F-12

शिक्षा में सूचना एवं संचार तकनीकी

शिक्षा में सूचना एवं संचार तकनीकी

शिक्षा में सूचना एवं संचार तकनीकी
                                           लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. आई. सी. टी. क्या है ?
उत्तर―सूचना एवं संचार प्रौद्योगिको (ICT) को अक्सर सूचना प्रौद्योगिकी (IT) के
समानार्थक समझा जाता है, परन्तु आई. सी. टी का अर्थ मुख्यतः कम्प्यूटर प्रणाली तथा उससे
संबंधित तकनीकियों से है। जबकि सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (ICT) का संबंध कम्प्यूटर
प्रणाली के साथ-साथ टेली-कॉम्युनिकेशन, वायरलेस आधारित व्यवस्थाएँ, दृश्य-श्रव्य
व्यवस्थाएँ, स्टोरेज आदि से है, जो उपयोगकर्ताओं को सूचनाओं को संचित करने तथा प्रसारित
करने की सुविधा प्रदान करता है। इस प्रकार रेडियो, टी वी०, कम्प्यूटर, उपग्रह व्यवस्था,
इन्टरनेट, मोबाइल टेक्नोलॉजी एवं संबंधित वस्तुओं से सूचनाओं के आदान-प्रदान की तकनीक
सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (ICT) कहलाती है।
प्रश्न 2. ‘सूचना’ शब्द का अर्थ (Meaning of Information) स्पष्ट करें।
उत्तर―’सूचना’ का अर्थ (Meaning of Information)–’सूचना’ शब्द को विभिन्न
तरीकों से प्रयोग किया जाता है। दो शब्दों ‘आँकड़ों’ और ‘सूचना’ का बहुत प्रयोग किया
जाता है, जो कि आपस में सम्बन्धित होते हैं। आँकड़े कोई भी तथ्य, अवलोकन, अवधारणा,
नाम, समय, तिथि, भार, मूल्य, आयु, पुस्तक, अंक, प्रतिशत आदि हो सकते हैं। आंकड़े
किसी व्यक्ति की क्रिया का गुण होते हैं।
      आँकड़ों का संक्षिप्त स्वरूप ही “सूचना’ है। आंकड़ों और सूचना में संबंध होता है।
किसी सूचना प्रणाली में डाली गई सामग्री कहलाती है तथा सूचना प्रणाली का उत्पादन
सूचना कहलाती है। अत: सूचना के आँकड़े होते हैं, जिन्हें किसी स्वरूप में उत्पन्न किया
गया है तथा जो प्राप्तकता के लिए उपयोगी होत हैं और तत्काल या भविष्य की क्रियाओं
एवं निर्णयों के लिए कीमती होते हैं।
     कोई भी सूचना या आँकडे किसी भी बहस, गणना या निर्णय का आधार होते हैं। दूसरे
शब्दों में ‘सूचना’ वह आँकड़े हैं, जिसका अर्थ निश्चित होता है।
    आँकड़े मूल तथ्य होते हैं जिन्हें किसी संस्था के ऐतिहासिक रिकार्ड के रूप में प्रयोग किया
जाता है। दैनिक जीवन में हम आँकड़ों और सूचना को एक-दूसरे के लिए प्रयुक्त करते हैं।
     सूचना के आँकड़े हैं, जिन्हें निर्णयों के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
प्रथम 3. सूचका तकनीकी का अर्थ (Meaning of Information Technology)
बताएँ।
उत्तर―सूचना तकनीकी का अर्थ (Meaning of Information Technology)―
सूचना तकनीकी विभिन्न तकनीकों, सूचनाओं, आंकड़ों के प्रस्तुतीकरण तथा सूचना और आंकड़ों
के भण्डारण की विधियों का संकलन है। इन सभी कार्यों को करने के लिए कम्प्यूटर एक
