UP Board class10 social science 9 मानवीय संसाधन : जनसंख्या
UP Board class10 social science 9 मानवीय संसाधन : जनसंख्या
मानवीय संसाधन : जनसंख्या (अनुभाग – तीन)
विस्तृत उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
भारत में बढ़ती हुई जनसंख्या से उत्पन्न समस्याओं की विवेचना कीजिए। [2014]
या
भारत में बढ़ती जनसंख्या की किन्हीं तीन समस्याओं की विवेचना कीजिए। [2013, 17, 18]
या
तेजी से बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण क्या-क्या समस्याएँ पैदा हो जाती हैं ?
या
भारत में जनसंख्या विस्फोट से उत्पन्न किन्हीं दो समस्याओं का वर्णन कीजिए।[2010]
या
तीव्र जनसंख्या वृद्धि के किन्हीं दो दुष्परिणामों का उल्लेख कीजिए। [2013]
या
भारत में बढ़ती हुई जनसंख्या के तीन प्रभावों का उल्लेख कीजिए। [2016]
उत्तर :
जनसंख्या का आर्थिक विकास पर प्रभाव
जनसंख्या तथा आर्थिक विकास में घनिष्ठ सम्बन्ध है। किसी देश का आर्थिक विकास प्राकृतिक संसाधनों तथा जनसंख्या के आकार तथा उसकी कार्यक्षमता पर निर्भर करता है। जनसंख्या की दृष्टि से भारत का विश्व में दूसरा स्थान है। भारत विश्व के 2.4% क्षेत्रफल पर विश्व की 1.5% आय के द्वारा 16.7% जनसंख्या का पालन-पोषण कर रहा है। ये आँकड़े बताते हैं कि हमारी आर्थिक प्रगति को ‘अत्यधिक जनसंख्या कैसे निष्प्रभावी बना रही है। गत 50 वर्षों में जनसंख्या में निरन्तर तीव्र वृद्धि के कारण जनसंख्या-विस्फोट की स्थिति उत्पन्न हो गयी है। बढ़ती हुई जनसंख्या भारत के लिए अभिशाप सिद्ध हुई है, क्योंकि इसने देश में निम्नलिखित समस्याएँ उत्पन्न करके देश के आर्थिक विकास को ग्रहण लगा दिया है–
1. बेरोजगारी में वृद्धि – भारत में जनसंख्या वृद्धि के कारण बेरोजगारों की संख्या निरन्तर बढ़ती जा रही है। देश में साधनों की कमी के कारण सभी को रोजगार नहीं दिलाया जा सकता। परिणामतः देश में शिक्षित बेरोजगारी तथा अल्प बेरोजगारी बड़े स्तर पर पायी जाती है।
2. प्रति व्यक्ति आय निम्न – पंचवर्षीय योजनाओं के अन्तर्गत देश की राष्ट्रीय आय में निरन्तर वृद्धि हुई है। किन्तु बढ़ती जनसंख्या के कारण देश में प्रति व्यक्ति आय का स्तर अत्यन्त निम्न है। आज भी भारत में प्रति व्यक्ति आय विश्व के राष्ट्रों की तुलना में बहुत कम है।
3. निर्धनता में वृद्धि – भारत की लगभग 23.76 करोड़ जनसंख्या गरीबी की रेखा से नीचे का जीवन व्यतीत कर रही है तथा भारतीय अर्थव्यवस्था निर्धनता के दुश्चक्र में फंसी हुई है। जनसंख्या में तेजी से वृद्धि के कारण भारत में मकानों की समस्या गम्भीर रूप धारण करती जा रही है।
4. कीमतों में तीव्र वृद्धि – जनसंख्या में तीव्र वृद्धि से वस्तुओं की माँग लगातार बढ़ी है, किन्तु उत्पादन में उसी गति से वृद्धि नहीं हो पायी है। परिणामस्वरूप कीमतों में बड़ी तेजी से वृद्धि हुई है, जिससे सामान्य जनता को अनेक कष्ट उठाने पड़ रहे हैं।
5. कृषि विकास में बाधा – जनसंख्या में तीव्र वृद्धि के कारण भूमि पर जनसंख्या का भार और परिवारों के बड़े होने के कारण भूमि को उपविभाजन बढ़ता ही जा रहा है, जिससे खेतों का आकार छोटा तथा अनार्थिक होता जा रहा है। भूमिहीन किसानों की संख्या बढ़ रही है। साथ ही कृषि में छिपी हुई बेरोजगारी की समस्या भी प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।
6. बचत तथा पूँजी-निर्माण में कमी – जनसंख्या-वृद्धि के कारण बेरोजगार युवकों तथा बच्चों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। कमाने वाले लोगों को अपनी आय का एक बड़ा भाग बच्चों के पालन-पोषण पर खर्च करना पड़ता है। इससे बचत घटती है, जिसका पूँजी-निर्माण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। फलतः पूँजी की कमी के कारण विकास-योजनाएँ भी पूरी नहीं हो पातीं।
7. जनोपयोगी सेवाओं पर अधिक व्यय – जनसंख्या में तीव्र वृद्धि के कारण सरकार को उनकी आधारभूत आवश्यकताओं; जैसे–बिजली, परिवहन, चिकित्सा, शिक्षा, जल-आपूर्ति, भवन-निर्माण आदि पर लगातार अधिक धनराशि व्यय करनी पड़ती है।
8. अपराधों में वृद्धि – बेरोजगार लोगों की वृद्धि के कारण देश में चोरी, डकैती, अपहरण, राहजनी, हत्या आदि अपराधों में वृद्धि हो जाती है। सरकार को समाज में कानून तथा व्यवस्था बनाये रखने के लिए सुरक्षा पर अधिक धनराशि व्यय करनी पड़ती है। इससे सरकार पर बोझ बढ़ जाता है।
9. शहरी समस्याओं में वृद्धि – जनसंख्या में तीव्र वृद्धि के कारण लोग रोजगार पाने के लिए गाँवों को छोड़कर शहरों में आ रहे हैं, जिससे शहरों की जनसंख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। इससे शहरों में भीड़-भाड़, मकानों की कमी, गन्दगी व प्रदूषण, वेश्यावृत्ति आदि समस्याएँ तथा बुराइयाँ बढ़ती जा रही हैं।
प्रश्न 2.
