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CTET Notes In Hindi | शिक्षण सहायक सामग्री

CTET Notes In Hindi | शिक्षण सहायक सामग्री

शिक्षण सहायक सामग्री
                                    Teaching Aids
CTET परीक्षा के विगत वर्षों के प्रश्न-पत्रों का विश्लेषण करने
से यह ज्ञात होता है कि इस अध्याय से वर्ष 2011 में 3 प्रश्न,
2012 में 3 प्रश्न, 2013 में 2 प्रश्न, 2014 में । प्रश्न, 2015 में 3
प्रश्न तथा 2016 में 2 प्रश्न पूछे गए हैं। CTET परीक्षा में पूछे
गए प्रश्न मुख्यतया शिक्षण सहायक सामग्री, सहायक श्रव्य, दृश्य
एवं दृश्य-श्रव्य तथा सूचना व संचार तकनीक आदि प्रकरणों से
सम्बन्धित है।
7.1 शिक्षण सहायक सामग्री
अध्यापन-अधिगम की प्रक्रिया को सरल, प्रभावकारी एवं रुचिकर बनाने वाले
उपकरणों को शिक्षण सहायक सामग्री (Teaching Aids) कहा जाता है।
इन्द्रियों के प्रयोग के आधार पर शिक्षण सहायक सामग्री को मोटे तौर पर
तीन भागों में विभाजित किया जाता है-श्रव्य सामग्री (Audio Aids), दृश्य
सामग्री (Visual Aids) एवं दृश्य-श्रव्य सामग्री (Audio-Visual Aids)।
1. दृश्य-सहायक सामग्री (Visual Aids) दृश्य सहायक सामग्री का
तात्पर्य उन साधनों से है, जिनमे केवल देखने वाली इन्द्रियो (आँखों)
का प्रयोग होता है। इसके अन्तर्गत पुस्तक, चित्र, मानचित्र, ग्राफ, चार्ट,
पोस्टर, श्यामपट्ट, बुलेटिन बोर्ड, संग्रहालय, स्लाइड इत्यादि
शामिल है।
2. श्रव्य-सहायक सामग्री (Audio Aids) श्रव्य सामग्री से तात्पर्य उन
साधनों से है, जिनमें केवल श्रव्य इन्द्रियों (कानो) का प्रयोग किया
जाता है। श्रव्य सामग्री के अन्तर्गत रेडियो, टेलीफोन, ग्रामोफोन,
टेलीकॉन्फ्रेसिंग टेपरिकॉर्डर इत्यादि शामिल है।
3. दृश्य-श्रव्य सामग्री (Visual Audio Aids) दृश्य-श्रव्य सामग्री का
तात्पर्य शिक्षण के उन साधनों से सम्बन्धित है, जिनके प्रयोग से
बालको को देखने और सुनने वाली ज्ञानेन्द्रियाँ सक्रिय हो जाती है और
वे पाठ के सूक्ष्म-से-सूक्ष्म तथा कठिन-से कठिन भावो को
सरलतापूर्वक समझ जाते है। दृश्य-श्रव्य सामग्री का अर्थ उन समस्त
सामग्री से है, जो कक्षा में अथवा अन्य शिक्षण परिस्थितियों में लिखित
अथवा बोली हुई पाठ्य सामग्री को समझाने में व्यापक सहायता देती
है। इसके अन्तर्गत सिनेमा, वृत्तचित्र, दूरदर्शन, नाटक इत्यादि को
शामिल किया है।
7.1.1 शिक्षण सहायक सामग्री के कार्य
शिक्षण सहायक सामग्री के प्रमुख कार्य इस प्रकार है
• इससे बालकों को सिखाने की क्रिया में प्रेरणा एवं उत्सुकता में सहायता
मिलती है।
• इसके प्रयोग से बालकों को विविध प्रकार की क्रियाएँ करने के पर्याप्त
अवसर मिलते है।
• इसके प्रयोग करने से बालकों को कठिन से कठिन पाठ्य-सामग्री का
स्पष्टीकरण हो जाता है। इससे पाठ अधिक सरल, रोचक तथा मनोरंजक
बन जाते हैं। इसके प्रयोग से बालकों में पाठ के प्रति रुचि का विकास
होता है। इसके प्रयोग से शिक्षण में व्यापक कुशलता आती है तथा साथ ही
शिक्षण और अधिक प्रभावशाली बन जाता है।
• शिक्षण सामग्री कम समय में शिक्षण में सीखने व सिखाने की प्रक्रिया को
प्रभावी बनाता है।
शिक्षण में पाठ्य-पुस्तक का महत्त्व
एक आदर्श शिक्षा व्यवस्था में पाठ्य-पुस्तके पाठ्यचर्या के कार्यान्वयन के लिए