ऐसा यंत्र है, जिसका प्रयोग विश्व के हर कोने में हो रहा है। सूचना तकनीकी ने हमारे दैनिक
जीवन को कम्प्यूटरों के माध्यम से अत्यधिक प्रभावित किया है। उदाहरणार्थ-हवाई जहाज
की टिकट बुक करवाना, रेलवे की टिकट बुक करवाना, इन्टरनेट पर चीजें बेचनी और खरीदनी,
बैंक का कारोबार, मनोरंजन, शिक्षा संचार इत्यादि । सूचना तकनीकी ने पारस्परिक विधियों
का स्थान ले लिया है।
      सूचना तकनीकी में कम्प्यूटिंग और संचार तकनीकी दोनों को ही शामिल किया जाता
है। सूचना तकनीकी में विभिन्न पक्ष होते हैं, जैसे-हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर, टैलीकम्प्यूनिकेशन,
मानव-कम्प्यूटर इंटरफेस (Human Computer Interface) |
      सूचना तकनीकी का सम्बन्ध सूचना के सृजन, संकलन, प्रोसैसिंग, भण्डारण, प्रस्तुतीकरण और
प्रसार करने से है। इसमें हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर तथा टेलीफोन इत्यादि सभी शामिल होते हैं।
प्रश्न 4. सूचना तकनीकी के विभिन्न प्रौद्योगीकियों की सूची बनाएँ।
अथवा, ICT में प्रयुक्त विभिन्न उपकरण कौन-कौन-से हैं?
उत्तर―ICT के विभिन्न उपकरण :
(1) रेडियो
(2) टेपरिकॉर्डर
(3) टेलीविजन
(4) विडियो प्लेयर
(5) कम्प्यूटर
(6) इंटरैक्टिव बोर्ड
(7) मोबाईल
(8) प्रोजेक्टर
(9) स्कैनर
(10) कैमरा, इत्यादि।
प्रश्न 5. कम्प्यूटर आधारित अधिगम एवं शिक्षण अनुदेशन (CALT―Computer
Assisted Learning and Teaching) से क्या तात्पर्य है? संक्षेप में स्पष्ट कीजिए।
उत्तर―कम्प्यूटर अधिगम एवं शिक्षण अनुदेशन (CALT-Computer Assisted
Learning and Teaching) कम्प्यूटर आधारित अधिगम एवं शिक्षण से तात्पर्य एक ऐसे
माध्यम से है, जिसके अन्तर्गत अत्यधिक सूचनाओं को कम समय में प्रेषित किया जा सके।
यह विद्यार्थियों द्वारा उनकी पाठ्यपुस्तकों, कक्षा-कक्ष के अन्तर्गत की गई चर्चा, आदि के माध्यम
से सीखी गई विषयवस्तुओं से संबंधित ज्ञान को मजबूत बनाने का एक शक्तिशाली माध्यम
है। कम्प्यूटर आधारित अधिगम एवं शिक्षण हमें जटिल विषय-वस्तुओं को समझने के योग्य
बनाने वाला शक्तिशाली माध्यम है।
           वर्तमान समय में विद्यार्थियों के अधिगम हेतु उनके विषयों से सम्बन्धित समस्त ज्ञान
एवं विषयवस्तु कम्प्यूटर सी. डी. पर उपलब्ध कराई जा रही है। इसका उपयोग विद्यार्थी स्कूल
के साथ-साथ घर पर रहते हुए भी कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त इन्टरनेट पर विभिन्न विषयों
‘से सम्बन्धित वृहद् ज्ञान संगृहीत है, जिसका उपयोग विद्यार्थी अपने ज्ञान में वृद्धि करने हेतु,
विषयगत तथ्यों को सीखने हेतु, शोध कार्यों, नये अनुसन्धान आदि हेतु कर सकते हैं।
      कम्प्यूटर पर सी.डी. अथवा इन्टरनेट के माध्यम से उपलब्ध विषय-वस्तु का प्रस्तुतीकरण
