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CTET NOTES IN HINDI | अपठित पद्यांश

CTET NOTES IN HINDI | अपठित पद्यांश

अपठित पद्यांश
                                             Unseen Poem
हिन्दी भाषा से सम्बन्धित सीटीईटी के प्रश्न-पत्र में भाषा I के
अन्तर्गत पद्यांश पर आधारित प्रश्न भी पूछे जाते हैं। ये पद्यांश
हिन्दी साहित्य की पद्य-विधा पर आधारित होते हैं। जिस पर
आधारित प्रश्नों की संख्या 6 होती है।
पद्यांश के बारे में
अपठित पद्यांश का अर्थ ऐसी काव्य रचना से है, जिसका अभ्यर्थियों ने पहले
पाठ न किया हो। परीक्षा में पूछे जाने वाले अपठित पद्यांश किसी साहित्यकार
की किसी काव्य रचना, पत्रिकाओं आदि से उद्धृत किए जाते है। जिसका
मुख्य उद्देश्य अभ्यर्थियों की काव्य के मूलभाव को समझने, उसका
विश्लेषण करने, भाषा-शैली आदि को पहचानने सम्बन्धी क्षमता को परखना
होता है।
पद्यांश से सम्बन्धित प्रश्नों को हल करते समय ध्यान रखने
योग्य बातें
1. पद्यांश के मूलभाव को भली-भाँति समझ लेना चाहिए।
2. प्रश्नों के उत्तर का चयन करते समय मूल भाव को ध्यान में रखना
चाहिए।
3. प्रश्न के उत्तर के लिए विकल्प का चयन करते समय सदैव सर्वाधिक
उपयुक्त विकल्प का चयन करना चाहिए।
4. भावार्थ सम्बन्धी प्रश्नों के उत्तर पद्यांश में दिए गए भाव को ध्यान में
रखकर देने चाहिए।
5. व्याकरण सम्बन्धी प्रश्नों के उत्तर देने के लिए व्याकरण के सामान्य
नियमों का ज्ञान होना आवश्यक है।
उदाहरण
निर्देश (पद्यांश 1-2) दिए गए पद्यांशों को ध्यान से पढ़िए और उसके आधार
पर पूछे गए प्रश्नों के यथोचित उत्तर दीजिए।
पद्यांश1
भू के मानचित्र पर अंकित त्रिभुज, यही क्या तू है?
नर के नमश्चरण की दृढ़ कल्पना नहीं क्या तू है?
वेदों का ज्ञाता, निगूढताओं का चिर ज्ञानी है।
मेरे प्यारे देश। नहीं तू पत्थर है, पानी है।
जड़ताओं में छिपे किसी चेतन को नमन करूँ मैं?
किसको नमन करूँ मैं भारत! किसको नमन करूँ मैं?
तू वह, नर है जिसे बहुत ऊँचा चढ़कर पाया था;
तू वह, जो सन्देश भूमि का अम्बर से लाया था;
तू वह जिसका ध्यान आज भी मन सुरभित करता है।
थकी हुई आत्मा में उड़ने की उमंग भरता है।
गन्ध-निकेतन इस अदृश्य उपवन को नमन करूँ मैं।
किसको नमन करूँ मैं भारत! किसको नमन करूँ मैं।
1. कवि किसको नमन करना चाहता है?
(1) वेदों के ज्ञाता को
(2) निगूढताओं के ज्ञानी को
(3) भारत को
(4) रहस्यमयी चेतनता को
उत्तर (3) प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने भारत की विभिन्न विशेषताओं का उल्लेख
किया है, साथ ही अन्य विकल्प भारत की विशेषताओं को वर्णित करते हैं।
अतः विकल्प (3) सही उत्तर है।
2. कविता में ‘पानी’ का भावार्थ है
(1) सम्मान
(2) उदार
(3) नदी का पानी
(4) अस्थिर
उत्तर (2) प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने भारत के सम्बन्ध में कहा है कि वह पत्थर की
तरह कठोर न होकर पानी की तरह तरल अर्थात् उदार है। अन्य दिए गए
विकल्प सम्मान, नदी का पानी व अस्थिर, पद्यांश में पानी के लिए प्रयुक्त भाव
को स्पष्ट नहीं करते। अत: विकल्प (2) सही उत्तर है।
3. ‘थकी हुई आत्मा में उड़ने की उमंग भरता है’ इस पंक्ति का आशय है
(1) जीवन में नवीन आशाओं का संचार करना
(2) काल्पनिक लोक में विचरण करना
(3) निराशा के भावों को समाप्त करना
(4)1 और 3
उत्तर (4) प्रस्तुत पद्यांश में थकी हुई आत्मा में उड़ने की उमंग भरने का आशय
है- जीवन में व्याप्त निराशा को समाप्त करके नवीन आशाओं का संचार
करना। विकल्प 1 और 3 दोनों सही हैं। अतः विकल्प (4) सही उत्तर है।
4. ‘तू वह, जो सन्देश भूमि का अम्बर से लाया था’ इस पंक्ति में अलंकार है
(1) विभावना
(2) विशेषोक्ति
(3) मानवीकरण
(4) अतिशयोक्ति
उत्तर (3) ‘तू वह, जो सन्देश भूमि का अम्बर से लाया था’ पंक्ति में कवि ने
भारत को मानव के रूप में प्रस्तुत किया है, जिस कारण पंक्ति में मानवीकरण
अलंकार है। अतः विकल्प (3) सही उत्तर है।
5. भारत की विशेषता है
(1) वेदों का ज्ञाता
(2) जीवन में आशा का संचार करने वाला
(3) जीवन के गूढ रहस्यों का ज्ञानी
(4) ये सभी
उत्तर (4) प्रश्न में दिए गए विकल्प वेदों का ज्ञाता, जीवन में आशा का संचार करने
वाला व जीवन के गूढ़ रहस्यों का ज्ञानी सभी भारत की विशेषताएँ हैं। अतः
विकल्प (4) सही उत्तर है।
6. ‘त्रिभुज’ शब्द में समास है
(1) अव्ययीभाव (2) तत्पुरुष (3) द्विगु (4) कर्मधारय
उत्तर (3) त्रिभुज शब्द में द्विगु समास है। जिस समस्त-पद का पूर्वपद संख्यावाचक
विशेषण हो तथा उससे समूह या समाहार का ज्ञान होता हो, वहाँ द्विगु समास