जरूरी कई संसाधनों में से एक होती है। भारत में अधिकांश विद्यार्थी व शिक्षकों
के लिए पाठ्य-पुस्तके एकमात्र उपलब्ध व कम खर्चीले संसाधन है। इसलिए
देशभर में अच्छी विज्ञान शिक्षा के एकसमान प्रसार के लिए जरूरी है कि हम
पाठ्य-पुस्तकों को प्राथमिक संसाधनों के रूप में ले। पाठ्य-पुस्तके ऐसी हो जो
पाठ्यचर्या के उद्देश्यों की प्राप्ति में मदद करें, जैसा कि हमने पहले ही कहा
है। आज की एक बड़ी समस्या है-रटकर सीखने के तरीके और इसकी
वजह है-परीक्षा-पद्धति। पाठ्य-पुस्तके इस स्थिति से निकालने में सहायक
सिद्ध हो सकती है, यह ऐसे प्रश्नों को उठा सकती है, जो अभिरुचि जगाने
वाले और समस्या समाधान व कार्यकलापोन्मुख हो।
पाठ्य-पुस्तक लेखन-प्रक्रिया में सुधार
पाठ्य-पुस्तक लेखन-प्रक्रिया में निम्नलिखित सुधार इस प्रकार है
• राष्ट्रीय व राज्य स्तरीय संस्थाएँ जिस तरीके से पाठ्य-पुस्तक लेखन कर
रही है, उस पर विचार करने की जरूरत है।
• पाठ्य-पुस्तक लेखन के साथ-साथ पाठ्यक्रम का विकास किया जाना
चाहिए, जिसमें पाठ्यचर्या द्वारा तय किए गए उद्देश्यों का ख्याल रखना
जरूरी है।
•ठ्य-पुस्तक लेखन में शिक्षकों की भागीदारी भी अनिवार्य हो। सभी स्तरों
के शिक्षकों के साथ मिलकर पाठ्य-पुस्तकों की जांच-पड़ताल की प्रक्रिया
शुरू की जानी चाहिए।
• विज्ञान की पाठ्य-पुस्तकों में प्रयोगों/कार्यकलापों के सन्तुलित समायोजन
के लिए ‘फील्ड-टेस्टिंग’ जरूरी है। परम्पराओं, शोध से मिली सूचनाओं व
फीडबैक की प्रक्रियाओं का पाठ्य-पुस्तक विकास के ही एक हिस्से के
रूप में संस्थानीकरण जरूरी है।
7.1.2 आधारिक संरचना
शिक्षण की दृष्टि से आधारिक संरचना निम्नलिखित प्रकार से हैं
• पाठ्यचर्या द्वारा निर्धारित उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए न्यूनतम आधारिक
संरचना जरूरी है। अभी अधिकांश स्कूलों में यह संरचना अपर्याप्त है।
प्रत्येक स्कूल । में कम-से-कम एक भवन, पर्याप्त कमरे, एक खेल का
मैदान, पीने का पानी और शौचालय होना अनिवार्य है। अभी भी हमारे देश
में अनेक ऐसे स्कूल हैं, जहाँ पानी व शौचालय नहीं है। अन्य सुविधाएँ तो
दूर की बातें हैं। इनके अतिरिक्त, विज्ञान शिक्षा के लिए कुछ अतिरिक्त
संसाधन होने चाहिए।
• प्रत्येक प्राथमिक स्कूल में एक ‘एक्टिविटी कमरा’ या ऐसी कोई जगह होनी
चाहिए, जहाँ बच्चे व्यक्तिगत या छोटे-छोटे समूह में क्रियाकलाप के लिए जमा
हो सके। इस कमरे में तस्वीरें, चार्ट, मॉडल जमा किए जा सकते हैं, जो बाहर
से लाए जा सकते है या जिन्हें बच्चे खुद व शिक्षक भी तैयार कर सकते हैं।
कुछ आवश्यक औजार मसलन, हैण्ड लेन्स, चुम्बक, कैची, पेन, चाकू व
टॉर्च-लाइट भी यहाँ रखे जा सकते हैं।
• एक बड़ा ग्लोब और शरीर के अंगों के मॉडल आदि अनिवार्य शिक्षण
सामग्री हैं। पहेली, विज्ञान के खिलौने आदि भी दिए जा सकते हैं। विद्यार्थियों
व शिक्षकों की जरूरतों व उम्र के अनुरूप किताबें उपलब्ध होनी चाहिए।
• शिक्षक के लिए निर्देशिका किताबें, विज्ञान की लोकप्रिय किताबें, शब्दकोष,
इनसाइक्लोपीडिया और अन्य सन्दर्भित ग्रन्थ भी उपलब्ध होने चाहिए। एक
छोटी-सी कार्यशाला भी बनाई जा सकती है। कार्यशाला में डिजाइन व स्वयं
गढ़ने के तरीके सीखने के लिए छोटे-छोटे उपकरण हो। कक्षा की ही तीन
