GJN 10th Hindi

Gujarat Board Class 10 Hindi Vyakaran संधि द्वारा सब्द रचना (1st Language)

Gujarat Board Class 10 Hindi Vyakaran संधि द्वारा सब्द रचना (1st Language)

GSEB Std 10 Hindi Vyakaran संधि द्वारा सब्द रचना (1st Language)

संधि यानी जोड़। भाषा में दो वर्णों के मेल से जो विकार उत्पन्न होता है उसे संधि कहते हैं। हिन्दी में अधिकांश संधियाँ संस्कृत से आए तत्सम शब्दों में होती हैं। संधि में पहले पद का अंतिम वर्ण बादवाले पद के प्रथम वर्ण के मेल से संधि होती है।

जैसे –

  • विद्यालय – विद्या + आलय (आ + आ)
  • वेद + अंग (वेद् + अ + अंग) = वेदांग (अ + अ = आ)

संधियाँ तीन प्रकार की होती हैं – स्वर संधि, व्यंजन संधि तथा विसर्ग संधि।

स्वर संधि :
दो स्वरों के आपसी मेल के कारण जब स्वरों में परिवर्तन होता है, तो उसे स्वर संधि कहते हैं। संस्कृत में स्वर संधि के निम्नलिखित पांच भेद माने गए हैं :

  • दीर्घ संधि,
  • गुण संधि,
  • वृद्धि संधि,
  • यण संधि और
  • अयादि संधि।

1. दीर्घ स्वर संधि :

जब अ, इ, उ या आ, ई, उ के साथ क्रमशः अ या आ, इ या ई, उ या ऊ आते हैं तो वे ध्वनियाँ मिलकर क्रमशः आ, ई, ऊ हो जाती हैं। ये ध्वनियाँ हस्व + हस्व, हस्व + दीर्घ, दीर्घ + हस्व या दीर्घ + दीर्घ हो सकती हैं। जैसे –

  • समय + अनुकूल – (अ + अ = आ) – = समयानुकूल
  • परम + आनंद – (अ + आ = आ) – = परमानंद
  • रेखा + अंश – (आ + अ = आ) – = रेखांश
  • प्रभा + आकर – (आ + आ = आ) – = प्रभाकर
  • रवि + इन्द्र – (इ + इ = ई) – = रवीन्द्र
  • कपि + ईश – (इ + ई = ई) – = कपीश
  • योगी + इन्द्र – (ई + इ = ई) – = योगीन्द्र
  • नदी + ईश – (ई + ई = ई) – = नदीश
  • सु + उक्ति – (उ + उ = ऊ) – = सूक्ति

2. गुण संधि :

जब अ या आ के बाद इ या ई हो तो दोनों मिलकर ‘ए, उ या ऊ’ हो तो ‘ओ’ तथा ‘ऋ’ हो तो ‘अर्’ हो जाता हैं। जैसे –

  • सुर + इन्द्र – (अ + इ = ए) – = सुरेन्द्र
  • सुर + ईश – (अ + ई = ए) = सुरेश
  • महा + इन्द्र – (आ + इ = ए) – = महेन्द्र
  • महा + ईश – (आ + ई = ए) – = महेश
  • पर + उपकार – (अ + उ = ओ) – = परोपकार
  • महा + उदय – (आ + उ = ओ) – = महोदय
  • गंगा + ऊर्मि – (आ + ऊ = ओ) – = गंगोनि
  • देव + ऋषि – (अ + ऋ = अर्) – = देवर्षि
  • महा + ऋषि – (आ + ऋ = अर्) – = महर्षि
  • राजा + ऋषि – (आ + ऋ = अर्) – = राजर्षि

3. वृद्धि संधि :

यदि ‘अ’ या ‘आ’ के बाद ‘ए’ या ‘ऐ’ हो तो दोनों मिलकर ‘ऐ’ तथा ‘ओ’ या ‘औ’ हो तो दोनों मिलकर ‘औ’ हो जाते हैं।

