CTET Notes In Hindi | परिवार एवं मित्र
CTET Notes In Hindi | परिवार एवं मित्र
परिवार एवं मित्र
Family and Friend
यह अध्याय पर्यावरणीय शिक्षण के दृष्टिकोण से बालकों के
लिए महत्त्वपूर्ण है। किन्तु विगत् वर्षों में इस अध्याय से केवल
एक प्रश्न 2016 में पूछा गया है। परन्तु आने वाले वर्षों में इस
अध्याय से सम्बन्धित प्रश्न पूछे जा सकते हैं।
1.1 परिवार
‘परिवार’ शब्द अंग्रेजी शब्द Family का हिन्दी रूपान्तरण है। Family शब्द
की उत्पत्ति लैटिन शब्द Famulus से हुई है, जो प्राय: एक ऐसे समूह के
लिए प्रयुक्त होता है, जिसमें माता-पिता, बच्चे आदि शामिल होते हैं
साधारण शब्दों में विवाहित जोड़े को परिवार की संज्ञा दी जाती है, किन्तु
समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से इसे परिवार शब्द का प्रासंगिक मापदण्ड नहीं
माना जाता है। समाजशास्त्रियों के अनुसार, परिवार में पति-पत्नी और बच्चों
का होना अनिवार्य होता है। ऐसे में किसी एक के अभाव से वह परिवार न
होकर गृहस्थ का रूप ले लेता है। इसलिए ऐसा कहा जाता है कि सभी
परिवार गृहस्थ तो होते हैं, लेकिन सभी गृहस्थ परिवार नहीं होते हैं।
सामान्य रूप में परिवार को सामाजिक संगठन की मौलिक इकाई माना जाता
है। परिवार से ही बालक की प्रारम्भिक शिक्षा प्रारम्भ होती है। बालक
परिवार के द्वारा ही प्रेम, सहयोग, अनुशासन आदि गुण सीखता है। समाज में
परिवार अत्यधिक महत्त्वपूर्ण समूह है।
मैकाइवर एवं पेज ने परिवार को परिभाषित करते हुए कहा है “परिवार
पर्याप्त निश्चित यौन सम्बन्ध द्वारा परिभाषित एक ऐसा समूह है, जो
बच्चों के जनन एवं पालन-पोषण की उचित व्यवस्था करता है।”
1.1.1 परिवार के कार्य
• मैकाइवर ने परिवार के कार्यों को दो भागों में विभाजित किया
है-आवश्यक और अनावश्यक। परिवार के आवश्यक कार्यों में घर के
विभिन्न प्रावधानों को सम्मिलित किया जाता है, जबकि अनावश्यक कार्यों में
मनोरंजन से सम्बन्धित कार्यों को सम्मिलित किया जाता है। आर्थिक
क्रियाकलाप, शैक्षणिक क्रियाकलाप तथा लैंगिक व प्रजनन के क्रियाकलाप
परिवार के आवश्यक कार्यों में सम्मिलित किए जाते हैं।
• ऑगबर्न और निमकॉफ ने पारिवारिक कार्यों को 6 वर्गों में विभाजित
किया है-आर्थिक, प्रकृत्यात्मक, रक्षात्मक, आनन्दपद, धार्मिक और
शैक्षणिक क्रियाकलाप।
• लुण्डबर्ग ने परिवार के चार प्रमुख मूलभूत क्रियाकलाप बताए हैं, जिनमें
प्रमुख रूप से प्राथमिक समूह का सन्तोष, श्रमिकों का सहयोग व विभाजन,
बच्चों की देखभाल व प्रशिक्षण तथा यौन व्यवहार और प्रजनन का नियमन
आदि सम्मिलित हैं।
1.1.2 परिवार की विशेषताएँ
परिवार की अनेक विशेषताएँ होती हैं, जो निम्नलिखित हैं
• वंशानुगत सम्बन्ध पारिवारिक सदस्यों के बीच वंशानुगत सम्बन्ध होते हैं
तथा कुछ विशिष्ट गुण एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को प्राप्त होते हैं।
