GJN 9th Hindi

GSEB Std 9 Hindi Textbook Solutions Chapter 2 न्यायमंत्री

GSEB Std 9 Hindi Textbook Solutions Chapter 2 न्यायमंत्री

GSEB Solutions Class 9 Hindi Chapter 2 न्यायमंत्री

न्यायमंत्री Summary in Hindi

विषय-प्रवेश :

श्री सुदर्शनजी हिन्दी के पुराने और मंजे हुए कहानीकार थे। इनकी कहानियाँ रोचक होती हैं, साथ ही उनमें कोई-न-कोई संदेश भी छिपा रहता है। यह कहानी न्याय मैं निष्पक्षता का संदेश देती है।

पाठ का सार :

शिशुपाल के घर एक युवक का आगमन : एक दिन शाम के अंधेरे में शिशुपाल ब्राह्मण के घर एक युवक आया। शिशुपाल ने अतिथि मानकर उसका स्वागत किया।

राज्य में फैले अन्याय की चर्चा : आतिथ्य-सत्कार के बाद शिशुपाल ने राज्य में चारों तरफ हो रहे अन्याय की चर्चा की। युवक इससे सहमत नहीं हुआ। उसने कहा, “दोष निकालना तो सरल है, कुछ करके दिखाना कठिन है।” इस पर शिशुपाल ने कहा, “यदि अवसर मिले तो दिखा दूंगा कि न्याय किसे कहते हैं।”

शिशुपाल का न्यायमंत्री बनना : वह युवक और कोई नहीं, स्वयं सम्राट अशोक थे। एक दिन उन्होंने शिशुपाल को अपने दरबार में बुलाया और अपनी राजमुद्रा देकर उसे न्यायमंत्री बना दिया।

शिशुपाल को अवसर मिला : शिशुपाल को न्यायमंत्री बने अभी एक ही महीना हुआ था कि एक रात किसी ने एक पहरेदार की हत्या कर दी। शिशुपाल ने अपराधी का पता लगाने में दिन-रात एक कर दिया।

स्वयं सम्राट ही अपराधी : शिशुपाल को पता चला कि सम्राट अशोक ही पहरेदार की हत्या के अपराधी थे। सम्राट की गिरफ्तारी : सम्राट को गिरप्तार करना आसान न था, परंतु शिशुपाल न्यायमंत्री था। उसे तो निर्भय होकर न्याय करना था। उसने सम्राट को गिरफ्तार करने का आदेश दिया। सिपाही ने सम्राट अशोक के हाथों में हथकड़ियाँ पहना दी।

सोने की मूर्ति को फांसी : सम्राट अपराधी तो थे, परंतु उन्हें साधारण अपराधी की तरह दंड नहीं दिया जा सकता था। इसलिए शास्त्र की आज्ञा के अनुसार सम्राट की सोने की मूर्ति को फांसी दी गई।

न्यायमंत्री की जय-जयकार : शिशुपाल के न्याय से लोग बहुत प्रसन्न हुए। सम्राट ने भी उसके न्याय की प्रशंसा की।

न्यायमंत्री Summary in English

Arrival of a young man to Shishupal’s house: One day in the evening a young man came to Shishupal Brahmin’s house. Shishupal welcomed him as a guest.

Discussion of Injustice spread in the state : Shishupal welcomed the guest and then he told about the injustice spread everywhere in the state. The young man did not agree with him. He said, “It is casy to find fault but it is difficult to do something well. Hearing this Shishupal said, “If I get a chance, I will show you what justice is.”

Shishupal became the minister of Justice : The young man was no other man, but emperor Ashok himself. One day he called Shishupal to his court and appointed him the minister of Justice by giving him his national symbol.

Shishupal got a chance : Shishupal became the minister of justice. Then in a month somebody murdered a police at night. Shishupal made a great effort to find out the murderer.

The emperor himself was the murderer: Shishupal came to know that the emperor Ashok was the murderer of the police.

Arrest of the emperor : It was not an easy task to arrest the emperor, but Shishupal was the minister of justice. He had to give judgement fearlessly. He summoned to arrest the emperor. The police tied emperor Ashok with handcuffs.

Gallows to the statue of gold: The emperor was the criminal, but he cannot be given punishment as to a common man criminal is given. So the gold statue of the emperor was hanged as the direction in the scripture.

