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CTET NOTES IN HINDI | पद्यांश

CTET NOTES IN HINDI | पद्यांश

पद्यांश 21
मन मोहनी प्रकृति की गोद में जो बसा है।
सुख स्वर्ग-सा जहाँ है वह देश कौन-सा है।।
जिसका चरण निरन्तर रतनेश धो रहा है।
जिसका मुकुट हिमालय वह देश कौन-सा है।।
नदियाँ जहाँ सुधा की धारा बहा रही हैं।
सींचा हुआ सलोना वह देश कौन-सा है।।
जिसके बड़े रसीले फल कन्द नाज मेवे।
सब अंग में सजे हैं वह देश कौन-सा है।।                    रामनरेश त्रिपाठी
1. कवि के अनुसार ‘रतनेश’ किसको कहा गया है?
(1) रतन को
(2) इन्द्र को
(3) सागर को
(4) वर्षा जल को
2. यहाँ ‘सब अंग में सजे हैं’ का आशय है
(1) शरीर के प्रत्येक भाग में सजे हैं
(2) देश के प्रत्येक भू-भाग में सजे हैं
(3) अंग-अंग में सजे हैं
(4) उपरोक्त में से कोई नहीं
3. मुकुटरूपी क्या है?
(1) स्वर्ग
(2) मनमोहक प्रकृति
(3) रतन जड़ित भू-भाग
(4) हिमालय
4. ‘सुधा’ शब्द का पर्यायवाची है
(1) मेघ
(2) सुधांशु
(4) सोम
(3) मधु
5. ‘रसीले’ में प्रत्यय है
(1) रस
(2) ईले
(3) ले
(4) र
6. मन मोहनी प्रकृति है
(1) वह दृश्य जिसे भूला नहीं जा रहा
(2) मन को मोह लेने वाली प्रकृति
(3) आकर्षक जहान
(4) सुख-स्वर्ग से सम्पन्न
पद्यांश 22
मनु नहीं, मनु-पुत्र है यह सामने, जिसकी
कल्पना की जीभ में भी धार होती है,
बाण ही होते विचारों के नहीं केवल,
स्वप्न के भी हाथ में तलवार होती है।
स्वर्ग के सम्राट को जाकर खबर कर दे
रोज ही आकाश चढ़ते जा रहे हैं वे,
रोकिए, जैसे बने इन स्वप्नवालों को,
स्वर्ग की ही ओर बढ़ते आ रहे हैं वे
1. कवि के अनुसार किसकी जीभ में तेज धार होती है?
(1) स्वप्न की
(2) विचारों की
(3) कल्पना की
(4) स्वर्ग की
2. किसके हाथ में तलवार होती है?
(1) कल्पना के
(2) स्वप्नवालों के
(3) विचारों के
(4) स्वप्न के
3. कौन स्वर्ग की ओर बढ़ते चले जा रहे हैं?
(1) सम्राट
(2) स्वर्ग के सम्राट
(3) आकाश
(4) स्वप्न वाले
4. मनु-पुत्र में समास है
(1) अव्ययीभाव
(2) द्विगु
(3) सम्बन्ध तत्पुरुष
(4) द्वन्द्व
5. ‘आकाश’ शब्द का विलोम है
(1) नभ
(2) क्षोभ
(3) पृथ्वी
(4) पाताल
6. ‘स्वप्न के भी हाथ में तलवार होती है’ पंक्ति में अलंकार है
(1) विशेषोक्ति
(2) विभावना
(3) दृष्टांत
(4) मानवीकरण
पद्यांश 23
उपयुक्त उस खल को न यद्यपि मृत्यु का भी दण्ड है,
पर मृत्यु से बढ़कर न जग में दण्ड और प्रचण्ड है।
अतएव कल उस नीच को रण-मध्य जो मारूँ न मैं,
तो सत्य कहता हूँ कभी शस्त्रास्त्र फिर धारूँ न मैं।
अथवा अधिक कहना वृथा है, पार्थ का प्रण है यही,
साक्षी रहे सुन ये बचन रवि, शशि, अनल, अम्बर, मही।
सूर्यास्त से पहले न जो मैं कल जयद्रथ-वध करूँ,
तो शपथ करता हूँ स्वयं मैं ही अनल में जल मरूँ।         मैथिलीशरण गुप्त
1. ‘खल’ शब्द का विपरीतार्थक है
(1) नायक
(2) दुष्ट प्रवृत्ति का
(3) योद्धा
(4) दण्ड
2. ‘कभी शस्त्रास्त्र फिर धारूँ न मैं’ पंक्ति का भावार्थ है
(1) युद्ध न करना
(2) राजभवन में बैठना
(3) आत्मदाह करना
(4) क्षत्रिय धर्म का त्याग
3. ‘वृथा’ शब्द का समानार्थक है
(1) उचित
(2) व्यर्थ
(3) पाप
(4) प्रण
4. पार्थ की क्या प्रतिज्ञा है?