• सामाजिक संस्था परिवार सामाजिक संस्था की मौलिक इकाई के रूप में
कार्य करता है।
• आर्थिक व्यवस्था पारिवारिक सदस्य अपने सभी सदस्यों की आर्थिक
स्थिति को बेहतर करने के लिए वित्त की व्यवस्था करते हैं।
• वैवाहिक अनिवार्यता परिवार में सन्तानोत्पत्ति एवं विवाह की अनिवार्यता
होती है। वैवाहिक सम्बन्ध परिवार के वंश की वृद्धि के लिए उत्तरदायी होता है।
• सामाजिक सुरक्षा की मूलभूत इकाई पारिवारिक अंग के रूप में सभी
सदस्य सुरक्षित महसूस करते है, जो उनके विकास के लिए महत्त्वपूर्ण है।
1.1.3 परिवार का वर्गीकरण
सामान्य रूप से परिवार के दो वर्ग होते हैं- एकल और संयुक्त, लेकिन
वर्तमान समय में इसके कुछ अन्य वर्ग भी प्रचलित है, जो निम्नलिखित है
• एकल परिवार इसमें पति-पत्नी तथा उनके अविवाहित बच्चे सम्मिलित
होते हैं। ऐसे परिवार बढ़ती महंगाई और जनसंख्या के कारण अधिक
प्रचलित हो रहे है। ऐसे परिवार में कुरीतियों एवं आलस्य का अभाव रहता
है, व्यक्तित्व का विकास होता है व कलह की सम्भावना नहीं रहती है। यह
संयुक्त परिवार की एक लघु इकाई है।
• संयुक्त परिवार ऐसे परिवार में माता-पिता, पुत्र-पुत्री, भाई-बहन, पुत्रवधू
एवं उनके बच्चे, दादा-दादी, चाचा-चाची आदि एक साथ संयुक्त रूप से
घर में निवास करते है। इसमें आदर्श नागरिको के गुणों का विकास होता है,
सामाजिक सुरक्षा की भावना विकसित होती है, श्रम विभाजन की व्यापक
सुविधा रहती है। आलस्य का अभाव रहता है। भारतीय सामाजिक परिवेश
में संयुक्त परिवार ही जीवन का आधार है।
1.1.4 परिवार के अन्य प्रकार
परिवार के अन्य प्रकार निम्न है-
• मातृस्थान परिवार यह परिवार का वह प्रकार है, जिसमें विवाहित युगल
स्त्री के परिवार के साथ निवास करते है। पितृस्थान परिवार यह परिवार
का वह प्रकार है, जिसमें विवाहित युगल पुरुष के परिवार के साथ निवास
करते है।
• वैवाहिक परिवार यह एकल परिवार का ही रूप है। इसे सन्तान बढ़ाने
वाला परिवार भी कहा जाता है। यह वह परिवार होता है, जो एक के बाद
एक के विवाह के बाद बनता है।
• समरक्त सम्बन्धी परिवार यह भी संयुक्त परिवार का ही एक रूप है।
इसको अभिविन्यास परिवार भी कहा जाता है। इसमें समान रक्त समूह के
लोग सम्मिलित होते हैं क्योंकि इनकी उत्पत्ति एक ही रक्त से होती है।
1.1.5 परिवार का महत्त्व
परिवार के महत्त्व को हम निम्न रूप में देख सकते हैं
• परिवार ही वह प्रासंगिक स्थान है, जहाँ सर्वप्रथम बालक का समाजीकरण
होता है। परिवार के बड़े लोगों का जैसा आचरण और व्यवहार होता है,
बालक भी वैसा ही आचरण और व्यवहार करने का प्रयत्न करता है।
• बालक के परिवार की सामाजिक स्थिति भी बालक के सामाजिक विकास
को प्रभावित करती है।
• माता-पिता के स्वास्थ्य और शारीरिक रचना का प्रभाव उनके बच्चों पर भी
पड़ता है। यदि वे रोगी और निर्बल हैं तो ऐसी सम्भावना होती है कि उनके