Congratulations to the minister of justice : People became happy by the justice of Shishupal. The emperor too praised him for his justice.

न्यायमंत्री Summary in Gujarati

ગુજરાતી ભાવાર્થ :

શિશુપાલને ઘરે એક યુવકનું આગમનઃ એક દિવસ સાંજના | નાખી. શિશુપાલે અપરાધીની તપાસ કરવામાં દિવસ-રાત એક કરી અંધારામાં શિશુપાલ બ્રાહ્મણના ઘરે એક યુવક આવ્યો. શિશુપાલે || નાખ્યાં. અતિથિ ગણીને તેનું સ્વાગત કર્યું.

સ્વયં સમ્રાટ જ અપરાધીઃ શિશુપાલને ખબર પડી કે સમ્રાટ રાજ્યમાં ફેલાયેલા અન્યાયની ચર્ચા આતિથ્ય સત્કાર પછી અશોક જ સિપાઈની હત્યાના અપરાધી હતા. શિશુપાલે રાજ્યમાં ચોમેર ફેલાયેલા અન્યાયની ચર્ચા કરી. યુવક એ સમ્રાટની ધરપકડઃ સમ્રાટની ધરપકડ કરવી એ સહેલું કામ ન વાતથી સહમત ન થયો. તેણે કહ્યું, “દોષ કાઢવો સરળ છે, કંઈક

હતું, પરંતુ શિશુપાલ ન્યાયમંત્રી હતા. તેમણે તો નિર્ભય થઈને ન્યાય કરીને બતાવવું મુશ્કેલ છે.” આ સાંભળી શિશુપાલે કહ્યું, “જો અવસર
કરવાનો હતો. તેમણે સમ્રાટની ધરપકડ કરવાનો આદેશ આપ્યો. મળે, તો હું બતાવી દઉં કે ન્યાય કોને કહેવાય.”

સિપાઈએ સમ્રાટ અશોકના હાથમાં હાથકડીઓ પહેરાવી દીધી! શિશુપાલ ન્યાયમંત્રી બન્યા તે યુવક બીજું કોઈ નહીં, સ્વયં સોનાની મૂર્તિને ફાંસીઃ સમ્રાટ અપરાધી તો હતા; પરંતુ તેમને સમ્રાટ અશોક હતા. એક દિવસ તેમણે શિશુપાલને પોતાના દરબારમાં સાધારણ અપરાધીની જેમ સજા ન આપી શકાય. એટલે શાસ્ત્રની બોલાવ્યા અને એમને પોતાની રાજમુદ્રા આપીને ન્યાયમંત્રી બનાવી દીધા. આજ્ઞાનુસાર સમ્રાટની સોનાની મૂર્તિને ફાંસી આપવામાં આવી.

શિશુપાલનો અવસર મળ્યો : શિશુપાલને ન્યાયમંત્રી બન્યાને એક ન્યાયમંત્રીનો જયજયકારઃ શિશુપાલના ન્યાયથી લોકો ખૂબ પ્રસન્ન મહિનો જ થયો હતો કે, એક રાત્રે કોઈએ એક સિપાઈની હત્યા કરી | થયા. સમ્રાટે પણ તેમના ન્યાયની પ્રશંસા કરી.

न्यायमंत्री शब्दार्थ :

  • सौभाग्य – खुशनसीबी।
  • अतिचि – मेहमान।
  • अवस्था – दशा, हालत।
  • दोष – गलती।
  • सहमत – राजी, संमत।
  • सुगम – आसान, सरल।
  • अवसर – मौका।
  • दंड – सजा।
  • राजमुद्रा – शासन की निशानी (अंगूठी)।
  • समुचित – अच्छी तरह।
  • सुप्रबंध – अच्छी व्यवस्था।
  • हैरान – आश्चर्यचकित।
  • स्वयं – खुद।
  • उपस्थित – हाजिर।
  • संकेत – इशारा।
  • नि:स्तब्धता – शांति।
  • हथकड़ी – अपराधी के हाथों में पहनाई जानेवाली लोहे की जंजौर।
  • उददंड – अविवेकी।
  • बोझ – भार, (यहाँ) जिम्मेदारी।