दीवारों को ब्लैकबोर्ड के रूप में बदला जा सकता है, जिस पर लिखने व
चित्रकारी के लिए बच्चों को उत्साहित किया जाना चाहिए।
• उच्च प्राथमिक स्तर के लिए, एक्टिविटी कमरे में छोटे-छोटे प्रयोग करने
हेतु जरूरी सामान उपलब्ध कराए जाने चाहिए। साथ ही, नमूने डिजाइन
करने के लिए स्कूल में कार्यशाला अवश्य होनी चाहिए।
• माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्तर पर इन सुविधाओं को और ज्यादा
उच्च स्तरीय बनाने की जरूरत है। सुनियोजित प्रयोगशालाएँ, इन्टरनेट व
मल्टीमीडिया सुविधाएँ (कम-से-कम शिक्षकों के लिए) और समृद्ध
पुस्तकालय, जिसमें रोजगार सम्बन्धी सूचनाएं प्रदान करने वाली किताबें भी
हो ये सब माध्यमिक व उच्च माध्यमिक स्तर के लिए जरूरी है। यदि सभी
स्कूलो में यह सम्भव नहीं हो सके, तो कम-से-कम विज्ञान संसाधन केन्द्रों
में इन्हें अवश्य उपलब्ध कराया जाना चाहिए।
• पंचायत/प्रखण्ड/जिला स्तर पर चलती-फिरती प्रयोगशाला (मोबाइल
प्रयोगशाला) में इन्हें उपलब्ध कराया जाना भी कारगर सिद्ध होगा। साथ ही,
हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि प्रत्येक में परिवेश समृद्ध प्राकृतिक व
मानवीय संसाधन उपलब्ध होते हैं, जिनका रचनात्मक इस्तेमाल किया जा
सकता है।
• स्कूलों में संसाधनों की असमान उपलब्धता बड़े फासलों को जन्म देती है,
जो हमारे संविधान के ‘अवसर की समानता’ के दावे के विरुद्ध है। संसाधनों
के अभाव का दूसरा नकारात्मक प्रभाव भी देखने को मिलते है। इसने
पाठ्यचर्या-निर्माताओं व पाठ्य-पुस्तक लेखकों को इसी सन्दर्भ में सोचने की
प्रवृत्ति को जन्म दिया है।
• उन्होने अपने कार्य को कम सुविधाओं और प्रेरणा देने वाली सोच के
अनुसार ही ढाला है। इससे यह निष्कर्ष निकलता है कि संसाधनों की
माँग/जरूरत इच्छा जनित विलासिता के लिए होती है, न कि विज्ञान-शिक्षण
की अनिवार्यता के लिए।
7.2 प्रयोगशाला, कार्यशाला और पुस्तकालय
हमारे प्राथमिक स्कूलों में कार्यकलाप-आधारित विज्ञान शिक्षण की बात
अभी प्रथम चरण में है, यह अभी तक वास्तविकता नहीं बन पाई है, ऐसे
में माध्यमिक व उच्च माध्यमिक स्तरों पर प्रायोगिक कार्य व प्रयोगों के प्रति
घटती रुचि भी एक गम्भीर समस्या है। सिद्धान्त व प्रयोग को एक-साथ
लेकर चलने की धारणा पूर्ण रूप से मूर्त रूप नहीं ले सकी है। इसका
कारण है-संसाधनों और कुशल शिक्षकों का व्यापक अभाव। प्रायोगिक
परीक्षाओं के प्रति घटती गम्भीरता ने पहले इसे परीक्षा से हटाने और
अन्ततः शिक्षण में भी तुच्छ-सा स्थान देने या फिर शिक्षण व्यवहार से
बिल्कुल ही हटाने की धारणा को बल प्रदान किया। यही कारण है कि
विज्ञान सीखने के लिए प्रयोग मूलभूत शर्त है, इसके प्रति जागरूकता व
प्रतिबद्धता की कमी के लिए प्रायः व्यावहारिक परेशानियों का बहाना बनाया
जाता है। विज्ञान की बेहतर शिक्षा के लिए प्रायोगिक एवं रचनात्मक पक्षों
को प्रोत्साहित किए जाने की आवश्यकता है।
7.2.1 पर्यावरण शिक्षा में सूचना एवं संचार तकनीक
पर्यावरण शिक्षा में सूचना की तकनीके निम्न हैं
• रेडियो और दूरदर्शन ने संचार के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
सत्तर के दशक में किया गया उपग्रह अनुदेशीय दूरदर्शन प्रयोग
(सेटेलाइट इन्स्ट्रक्शनल, टेलीविजन एक्सपेरिमेन्ट (एस.आई.टी.ई.)