बच्चे भी वैसे ही हो सकते हैं। स्वस्थ माता-पिता की सन्तान का ही स्वस्थ
शारीरिक विकास होता है।
• बालक के स्वाभाविक विकास में वातावरण के तत्व सहायक होते है।
बालक को सही वातावरण उपलब्ध करवाने की जिम्मेदारी उसके परिवार
की ही होती है।
• बालक की नियमित दिनचर्या का प्रभाव उसके शारीरिक विकास पर पड़ता
है और इसे नियमित करने की जिम्मेदारी भी परिवार की ही होती है।
• बालक के उचित शारीरिक विकास में उसे अपने परिवार से प्राप्त प्रेम एवं
सुरक्षा की भावना का भी अहम् योगदान होता है।
• बालक के समुचित शारीरिक विकास हेतु खेल एवं व्यायाम के लिए
समुचित सुविधाएँ एवं समय उपलब्ध करवाने की जिम्मेदारी भी उसके
परिवार की ही होती है।
• बालक की मानसिक क्षमता के विकास में उसके वंशानुक्रम का प्रमुख
योगदान होता है, जो उसे उसके परिवार (माता-पिता) से प्राप्त होता है।
• मानसिक विकास में बालक के भाषा विकास का भी महत्त्वपूर्ण योगदान
होता है, जिसमें उसके परिवार की भूमिका सर्वाधिक अहम् होती है।
• परिवार जिसमें माता-पिता में अच्छे सम्बन्ध होते हैं, जिसमे वे अपने बच्चों
की रुचियों और आवश्यकताओं को समझते है एवं जिसमें आनन्द एवं
स्वतन्त्रता का वातावरण होता है इसका सकारात्मक प्रभाव बालक के
मानसिक विकास पर पड़ता है।
• अच्छी आर्थिक स्थिति वाले परिवार में ही बालक को पौष्टिक भोजन, सही
शिक्षा का वातावरण, खेल एवं मनोरंजन के अवसर आदि उपलब्ध होते है।
• माता-पिता की शिक्षा का भी बालक के मानसिक विकास पर प्रभाव
पड़ता है।
1.2 मित्र
बालक के कार्यों में उसका सहयोग करने वाला अथवा उसके साथ खेलने
वाला बालक उसका मित्र कहलाता है। यह आवश्यक नहीं कि समुदाय के
सभी बालकों के साथ बालक के सम्बन्ध अच्छे हो। जिन बालको के साथ
बालक का सम्बन्ध अच्छा होता है एवं जिनके साथ वह रहना, कार्य करना
एवं खेलना पसन्द करता है, उन्हें हम उसका मित्र (Friend) कहते हैं।
मित्रता एक ऐसा रिश्ता है, जो अन्य रिश्तो की भाँति थोपा नहीं जा सकता।
अपनी सुविधा एवं रुचि के अनुसार देख-परख कर मित्र चुनने की स्वतन्त्रता
होती है। यह एक ऐसा बन्धन होता है, जो लोगों के मन को जोड़ता है और
इसी के आधार पर वे एक-दूसरे के लिए कुछ भी करने को तैयार रहते हैं।
मित्रों के बीच के आपसी सम्बन्धों को मित्रता कहते है।
1.2.1 मित्रता का वर्गीकरण
अरस्तू ने मित्रता का वर्गीकरण तीन भागों में निम्नलिखित प्रकार से किया है।
• उपयोगिता की मित्रता इस प्रकार की मित्रता में मित्र वही होता है,
जिसकी मित्रता में अपना हित दिखाई देता है।
• आनन्द की मित्रता इस प्रकार की मित्रता में मित्रों के बीच आपसी हित
को लेकर सहमति होती है एवं जो अपनी आपसी खुशी मित्रों के बीच
बाँटते हैं।
• अच्छी मित्रता इस प्रकार की मित्रता में दो मित्रों के बीच आपसी सम्मान
का भाव होता है और वह एक-दूसरे के साथ का आनन्द लेते है। इसमें