Std 9 GSEB Hindi Solutions न्यायमंत्री Textbook Questions and Answers

स्वाध्याय

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में लिखिए।

प्रश्न 1.
शिशुपालने अपने घर का दरवाजा क्यों खोल दिया?
उत्तर :
एक अतिथि को शाम के अंधेरे में आश्रय के लिए आया देखकर शिशुपाल ने अपने घर का दरवाजा खोल दिया।

प्रश्न 2.
शिशुपाल किस अवसर की तलाश में था?
उत्तर :
शिशुपाल सच्चा न्याय कैसा होता है यह दिखाने के अवसर की तलाश में था।

प्रश्न 3.
न्याय के विषय में शिशुपाल के क्या विचार थे?
उत्तर :
शिशुपाल मानता था कि न्याय ऐसा हो कि कोई अन्याय और अपराध करने का साहस न कर सके।

प्रश्न 4.
परदेशी कौन था ? उसने दूसरे दिन क्या किया ?
उत्तर :
परदेशी स्वयं सम्राट अशोक था। दूसरे दिन सुबह उठकर परदेशी ने शिशुपाल को धन्यवाद देकर उससे विदा ली।

प्रश्न 5.
सम्राट अशोक ने शिशुपाल को राजमुद्रा क्यों दी?
उत्तर :
सम्राट अशोक ने शिशुपाल को न्यायमंत्री के पद पर नियुक्ति के रूप में राजमुद्रा दी।

प्रश्न 6.
राज्य में न्याय के विषय में परिस्थितियाँ कैसे बदल गई?
उत्तर :
शिशुपाल के न्यायमंत्री बनते ही राज्य में पूरी तरह शांति रहने लगी, किसी को किसी प्रकार का भय न रहा।

प्रश्न 7.
पहरेदार की हत्या होने पर शिशुपाल की स्थिति कैसी हो गई ?
उत्तर :
पहरेदार की हत्या होने पर शिशुपाल की नींद उड़ गई और अपराधी का पता लगाने के लिए उन्होंने दिन-रात एक कर दिए।

प्रश्न 8.
अपराधी का पता चलने पर शिशुपाल ने क्या किया ?
उत्तर :
अपराधी का पता चलने पर शिशुपाल ने सम्राट अशोक को गिरफ्तार करने का आदेश दिया।

2. विस्तार से उत्तर दीजिए :

प्रश्न 1.
सम्राट अशोक ने न्यायमंत्री की खोज कैसे की?
उत्तर :
अपने राज्य को अपराधमुक्त करने के लिए सम्राट अशोक को एक सुयोग्य न्यायमंत्री की आवश्यकता थी। न्यायमंत्री की खोज के लिए उन्होंने एक परदेशी नवयुवक का वेश धारण किया। घूमते-घूमते वे ब्राह्मण शिशुपाल के यहाँ पहुँचे। शिशुपाल न्याय-प्रेमी था। न्याय किसे कहते हैं, यह दिखाने के लिए उसे अवसर की तलाश थी। सम्राट अशोक ने उसे अवसर दिया। हत्या का अपराध होने पर शिशुपाल ने निष्पक्ष व्यवहार किया। उसने सम्राट को मृत्युदंड देने की घोषणा की। उसके इस साहस और निष्पक्ष व्यवहार से सम्राट प्रसन्न हो गए। __ इस प्रकार सम्राट अशोक ने सही न्यायमंत्री की खोज की।

प्रश्न 2.
सम्राट अशोक ने न्यायमंत्री का पद देने हुए शिशुपाल को क्या दिया ?
उत्तर :
सम्राट अशोक ने शिशुपाल को अपने दरबार में बुलाया। उन्होंने शिशुपाल से कहा कि, मैं आपको न्याय करने का अवसर देना चाहता हूँ। शिशुपाल भी इस अवसर के लिए तैयार था। यह जानकर सम्राट ने उन्हें न्यायमंत्री बनाया और पहचानने के लिए उसे राजमुद्रा दी।

प्रश्न 3.
सम्राट अशोक क्यों गद्गद हो गए?
उत्तर :
सम्राट अशोक ने शिशुपाल को न्याय का असली रूप दिखाने का अवसर दिया था। उन्होंने देखा कि शिशुपाल न्याय की कसौटी पर खरा उतरा था। हत्यारे सम्राट के प्रति उसने जरा भी नरम रुख नहीं अपनाया। उसने अपराधी सम्राट को मृत्युदंड देने की घोषणा की। दंड देते समय शिशुपाल ने जरा भी हिचकिचाहट नहीं दिखाई। अपने साहसपूर्ण और निष्पक्ष व्यवहार से उसने सम्राट का दिल जीत लिया। इस प्रकार न्यायमंत्री के रूप में शिशुपाल को सफल होते देखकर सम्राट अशोक गद्गद हो गए।