वैश्विक स्तर पर सम्भवत: सबसे बड़ा सामाजिक प्रयोग था। जिसने
शिक्षा के क्षेत्र में उपग्रह-संचार की महत्ता को स्थापित कर दिया। तब से
शैक्षिक तकनीकी को पूरे देश में शिक्षा को सार्वभौमिक बनाने के मुख्य
यन्त्र के रूप में देखा जाने लगा है।
• विगत दो दशकों से कम्प्यूटर का बढ़ता प्रयोग दूरसंचार में हुए प्रभावी
विकास और इन्टरनेट ने अन्य तकनीकी उपक्रमों के साथ मिलकर
सूचना एवं संचार तकनीकी के रूप में शिक्षा के क्षेत्र में जहाँ नए
अवसर खोल दिए हैं।
• पर्यावरण अध्ययन के शिक्षण में आई.सी.टी. के उपयोग की प्रासंगिकता
को अच्छी तरह स्वीकारा जा चुका है, लेकिन व्यवहारिक स्तर पर अभी
भी जमीन खाली पड़ी है। वर्तमान में उपयुक्त शिक्षण सॉफ्टवेयर और
कुशल प्रशिक्षकों का पूर्णत: अभाव है। आज का परिदृश्य पूरी तरह से
बदला हुआ है। स्कूल, घर और कार्यस्थल पर कम्प्यूटर के बढ़ते प्रयोग
व इन्टरनेट के फैलते जाल को देखते हुए आई.सी.टी. शिक्षा के क्षेत्र में
महत्त्वपूर्ण उपकरण के रूप में उपयुक्त होने के दावे के साथ सामने
खड़ा है, लेकिन यह तभी ग्राह्य है, जब विज्ञान के विभिन्न संकायों में
गुणवत्तापूर्ण सॉफ्टवेयर उपलब्ध कराए जाएँ।
• इन्टरनेट ने व्यापक सम्भावनाओं के द्वार खोले हैं। यह पाठ्यचर्या व
सह-पाठ्यचर्या के संगत विषयों पर बच्चों के लिए इलेक्ट्रॉनिक
प्लेटफॉर्म का कार्य कर सकता है। जहाँ शिक्षक और बच्चे प्रश्न पूछने,
उत्तर देने, बहस करने के अतिरिक्त विशेषज्ञों से भी सलाह ले सकते है।
• स्कूली बच्चों के लिए इस तरह की व्यवस्था (हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर
को मिलाकर) विकसित की जा सकती है, जिसमें वे अपने शारीरिक
और अन्य लक्षणों (मसलन, तापमान, प्रकाश की तीव्रता, आर्द्रता आदि)
को माप सकते हैं और उन्हें नियन्त्रित करने का भी अवसर प्राप्त
कर सकते है।
• विज्ञान संचार ने सामुदायिक रेडियो (एफ एम) के महत्त्व को भी प्रासंगिक
बना दिया है। कुछ चुने हुए स्कूलों में निम्न-रेंज पर सामुदायिक रेडियो
स्टेशन शुरू किए जा सकते हैं और स्थानीय जरूरतों के मुताबिक विद्यार्थियों
को विज्ञान-कार्यक्रम बनाने व प्रसारित करने के लिए प्रोत्साहित किया जा
सकता है। एडूसैट का ऑडियो (श्रव्य) चैनल इन कार्यक्रमों को दूर-दूर
तक प्रसारित कर सकता है। इस गतिविधि में सहभागिता, विज्ञान सीखने के
लिए बड़ी भूमिका निभा सकती है।
7.2.2 शिक्षण सहायक सामग्रियों का चयन
शिक्षण सहायक सामग्रियों का चयन निम्नलिखित है
1. विद्यार्थी केन्द्रिता का सिद्धान्त (Principle of Child Centred) इस
सिद्धान्त के अनुसार, हार्डवेयर एवं सॉफ्टवेयर शिक्षण साधनों का
उपयोग विद्यार्थी के अधिगम कार्यों में अधिक-से-अधिक प्रभावी
सहायता पहुँचाने के उद्देश्य से किया जाता है।
2. उद्देश्य पूर्ति का सिद्धान्त (Fulfilment of Aim) इस सिद्धान्त के
अनुसार, हार्डवेयर एवं सॉफ्टवेयर शिक्षण साधनों का चयन करते समय
इस बात का पूर्णत: ध्यान रखा जाना चाहिए कि पूर्व निर्धारित
शिक्षण-अधिगम उद्देश्यों की पूर्ति हो।
3. रुचि और अभिप्रेरणा का सिद्धान्त (Principle of Motivation
and Interest) रुचि एवं अभिप्रेरणा किसी भी शिक्षण-अधिगम
कार्य के केन्द्रीय तत्त्व माने जाते हैं और इसलिए हार्डवेयर तथा
सॉफ्टवेयर शिक्षण साधनों का एक बड़ा उत्तरदायित्व इस प्रकार के
शिक्षण-अधिगम वातावरण का निर्माण करते रहना है, जिसमें
विद्यार्थियों की स्वाभाविक रुचि, जिज्ञासा, सीखने का उत्साह तथा
अभिप्रेरणा लगातार बनी रहे।
4. विषय-वस्तु के अनुकूल होने का सिद्धान्त (Principle of
Applicable According to Subject Theme) हार्डवेयर एवं
सॉफ्टवेयर शिक्षण साधनों का चयन करते समय इस बात का ध्यान
रखा जाना चाहिए कि ये विषय-वस्तु तथा अधिगम अनुभवों के
अनुकूल हों ताकि जटिलताओं का सामना नहीं करना पड़े।
5. संसाधनों के चयन का सिद्धान्त (Principle of Selection of
Resources) हार्डवेयर एवं सॉफ्टवेयर शिक्षण साधनों का चयन
करते समय इस बात का ध्यान रखना अनिवार्य है कि कौन-सी
शिक्षण सहायक सामग्री उपलब्ध हैं और इनमें से किसका चयन पाठ
के शिक्षण के लिए बेहतर होगा।
                                         अभ्यास प्रश्न
1. किस शिक्षण सहायक सामग्री से छात्रों
को उच्चकोटि का पुनर्बलन प्राप्त हो
सकता है?
(1) कम्प्यूटर
(2) चार्ट
(3) रेडियो
(4) टेलीविजन
2. श्रव्य-दृश्य साधनों के प्रयोग का तर्काधार
इस तथ्य पर आधारित है कि
(1) इससे अध्यापन-अधिगम प्रक्रिया सुगम हो जाती
(2) इससे अधिगम स्थूल हो जाता है
(3) इससे हमारी दोनों इन्द्रियाँ सक्रिय हैं
(4) यह मात्र किसी चीज को करने का दूसरा
तरीका है
3. दृश्य-श्रव्य सामग्री का प्रयोग कब किया
जाना चाहिए?