जैसे –

  • एक + एक – (अ + ए = ऐ) = एकैक
  • मत + ऐक्य – (अ + ऐ = ऐ) = मतैक्य
  • सदा + एव – (आ + ए = ऐ) = सदैव
  • महा + ऐश्वर्य – (आ + ऐ = ऐ) = महैश्वर्य
  • वन + औषधि – (अ + ओ = औ) = वनौषधि
  • परम + औदार्य – (अ + औ = औ) = परमोदार्य
  • महा + ओषध – (आ + ओ = औ) = महौषध

4. यण संधि :

जब हस्व या दीर्घ इ, उ या ऋ के बाद कोई असवर्ण हो तो वह क्रमशः य, व् और र् हो जाता है।

जैसे –

  • यदि + अपि – (इ + अ = य्) – = यद्यपि
  • इति + आदि – (इ + आ = या) – = इत्यादि
  • अति + उत्तम – = अत्युत्तम
  • नि + ऊन – (इ + ऊ = यू) – = न्यून
  • प्रति + एक – (इ + ए = ये) = प्रत्येक
  • दधि + ओदन – (इ + ओ = यो) – = दध्योदन
  • सखी + ऐक्य – = सख्यैक्य
  • वाणी + औचित्य – (ई + औ = यौ) – = वाण्यौचित्य
  • मनु + अंतर – (उ + अ = व) – = मन्वंतर
  • सु + आगत – (उ + आ = वा) – = स्वागत
  • अनु + ईक्षण – (उ + ई = वी) – = अन्वीक्षण
  • अनु + एषण – (उ + ए = वे) – = अन्वेषण
  • लघु + ओष्ठ – (उ + ओ = वो) – = लघ्वोष्ठ
  • गुरु + औदार्य – (उ + औ = वौ) – = गुर्वोदार्य
  • वधु + ऐषणा – (ऊ + ऐ = वै) – = वध्वैषणा
  • पितृ + अनुमति – (ऋ + अ = र्) – = पित्रनुमति
  • मातृ + आज्ञा – (ऋ + आ = रा) – = मात्राज्ञा
  • मातृ + इच्छा – (ऋ + इ = रि) = मात्रिक्षा
  • मातृ + उपदेश – (ऋ + उ = रु) – = मात्रुपदेश

विशेष : संस्कृत में स्वर संधि का एक भेद ‘अयादि संधि’ भी है। किंतु हिन्दी में इस संधि से बने शब्दों (ने + अन् = नयन, पो + अक = पावक तथा ने + अक = नायक) को मूल शब्द माना जाता है। फिर भी सुविधा के लिए कुछ उदाहरण यहाँ दिये जा रहे है।

यदि एक ही पद के अंदर यदि कोई दो भिन्न स्वर (ए, ऐ, ओ, औ के अलावा) हों तो ए का अय, ऐ का आय; ओ का अव्, औ का आव् हो जाता है। यह अयादि संधि होती है।

  • ने + अन = नयन
  • गै + अक् = गायक
  • नै + इका = नायिका
  • नै – अक = नायक
  • गै + इका = गायिका
  • भो + अन = भवन
  • पो + अन = पवन
  • भौ + उक = भावुक
  • पौ + अक = पावक
  • नौ + इक = नाविक

व्यंजन संधि :

किसी व्यंजन के बाद स्वर या व्यंजन के आने से होनेवाले परिवर्तन को व्यंजन संधि कहते हैं।

व्यंजन संधि के नियम :

1. यदि प्रथम शब्द के अंत में अघोष व्यंजन (वर्ग के प्रथम दो वर्ण) हो और दूसरे शब्द के आरंभ में सघोष व्यंजन (वर्ग के अंतिम तीन वर्ण) हो, तो पहले शब्द के अंत में आए अघोष व्यंजन के स्थान पर उसी वर्ग का सघोष व्यंजन हो जाता है; अर्थात् ‘क्’ का ‘ग्’, ‘ट्’ का ‘ड्’, ‘त्’ का ‘द्’ और ‘प’ का ‘ब’ हो जाता है।