प्रश्न 4.
न्यायमंत्री ने अपराधी सम्राद के जीवन की रक्षा किस प्रकार की?
उत्तर :
सम्राट अशोक ने एक राजकर्मचारी की हत्या की थी। इस अपराध के लिए न्यायमंत्री ने उन्हें मृत्युदंड देने की घोषणा की। परंतु अपराधी और कोई नहीं स्वयं सम्राट थे। शास्त्रों में राजा को ईश्वररूप माना गया है। इसलिए उसे केवल ईश्वर ही दंड दे सकता है। न्यायमंत्री ने सम्राट की जगह उनकी सोने की मूर्ति को फांसी पर लटकवा दिया। इस प्रकार न्यायमंत्री ने अपराधी समाट के जीवन की रक्षा की।

प्रश्न 5.
न्यायमंत्री निरुत्तर क्यों हो गए?
उत्तर :
शिशुपाल न्यायमंत्री की कसौटी पर खरे उतरे थे। समाट अशोक ऐसे व्यक्ति को पाकर गदगद हो गए। लोगों ने भी शिशुपाल का न्याय सुनकर उनकी जय-जयकार की। परंतु शिशुपाल को लगा कि न्यायमंत्री की यह जिम्मेदारी उनसे नहीं संभाली जाएगी। उन्होंने सम्राट से राजमुद्रा वापस लेने की प्रार्थना की। परंतु अशोक ने कहा कि उन्होंने अपने न्यायपूर्ण व्यवहार से उनकी आँखें खोल दी हैं। यह जिम्मेदारी उनके सिवाय और कोई नहीं उठा सकता।

3. निम्नलिखित विधान कौन कहता है ? क्यों ?

प्रश्न 1.
“यह मेरा सौभाग्य है ।”
उत्तर :
यह विधान शिशुपाल अपने द्वार आए परदेशी युवक से कहता है, क्योंकि वह अतिथि का सत्कार करना अपना कर्तव्य समझता है।

प्रश्न 2.
“दोष निकालना तो सुगम है. परंतु कुछ कर दिखाना कठिन है।”
उत्तर :
यह वाक्य परदेशी युवक (सम्राट अशोक) शिशुपाल से कहता है, क्योंकि शिशुपाल उससे सम्राट अशोक के राज्य में हो रहे अन्याय की शिकायत करता है।

प्रश्न 3.
“ब्राह्मण के लिए कुछ भी कठिन नहीं । मैं न्याय का डंका बजाकर दिखा दूंगा।”
उत्तर :
यह वाक्य शिशुपाल परदेशी नवयुवक से कहता है, क्योंकि परदेशी नवयुवक उससे राज्य को अपराधमुक्त करने का वचन लेना चाहता है।

प्रश्न 4.
तो तुम अपराध स्वीकार करते हो?
उत्तर :
यह वाक्य न्यायमंत्री शिशुपाल सम्राट अशोक से कहता है, क्योंकि उसने पहरेदार की हत्या की थी।

प्रश्न 5.
महाराज! यह राजमुद्रा वापस ले लें, मुझसे यह बोझ नहीं उठाया जाएगा।
उत्तर :
यह वाक्य न्यायमंत्री शिशुपाल सम्राट अशोक से कहता है, : क्योंकि उसे लगता है कि वह न्यायमंत्री की जिम्मेदारी नहीं संभाल पाएगा।

4. विरोधी शब्द दीजिए :

प्रश्न 1.

  1. परदेशी
  2. आदर
  3. अपराधी
  4. सुप्रबंध
  5. गिरफ्तार
  6. स्वीकार

उत्तर :

  1. स्वदेशी
  2. अनादर
  3. निरपराधी
  4. कुप्रबन्ध
  5. रिहा
  6. अस्वीकार

5. समानार्थी शब्द दीजिए :

प्रश्न 1.