भारत में जनसंख्या के वितरण को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारकों का उल्लेख कीजिए। [2011, 18]
या
भारत में जनसंख्या के असमान वितरण को प्रभावित करने वाले तीन कारणों का वर्णन कीजिए। [2013, 16]
या
भारत में जनसंख्या घनत्व को प्रभावित करने वाले किन्हीं दो कारकों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर :
जनसंख्या के वितरण-घनत्व को प्रभावित करने वाले कारक जनसंख्या के वितरण एवं घनत्व पर निम्नलिखित कारकों का प्रभाव पड़ता है
1. आवागमन के साधनों की सुविधा – जनाधिक्य के लिए आवागमन के साधने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं; उदाहरणार्थ-गंगा के मैदान या तटीय मैदानों अथवा डेल्टा प्रदेशों में जहाँ नगरों, सड़कों , एवं रेलमार्गों का जाल-सी बिछा होता है, वहाँ जनसंख्या अधिक होती है। पश्चिमी राजस्थान एवं दक्षिण प्रायद्वीप की उच्च भूमि पर आवागमन के साधनों की कमी के कारण जनसंख्या कम होती है।
2. स्वास्थ्यकर जलवायु – जनसंख्या वृद्धि के लिए किसी प्रदेश की जलवायु का स्वास्थ्यवर्द्धक होना अति आवश्यक है। यही कारण है कि जिन भागों में वर्षा अधिक होती है, वहाँ मलेरिया अथवा बुखार फैला रहता है; अत: वहाँ जनसंख्या बहुत ही कम निवास करती है।
3. सुरक्षा – जन-घनत्व जीवन तथा धन-सम्पत्ति की सुरक्षा पर भी निर्भर करता है। जिन क्षेत्रों में सघन वन हैं, जंगली-हिंसक पशु निवास करते हैं अथवा चोर-डाकुओं का भय बना रहता है, वहाँ पर बहुत कम लोग निवास करते हैं। इसके विपरीत जहाँ जान-माल की सुरक्षा होती है, वहाँ अधिक मानव निवास करना पसन्द करते हैं।
4. उपजाऊ भूमि – भारत में सबसे अधिक जनसंख्या उपजाऊ समतल मैदानों, नदियों की घाटियों या डेल्टाओं में निवास करती है; क्योंकि इन क्षेत्रों की उपजाऊ भूमि उन्हें पर्याप्त खाद्यान्न एवं जीविकोपार्जन के साधन प्रदान करती है। यही कारण है कि भारत में जनसंख्या का घनत्व उत्तर के विशाल मैदान और पूर्वी तथा पश्चिमी तटीय मैदानों में अधिक पाया जाता है।
5. तापमान – अत्यधिक गर्म या अत्यधिक शीतप्रधान क्षेत्रों में जनसंख्या कम निवास करना पसन्द करती है। यही कारण है कि भारत के सामान्य तापमान वाले प्रदेशों में घनी जनसंख्या निवास करती है। इसके विपरीत न्यून ताप वाले, उच्च ताप पर्वतीय भागों अथवा अत्यधिक ताप वाले थार के मरुस्थल में कम जनसंख्या निवास करती है।
6. उद्योग-धन्धे – उद्योग-धन्धे जनसंख्या के वितरण को सबसे अधिक प्रभावित करते हैं। उद्योग-धन्धों वाले क्षेत्रों में लोग रोजी-रोटी कमाने के उद्देश्य से दूर-दूर से आकर बस जाते हैं। फलत: इन क्षेत्रों में जनसंख्या को अत्यधिक केन्द्रीकरण होता है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश, पंजाब, दिल्ली, कर्नाटक, महाराष्ट्र तथा तमिलनाडु राज्य उद्योग-धन्धों के कारण ही घने बसे हुए हैं।
7. खनिज पदार्थ – जिन राज्यों में कोयला, लोहा, ताँबा, सोना, खनिज तेल आदि उपयोगी एवं बहुमूल्य खनिज पदार्थ निकाले जाते हैं, वहाँ जनसंख्या का घनत्व भी अपेक्षाकृत अधिक पाया जाता है। भारत में छोटा नागपुर का पठार, बिहार, ओडिशा तथा तमिलनाडु राज्यों में जैसे-जैसे खनिज पदार्थों का खनन होता गया वैसे-वैसे जनसंख्या के घनत्व में निरन्तर वृद्धि होती गयी है।
8. धरातल – धरातलीय बनावट एवं उसकी प्रकृति भी जनसंख्या के वितरण को प्रभावित करती है। ऊँचे, असमतल, पर्वतीय तथा पठारी क्षेत्रों की अपेक्षा मैदानी क्षेत्रों में घनी जनसंख्या पायी जाती है। यही कारण है कि प्रायद्वीपीय भारत की अपेक्षा उत्तर के विशाल मैदान में जनसंख्या का जमघट पाया जाता है। समतल मैदानी क्षेत्र जनसंख्या का पालना कहे जाते हैं।
9. वर्षा की मात्रा (जल-उपलब्धता) – भारत जैसे कृषिप्रधान देश में जनसंख्या का वितरण एवं घनत्व वर्षा की मात्रा अथवा जल उपलब्धता से भी प्रभावित होता है। यही कारण है कि 100 सेमी वर्षा रेखा के पश्चिमी भाग वर्षा की कमी के कारण कम घने हैं, जब कि इसके पूर्वी भाग कम वर्षा वाले होते हुए भी सिंचाई की सुविधा उपलब्ध रहने के कारण घने बसे हुए हैं।
प्रश्न 3.