मित्रता हित पूर्ति व आनन्द के लिए नहीं होती है।
1.2.2 मित्रता का महत्त्व
मित्र व मित्रता का महत्त्व बच्चों के सर्वांगीण विकास में सहायक सिद्ध होता
है। इस प्रकार से मित्रता के कुछ महत्त्व निम्नलिखित है
• एक मित्र बालक के खेल-कूद व अन्य कार्यों को सम्पन्न करने में
सहायक होता है।
• एक अच्छा मित्र बालक को कुसंगति से बचाने की कोशिश करता है। एक
अच्छा मित्र ही सामाजिक आदर्शों एवं मूल्यों को सिखाता है। अच्छा मित्र
बच्चों को पाश्विक प्रवृत्ति अपनाने से बचाता है।
• बच्चों के मानसिक विकास में भी मित्रता व मित्र की भूमिका महत्त्वपूर्ण
होती है।
1.3 सम्बन्ध
सम्बन्ध (Relation) वह बुनियाद होती है, जिसमें दो अथवा दो से अधिक
लोग खून या विवाह और भावनाओं के आधार पर एक-दूसरे से जुड़े होते
हैं। बालक परिवार में सदस्यों एवं रिश्तेदारों से प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से
आदर्शो, मूल्यों, रीति-रिवाजों एवं विश्वासो आदि को धीरे-धीरे सीखता है।
बालक के सभी सम्बन्धियों (Relations) का उसके व्यक्तित्व के विकास पर
प्रभाव पड़ता है, किन्तु परिवार के प्रमुख सदस्यों का उस पर गहरा प्रभाव
पड़ता है। जैसे-जैसे बालक बड़ा होता जाता है, वैसे-वैसे वह अपने
माता-पिता, भाई-बहनों तथा परिवार के अन्य सदस्यों के सम्पर्क में आते हुए
प्रेम, सहानुभूति, सहनशीलता तथा सहयोग आदि अनेक सामाजिक गुणों को
आत्मसात करने लगता है।
यह आवश्यक नहीं कि प्रत्येक बालक के परिवार में चाचा-चाची, बुआ-फूफा;
जैसे सम्बन्धी (Relation) विद्यमान हों। कक्षा में मौजूद बच्चों की पारिवारिक
विविधता से शिक्षक बालकों को इसके विषय में विभिन्न प्रकार की जानकारियाँ
उपलब्ध करा सकते हैं।
सम्बन्धों का वर्गीकरण
सामान्य रूप में सम्बन्ध दो प्रकार के होते हैं, जो निम्नलिखित हैं
• वैवाहिक सम्बन्ध सामान्यतौर पर इस प्रकार के सम्बन्ध विवाह के कारण
उत्पन्न होते हैं; जैसे- पति-पत्नी, सास-बहू आदि।
• समरक्त सम्बन्ध इस प्रकार के सम्बन्ध रक्त के आधार पर बनते हैं। ऐसे
सम्बन्धों की सामाजिक स्वीकृति आवश्यक होती है, जबकि प्राणी शास्त्रीय
सम्बन्धों में स्वीकृति आवश्यक नहीं होती है; जैसे–माता-पिता एवं
पुत्र-पुत्री के बीच का सम्बन्ध।
1.4 कार्य एवं खेल
कार्य की जिम्मेदारी वयस्कों की होती है, तो वहीं खेल-कूद बच्चों के लिए
अनिवार्य होते हैं। बच्चे स्वयं को खेल-कूद में व्यस्त रखते हैं इस कार्य में इन्हें
परिवार के सदस्यों से सहयोग प्राप्त होता है। बाल्यावस्था से ही बालक में
रचनात्मक प्रवृत्तियाँ विकसित होने लगती हैं।
रचनात्मक खेल वे सक्रिय खेल हैं, जिनसे बच्चे को कुछ नया करने की
कल्पनाशक्ति मिलती है। बाल्यावस्था से ही बालकों में रचनात्मक प्रवृत्तियाँ
विकसित होने लगती हैं। वस्तुत: रचनात्मक खेल कल्पनात्मक खेलों से
अत्यधिक समानता रखते हैं क्योंकि रचनात्मकता, कल्पनाशक्ति द्वारा प्रभावित