  1. अतिथि
  2. सुगम
  3. कठिन
  4. हैरान
  5. नि:स्तब्धता
  6. निरुत्तर

उत्तर :

  1. मेहमान
  2. सरल
  3. मुश्किल
  4. चकित
  5. शांति
  6. खामोश

6. सोचकर बताइए:

प्रश्न 1.
अगर आप न्यायमंत्री होते तो क्या करते ?
उत्तर :
मैं न्यायमंत्री होता तो वही करता जो शिशुपाल ने किया।

प्रश्न 2.
सम्राट अशोक की आँखें किस कारण खुल गई ?
उत्तर :
समाट अशोक की आँखें खुल गई, क्योंकि शिशुपाल ने है उसे दिखा दिया कि सच्चा न्याय किसे कहते हैं।

प्रश्न 3.
शिशुपाल के साहस की सम्राट अशोक. ने क्यों प्रशंसा की?
उत्तर :
शिशुपाल ने सम्राट अशोक को पहरेदार की हत्या का अपराधी बताया। उसने सम्राट को मृत्युदंड देने में जरा भी शिक्षक नहीं दिखाई। उसकी इस निष्पक्षता और निडरता के कारण सम्राट अशोक ने उसके साहस की प्रशंसा की।

7. न्यायमंत्री के रूप में शिशुपाल को घोषित करते हुए सम्राट अशोक ने राजमुद्रा दी इसका अर्थ है

प्रश्न 1.
(अ) मैं आपसे प्रसन्न हूँ।
(ब) आपके न्यायमंत्री होने की यह तनरूवाह है।
(क) यह मेरी ओर से पुरस्कार है।
(ड) यह तुम्हारे, न्यायमंत्री होने की पहचान है।
उत्तर :
(ड) यह तुम्हारे न्यायमंत्री होने की पहचान है।

GSEB Solutions Class 9 Hindi न्यायमंत्री Important Questions and Answers

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर पांच-छ: वाक्यों में लिखिए :

प्रश्न 1.
शिशुपाल के न्यायमंत्री बनते ही राज्य में न्याय के विषय में क्या परिवर्तन हुआ?
उत्तर :
न्यायमंत्री बनते ही शिशुपाल ने अपनी कुशलता का परिचय दिया। उन्होंने राज्य को अपराध रहित बनाना शुरू कर दिया। उनके सुप्रबंध का अच्छा असर हुआ। राज्य में पूरी तरह शांति रहने लगी। किसी को किसी प्रकार का भय नहीं रहा। लोग अपने घर के दरवाजे खुले छोड़कर बाहर जाने लगे। चारों तरफ न्यायमंत्री के सुप्रबंध और न्याय की धूम मच गई। इस प्रकार शिशुपाल के न्यायमंत्री बनते ही राज्य की परिस्थितियाँ बदल गई।

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो-तीन वाक्यों में लिखिए :

प्रश्न 1.
परदेशी शिशुपाल की किस बात से सहमत नहीं हुआ?
उत्तर :
शिशुपाल ने परदेशी से कहा कि सम्राट अशोक के शासन में चारों तरफ अन्याय हो रहा है। शिशुपाल की इस बात से परदेशी सहमत नहीं हुआ।

प्रश्न 2.
सम्राट अशोक ने शिशुपाल को दरबार में क्यों बुलाया?
उत्तर :
सम्राट अशोक शिशुपाल को न्याय करने का अवसर देना चाहते थे। शिशुपाल को राज्य का न्यायमंत्री बनाने के लिए सम्राट अशोक ने उसे दरबार में बुलाया।

प्रश्न 3.
न्यायमंत्री ने अंत में क्या निर्णय दिया?
उत्तर :
न्यायमंत्री ने सम्राट को फांसी की सजा दी। परंतु उनके स्थान पर सोने की मूर्ति को फांसी पर लटका देने का आदेश दिया।

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में लिखिए :

प्रश्न 1.
सम्राट ने पहरेदार को मारने का क्या कारण बताया?
उत्तर :
सम्राट ने पहरेदार को मारने का कारण बताते हुए कहा कि वह बहुत उदंड था।

प्रश्न 2.
शास्त्रों ने राजा को क्या बताया है?
उत्तर :
शास्त्रों ने राजा को ईश्वर का रूप बताया है।

विभाग 1 : गद्यलक्षी

सही विकल्प चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए :

प्रश्न 1.