(1) जब वस्तु इतनी बड़ी हो कि उसे कक्षा में
न लाया जा सके
(2) जब वस्तु इतनी छोटी हो कि उसे
सरलतापूर्वक न देखा जा सके
(3) जब दूर स्थित किसी वस्तु, व्यक्ति या
स्थान के बारे में बताना हो
(4) उपरोक्त सभी
4. निम्नलिखित में से कौन केवल दृश्य
शिक्षण सहायक सामग्री है?
(1) कम्प्यूटर
(2) चार्ट
(3) रेडियो
(4) टेलीविजन
5. आप पाते हैं कि भोजन अवकाश के बाद
बच्चे पर्यावरण अध्ययन की कक्षा में रुचि
नहीं ले रहे हैं। तो ऐसे में आप क्या करेंगे
कि वह कक्षा में जीवन्त बने रहें
(1) बच्चों से कहेंगे कि वे डेस्क पर सिर रखकर
आराम करें
(2) बच्चों को बाहर मैदान में खेलने के लिए
कहेंगे
(3) प्रकरण को तुरन्त बदल देंगे
(4) पाठ को रोचक बनाने के लिए बहुआयामी
बुद्धि पर आधारित दृश्य-श्रव्य सामग्रियों का
प्रयोग करेंगे
6. मोहिनी कक्षा में पर्यावरण अध्ययन को
पढ़ाते समय श्रव्य-दृश्य सामग्रियों एवं
शारीरिक गतिविधियों का प्रयोग करती है,
क्योकि ये
(1) शिक्षार्थियों को दिशा-परिवर्तन उपलब्ध
कराते हैं
(2) शिक्षक को आराम उपलब्ध कराते हैं
(3) अधिगम वृद्धि में अधिकतम इन्द्रियों का
उपयोग करते हैं
(4) प्रभावी आकलन को सुगम बनाते हैं
7. बालकों को निरीक्षण एवं परीक्षण के
अवसर प्रदान कर उनकी अवलोकन
शक्ति का विकास करने में सर्वाधिक
सहायक हो सकता है?
(1) कम्प्यूटर
(2) रेडियो
(3) वास्तविक पदार्थ
(4) टेलीविजन
8. दृश्य श्रव्य सामग्री कैसी नहीं होनी चाहिए?
(1) जो शिक्षण के उद्देश्य की प्राप्ति में सहायता दे
(2) सुन्दर तथा आकर्षक
(3) बालक को विचलित करने वाला
(4) बालकों की रुचि को बढ़ाने वाला
9. बालकों में निरीक्षण करने की योग्यता के
विकास में सर्वाधिक मदद करता है
(1) भ्रमण
(2) चार्ट
(3) नमूना
(4) कम्प्यूटर
10. शिक्षण सहायक सामग्री का/के लाभ है/है?
(1) इससे पाठ अधिक सरल, रोचक तथा मनोरंजक बन
जाता है
(2) इसके प्रयोग से बालकों में पाठ के प्रति रुचि का
विकास होता है
(3) इसके प्रयोग से शिक्षण में कुशलता आती है
(4) उपरोक्त सभी
11. आनन्द एक अध्यापक है, जो कक्षा के
विद्यार्थियों को अपने देश के भोजन की
सांस्कृतिक विविधता बताना चाहता है, तो इस
विषय को पढ़ाने के लिए सर्वोत्तम विधि
निम्नलिखित में से क्या होगी?
(1) विद्यार्थियों से पूछे कि उन्होंने क्या खाया है, उसके
बाद चर्चा करें
(2) विभिन्न प्रकार की खाने की चीजों के चित्रों वाले
फ्लैश कार्ड दिखाएँ
(3) अपने देश के विभिन्न राज्यों के विभिन्न लोगों द्वारा
खाए जाने वाले विविध भोजन के विषय में
विद्यार्थियों को एक प्रोजेक्ट दें
(4) विद्यार्थियों से कहें कि वे अपने परिवार के भोजन के
बारे में सूचना एकत्र करें।
12. एक अध्यापक कक्षा में अपने प्रत्येक
छात्र को अपने घरों की रद्दी सामग्री
से कुछ उपयोगी वस्तु बनाने को
कहता है। शिक्षक का शैक्षिक
अभिप्राय नहीं है
(1) कक्षा के श्रेष्ठ विद्यार्थी के विषय में
निर्णय करना
(2) बच्चों में सृजनशीलता का विकास करना
(3) बच्चों को पुनश्चक्रण, पुनः प्रयोग और
रूपान्तरण को समझने देना
(4) कूड़े से बनी श्रेष्ठ वस्तुओं की प्रदर्शनी
आयोजित करना
13. पुनर्बलन कौशल का उपयोग करते हैं
(1) शिक्षण का अग्रसरण हेतु
(2) छात्रों के प्रोत्साहन हेतु
(3) अधिगम को रुचिकर बनाने हेतु
(4) उपरोक्त सभी
14. किस शैक्षिक तकनीक को व्यवहार
तकनीक कहा जाता है?