भारत में जनसंख्या की वृद्धि हेतु उत्तरदायी कारकों की व्याख्या कीजिए।
या
भारत में जनसंख्या वृद्धि के छः कारणों की विवेचना कीजिए। [2015, 16]
या
भारत में जनसंख्या-वृद्धि के कारण बताइट। [2010, 17]
या
भारत में जनसंख्या-वृद्धि के लिए उत्तरदायी किन्हीं दो प्रमुख कारकों को स्पष्ट कीजिए। [2010, 12, 13]
या
भारत में बढ़ती जनसंख्या के किन्हीं पाँच कारकों का उल्लेख कीजिए। [2011, 16]
उत्तर :
जनसंख्या विस्फोट
सन् 1951 ई० के पश्चात् भारत में जनसंख्या की वृद्धि-दर बहुत तीव्र हो गयी। सन् 1951-61 ई० के दौरान दशकीय वृद्धि की दर 21.5% थी, जो 1961-71 ई० में बढ़कर 24.8% हो गयी। सन् 1981-91 ई० के दशक में वृद्धि की दर कुछ घटकर 21.4% हो गयी। सन् 2011 ई० में भारत की जनसंख्या 121 करोड़ से अधिक तथा दशकीय वृद्धि दर 21.34% हो गयी है। इतनी विशाल जनसंख्या के पोषण के लिए देश में सीमित साधन उपलब्ध हैं; अतः भारत में जनसंख्या की वृद्धि एक महा-विस्फोट के रूप में दिखायी दे रही है। इस प्रकार जनसंख्या का विस्फोट’ वह स्थिति है। जब जनसंख्या भरण-पोषण के साधनों की सीमा से अधिक हो जाए।
जनसंख्या में तीव्र वृद्धि के कारण
सन् 1951 ई० में भारत की जनसंख्या 36.11 करोड़ थी, जो वर्तमान समय में बढ़कर 121 करोड़ से अधिक हो गयी है। इस प्रकार गत 55 वर्षों में देश की जनसंख्या बढ़कर तीन गुनी से भी अधिक हो गयी है। भारत की जनसंख्या में तीव्र गति से वृद्धि के लिए निम्नलिखित कारण उत्तरदायी हैं
1. गर्म जलवायु – भारत की जलवायु गर्म है। यहाँ लड़के-लड़कियाँ छोटी आयु में ही वयस्क हो जाते हैं तथा वे कम आयु में ही सन्तान को जन्म देने योग्य हो जाते हैं।
2. विवाह की अनिवार्यता – भारत में विवाह को एक सामाजिक अनिवार्यता समझा जाता है। अविवाहित व्यक्ति को सन्देह की दृष्टि से देखा जाता है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति विवाह करता है। इससे भी जन्म-संख्या बढ़ती है।
3. कम आयु में विवाह – भारत में विवाह प्रायः बहुत कम आयु में कर दिये जाते हैं। 90 प्रतिशत लड़कियों का विवाह तो 20 वर्ष से कम की आयु में ही कर दिया जाता है। इससे स्त्रियों की प्रजनन-अवधि बढ़ जाती है।
4. सामाजिक एवं धार्मिक विचार – देश में कुछ धर्मों के लोग परिवार नियोजन को धर्म के विरुद्ध और सन्तान को ईश्वरीय देन मानते हैं। वंश चलाने के लिए भी पुत्र का होना आवश्यक माना जाता है। अत: लोग पुत्र-प्राप्ति इच्छा में कन्या सन्तति उत्पन्न करते जाते हैं। इस प्रकार के विचार तथा अन्धविश्वास जनसंख्या-वृद्धि में सहायक सिद्ध हुए हैं।
5. निरक्षरता – देश की अधिकांश जनसंख्या अशिक्षित है। इन अशिक्षित लोगों को परिवार नियोजन के महत्त्व का ज्ञान ही नहीं होता। परिवार नियोजन के उपायों के प्रति संकोच, लज्जा तथा निराधार शंकाओं के कारण भी अधिकांश दम्पति प्रजनन को नहीं रोकते।
6. मृत्यु – दर में कमी तथा औसत आयु में वृद्धि देश में शिक्षा, चिकित्सा तथा स्वच्छता सम्बन्धी सुविधाओं में वृद्धि होने से मृत्यु-दर में कमी हुई है। सन् 1951 ई० में मृत्यु-दर 27.4 थी, जो 2001 ई० में घटकर 8.7 तथा 2011 ई० में 6.4% हो गयी। सन् 1951 ई० में देश में औसत आयु 33 वर्ष थी, जो 2001 ई० में बढ़कर लगभग 61 वर्ष तथा 2011 ई० में 69.89 वर्ष हो गयी। निस्सन्देह मृत्यु-दर में कमी तथा औसत आयु में वृद्धि होना देश की उपलब्धियाँ हैं, किन्तु अभी तक जन्म-दर को नियन्त्रित नहीं किया जा सका है, जिससे जनसंख्या में वृद्धि होती जा रही है।
7. निर्धनता – निर्धन व्यक्तियों को बच्चों के पालन-पोषण पर बहुत कम खर्च करना पड़ता है। फिर उनके बच्चे कम आयु में ही छोटा-मोटा काम करके कुछ अर्जित करने लगते हैं। इसलिए वे अधिक बच्चों के जन्म की बुराइयों को समझ नहीं पाते और सन्तानोत्पत्ति करते रहते हैं।
8. स्त्रियों की निम्न सामाजिक स्थिति – भारत में स्त्रियों की सामाजिक स्थिति अत्यधिक निम्न है। इन्हें मुख्यतया सन्तान उत्पन्न करने का साधन माना जाता है।
9. सुरक्षा की भावना – वृद्धावस्था में सामाजिक सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं होने के कारण लोग यह सोचकर अधिक सन्तान उत्पन्न करते हैं कि वृद्धावस्था में सन्तान उनकी सहायता करेगी।
10. शरणार्थियों का आगमन – पाकिस्तान तथा बांग्लादेश से आये करोड़ों शरणार्थियों के कारण भी देश के ऊपर जनसंख्या का बोझ बढ़ा है। इसके अतिरिक्त, गत कुछ वर्षों में श्रीलंका, मलाया, अफगानिस्तान तथा म्यांमार से भी बड़ी संख्या में लोग भारत आये हैं।
प्रश्न 4.
मानवीय संसाधन से आप क्या समझते हैं? यह देश के आर्थिक विकास में कैसे सहायक हो सकते हैं ? उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर :
मानवीय संसाधन
प्रत्येक देश की सम्पदा मुख्यतया दो भागों में विभाजित की जाती है– (i) प्राकृतिक संसाधन; जैसे-भूमि, खनिज पदार्थ, जल, वन, पशु आदि तथा
(ii) मानवीय संसाधन अर्थात् जनसंख्या। मानवीय संसाधन का अर्थ किसी देश में निवास करने वाली जनसंख्या से लगाया जाता है। किसी देश के आर्थिक विकास में उसके मानवीय संसाधनों (जनसंख्या) की अत्यन्त महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। मानवीय संसाधन के अन्तर्गत देश की जनसंख्या के आकार के अतिरिक्त उसकी कुशलता, शिक्षा, उत्पादकता तथा दूरदर्शिता को सम्मिलित किया जाता है। नि:सन्देह जनसंख्या के आकार की दृष्टि से भारत एक सौभाग्यशाली देश है, किन्तु देश में कुशल, शिक्षित तथा प्रशिक्षित कार्यशील जनसंख्या की अत्यधिक कमी है। साथ ही देश में जनाधिक्य की समस्या भी विद्यमान है। इसीलिए भारतीय मानवीय संसाधन देश के आर्थिक विकास के लिए समुचित नहीं माने जाते।
मानव संसाधन और आर्थिक विकास
किसी देश की सम्पूर्ण जनसंख्या को मानव संसाधन नहीं कहा जाता, अपितु जनसंख्या के केवल उस भाग को मानव संसाधन कहा जाता है जो शिक्षित हो, कुशल हो तथा जिसमें अर्जन या उत्पादन करने की क्षमता हो। इस प्रकार मानव संसाधन वह मानव पूंजी है, जिसे प्राकृतिक साधनों में लगाकर देश को आर्थिक विकास किया जाता है। दूसरे शब्दों में, यह भी कह सकते हैं कि देश के सम्पूर्ण मानव संसाधन को तो जनसंख्या कही जा सकता है, किन्तु पूरी जनसंख्या को मानव संसाधन नहीं कहा जा सकता।
पर्यावरण या प्राकृतिक संसाधन से आशय उन सभी प्राकृतिक वस्तुओं से लिया जाता है, जो हमारे चारों ओर व्याप्त हैं। ये वस्तुएँ हैं-पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, वनस्पति व जीव-जन्तु।
प्रकृति ने भारत को प्राकृतिक या पर्यावरणीय संसाधन उपहार के रूप में बड़ी उदारता से प्रदान किये हैं तथा इन पर्यावरणीय संसाधनों का सदुपयोग करने के लिए विशाल जनसंख्या भी दी है, किन्तु हमारी अधिकांश जनसंख्या मानव संसाधन के रूप में नहीं है। अत: हम अपने अपार पर्यावरणीय संसाधनों का उपयोग देश के विकास में उतना नहीं कर पा रहे हैं जितना कि करना चाहिए।
इसी प्रकार, यदि किसी देश के पास पर्यावरणीय या प्राकृतिक संसाधन तो हों, किन्तु उन संसाधनों का दोहन या उपयोग करने के लिए पर्याप्त मानवीय संसाधन; अर्थात् कुशल जनसंख्या न हो तो वह देश अपने प्राकृतिक संसाधनों से देश के आर्थिक विकास के लिए कोई लाभदायक कदम नहीं उठा सकता। अतः स्पष्ट है कि किसी भी देश के आर्थिक विकास के लिए केवल प्राकृतिक संसाधनों का होना ही पर्याप्त नहीं है, अपितु उनके साथ-साथ मानवीय संसाधनों; अर्थात् कुशल जनसंख्या का होना भी जरूरी है।
प्रश्ग 5.
पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियों की संख्या में गिरावट के प्रमुख कारणों की व्याख्या कीजिए।
या
भारत में पुरुषों की तुलना में स्त्रियों की संख्या कम क्यों है ? कोई दो कारण लिखिए।
उत्तर :
जनसंख्या के दो विशिष्ट अंग हैं-स्त्री एवं पुरुष। दोनों के बीच संख्यात्मक अनुपात को ‘स्त्री-पुरुष अनुपात’ कहा जाता है। इसे प्रति हजार पुरुषों पर स्त्रियों की संख्या के रूप में व्यक्त किया जाता है। जनसंख्या के अध्ययन में स्त्री-पुरुष के अनुपात का अध्ययन अति महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि इसके परिवर्तन से देश की सामाजिक-आर्थिक स्थिति प्रभावित होती है। भारत में पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियों की संख्या लगातार घटती ही जा रही है। 2011 ई० की जनगणना के अनुसार भारत में 623,724,248 पुरुष तथा 586,469,174 स्त्रियाँ हैं।
नीचे दी गई तालिका में पिछले कुछ दशकों का लैंगिक अनुपात (प्रति 1000 पुरुषों पर स्त्रियों की संख्या) दिखाया गया है

उपर्युक्त तालिका बताती है कि विगत 110 वर्षों में पुरुषों के अनुपात में स्त्रियों की संख्या न केवल कम रही है वरन् निरन्तर घटती ही जा रही है। इसके निम्नलिखित कारण रहे हैं
- स्त्रियों की अपेक्षा पुरुषों की अधिक जन्म लेना।
- बचपन में लड़कों की अपेक्षा लड़कियों की देखभाल कम होना।
- बाल-विवाह होना और उसके कारण छोटी आयु में प्रसव के कारण मृत्यु होना।
- प्रसूतावस्था में समुचित देखभाल व चिकित्सा के अभाव से स्त्रियों की मृत्यु होना (विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों अथवा गरीब वर्गों में)।
- गर्भावस्था में लैंगिक जाँच कराना तथा गर्भ में लड़की होने की स्थिति में गर्भपात करा देना।
प्रश्न 6.
भारत में जनसंख्या नियन्त्रण हेतु किये गये उपायों का वर्णन कीजिए। [2017]
या
भारत में बढ़ती जनसंख्या नियन्त्रण के कोई छः उपाय सुझाइट। [2015, 16]
या
भारत में जनसंख्या नियन्त्रण के तीन उपाय बताइट। [2014, 18]
या
जनसंख्या वृद्धि नियन्त्रण पर टिप्पणी लिखिए। [2014]
या
भारत में जनसंख्या नियन्त्रण हेतु चार उपाय सुझाइट। [2011, 12, 13]
या
भारत में बढ़ती हुई जनसंख्या के किन्हीं तीन प्रभावों की विवेचना कीजिए। [2016]
उत्तर :
जनसंख्या-वृद्धि कों नियन्त्रित करने के उपाय।
भारत में जनसंख्या-वृद्धि को रोकने के निम्नलिखित उपाय किये जा सकते हैं
1. विवाह की आयु में वृद्धि करना – भारत में युवक-युवतियों के विवाह छोटी आयु में करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। दोनों के पूर्ण वयस्क हो जाने पर विवाह करने की छूट होनी चाहिए। विवाह जितनी अधिक आयु में किया जाएगा, बच्चे भी उतने ही कम उत्पन्न होंगे। अधिक आयु में विवाह करने के कारण युवतियाँ शिक्षा प्राप्त करेंगी या फिर उनकी रुचि सांस्कृतिक एवं सामाजिक कार्यों के प्रति आकर्षित होगी। अभी भारत में विवाह की आयु 21 वर्ष और 18 वर्ष निश्चित है। इसे कम-से-कम पाँच वर्ष और बढ़ाया जाना चाहिए।
2. उत्पादन में वृद्धि करना – आर्थिक उत्पादन में वृद्धि करने से मानव की रुचि एवं भौतिक समृद्धि में वृद्धि के साथ-साथ रहन-सहन के स्तर में भी वृद्धि होती है। भारत के कृषि उत्पादन में वृद्धि होने की अभी पर्याप्त सम्भावनाएँ विद्यमान हैं। अत: यदि देश में प्रति एकड़ उपज बढ़ा ली जाती है तो उससे बढ़ती हुई जनसंख्या की खाद्यान्न आवश्यकता की पूर्ति की जा सकती है।
3. औद्योगीकरण का विकास – पंचवर्षीय योजनाओं के माध्यम से देश में उद्योग-धन्धों का विकास किया जा रहा है। इससे बढ़ती हुई जनसंख्या को आजीविका के साधन प्राप्त होंगे तथा आर्थिक स्थिति भी सुधरेगी। इसके साथ-साथ परिवहन, संचार, व्यापार आदि कार्यों में भी विकास होगा।
4. शिक्षा का प्रचार एवं प्रसार – शिक्षा के प्रचार एवं प्रसार द्वारा विज्ञान एवं तकनीकी के अधिकाधिक प्रयोग से मानव का जीवन-स्तर उच्च हो सकेगा तथा शिक्षित जनसंख्या की मनोवृत्ति भी जनसंख्या-वृद्धि की ओर कम होगी।
5. परिवार-नियोजन एवं जन्म – दर पर नियन्त्रण – जनसंख्या वृद्धि का स्थायी समाधान तो परिवार नियोजन एवं जन्म-दर पर नियन्त्रण करना है। नसबन्दी, बन्ध्याकरण एवं गर्भनिरोधक गोलियों एवं औषधियों का प्रयोग इस दिशा में अधिक कारगर है। इन विधियों के प्रचार-प्रसार द्वारा भी जन्म-दर पर नियन्त्रण पाया जा सकता है और जनसंख्या वृद्धि को रोकने का स्थायी समाधान खोजा जा सकता
6. उपर्युक्त उपायों के अतिरिक्त देश में गरीबी को नियन्त्रित करके, लड़के-लड़कियों में समानता के व्यवहार द्वारा, सरकारी नीति और सन्तति सुधार कार्यक्रमों को लागू करके, स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार और सामाजिक सुरक्षा के विकास द्वारा भी जनसंख्या-वृद्धि को कुछ हद तक नियन्त्रित किया जा सकता है।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
भारत में विरल जनसंख्या वाले क्षेत्र कौन-कौन-से हैं ? उनके विरल होने के कारणों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर :
भारत में विरल जनसंख्या वाले क्षेत्र तथा उनके विरल होने के कारण निम्नलिखित हैं
1. उत्तरी पर्वतीय प्रदेश – विरल जनसंख्या का यह क्षेत्र उत्तर-पश्चिम में जम्मू-कश्मीर राज्य से लेकर हिमाचल प्रदेश, उत्तराखण्ड, सिक्किम तथा अरुणाचल प्रदेश तक फैला हुआ है। इसकी विरल जनसंख्या के कारण -पर्वतीय भूमि, ऊबड़-खाबड़ धरातल, मिट्टी की पतली परत के कारण कृषि-योग्य भूमि का अभाव तथा जलवायु का मानव के रहने के प्रतिकूल होना।
2. सघन वर्षा वाला उत्तर – पूर्वी प्रदेश–इस प्रदेश के अन्तर्गत नागालैण्ड, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा एवं मेघालय राज्य आते हैं। इसकी विरल जनसंख्या के कारण हैं-अत्यधिक वर्षा के कारण सदाबहार वनों का सघन आवरण, अनुपजाऊ लैटेराइट मिट्टी तथा सघन वनों के कारण कृषि, उद्योग, परिवहन तथा आजीविका के साधनों की कमी।
3. पश्चिमी राजस्थान – विरल जनसंख्या के कारण हैं-वर्षा की अत्यन्त कमी, कृषि एवं आजीविका साधनों का अभाव।
4. प्रायद्वीपीय पठार का वृष्टिछाया प्रदेश एवं कच्छ का रन – विरल जनसंख्या के कारण हैं—प्रायद्वीपीय पठार के वृष्टिछाया प्रदेश में वर्षा की कमी के कारण खाद्यान्नों की कम पैदावार, क्षारीय मिट्टी वाला एवं दलदली क्षेत्र कच्छ का रन।
प्रश्न 2.
1951 के पश्चात् भारत में जनसंख्या-वृद्धि की प्रवृत्ति का वर्णन कीजिए तथा वृद्धि का प्रमुख कारण भी लिखिए।
उत्तर :
सन् 1951 के पश्चात् भारत में जनसंख्या की वृद्धि तेज गति से हुई है। यहाँ सन् 1951 ई० में 36.1 करोड़ जनसंख्या निवास कर रही थी जो सन् 2011 ई० में बढ़कर 121.02 करोड़ हो गई। सन् 2001-2011 की अवधि में वार्षिक जनसंख्या-वृद्धि की औसत दर 1.90% रही है। जनसंख्या में इस तेज वृद्धि दर का प्रमुख कारण जन्म-दर और मृत्यु-दर एवं मृत्यु-दर के अन्तराल में वृद्धि का होना है। देश में मृत्यु-दर में हुई भारी कमी के कारण जन्म-दर एवं मृत्य-दर के बीच का अन्तर बहुत बढ़ गया है, जिसके कारण जनसंख्या में तेज गति से वृद्धि हुई है।
प्रश्न 3.
जनसंख्या-वृद्धि रोकने के किन्हीं दो सरकारी कार्यक्रमों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर :
जनसंख्या वृद्धि के नियन्त्रण के दो सरकारी कार्यक्रम निम्नलिखित हैं
1. स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार – सरकार ने देशवासियों की आर्थिक क्षमता को बनाए रखने के लिए उनकी चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सुविधाओं पर विशेष ध्यान दिया है तथा खण्ड विकास स्तर पर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र तथा परिवार नियोजन केन्द्रों की स्थापना कर दी गई है। इन सुविधाओं का विस्तार ग्राम स्तर तक किया गया है जिससे देशवासियों को अच्छी-से-अच्छी चिकित्सा सुविधाएँ मिल सकें। स्वास्थ्य सेवक एवं सेविकाएँ ग्राम-ग्राम जाकर विशेष रूप से महिलाओं में परिवार नियोजन सम्बन्धी कार्यक्रमों का प्रचार-प्रसार करती हैं।
2. शिक्षा का प्रचार-प्रसार – परिवार के आकार को सीमित रखने के लिए शिक्षा का प्रचार-प्रसार महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है। इससे मानव अत्यधिक उत्तरदायी एवं विवेकपूर्ण हो जाता है तथा जीवन के प्रति बुद्धिसंगत एवं तर्कपूर्ण दृष्टिकोण रखने लगता है। इसी कारण सरकार ने देश में अनिवार्य शिक्षा नीति, सर्वशिक्षा अभियान, प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रम तथा अन्य अनेक कार्यक्रम लागू किए हैं। इससे महिलाओं को आर्थिक स्वतन्त्रता प्राप्त होगी तथा वे परिवार कल्याण के प्रति स्वतः ही सजग हो सकती हैं। परन्तु अनेक कार्यक्रम लागू करने के उपरान्त भी देश में साक्षरता 74.04% (2011 ई०) ही हो पाई है जिसमें महिला साक्षरता का अनुपात 65.46% है। अतः देश में व्यापक स्तर पर शिक्षा का प्रचार-प्रसार करना अति आवश्यक है तथा उसमें भी महिला साक्षरता में वृद्धि करना अनिवार्य है।
प्रश्न 4.
