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CTET Notes in Hindi | व्यक्तिगत विभिन्नताएँ

CTET Notes in Hindi | व्यक्तिगत विभिन्नताएँ

व्यक्तिगत विभिन्नताएँ

→ वैयक्तिक भिन्नताओं का अध्ययन सर्वप्रथम गाल्टन (Galton) ने प्रारम्भ किया, इनके यह अध्ययन वैज्ञानिक थे।
→ वैयक्तिक भिन्नताओं के ही कारण एक व्यक्ति हजारों रुपये रोज कमाता है और दूसरे केवल कुछ रुपये भी कमाने में असमर्थ होते हैं, क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति की शारीरिक और मानसिक योग्यताएँ समान न होकर भिन्न-भिन्न होती हैं।
→ स्किनर (Skinner) के अनुसार, “आजकल वैयक्तिक भिन्नताओं के अध्ययन में व्यक्ति के सम्पूर्ण व्यक्तित्व के किसी भी मापने योग्य पहलू को सम्मिलित किया जाता है।”
→ जेम्स ड्रेवर के अनुसार, “एक समूह के सदस्यों में समूह के औसत से मानसिक या शारीरिक विशेषताओं का विचलन ही वैयक्तिक भिन्नताएँ हैं।”
वैयक्तिक भिन्नताओं का विस्तार
Range of Individual Differences
> वैयक्तिक भिन्नताओं के विस्तार से अभिप्राय है कि सर्वाधिक मात्रा में अच्छे कौशल वाले व्यक्ति तथा सबसे कम मात्रा में कौशल वाले व्यक्ति में कितना अंतर होता है। औद्योगिक मनोविज्ञान में वैयक्तिक भिन्नताओं के विचार का अभिप्राय है कि
निम्न लक्षण वाले और श्रेष्ठ लक्षण वाले कर्मचारी में क्या अंतर है?
> हल (Hull) ने अपने एक अध्ययन में 107 हाई स्कूल के छात्रों को चुना। इनसे उसने 35 मानकीकृत परीक्षण भरवाए। परीक्षण के परिणामों के आधार पर उसने श्रेष्ठ कौशल वाले और निम्न कौशल वाले छात्रों को छाँटकर दो समूहों में विभाजित
किये। निम्न कौशल वाले और श्रेष्ठ कौशल वाले छात्रों में इसे जो अनुपात प्राप्त हुए, वह इस प्रकार है-1: 1.2, 1 : 3, 1: 5.2, 1: 5.7,1:7.6, 1:19 आदि। सभी परीक्षणों के आधार पर औसत अनुपात 1: 5.2 प्राप्त हुआ।
> वेश्वर (Wechsler) ने अपने अध्ययनों के आधार पर यह अनुपात 2:1 का प्राप्त किया। वेश्लर ने अपने अध्ययनों में मानकीकृत मानसिक परीक्षणों का उपयोग किया। औद्योगिक मनोविज्ञान के क्षेत्र में श्रेष्ठ और निम्न में 2:1 का अनुपात माना
जाता है।
वैयक्तिक विभिन्नता के प्रकार या क्षेत्र
Kinds or Areas of Individual Difference
व्यक्ति के जीवन के भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में वैयक्तिक विभिन्नता (Individual Difference) पायी जाती है। अतः वैयक्तिक विभिन्नता के कई प्रकार हैं-
(a) शारीरिक विकास (Physical Development) : शारीरिक विकास में विभिन्नता एक ऐसी विभिन्नता है जिसका प्रत्येक व्यक्ति स्पष्ट रूप से प्रत्यक्षण कर सकता है। इसके लिए किसी विशेष उपकरण (Apparatus) या विशेष प्रशिक्षण की जरूरत नहीं होती है। एक ही उम्र के बालकों के शारीरिक विकास एवं परिपक्वता में स्पष्ट अंतर देखने को मिलता है। शिक्षकगण इस तरह के ज्ञान का विशेष फायदा शिक्षा के शिक्षण
(Classroom Teaching) में उठा सकते हैं।
(b) मानसिक विकास (Mental Development) : वैयक्तिक विभिन्नता का दूसरा प्रमुख क्षेत्र मानसिक विकास है। फ्रीमैन तथा फ्लोरी (Freeman & Flory) द्वारा किये गये अध्ययन से यह स्पष्ट हो गया है कि स्कूल के छात्रों की बुद्धि का मापन करने में उनमें सामान्यता की विभिन्नता (Difference of Normality) पायी जाती है।