(1) हार्डवेयर उपागम
(2) सॉफ्टवेयर उपागम
(3) प्रणाली विश्लेषण
(4) उपरोक्त सभी
15. एपिडायास्कोप उपकरण का उपयोग
निम्नलिखित में किसके लिए किया
जाता है?
(1) वस्तुओं को स्पष्ट रूप से देखने के लिए
(2) किसी अपारदर्शी वस्तु को स्क्रीन पर
प्रक्षेपित करने के लिए
(3) किसी वस्तु की नकल उतारने के लिए
(4) किसी वस्तु को बड़ा दिखाने के लिए
16. शिक्षण मशीनों की विशेषता होती है
(1) ये शिक्षण समस्या का समाधान करने में
सहायक होती है
(2) इनमें बाह्य अनुक्रिया के लिए अवसर
दिया जाता है
(3) इनसे पत्रों के मूल्यांकन करने में भी
आसानी होती है
(4) उपरोक्त सभी
17. आप पर्यावरण अध्ययन की कक्षा में
सामाजिक असमानता पर अधिक बल
देना चाहते है, तो ऐसे में निम्नलिखित
में से कौन-सा अधिक प्रभावी
अधिगम अनुभव होगा?
(1) सम्बन्धित मामलों पर विवज प्रतियोगिता
का संचालन
(2) सम्बनिधत मामलों पर वीडियो फिल्म
दिखाना
(3) विद्यार्थियों के समूह परियोजनाओं का
भार अपने ऊपर लेने के लिए कहना
(4) सम्बन्धित मामलों पर विशिष्ट भाषण
आयोजित करना
18. पर्यावरण अध्ययन की कक्षा में शुभम कक्षा
V के विद्यार्थियों को पोषण पर आधारित
प्रकरण से परिचित कराना चाहता है, तो उसे
क्या करना चाहिए?
(1) पोषक तत्त्वों से भरपूर विभिन्न प्रकार के भोजन
के उदाहरण देने चाहिए
(2) श्यामपट्ट पर पाचन तन्त्र का रेखाचित्र बनाना
चाहिए
(3) शिक्षार्थियों से कहना चाहिए कि वे अपने-अपने
टिफिन बॉक्स खोलें उसके तत्त्वों का अवलोकन
करें और उसके बाद उन्हें व्याख्या करनी चाहिए
(4) विभिन्न प्रकार के भोजन को प्रदर्शित करने वाले
चार्ट का प्रयोग करना चाहिए
19. निम्नलिखित में से कौन केवल श्रव्य शिक्षण
सहायक सामग्री है?
(1) कम्प्यूटर
(2) चार्ट
(3) रेडियो
(4) टेलीविजन
20. निम्नलिखित में से कौन दृश्य-श्रव्य शिक्षण
सहायक सामग्री है?
(1) कम्प्यूटर
(2) चार्ट
(3) रेडियो
(4) पुस्तक
21. दूर स्थित किसी वस्तु, व्यक्ति या स्थान के
विषय में शिक्षण के समय किसका प्रयोग
सर्वाधिक अच्छा हो सकता है?
(1) चित्र
(2) चार्ट
(3) नमूना
(4) कम्प्यूटर
22. किससे बालकों की कल्पनाशक्ति का विकास
सम्भव है?
(1) कम्प्यूटर
(2) रेडियो
(3) टेलीविजन
(4) ये सभी
23. रितिका अपनी कक्षा के विद्यार्थियों को
विभिन्न प्रकार के ईंधनों से परिचित कराने के
लिए क्या करेगी?
(1) चार्ट पर ईंधनों के चित्र प्रदर्शित कर सकता है
(2) कक्षा में कुछ ईंधनों के नमूने दिखा सकता है
(3) बच्चों से विभिन्न प्रकार के ईधनों की सूची बनाने
के लिए कह सकता है
(4) एक लघु फिल्म दिखाने के साथ खाना पकाने
के लिए इस्तेमाल होने वाले सम्भावित ईधन के
प्रकारों पर बच्चों के साथ चर्चा कर सकता है
24. विद्यार्थियों को मानचित्र पढ़ने के लिए
आवश्यक कौशल में क्या शामिल है?