होता है। त्रिभुज शब्द यहाँ भारत के विशेषण के रूप में प्रयुक्त हुआ है। अतः
विकल्प (3) सही उत्तर है।
पद्यांश 2
मृदु मिट्टी के हैं बने हुए,
मधु-घट फूटा ही करते हैं।
लघु जीवन लेकर आए हैं।
प्याले टूटा ही करते हैं।
फिर भी मदिरालय के अन्दर
मधु के घट हैं, मधु प्याले हैं,
जो मादकता के मारे हैं,
वे मधु लूटा ही करते हैं,
वह कच्चा पीने वाला है,
जिसकी ममता घट प्यालों पर,
जो सच्चे मधु से जला हुआ
कब रोता है, चिल्लाता है
जो बीत गई सो बात गई।
1. ‘मृदु मिट्टी के हैं बने हुए’ इस पंक्ति का आशय है
(1) कच्ची मिट्टी से बने हुए हैं
(3) कोमल भावनाओं से बने हुए हैं
(2) कोमल मिट्टी से बने हुए हैं
(4) कमजोर हृदय वाले व्यक्ति
उत्तर (3) मृदु मिट्टी से हैं बने हुए का आशय मनुष्यता से है और मनुष्यता का
आधार कोमल भावनाएँ होती हैं। अतः विकल्प (3) सही उत्तर है।
2. ‘प्याले’ का भाव है
(1) मनुष्य
(2) प्याला
(3) व्यक्ति विशेष
(4) ये सभी
उत्तर (1) प्रस्तुत पद्यांश में प्याले को मनुष्य के रूप में प्रस्तुत किया गया है।
पद्यांश में स्पष्ट किया गया है कि मनुष्य रूपी प्याला, मधु के नशे में मदमस्त
होकर इस संसाररूपी मदिरालय की भौतिकता में उन्मत्त रहता है। अतः
विकल्प (1) सही उत्तर है।
3. मधु कौन लूटा करते हैं
(1) कच्चा पीने वाले
(2) मधु से जलने वाले
(3) मदिरालय वाले
(4) जो मादकता के मारे हैं
उत्तर (4) पद्यांश में कहा गया है कि जो मधु की मादकता के मारे होते हैं
अर्थात् जो मधु के नशे में उन्मत्त होते हैं, वे मधु लूटा करते हैं। अतः विकल्प
(4) सही उत्तर है।
4. कवि पाठक से क्या आग्रह करता है?
(1) प्याले तोड़ने के लिए
(2) बीती हुई बातों को भुलाने के लिए
(3) मदिरालय जाने के लिए
(4) मधु लूटने के लिए
उत्तर (2) कवि पाठक से आग्रह करता है, जो बीत गई सो बात गई अर्थात्
बीती हुई बातों को भुला देना चाहिए। अतः विकल्प (2) सही उत्तर है।
5. मादकता का अर्थ है।
(1) नशा
(2) आकर्षण
(3) अभिमान
(4) मदिरा
उत्तर (1) मादकता का अर्थ है― मादक पदार्थों के सेवन से उत्पन्न नशा। अन्य
विकल्पों में आकर्षण का अर्थ है किसी को मोहित करना, अभिमान का अर्थ है
अहंकार और मदिरा का अर्थ है शराब अथवा नशीला तरल पदार्थी अतः
विकल्प (1) सही है, जिसका अर्थ है मादक पदार्थों के सेवन से उत्पन्न नशा।
6. ‘मदिरालय’ का सन्धि-विच्छेद है
(1) मदिरा + लय
(2) मदिर् + आलय
(3) मदिरा + आलय
(4) मदिरा + अलय
उत्तर (3) मदिरालय में दीर्घ सन्धि है, जिसमें मदिरा’ के ‘आ’ वर्ण की आलय
के ‘आ’ वर्ण (मदिरा (र + आ) + आलय – मदिरालय) से सन्धि हुई है।
अभ्यास प्रश्न
निर्देश (पद्यांश 1-35) दिए गए पद्यांशों को ध्यान से पदिए और उसके आधार पर पूछे गए प्रश्नों के यथोचित उत्तर दीजिए।
पद्यांश1
है जन्म लेते जगह में एक ही
एक ही पौधा उन्हें है पालता
रात में उन पर चमकता चाँद भी
एक ही-सी चाँदनी है डालता
छेद कर काँटा किसी की अँगुलियाँ
फाड़ देता है किसी का वर वसन।
प्यार डूबी तितलियों के पर कतर
भौंर का है बेध देता श्याम तन
फूल लेकर तितलियों को गोद में
भौंर को अपना अनूठा रस पिला
निज सुगन्धों का निराले ढंग से
है सदा देता कली का जी खिला।
है खटकता एक सबकी आँख में
दूसरा है सोहता सुर-सीस पर।
किस तरह कुल की बड़ाई काम दे
जो किसी में हो बड़प्पन की कसर।
1. कवि ने ‘काँटे’ शब्द का प्रयोग किसके लिए किया है?
(1) सज्जन पुरुष
(2) मित्र
(3) दुर्जन पुरुष
(4) शत्रु
2. ‘फूल’ किसे कहा गया है?
(1) सज्जन पुरुष
(2) मित्र
(3) दुर्जन पुरुष
(4) शत्रु
3. पद्यांश में किसे महत्त्व दिया गया है?
(1) कुल गोत्र
(2) चरित्र एवं स्वभाव
(3) चरित्र
(4) स्वभाव
4. ‘बड़प्पन’ शब्द का आशय है
(1) बड़े होने का भाव
(2) ऊँचे होने का भाव
(3) अमीर होने का भाव
(4) महान् व श्रेष्ठ होने का भाव
5. पद्यांश का उचित शीर्षक होगा
(1) फूल का जीवन
(2) कॉटों का जीवन
(3) फूल और कॉटे
(4) फूल और जीवन
6. ‘बड़ाई’ में प्रयुक्त प्रत्यय है
(1) ई
(2) डाई
(3) इ
(4) आई
पद्यांश 2
एक दिवस
प्रेम, विज्ञान ने
आपस में बातें की।
ऊँचा कर शीश
और तान निज वक्ष तनिक
विज्ञान बोला यों
सुन रे ओ प्रेम
वायु में उड़ाया
गहरे पानी पठाया
ऊँचे शिखरों पर चढ़ाया
मैंने ही मानव को।
मैने ही मोड़ डाला
अनगिन सरि-धारों को
मरुथल-पहाड़ों को
मेरा सहारा ले
मानव पदों ने
चप्पा-चप्पा भी रौंद डाला।
सुन रे, ओ प्रेम
मैंने मौसम बदल डाला।
ग्रीष्म में शीत और
शीत में ग्रीष्म कर
पहुँचाया कितना है
सुख मैंने मानव को।
1. वार्तालाप किन दोनों के बीच हुआ?