> कुछ ही ऐसे बच्चे होते हैं जो तेज बुद्धि के अर्थात जिनकी बुद्धिलब्धि (IQ) 120 या इससे ऊपर होती है और उसी ढंग से कुछ ही व्यक्ति ऐसे होते हैं जो मन्द बुद्धि के अर्थात जिनकी बुद्धि स्तर 90 से नीचे होती है। अधिकतर छात्रों की बुद्धिलब्धि
100 से 110 के बीच होती है।
(c) सांवेगिक विभिन्नता (EmotionalDifferences): बालकों में सांवेगिक विभिन्नता पायी जाती है। कुछ बालकों में क्रोध, भय, डाह आदि जैसे संवेग अधिक होते हैं तो कुछ बालकों में इन संवेगों की कमी पायी जाती है। कुछ बालकों में स्नेह, प्यार आदि जैसे संवेग की प्रधानता होती है, तो कुछ बालकों में सहानुभूति तथा दूसरों की भलाई के भाव (Altruism) की प्रधानता होती है।
(d) सामाजिक विकास (Social Development): सामाजिक विकास में भी बालकों में स्पष्ट विभिन्नता पायी जाती है। कुछ बालक अधिक संकोचशील होते हैं तो कुछ बालक साहसी एवं बहादुर होते हैं। कुछ बालक कक्षा के नेतृत्व को अपने दामन में
समेटना पसंद करते हैं तो कुछ बालक इसे सिरदर्द समझकर अपना दामन छुड़ाना चाहते हैं। सामाजिक परिस्थिति समान रहने पर भी विभिन्न बालकों द्वारा विभिन्न तरह की सामाजिक प्रतिक्रियाएँ की जाती हैं।
(e) उपलब्धियों में अंतर (Difference in Achievements): बालकों या छात्रों की उपलब्धियों में कई कारणों से विभिन्नता पायी जाती है। एक ही उम्र, एक ही बुद्धि एवं एक ही कक्षा में पढ़ने वाले छात्रों की शैक्षिक उपलब्धियाँ हमेशा समान नहीं होती हैं। कुछ ऐसे छात्र की शैक्षिक उपलब्धियाँ काफी अधिक होती हैं तो कुछ ऐसे छात्र की शैक्षिक उपलब्धियाँ काफी कम होती हैं, ऐसे छात्रों की शैक्षिक उपलब्धियों में अंतर का प्रमुख कारण उनकी अभिरुचि (Interest), प्रेरणा (Motivation) तथा अभ्यास (Practice) में अंतर होता है।
(f) भाषा विकास (Language Development): बालकों में वैयक्तिक विभिन्नता भाषा-विकास के क्षेत्र में भी पाया जाता है। समान उम्र के बालकों में भाषा समान रूप से विकसित नहीं होती है। कुछ बालकों में लिखने, बोलने तथा समझने की शक्ति अधिक विकसित होती है तो कुछ में कम होती है। इस कारण से भी समान उम्र एवं बुद्धि के बालकों की शैक्षिक उपलब्धि में अंतर हो जाता है।
(g) ज्ञानात्मक तथा क्रियात्मक क्षमताओं में अंतर (Differences in Cognitive and Motor Capacities): कुछ छात्रों में क्रियात्मक नियंत्रण (Motor Control) तथा ज्ञानात्मक क्रियात्मक समन्वय (Cognitive-Motor Co-ordination) की क्षमता अधिक होती है, जबकि कुछ छात्रों में ऐसी क्षमताएँ सामान्य होती हैं। इसका परिणाम यह होता है कि कुछ छात्र उन कार्यों में अधिक श्रेष्ठ होते हैं जिनमें ज्ञानात्मक क्रियात्मक समन्वय की अधिकता होती है।
(h) व्यक्तित्व विभिन्नता (Differences in Personality): बालकों के व्यक्तित्व में भी विभिन्नता पायी जाती है। कुछ बालक अन्तर्मुखी (Introvert) होते हैं तो कुछ बहिर्मुखी (Extrovert) होते हैं। कुछ में नेतृत्व संबंधी गुण अधिक होते हैं तो कुछ में अनुयायी बनने के गुण अधिक होते हैं।