(1) ड्रॉइंग और पेण्टिंग में विलक्षण कुशलता
(2) अभिव्यक्तात्मक योग्यताओं को बाहर निकालने
के लिए विलक्षण सम्प्रेषण कौशल
(3) ग्लोब पर स्थिति दर्शाने के लिए स्केच और
गणनाओं का उपयोग
(4) स्थान-दूरी और दिशाओं की सापेक्ष स्थिति को
समझने की योग्यता
                                    विगत वर्षों में पूछे गए प्रश्न
25. मानचित्र पढ़ने के लिए आवश्यक कौशल में
शामिल है।                          [CTETJune, 2011]
(1) अभिव्यक्तात्मक योग्यताओं को बाहर निकालने के
लिए विलक्षण सम्प्रेषण कौशल
(2) स्थान, दूरी और दिशाओं की सापेक्ष स्थिति को
समझने की योग्यता
(3) ड्रॉईंग और पेण्टिंग में विलक्षण कुशलता
(4) ग्लोब पर स्थिति दर्शाने के लिए स्केच और
गणनाओं का उपयोग करने की योग्यता
26. दोपहर के भोजन अवकाश के बाद पर्यावरण
अध्ययन पढ़ाते समय आप यह पाते है कि
बच्चे पाठ में रुचि नहीं ले रहे हैं, ऐसी स्थिति
में आप क्या करेंगे?             [CTET July 2011]
(1) बच्चों को बाहर मैदान में खेलने के लिए ले जाएँगे
(2) बच्चों से कहेंगे कि वे डेस्क पर सिर रखकर
आराम करें
(3) पाठ को रोचक बनाने के लिए बहु-आयामी बुद्धि पर
आधारित दृश्य-श्रव्य सामग्रियों का प्रयोग करेंगे
(4) प्रकरण को तुरन्त बदल देंगे
27. बच्चों को विभिन्न प्रकार के ईंधनों से परिचित
कराने के लिए शिक्षक            [CTET July 2011]
(1) कक्षा में कुछ ईधनों के नमूने दिखा सकते हैं
(2) एक लघु फिल्म दिखाने के साथ खाना पकाने के
लिए इस्तेमाल होने वाले सम्भावित ईंधन के प्रकारों
पर बच्चों के साथ चर्चा कर सकते हैं
(3) चार्ट पर ईंधनों के चित्र प्रदर्शित कर सकते हैं
(4) बच्चों से विभिन्न प्रकार के ईंधनों की सूची बनाने
के लिए कह सकते हैं
28. कक्षा में ‘पोषण’ प्रकरण का परिचय अधिक
प्रभावी तरीके से देने के लिए शिक्षक को
                                      [CTET Feb 2012]
(1) मानव-दाँतों का प्रतिरूप दिखाना चाहिए
(2) विद्यार्थियों को अपने टिफिन बॉक्स खोलने और
उसकी सामग्री (भोजन) को देखने के लिए कहना
चाहिए तथा बाद में शिक्षक को व्याख्या करनी
चाहिए
(3) पोषक तत्वों से भरपूर विभिन्न भोजन के उदाहरण
देने चाहिए
(4) श्यामपट्ट पर पाचन तन्त्र का आरेख बनाना चाहिए
29. एक कक्षा के अनुभाग ‘अ’ को पेट्रोलियम और
कोयले के भण्डारों में रिक्तिकरण प्रकरण पढ़ाने
के लिए ‘मल्टीमीडिया कैप्सूल’ (multimedia
capsule) का प्रयोग किया गया, जबकि अनुभाग
‘ब’ को ग्रीन बोर्ड पर आरेख बनाते हुए पढ़ाया
गया। बाद में यह पाया गया अनुभाग के
विद्यार्थियों ने एक बेहतर सीमा तक प्रकरण को
समझ लिया। ऐसा होने के कारण यह हो सकता
है, कि                                    [CTET Feb 2012]
(1) ग्रीन बोर्ड एक अच्छी दृश्य सामग्री नहीं है
(2) बहु उपागम दैनिक जीवन-स्थितियों के अधिक
नजदीक है
(3) मल्टीमीडिया सामग्रियों का प्रयोग अपेक्षाकृत
अधिक मितव्ययी (economical) है
(4) दृश्य-श्रव्य सामग्रियाँ बेहतर संधारण के लिए
सभी इन्द्रियों को शामिल करती हैं
30. एक शिक्षक पढ़ाते समय श्रव्य-दृश्य
सामग्रियों एवं शारीरिक गतिविधियों का
प्रयोग करता है, क्योंकि ये
                                       [CTET Nov 2012]
(1) अधिगम वृद्धि में अधिकतम इन्द्रियों का उपयोग
करते हैं
(2) शिक्षक को आराम उपलब्ध कराते हैं
(3) प्रभावी आकलन को सुगम बनाते हैं
(4) शिक्षार्थियों को दिशा परिवर्तन उपलब्ध
कराते हैं
31. नलिनी कक्षा III के शिक्षार्थियों को
‘जानवर-हमारे साथी’ प्रकरण से परिचित
कराना चाहती है। प्रकरण को और अधिक
रोचक तरीके से प्रस्तुत करने के लिए
निम्नलिखित में से कौन-सी युक्ति सर्वाधिक
उपयुक्त होगी?                             [CTET July 2013]
(1) शिक्षार्थियों को पाठ्य-पुस्तक में जानवरों के
दिए गए चित्रों को देखने के लिए कहना
(2) विभिन्न जानवरों के चित्रों को प्रदर्शित करने
वाले चार्ट का प्रयोग करना
(3) विभिन्न जानवरों के चित्रों को श्यामपट्ट
पर बनाना
(4) जानवरों तथा उनकी उपयोगिता पर आधारित
फिल्म प्रदर्शित करना
32. EVS की कक्षा में सामाजिक असमानताओं
पर अधिक बल देने के लिए निम्नलिखित