(1) दुष्ट को मारने की
(2) जयद्रथ-वध करने की
(3) अस्त्र-शस्त्र धारण करने की
(4) आग में जलाकर मारने की
5. रवि, शशि, अनल, अम्बर एवं मही के पर्यायवाची क्रमशः हैं
(1) सूर्य, रात्रि, वायु, आकाश, पाताल
(2) सूर्य, चन्द्रमा, वायु, आकाश, पाताल
(3) सूर्य, रात्रि, अग्नि, आंकाश, पाताल
(4) सूर्य, चन्द्रमा, अग्नि, आकाश, पृथ्वी
6. जयद्रथ को युद्ध-क्षेत्र के मध्य न मारने पर पार्थ क्या शपथ लेता है?
(1) जल में मरने की
(2) मृत्युदण्ड की
(3) आत्मदाह करने की
(4) इनमें से कोई नहीं
पद्यांश 24
नन्ही-सी नदी हमारी टेढ़ी-मेढ़ी धार,
गर्मियों में घुटने भर भिगो कर जाते पार।
पार जाते ढोर-डॅगर बैलगाड़ी चालू,
ऊँचे हैं किनारे इसके, पाट इसका ढालू।
पेटे में झकाझक बालू कीचड़ का न नाम,
काँस फूले एक पार उजले जैसे घाम।
दिन भर किचपिच-किचपिच करती मैना डार-डार,
रातों को हुआँ-हुआँ कर उठते सियार।                 रवीन्द्रनाथ ठाकुर
1. ‘घाम’ शब्द का अर्थ क्या होगा?
(1) निवास
(2) धूप
(3) दिन
(4) आश्रम
2. ‘किचपिच-किचपिच करती मैना’ से तात्पर्य है
(1) मैना का शोर मचाना
(2) मैना का चहकना
(3) मैना का गाना गाना
(4) इनमें से कोई नहीं
3. कवि ने ‘काँस’ की तुलना किससे की है?
(1) पानी
(2) नदी
(3) धूप
(4) रेत
4. “ढोर-डंगर’ शब्द से तात्पर्य है
(1) ग्रामवासी
(2) तैराक
(3) पक्षी
(4) मवेशी
5. नन्हीं-सी नदी के किनारे कैसे हैं?
(1) चिकने
(2) उजले
(3) ऊँचे
(4) कीचड़ से भरे हुए
6. कविता का उपयुक्त शीर्षक हो सकता है
(1) वर्षा ऋतु
(2) हमारी नदी
(3) बसन्त ऋतु
(4) हमारा गाँव
पद्यांश 25
अगर किसी दिन बैल तुम्हारा सोच-समझ अड़ जाए,
चले नहीं, बस, खड़ा-खड़ा गर्दन को खूब हिलाए।
घण्टी टुन-टुन खूब बजेगी, तुम न पास आओगे,
मगर बूँद भर तेल साँझ तक भी क्या तुम पाओगे?
मालिक थोड़ा हँसा और बोला कि पढ़क्कू जाओ,
सीखा है यह ज्ञान जहाँ पर, वहीं इसे फैलाओ।
यहाँ सभी कुछ ठीक-ठाक है, यह केवल माया है,
बैल हमारा नहीं अभी तक मंतिख पढ़ पाया है।           रामधारी सिंह दिनकर
1. शब्द ‘साँझ’ का समानार्थक शब्द है
(1) भोर
(2) सूर्यास्त
(3) प्रातःकाल
(4) सूर्योदय
2. ‘बूंद भर’ का तात्पर्य है
(1) एक बूंद
(2) काफी कम
(3) बिल्कुल नहीं
(4) स्पष्ट नहीं कहा जा सकता
3. मालिक पढ़क्कू की किस बात पर हँसा?