उदाहरण:

  • दिक् + गज = दिग्गज (क् + ग = ग् + ग = ग्ग)
  • दिक् + अंबर = दिगंबर (क् + अ = ग)
  • सत् + गति = सद्गति (त् + ग = द् + ग)
  • षट् + आनन = षडानन (ट् + आ = डा)
  • सत + आचार = सदाचार (त् + आ = दा)

6. यदि विसर्ग के पहले ‘इ’ या ‘उ’ हो और बाद में क, प या फ हो, तो विसर्ग का ष् हो जाता है; जैसे –

  • निः + कपट = निष्कपट
  • धनुः + टंकार = धनुष्टंकार
  • दुः + प्रचार = दुष्प्रचार
  • चतुः + कोण = चतुष्कोण
  • निः + फल = निष्फल

7. यदि विसर्ग के बाद ‘त्’ अघोष ध्वनि हो तो विसर्ग का ‘स्’ हो जाता है; जैसे –

  • निः + तेज = निस्तेज
  • नमः + ते = नमस्ते

8. यदि ‘अ’ के बाद विसर्ग हो और बाद में कोई स्वर हो, तो विसर्ग का लोप हो जाता है; जैसे –

  • अतः + एव = अतएव

9. यदि विसर्ग के बाद ‘र’ हो तो विसर्ग का ‘र’ हो कर उसका लोप हो जाता है और विसर्ग के पहले का स्वर दीर्घ हो जाता है; जैसे –

  • निः + रोग = नीरोग
  • नि: + रव = नीरव

विसर्ग संधि हिन्दी के लिए अप्रस्तुत है, किंतु अर्थबोध के लिए इसका महत्त्व है, अतः इसे जानना चाहिए।

विशेष : स्वर संधि, व्यंजन संधि तथा विसर्ग संधि के नियम हिन्दी तत्सम शब्दों (संस्कृत शब्दों) पर ही लागू होते हैं। हिन्दी में जब दो भिन्न शब्द एक ही शब्द के रूप में अथवा सामासिक पद के रूप में प्रयुक्त होते हैं;

जैसे –
राम + अभिलाषा = राम-अभिलाषा ही रहता है, रामाभिलाषा नहीं बनता।

हिन्दी की संधियाँ :

मानक हिन्दी में अधिकांश संधियाँ संस्कृत में आए तत्सम शब्दों में हैं। इसका कारण यह है कि संस्कृत एक योग्यत्मक भाषा है। इसके विपरीत हिन्दी एक वियोगात्मक भाषा है, अतः उसमें संधियों का प्रायः अभाव-सा है। हिन्दी भाषा की संधियों में निम्नलिखित प्रवृत्तियाँ दिखलाई देती हैं :

  1. इस्वीकरण
  2. दीर्धीकरण
  3. महाप्राणीकरण
  4. अल्पप्राणीकरण
  5. सामीप्य के कारण लोप
  6. सादृश्य के कारण लोप
  7. आगम
  8. स्वर परिवर्तन।

1. इस्वीकरण :
इसमें पूर्वपद के दीर्घ या संयुक्त स्वर ह्रस्व बन जो हैं। यानी ‘आ’ ‘अ’ में ‘ई’ ‘इ’ में, ‘ऊ’, ‘उ’ में तथा ‘ए’, ‘इ’ और ‘ओ’ ‘ऊ’ में बदल गए हैं। जैसे –

  • काठ + फोड़वा = कठफोड़वा
  • आम + चूर = अमचुर
  • बात + रस = बतरस
  • हाथ + कड़ी = हथकड़ी
  • कान + पट्टी = कनपट्टी
  • लड़का + पन = लड़कपन
  • कान + कटा = कनकटा
  • बच्चा + पन = बचपन
  • कान + कौआ = कनकौआ
  • बहू + एँ = बहुएँ
  • काठ + पुतली = कठपुतली
  • चाकू + ओं = चाकुओं
  • मूंछ + कटा = मुंछकटा
  • हिन्दू + ओं = हिन्दुओं
  • छोटा + भैया = छुटभैया
  • डाकू + ओं = डाकुओं
  • एक + तारा = इकतारा
  • मीठा + बोला = मिठबोला

कभी-कभी पूर्वपद का स्वर लुप्त हो जाता है। जैसे –

  • पानी + चक्की = पनचक्की
  • घोड़ा + दौड़ = घुड़दौड़
  • पानी + घाट = पनघट
  • छोटा + पन = छुटपन
  • लेना + देना = लेन-देन

2. दीर्घाकरण : इस तरह की संधि में पूर्वपद का आखिरी ह्रस्व स्वर दीर्घ हो जाता है। जैसे –

  • उत्तर + खंड = उत्तराखंड
  • दक्षिण + खंड = दक्षिणाखंड
  • मूसल + धार = मूसलाधार
  • मिलना + जुलना = मिलना-जुलना = मेल-जोल

3. महाप्राणीकरण : इस संधि में पूर्वपद के अल्पप्राण से उत्तर पद का महाप्राण मिलता है और उसे (अल्पप्राण को) उसी वर्ग के महाप्राण में बदल देता है। जैसे –

  • सब + ही = सभी
  • तब + ही = तभी
  • अब + ही = अभी
  • कब + ही = कभी

4. अल्प प्राणीकरण : हिन्दी में कभी-कभी पूर्वपद के अंतिम महाप्राण ध्वनि का अल्प प्राणीकरण हो जाता है। जैसे –

  • ताख पर – ताक पर
  • दूध वाला – दूदवाला

5. आगम : संधि के समय कभी-कभी दो स्वरों के बीच ‘य’ का आगम होता है। जैसे –

  • रोटी + ओं = रोटियों
  • कली + ओं = कलियों
  • नदी + ओं = नदियों
  • नाली + ओं = नालियों

6. सामीप्य के कारण लोप

  • किस + ही = किसी
  • विस + ही = विसी
  • जिस + ही = जिसी
  • उस + ही = उसी
  • इस + ही = इसी

7. सादृश के कारण लोप

  • यह + ही = यही
  • वह + ही = वही
  • तुम + ही = तुम्ही

8. स्वर परिवर्तन : यह परिवर्तन प्रायः सामासिक शब्दों में होता है; जैसे –

  • घोड़ा + सवार = घुड़सवार
  • घोड़ा + दौड़ = घुड़दौड़
  • पानी + डुब्बी = पनडुब्बी
  • पान + डब्बा = पनडब्बा

अभ्यासार्थ

1. संधि कीजिए।

  1. विद्या + अर्थी
  2. देव + आलय
  3. नर + अधम
  4. विद्या + आलय
  5. गिरि + इंद्र
  6. गिरि + ईश
  7. रजनी + ईश
  8. वेद + अंत
  9. सत्य + आग्रह
  10. दया + आनंद
  11. रवि + इन्द्र
  12. नदी + ईश
  13. मही + ईश
  14. लघु + उत्तर
  15. भानु + उदय
  16. वधू + ऊर्जा
  17. वधू + उत्सव
  18. देव + ईश
  19. सुर + इंद्र
  20. देव + ऋषि
  21. महा + ऋषि
  22. पर + उपकार
  23. महा + इंद्र
  24. जल + ऊर्मि
  25. महा + उत्सव
  26. उमा + ईश
  27. एक + एक
  28. परम + ईश्वर
  29. सदा + एव
  30. वन + ओषध
  31. महा + ऐश्वर्य
  32. यदि + अपि
  33. अति + आचार
  34. वि + आपक
  35. अति + अंत
  36. पितृ + आज्ञा
  37. अनु + एषण
  38. सु + अच्छ
  39. सु + आगत
  40. देवी + आगमन
  41. प्रति + एक
  42. अति + अधिक
  43. प्रति + उपकार
  44. इति + आदि
  45. मत + ऐक्य
  46. वि + आप्त
  47. नव + ऊढ़ा
  48. वीर + उचित
  49. रमा + इंद्र
  50. वीर + अंगना

