Gujarat Board Class 10 Hindi Vyakaran हिंदी : सब्द संपदा (1st Language)
Gujarat Board Class 10 Hindi Vyakaran हिंदी : सब्द संपदा (1st Language)
GSEB Std 10 Hindi Vyakaran हिंदी : सब्द संपदा (1st Language)
(अ) हिन्दी शब्दों के प्रकार :
हिन्दी के अधिकांश मूल शब्द या तो संस्कृत से सीधे आए हैं अथवा संस्कृत से पालि, प्राकृत, अपभ्रंश से विकसित होकर। हिन्दी भाषा की विकास यात्रा में उसने अपनी समकालीन भारतीय तथा विदेशी भाषा के कुछ शब्दों को भी अपनाया है। ऐसे कुछ शब्द तो इतने घुल मिल गए हैं कि वे विदेशी लगते ही नहीं। इनके अलावा हिन्दी भाषा में लोक बोलियों या जनभाषाओं के बहुत शब्द प्रचलित हैं। जरूरत के मुताबिक हम नए शब्द गढ़ भी रहे है। इस तरह हिन्दी की शब्दः संपदा को इतिहास या स्रोत के आधार पर निम्नलिखित पाँच प्रकारों में विभाजित कर सकते हैं :
- तत्सम शब्द
- तद्भव शब्द
- देशज शब्द
- विदेशी (आगत) शब्द तथा
- संकर शब्द।
1. स्त्रोत (उद्भव) की दृष्टि से शब्द के प्रकार :
तत्सम शब्द : संस्कृत के जो शब्द हिन्दी में ज्यों के त्यों प्रयोग किये जाते हैं, उन्हें तत्सम शब्द कहा जाता है।
कुछ तत्सम शब्द – अभिमान, अतिरिक्त, निर्देश, निर्मम, रात्रि, अश्व।
तद्भव शब्द : तद्भव शब्द का अर्थ है जैसा हो गया हैं। संस्कृत के जिन शब्दों का रूप हिन्दी में आकर कुछ न कुछ परिवर्तन हो गया है, उन्हें तद्भव शब्द कहा जाता है।

तत्सम शब्द :
तद्भव शब्द :
देशज शब्द : जो शब्द न तो तत्सम हैं, न तद्भव हैं और न ही किसी विदेशी भाषा से लिये गये हैं, उन्हें ‘देशज’ शब्द कहा जाता है। उनकी उत्पत्ति ठीक से ज्ञात नहीं है।
जैसे –
भड़भड़ाना, चमचमाना, जगमगाना, झाडू, पेड़, झाड़, लोटा, टाँग, ठेठ, खटखटाना, ठसक, फुफकार
विदेशी शब्द (आगत शब्द): जो शब्द भारत के बाहर के देशों की भाषाओं मुख्यतः अरबी, फारसी तथा अंग्रेजी से आये हैं उन्हें (विदेशी) आगत शब्द कहा जाता है।
संकर शब्द : जो शब्द दो अलग-अलग भाषाओं से निर्मित हुए हैं, उन्हें संकर शब्द कहा जाता है। जैसे –