(1) बैल को सिखाने की बात पर
(2) यदि बैल खड़ा-खड़ा गर्दन को हिलाए
(3) बैल अभी एक मंतिख नहीं पढ़ पाया है
(4) तुम साँझ तक एक बूंद भी तेल नहीं पाओगे
4. ‘माया’ शब्द प्रयुक्त
(1) बैल के व्यवहार के लिए
(2) तेल के लिए
(3) धन के लिए
(4) किताबी ज्ञान के लिए
5. आपके अनुसार इस कविता का नायक कौन है?
(1) मालिक
(2) पढ़क्कू
(3) बैल
(4) इनमें से कोई नहीं
6. उपरोक्त पद्यांश में ‘खड़ा-खड़ा’ शब्द में कौन-सा समास है?
(1) तत्पुरुष
(2) कर्मधारय
(3) अव्ययीभाव
(4) द्विगु
विगत वर्षों में पूछे गए प्रश्न
पद्यांश 26
अब न गहरी नींद में तुम सो सकोगे,
गीत गाकर मैं जगाने आ रहा हूँ।
अतल अस्ताचल तुम्हें जाने न दूंगा,
अरुण उदयाचल सजाने आ रहा हूँ।
कल्पना में आज तक उड़ते रहे तुम,
साधना से सिहरकर मुड़ते रहे तुम।
अब तुम्हें आकाश में उड़ने न दूंगा,
आज धरती पर बसाने आ रहा हूँ।          सोहनलाल द्विवेदी
                                                      [CTET June 2011]]
1. गहरी नींद में सोने का अर्थ है
(1) चिन्तायुक्त होना
(2) मृत्यु को प्राप्त होना
(3) परिश्रमी होना
(4) बेखबर होना
2. कवि लोगों को कहाँ नहीं जाने देगा?
(1) पतन की राह पर
(2) पाताल में
(3) अतल गहराई में
(4) जहाँ सूर्य अस्त होता है
3. कवि किस तरह के व्यक्तियों को सम्बोधित कर रहा है?
(1) जो आकाश की ऊँचाइयों को छूना चाहते हैं
(2) जो अत्यधिक प्रेरित हैं
(3) जो बहुत परिश्रमी हैं
(4) जो जीवन की कठोर वास्तविकताओं से बेखबर हैं
4. कवि लोगों को क्यों जगाना चाहता है?
(1) यह कवि का दायित्व है
(2) ताकि लोग गीत सुन सकें
(3) ताकि मनुष्यों में गतिशीलता आ सके और वे प्रगति के पथ पर आगे बढ़ सकें
(4) सुबह हो गई है
5. ‘अतल अस्ताचल तुम्हें जाने न दूंगा’ इस पंक्ति में कौन-सा अलंकार है?
(1) अनुप्रास अलंकार
(2) श्लेष अलंकार
(3) उपमा अलंकार
(4) रूपक अलंकार
6. कविता का उपयुक्त शीर्षक हो सकता है
(1) जागृति
(2) हर्ष
(3) कोलाहल
(4) आकाश
पद्यांश 27
हरा-भरा हो जीवन अपना स्वस्थ रहे संसार,
नदियाँ, पर्वत, हवा, पेड़ से आती है बहार।
बचपन, कोमल तन-मन लेकर,
आए अनुपम जीवन लेकर,
जग से तुम और तुमसे है ये प्यारा संसार,
हरा-भरा हो जीवन अपना स्वस्थ रहे संसार,
वृन्द-लताएँ, पौधे, डाली
चारों ओर भरे हरियाली
मन में जगे उमंग यही है सृष्टि का उपहार,
हरा-भरा हो जीवन अपना स्वस्थ रहे संसार,
मुश्किल से मिलता है जीवन,
हम सब इसे बनाएँ चन्दन
पर्यावरण सुरक्षित न हो तो है सब बेकार
हरा-भरा हो जीवन अपना स्वस्थ रहे संसार।           [CTET Jan 2012]
1. ‘हरा-भरा जीवन का अर्थ है
(1) खुशियों से परिपूर्ण जीवन
(2) पेड़-पौधे से घिरा जीवन
(3) हरे रंगों से भरा जीवन
(4) हरियाली-युक्त जीवन
2. कौन-सी चीजें बहार लेकर आती हैं?