उत्तर :

  1. विद्यार्थी
  2. देवालय
  3. नराधम
  4. विद्यालय
  5. गिरीन्द्र
  6. गिरीश
  7. रजनीश
  8. वेदांत
  9. सत्याग्रह
  10. दयानंद
  11. रवीन्द्र
  12. नदीश
  13. महीश
  14. लघूत्तर
  15. भानूदय
  16. वधूर्जा
  17. वधूत्सव
  18. देवेश
  19. सुरेन्द्र
  20. देवर्षि
  21. महर्षि
  22. परोपकार
  23. महेन्द्र
  24. जलोमि
  25. महोत्सव
  26. उमेश
  27. एकैक
  28. परमेश्वर
  29. सदैव
  30. वनौषध
  31. महैश्वर्य
  32. यद्यपि
  33. अत्याचार
  34. व्यापक
  35. अत्यंत
  36. पित्राज्ञा
  37. अन्वेषण
  38. स्वच्छ
  39. स्वागत
  40. देव्यागमन
  41. प्रत्येक
  42. अत्यधिक
  43. प्रत्युपकार
  44. इत्यादि
  45. मतैक्य
  46. व्याप्त
  47. नवोढ़ा
  48. वीरोचित
  49. रमेन्द्र
  50. वीरांगना।

2. संधि विच्छेद कीजिए :

  1. दिग्गज
  2. दिगंबर
  3. षडानन
  4. सद्गुण
  5. भगवद्गीता
  6. चिदानंद
  7. सुबन्त
  8. जगन्नाथ
  9. उल्लेख
  10. सज्जन
  11. उच्छ्वास
  12. सच्चरित्र
  13. मनोभाव
  14. निराशा
  15. अंतर्मुखी
  16. निष्पक्ष
  17. दुष्कर्म
  18. दुश्शासन
  19. निष्कपट
  20. निश्चल

उत्तर :

  1. दिक् + गज
  2. दिक् + अम्बर
  3. षट् + आनन
  4. सत् + गुण
  5. भगवत् + गीता
  6. चित् + आनंद
  7. सुप् + अंत
  8. जगत् + नाथ
  9. उत् + लेख
  10. सत् + जन
  11. उत् + श्वास
  12. सत् + चरित्र
  13. मनः + भाव
  14. निः + आशा
  15. अंत: + मुखी
  16. निः + पक्ष
  17. दु: + कर्म
  18. दुः + शासन
  19. निः + कपटी
  20. निः + चल

3. संधि कीजिए :

  1. निः + तेज
  2. निः + छल
  3. धनुः + टंकार
  4. दु: + उपयोग
  5. निर् + रस
  6. निर् + रोग
  7. दुः + गति
  8. नि: + संदेह
  9. निः + गुण
  10. मनः + हर
  11. अधः + गति
  12. अत: + एव

उत्तर :

  1. निस्तेज
  2. निश्छल
  3. धनुष्टंकार
  4. भगवद् भक्ति
  5. सच्चित्
  6. तल्लीन
  7. शरच्चन्द्र
  8. संजय
  9. संकल्प
  10. वृच्छाया
  11. विच्छेद
  12. रामायण

4. संधि कीजिए :