इतना प्रभावशाली एवं विस्तृत होता है कि विद्यार्थी इसे आसानी से समझ पाता है।
प्रश्न 6. शिक्षा व्यवस्था के प्रबंधन हेतु कम्प्यूटर की भूमिका को संक्षेप में स्पष्ट
कीजिए।
अथवा, शिक्षा में सूचना तकनीक के उपयोग का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर―शिक्षा व्यवस्था के प्रबंधन हेतु कम्प्यूटर की भूमिका-कम्प्यूटर ने वर्तमान
में सभी क्षेत्रों को अपनी विशेषताओं से प्रभावित किया है। आज कोई भी क्षेत्र कम्प्यूटर के
प्रभावों से अछूता नहीं है। इस दिशा में कम्प्यूटर का शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान
रहा है। कम्प्यूटर ने विद्यार्थियों की शिक्षा, विद्यालय प्रबंधन, दूरस्थ शिक्षा, पुस्तकालय प्रबंधन,
शोध कार्यों आदि क्षेत्रों में अपना अलग स्थान बनाया है।
इन्टरनेट के उपयोग से घरों में ही छात्र बेहतर तरीके से पढ़ाई और रिसर्च करने में सक्षम
हो गये हैं। पढ़ाई में नये तरीकों का अनुसरण हो रहा है। इनमें सम्मिलित हैं-अध्यापकों
की भूमिका, विभिन्न प्रकार के छात्र और पढ़ाने के नये तरीके आदि । ऑनलाइन शिक्षा का
प्रचलन बढ़ाता जा रहा है और बहुत-से लोग इस तरफ आकर्पित हैं, मुख्य रूप से उच्च
शिक्षा में।
      भविष्य में अपंग छात्रों के लिए भी काफी अवसर हैं, क्योंकि इतने सॉफ्टवेयर्स विकसित
हो चुके हैं कि अपनी आवश्यकता अनुसार कोई भी सॉफ्टवेयरं परिवर्तित व उपयोग किया
जा सकता है। कम्प्यूटर में इन्टरनेट पर आदान-प्रदान करने में बहुत आसानी होती है। जैसे-
फाइल्स का सुविधाजनक स्थानांतरण, इन्टरनेट पर उपलब्ध सूचना का वृहद् आदान-प्रदान
आदि । आज के युग में विभिन्न कोर्स सी०डी० पर उपलव्य हैं अथवा इन्टरनेट पर पढ़ाये जाते
हैं। कम्प्यूटर से स्वयं पढ़ने की क्षमता का विकास हुआ है।
          कम्प्यूटर्स ने कक्षाओं में भी प्रवेश कर लिया है। एक्सेल जैसे प्रोग्राम उन कार्यों को
करने की सुविधा प्रदान करते हैं, जो हाथ से करना नामुमकिन है।
प्रश्न 7. पुस्तकालय प्रबन्धन में कम्प्यूटर की भूमिका को संक्षेप में स्पष्ट कीजिए।
उत्तर–पुस्तकालय प्रबन्धन में कम्प्यूटर की भूमिका― पुस्तकालय रख-रखाव में
कम्प्यूटर का उपयोग अतिविशिष्ट है । पुस्तकालयों में पुस्तके, पत्र-पत्रिकाएँ, जनरल्स इत्यादि
अधिक संख्या में होते हैं। इन सभी का रिकार्ड रखना तथा पुस्तकों को इश्यू करने से संबंधित
लेखा रखना अत्यधिक जटिल कार्य है। इस कार्य को कम्प्यूटर की सहायता से सुलभ बनाया
जा सकता है। कम्प्यूटर द्वारा पुस्तकालय में उपलब्ध पुस्तकों व अन्य पत्रिकाओं की जानकारी
कुछ ही क्षणों में प्राप्त की जा सकती है। पुस्तकालय प्रबंधन से संबंधित सॉफ्टवेयर बाजार
में उपलब्ध हैं अथवा इन्हें आवश्यकता के अनुरूप तैयार भी करवाया जा सकता है। इन
सॉफ्टवेयर्स का प्रयोग पुस्तकालय में उपलब्ध दैनिक सामग्री की सम्पूर्ण जानकारी रखने हेतु,