भारत के उस प्रदेश का नाम लिखिए, जहाँ जनसंख्या का घनत्व सर्वाधिक है। वहाँ घनत्व अधिक होने के तीन कारणों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर :
दिल्ली भारत का सर्वाधिक जनसंख्या घनत्व वाला प्रदेश है, जहाँ घनत्व 11,297 है। इसके पश्चात् सर्वाधिक जन-घनत्व वाला प्रदेश चण्डीगढ़ है, जहाँ घनत्व 9,252 है। केन्द्रशासित प्रदेश और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र को छोड़कर भारत के सभी राज्यों में पश्चिम बंगाल सर्वाधिक जनसंख्या घनत्व वाला राज्य है, जहाँ घनत्व 1,029 है। दोनों ही क्षेत्रों में अधिक घनत्व के तीन कारण निम्नलिखित हैं
- परिवहन की सुविधाएँ,
- उद्योग-धन्धों का विकास तथा
- धरातल तथा वर्षा की मात्रा।
प्रश्न 5.
भारत की जनसंख्या नीति का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
उत्तर :
जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए दो सरकारी कार्यक्रमों का विवरण निम्नवत् है
1. प्रजनन और बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम – दिनांक 10 अक्टूबर, 1997 को शुरू किये गये इस कार्यक्रम में जनन क्षमता के नियन्त्रण, सुरक्षित मातृत्व, बाल उत्तरजीविता और जननांग संक्रमण को सम्मिलित किया गया है। इस कार्यक्रम को मुख्यतया प्राथमिक स्वास्थ्य देख-रेख के आधारभूत ढॉचे। के द्वारा कार्यान्वित किया जाता है। स्वतन्त्र रूप से किये गये सर्वेक्षण से पता चलता है कि नवीं पंचवर्षीय योजना की अवधि में इस कार्यक्रम के कुछ पहलुओं के सम्बन्ध में निर्धारित लक्ष्यों को कुछ राज्यों ने प्राप्त कर लिया है।
2. राष्ट्रीय जनसंख्या नीति-2000 – जनसंख्या के इस कार्यक्रम में जनसंख्या के आकार को सीमित रखने के साथ ही जनसंख्या में गुणात्मक सुधार लाना आवश्यक समझा गया है। इस नीति में निम्नलिखित तीन उद्देश्यों को प्राथमिकता दी गयी है
- तात्कालिक उद्देश्य अर्थात् गर्भनिरोधक तरीकों का विस्तार,
- अल्पकालिक उद्देश्य अर्थात् सन् 2010 तक जन्म-दर में कमी करना तथा
- दीर्घकालिक उद्देश्य अर्थात् सन् 2045 तक जनसंख्या-वृद्धि को स्थिर बिन्दु तक लाना, जिससे देश की आर्थिक विकास तेजी से किया जा सके।
प्रश्न 6.
भारत का जनसंख्या के आधार पर वर्गीकरण कीजिए तथा उनमें से किसी एक का वर्णन कीजिए। [2018]
उत्तर :
भारत में जनसंख्या के वितरण को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है
- उच्च घनत्व के क्षेत्र (300 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी से अधिक)।
- मध्यम घनत्व के क्षेत्र (100-300 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी)।
- कम घनत्व के क्षेत्र (100 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी से कम)।
उच्च घनत्व के क्षेत्र – राज्यवार जनसंख्या के घनत्व की दृष्टि से पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, केरल, बिहार, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडू, पंजाब, झारखण्ड, हरियाणा, त्रिपुरा, असोम, गुजरात, आन्ध्र प्रदेश, कर्नाटक तथा गोवा राज्य और दिल्ली, चण्डीगढ़, लक्षद्वीप, पुदुचेरी, दमन एवं दीव, दादर एवं नगर हवेली के केन्द्रशासित क्षेत्र इस वर्ग में आते हैं। इन राज्यों तथा क्षेत्रों में अनेक प्रादेशिक तथा क्षेत्रीय विषमताएँ मिलती हैं। इस क्षेत्र में पर्याप्त वर्षा, भूमिगत जल-संसाधन, उर्वर जलोढ़ समतल भूमि, उन्नत कृषि, औद्योगिक विकास तथा परिवहन जाल के कारण जनसंख्या का उच्च घनत्व पाया जाता है।
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
स्त्री-पुरुष अनुपात से क्या तात्पर्य है?
उत्तर :
जनसंख्या के दो विशिष्ट अंग हैं-स्त्री एवं पुरुष। दोनों के बीच संख्यात्मक अनुपात को ‘स्त्री-पुरुष अनुपात’ कहा जाता है।
प्रश्न 2.
विश्व में सर्वाधिक जनसंख्या वाले दो देशों के नाम लिखिए।
उत्तर :
विश्व में सर्वाधिक जनसंख्या वाले दो देश हैं—
- चीन तथा
- भारत।
प्रश्न 3.
अनुकूलतम जनसंख्या से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर :
जनसंख्या व संसाधनों के मध्य आदर्श स्थिति को ‘अनुकूलतम जनसंख्या कहा जाता है।
प्रश्न 4.
कार्यशील जनसंख्या से आप क्या समझते हैं? [2013]
उत्तर :
कार्यशील जनसंख्या, जनसंख्या का वह भाग है जो कार्य करने में सक्षम है तथा कार्य करने का इच्छुक भी है। इसमें 14 वर्ष से 62 वर्ष तक की आयु के व्यक्ति आते हैं।
प्रश्न 5.