(1) ज्ञान और विज्ञान में
(2) मरुस्थल और पहाड़ में
(3) प्रेम और विज्ञान में
(4) मानव और विज्ञान में
2. किसके सहारे मानव ने धरती को रौंद डाला?
(1) ज्ञान
(2) विज्ञान
(3) प्रेम
(4) शीश
3. विज्ञान के कारण मौसम में क्या बदलाव आया?
(1) गर्मी में सर्दी और सर्दी में गर्मी
(2) गर्मी में गर्मी और सर्दी में सर्दी
(3) मौसम में कोई बदलाव नहीं
(4) सर्दी में हिमपात
4. विज्ञान ने मनुष्य को कहाँ पहुँचाया?
(1) आकाश में
(2) सागर में
(3) पहाड़ों पर
(4) इन सभी पर
5. उपरोक्त पद्यांश का शीर्षक होगा
(1) सिर का
(2) विज्ञान
(3) ज्ञान
(4) प्रेम और विज्ञान
6. शीश इनमें से किसका पर्यायवाची है?
(1) प्रेम
(2) गले का
(3) गर्दन का
(4) पेड़ का
पद्यांश 3
वह आता
दो टूक कलेजे के करता पछताता
पथ पर आता।
पेट पीठ दोनों मिलकर हैं एक
चल रहा लकुटिया टेक
मुट्ठी भर दाने को … भूख मिटाने को
मुँह फटी पुरानी झोली का फैलाता
दो टूक कलेजे के करता पछताता पथ पर आता।
साथ दो बच्चे भी है सदा हाथ फैलाए
बाएँ से वे मलते हुए पेट को चलते
और दाहिना दया-दृष्टि पाने की ओर बढ़ाए।
भूख से सूख ओंठ जब जाते
दाता-भाग्य-विधाता से क्या पाते?
घुट आँसुओं के पीकर रह जाते।
चाट रहे जूठी पत्तल वे सभी सड़क पर खड़े हुए
और झपट लेने को उनसे कुत्ते भी हैं अड़े हुए।
1. इस पद्यांश का शीर्षक होगा
(1) गरीबी
(2) विषमता
(3) भिक्षुक
(4) बेबसी
2. पद्यांश में किस पर व्यंग्य किया गया है?
(1) सामाजिक विषमता पर
(2) आर्थिक न्याय पर
(3) राजनीतिक सत्य पर
(4) मध्यवर्गीय जीवन पर
3. भिखारी की इच्छा है
(1) सोना पाने की
(2) पैसा पाने की
(3) अनाज पाने की
(4) कपड़ा पाने की
4. बच्चे भिखारी के साथ क्यों हैं?
(1) घूमने के लिए
(2) भीख माँगने के लिए
(3) रास्ता ढूँढने के लिए
(4) पिता के साथ के लिए
5. भिखारी के बच्चों से कुत्ते क्यों होड़ करते हैं?
(1) जूठी पत्तल छीनने के लिए
(2) चिढ़ाने के लिए
(3) लड़ने के लिए
(4) भगाने के लिए
6. ‘झपट’ शब्द का समानार्थी है
(1) झाड़ना
(3) फेंकना
(2) छीनना
(4) इनमें से कोई नहीं
पद्यांश 4
जो पूर्व में हमको अशिक्षित या असभ्य बता रहे
वे लोग या तो अज्ञ हैं या पक्षपात जता रहे।
यदि हम अशिक्षित थे, कहें तो, सभ्य वे कैसे हुए?
वे आप ऐसे भी नहीं थे, आज हम जैसे हुए।
ज्यों-ज्यों हमारी प्रचुर प्राचीनता की खोज बढ़ती जाएगी
त्यों-त्यों हमारी उच्चता पर आप चढ़ती जाएगी।
जिस ओर देखेंगे हमारे चिह्न दर्शक पाएँगे
हमको गया बतलाएँगे, जब, जो जहाँ तक जाएँगे।
कल जो हमारी सभ्यता पर थे हँसे अज्ञान से
वे आज लज्जित हो रहे हैं अधिक अनुसन्धान से।
गिरते हुए भी दूसरों को हम चढ़ाते ही रहे
घटते हुए भी दूसरों को हम बढ़ाते ही रहे।
1. उपरोक्त कविता का वक्ता कौन है?
(1) भारत
(2) देश
(3) स्वतन्त्रता सेनानी
(4) भारतीय सेना
2. ‘अज्ञ’ का तात्पर्य है
(1) पापी
(2) पाप
(3) अज्ञानी
(4) विद्वान्
3. कौन लोग लज्जित हो रहे हैं?
(1) भारत को असभ्य बताने वाले लोग
(2) भारत को महान् बताने वाले लोग
(3) भारत की निन्दा करने वाले लोग
(4) भारत को शक्तिहीन बताने वाले लोग
4. ‘गिरते हुए भी दूसरों को हम चढ़ाते ही रहे’ का आशय है
(1) हमने विदेशियों को सहायता दी
(2) हमने आक्रमणकारियों को बढ़ावा दिया
(3) हमने स्वयं दीन होते हुए भी दूसरों को उन्नत किया
(4) हमने पतित होकर भी दूसरों का उद्धार किया
5. कवि कहना चाहता है कि
(1) भारतीय संस्कृति प्राचीन है
(2) भारत का अतीत महान् था
(3) भारतीय संस्कृति महान् है
(4) भारत का वर्तमान महान् है
6. जो शिक्षित न हो, उसे कहते हैं
(1) शिक्षक
(2) अशिक्षक
(3) अशक्षति
(4) अशिक्षित
पद्यांश 5
रवि जग में शोभा सरसाता, सोम सुधा बरसाता ।
सब हैं लगे कर्म में, कोई निष्क्रिय दृष्टि न आता ।
है उद्देश्य नितान्त तुच्छ तृण के भी लघु जीवन का ।
उसी पूर्ति में वह करता है अन्त कर्ममय तन का ।।
तुम मनुष्य हो, अमित बुद्धि-बल-विलसित जन्म तुम्हारा।
क्या उद्देश्य रहित हो जग में, तुमने कभी विचारा?
बुरा न मानों एक बार सोचो तुम अपने मन में
क्या कर्त्तव्य समाप्त कर लिया तुमने निज जीवन में?