आवश्यकता पड़ने पर इसे शीघ्र उपलब्ध करवाने हेतु, छात्रों के पुस्तकालय कार्ड बनाने हेतु,
पुस्तक इश्यू करने संबंध समस्त लेखा रखने हेतु इत्यादि के लिए किया जा सकता है। इस
प्रकार बड़े से बड़े पुस्तकालय का प्रबंधन कम्प्यूटर की सहायता से आसानी से किया जा
सकता है।
प्रश्न 8. विद्यालय प्रबंधन में कम्प्यूटर की भूमिका को संक्षेप में स्पष्ट कीजिए।
उत्तर―विद्यालय प्रबंधन में कम्प्यूटर की भूमिका विद्यालय प्रबंधन में कम्प्यूटर का
बहुत बड़ा योगदान है । कम्प्यूटर के माध्यम से विद्यालय के कार्यों को अधिक गति व कुशलता
के साथ सम्पन्न किया जाना संभव है । कम्प्यूटर का उपयोग विद्यालय के प्रबंधन में निम्नलिखित
कार्यों हेतु किया जा सकता है―
(i) वर्तमान में विभिन्न विषयों से संबंधित पाठ्यक्रम सी. डी. पर उपलब्ध हैं। इनका
प्रयोग शिक्षण सहायक सामग्री के रूप में कर विद्यार्थियों के ज्ञान में वृद्धि कर
सकते हैं।
(ii) एल सी डी. प्रोजेक्टर, इंटरेक्टिव व्हाइट बोर्ड आदि उपकरणों को कम्प्यूटर से जोड़कर
शिक्षण को रोचक बनाया जा सकता है।
(iii) विद्यार्थियों की शैक्षिक अभिवृत्ति को बढ़ाने हेतु, सूचना-तकनीकी उपकरणों का
उपयोग किया जा सकता है।
(iv) विद्यालय के लेखे-जोखे रखने हेतु यथा-कर्मचारियों के वेतन संबंधी विवरण बनाने,
विद्यालय के खर्च का हिसाब रखने, विद्यार्थियों की फीस का हिसाब रखने,
समय-सारणी निर्माण हेतु तथा परीक्षा संबंधी जानकारियों को संगृहीत करने एवं
इनका प्रबंधन करने हेतु कम्प्यूटर का प्रयोग किया जा सकता है।
(v) यदि किसी विद्यालय की एक से अधिक शाखाएँ हैं तो समस्त सूचनाओं को एक
ही स्थान पर संगृहीत एवं नियंत्रित किये जाने की दृष्टि से समस्त विद्यालयों का
कम्प्यूटर के माध्यम से एक केन्द्रीकृत प्रणाली के अन्तर्गत व्यवस्थित किया जा
सकता है।
प्रश्न 9. सम्प्रेषण का अर्थ एवं परिभाषा दें।
उत्तर―सम्प्रेषण का अर्थ एवं परिभाषाएँ (Meaning and Definitions or
Communication) सम्प्रेषण शिक्षण-अधिगम की प्रक्रिया को चलाने के लिये महत्वपूर्ण
भूमिका निभाता है, चाहे वह सम्प्रेषण औपचारिक हो या अनौपचारिक हो । कई दृष्टिकोण
से शिक्षण एक सम्प्रेषण है तथा इस दृष्टि से अच्छे अध्यापक अच्छे सम्प्रेषक होते हैं। इसी
प्रकार अच्छे सीखने वाले व्यक्ति अच्छे प्राप्तकर्ता होते हैं। सम्प्रेषण अच्छे शिक्षण-अधिगम
के लिए एक वाहन का कार्य करता है।
      कोई भी समूह या संगठन विना सम्प्रेषण के अस्तित्व में नहीं रह सकता। केवल एक
व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक अर्थों को हस्तांतरित करने से सूचनाओं और विचारों का सम्प्रेषण
किया जा सकता है। लेकिन सम्प्रेषण अर्थ को हस्तांतरित करने से कुछ अधिक है। अतः
इस सम्प्रेषण को समझना भी अति आवश्यक है। इसे समझना चाहिए। किसी भी समूह में
