यु की मृत्यु पर क्या प्रतिज्ञा की ?
उत्तर:
अर्जुन ने प्रतिज्ञा की कि जिसके कारण मेरे प्रिय पुत्र की मृत्यु हुई है, उस जयद्रथ का कल मैं सूर्यास्त होने से पहले वध करके रहूँगा।
प्रश्न 10.
अर्जुन की प्रतिज्ञा सुनकर जयद्रथ का क्या हाल हुआ ?
उत्तर:
अर्जुन की प्रतिज्ञा सुनकर जयद्रथ घबरा गया। उसने दुर्योधन से जाकर कहा कि वह अपने देश लौट जाना चाहता है। वह किसी से भी युद्ध नहीं करना चाहता।
Bal Mahabharat Katha Class 7 Summary in Hindi Chapter 33
युद्ध के तेरहवें दिन भी अर्जुन संशप्तकों द्वारा युद्ध के लिए ललकारने पर उनसे युद्ध करता हुआ दक्षिण दिशा की ओर निकल गया। अर्जुन के दूर निकल जाने पर द्रोणाचार्य ने चक्रव्यूह की रचना की। अर्जुन के अलावा कोई भी पांडव वीर चक्रव्यूह भेदना नहीं जानता. था। युधिष्ठिर ने अभिमन्यु को बुलाकर कहा कि केवल तुम ही द्रोण के बनाए चक्रव्यूह को तोड़ सकते हो। अभिमन्यु ने उत्तर दिया कि मुझे चक्रव्यूह में प्रवेश करना तो आता है परंतु उससे बाहर निकलना नहीं आता। युधिष्ठिर ने कहा-कि तुम एक बार चक्रव्यूह में प्रवेश कर लो। हम सब तुम्हारे पीछे-पीछे चले आएंगे। अभिमन्यु चक्रव्यूह में प्रवेश करने के लिए तैयार हो गया। अभिमन्यु अपने रथ पर सवार होकर युद्ध करते हुए चक्रव्यूह में प्रवेश कर गया। कौरव सेना में हलचल मच गई। देखते-देखते द्रोण का बनाया चक्रव्यूह टूट गया। जो भी कौरव वीर अभिमन्यु के सामने आता पतंगे की तरह भस्म हो जाता। इसी बीच जयद्रथ अपनी सेना लेकर आ गया और बड़ी कुशलता से युद्ध करते हुए टूटे चक्रव्यूह को पुनः जोड़ दिया। वह सेना लेकर पांडवों पर टूट पड़ा। पांडव सेना. चक्रव्यूह से बाहर ही रह गई। अभिमन्यु बड़ी वीरता से कौरव सैनिकों पर बाणों की वर्षा कर रहा था। अभिमन्यु के आक्रमण से कौरव सेना पीछे हटने लगी। तभी दुर्योधन का पुत्र अभिमन्यु आगे आया। वह अभिमन्यु से भिड़ गया। भाले की चोट खाकर वह वीर बालक मृत होकर गिर पड़ा। अपने पुत्र को मृत देखकर दुर्योधन ने चिल्लारकर कहा अभी इसी समय अभिमन्यु का वध कर दो। अभिमन्यु को द्रोण, अश्वत्थामा, कृतवर्मा, वृहदबल आदि महारथियों ने चारों ओर से घेर लिया। कर्ण ने पीछे की ओर से अभिमन्यु पर बाण चलाए जिससे उसका धनुष टूट गया। अभिमन्यु का सारथी व घोड़े भी मारे गए। अभिमन्यु तुरंत अपने टूटे रथ का पहिया निकालकर शत्रुओं से भिड़ गया। कौरव सेना चारों ओर से उस पर टूट पड़ी। उसके हाथ का पहिया भी चूर-चूर हो गया। इसी बीच दुःशासन का पुत्र गदा लेकर अभिमन्यु पर झपटा। अभिमन्यु ने भी गदा उठा ली। दोनों वीर घायल होकर गिर पड़े। ‘ दुःशासन का पुत्र पहले उठ गया और गदा का वार अभिमन्यु के सिर पर किया। अभिमन्यु के प्राण पखेरु उड़ गए। संध्या के समय अर्जुन को अभिमन्यु के वध का पता चला तो उसने प्रतिज्ञा की कि जिसके कारण मेरे पुत्र की मृत्यु हुई है मैं उसका कल सूर्यास्त से पहले वध कर दूंगा।