जिस पर गिरकर उदर-दरी से तुमने जन्म लिया है,
जिसका खाकर अन्न सुधासम नीर, समीर पिया है
वही स्नेह की मूर्ति दयामयि माता तुल्य मही है
उसके प्रति कर्त्तव्य तुम्हारा क्या कुछ शेष नही है?
1. यह कविता क्या प्रेरणा देती है?
(1) देश-प्रेम
(2) निरन्तर कर्म
(3) निरन्तर गति
(4) सोच-विचार
2. ‘सोम’ शब्द का पर्यायवाची है
(1) शराब
(2) शहद
(3) अमृत
(4) चन्द्रमा
3. ‘निष्क्रिय’ शब्द का विपरीतार्थक लिखिए
(1) अक्रिय
(2) सक्रिय
(3) क्रियान्वयन
(4) क्रियान्वित
4. कवि को निरन्तर कर्म करने की प्रेरणा कौन देता है?
(1) रवि
(2) चन्द्रमा
(3) तृण
(4) प्रकृति
5. “है उद्देश्य नितान्त तुच्छ तृण के भी लघु जीवन का’ पंक्ति का आशय है
(1) प्रत्येक व्यक्ति का महत्त्व है
(2) अमीर व्यक्तियों का महत्त्व है
(3) जीवन लक्ष्यहीन होता है
(4) केवल सभ्य व्यक्तियों का महत्त्व होता है
6. निष्क्रिय में प्रयुक्त उपसर्ग है
(1) नि
(2) निस्
(3) निति
(4) इय
पद्यांश 6
हारा हूँ सौ बार
गुनाहों से लड़लड़कर
लेकिन बारम्बार लड़ा हूँ
मैं उठ-उठ कर
इससे मेरा हर गुनाह भी मुझसे हारा
मैंने अपने जीवन को इस तरह उबारा
डूबा हूँ हर रोज
किनारे तक आ-आकर
लेकिन मैं हर रोज उगा हूँ जैसे दिनकर
इससे मेरी असफलता भी मुझसे हारी
मैंने अपनी सुन्दरता इस तरह सँवारी।
1. कवि ने अपनी असफलताओं पर विजय कैसे पाई है?
(1) संघर्ष न करके
(2) निरन्तर संघर्ष करके
(3) सुन्दर बनकर
(4) गुनाहों से लड़कर
2. ‘किनारे तक आकर डूबने’ का अर्थ है
(1) काम तमाम होना
(2) प्रयत्न व्यर्थ जाना
(3) सफलता के समीप होकर भी सफल न होना
(4) हार जाना
3. कवि सूर्य का उदाहरण देकर क्या बताना चाहते हैं?
(1) हार के बाद फिर संघर्ष करना
(2) संसार में सुखों का प्रकाश फैलाना
(3) क्रोध में आकर आग बरसाना
(4) उपरोक्त सभी
4. कवि ने अपना जीवन कैसे सँवारा?
(1) जीत कर
(2) खुश रहकर
(3) सूर्य की तरह चमक कर
(4) हार न मान कर निरन्तर संघर्ष करके
5. ‘उठ-उठ’ में अलंकार है
(1) अनुप्रास
(2) पुनरुक्तिप्रकाश
(3) उपमा
(4) रूपक
6. असफलता में प्रयुक्त उपसर्ग है
(1) ता
(2) अस
(3) लता
(4) अ
पद्यांश 7
आँसू से भाग्य पसीजा, हे मित्र, कहाँ इस जग में।
नित यहाँ शक्ति के आगे, दीपक जलते मग-मग में।
कुछ तनिक ध्यान से सोचो, धरती किसकी हो पाई?
बोलो युग-युग तक किसने, किसकी विरुदावलि गाई?
मधुमास मधुर रुचिकर है, पर पतझर भी आता है
जग रंगमंच का अभिनय, जो आता सो जाता है।
सचमुच वह ही जीवित है, जिसमें कुछ बल-विक्रम है
पल-पल घुड़दौड़ यहाँ है, बल-पौरुष का संगम है।
दुर्बल को सहज मिटाकर, चुपचाप समय खा जाता
वीरों के ही गीतों को, इतिहास सदा दोहराता।
फिर क्या विषाद, भय, चिन्ता जो होगा सब सह लेंगे
परिवर्तन की लहरों में, जैसे होगा बह लेंगे।
1. “आँसू से भाग्य पसीजा, हे मित्र, कहाँ इस जग में।” से क्या आशय है?
(1) रोने-धोने से कुछ नहीं होता
(2) रोने-धोने से लोग पसीज जाते हैं
(3) रोने-धोने से भाग्य नहीं बनता
(4) रोने-धोने से भाग्य भी रोता है
2. उपरोक्त पद्यांश में लोग किसकी आराधना करते हैं?
(1) समर्थ लोगों की
(2) करुणावान लोगों की
(3) दुर्बलों की
(4) दीन-दुखियों की
3. “पल-पल घुड़दौड़ यहाँ है’ का आशय है
(1) हर पल बल-पौरुष की होड़ है
(2) यहाँ सदा नीचा दिखाने की होड़ है
(3) यहाँ हमेशा घोड़ों की दौड़ चलती है
(4) यहाँ हमेशा भागदौड़ मची रहती है
4. उपरोक्त कविता क्या प्रेरणा देती है?
(1) वीर बनो
(2) गतिशील बनो
(3) करुणावान बनो
(4) चिन्तनशील बनो
5. ‘विषाद’ शब्द का पर्यायवाची लिखिए
(1) निराशा
(2) पराजय
(3) दुःख
(4) नीरवता
6. मधुमास किस ऋतु को कहा जाता है?
(1) ग्रीष्म ऋतु
(2) शीत ऋतु
(3) बसन्त ऋतु
(4) वर्षा ऋतु
पद्यांश 8
अन्धकार की गुहा सरीखी उन आँखों से डरता है मन
भरा दूर तक उनमें दारुण दैन्य दुःख का नीरव रोदन।
वह स्वाधीन किसान रहा, अभिमान भरा आँखों में इस का
छोड़ उसे मँझधार आज संसार कगार सदृश बह खिसका।
लहराते वे खेत दृगों में हुआ बेदखल वह अब जिन से
हँसती थी उसके जीवन की हरियाली जिनके तृन-तृन से।
आँखों ही में घूमा करता वह उसकी आँखों का तारा
कारकुनों की लाठी से जो गया जवानी ही में मारा।
बिना दवादर्पन के घरनी स्वरग चली-आँखें आती भर
देख-रेख के बिना दुधमुँही बिटिया दो दिन बाद गई मर।
1. कवि का मन जिन आँखों से डरता है वे कैसी है?