(1) पेड़ों की हवा
(2) नदियों की आवाज
(3) पहाड़ों की चोटियाँ
(4) समस्त प्राकृतिक उपादान
3. कवि ने सृष्टि का उपहार किसे कहा है?
(1) पौधे व डालियाँ
(2) वृन्द-लताएँ
(3) हरा-भरा जीवन
(4) प्राकृतिक सुन्दरता और उससे उत्पन्न होने वाली खुशी
4. कवि यह सन्देश देना चाहता है कि
(1) चन्दन के पेड़ लगाने चाहिए
(2) जीवन में सब बेकार है
(3) पर्यावरण-संरक्षण में ही जीवन सम्भव है
(4) प्रकृति में पेड़-पौधे, नदियाँ, पर्वत शामिल हैं
5. ‘जग से तुम और तुम से है ये प्यारा संसार’ पंक्ति के माध्यम से कवि
कहना चाहता है कि
(1) संसार का अस्तित्व व्यक्तियों से स्वतन्त्र है
(2) व्यक्ति और संसार दोनों का अस्तित्व एक-दूसरे पर निर्भर करता है
(3) संसार चलाने के लिए व्यक्तियों की आवश्यकता होती है
(4) व्यक्ति का अस्तित्व संसार से स्वतन्त्र है
6. ‘अनुपम’ से अभिप्राय है
(1) जिसकी उपमा न दी जा सके
(3) आनन्दमय
(2) सुखद
(4) मनोहारी
पद्यांश 28
सुनता हूँ मैंने भी देखा,
काले बादल में हँसती चाँदी की रेखा।
काले बादल जाति-द्वेष के,
काले बादल विश्व-क्लेश के,
काले बादल उठते पथ पर
नवस्वतन्त्रता के प्रवेश के।
सुनता आया हूँ, है देखा
काले बादल में हँसती चाँदी की रेखा।           चाँदी की रेखा, सुमित्रानन्दन पन्त
                                                                    [CTET Nov 2012]
1. “काले बादल में रहती चाँदी की रेखा।” पंक्ति का भाव है
(1) बादलों के टकराने से बिजली चमकती है
(2) अँधेरे के बाद प्रकाश आता है
(3) काले बादलों में चाँदी की रेखा रहती है
(4) विपत्तियों के बीच आशा की किरण दिखाई देती है
2. ‘काले बादल’ प्रतीक है के।
(1) मानसून द्वारा आने वाली खुशहाली
(2) तूफान
(3) गर्मी से मुक्ति
(4) जातिगत वैमनस्य
3. ‘काले बादल में रहती चाँदी की रेखा’ में कौन-सा अलंकार है?
(1) उत्प्रेक्षा अलंकार
(2) श्लेष अलंकार
(3) उपमा अलंकार
(4) रूपक अलंकार
4. निम्न में से ‘बादल’ का पर्यायवाची शब्द नहीं है
(1) घन
(2) पयोधर
(3) जलज
(4) जलद
5. ‘स्वतन्त्रता’ का विलोम शब्द है
(1) परतन्त्रता
(2) पराधीनता
(3) परतन्त्र
(4) गुलाम
6. कवि क्या सुनने और देखने की बात कहता है?
(1) आशा की किरण को
(2) निराशा को
(3) बादलों को
(4) बिजली को
पद्यांश 29
पूछो किसी भाग्यवादी से,
यदि विधि-अंक प्रबल है।
पद पर क्यों देती न स्वयं
वसुधा निज रतन उगल है।                [CTET July 2013]
1. ‘प्र’ उपसर्ग से बनने वाले शब्द-समूह है
(1) प्रत्युत्तर, प्रदेश, प्रपत्र
(2) प्रत्येक, प्रभाव, प्रदेश
(3) प्रसाद, प्रत्येक, प्रपत्र
(4) प्रभाव, प्रदेश, प्रपत्र
2. कवि ने किसकी महिमा का खण्डन किया है?
(1) रतनों का
(2) विधि के विधान का
(3) भाग्यवाद का
(4) वसुधा का
3. विधि-अंक से तात्पर्य है
(1) न्यायवादी
(2) न्याय-अंक
(3) ‘विधाता’ लिखा होना
(4) भाग्य का लिखा हुआ
4. कवि के अनुसार यदि भाग्य ही सब कुछ होता तो क्या होता?