  1. षट् + दर्शन
  2. जगत् + ईश
  3. वाक् + दान
  4. भगवत् + भक्ति
  5. सत् + चित
  6. तत् + लीन
  7. शरत् + चंद्र
  8. सम् + जय
  9. सम् + कल्प

उत्तर :

  1. षट्दर्शन
  2. जगदीश
  3. वाग्दान
  4. भगवद् भक्ति
  5. सच्चिद
  6. तल्लीन
  7. शरच्चन्द्र
  8. संजय
  9. संकल्प

5. संधि-विच्छेद कीजिए :

  1. वयोवृद्ध
  2. दुर्भावना
  3. निराकार
  4. निस्संदेह।
  5. मनोयोग
  6. निष्पाप
  7. निश्चल
  8. स्वच्छंद
  9. संयोग
  10. संदेह
  11. उच्छिष्ट
  12. उन्मत्त
  13. तन्मय
  14. उन्मुख
  15. निष्ठुर
  16. दिग्दर्शन
  17. अन्वय
  18. ममेरा
  19. कंठोष्ठ्य

उत्तर :

  1. वयः + वृद्ध
  2. दुः + भावना
  3. निः + आकार
  4. दुः + प्रकृति
  5. निः + संदेह
  6. मनः + योग
  7. निः + पाय
  8. निः + चल
  9. उत् + शिष्ट
  10. उत् +.मुक्त
  11. सम् + योग
  12. सम् + देह
  13. उत् + शिष्ट
  14. तत् + मय
  15. उत् + मुख
  16. निः + तुर
  17. दिक् + दर्शन
  18. अन + वय
  19. मामा + एरा
  20. कंठ + ओष्ठ

स्वयं हल कीजिए

1. संधि-विच्छेद कीजिए :

सदाचार, महेश, राजर्षि, चंद्रोदय, प्रत्यूष, अधःपतन, अनंत, दिगंत, मतानुसार, मनोरोगी, यशोदा, संतुष्ट, समादर, निर्जन, निर्मल, दुर्जन, उल्लेख, सप्तर्षि, अनंत, सुरेन्द्र, दिवाकर, निस्संदेह

2. संधि कीजिए :

  • निः + उपाय
  • दुः + दशा
  • नी + रोग
  • निः + फल
  • पुनः + चर्चा
  • नमः + शिवाय
  • सम् + कृति
  • उत् + थान
  • नमः + कार
  • यशः + दा
  • तपः + मय
  • मनः + नय
  • उत्तर + अयन
  • सम् + तोष
  • उत् + चारण
  • स्व + ईर
  • विः + सम
  • मनः + रथ
  • उत्तम + अंश
  • अभि + इष्ट
  • पितृ + ऋण
  • कुश + आसन
  • क्षिति + ईश
  • उप + इंद्र
  • आज्ञा + अनुपालन
  • अधि + ईश्वर
  • पूर्ण + इंदु
  • व्यवस्था + अनुसार
  • देवी + इच्छा।
  • परम + ईश्वर
  • दीक्षा + अंत
  • मही + ईश
  • यथा + इष्ट
  • दिन + अंत
  • नदी + ईश
  • राका + ईश
  • पद + आघात
  • पृथ्वी + ईश्वर
  • नील + उत्पल
  • वार्ता + आलाप
  • धातु + ऊष्मा
  • जल + ऊर्मि
  • महा + औदार्य
  • महा + ऐश्वर्य
  • सदा + एव
  • यदि + अपि
  • प्रति + उपकार
  • नि + ऊन
  • दधि + ओदन
  • वधू + आगमन
  • जगत् + हित
  • जगत् + गुरु
  • दिक् + नाम
  • उत् + लास
  • ऋक् + वेद
  • उत् + मत्त
  • तत् + पर
  • उत् + श्वास
  • सम् + कलन
  • सम् + तोष
  • सम् + हार
  • अभि + सेक
  • सु + सुप्त
  • राम + अयन

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