(i) अभिरुचियों एवं अभिक्षमताओं में विभिन्नता (Differences in Interests and Aptitudes) : कुछ छात्रों की यांत्रिक अभिक्षमता (Machanical Aptitude) अधिक विकसित होती है, तो कुछ छात्रों की संख्यात्मक अभिक्षमता (Numerical Aptitude) अधिक विकसित होती है। इस तरह छात्रों में विभिन्नता अभिक्षमता एवं अभिरुचि के आधार पर भी होता है।
वैयक्तिक विभिन्नता के कारण
Causes of Individual Difference
वैयक्तिक विभिन्नता के कारण निम्नलिखित हैं-
(a) आनुवंशिकता (Heredity): वैयक्तिक विभिन्नता का एक प्रमुख कारण आनुवंशिकता होती है। बुद्धिमान एवं उत्तम शील-गुण वाले माता-पिता के बच्चों में भी उत्तम शीलगुण होते हैं तथा उनका भी बुद्धि-स्तर श्रेष्ठ होता है। मन्द बुद्धि वाले माता-पिता के बच्चों में भी वैसे ही गुण विकसित हो जाते हैं। इसका कारण स्पष्टतः आनुवंशिकता है।
(b) वातावरण (Environment) : वातावरण में भौतिक वातावरण (Physical Environment)तथा सामाजिक वातावरण (Social Environment)का प्रभाव वैयक्तिक विभिन्नता पर सर्वाधिक पड़ता है। जिस देश के भौतिक वातावरण में ठंड की प्रधानता होती है वहाँ के लोग अधिक फुर्तीले एवं गोरे होते हैं। दूसरी तरफ गर्म वातावरण के लोगों में आलसीपन अधिक होता है एवं उनका रंग भी श्याम होता है।
> उसी तरह यदि बालक ऐसे परिवार से आता है जिसे सामाजिक रूप से सबल कहा जाता है तो उसका आचरण, चरित्र एवं व्यक्तित्व, शीलगुण वैसे बालकों से भिन्न होता है जो सामाजिक रूप से दुर्बल परिवार से आते हैं।
(c) आर्थिक स्थिति एवं शिक्षा (Economic Condition and Education): बालकों में विभिन्नता का एक कारण आर्थिक स्थिति है। आर्थिक स्थिति अच्छा नहीं होने से बालकों का शारीरिक स्वास्थ्य एवं मानसिक स्वास्थ्य दोनों ही प्रभावित हो जाता है। शिक्षा से बालकों में विभिन्नता आती है। शिक्षा से सिर्फ बालकों के ही व्यवहार में विभिन्नता नहीं आती है बल्कि वयस्कों के भी व्यवहार में विभिन्नता आती है।
(d) परिपक्वन (Maturation): वैयक्तिक विभिन्नता का एक कारण परिपक्वन में अंतर है। कुछ बालक शारीरिक एवं मानसिक रूप से अधिक परिपक्व होते हैं तथा कुछ बालकों में शारीरिक एवं मानसिक परिपक्वन अपनी उम्र के अनुसार जितनी होनी चाहिए उतनी नहीं होती है।
(e) प्रजाति एवं राष्ट्रीयता (Race and Nationality): वैयक्तिक विभिन्नता का एक प्रमुख कारण प्रजाति एवं राष्ट्रीयता है । विभिन्न प्रजाति के बालकों के शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, संवेगात्मक विकास में कुछ न कुछ विभिन्नता अवश्य देखने को मिलती है। राष्ट्र के प्रभाव से भी बालकों की आदत, शीलगुण, चरित्र आदि में विभिन्नता पायी जाती है।
(f) लिंग (Sex): वैयक्तिक विभिन्नता का एक प्रमुख स्रोत लिंग होता है। लड़के शारीरिक रूप से अधिक सबल एवं मजबूत होते हैं जबकि लड़कियाँ शारीरिक रूप से दुर्बल एवं मुलायम मांसपेशियों वाली होती हैं। लिंग भिन्नता के कारण लड़के अधिक
क्रोधी एवं आक्रामक स्वभाव के होते हैं जबकि लड़कियों में सहनशीलता ज्यादा होती है तथा उनमें क्रोध काफी कम होता है।