(1) रत्न स्वयं प्रकाश युक्त हो उठते
(2) रत्न मिल जाते
(3) पैरों के नीचे वसुधा होती
(4) धरती स्वयं ही रत्नरूपी सम्पत्ति उगल देती
5. तुकबन्दी के कारण कौन-सा शब्द बदले हुए रूप में प्रयुक्त हुआ है?
(1) उगल
(2) रतन
(3) प्रबल
(4) स्वयं
6. इनमें से कौन-सा ‘वसुधा’ का समानार्थी है?
(1) जलधि
(2) वसुन्धरा
(3) महीप
(4) वारिधि
पद्यांश 30
नहीं झुका करते जो दुनिया से
करने को समझौता
ऊँचे-से-ऊँचे सपनों को
देते रहते जो न्योता,
दूर देखती जिनकी पैनी
आँख भविष्यत का तम चीर,
मैं हूँ उनके साथ खड़ी
जो सीधी रखते अपनी रीढ़।              [CTET Feb 2014]
1. कविता की पंक्तियों के अनुसार कविता किसके पक्ष में खड़ी है?
(1) जो स्वाभिमानी, साहसी और निर्भीक हैं
(2) जो केवल सपनों में खोए रहते हैं
(3) जो उजाला फैलाते हैं।
(4) जो समझौता करके शान्ति फैलाते हैं
2. व्यक्ति की दृष्टि कैसी होनी चाहिए?
(1) अन्धकार को चीरने वाली
(2) दूर की चीजों को साफ-साफ देखने वाली
(3) दूरदर्शिता से लैस
(4) भविष्य का अँधेरा दूर करने वाली
3. ऊँचे-से-ऊँचे सपनों को निमन्त्रण देने का भाव है
(1) ऊँचे सपनों को आमन्त्रित करना
(2) उच्च कोटि के स्वप्न देखना और उन्हें साकार करने का प्रयास करना
(3) स्वप्नशील रहना
(4) सपनों को आमन्त्रित करना
4. ‘तम’ शब्द का पर्यायवाची है
(1) यामिनी
(2) रात
(3) अन्धकार
(4) निशा
5. “नहीं झुका करते जो दुनिया से” पंक्ति में किसके सामने न झुकने की बात
की गई है?
(1) विषम परिस्थितियों और अन्याय के सामने
(2) दुनिया के सभी देशों के सामने
(3) अन्यायी राजाओं के सामने
(4) दुनिया के व्यक्तियों के सामने
6. ‘सीधी रीढ़’ का आशय है
(1) आत्मनिर्भर होना
(2) सीधी बात कहना
(3) स्वाभिमानी और स्वावलम्बी होना
(4) अभिमानी होना
पद्यांश 31
जब नहीं था
इन्सान
धरती पर थे जंगल
जंगली जानवर, परिन्दे
इन्हीं सबके बीच उतरा
इन्सान
और घटने लगे जंगल
जंगली जानवर, परिन्दे
इन्सान
बढ़ने लगा बेतहाशा
अब कहाँ जाते जंगल,
जंगली जानवर, परिन्दे
प्रकृति किसी के साथ
नहीं करती नाइन्साफी
सभी के लिए बनाती है जगह
सो अब
इन्सानों के भीतर उतरने लगे हैं
जंगल, जंगली जानवर
और परिन्दे।                        [CTET Sept 2014]
1. धरती पर इन्सान के आने के बाद क्या हुआ?
(1) जंगल घटने लगे
(2) जानवर घटने लगे
(3) पक्षी घटने लगे
(4) उपरोक्त सभी
2. ‘इन्सान बढ़ने लगा बेतहाशा’ का भाव है
(1) इन्सान खूब तरक्की करने लगा
(2) इन्सान खूब तेज भागने लगा
(3) इन्सान खूब बड़ा होने लगा
(4) इन्सान अपने पैरों पर चलने लगा
3. प्रकृति किसके प्रति नाइन्साफी नहीं करती?
(1) जंगल के प्रति
(2) पशु-पक्षियों के प्रति
(3) इन्सानों के प्रति
(4) ये सभी के प्रति
4. कविता के अन्त में क्या व्यंग्य किया गया है?