(1) डरावनी आँखें
(2) अन्धकार-सी काली
(3) अन्धकार की गुफा सी
(4) अन्धकार-सी दारुण
2. जिन आँखों का वर्णन कवि ने किया है वे किसकी आँखें है?
(1) किसान की
(2) अन्धकार की
(3) नीरव रोदन की
(4) स्वाधीन भारत की
3. किसान की आँखों में अब भी क्या लहराता है?
(1) दैन्य-दुःख का दारुण रोदन
(2) अपने खेत जिनसे वो बेदखल किया गया
(3) स्वाधीनता का अभिमान
(4) वह संसार जो कगार सदृश खिसक गया
4. इस पद्यांश के लिए उपयुक्त शीर्षक लिखिए
(1) किसान की पीडा
(2) दारुण दुःख
(3) वे आँखें
(4) जीवन का अन्धकार
5. किसान के बेटे की मृत्यु कैसे हुई?
(1) कारकुनों द्वारा लाठियों से पीटने के कारण
(2) देख-रेख के अभाव के कारण
(3) दवा-दर्पन के अभाव के कारण
(4) भूख के कारण
6. ‘अँधेरा’ शब्द का पर्यायवाची है
(1) तिमिर
(2) तरु
(3) विटप
(4) इनमें से कोई नहीं
पद्यांश 9
मैं तूफानों में चलने का आदी हूँ
तुम मत मेरी मंजिल आसान करो।
है फूल रोकते, काँटे मुझे चलाते
मरुस्थल, पहाड़ चलने की चाह बढ़ाते
सच कहता हूँ मुश्किलें न जब होती हैं
फूलों से मग आसान नहीं होता है
रुकने से पग गतिवान नहीं होता है
अवरोध नहीं. तो सम्भव नहीं प्रगति भी
मेरे पग तब चलने में भी शरमाते
मेरे संग चलने लगें हवाएँ जिससे
तुम पथ के कण-कण को तूफान करो।
मैं तूफानों में चलने का आदी हूँ
तुम मत मेरी मंजिल आसान करो।
है नाश जहाँ निर्माण वहीं होता है।
मैं बसा सकूँ नव स्वर्ग धरा पर जिससे
तुम मेरी हर बस्ती वीरान करो।
1. कवि को आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है
(1) मंजिल से
(2) मार्ग की बाधाओं से
(3) हवाओं से
(4) तूफानों से
2. यदि मार्ग में बाधाएँ नहीं आती तो
(1) गति सम्भव नहीं होती
(2) निर्माण सम्भव नहीं होता
(3) प्रगति सम्भव नहीं होती
(4) मार्ग आसान नहीं होता
3. निर्माण की सम्भावना वहीं होती है, जहाँ
(1) तूफान न आए
(2) अवरोध न आए
(3) बस्ती न हो
(4) विनाश हो
4. कवि धरती पर क्या बसाना चाहता है?
(1) अपना घर
(2) स्वर्ग
(3) मंजिलें
(4) रास्ते
5. कवि दुनिया से क्या प्रार्थना कर रहा है?
(1) दुनिया उसके रास्तों पर फूल बिछा दे
(2) दुनिया उसकी बस्ती को वीरान बना दे
(3) दुनिया उसकी राह में तूफान उठा दे
(4) दुनिया उसके मार्ग को आसान न बनाए
6. ‘अवरोध’ शब्द का समानार्थक है
(1) रुकना
(2) रोकना
(3) रुक
(4) रुकावट
पद्यांश 10
कहते आते थे यही सभी नरदेही
‘माता न कुमाता, पुत्र-कुपुत्र भले ही।’
अब कहें सभी यह हाय! विरुद्ध विधाता
है पुत्र-पुत्र ही, रहे कुमाता माता।’
बस मैंने इसका बाह्य मात्र ही देखा
दृढ़ हृदय न देखा, मृदुल गात्र ही देखा।
परमार्थ न देखा, पूर्ण स्वार्थ ही साधा
इस कारण ही तो हाय आज यह बाधा।
युग-युग तक चलती रहे कठोर कहानी
‘रघुकुल में भी थी एक अभागिन रानी।’
निज जन्म-जन्म में सुने जीव यह मेरा
धिक्कार! उसे था महा स्वार्थ ने घेरा।’
“सौ बार धन्य वह एक लाल की माई
जिस जननी ने है जना भरत-सा भाई।”
पागल-सी प्रभु के साथ सभा चिल्लाई
“सौ बार धन्य वह एक लाल की माई।”
1. अभागिन किसे कहा गया है?
(1) कौशल्या
(2) सुमित्रा
(3) कैकेयी
(4) मन्थरा
2. रानी को किसने आकर घेरा?
(1) परमार्थ ने
(2) महास्वार्थ ने
(3) अध्यात्म ने
(4) नि:स्वार्थ ने
3. रानी का कौन-सा भाव प्रकट हो रहा है?
(1) पश्चात्ताप का
(2) खिन्नता का
(3) प्रसन्नता का
(4) दुष्टता का
4. ‘सौ बार धन्य वह एक लाल की माई’ किसने कहा?
(1) लक्ष्मण ने
(2) भरत ने
(3) शत्रुघ्न ने
(4) राम ने
5. प्रभु के साथ चिल्लाए
(1) कैकेयी
(2) सभा में उपस्थित लोग
(3) भरत
(4) विश्वामित्र
6. ‘स्वार्थ’ से बनने वाला विशेषण है
(1) स्व
(2) अर्थहीन
(3) अस्वार्थ
(4) स्वार्थी
पद्यांश 11
सामने कुहरा घना है
और मैं सूरज नहीं हूँ
क्या इसी अहसास में जिऊँ
या जैसा भी हूँ नन्हा-सा
इक दीया तो हूँ
क्यों न उसी की उजास में जिऊँ?
हर आने वाला क्षण
मुझे यही कहता है
अरे भई, तुम सूरज तो नहीं हो
और मैं कहता हूँ
न सही सूरज
एक नन्हा दीया तो हूँ
जितनी भी है लौ मुझ में
उसे लेकर जिया तो हूँ।
कम-से-कम मैं उनमें तो नहीं
जो चाँद दिल के बुझाए बैठे हैं
हर रात को अमावस बनाए बैठे हैं
उड़ते फिर रहे थे, जो जुगनू आँगन में
उन्हें भी मुट्ठियों में दबाए बैठे हैं।
1. यह कविता क्या प्रेरणा देती है?
(1) प्रकाश फैलाने की
(2) चलते रहने की
(3) शक्ति भर जीने की
(4) शान्त रहने की
2. ‘कुहरा’ किसका प्रतीक है?
(1) धुन्ध
(2) अँधेरा
(3) अस्पष्टता
(4) निराशा
3. ‘सूरज’ किसका प्रतीक है?
(1) सर्वशक्ति सम्पन्नता
(2) ईश्वर
(3) आशा
(4) आनन्द
4. ‘अमावस’ किसका प्रतीक है?
(1) घनघोर निराशा
(2) परिवर्तन
(3) विध्वंस
(4) आलस्य
5. ‘मुट्ठियों में जुगनू दबाना’ का आशय है
(1) अपनी शक्तियों को उबरने न देना
(2) दूसरों की शक्तियों को कुचलना
(3) सब कुछ नियन्त्रण में लेना
(4) शत्रु पर विजय पाना
6. ‘दिनकर’ किसका पर्यायवाची है?
(1) आकाश का
(2) बादल का
(3) वर्षा का
(4) सूर्य का
पद्यांश 12
एक दिन तने ने भी कहा था, जड़?
जड़ तो जड़ ही है। जीवन से सदा डरी रही है
और यही है उसका सारा इतिहास
कि जमीन में मुँह गड़ाए पड़ी रही है
लेकिन मैं जमीन से ऊपर उठा
बाहर निकला, बढ़ा हूँ, मजबूत बना हूँ. इसी से तो तना हूँ
एक दिन डालों ने भी कहा था, तना?
किस बात पर है तना?
जहाँ बिठाल दिया था वहीं पर है बना
प्रगतिशील जगती में तिल भर नहीं डोला है
खाया है, मोटाया है, सहलाया चोला है
लेकिन हम तने से फूटी, दिशा-दिशा में गई
ऊपर उठी, नीचे आई, हर हवा के लिए दोल बनीं, लहराईं
इसी से तो डाल कहलाई।
1. तने ने जड़ का क्या इतिहास बताया?
(1) जड़ प्रगतिशील है
(2) जड़ जमीन में मुँह गड़ाए पड़ी रही
(3) जड़ सबका सहारा है
(4) जड़ जमीन से ऊपर उठती रही
2. तने ने अपने बारे में क्या कहा?
(1) मेरा सारा इतिहास है
(2) जमीन से ऊपर उठा बढ़ा हूँ
(3) जमीन में मुँह गड़ाए पड़ा है
(4) जीवन से सदा डरा हूँ
3. ‘तना किस बात पर है तना?’ पंक्ति में अलंकार है
(1) अनुप्रास
(2) श्लेष
(3) यमक
(4) रूपक
4. डालें, तने को प्रगतिशील क्यों नहीं मानती?
(1) खाने और मोटे होने के कारण
(2) तने होने के कारण
(3) अपने स्थान पर यथावत बने रहने के कारण
(4) जड़ की तने द्वारा आलोचना के कारण
5. डालों ने अपने गतिशील होने का क्या प्रमाण दिया?
(1) चारों दिशाओं में फैली
(2) जड़ से फूटकर प्रगति की
(3) उनका इतिहास है
(4) वह जमीन से ऊपर उठी
6. प्रगतिशील में प्रयुक्त प्रत्यय है
(1) ईल
(2) ल
(3) प्र
(4) शील
पद्यांश 13
आम की थी डाल हरियल, मैं मगनमन झूमता था
कई पल्लव और भी थे, उन्हें जी भर चूमता था।
देख मेरा हरा यौवन मुस्कुराती नित्य डाली
गीत से मन जीत लेते कभी कोयल, कभी माली
बाग बस्ती में अचानक हुआ मेरा रंग पीला
खिलखिलाना बन्द, बजना बन्द, यह तन पड़ा ढीला।
हवा ने ऐसा हिलाया डाल का भी साथ छूटा
रह गया परिवार पीछे, एक पल्लव हाय! टूटा।।
जब हवा की गोद में कुछ दूर बगिया से बहा
देवता हो तुम पवन मेरी सुनो मैंने कहा।
जन्मभूमि बाग मेरी मूल माँ के चरण चूमूँ
खाद बनकर करूँ सेवा फिर किसी डाली पै झूमूँ
पवन की करुणा-कृपा से बाग में उड़ लौट आया
वृक्ष के चरणों में पल्लव खाद बनकर मुस्कुराया।
1. ‘आम की हरियल डाली’ किसकी प्रतीक है?
(1) हरे-भरे वातावरण की
(2) प्रकृति की
(3) वनस्पति की
(4) भरे-पूरे खुशहाल जीवन की
2. ‘मैं’ किसका प्रतीक है?
(1) भारत
(2) व्यक्ति
(3) पत्ता
(4) फूल
3. ‘रह गया परिवार पीछे’ में परिवार किसे कहा गया है?
(1) पत्ते
(2) डालियों
(3) पक्षी
(4) पक्षी, पेड़, डाली आदि
4. बिछड़े पत्ते की चाह क्या थी?
(1) अपनी डाल पर फिर से लहराने की
(2) खाद बन जाने की
(3) किसी प्रकार वृक्ष का साथ पाने की
(4) समर्पण की
5. ‘यौवन’ शब्द का विलोम लिखिए
(1) बचपन
(2) बुढ़ापा
(3) प्रौढ़ता
(4) बाल्यकाल
6. ‘हरियल’ शब्द का अर्थ है
(1) हरि
(2) तोता
(3) हरी
(4) हारना
पद्यांश 14
साक्षी है इतिहास, हमीं पहले जागे हैं
जाग्रत सब हो रहे हमारे ही आगे हैं।
शत्रु हमारे कहाँ नहीं भय से भागे हैं?
कायरता से कहाँ प्राण हमने त्यागे हैं।
हैं हमीं प्रकम्पित कर चुके, सुरपति तक का भी हृदय।
फिर एक बार हे विश्व!