(g) आयु एवं बुद्धि (Age and Intelligence): वैयक्तिक विभिन्नता का एक कारण व्यक्ति की आयु एवं बुद्धि है। जैसे-जैसे व्यक्ति की आयु बढ़ती जाती है उसका शारीरिक कद, भाषा-विकास, सामाजिक विकास एवं मानसिक विकास भी अधिक होता जाता है और स्पष्ट रूप से वैयक्तिक विभिन्नता पायी जाती है।
वैयक्तिक विभिन्नता के अध्ययन की विधियाँ
Methods of Studying Individual Differences
मनोवैज्ञानिकों ने वैयक्तिक विभिन्नता का अध्ययन करने के लिए कई विधियों का प्रतिपादन किया, जो इस प्रकार है-
(a) बुद्धि-परीक्षण (Intelligence Test): बुद्धि के आधार पर बालकों में स्पष्ट विभिन्नता पायी जाती है। अतः बुद्धि मापकर बुद्धि के ख्याल से होनेवाली वैयक्तिक विभिन्नता को माप सकते हैं। मनोवैज्ञानिकों ने अनेक तरह के बुद्धि-परीक्षण का निर्माण किया है।
> सामान्यतः बुद्धि-परीक्षणों से प्राप्तांकों (Scores)के आधार पर बुद्धिलब्धि (Intelligence Quotient) ज्ञात करते हैं और इस बुद्धिलब्धि के आधार पर स्पष्ट रूप से हम बालकों की बौद्धिक विभिन्नता के अंतर का अध्ययन कर पाते हैं।
(b) अभिरुचि परीक्षण (Interest Test): अभिरुचि परीक्षण के आधार पर भी बालकों की वैयक्तिक विभिन्नता का अध्ययन आसानी से किया जाता है। अभिरुचि के ख्याल से बालकों में काफी विभिन्नता पायी जाती है। कुछ बालकों की अभिरुचि कुछ खास-खास विषयों में अधिक होती है जबकि अन्य दूसरे विषयों में उनकी अभिरुचि कम होती है।
(c) उपलब्धि परीक्षण (Achievement Test): बालक में वैयक्तिक विभिन्नता का एक प्रमुख स्रोत उपलब्धि, विशेषकर शैक्षिक उपलब्धि होती है। शैक्षिक उपलब्धि को मापकर हम वैयक्तिक विभिन्नता की मात्रा का अंदाज लगा सकते हैं। मनोवैज्ञानिकों ने विभिन्न विषयों में शैक्षिक उपलब्धि की माप के लिए अलग-अलग परीक्षण बनाये हैं, जिनके आधार पर हम छात्रों में शैक्षिक उपलब्धि के ख्याल से होनेवाली विभिन्नता का मापन कर सकते हैं।
(d) व्यक्तित्व परीक्षण (Personality Test) : छात्रों के व्यक्तित्व शीलगुणों में स्पष्ट विभिन्नता होती है, जिसका अध्ययन विभिन्न तरह के व्यक्तित्व परीक्षणों के आधार पर आसानी से किया जाता है।
(e) संवेग परीक्षण (Test of Emotion) : बालकों की वैयक्तिक विभिन्नता का अध्ययन संवेग परीक्षण के आधार पर भी किया गया है। विशेष परीक्षणों एवं उपकरणों के माध्यम से बालकों की संवेगात्मकता के स्तर का मापन करके यह आसानी से सुनिश्चित किया जा सकता है कि कौन बालक संवेगात्मक रूप से अधिक स्थिर है तथा कौन बालक संवेगात्मक रूप से कम स्थिर है।
(f) अभिक्षमता परीक्षण (Aptitude Test): मनोवैज्ञानिक ने कई तरह के अभिक्षमता परीक्षणों का निर्माण किया है। इन अभिक्षमता परीक्षणों के माध्यम से यह आसानी से सुनिश्चित कर लिया जाता है कि बालकों में अमुक अभिक्षमता के विचार से कितनी विभिन्नता है। इसका विशेष फायदा शिक्षकों को होता है। शिक्षक उसी के अनुसार बालकों के शिक्षण दिये जाने का स्तर तय करते हैं।
वैयक्तिक विभिन्नता के अध्ययन का शिक्षा में महत्व
Importance of Study of Individual Difference in Education
वैयक्तिक विभिन्नता के अध्ययन का शिक्षा में निम्नलिखित महत्व है-