(1) प्रकृति ने इन्सानों के प्रति नाइन्साफी की
(2) इन्सानों में अब इन्सानियत खत्म हो गई है
(3) इन्सानों के भीतर जंगल की तरह पेड़ उग आए हैं
(4) इन्सानों ने जंगल उगाना शुरू कर दिया है
5. ‘अब कहाँ जाते जंगल’ का भाव है कि
(1) अब जंगल कहीं जाने लायक नहीं रहे
(2) अब जंगल खूब बढ़ने लगे
(3) अब जंगल समाप्त होने लगे
(4) अब जंगलों में परिन्दे नहीं रहते
6. ‘जंगल’ का पर्यायवाची नहीं है
(1) बगीचा
(2) वन
(3) कानन
(4) अरण्य
पद्यांश 32
चीटियाँ ईर्ष्यालु नहीं होती
दौड़ती-भागती
एक-दूसरे को सन्देश पहुँचाती
जीवन को परखती पहुँचती हैं वहाँ
जहाँ कोई नहीं पहुँचा कभी चींटियों से पहले।
संकेतों में करती हैं वे शब्द सन्धान
रास्ता नहीं भूलतीं कभी स्मृति में रखती हैं संजोकर
दोस्त और दुश्मन के चेहरे
बिखरती हैं कभी-कभार वे मगर हर बार
नए सिरे से टटोलती हैं वे पूर्वजों द्वारा छोड़ी गई गन्ध
फिर से एकजुट होते हुए।                         [CTET Feb 2015]
1. चीटियाँ आपस में बातचीत कैसे करती हैं?
(1) छूकर
(2) बोलकर
(3) सन्देशों से
(4) संकेतों से
2. ‘ईर्ष्यालु’ किसे कहा जाता है?
(1) दूसरों से जलने वाला
(2) सबसे घृणा करने वाला
(3) पाने की इच्छा करने वाला
(4) कुछ भी न चाहने वाला
3. चींटियों के स्वभाव में नहीं है
(1) ईर्ष्या करना
(2) सन्देश पहुँचाना
(3) दौड़-भाग करना
(4) जीवन को परखना
4. बिखरी हुई चींटियाँ फिर से एकजुट कैसे होती हैं?
(1) पूर्वजों की गन्ध से
(2) रास्ता टटोलने से
(3) मित्रों के सहयोग से
(4) शत्रुओं की चुनौती से
5. मित्र और शत्रु के चेहरों को चींटियाँ
(1) पहचानती नहीं हैं
(2) बिखेर देती हैं
(3) भूल जाती हैं
(4) याद रखती हैं
6. पद्यांश में ‘मगर’ का अर्थ है
(1) केवल
(2) परन्तु
(3) मगरमच्छ
(4) घड़ियाल
पद्यांश 33
रोना और मचल जाना भी क्या आनन्द दिखाते थे?
बड़े-बड़े मोती-से आँसू, जयमाला पहनाते थे।
मैं रोई, माँ काम छोड़कर आई, मुझको उठा लिया।
झाड़-पोंछकर चूम-चूम गीले-गालों को सुखा दिया।
आ जा बचपन! एक बार फिर दे-दे अपनी निर्मल शान्ति।
व्याकुल व्यथा मिटाने वाली, वह अपनी प्राकृत विश्रान्ति
वह भोली-सी मधुर सरलता, वह प्यारा जीवन निष्पाप।
क्या फिर आकर मिटा सकेगा तू मेरे मन का सन्ताप?
मैं बचपन को बुला रही थी, बोल उठी बिटिया मेरी।
नन्दन-वन-सी फूल उठी, यह छोटी-सी कुटिया मेरी।  [CTET Sept 2015]
1. ‘बचपन’ शब्द है
(1) विशेषण
(2) क्रिया-विशेषण
(3) सर्वनाम
(4) संज्ञा
2. ‘नन्दन-वन-सी फूल उठी, यह छोटी-सी कुटिया मेरी’ का भाव है
(1) कुटिया सुन्दर हो गई
(2) कुटिया में आनन्द उमड़ उठा
(3) कुटिया में शान्ति छा गई
(4) छोटी कुटिया बड़ी हो गई
3. ‘मिटा सकेगा तू मेरे मन का सन्ताप।’
उक्त पंक्ति में ‘तू’ किसे कहा गया है?
(1) बचपन को
(2) कवि को
(3) पाठक को
(4) बच्चे को
4. कवयित्री अपने बचपन को क्यों बुलाना चाहती है?