में से कौन-सा अधिक प्रभावी अधिगम
अनुभव होगा?                       [CTET July 2013]
(1) सम्बन्धित मामलों (समस्याओं) पर वीडियो
फिल्म दिखाना
(2) सम्बन्धित मामलों (समस्याओं) पर विशिष्ट
भाषण आयोजित करना
(3) सम्बन्धित मामलों पर क्विज प्रतियोगिता
(प्रश्नोत्तर प्रतियोगिता) का संचालन
(4) विद्यार्थियों से समूह परियोजनाओं का भार
अपने ऊपर लेने के लिए कहना
33. शालिनी कक्षा V के शिक्षार्थियों को ‘पोषण’
पर आधारित प्रकरण से परिचित कराना
चाहती है। उन्हें            [CTET Sept 2014]
(1) श्यामपट्ट पर पाचन तन्त्र का आरेख बनाना
चाहिए
(2) पोषक तत्वों से भरपूर विभिन्न प्रकार के
भोजन के उदाहरण देने चाहिए
(3) विभिन्न प्रकार के भोजन को प्रदर्शित करने
वाले चार्ट का प्रयोग करना चाहिए
(4) शिक्षार्थियों से कहना चाहिए कि वे अपने अपने
टिफिन बॉक्स खोले, उसके तत्वों का
अवलोकन करें और उसके बाद उन्हें व्याख्या
करनी चाहिए।
34. प्राथमिक कक्षाओं के विद्यार्थियों को
मानचित्र-शिक्षण के लिए निम्नलिखित में से
कौन-सी युक्ति सर्वाधिक उपयुक्त प्रतीत होती
है?                               [CTET Feb 2015]
(1) अध्यापक द्वारा श्यामपट्ट पर मानचित्र बनाना
तथा शिक्षार्थियों को विभिन्न स्थानों की स्थिति
बताने को कहना
(2) शिक्षार्थियों को निर्देश देना कि वे घर से भारत
का मानचित्र लेकर आएँ
(3) शिक्षार्थियों को एटलस दिखाना और विभिन्न
स्थानों की स्थिति बताने के लिए कहना
(4) शिक्षार्थियों की सहायता करना कि वे अपने ही
संकेतों का उपयोग करते हुए अपने निकटतम
परिवेश का मानचित्र बनाएँ तथा वस्तुओं की
सापेक्ष स्थिति और दिशा पर ध्यान केन्द्रित करें
35. एक अध्यापक को कक्षा IV के विद्यार्थियों
को हमारे देश के भोजन की सांस्कृतिक
विविधताएँ पढ़ानी है। इस विषय को पढ़ाने
के लिए सर्वोत्तम विधि निम्नलिखित में से
                                    [CTET Feb 2015]
(1) विभिन्न प्रकार की खाने की चीजों के चित्रों
वाले फ्लैश कार्ड दिखाएँ
(2) अपने देश के विभिन्न राज्यों के विभिन्न लोगों
द्वारा खाए जाने वाले विविध भोजन के विषय
में विद्यार्थियों को एक प्रोजेक्ट (परियोजना) दें
(3) विद्यार्थियों से पूछे कि उन्होंने क्या खाया है,
उसके बाद चर्चा करें
(4) विद्यार्थियों से कहें कि वे अपने परिवार के
भोजन के विषय में सूचना एकत्र करें
36. एक शिक्षिका ने कक्षा IV के शिक्षार्थियों को
पढ़ाने के लिए ‘पौधे’ अन्तर्वस्तु का चयन
किया। उसने सीखने के लिए निम्नलिखित
अवसर प्रदान किए [CTET Sept 2018)
A. समूहों में पत्तियों का संग्रह करना
B. पत्तियों के आकार, स्वरूप और अन्य
विशेषताओं पर चर्चा करना
क्या है?
C. अपना वनस्पति संग्रहालय बनाना
इस प्रकार के गतिविधियों हेतु शिक्षिका को
किस बात के लिए सबसे अधिक प्रोत्साहन
नहीं देना चाहिए?
(1) जितनी अधिक पत्तियों के विषय में सम्भव हो
उतना उनके नाम याद करने में बच्चों की
पहल
(2) बच्चों के द्वारा कार्य का विस्तार
(3) बच्चों का निरन्तर गतिविधि में लगे रहना
(4) बच्चों की परस्पर क्रिया, अवलोकन और
सहयोग
37. कक्षा IV की एक शिक्षिका ने अपने
विद्यार्थियों से कहा-“कुछ वयोवृद्ध लोगों
से यह पूछिए कि जब वे जवान थे तो क्या
उन्होंने कुछ ऐसे पौधे देखे थे, जो आजकल
नहीं दिखाई पड़ते हैं।” उपरोक्त प्रश्न के
पूछे जाने पर निम्नलिखित में से किस
कौशल के आकलन की सम्भावना नहीं है?
                                [CTET Sep 2016]
(1) चर्चा
(2) प्रश्न पूछना
(3) अभिव्यक्ति
(4) प्रयोग
38. एक शिक्षक प्रत्येक बच्चे से अपने घर की
रद्दी-सामग्री से कुछ उपयोगी वस्तु बनाने
को कहता है। शिक्षक का शैक्षिक अभिप्राय
नहीं है                            [CTET Sept 2016]
(1) कूड़े से बनी श्रेष्ठ वस्तुओं की प्रदर्शनी
आयोजित करना
(2) कक्षा के श्रेष्ठ विद्यार्थी के विषय में निर्णय
करना
(3) बच्चों में सृजनशीलता का विकास करना
(4) बच्चों को पुनश्चक्रण, पुनःप्रयोग और
रूपान्तरण को समझने देना
                                           उत्तरमाला
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