  1. सम्राट के हाथों में ……….. पड़ गई। (अंगूठी, हथकड़ी)
  2. शास्त्रों ने राजा को …………. के समान बताया है। (ईश्वर, पहरेदार)
  3. महाराज यह …………. वापस ले लीजिए, मुझसे यह बोझ नहीं उठाया जाएगा। (राष्ट्रमुद्रा, राजमुद्रा)
  4. ………… देकर सम्राट को छोड़ दिया जाए। (चेतावनी, दंड)
  5. मैं आपको …………. करने का अवसर देना चाहता हूँ। (न्याय, काम)

उत्तर :

  1. हथकड़ी
  2. ईश्वर
  3. राजमुद्रा
  4. चेतावनी
  5. न्याय

निम्नलिखित विधान ‘सही’ है या ‘गलत’ यह बताइए :

प्रश्न 1.

  1. शिशुपाल न्याय की कसौटी पर खरा उतरा।
  2. स्वयं सम्राट ही निरपराधी थे।
  3. शिशुपाल ने सम्राट से राजमुद्रा वापस लेने की प्रार्थना की।

उत्तर :

  1. सही
  2. गलत
  3. सही

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक शब्द में लिखिए :

प्रश्न 1.

  1. परदेशी युवक कौन था?
  2. सम्राट अशोक ने किसे न्यायमंत्री बनाया?
  3. सम्राट अशोक ने किसकी हत्या की?
  4. न्यायमंत्री ने सम्राट को क्या सज़ा दी?

उत्तर :

  1. स्वयं सम्राट अशोक
  2. शिशुपाल को
  3. पहरेदार की
  4. फांसी की

सही वाक्यांश चुनकर निम्नलिखित विधान पूर्ण कीजिए :

प्रश्न 1.
अवसर मिले तो दिखा दूं कि ………
(अ) मंत्री कैसा होता है।
(ब) अपराधी को कैसे पकड़ा जाए।
(क) न्याय किसे कहते हैं।
उत्तर :
अवसर मिले तो दिखा दूं कि न्याय किसे कहते हैं।

प्रश्न 2.
शिशुपाल की नींद उड़ गई, क्योंकि ………
(अ) किसी ने उन्हें जान से मारने की धमकी दी थी।
(ब) एक पहरेदार की हत्या हो गई थी।
(क) महाराज की ओर से उन्हें शीघ्र हाजिर होने का आदेश मिला था।
उत्तर :
शिशुपाल की नींद उड़ गई, क्योंकि एक पहरेदार की हत्या हो गई थी।

प्रश्न 3.
राजा को ईश्वर ही दंड दे सकता है, क्योंकि …….
(अ) लोग उसे ईश्वर मानते हैं।
(ब) शास्त्रों ने उसे ईश्वर का रूप माना है।
(क) न्यायमंत्री तो उसका सेवक है।
उत्तर :
राजा को ईश्वर ही दंड दे सकता है, क्योंकि शास्त्रों ने उसे इंश्वर का रूप माना है।

प्रश्न 4.
महाराज, यह राजमुद्रा वापस ले लें, क्योंकि …….
(अ) “मैं यह बोझ उठान सङगा।”
(ब) “मैं इसकी रक्षा न कर सकूँगा।”
(क) “मैं अब बूढ़ा हो चुका हूं।”
उत्तर :
महाराज, यह राजमुद्रा वापस ले लें, क्योंकि “मैं यह बोझ उठा न सकूँगा।”

निम्नलिखित प्रश्नों के साथ दिए गए विकल्पों से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखिए :

प्रश्न 1.
शिशुपाल के घर का दरवाज़ा खटखटानेवाला कौन था?
A. भिखारी
B. व्यापारी
C. परदेशी
D. पहरेदार
उत्तर :
C. परदेशी

प्रश्न 2.
परदेशी को क्या काटना था?
A. दिन
B. समय
C. दोपहर
D. रात
उत्तर :
D. रात

प्रश्न 3.
कुछ करके दिखाना कैसा है?
A. सरल
B. कठिन
C. असंभव
D. संभव
उत्तर :
B. कठिन

प्रश्न 4.
कुछ दिनों के बाद शिशुपाल के घर कौन आया?
A. नवयुवक
B. सिपाही
C. पहरेदार
D. ब्राह्मण
उत्तर :
B. सिपाही