(1) अपनी बिटिया की याद में
(2) बचपन के आनन्द की याद में
(3) बचपन के खेलों की याद में
(4) अपनी माँ की याद में
5. बच्चे की आँखों से निकलते आँसुओं को देखकर क्या अनुभूति होती है?
(1) सुख की
(2) विजय की
(3) प्यार की
(4) कष्ट की
6. ‘व्याकुल व्यथा मिटाने वाली’ में प्रयुक्त अलंकार है
(1) रूपक अलंकार
(2) उपमा अलंकार
(3) अनुप्रास अलंकार
(4) यमक अलंकार
पद्यांश 34
जीवन के इस मोड़ पर, कुछ भी कहा जाता नहीं।
अधरों की ड्योढ़ी पर, शब्दों के पहरे हैं।
हँसने को हँसते हैं, जीने को जीते हैं
साधन-सुभीतों में, ज्यादा ही रीते हैं।
बाहर से हरे-भरे, भीतर घाव मरार गहरे
सबके लिए गूँगे हैं, अपने लिए बहरे हैं।                 [CTET Feb 2016]
1. ‘कुछ भी कहा जाता नहीं’– ऐसा क्यों?
(1) साधन-सुविधाओं के अभाव के कारण
(2) बन्धन और बेबसी के कारण
(3) गूंगा होने के कारण
(4) भीतर के घावों के कारण
2. कविता की पंक्तियों में मुख्यत: बात की गई है
(1) कुछ भी न कह पाने की विवशता की
(2) घावों के हरे-भरे होने की
(3) गूंगा-बहरा होने की
(4) साधन-सुभीतों की
3. ‘रीते’ शब्द से भाव है
(1) अपनेपन का
(2) परायेपन का
(3) खालीपन का
(4) खोखलेपन का
4. कविता की पंक्तियों के आधार पर कहा जा सकता है कि
(1) कवि कुछ भी कहने या सुन पाने की स्थिति में नहीं है
(2) कवि घावों के गहरे होने से दुःखी है
(3) कवि के जीवन में बहुत अभाव है
(4) कवि कुछ भी करने की स्थिति में नहीं है
5. ‘ड्योढ़ी’ का अर्थ है
(1) घर
(2) देहरी
(3) दरवाजा
(4) चौखट
6. ‘भीतर के घाव’ से तात्पर्य है
(1) शारीरिक क्षति
(2) घर के भीतर की अशान्ति
(3) हृदय की पीड़ा
(4) अन्दरूनी चोट
पद्यांश 35
हवा चले अनुकूल तो नावें नौसिखिए भी खे लेते हैं,
सहज डगर पर लँगड़े भी चल बैसाखी से लेते हैं।
मिट जाते जो दीप स्वयं रोशन कर लाख चिरागों को
नमन उन्हें है, जो लौटा लाते हैं गई बहारों को।
फैलाकर के हाथ किसी के सम्मुख झुकना आसाँ है,
बहती नदिया से पानी पी प्यास बुझाना आसाँ है,
नित्य खोदकर नए कुएँ जो सबकी प्यास बुझाते हैं,
वही लोग हैं, जो सदियों तक जग में पूजे जाते हैं।           [CTET Sept 2016]
1. कवि उन्हें नमन कर रहा है, जो
(1) दूसरों को प्रेरणा देकर मरते हैं
(2) लाखों दीपक जलाते हैं
(3) लहरों पर नाव चला लेते हैं
(4) सरल मार्गों पर चलते हैं
2. कविता में ‘बैसाखी’ का भावार्थ है
(1) एक महीना
(2) सहारा
(3) सीढ़ी
(4) एक फसल
3. ‘पानी पी प्यास बुझाना आसाँ है’― में अलंकार है
(1) अनुप्रास
(2) मानवीकरण
(3) उपमा
(4) रूपक
4. समाज उन्हें सदा सम्मानित करता है, जो
(1) प्यासे को पानी पिलाते हैं
(2) अपने कामों से सबका हित करते हैं
(3) सदियों तक पूजे जाते हैं
(4) नित्य नए कुएँ खोदते हैं
5. कवि के अनुसार उनका जीवन आसान नहीं है जो
(1) लोगों के सामने हाथ फैलाते हैं
(2) बैसाखी के सहारे चलते हैं