तुम, गाओ भारत की विजय।।
कहाँ प्रकाशित नहीं रहा है तेज हमारा
दलित कर चुके शत्रु सदा हम पैरों द्वारा।
बताओ तुम कौन नहीं जो हमसे हारा
पर शरणागत हुआ कहाँ, कब हमें न प्यारा।
बस युद्ध-मात्र को छोड़कर, कहाँ नहीं हैं हम सदय।
फिर एक बार हे विश्व! तुम गाओ भारत की विजय।
1. “पहले जागे हैं’ का भाव है
(1) हम सोकर उठे हैं
(2) हमने कार्य पूर्ण किया है
(3) हमने विजय पाई है
(4) हमने सर्वप्रथम ज्ञान पाया है
2. हैं हमीं प्रकम्पित कर चुके, सुरपति तक का हृदय’ से हमारी किस
विशेषता का बोध होता है
(1) वीरता, साहस
(2) युद्ध-कौशल
(3) हार कर जीतना
(4) ये सभी
3. हमारी दयालुता प्रकट होती है
(1) शत्रु को दलित करना
(2) शरणागत को आश्रय देना
(3) अपना तेज दिखाकर
(4) विश्व में जय-जयकार करवाकर
4. हमारे आगे सबके जाग्रत होने का भाव है
(1) हमारे पश्चात् ज्ञानी होना
(2) हमारे बाद सोकर उठना
(3) हमारे पीछे चलना
(4) हमारे सामने झुकना
5. कवि किसे भारत की जय-जयकार करने को कह रहा है?
(1) भारतवासियों को
(2) शत्रुओं को
(3) विश्व को
(4) मित्र
6. ‘शत्रु’ शब्द का विपरीतार्थक है
(1) सखी
(2) भाई
(3) पिता
(4) सेना को
पद्यांश 15
तुम भारत, हम भारतीय है, तुम माता, हम बेटे
किसकी हिम्मत है कि तुम्हें दुष्टता-दृष्टि से देखे?
ओ माता, तुम एक अरब से अधिक भुजाओं वाली
सबकी रक्षा में तुम सक्षम, हो अदम्य बलशाली।।
भाषा, वेश, प्रदेश भिन्न हैं, फिर भी भाई-भाई
भारत की साझी
संस्कृति में पलते भारतवासी।
सुदिनों में हम एकसाथ हँसते, गाते, सोते हैं
दुर्दिन में भी साथ-साथ जगते पौरुष ढोते हैं।।
तुम हो शस्यश्यामला, खेतों में तुम लहराती हो प्रकृति प्राणमयि,
सामगानमयि, तुम न किसे भाती हो।
तुम न अगर होती तो धरती, वसुधा क्यों कहलाती?
गंगा कहाँ बहा करती, गीता क्यों गाई जाती?
1. इस कविता में किसे माता कहा गया है?
(1) अपनी माँ को
(2) भारत को
(3) गऊ माता को
(4) धरती को
2. भारत माँ की एक अरब से अधिक भुजाएँ क्यों बताई गई हैं?
(1) अत्यधिक जनसंख्या बताने हेतु
(2) एक अरब से अधिक नर बताने हेतु
(3) भारत के सपूतों की संख्या बताने हेतु
(4) एक अरब से अधिक सैनिक बताने हेतु
3. ‘सक्षम’ शब्द का पर्यायवाची है
(1) अक्षम
(2) समर्थ
(3) योग्य
(4) असमर्थ
4. ‘अदम्य’ का तात्पर्य है
(1) दब्बू
(2) अत्यधिक
(3) जिसे दबाया न जा सके
(4) जिसे रोका न जा सके
5. ‘साझी संस्कृति’ का तात्पर्य है
(1) भिन्न-भिन्न धर्मों वाली संस्कृति
(2) भिन्न भाषाओं वाली संस्कृति
(3) भिन्न-भिन्न जातियों वाली संस्कृति
(4) उपरोक्त सभी
6. भारतवासी, बलशाली तथा दुष्टता, इन तीनों शब्दों में यह समानता है
(1) तीनों में उपसर्ग प्रयुक्त हुआ है
(2) तीनों में प्रत्यय प्रयुक्त हुआ है
(3) एक-दूसरे के विपरीतार्थक हैं
(4) तीनों पर्यायवाची शब्द हैं
पद्यांश 16
भाग्यवाद आवरण पाप का
और शस्त्र शोषण का
जिससे दबाता एक जन
भाग दूसरे जन का
पूछो किसी भाग्यवादी से
यदि विधि अंक प्रबल है,
पद पर क्यों देती न स्वयं
वसुधा निज रतन उगल है?
उपजाता क्यों विभव प्रकृति को
सींच-सींच वह जल से
क्यों न उठा लेता निज संचित
अर्थ पाप के बल से,
और भोगता उसे दूसरा
भाग्यवाद के छल से।
नर-समाज का भाग्य एक है
वह श्रम, वह भुज-बल है।
जिसके सम्मुख झुकी हुई है।
पृथ्वी, विनीत नभ-तल है।
1. कवि ने शोषण का शस्त्र किसे माना है?
(1) शस्त्र को
(2) भाग्यवाद को
(3) धर्म को
(4) मनुष्य को
2. भाग्यवाद क्या है?
(1) पुण्य का आवरण
(2) पाप का आवरण
(3) शोषण का आवरण
(4) प्रकृति का आवरण
3. उपरोक्त पद्यांश में कवि ने वसुधा को क्या उगलने की बात कही है?
(1) रतन
(2) गेहूँ
(3) पानी
(4) वृक्ष
4. नर-समाज का भाग्य क्या है?
(1) भाग्यवाद का छल
(2) पाप का बल
(3) प्रकृति का सौन्दर्य
(4) श्रम और भुजबल
5. श्रम और भुजबल के समक्ष कौन झुका हुआ है?
(1) प्रकृति
(2) पृथ्वी
(3) भाग्य
(4) आकाश
6. भू, धरा तथा धरती किसके पर्यायवाची शब्द हैं?
(1) आकाश के
(2) समुद्र के
(3) बादल के
(4) पृथ्वी के
पद्यांश 17
ज्यों निकलकर बादलों की गोद से
थी अभी इक बूँद कुछ आगे बढ़ी। ।
सोचने फिर-फिर यही जी में लगी
आह! क्यों घर छोड़कर मैं यों कढ़ी।
दैव! मेरे भाग्य में है क्या बदा?
मैं बचूँगी या मिलूँगी धूल में।
जल उठूँगी गिर अँगारे पर किसी
चू पढूँगी या कमल के फूल में।
बह पड़ी उस काल इक ऐसी हवा
वह समन्दर ओर आई अनमनी।
एक सुन्दर सीप का था मुँह खुला
वह उसी में जा गिरी मोती बनी।
1. आह! शब्द किस भाव को व्यक्त करता है?
(1) दुःख का
(2) खुशी का भाव
(3) सुख का भाव
(4) बुझे मन का भाव
2. द की चिन्ता का विषय क्या है?
(1) गिरने का डर
(2) अतीत के बुरे ख्याल
(3) वर्तमान स्थिति
(4) भविष्य की चिन्ता
3. बूंद के साथ किन लोगों की समानता दिखाई देती है?
(1) जो अनिश्चय की स्थिति में रहते हैं
(2) जो निराश हैं
(3) जो वर्तमान से घिरे रहते हैं
(4) जो आलसी हैं
4. कवि ने किस सोच पर बल दिया है?
(1) डर की सोच
(2) गलत विचारों की सोच
(3) सकारात्मक सोच
(4) दुःख मनाने की सोच
5. मोती बनने का क्या आशय है?
(1) सुखद अहसास होना
(2) लक्ष्य मिलना
(3) जीवन का अन्त होना
(4) अधूरी मंजिल मिलना
6. आह! क्यों घर छोड़कर मैं यों कढ़ी। किस प्रकार का वाक्य है?
(1) आज्ञासूचक
(2) स्वीकारात्मक
(3) विस्मयबोधक
(4) प्रश्नवाचक
पद्यांश 18
चौड़ी सड़क गली पतली थी
दिन का समय घनी बदली थी
रामदास उस दिन उदास था
अन्त समय आ गया पास था
उसे बता यह दिया गया था उसकी हत्या होगी।
धीरे-धीरे चला अकेले
सोचा साथ किसी को ले ले
फिर रह गया, सड़क पर सब थे
सभी मौन थे सभी निहत्थे
सभी जानते थे यह उस दिन उसकी हत्या होगी।
खड़ा हुआ वह बीच सड़क पर दोनों हाथ पेट पर रख कर
सधे कदम रख करके आए लोग सिमट कर आँख गड़ाए
लगे देखने उसको जिसकी तय था हत्या होगी।
निकल गली से तब हत्यारा
आया उसने नाम पुकारा
हाथ तौलकर चाकू मारा
छूटा लोहू का फव्वारा
कहा नहीं था उसने आखिर उसकी हत्या होगी।
1. रामदास क्यों उदास था?
(1) उसे पता था कि उसकी हत्या होगी
(2) उसे कोई बचाने वाला नहीं था
(3) उसे किसी राजकीय सहायता का भरोसा नहीं था
(4) अपनी असहायता और लाचारी के कारण वह निराश था
2. रामदास ने अपने साथ और किसी को क्यों नहीं लिया?
(1) वह और किसी को संकट में नहीं डालना चाहता था
(2) उसे अन्य किसी पर भरोसा नहीं था
(3) उसे पता था कि कोई उसकी सहायता नहीं करेगा
(4) वह अपनी और अन्य सभी की लाचारी जानता था
3. सड़क पर हत्या होने में क्या व्यंग्य है?
(1) सब ओर गुण्डागर्दी है।
(2) पुलिस का नियन्त्रण समाप्त है
(3) लोग तमाशबीन हो चुके हैं
(4) ये सभी
4. रामदास चिल्लाने की बजाय पेट पर हाथ रखकर क्यों खड़ा हो गया?
(1) वह हतोत्साहित था
(2) उसे पेट चिरने का डर था
(3) वह स्वयं मरना चाहता था
(4) वह कायर था
5. ‘आँख गड़ाने’ का आशय स्पष्ट कीजिए
(1) घूरना
(2) ध्यान से देखना
(3) क्रोध से देखना
(4) नजर रखना
6. जिनके हाथ खाली हों, उसे कहा जाता है
(1) हाथ खाली
(2) खाली हाथ
(3) निहत्था
(4) 2 और 3
पद्यांश 19
कितनी करुणा कितने सन्देश
पथ में बिछ जाते बन पराग
गाता प्राणों का तार-तार
अनुराग भरा उन्माद राग
आँसू लेते वे पथ पखार
जो तुम आ जाते एक बार।
हँस उठते पल में आर्द्र नयन
धुल जाता होठों से विषाद
छा जाता जीवन में बसन्त
चिरसंचित विराग लुट जाता
आँखें देतीं सर्वस्व वार
जो तुम आ जाते एक बार।                         महादेवी वर्मा
1. रास्ते में करुणा और सन्देश क्या बनकर बिछ जाते?
(1) फूलों की पत्तियाँ
(2) फूल
(3) फूलों की रज
(4) फूलों के बीज
2. ‘अनुराग’ शब्द का विपरीतार्थक है
(1) राग
(2) रागयुक्त
(3) विराग
(4) उन्माद
3. पल भर में किस प्रकार के नेत्र हँस उठते?
(1) भीगे हुए
(2) मुँदे हुए
(3) मुरझाए हुए
(4) धुले हुए
4. ‘पखारना’ शब्द का अर्थ है
(1) बहाना
(2) धो देना
(3) देखना
(4) सजा देना
5. चिरसंचित में उपसर्ग है
(1) चि
(2) चित
(3) संचित
(4) चिर
6. कवि के अनुसार, एक बार आ जाने से जीवन में ………छा जाता है।
(1) उन्माद
(2) अनुराग
(3) विराग
(4) बसन्त
पद्यांश 20
रात यों कहने लगा मुझसे गगन का चाँद,
आदमी भी क्या अनोखा जीव होता है!
उलझने अपनी बनाकर आप ही फँसता,
और फिर बेचैन हो जगता, न सोता है।
जानता है तू कि मैं कितना पुराना हूँ?
मैं चुका हूँ देख मनु को जनमते-मरते
और लाखों बार तुझ-से पागलों को भी
चाँदनी में बैठ स्वप्नों पर सही करते।                 रामधारी सिंह दिनकर
1. कौन स्वयं उलझनें पैदा कर फँसता है?
(1) अनोखा जीव
(2) आदमी
(3) गगन का चाँद
(4) मनु
2. ‘अनोखा जीव’ का समानार्थी है
(1) एक विशेष प्रकार का जानवर
(2) उलझन पैदा करने वाला
(3) एक विशिष्ट शारीरिक रचना वाला प्राणी
(4) विशिष्ट प्राणी
3. ‘चाँदनी’ का पर्यायवाची नहीं है
(1) कौमुदी
(2) चन्द्रिका
(3) ज्योत्स्ना
(4) अंशुमाली
4. उपरोक्त पद्यांश में ‘मैं’ किसके लिए प्रयुक्त हुआ है?
(1) चाँदनी के लिए
(2) आदमी के लिए
(3) चाँद के लिए
(4) स्वप्न के लिए
5. बेचैन में उपसर्ग है
(1) चैन
(2) एन्
(3) बे
(4) बेच
6. तुझ-से का आशय है
(1) तुझे
(2) तेरे-को
(3) तेरे-जैसे को
(4) तुझसे या तुमसे

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