प्रश्न 5.
शिशुपाल किसका डंका बजा देगा?
A. ईमान का
B. सत्य का
C. न्याय का
D. बुद्धि का
उत्तर :
C. न्याय का

प्रश्न 6.
सम्राट ने शिशुपाल को क्या पहना दो?
A. टोपी
B. अंगूठी
C. कमीज़
D. पगड़ी
उत्तर :
B. अंगूठी

प्रश्न 7.
सम्राट शिशुपाल को क्या देना चाहते थे?
A. पुरस्कार
B. सिंहासन
C. न्याय का अवसर
D. पद
उत्तर :
C. न्याय का अवसर

प्रश्न 8.
पहरेदार का हत्यारा कौन था?
A. सम्राट अशोक
B. ब्राह्मण
C. नवयुवक
D. न्यायप्रेमी
उत्तर :
A. सम्राट अशोक

प्रश्न 9.
मरनेवाला पहरेदार कैसा था?
A. सतर्क
B. डरपोक
C. उदंड
D. अपराधी
उत्तर :
C. उदंड

प्रश्न 10.
क्या देकर सम्राट को छोड़ दिया जाय?
A. चेतावनी
B. शिक्षा
C. दंड
D. उपदेश
उत्तर :
A. चेतावनी

विभाग 2 : व्याकरणलक्षी

निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए :

प्रश्न 1.

  1. अवस्था
  2. उइंड

उत्तर :

  1. दशा
  2. अविवेकी

निम्नलिखित शब्दों के विरोधी शब्द लिखिए :

प्रश्न 1.

  1. आरंभ × ……….
  2. उइंड × ………..

उत्तर :

  1. आरंभ × अंत
  2. उइंड × विनम

निम्नलिखित प्रत्येक वाक्य में से विशेषण पहचानकर लिखिए :

प्रश्न 1.

  1. उसने अपराधी सम्राट को मृत्युदंड देने की घोषणा की।
  2. न्यायमंत्री राज्य की आंतरिक व्यवस्था ठीक करना चाहता था।
  3. न्यायमंत्री की न्याय देने की प्रक्रिया प्रशंसनीय थी।
  4. शिशुपाल ने निर्भय होकर न्याय किया।
  5. सम्राट के प्रति उसने जरा भी नरम रुख नहीं अपनाया।

उत्तर :

  1. अपराधी
  2. आंतरिक
  3. प्रशंसनीय
  4. निर्भय
  5. नरम

निम्नलिखित प्रत्येक वाक्य में से कर्तृवाचक संज्ञा पहचानकर लिखिए :

प्रश्न 1.

  1. सम्राट ने पहरेदार को मारने का कारण बताया।
  2. न्यायमंत्री शिशुपाल सम्राट अशोक का सेवक था।
  3. मंत्री महोदय स्वयं निर्णायक नहीं हो सकते।
  4. वह सम्राट के सामने राजमुद्रा वापस लेने के लिए प्रार्थी बनकर खड़ा था।
  5. उसने मूर्तिकार को बुलाकर सोने की मूर्ति बनवाई।

उत्तर :

  1. पहरेदार
  2. सेवक
  3. निर्णायक
  4. प्रार्थी
  5. मूर्तिकार

निम्नलिखित शब्दसमूह के लिए एक शब्द लिखिए :

प्रश्न 1.

  1. शासन की निशानी
  2. जिसकी आने की तिथि निश्चित नहीं है वह
  3. अच्छी तरह से किया हुआ
  4. अच्छी व्यवस्था

उत्तर :

  1. राजमुद्रा
  2. अतिथि
  3. समुचित
  4. सुप्रबन्ध

निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ देकर वाक्य में प्रयोग कीजिए :