(3) परिश्रम से बीती बहारों को लौटा लाते हैं
(4) स्वयं अपने लिए ही साधन जुटाते हैं
6. ‘नौसिखिया’ है
(1) नौ विषय जानने वाला
(2) नए विषय पढ़ने वाला
(3) नया सिखाने वाला
(4) नया सीखने वाला
                                    उत्तरमाला
पद्यांश 1. 1. (3), 2. (1), 3. (2), 4. (4), 5. (3), 6. (4)
पद्यांश 2. 1. (3), 2. (2), 3. (1), 4. (4), 5. (4), 6. (1)
पद्यांश 3. 1. (3). 2. (1), 3. (3). 4. (2), 5. (1), 6. (1)
पद्यांश 4. 1. (1), 2. (3), 3. (3). 4. (3), 5. (2), 6. (4)
पद्यांश 5. 1. (1), 2. (4), 3. (2), 4. (4), 5. (1), 6. (2)
पद्यांश 6. 1. (2), 2. (3), 3. (1), 4. (4), 5. (2), 6. (4)
पद्यांश 7. 1. (3), 2. (1), 3. (1), 4. (1), 5. (3), 6. (3)
पद्यांश 8. 1. (3), 2. (1); 3. (2), 4. (3), 5. (1), 6. (1)
पद्यांश 9. 1. (2), 2. (3), 3. (4), 4. (2), 5. (4), 6. (4)
पद्यांश 10. 1. (3), 2. (2), 3. (1), 4. (4), 5. (2), 6. (4)
पद्यांश 11. 1. (3), 2. (4), 3. (1), 4. (1), 5. (1), 6. (4)
पद्यांश 12. 1. (2), 2. (2), 3. (3). 4. (3), 5. (1), 6. (4)
पद्यांश 13. 1. (4), 2. (3), 3. (4), 4. (2), 5. (2), 6. (3)
पद्यांश 14. 1. (4), 2. (1), 3. (2). 4. (1), 5. (3), 6. (4)
पद्यांश 15. 1.(2), 2. (3), 3. (2), 4. (3), 5. (4), 6. (2)
पद्यांश 16. 1. (2), 2. (2), 3. (1), 4. (4), 5. (1), 6. (4)
पद्यांश 17. 1. (4), 2. (4), 3. (1), 4. (3), 5. (2), 6. (3)
पद्यांश 18. 1. (4), 2. (4), 3. (4), 4. (1), 5. (2), 6. (4)
पद्यांश 19. 1. (3), 2. (3), 3. (1), 4. (2), 5. (4), 6. (4)
पद्यांश 20. 1. (2), 2. (4), 3. (4), 4. (3), 5. (3), 6. (3)
पद्यांश 21. 1. (3), 2. (2), 3. (4), 4. (4), 5. (2), 6. (2)
पद्यांश 22. 1. (3), 2. (4), 3. (4), 4. (3), 5. (4), 6. (4)
पद्यांश 23. 1. (1), 2. (1), 3. (2), 4. (2), 5. (4), 6. (3)
पद्यांश 24. 1. (2), 2. (2), 3. (3), 4. (4), 5. (3), 6. (2)
पद्यांश 25. 1. (2), 2. (2), 3. (2), 4. (4), 5. (2), 6. (3)
विगत वर्षों में पूछे गए प्रश्न
पद्यांश 26. 1. (4), 2. (3), 3. (4), 4. (3), 5. (1), 6. (1)
पद्याांश 27.1. (1), 2. (4), 3. (4), 4. (3), 5.(2), 6. (1)
पद्यांश 28. 1. (4), 2. (4), 3. (2), 4. (3), 5. (1), 6. (1)
पद्यांश 29. 1. (4), 2. (3), 3. (4), 4. (4), 5. (2), 6. (2)
पद्यांश 30. 1. (1), 2. (3), 3. (2), 4. (3), 5. (1), 6. (3)
पद्यांश 31. 1. (4), 2. (1), 3. (4), 4. (2), 5. (3), 6. (1)
पद्यांश 32. 1. (4), 2. (1), 3. (1), 4. (1), 5. (4), 6. (2)
पद्यांश 33. 1. (4), 2. (2), 3. (1), 4. (2), 5. (4), 6. (3)
पद्यांश 34. 1. (2), 2. (1), 3. (3), 4. (3), 5. (2), 6. (3)
पद्यांश 35. 1. (1), 2. (2), 3. (1), 4. (2), 5. (3), 6. (4)
                                          ★★★

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