यदि कोई व्यक्ति फ्रेंच भाषा बोलता है और दूसरे लोग उसे समझते नहीं तो उस व्यक्ति को
समझना कठिन होगा। अतः सम्प्रेषण प्रक्रिया में दोनों पक्ष ही शामिल होने चाहिए-सूचना
का हस्तांतरण तथा उसका बोध या समझना । उस सम्प्रेषण को पूर्ण सम्प्रेषण कहा जायेगा,
जिसे प्राप्तकर्ता उतना ही समझे जिस प्रकार से प्रेषक ने उसे भेजा था। लेकिन वास्तव में,
पूर्ण सम्प्रेषण संभव नहीं होता।
प्रश्न 10. सम्प्रेषण प्रक्रिया की विशेषताओं को संक्षेप में बताएँ ।
उत्तर―सम्प्रेषण प्रक्रिया की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं―
(i) सम्प्रेषण एक दूसरे में सम्बन्ध स्थापित करने की प्रक्रिया है।
(ii) इसमें दो पक्ष होते हैं. एक संदेश भेजने वाला दूसरा संदेश ग्रहण करने वाला।
(iii) इसमें दोनों पक्षों का सक्रिय होना आवश्यक है।
(iv) सम्प्रेषण एक गत्यात्मक प्रक्रिया है।
(v) इसमें शिष्टता व नम्रता का प्रयोग आवश्यक है।
(vi) इसमें विचारों, भावनाओं व तथ्यों का पारस्परिक आदान-प्रदान होता है।
(vii) सन्देश वाहक की भाषा व विषय सामग्री प्रभावशाली होनी चाहिए।
(viii) सम्प्रेषण मानवीय व सामाजिक वातावरण को बनाये रखने का कार्य करता है।
(ix) सम्प्रेषण प्रक्रिया में परस्पर अन्त:क्रिया व पृष्ठ पोषण आवश्यक है।
प्रश्न 11. सम्प्रेषण हेतु रेडियो के क्या उपयोग हैं ?
उत्तर― रेडियो द्वारा दूर-दराज स्थित विद्यालयों के विद्यार्थियों को एक ही साथ आधुनिकतम
घटनाओं तथा नवीनतम सूचनाओं का ज्ञान प्राप्त होता है । इससे बालकों में नई-नई बातें सीखने
की उत्सुकता सम्पन्न होती है । रेडियो से उच्च कोटि के विषय विशेषज्ञों द्वारा राष्ट्रीय तथा
अन्तरराष्ट्रीय समस्याओं के विषय में अनेक वार्ताएँ व भाषाण सुनने को मिलती है। इससे
विद्यार्थियों का अर्जित ज्ञान स्थायी होता है।
प्रश्न 12. रेडियो पाठ को सुनते समय ध्यान देने योग्य बातों का संक्षेप में विवरण
दीजिए।
अथवा, रेडियो पाठ को सुनते समय बरतने वाली सावधानियों का संक्षेप में वर्णन
कीजिए।
उत्तर―रेडियो पाठ को सुनते समय हमें निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना चाहिए―
1. विद्यार्थियों को रेडियो के समीप बैठना चाहिए।
2. विद्यार्थियों को कविता या कहानी रेडियो पर सुनने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
निधारित समय पर विशेषज्ञ द्वारा प्रसारित वार्ता को कक्षा में विद्यार्थी-शिक्षकों को सुनाई
जानी चाहिए।
4. रेडियो कार्यक्रम के दौरान/बीच में प्रश्न पूछने के लिए विद्यार्थी-शिक्षकों को निर्देशित
करना चाहिए।
5. महत्वपूर्ण बिन्दुओं जिज्ञासाओं प्रश्नों को विद्यार्थी अपनी कॉपी में नोट करते रहें, ताकि
कार्यक्रम समाप्ति के उपरान्त उस पर चर्चा कर सकें।
प्रश्न 13. रेडियो कार्यक्रमों के द्वारा हमारे देश में शिक्षा के किन प्रमुख उद्देश्यों
को प्राप्त किया जा सकता है?
        अथवा, रेडियो प्रसारण के शैक्षिक उपयोग को प्रभावी बनाने के सुझाव दीजिए।
उत्तर― रेडियो कार्यक्रमों के द्वारा हमारे देश में शिक्षा के प्रमुख उद्देश्य निम्नानुसार पूरे
किए जा सकते हैं―
1. जनतांत्रिक पद्धति में विश्वास उत्पन्न करना व उत्तम नागरिक का निर्माण करना।
2. राष्ट्रीय चरित्र का निर्माण करना एवं राष्ट्रहितों को प्रमुखता देने की भावना का विकास
करना।
3. शिक्षण को सरल बनाकर बालकों में ज्ञान की जिज्ञासा उत्पन्न करना।
4. विद्यार्थी-शिक्षकों में कल्पना शक्ति का विकास करना, क्योंकि दृश्यात्मक न होने से
उनको अपने पूर्व अनुभवों के आधार पर ही वस्तु स्थिति को कल्पना करनी होती
है।
5. कम खर्चीला होने के कारण प्रत्येक व्यक्ति इसका उपयोग कर सकता है।
रेडियो प्रसारण के शैक्षिक उपयोग को प्रभावी बनाने हेतु सुझाव―
1. प्रसारण पूर्व तैयारी–प्रसारण कार्यक्रम की पूर्व सूचना एकत्र करनी चाहिए।
स्ठ्यक्रम सम्बन्धी कार्यक्रम को टेप करने की तैयारी भी रखनी चाहिए। ताकि इनका पुनःप्रयोग
किया जा सके।
2 . प्रसारण सुनना–प्रसारण समय से पूर्व कक्षा में छात्रों को बिठावें तथा पाठ से सम्बन्धित
भन पूछकर छात्रों को प्रसारित कार्यक्रम के लिए अंत:प्रेरित करना चाहिए, ताकि छात्रों की
कार्यक्रम में रूचि उत्पन्न हो सके।
प्रश्न 14. टेलीविजन के शैक्षिक उपयोगों का संक्षेप में विवरण दीजिए।
उत्तर―टेलीविजन के शैक्षिक उपयोग निम्नलिखित हैं―
(i) छात्रों के सृजनात्मक सहयोगी कापसासा छात्रों को प्रेरित करने में इसका
उपयोग किया जा सकता है।
(ii) कठिनाई से उपलब्य शिक्षण साधनों को उपलब्ध कराने में इसका उपयोग हो सकता
है।
(iii) उच्च स्तरीय शिक्षण में उपयोगी होने के साथ-साथ साक्षरता एवं सतत शिक्षा
कार्यक्रमों में इसका उपयोग हो सकता है।
(iv) टेलीविजन औद्योगिक श्रमिकों एवं किसानों के लिए विशिष्ट शिक्षण कार्यक्रम तथा
शिक्षकों के सेवाकालीन प्रशिक्षण में उपयोगी हो सकता है।
(v) यह उन प्रयोग प्रदर्शनों के लिए उपयोगी है, जिन्हें हम कक्षा में प्रदर्शित नहीं कर
सकते हैं।
(vi) यह विभिन्न शिक्षण साधनों का समायोजन करके उनसे सम्बन्धित विषयों में स्तरीय
शिक्षण प्रदान करने में उपयोगी हो सकता है।
(vii) यह प्रशिक्षित तथा विशेषज्ञ शिक्षकों की कमी का निराकरण करने में विशेष रूप
से उपयोगी है।
(viii) यह प्रभावी शिक्षण अनुभवों को बहुत बड़ी संख्या में श्रोता विद्यार्थी शिक्षक तक
पहुँचाने में प्रयुक्त हो सकता है ।
(ix) यह स्वयं विद्यार्थी शिक्षकों की शिक्षण तकनीकों में सुधार लाने में तथा पूर्व में
रिकॉर्ड किए गए शिक्षण को देखकर कमजोर पक्ष का पता करके, शिक्षक द्वारा
स्वयं में सुधार करने में उपयोगी हो सकता है।
(x) दूरदर्शन, सम्पूर्ण शिक्षा के रूप में एक पूरक साधन के रूप में एवं एक सहायक
उन्नत साधन के रूप में काफी उपयोगी सिद्ध हो सकता है।
प्रश्न 15. शिक्षण मे इंटरेक्टिव बोर्ड के प्रमुख उपयोग बताइए।
उत्तर―शिक्षण में इंटरेक्टिव बोर्ड के कुछ प्रमुख उपयोग निम्नलिखित हैं:
(i) लिखित सामग्री व चित्रों को प्रदर्शित करना ।
(ii) डिजिटल नोट्स अथवा अध्ययन सामग्री को संरक्षित करना ।
(iii) नोट्स को ई-मेल, वेब या प्रिंट द्वारा प्राप्त करना ।
(iv) नोट्स अथवा अध्ययन सामग्री को शिक्षण हेतु दुबारा उपयोग में लाने हेतु सुरक्षित
रखना।
प्रश्न 16. डिजिटल कैमरे के प्रमुख लाभ बताइए।
उत्तर―डिजिटल कैमरे के निम्नलिखित लाभ हैं:
(i) त्वरित गति से सीखना तथा फोटोग्राफी द्वारा रचनात्मकता और रोचकता में वृद्धि
करना।
(ii) इससे तत्काल पृष्ठपोषण (फोटो, चित्र को तत्काल प्राप्त करना) होता है।
(iii) इससे शब्दों की अपेक्षा दृश्यात्मक रूप से सिखाना ज्यादा तीव्रतम रूप से संभव है।
(iv) इससे प्रिंट, नेटवर्क, ई-मेल, वेबसाइट्स के माध्यम से फोटो को दूसरों के साथ
शेयर करना आसान हो जाता है।
(v) यह विजुअल लर्निंग को बढ़ावा देना।
(vi) इससे लेख के साथ चित्रों/फोटो को विभिन्न परिस्थितियों में उपयोग किए जा सकते
(vii) इसके द्वारा वर्कशीट, गृहविज्ञान में रेसिपी तैयार करने के नोट्स, विज्ञान, रिपोर्ट्स
तैयार किए जा सकते हैं।
(viii) इससे विद्यार्थी पाठ्यचर्या से संबंधित प्रदत्त कार्यों को कर सकते हैं।
(ix) इसके द्वारा विद्यालय के प्रमोशनल लाभ हेतु सामग्री; जैसे—समाचार पत्रों के लिए
फोटो, न्यूज लेटर, पेम्पलेट्स, पोस्टर्स का निर्माण किया जा सकता है।
(x) इसके द्वारा श्रवण-बाध्यता वाले विद्यार्थी-शिक्षक एवं शिक्षक के लिए अधिगम
सामग्री तैयार की जा सकती है।
(xi) इसके द्वारा विशेष शिक्षा एवं भाषण क्षमता को दृष्टिगत रखते हुए काम में लिया
जा सकता है।
(xii) इसके द्वारा स्लाइड्स एवं प्रजेंटेशन प्रदर्शन तथा विद्यार्थियों की प्रगति को रिकॉर्ड
किया जा सकता है।
(xiii) इसके द्वारा शारीरिक शिक्षा की गतिविधियों का विश्लेषण किया जा सकता है।
(xiv) इसके द्वारा फोटोग्राफी की अवधारणा को सीखना संभव है।
                                                       □□□

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