होती है।
खेल-खेल में बच्चे सहज रूप से सीखते हैं। बालकों को विभिन्न प्रकार के
प्रयोगों एवं खेलों द्वारा सीखना अधिक आसान हो जाता है तथा इससे पाठ भी
रुचिकर हो जाता है। आरम्भ में वस्तुओं को एक के ऊपर एक लगाना,
ब्लॉक जोड़कर आकृतियाँ बनाना आदि रचनात्मक खेल बालकों द्वारा खेला
जाता है। प्रोजेक्ट विधि, किण्डरगार्टन विधि, मोण्टेसरी विधि, डाल्टन विधि,
ह्यूरिस्टिक विधि, बेसिक शिक्षा, इत्यादि खेल-कूद एवं सामान्य क्रियाकलापों
द्वारा बच्चों को शिक्षा देने की कुछ प्रमुख विधियाँ प्रचलित हैं।
खेल का बालकों के विकास में योगदान
खेल-कूद से बच्चों का शारीरिक व मानसिक विकास होता है, इसलिए इसके
महत्त्व को हम निम्न रूप में देख सकते हैं
• यह बच्चों के शारीरिक, सामाजिक एवं ज्ञानात्मक क्षमता के विकास में
सहायक होता है। इससे बच्चे स्फूर्तिवान बने रहते हैं और साथ ही नियमित
रूप से विभिन्न क्रियाकलाप करते हैं।
• इससे शरीर की माँसपेशियाँ एवं हड्डियाँ मजबूत होती हैं। रक्त का संचार
सुचारू रूप से होता है। पाचन क्रिया सुदृढ़ होती है। शरीर को अतिरिक्त
ऑक्सीजन मिलती है और फेफड़े मजबूत होते हैं।
• खेल-कूद के दौरान शारीरिक अंगों के सक्रिय रहने के कारण शरीर की
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
• खेल-कूद बच्चों के मानसिक विकास को तीव्रता प्रदान करता है।
खेल-कूद भावनात्मक रूप से कमजोर बच्चों के लिए थेरेपी का कार्य
करता है, जिससे वह सामाजिक परिवेश में समायोजन स्थापित कर लेते हैं।
• यह बच्चों को स्वयं निर्णय लेने में सक्षम बनाते हैं। खेल-कूद बच्चों की
शिक्षा में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसलिए बालकों की शिक्षा में
खेल-कूद को उचित स्थान दिया जाता है।
अभ्यास प्रश्न
1. परिवार क्या है?
(1) एक समूह
(2) एक समुदाय
(3) एक सामाजिक संस्था
(4) एक भीड़
2. समाजशास्त्रियों के अनुसार परिवार में
(1) पति-पत्नी और बच्चों का होना अनिवार्य है
(2) माता-पिता और पति-पत्नी का होना अनिवार्य
है
(3) माता-पिता और बच्चों का होना अनिवार्य है
(4) उपरोक्त सभी
3. सामाजिक जीवन की प्रारम्भिक पाठशाला
किसे कहा जा सकता है?
(1) परिवार
(2) गाँव
(3) विद्यालय
(4) इनमें से कोई नहीं
4. किसने परिवार के कार्यों का वर्गीकरण
आवश्यक और अनावश्यक रूप में किया?
(1) मैकाइवर
(2) लुण्डबर्ग
(3) ऑगबर्न
(4) निमकॉफ
5. परिवार के मुख्य शारीरिक कार्य हैं
(1) पालन-पोषण
(2) भोजन
(3) शारीरिक सुरक्षा
(4) ये सभी
6. परिवार की सामान्य विशेषता है
(1) विवाह सम्बन्ध
(2) सामान्य निवास
(3) वंशवाद
(4) ये सभी
7. निम्नलिखित में से कौन-सा संयुक्त परिवार
का एक गुण नहीं है?
(1) आलस्य का अभाव
(2) कृषि व्यवस्था के लिए उपयुक्त
(3) श्रम विभाजन की सुविधा
(4) उपरोक्त में से कोई नहीं
8. एकल परिवार के तीव्र प्रचलन के लिए क्या
उत्तरदायी है?