मानव संसाधन से क्या तात्पर्य है? [2015, 17]
उत्तर :
किसी भी देश में पायी जाने वाली कुशल एवं शिक्षित जनसंख्या को मानव संसाधन कहते हैं।
प्रश्न 6.
लिंगानुपात से आप क्या समझते हैं? भारत के किस राज्य में लिंगानुपात सबसे कम है? [2016]
उत्तर :
जनसंख्या के विशिष्ट अंग हैं-स्त्री एवं पुरुष। दोनों के बीच संख्यात्मक अनुपात को स्त्री-पुरुष अनुपात या लिंगानुपात कहा जाता है। सबसे कम लिंगानुपात दमन और दीव में पाया जाता है।
प्रश्न 7.
जनसंख्या घनत्व से आप क्या समझते हैं? सन् 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की जनसंख्या का घनत्व क्या है? [2014]
या
जनसंख्या के घनत्व से आप क्या समझते हैं? भारत के किस राज्य का जनसंख्या घनत्व सबसे कम है? [2016, 17]
या
जनसंख्या घनत्व का क्या अभिप्राय है? [2011, 17]
उतर :
किसी स्थान पर प्रति वर्ग किमी क्षेत्र में रहने वाले व्यक्तियों की संख्या को जनसंख्या का घनत्व कहते हैं। सन् 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की जनसंख्या का घनत्व 382 प्रति वर्ग किमी है। अरुणाचल प्रदेश का जनसंख्या घनत्व सबसे कम है।
बहुविकल्पीय प्रश्न
1. निम्नलिखित में से कौन-सा राज्य सबसे घना बसा है? [2012]
(क) केरल
(ख) पश्चिम बंगाल
(ग) महाराष्ट्र
(घ) बिहार
2. 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में साक्षरता का प्रतिशत है [2012, 13]
(क) 54
(ख) 56
(ग) 60
(घ) 74.04
3. जननी सुरक्षा योजना का उद्देश्य है [2012]
(क) महिला सशक्तीकरण को प्रोत्साहन देना
(ख) महिला साक्षरता को प्रोत्साहन देना
(ग) महिलाओं में स्वयं सहायता समूह बनाना
(घ) सरकारी अस्पतालों में शिशु-जन्म को प्रोत्साहन देना
4. सर्वाधिक जनसंख्या वाला राज्य कौन-सा है? [2014]
(क) उत्तर प्रदेश
(ख) ओडिशा
(ग) बिहार
(घ) पश्चिम बंगाल
5. निम्न में से किस राज्य में सर्वाधिक जनसंख्या घनत्व पाया जाता है? [2014, 18]
या
निम्नलिखित राज्यों में से किस राज्य की जनसंख्या का घनत्व भारत की जनगणना 2011 के अनुसार सर्वाधिक है? [2016]
(क) सिक्किम
(ख) मिजोरम
(ग) अरुणाचल प्रदेश
(घ) पश्चिम बंगाल
6. 2011 की जनगणना के अनुसार प्रति एक हजार पुरुषों पर महिलाओं की संख्या कितनी [2013]
या
की जनगणना के अनुसार भारत में लिंगानुपात है [2015]
(क) 931
(ख) 935
(ग) 940
(घ) 933
7. 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की कुल आबादी कितनी है?
(क) 101.7 करोड़
(ख) 121 करोड़
(ग) 100.8 करोड़
(घ) 102.8 करोड़
8. 2001 की जनगणना के अनुसार भारत में जनसंख्या का घनत्व क्या है?
(क) 327
(ख) 319
(ग) 324
(घ) 382
9. जनसंख्या-वृद्धि पर नियन्त्रण का सर्वोत्तम उपाय क्या है?
(क) परिवार नियोजन
(ख) औद्योगिक विकास
(ग) शिक्षा का प्रसार
(घ) गरीबी उन्मूलन
10. निम्नलिखित में से किस राज्य में जनसंख्या घनत्व न्यूनतम पाया जाता है? [2013]
(क) केरल
(ख) आन्ध्र प्रदेश
(ग) राजस्थान
(घ) बिहार
11. [2001] की जनगणना के अनुसार भारत में लिंगानुपात है [2013, 15, 18]
(क) 970
(ख) 890
(ग) 940
(घ) 933
12. जनगणना वर्ष 2011 के अनुसार भारत का जनघनत्व है [2014]
(क) 322
(ख) 382
(ग) 402
(घ) 198
13. निम्न में से किस राज्य में सर्वाधिक महिला साक्षरता पायी जाती है? [2014, 15, 17]
(क) उत्तर प्रदेश
(ख) पंजाब
(ग) केरल
(घ) छत्तीसगढ़
14. कुल जनसंख्या की दृष्टि से भारत का विश्व में कौन-सा स्थान है? कान-सा स्थान है? [2015]
(क) पाँचवाँ
(ख) दूसरा
(ग) सातवाँ
(घ) नौवाँ
15. भारत की जनगणना, 2011 के अनुसार भारत की जनसंख्या है- [2016, 17, 18]
(क) 122, 09, 84, 212
(ख) 121, 01, 93, 422
(ग) 119, 01, 84, 822
(घ) 120, 19, 35, 822 :
उतारमला
1. (ख), 2. (घ), 3. (घ), 4. (क), 5. (घ), 6. (ग), 7. (ख), 8. (ग), 9. (क), 10. (ग), 11. (घ), 12. (ख), 13. (ग), 14. (ख) 15. (ख)।