(a) समूहीकरण या वर्गीकरण (Grouping or Classification) : उचित शिक्षा के लिए यह आवश्यक है कि छात्रों का अलग-अलग समूहीकरण या वर्गीकरण किया जाय । वर्तमान में छात्रों के बुद्धि के आधार पर समूहीकरण किया जाता है। इस प्रकार के समूह यदि बुद्धि के अलावा अन्य कारकों जैसे अभिरुचि (Interest), अभिक्षमता (Aptitude) आदि के समरूप बना लिया जाता है, तो इस परिस्थिति में दी गई शिक्षा और अधिक उत्तम होगी।
(b) अध्यापन विधियाँ (Methods of Teaching) : शिक्षकों को चाहिए कि अध्यापन विधियों का चयन छात्र की श्रेणी के अनुसार करें। तीव्र बुद्धि के छात्रों को पढ़ाने की विधि कम बुद्धि के छात्रों को पढ़ाने की विधि से भिन्न होनी चाहिए।
(c) पाठ्यक्रम (Curriculum): शिक्षकों को विभिन्न समूहों के छात्रों के लिए एक समान पाठ्यक्रम (Curriculum) नहीं बनाकर उस समूह की बुद्धि, अभिरुचि एवं अभिक्षमता (Aptitude) के अनुकूल पाठ्यक्रम तैयार करना चाहिए। इससे छात्रों को अधिक-से-अधिक लाभ होगा।
(d) गृह-कार्य का दिया जाना (Assignment of Home Task): शिक्षक छात्रों को गृह-कार्य देते हैं। गृह-कार्य देते समय वैयक्तिक विभिन्नता का ज्ञान शिक्षक के लिए विशेष उपयोगी सिद्ध होता है। गृह कार्य देते समय शिक्षक छात्र की बुद्धि, अभिक्षमता, रुझान का स्तर एवं उसकी घरेलू परिस्थितियों को यदि ध्यान में रखते हैं तो इससे शिक्षक ठीक मात्रा में गृह-कार्य छात्रों को दे पायेंगे।
(e) व्यवसाय संबंधी शिक्षा (Vocational Guidance): सभी बालकों का रुझान विभिन्न तरह के व्यवसाय के प्रति समान नहीं रहता है। कोई छात्र किसी अमुक व्यवसाय को अधिक पसंद करता है तो दूसरे छात्र दूसरे तरह के व्यवसाय को अधिक पसंद करता है। इस वैयक्तिक विभिन्नता के आलोक (Lustre) में शिक्षकों को चाहिए कि वे छात्रों को शिक्षा दें।
(f) शारीरिक शिक्षा (Physical Differences): शारीरिक विभिन्नता के अनुसार शिक्षकों को कक्षा में छात्रों के बैठने का स्थान सुनिश्चित करना चाहिए। छोटे कद तथा कम दिखाई एवं सुनाई देनेवाले छात्रों को कक्षा में अगले बेंच पर बैठने की व्यवस्था होनी चाहिए अन्यथा वे कक्षा में दी जानेवाली शिक्षा से अधिक लाभान्वित नहीं हो पायेंगे।
परीक्षोपयोगी तथ्य
> वैयक्तिक विभिन्नता से तात्पर्य एक ऐसी मनोवैज्ञानिक घटना से होता है जो उन विशेषताओं या शीलगुणों पर बल डालता है जिनके आधार पर वैयक्तिक जीव भिन्न होते दिखाये जाते हैं।
> वैयक्तिक विभिन्नता को दो श्रेणी में रखा जा सकता है व्यक्ति के अंदर विभिन्नताएँ तथा एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में विभिन्नता।
> वैयक्तिक विभिन्नता के महत्वपूर्ण क्षेत्र हैं-शारीरिक विकास, मानसिक विकास, सांवेगिक विभिन्नता, सामाजिक विभिन्नता, उपलब्धि में अंतर, भाषा-विकास, अभिरुचियों एवं अभिक्षमता में अंतर, यौन विभिन्नताएँ, व्यक्तित्व विभिन्नता तथा
ज्ञानात्मक एवं क्रियात्मक क्षमताओं में अंतर ।
> वैयक्तिक विभिन्नता के कई कारण हैं जिनमें आनुवंशिकता, वातावरण, प्रजाति एवं राष्ट्रीयता, आयु एवं बुद्धि, परिपक्वता, लिंग तथा आर्थिक स्थिति एवं शिक्षा प्रधान हैं।
> वैयक्तिक विभिन्नता के अध्ययन की विधि है-बुद्धि-परीक्षण, उपलब्धि परीक्षण, संवेग परीक्षण, अभिरुचि परीक्षण, अभिक्षमता परीक्षण एवं व्यक्तित्व परीक्षण ।

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