(1) महँगाई
(2) जनसंख्या
(3) कलह की सम्भावना में कमी
(4) उपरोक्त सभी
9. भारतीय परिवार का स्वरूप है
(1) मातृसत्तात्मक
(2) पितृसत्तात्मक
(3) मातृस्थानीय
(4) इनमें से कोई नहीं
10. निम्नलिखित में से कौन-सा परिवार समरक्त
सम्बन्धी परिवार का उदाहरण है?
(1) एकल परिवार
(2) वैवाहिक परिवार
(3) संयुक्त परिवार
(4) ये सभी
11. किस प्रकार के परिवार में विवाहित युगल
स्त्री के परिवार के साथ निवास करते हैं?
(1) पितृस्थान
(2) मातृस्थान
(3) वैवाहिक
(4) एकल
12. निम्नलिखित में से किस परिवार को
अभिविन्यास परिवार भी कहा जाता है?
(1) समरक्त
(2) वैवाहिक
(3) पितृस्थान
(4) मातृस्थान
13. समरक्त सम्बन्ध का उदाहरण किस प्रकार
के परिवार में परिलक्षित होता है?
(1) एकल
(2) संयुक्त
(3)1 और 2 दोनों
(4) उपरोक्त में से कोई नहीं
14. बालकों का समाजीकरण सर्वप्रथम किसके
द्वारा होता है?
(1) परिवार के द्वारा
(2) मित्रों के द्वारा
(3) शिक्षा के द्वारा
(4) रिश्तेदारों के द्वारा
15. निम्नलिखित में से कौन-सी मित्रता सर्वोत्तम
(1) आनन्द की मित्रता
(2) उपयोगिता की मित्रता
(3) अच्छाई की मित्रता
(4) उपरोक्त सभी
16. अरस्तू द्वारा मित्रता के वर्गीकरण में क्या
सम्मिलित है?
(1) उपयोगिता की मित्रता
(2) आनन्द की मित्रता
(3) अच्छाई की मित्रता
(4) उपरोक्त सभी
17. रिश्ते का क्या आधार होता है?
(1) रक्त
(2) विवाह
(3) भावनाएँ
(4) ये सभी
18. समरक्त सम्बन्ध में सम्बन्ध का आधार क्या
होता है?
(1) रक्त
(2) विवाह
(3) 1 और 2 दोनों
(4) उपरोक्त में से कोई नहीं
19. खेल-कूद भावनात्मक रूप से कमजोर
बच्चों के लिए क्या कार्य करता है।
(1) रचनात्मक प्रवृत्तियाँ
(2) कल्पनाशक्ति
(3) थेरेपी
(4) उपरोक्त सभी
20. खेल-कूद बच्चों के ………..विकास में
सहायक होता है।
(1) ज्ञानात्मक
(2) सामाजिक
(3) शारीरिक
(4) उपरोक्त सभी
विगत वर्षों में पूछे गए प्रश्न
21. “परिवार एक इकाई होता है, जिसमें माँ,
पिता और उनके दो बच्चे होते हैं।” यह
कथन [CTET Sept 2016]
(1) सही नहीं है, क्योंकि इस कथन में यह स्पष्ट
करना चाहिए कि बच्चे जैविक होते हैं
(2) सही नहीं है, क्योंकि परिवार कई प्रकार के
होते हैं तथा परिवार का केवल एक ही प्रकार
में वर्गीकरण नहीं किया जा सकता
(3) सत्य है, क्योंकि यह किसी आदर्श परिवार का
आकार है
(4) सत्य है, क्योंकि सभी भारतीय परिवार इसी
प्रकार के होते हैं
उत्तरमाला
1. (3) 2. (1) 3. (1) 4. (1) 5. (4) 6. (4) 7. (1) 8. (4) 9. (2) 10. (3)
11. (2) 12. (1) 13. (3) 14. (1) 15. (3) 16. (4) 17. (4) 18. (1)
19. (3) 20. (4) 21. (3)