Gujarat Board Class 10 Hindi Vyakaran विलोम (विरुद्धार्थी) शब्द
Gujarat Board Class 10 Hindi Vyakaran विलोम (विरुद्धार्थी) शब्द
GSEB Std 10 Hindi Vyakaran विलोम (विरुद्धार्थी) शब्द
विलोम शब्द के बारे में प्रश्न इस प्रकार होंगे :
- दिए हुए चार विकल्पों में से सही विलोम शब्द बताना।
- दिए हुए चार विकल्पों में से विरुद्धार्थी शब्द की अनुचित जोड़ बताना।
इस दुनिया में परस्पर-विरोधी बातों की कमी नहीं है। कहीं फूल हैं, तो कहीं कटि हैं; कहीं कोई जन्म ले रहा है, तो कहीं कोई मर रहा है। किन्हीं दो घटनाओं, गुणों, स्वभावों, स्थितियों या कार्यों में परस्पर विरोध दर्शानवाले कुछ निश्चित शब्द होते हैं। ऐसे शब्दों को ‘विलोम (विरुद्धार्थी) शब्द’ कहते हैं। विलोम (विरुद्धार्थी) शब्द’ का अर्थ है एक-दूसरे से उल्टा अर्थ प्रकट करनेवाले शब्द। जैसे –
कल वह अमीर था, आज गरीब है।
इस वाक्य में रेखांकित शब्द ‘अमीर’ और ‘गरीब’ परस्पर विरोधी स्थितियों को सूचित करते हैं।
कल वे मिले थे, आज बिछड़ गए।
इस वाक्य में रेखांकित शब्द परस्पर विरोधी क्रियाएँ वा घटनाएं दर्शाते हैं।
जंगली प्राणी को पालतू बनाना आसान नहीं है।
इस वाक्य में रेखांकित शब्द ‘जंगली’ और ‘पालतू’ प्राणियों के दो वर्गों के विपरीत गुण या स्वभाव को सूचित करते हैं।
विलोम (विरुद्धार्थी) शब्दों का स्वरूप कभी निश्चित और कभी अनिश्चित होता है, पर उनका अर्थ हमेशा एक-दूसरे के विपरीत होता है। विरोधी अर्थ प्रकट करते हुए भी उनमें ठोस संबंध होता है। जैसे –
- मालिक × नौकर
- कच्चा × पक्का
ये शब्द परस्पर विरोधी अर्थ सूचित करते हैं, फिर भी उनमें एक विशेष प्रकार का संबंध है। एक के कारण ही दूसरे की स्थिति है। यहाँ यह भी ध्यान देने की बात है कि ‘मालिक’ शब्द का विलोम शब्द ‘नौकर’ ही हो सकता है, ‘सेवक’ या ‘दास’ नहीं। ‘स्वामी’ शब्द ‘मालिक’ का ही अर्थ सूचित करता है, पर उसका विलोम ‘सेवक’ या ‘दास’ ही उचित है, ‘नौकर’ नहीं। इसी प्रकार ‘मित्र’ जैसे तत्सम (संस्कृत) शब्द का विलोम शब्द ‘शत्रु’ ही हो सकता है। ‘शत्रु’ के बदले ‘दुश्मन’ लिखना गलत भले न हो, पर जैचता नहीं है। ‘दुश्मन’ उर्दू शब्द है, इसलिए वह ‘दोस्त’ के विलोम शब्द के रूप में ही उचित है।
विलोम शब्द संज्ञा, विशेषण, क्रिया, क्रियाविशेषण अथवा है कर्तृवाचक संज्ञा शब्द होते हैं। जैसे –
- देव × दानव (संज्ञा)
- स्थायी × अस्थायी (विशेषण)
- आना × जाना (क्रियाएं)
- तेज × धीरे (क्रियाविशेषण)
- रक्षक × भक्षक (कर्तृवाचक संज्ञाएँ)
विलोम (विरुद्धार्थी) शब्दों का निर्माण :
विलोम शब्दों का निर्माण प्रायः उपसर्ग लगाकर किया जाता है। जो वर्ण या वर्णसमूह शब्दों के पहले लगकर उन शब्दों की – विशेषता दर्शाते हैं या भिन्न अर्थबोध प्रकट करते हैं, उन्हें ‘उपसर्ग’ कहते हैं। जैसे –
वि + जय = विजय। ‘विजय’ शब्द विशेष प्रकार की (विशिष्ट) जय का भाव प्रकट करता है, परंतु ‘परा + जय’ = ‘पराजय’ शब्द ‘विजय’ शब्द से भिन्न अर्थ प्रकट करता है। ‘वि’ और ‘परा’ ये उपसर्ग हैं।
नीचे विलोम (विरुद्धार्थी) शब्द बनाने के लिए उपयोगी उपसर्ग और उदाहरण दिए गए हैं:

कुछ शब्दों के पहले उपसर्ग लगाने से उनके विलोम (विरुद्धार्थी) शब्द बनते हैं। जैसे –
कुछ विलोम शब्द अनियमित प्रकार के होते हैं। उनका वर्ण-संगठन : बिलकुल भिन्न होता है। प्रत्यय या उपसर्ग लगाकर उनका निर्माण नहीं : किया जाता। वे बने-बनाए होते हैं और परस्पर विरोधी अर्थं प्रकट – करते हैं। जैसे –
- पालतू × जंगली
- कंजूस × उदार
- निंदा × प्रशंसा
- युद्ध × संधि
- कच्चा × पक्का
- कोमल × कठोर
- अंदर × बाहर
- वरदान × अभिशाप
- मित्र × शत्रु
- प्रत्यक्ष × परोक्ष
- यजमान × मेहमान
- विराट × लघु
इस प्रकार विलोम (विरुद्धार्थी) शब्दों में अर्थ की भिन्नता का महत्व है। शब्द चाहे उपसर्गसहित हों या उपसर्गरहित, उनके अर्थ में विरोध का पूर्ण भाव होना चाहिए।
महत्वपूर्ण विलोम शब्द :
- प्रथम × अंतिम
- अधोगति × प्रगति, ऊर्ध्वगति
- पुरातन × नूतन
- स्वर्ग × नरक
- शूल × फूल
- धनवान × निर्धन
- उत्थान × पतन
- निर्माण × ध्वंस
- अमर × मर्त्य, नश्वर
- मातम × खुशी
- जवानी × बुढ़ापा
- बाहर × भीतर
- मलिनता × निर्मलता
- पालन × उल्लंघन
- दोस्त × दुश्मन
- परदेश × स्वदेश
- निहत्था × हथियारधारी
- सार्थकता × निरर्थकता
- लघुता × गुरुता
- कृतज्ञता × कृतघ्नता
- निर्जीव × सजीव
- पुरस्कार × दंड
- साकार × निराकार
- उत्साहित × अनुत्साहित
- इनाम × सजा
- मुश्किल × आसान
- बूढी × जवान
- पर्णकुटी × महल
- निरर्थक × सार्थक
- रूढ़िवादी × प्रगतिवादी
- खुशकिस्मत × बदकिस्मत
- ऊबड़-खाबड़ × समतल
- कर्कश × मधुर
- शिक्षित × अशिक्षित