  • डंका बजाना – सुप्रसिद्ध होना वाक्य : नए पुलिस कमिश्नर ने कुछ ही दिनों में राज्य में अपनी कर्तव्यनिष्ठा का डंका बजा दिया।
  • सहम जाना – भयभीत हो जाना वाक्य : अपने घर पर पुलिस को आई देखकर मैं सहम गया।
  • कलेजा धड़कना – चितित होना वाक्य : पड़ोस में गोलियों की आवाज़ सुनकर चौधरी का कलेजा धड़कने लगा।
  • धूम मचना – सुप्रसिद्ध हो जाना वाक्य : संगीत इतना मधुर था कि नौशाद के नाम की धूम मच गई।
  • नींद उड़ जाना – बहुत चिंतित होना वाक्य : पुलिस के आने की खबर सुनकर सेठजी की नींद उड़
  • रात-दिन एक करना – कड़ी मेहनत करना वाक्य : परीक्षा में सफल होने के लिए उसने रात-दिन एक कर दिए।
  • आश्चर्य का ठिकाना न रहना – बहुत आश्चर्य होना वाक्य : छोटे लड़के को संस्कृत के श्लोक बोलते देखकर मेरे आश्चर्य का ठिकाना न रहा।
  • होठ काटना – क्षोभ प्रकट करना वाक्य : अपने सामने मुनीमजी को गुस्सा प्रकट करते देखकर सेठजी होंठ काटकर रह गए।
  • सिर झुकाना- लज्जित होना वाक्य : सबूत पेश करने पर अपराधी ने सिर झुका लिया।
  • गद्गद् होना – भावविभोर होना वाक्य : बेटे को प्रथम पुरस्कार मिलने पर पिता का उदय गद्गद् हो गया।
  • आँख खोल देना – सही परिस्थिति समझाना, सच्चाई का ज्ञान करा देना वाक्य : संत ने अपने प्रवचन से लोगों की आंखें खोल दी।

निम्नलिखित शब्दों के उपसर्ग पहचानकर लिखिए :

प्रश्न 1.

  1. अतिथि – ……………
  2. स्वागत – ……………
  3. असाधारण – ……………
  4. निष्पक्ष – ……………
  5. अन्याय – ……………
  6. खुशनसीबी – ……………
  7. सुप्रबन्ध – ……………
  8. समुचित – ……………
  9. सुप्रसिद्ध – ……………
  10. प्रसिद्ध – ……………
  11. उपस्थित – ……………
  12. अविवेक – ……………
  13. परदेश – ……………
  14. नि:स्तब्ध – ……………
  15. सुगम – ……………
  16. परदेशी – ……………
  17. निरपराध – ……………
  18. अस्वीकार – ……………
  19. विनम्र – ……………
  20. निर्भय – ……………

उत्तर :

  1. अतिथि – अ + तिथि
  2. स्वागत – सु + आगत
  3. असाधारण – अ + साधारण
  4. निष्पक्ष – निस् + पक्ष
  5. अन्याय – अ + न्याय
  6. खुशनसीबी – खुश + नसीबी
  7. सुप्रबन्ध – सु + प्रबन्ध
  8. समुचित – सम् + उचित
  9. सुप्रसिद्ध – सु + प्रसिद्ध
  10. प्रसिद्ध – प्र + सिद्ध
  11. उपस्थित – उप + स्थित
  12. अविवेक – अ + विवेक
  13. परदेश – पर + देश
  14. नि:स्तब्ध – नि: (निस) + स्तब्ध
  15. सुगम – सु + गम
  16. परदेशी – पर + देशी
  17. निरपराध – नि: + अपराध
  18. अस्वीकार – अ + स्वीकार
  19. विनम्र – वि + नम्र
  20. निर्भय – नि: + भय

निम्नलिखित शब्दों के प्रत्यय पहचानकर लिखिए :

प्रश्न 1.

  1. अपराधी – ……………
  2. पहरेदार – ……………
  3. निष्पक्षता – ……………
  4. शिशुपाल – ……………
  5. खुशनसीबी – ……………
  6. जिम्मेदारी – ……………
  7. अविवेकी – ……………
  8. निडरता – ……………
  9. प्रशंसनीय – ……………
  10. आंतरिक – ……………
  11. मूर्तिकार – ……………
  12. प्रार्थी – ……………

उत्तर :

  1. अपराधी – अपराध + ई
  2. पहरेदार – पहरा + दार
  3. निष्पक्षता – निष्पक्ष + ता
  4. शिशुपाल – शिशु + पाल
  5. खुशनसीबी – खुशनसीब + ई
  6. जिम्मेदारी – जिम्मेदार + ई; जिम्मा + दारी
  7. अविवेकी – अविवेक + ई
  8. निडरता – निडर + ता
  9. प्रशंसनीय – प्रशंसा + ईय
  10. आंतरिक – अंतर + इक
  11. मूर्तिकार – मूर्ति + कार
  12. प्रार्थी – प्रार्थ + ई

The Complete Educational Website

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *