Haryana Board 10th Class Science Solutions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार
HBSE 10th Class Science मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार Textbook Questions and Answers
अध्याय संबंधी महत्त्वपूर्ण परिभाषाएँ/शब्दावली
1. नेत्र (Eye) – यह एक संवेदी अंग है जो प्रकाश की संवेदना ग्रहण करता है तथा वस्तुओं को देखने में हमारी सहायता करता है।
2. संवेदी अंग (Sense Organs) – ये वे अंग हैं जो उद्दीपन ग्रहण करते हैं तथा सूचना को विश्लेषण के लिए मस्तिष्क को प्रेषित करते हैं; जैसे नेत्र ।
3. दृष्टिपटल (Retina) – मानव नेत्र की सबसे अंदर वाली पर्त जो प्रकाश, विभिन्न तरंगदैर्ध्य, रंग तथा तीव्रता के प्रति संवेदी है ।
4. स्वच्छ मंडल (Cornea) – यह एक पतली पारदर्शक झिल्ली होती है जो नेत्र गोलक के बाहर की ओर उभरे भाग पर स्थित होती है ।
5. परितारिका ( Iris) – कॉर्निया के पीछे एक पेशीय डायफ्राम होता है जो पुतली के आकार को नियंत्रित करता है।
6. पुतली (Pupil ) – यह आयरिस के मध्य एक महीन छिद्र होता है जो नेत्र के अंदर प्रवेश होने वाली प्रकाश की मात्रा को नियंत्रित करता है।
7. दृक् तंत्रिका (Optic Nerve) – तंत्रिका जो नेत्र से निकलती है तथा संवेदना / उद्दीपन को मस्तिष्क तक स्थानांतरित करती है ।
8. नेत्रोद (Aqueous Humour) – नेत्र के कॉर्निया तथा लेंस के बीच एक स्वच्छ पारदर्शक द्रव भरा हुआ होता है जिसे नेत्रोद कहते हैं ।
9. काचाभ द्रव (Vitreous Humour) – नेत्र गोलक में एक स्वच्छ द्रव भरा हुआ होता है, जिसे काचाभ द्रव कहते हैं ।
10. समंजन क्षमता (Power of Accommodation) – नेत्र लेंस में अपनी फोकस दूरी के परिवर्तन (संमजन) की क्षमता, समंजन क्षमता कहलाती है ।
11. सुस्पष्ट दर्शन की अल्पतम दूरी (नेत्र के पास का बिंदु ) ( Least Distance of Distinct Vision ) – वह न्यूनतम दूरी (25 cm) जिस पर रखी कोई वस्तु बिना किसी तनाव के अत्यधिक स्पष्ट देखी जा सकती है ।
12. नेत्र का दूर बिंदु (Far-point of vision) – वह दूरतम बिंदु जिस तक कोई नेत्र वस्तुओं को सुस्पष्ट देखा जा सकता है, नेत्र का दूर बिंदु कहलाता है ।
13. मोतियाबिंद (Cataract)- नेत्र के क्रिस्टलीय लेंस का दूधिया या धुँधला हो जाना मोतियाबिंद कहलाता है ।
14. मोतियाबिंद शल्य चिकित्सा (Cataract Surgery) – शल्य चिकित्सा के द्वारा दूधिया या धुँधले नेत्र लेंस को हटाना या बदल देना ताकि दृष्टि ठीक हो जाए, मोतियाबिंद शल्य चिकित्सा कहलाता है।
15. त्रि-आयामी दृश्य (Stereopsis) शिकार करने वाले जंतुओं में दो नेत्र प्रायः उनके सिर पर विपरीत दिशाओं में स्थित होते हैं जिससे कि उन्हें अधिकतम विस्तृत दृष्टि क्षेत्र प्राप्त हो सके।
16. निकट-दृष्टि दोष (Myopia) – एक नेत्र दोष जिससे पीड़ित व्यक्ति को निकट की वस्तुएँ तो स्पष्ट दिखाई देती हैं, लेकिन दूर की वस्तुएँ स्पष्ट दिखाई नहीं देतीं, निकट दृष्टि दोष कहलाता है ।
17. दूर-दृष्टि दोष (Hypermetropia) – एक नेत्र दोष जिससे पीड़ित व्यक्ति को दूर की वस्तुएँ तो स्पष्ट दिखाई देती हैं, लेकिन पास की वस्तुएँ स्पष्ट दिखाई नहीं देतीं, दूर-दृष्टि दोष कहलाता है।
18. जरा दूर दृष्टिता ( Presbyopia) – नेत्र दोष जो सामान्यतः बढ़ती उम्र के कारण होता है, जहाँ पर व्यक्ति लेंसों की, सहायता के बिना पास की वस्तुओं को सरलतापूर्वक व स्पष्टता से नहीं देख सकता ।
19. द्विफोकसीय लेंस (Bifocal Lenses) – वे लेंस जिसमें उत्तल तथा अवतल दोनों लेंस होते हैं ।
20. प्रिज्म (Prism) काँच का एक उपकरण/यंत्र जिसमें दो समानांतर त्रिकोणीय पृष्ठ होते हैं तथा तीन आयताकार पृष्ठ होते हैं l
21. आपतन कोण (Angle of Incidence) – आपतन बिंदु पर आपतित किरण तथा अभिलंब के बीच का कोण, कोण कहलाता है । आपतन
22. अपवर्तन कोण (Angle of Refraction) – अपवर्तन बिंदु पर अपवर्तित किरण तथा अभिलंब के बीच का कोण, अपवर्तन कोण कहलाता है ।
23. विचलन कोण (Angle of Deviation) – वह कोण जिससे कोई आपतित किरण अपने पथ से विचलित होती है (अपवर्तन बिंदु पर), विचलन होना, विक्षेपण कहलाता है।
24. विक्षेपण (Dispersion ) – प्रकाश का इसके सात घटक रंगों में विघटित होना, विक्षेपण कहलाता है ।
25. श्वेत प्रकाश (White Light) – कोई प्रकाश जो प्राकृतिक प्रकाश जैसे सूर्य प्रकाश का वर्णक्रम प्रदान करता है, उसे श्वेत प्रकाश कहते हैं ।
26. टिंडल प्रभाव (Tyndall Effect) – कोलॉइडी कणों के द्वारा प्रकाश के प्रकीर्णन की प्रघटना, टिंडल प्रभाव कहलाती है।
27. दृष्टि-भिन्नता (Astigmatism) – त्रुटिपूर्ण कॉर्निया के कारण नेत्र के द्वारा विभिन्न तलों से आने वाली प्रकाश की का बिंदु पर फोकस न होने की समस्या ।
28. वर्णक्रम ( Spectrum) – श्वेत प्रकाश के विक्षेपण द्वारा जो सात रंगों की पट्टी प्राप्त होती है, वर्णक्रम कहलाती है ।
29. इंद्रधनुष (Rainbow) – रंगीन पट्टी जो वर्षा के समय या उसके ठीक पश्चात् हमें आसमान में दिखाई देती है।
30. रंग अंधरता (Colour Blindness) – वह नेत्र दोष जिसके कारण इससे पीड़ित व्यक्ति विभिन्न रंगों को पहचान नहीं पाता या उनमें अंतर नहीं कर सकता ।
31. दृष्टि की स्थिरता (Persistance of Vision) – हमारे मस्तिष्क की वह क्षमता जिसके कारण वह दृश्य की छाप को लगभग 1/16 सैकेण्ड तक बनाए रखता है ।
पाठ एक नजर में
1. मानव नेत्र एक अति मूल्यवान तथा संवेदनशील संवेदी अंग है।
2. नेत्र हमें वस्तुओं को देखने तथा रंगों को पहचानने में सहायता करते हैं ।
3. मानव नेत्र एक कैमरे के समान है तथा इसमें एक प्रकाश संवेदी पर्दा होता है जिसे कॉर्निया कहते हैं l
4. नेत्र में प्रकाश का अधिकतर अपवर्तन कॉर्निया की बाहरी परत के द्वारा होता है ।
5. नेत्र का लेंस सिस्टम बहुत ही उत्तम है तथा यह पास तथा दूर की वस्तुओं का स्पष्ट प्रतिबिंब बना सकता है l
6. नेत्र के अंदर एक उभयोत्तल लेंस होता है जो जेली की तरह के एक स्वच्छ द्रव्य से बना होता है ।
7. नेत्र लेंस अपनी फोकस दूरी का समंजन कर सकता है। नेत्र की यह क्षमता समंजन की क्षमता कहलाती है l
8. वह न्यूनतम दूरी जिस पर रखी वस्तुओं को स्पष्टता से देखा जा सकता है, स्पष्टतम दृष्टि की अल्पतम दूरी कहलाती है ।
9. सामान्य नेत्र का दूर बिंदु अनंत है ।
10. आयु बढ़ने के साथ-साथ नेत्र लेंस दूधिया तथा धुंधला हो जाता है । इस अवस्था को मोतियाबिंद कहते हैं ।
11. आयु बढ़ने के साथ-साथ नेत्र दोष उत्पन्न हो जाते हैं, जैसे निकट-दृष्टि दोष, दूर-दृष्टि दोष, जरा दूरदृष्टिता आदि ।
12. नेत्र दोषों को दूर करने के लिए लेंसों का प्रयोग किया जाता है |
13. प्रिज्म प्रकाश का विक्षेपण कर देती है, जिससे सात रंगों की एक पट्टी प्राप्त होती है जिसे वर्णक्रम कहते हैं l
14. लाल रंग के प्रकाश का विचलन न्यूनतम होता है तथा बैंगनी रंग के प्रकाश का विचलन अधिकतम होता है।
15. सूर्य का प्रकाश श्वेत प्रकाश होता है, जो विक्षेपण के पश्चात् वर्णक्रम उत्पन्न करता है ।
16. इंद्रधनुष एक प्राकृतिक वर्णक्रम है जो वर्षा के पश्चात् आकाश में प्रकट होता है । इंद्रधनुष सदैव सूर्य की दिशा के विपरीत प्रकट होता है ।
17. वायुमंडलीय अपवर्तन पर्यावरण की भौतिक परिस्थतियों में परिवर्तन के परिणामस्वरूप उत्पन्न होता है।
18. वायुमंडलीय अपवर्तन के कारण तारे टिमटिमाते हैं । यह सूर्योदय के कुछ समय पूर्व तथा सूर्यास्त के कुछ समय पश्चात् होता है।
19, आसमान का नीला रंग, गहरे समुद्र का नीला-हरा रंग, सूर्योदय व उसके अस्त के समय उसका लाल रंग, ये सभी प्रघटनाएँ प्रकाश प्रकीर्णन के कारण होती हैं ।
20. प्रकीर्णित प्रकाश का रंग, उसे प्रकीर्णित करने वाले कणों के आकार पर निर्भर करता है ।
21. अत्यधिक सूक्ष्मकण केवल नीले प्रकाश को प्रकीर्णित करते हैं, जबकि बड़े आकार के कण अधिक तरंगदैर्ध्य वाले प्रकाश को प्रकीर्णित करते हैं ।
22. प्रकाश प्रकीर्णन के कारण ही आसमान का रंग नीला होता है ।
23. सूर्योदय व सूर्यास्त के समय सूर्य का लाल होना भी प्रकाश प्रकीर्णन के कारण से ही होता है ।
24. जब कम तरंगदैर्ध्य का प्रकाश हमारी आँखों तक पहुँचता है, तो यह नीला दिखाई देता है, जबकि लंबी तरंगदैर्ध्य का प्रकाश लाल दिखाई देता है ।
HBSE 10th Class Science मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार InText Questions and Answers
पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न
प्रश्न 9. जब हम नेत्र से किसी वस्तु की दूरी को बढ़ा देते हैं तो नेत्र में प्रतिबिम्ब दूरी का क्या होता है?
उत्तर- नेत्र से वस्तु की दूरी बढ़ा देने पर नेत्र के समंजन गुण के कारण रेटिना पर ही प्रतिबिम्ब बनता है अतः नेत्र में बने प्रतिबिम्ब की दूरी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
प्रश्न 10. तारे क्यों टिमटिमाते हैं?
उत्तर- तारों से आने वाला प्रकाश हमारी आँख तक पहुँचने से पहले वायुमण्डल से होकर गुजरता है, वायुमण्डल की विभिन्न परतों का घनत्व अनियमित रूप से परिवर्तित होता रहता है, इस कारण से उनका अपवर्तनांक भी परिवर्तित होता रहता है। अपवर्तनांक परिवर्तन के कारण तारे से आने वाली किरणें लगातार अपना मार्ग बदलती रहती हैं तथा हमारी आँख तक पहुँचने वाले प्रकाश की मात्रा भी बदलती रहती है। इस कारण से तारे टिमटिमाते दिखाई पड़ते हैं।
प्रश्न 11. व्याख्या कीजिए कि ग्रह क्यों नहीं टिमटिमाते?
उत्तर- तारों की अपेक्षा ग्रह हमारी पृथ्वी के बहुत निकट हैं, उन्हें विस्तृत स्रोत की भाँति माना जा सकता है। यदि ग्रह को बिन्दु आकार के अनेक प्रकाश स्रोतों का संग्रह मान लें तो उन सभी से हमारे नेत्रों में प्रवेश करने वाली प्रकाश की मात्रा में कुल परिवर्तन का औसत मान शून्य होगा, यही कारण है कि वे टिमटिमाते प्रतीत नहीं होते।
प्रश्न 12. सूर्योदय के समय सूर्य रक्ताभ क्यों प्रतीत होता है?
उत्तर- दिन के समय प्रात:काल सूर्य क्षितिज के निकट होता है, सूर्य की किरणों को हम तक पहुँचने के लिए वातावरणीय मोटी परतों से गुजर कर पहुँचना पड़ता है। नीले
और कम तरंगदैर्ध्य के प्रकाश का अधिकांश भाग वहाँ उपस्थित कणों के द्वारा प्रकीर्णित कर दिया जाता है। हमारी आँखों तक पहुँचने वाला प्रकाश अधिक तरंगदैर्ध्य का होता है। इसलिए सूर्योदय और सूर्यास्त के समय सूर्य रक्ताभ प्रतीत होता है।
प्रश्न 13. किसी अंतरिक्ष यात्री को आकाश नीले की अपेक्षा काला क्यों प्रतीत होता है ?
उत्तर- अंतरिक्ष यात्री आकाश में उस ऊँचाई पर होते हैं जहाँ वह वायुमण्डल से बाहर हो जाते हैं तथा वहाँ प्रकाश का प्रकीर्णन होकर प्रकाश नहीं पहुँच पाता है। प्रकीर्णन की क्रिया न होने के कारण अंतरिक्ष यात्री को आकाश नीले की अपेक्षा काला प्रतीत होता है।
Haryana Board 10th Class Science Important Questions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न (Veryshort Answer Type Questions)
बहुविकल्पीय प्रश्न (Objective Type Questions)
1. नेत्र गोलक का व्यास कितना होता है?
(A) लगभग 2.0 cm
(B) लगभग 2.3 cm
(C) लगभग 4.0 cm
(D) लगभग 4.3 cm.
उत्तर- (B) लगभग 2.3 cm.
2. एक नेत्र का क्षैतिज दृष्टि क्षेत्र लगभग कितना होता है?
(A) 120°
(B) 200°
(C) 150°
(D) 180°
उत्तर- (A) 150°
3. नेत्रदान मृत्यु के कितने घंटे के भीतर हो जाना चाहिए?
(A) 2-3 घंटों में
(B) 4-6 घंटों में
(C) 6-10 घंटों में
(D) 1 घंटे में। .
उत्तर- (B) 4-6 घंटों में
4. प्रिज्म के अवयवी वर्गों के स्पेक्ट्रम हेतु परिवर्णी शब्द
(A) ROYVIBG
(B) VIBGYOR
(C) GYORVIB
(D) BIVGYOR.
उत्तर- (B) VIBGYOR.
5. कौन-सा प्रकाश सबसे कम कोण पर झुकता है ?
(A) बैंगनी प्रकाश
(B) हरा प्रकाश
(C) पीला प्रकाश
(D) लाल प्रकाश।
उत्तर- (D) लाल प्रकाश।
6. परितारिका किसके पीछे स्थित है ?
(A) पुतली
(B) रेटिना
(C) कॉर्निया
(D) नेत्र गोलक।
उत्तर- (C) कॉर्निया।
7. दोपहर के समय सूर्य सफेद दिखाई देता है क्योंकि –
(A) प्रकाश सबसे कम प्रकीर्णित होता है,
(B) प्रकाश के सभी वर्ण प्रकीर्णित हो जाते हैं,
(C) नीला रंग सबसे अधिक प्रकीर्णित होता है,
(D) लाल रंग सबसे अधिक प्रकीर्णित होता है।
उत्तर- (A) प्रकाश सबसे कम प्रकीर्णित होता है।
8. जब नेत्र में प्रकाश किरणें प्रवेश करती हैं तब अधिक प्रकाश किससे अपवर्तित होता है ?
(A) क्रिस्टलीय लेंस
(B) कॉर्निया के बाहरी तल
(C) पुतली
(D) आइरिस।
उत्तर- (B) कॉर्निया के बाहरी तल।
9. जरा दूरदर्शिता से पीड़ित व्यक्ति को उपयोग में लाने चाहिएँ-
(A) द्विफोकसीय लेंस जिनका नीचे का भाग उत्तल हो
(B) एक अवतल लेंस
(C) एक उत्तल लेंस
(D) एक द्विफोकसीय लेंस जिसका ऊपर का भाग उत्तल हो
उत्तर – (A) द्विफोकसीय लेंस जिनका नीचे का भाग उत्तल हो
10. रेटिना में छड़नुमा कोशिकाएँ उद्दीपित / संवेदी होती हैं क्रमशः –
(A) प्रकाश के रंगों के प्रति
(B) प्रकाश प्रबलता के प्रति
(C) रंगों तथा प्रकाश प्रबलता के प्रति
(D) न तो रंगों और न ही प्रकाश प्रबलता के प्रति
उत्तर – (B) प्रकाश प्रबलता के प्रति
11. निकट दृष्टि दोष तथा दूर-दृष्टि दोष को ठीक किया जा सकता है –
(A) उत्तल लेंस तथा अवतल लेंस द्वारा
(B) अवतल तथा अवतल लेंस द्वारा
(C) उत्तल तथा अवतल लेंस द्वारा
(D) अवतल तथा उत्तल लेंस द्वारा
उत्तर – (D) अवतल तथा उत्तल लेंस द्वारा
12. निम्नलिखित में से कौन-सी एक प्रकाशिक प्रघटना है ?
(A) इंद्रधनुष का बनना
(B) श्वेत प्रकाश का प्रकीर्णन
(C) आकाश का नीला रंग
(D) उपरोक्त सभी
उत्तर-(D) उपरोक्त सभी
13. मानव नेत्र में उपस्थित लेंस है-
(A) अवतल
(B) उत्तल
(C) द्विफोकसीय
(D) सिलेंडरिकल / बेलनाकार
उत्तर-(B) उत्तल
14. मानव नेत्र में प्रतिबिंब बनता है-
(A) रेटिना ( पुतली) पर
(B) कॉर्निया पर
(C) परितारिका पर
(D) दृक तंत्रिका पर
उत्तर – (A) रेटिना (पुतली ) पर
15. मानव नेत्र में अपवर्तन तल / पृष्ठ है –
(A) कॉर्निया
(B) लेंस
(C) काचाभ द्रव
(D) उपरोक्त सभी
उत्तर-(D) उपरोक्त सभी
16. सूर्योदय के समय सूर्य के रक्ताभ प्रतीत होने का कारण है –
(A) समंजन
(B) प्रकीर्णन
(C) विक्षेपण
(D) परावर्तन
उत्तर-(B) प्रकीर्णन
17. नेत्र लेंस की फोकस दूरी नियंत्रित होती है –
(A) परितारिका द्वारा
(B) कॉर्निया द्वारा
(C) पक्ष्माभी पेशियों द्वारा
(D) नेत्र लेंस द्वारा
उत्तर – (C) पक्ष्माभी पेशियों द्वारा
18. मानव में स्पष्टतम दृष्टता की न्यूनतम दूरी है –
(A) 25 cm
(B) 250 cm
(C) 1 m
(D) 10 m
उत्तर (A) 25 cm
19. मानव नेत्र का दूर-बिंदु है –
(A) 25 cm
(B) अनंत
(C) 25 cm तथा अनंत के बीच
(D) 1 m
उत्तर-(B) अनंत
20. निम्नलिखित में से कौन-सा एक नेत्र दोष है?
(A) मोतियाबिंद
(B) जरा दूरदृष्टिता
(C) दूर-दृष्टि
(D) उपरोक्त सभी
उत्तर-(D) उपरोक्त सभी
21. जरा दूर दृष्टिता को ठीक किया जा सकता है –
(A) अवतल लेंस द्वारा
(B) उत्तल लेंस द्वारा
(C) द्विफोकसीय लेंस द्वारा
(D) बेलनाकार लेंस द्वारा
उत्तर-(C) द्विफोकसीय लेंस द्वारा
46. एक व्यक्ति जो निकट की वस्तुओं को स्पष्ट रूप से देख सकता है, लेकिन दूर की वस्तुओं को स्पष्ट नहीं देख सकता है, वह किस रोग से पीड़ित होता है?
(A) दूर-दृष्टि दोष से
(B) मोतियाबिंद से
(C) अबिंदुकता से
(D) निकट-दृष्टि दोष से
उत्तर-(D) निकट-दृष्टि दोष से
47. दूर-दृष्टि दोष का दूसरा नाम है –
(A) मायोपिया
(B) हाइपरमेट्रोपिया
(C) प्रेसवायीपिया
(D) एस्टिगमेटिज्म
उत्तर-(B) हाइपरमेट्रोपिया
48. स्वच्छ आकाश का नीला रंग निम्नलिखित में से किस कारण से होता है ?
(A) अपवर्तन
(B) परावर्तन
(C) प्रकीर्णन
(D) विक्षेपण
उत्तर – (C) प्रकीर्णन
Haryana Board 10th Class Science Important Questions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार
एक शब्द/वाक्यांश प्रश्न
प्रश्न 1. संवेदी अंग क्या होते हैं ?
उत्तर – शरीर के वे अंग, जो संवेदना ग्रहण करते हैं, उन्हें संवेदी अंग कहते हैं; जैसे नेत्र।
प्रश्न 2. नेत्र क्या हैं ?
उत्तर – नेत्रं वे संवेदी अंग होते हैं, जो प्रकाश दृश्य संवेदना / उद्दीपन को ग्रहण करते हैं तथा इसे विश्लेषण के लिए मस्तिष्क तक भेज देते हैं ।
प्रश्न 3. रेटिना क्या है?
उत्तर – नेत्र की प्रकाश संवेदी की सबसे अंदर वाली पत्ती, जिस पर प्रतिबिंब बनता है, रेटिना कहलाती है।
प्रश्न 4. नेत्र के कौन-से दृष्ट/ तल पर अधिकतम अपवर्तन होता है?
उत्तर – कॉर्निया पर ।
प्रश्न 5. मानव नेत्र की समंजन क्षमता से क्या अभिप्राय है?
उत्तर – मानव नेत्र लेंस की अपनी फोकस दूरी के समंजन, परिवर्तन की क्षमता नेत्र की समंजन क्षमता कहलाती है।
प्रश्न 6. स्पष्टतम दृष्टि की न्यूनतम दूरी क्या है ?
उत्तर – न्यूनतम दूरी जिस पर किसी बिंब को अधिकतम स्पष्टता से बिना किसी तनाव के कारण देखा जा सकता है, स्पष्टतम दृष्टि की न्यूनतम दूरी कहलाती है।
प्रश्न 7. नेत्र के लिए सामान्य दृष्टि के लिए निकटतम बिंदु क्या है ?
उत्तर – 25 cm
प्रश्न 8. सामान्य नेत्र के लिए दूरस्थ बिंदु क्या है?
उत्तर – अनंत ।
प्रश्न 9. स्टीरियोप्सिस का क्या अर्थ है ?
उत्तर – कुछ शिकारी जंतुओं में दोनों आँखें सिर पर विपरीत दिशाओं में स्थित होती हैं जिससे अधिकतम क्षेत्र को देखा जा सकता है, यह स्टीरियोप्सिस कहलाता है ।
प्रश्न 10. मानव नेत्र में परितारिका का क्या कार्य है ?
उत्तर – परितारिका पुतली के आकार को नियंत्रित करके नेत्र में प्रवेश पाने वाले प्रकाश की मात्रा को नियंत्रित करती है l
प्रश्न 11. नेत्र के रेटिना पर बनने वाले प्रतिबिंब की प्रकृति क्या होती है ?
उत्तर – प्रतिबिंब वास्तविक तथा उल्टा होता है ।
प्रश्न 12. कौन-सी पेशियाँ नेत्र लेंस की फोकस दूरी परिवर्तित करती हैं ?
उत्तर – पक्ष्माभी पेशियाँ नेत्र लेंस की फोकस दूरी परिवर्तित करती हैं ।
प्रश्न 13. फोकस दूरी के संदर्भ में नेत्र लेंस काँच के एक लेंस से किस प्रकार भिन्न होता है ?
उत्तर – नेत्र लेंस में समंजन की क्षमता होती है, जबकि काँच के लेंस की फोकस दूरी निश्चित होती है ।
प्रश्न 14. सामान्य नेत्र की समंजन क्षमता कितनी होती है ?
उत्तर- सामान्य मानव नेत्र 25 cm तथा अनंत के बीच की वस्तुओं को फोकस कर सकते हैं। ।
प्रश्न 15. हम मानव आँख के अधिक समीप वस्तुओं को क्यों नहीं देख सकते ?
उत्तर – क्योंकि मानव नेत्र 25 cm से कम दूरी पर रखी वस्तु को फोकस नहीं कर सकते ।
प्रश्न 16. क्या मानव रेटिना पर बना प्रतिबिंब स्थायी होता है ?
उत्तर – नहीं, नेत्र रेटिना पर बना प्रतिबिंब स्थायी नहीं होता । यह अस्थायी होता है ।
प्रश्न 17 कितने समय के लिए वस्तु का प्रतिबिंब रेटिना पर बना रहता है, तब भी जब वस्तु सामने नहीं है?
उत्तर – प्रतिबिंब वस्तु के हटाने के 1/16 सैकेण्ड बाद तक भी रेटिना पर बना रहता है ।
प्रश्न 18. मोतियाबिंद क्या होता है ?
उत्तर – आयु बढ़ने के साथ नेत्र लेंस का धुँधला तथा दूधिया हो जाने को मोतियाबिंद कहते हैं ।
प्रश्न 19. मानव में एक नेत्र के स्थान पर दो आँखें होने का क्या लाभ है?
उत्तर- दो आँखों के कारण हम एक ही समय वृहत क्षेत्र देख पाते ।
प्रश्न 20. हमारी आँखें सिर के सामने की स्थिति में होने का क्या लाभ है?
उत्तर – इससे स्टीरियोप्सिस की ओर फेवर में क्षेत्र दृश्य कम हो जाता है ।
प्रश्न 21. हम यह किस प्रकार जान पाते हैं कि कोई वस्तु नज़दीक है अथवा दूर?
उत्तर – हमारी आँखें कुछ दूरी पर स्थित होती हैं तथा थोड़ी-सा भिन्न प्रतिबिंब बनाती हैं। मस्तिष्क के द्वारा इनका विश्लेषण बताता है कि वस्तु नेत्र से कितनी पास या दूर है।
प्रश्न 22. निकट दृष्टि दोष क्या है?
उत्तर – नेत्र दोष जिसमें दोष युक्त व्यक्ति पास की वस्तुओं को स्पष्ट रूप से देख सकता है, लेकिन दूर की वस्तुओं को पष्ट रूप से नहीं देख सकता, निकट दृष्टि दोष कहलाता है।
प्रश्न 23. निकट-दृष्टि दोष को दूर करने के लिए कौन-सा लेंस उपयोग में लाया जाता है?
उत्तर – अवतल लेंस का उपयोग निकट-दृष्टि दोष, मायोपिया को दूर करने के लिए किया जाता है।
प्रश्न 24. दूर-दृष्टि दोष क्या है ?
उत्तर—नेत्र दोष जिससे पीड़ित व्यक्ति दूर की वस्तुओं को तो स्पष्ट रूप से देख सकता है, लेकिन पास की वस्तुओं को स्पष्ट रूप से नहीं देख सकता, दूर-दृष्टि दोष कहलाता है।
प्रश्न 25. दूर-दृष्टि दोष को किस प्रकार दूर किया जाता है?
उत्तर – दूर-दृष्टि दोष को उत्तल लेंस की सहायता से दूर किया जा सकता है l
प्रश्न 26. दो विधियाँ बताइए जिनकी सहायता से नेत्र के अपवर्तनीय दोषों को दूर किया जा सकता है?
उत्तर – (i) गोलीय लेंसों का उपयोग, (ii) केटेक्ट (स्पर्श) लेंसों का प्रयोग |
प्रश्न 27. कॉर्निया प्रत्यारोपण से आप क्या समझते हैं?
उत्तर –दोषयुक्त कॉर्निया को किसी सामान्य कॉर्निया के साथ बदल देना, कॉर्निया प्रत्यारोपण कहलाता है।
प्रश्न 28. क्या AIDS/ हिपेटाइटिस से पीड़ित व्यक्ति नेत्रदान कर सकता है?
उत्तर —नहीं, AIDS/ हिपेटाइटिस से पीड़ित व्यक्ति नेत्रदान नहीं कर सकता।
प्रश्न 29. किसी व्यक्ति की मृत्यु के कितने समय बाद तक नेत्र निकाले जा सकते हैं?
उत्तर – मृत्यु से 4-6 घंटे बाद तक ।
प्रश्न 30. क्या होता है जब किसी व्यक्ति की आँखों की समंजन क्षमता समाप्त हो जाती है?
उत्तर- – जब किसी व्यक्ति की आँखों की समंजन क्षमता समाप्त हो जाती है तो वह बिना तनाव के वस्तुओं को स्पष्ट रूप से नहीं देख सकता ।
प्रश्न 31. मानव नेत्र के दो प्रमुख दोषों के नाम दें।
उत्तर – (i) निकट-दृष्टि दोष (ii) दूर-दृष्टि दोष ।
प्रश्न 32. द्विफोकसीय लेंसों की आवश्यकता क्यों पड़ती है?
उत्तर – यदि कोई व्यक्ति निकट दृष्टि दोष तथा दूर-दृष्टि दोष दोनों से पीड़ित हो तो उसे द्विफोकसीय लेंसों की आवश्यकता पड़ती है।
प्रश्न 33. एक जोड़ी आँखें कितने लोगों को दृष्टि प्रदान कर सकती हैं ?
उत्तर – एक जोड़ी आँखें दो लोगों को दृष्टि प्रदान कर सकती हैं, जो कॉर्निया दोष युक्त हो |
प्रश्न 34. एक काँच की प्रिज्म क्या होती है?
उत्तर – काँच की प्रिज़्म एक 3-D ज्यामितिक मॉडल / उपकरण होता है जिसके दो त्रिभुजाकार पृष्ठ एक-दूसरे के समानांतर होते हैं तथा तीन आयताकार पृष्ठ होते हैं।
प्रश्न 35. ‘प्रिज़्म का कोण’ से क्या अभिप्राय है?
उत्तर—त्रिभुजाकार आधार का शीर्ष कोण, प्रिज्म का कोण कहलाता है । यह लगभग 60° का होता है।
प्रश्न 36. अपवर्तन के कोण से क्या अभिप्राय है?
उत्तर- आपतन बिंदु पर अपवर्तन किरण, अभिलंब के साथ जो कोण बनाती है, उसे अपवर्तन कोण कहते हैं।
प्रश्न 37. विचलन से क्या अभिप्राय है?
उत्तर – अपवर्तित किरण आपतन कोण के साथ जो कोण बनाती है, उसे विचलन कोण ∠D कहते हैं ।
प्रश्न 38. प्रकाश की किरणें अभिलंब से परे कब हटती हैं ?
उत्तर – जब प्रकाश की किरणें सघन माध्यम से विरल माध्यम में प्रवेश करती हैं, तो वे अभिलंब से परे मुड़ जाती हैं।
प्रश्न 39. प्रकाश विक्षेपण से क्या अभिप्राय है?
उत्तर – श्वेत प्रकाश के सात रंगों में विभक्त होने की प्रघटना, प्रकाश विक्षेपण कहलाती है।
प्रश्न 40. प्रकाश वर्णक्रम का क्या अर्थ है?
उत्तर – सात रंगों की पट्टी जो प्रकाश विशेषण के द्वारा प्राप्त होती है, प्रकाश वर्णक्रम कहलाती है।
प्रश्न 41. प्रकाश विक्षेपण के समय श्वेत प्रकाश का कौन-सा रंग अधिकतम विचलित होता है तथा कौन-सा न्यूनतम विचलित होता है?
उत्तर- बैंगनी रंग सबसे अधिक विचलित होता है और लाल रंग न्यूनतम विचलित होता है l
प्रश्न 42. इंद्रधनुष बनने का क्या कारण है?
उत्तर- इंद्रधनुष बनने का कारण प्रकाश विशेषण तथा परिक्षेषण है।
प्रश्न 43. काँच में किस रंग की चाल अधिकतम होती है?
उत्तर – लाल रंग की।
प्रश्न 44. प्रकाश के किस रंग का अपवर्तनाँक अधिकतम होता है?
उत्तर – बैंगनी रंग का।
प्रश्न 45. किस वैज्ञानिक ने प्रिज्म का उपयोग करके सर्वप्रथम वर्णक्रम प्राप्त किया?
उत्तर -इज़ाक न्यूटन ने l
प्रश्न 46. प्रकाश विक्षेपण से प्राप्त सात रंगों से हम श्वेत प्रकाश किस प्रकार प्राप्त कर सकते हैं?
उत्तर – वर्णक्रम के बीच एक उल्टा प्रिज़्म रखकर l
प्रश्न 47. श्वेत प्रकाश क्या है?
उत्तर – वह प्रकाश जो सूर्य के प्रकाश के समान वर्णक्रम प्रदान करता है, श्वेत प्रकाश कहलाता है।
प्रश्न 48. इंद्रधनुष क्या होता है?
उत्तर – इंद्रधनुष एक प्राकृतिक वर्णक्रम होता है जो वर्षा के बाद आकाश में प्रकट होता है ।
प्रश्न 49. इंद्रधनुष किस दिशा में बनता है?
उत्तर- यह सूर्य के विपरीत दिशा में प्रकट होता है।
प्रश्न 50. किस दिशा में इंद्रधनुष प्रकट नहीं हो सकता ?
उत्तर – दक्षिण दिशा में इंद्रधनुष प्रकट नहीं हो सकता।
प्रश्न 51. VIBGYOR का पूर्ण रूप लिखें ।
उत्तर – Violet (बैंगनी), Indigo (आसमानी), Blue (नीला), Green (हरा), Yellow (पीला), Orange (नारंगी), Red (लाल)।
प्रश्न 52. प्रकाश का विशेषण किस कारण से होता है?
उत्तर – प्रकाश के विभिन्न रंगों, विभिन्न तरंगदैर्ध्य के कारण तथा उनकी चाल भिन्न होने के कारण विक्षेपण होता है।
प्रश्न 53. वायुमंडलीय अपवर्तन के दो उदाहरण दें।
उत्तर – (i) तारों का टिमटिमाना।
(ii) सूर्योदय तथा सूर्यास्त के समय सूर्य की डिस्क का समतल दिखाई देना ।
प्रश्न 54. तारों के टिमटिमाने का क्या कारण है?
उत्तर – वायुमंडल के भौतिक गुणों में परिवर्तन या वायु की विभिन्न परतों के अपवर्तनांक में होने वाले परिवर्तन ।
प्रश्न 55. वायुमंडलीय अपवर्तन से क्या अभिप्राय है?
उत्तर – पृथ्वी के वायुमंडल द्वारा प्रकाश का अपवर्तन, वायुमंडलीय अपवर्तन कहलाता है।
प्रश्न 56. स्टारलाइट फ्लक्स क्या है?
उत्तर – यह तारे द्वारा प्रति सेकिण्ड उत्सर्जित प्रकाश ऊर्जा है।
प्रश्न 57. तारे की आभासी स्थिति, तारे की वास्तविक स्थिति से कुछ ऊपर क्यों होती है?
उत्तर – पृथ्वी के वायुमंडल की निचली परतें कुछ सघन होती हैं, इसलिए तारे से आने वाला प्रकाश अभिलंब की ओर मुड़ जाता है। इसलिए तारा उसकी वास्तविक स्थिति से कुछ ऊपर की ओर दिखाई देता है।
प्रश्न 58. तारों तथा ग्रहों के बीच एक अंतर बताएँ ।
उत्तर – तारे टिमटिमाते हैं, जबकि ग्रह टिमटिमाते नहीं हैं। ।
प्रश्न 59 तारे हमें इतने छोटे क्यों प्रतीत होते हैं, जबकि उनमें से अधिकतर का आकार सूर्य से बड़ा होता है?
उत्तर – तारों की पृथ्वी से दूरी सूर्य की अपेक्षा बहुत ही अधिक होने के कारण वे हमें छोटे दिखाई देते हैं।
प्रश्न 60. वास्तविक सूर्यास्त तथा आभासी सूर्यास्त के समय के बीच कितना अंतर होता है?
उत्तर – वास्तविक सूर्य अस्त तथा आभासी सूर्य अस्त के समय के बीच 2 मिनट का अंतर होता है।
प्रश्न 61. दो प्रकाशिक प्रघटनाओं के नाम दें जो प्रकाश प्रकीर्णन से संबंधित हैं।
उत्तर – (i) सूर्योदय तथा सूर्यास्त के समय सूर्य का लाल दिखाई देना ।
(ii) आकाश का रंग नीला दिखाई देना ।
प्रश्न 62. आकाश के नीले रंग का कौन-सी प्रघटना वर्णन करती है?
उत्तर- प्रकाश प्रकीर्णन |
प्रश्न 63. श्वेत प्रकाश में कौन-से रंग की चाल अधिकतम होती है ?
उत्तर- लाल रंग ( तरंगदैर्ध्य 700nm) की ।
प्रश्न 64. सूर्योदय तथा सूर्यास्त के समय सूर्य का लाल रंग किस कारण से होता है?
उत्तर- – प्रकाश प्रकीर्णन के कारण ।
प्रश्न 65. कौन-सा विलयन प्रकाश का प्रकीर्णन करता हैं ?
उत्तर – कोलॉइडी विलयन |
प्रश्न 66. प्रकाश की किरण का पथ कब दृश्यित होता है ?
उत्तर – जब प्रकाश की किरण किसी कोलॉइडी विलयन में से गुज़रती है ।
प्रश्न 67. टिंडल प्रभाव क्या है?
उत्तर – जब प्रकाश किसी कोलॉइडी विलयन में से गुज़रता है, तो प्रकाश प्रकीर्णन के कारण उसका पथ दिखाई देता है। यह प्रघटना टिंडल प्रभाव कहलाती है ।
प्रश्न 68. सर्दियों में प्रकाश पुंज का क्या होता है जब वह वन में से गुज़रता है?
उत्तर – प्रकाश प्रकीर्णन के कारण प्रकाश पथ प्रदर्शित प्रकट हो जाता है ।
प्रश्न 69. वायुमंडल में धूलकण किस प्रकार दिखाई देते हैं ?
उत्तर- प्रकाश प्रकीर्णन के कारण ।
प्रश्न 70. सूक्ष्मकणों के द्वारा प्रकाश का कौन-सा रंग मुख्य प्रकीर्णित होता है ?
उत्तर – नीला रंग / प्रकाश जिसकी तरंगदैर्ध्य कम होती है को सूक्ष्मकण प्रकीर्णित कर देते हैं l
प्रश्न 71. बड़े आकार के कणों द्वारा मुख्यतः कौन-सा प्रकाश प्रकीर्णित होता है ?
उत्तर – लाल प्रकाश ( लंबी तरंगदैर्ध्य ) ।
प्रश्न 72. यदि प्रकीर्णन करने वाले कणों का आकार बहुत ही बड़ा हो, तो प्रकाश का कौन-सा रंग दृश्यमान हो जाता है ?
उत्तर – श्वेत प्रकाश
प्रश्न 73. खतरे का संकेत किस रंग का होता है ?
उत्तर – खतरे का संकेत लाल रंग का होता है ।
प्रश्न 74. वायुमंडल में प्रकाश का कौन-सा रंग अधिकतम प्रकीर्णित होता है ?
उत्तर – वायुमंडल में नीले रंग का प्रकीर्णन अधिकतम होता है ।
प्रश्न 75. खतरे के निशान लाल रंग के क्यों बनाए जाते हैं ?
उत्तर – क्योंकि लाल रंग की चाल अधिकतम होती है तथा वायु व धुंध / धुएँ के कारण न्यूनतम प्रकीर्णित होती है।
प्रश्न 76. दोपहर को सूर्य श्वेत क्यों दिखाई देता है ?
उत्तर – क्योंकि दोपहर को नीला प्रकाश बहुत कम प्रकीर्णित होता है ।
Haryana Board 10th Class Science Important Questions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार
लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)
प्रश्न 1. दृष्टि पटल का कार्य लिखिए।
उत्तर- नेत्र के उचित कार्य के लिए दृष्टि पटल (Retina) अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। ये नेत्र गोलक का भीतरी पर्दा है जिसका रूप अत्यन्त कोमल झिल्ली के समान होता है। इस पर असंख्य प्रकाश संवेदी कोशिकाएँ होती हैं। इस पर दण्ड और शंकु जैसी रचनाएँ होती हैं जो प्रकाश और रंगों के प्रति संवेदनशील होती हैं। यही प्रकाश की संवेदना को संकेतों के रूप में मस्तिष्क तक दृष्टि तंत्रिका के माध्यम से भेजती हैं जिससे दिखाई देता है।
प्रश्न 2. मनुष्य की आँख व फोटोग्राफिक कैमरे में अन्तर लिखिए।
उत्तर- मनुष्य की आँख व फोटोग्राफिक कैमरे में अन्तर –
मनुष्य की आँख |
फोटोग्राफिक कैमरा |
1. यह सजीव है। |
1. यह निर्जीव है। |
2. पेशियों की सहायता से इसकी उत्तलता को कम या अधिक किया जा सकता है। |
2. इसकी उत्तलता को कम या अधिक नहीं किया जा सकता। |
3. इसमें लेंस, एक्वस एवं विट- रस ह्यूमर मिलकर संयुक्त लेंस का कार्य करते हैं। |
3. इसमें एक या अनेक लेंसों का प्रयोग किया जाता है। |
4. पुतली के द्वारा लेंस को नियन्त्रित किया जाता है। |
4. एक छिद्र के द्वारा लेंस द्वार को छोटा या बड़ा किया जाता है। |
प्रश्न 3. कौन-कौन व्यक्ति नेत्रदान कर सकते हैं?
उत्तर-
- किसी भी आयु वर्ग के व्यक्ति
- किसी भी लिंग के व्यक्ति
- चश्मा लगाने या चश्मा न लगाने वाले
- मोतियाबिन्दु का ऑपरेशन करा चुके व्यक्ति
- उच्च रक्त चाप से पीड़ित
- दमे के रोगी
- मधुमेह रोगी।
प्रश्न 4. हमारी आँखें किस प्रकार किसी वस्तु की लम्बाई, चौड़ाई और गहराई को प्रकट करती हैं?
उत्तर- हमारी आँखें सिर के सामने की ओर स्थित रहती हैं। इससे हमारा दृष्टि क्षेत्र अवश्य कुछ कम हो जाता है परन्तु इससे त्रिविमीय चित्र भली-भाँति दिखाई पड़ते हैं। हमारी-आँखों के बीच कुछ सेन्टीमीटर का अन्तर होता है इसलिए दोनों आँखों से किसी भी वस्तु का थोड़ा सा भिन्न प्रतिबिम्ब दिखाई देता है। हमारा मस्तिष्क दोनों प्रतिबिम्बों का संयोजन करके एक प्रतिबिम्ब बना देता है जिससे उस वस्तु की निकटता या दूरी का ज्ञान हो पाता है। इससे लम्बाई, चौड़ाई और गहराई का ज्ञान हो सकता है।
प्रश्न 5. सिनेमा की रील में सभी लोग स्वाभाविक रूप से हिलते-डुलते क्यों दिखाई देते हैं जबकि वास्तव में वे स्थिर ही होते हैं।
उत्तर- मनुष्य की आँख का एक विशेष गुण है कि रेटिना पर बने बिम्ब की संवेदना एक सेकण्ड के सोलहवें भाग तक बनी रहती है। यदि इस वेग से जल्दी एक सी तस्वीरें आँख के सामने से गुजारी जाएँ तो वे चलती-फिरती और सहज रूप से गति करती प्रतीत होती हैं। सिनेमा की रील फिल्म में एक सेकण्ड में 24 या इससे अधिक तस्वीरें ली जाती हैं तथा जब ये तस्वीरें आँख के सामने से गुजरती हैं तो वे चलती-फिरती दिखाई देती हैं।
प्रश्न 6. नेत्रदान करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ?
उत्तर-
- मृत्यु के बाद 4 से 6 घंटे के भीतर ही नेत्रदान हो जाना चाहिए।
- नेत्रदान एक सरल प्रक्रिया है और इससे किसी प्रकार का विरूपण नहीं होता।
- नेत्रदान समीपवर्ती नेत्र बैंक को दिया जाना चाहिए। उनकी टीम दिवगंत व्यक्ति के घर या निकटवर्ती अस्पताल में 10-15 मिनट में नेत्र निकाल लेती है।
प्रश्न 7. रेटिमा से मस्तिष्क तक संकेत कैसे पहुँचते हैं ?
उत्तर- पुतली से प्रकाश किरणें नेत्र में प्रवेश कर अभिनेत्र लेंस के माध्यम से रेटिना पर किसी वस्तु का उल्टा, छोटा तथा वास्तविक प्रतिबिम्ब बनाती हैं। रेटिना पर बहुत अधिक संख्या में प्रकाश सुग्राही कोशिकाएँ होती हैं जो सक्रिय होकर विद्युत सिग्नल उत्पन्न करती हैं। ये सिग्नल दृक् तंत्रिकाओं के द्वारा मस्तिष्क तक पहुँचा दिए जाते हैं और मस्तिष्क उनकी व्याख्या कर लेता है।
प्रश्न 8. स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी का क्या अर्थ है ?
उत्तर- यदि वस्तु नेत्र के अधिक समीप हो तो वह स्पष्ट दिखाई नहीं देती है अतः वह निकटतम बिन्दु जिस पर स्थित वस्तु को नेत्र अपनी अधिकतम समंजन क्षमता लगाकर स्पष्ट देख सकता है, नेत्र का निकट बिन्दु कहलाता है। नेत्र से निकट बिन्दु तक की दूरी स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी कहलाती है। सामान्य नेत्र के लिए यह दूरी 25 cm होती है।
प्रश्न 9. मोतियाबिन्दु किसे कहते हैं ? इसका उपचार क्या है ?
उत्तर- आँख के लेंस के पीछे अनेक कारणों से एक झिल्ली जम जाती है जिस कारण पारदर्शी लेंस के पार की प्रकाश की किरणों के गुजरने में रुकावट उत्पन्न होती है। कभी-कभी लेंस पूर्णतः अपारदर्शी भी बन जाता है। शल्य चिकित्सा के द्वारा उस खराब लेंस को बाहर निकाल दिया जाता है। उसके स्थान पर उचित शक्ति का कॉन्टेक्ट लेंस लगाने या शल्य चिकित्सा के बाद चश्मा लगाने से ठीक दिखाई देने लगता है।
प्रश्न 10. जब किसी व्यक्ति की आँख की पक्ष्माभी पेशियाँ कमज़ोर होने लगती हैं तथा आँख के लेंस का लचीलापन कम होने लगता है तो उस व्यक्ति की आँख के इस दोष को क्या नाम दिया जाता है? इस दोष को ठीक करने के लिए उसे किस प्रकार के लेंस का चश्मा लगाया जाता है, इस लेंस का वर्णन करें।
उत्तर- इस दोष का नाम जरा दूरदृष्टिता है। इस दोष को ठीक करने के लिए द्विफोकसी लेंस का उपयोग किया जाता है। इस लेंस के ऊपरी भाग में अवतल लेंस हा… है जो कि दूर की वस्तुओं को ठीक से देखने के लिए उपयोग किया जाता है। इस लेंस के नीचे वाले भाग में उत्तल लेंस होता है जो नज़दीक की वस्तुओं को देखने के लिए उपयोग किया जाता है।
प्रश्न 11. क्या होता है जब कोई श्वेत प्रकाश पुंज किसी काँच के प्रिज्म से होकर अपवर्तित होता है? प्रिज्म से अपवर्तन के पश्चात् किस वर्ण का विचलन अधिकतम होता है और किसका न्यूनतम? क्या हो सकता है यदि किसी दूसरे सर्वसम प्रिज्म को पहले प्रिज्म के सापेक्ष उल्टी स्थिति में रखा जाए? अपने उत्तर की पुष्टि कीजिए।
अथवा
किसी छात्र को अपनी दृष्टि के संशोधन के लिए-0.5D क्षमता के चश्मों की आवश्यकता होती है।
(i) उस दृष्टि दोष का नाम लिखिए जिससे यह छात्र पीड़ित है।
(ii) संशोधक लेंस की प्रकृति और फोकस दूरी ज्ञात कीजिए।
(iii) इस दृष्टि दोष के दो कारणों की सूची बनाइए।
उत्तर- जब कोई श्वेत प्रकाश पुंज किसी प्रिज्म से अपवर्तित होता है तो श्वेत प्रकाश पुंज सात रंगों में VIBGYOR में विभक्त होता है, इसे वर्ण विक्षेपण कहते हैं। बैंगनी रंग का विचलन अधिकतम; लाल रंग का विचलन न्यूनतम होता यदि प्रिज्म के सामने दूसरा प्रिज्म उल्टा रख दिया जाय तो विभक्त रंगों की पट्टी पुनः मिलकर श्वेत प्रकाश पुंज के रूप में निकलती है।
अथवा.
(i) छात्र के लेंस की क्षमता – 0.5 D है अतः वह मायोपिया-निकट दृष्टि दोष से पीड़ित है।
(ii) वह अवतल लेंस का चश्मा प्रयोग करता है जिसकी फोकस दूरी 200 सेमी है।
(iii) दोष के कारण-लेंस का मोटा होना, नेत्र गोलक का लम्बा होना।
प्रश्न 12. (a) कोई व्यक्ति निकट दृष्टि दोष तथा दीर्घ दृष्टि दोष दोनों से पीड़ित है।।
(i) इस दोष को किस प्रकार लेंस संशोधित कर सकते हैं?
(ii) इस प्रकार के लेंस किस प्रकार बनाए जाते हैं?
(b) किसी व्यक्ति को दीर्घ दृष्टि दोष के संशोधन के लिए + 3D के लेंस तथा निकट दृष्टि दोष के लिए – 3D के लेंस की आवश्यकता होती है। इन दोषों को संशोधित करने वाले इन लेंसों की फोकस दूरियाँ परिकलित कीजिए। (CBSE 2020)
उत्तर- (a)
(i) द्विफोकसी लेंस द्वारा निकट दृष्टि तथा दीर्घ दृष्टि दोनों प्रकार के दोषों को दूर किया जा सकता है।
(ii) द्विफोकसी लेंस में ऊपरी भाग अवतल लेंस होता है जो दूर की वस्तुओं को देखने के लिए होता है तथा नीचे के भाग में उत्तल लेंस का उपयोग किया जाता है जो नज़दीक की वस्तुओं को देखने तथा पढ़ने के लिए होता है।
(b) दीर्घ दृष्टि दोष संशोधन के लेंस की फोकस दूरी (f)
P= +3D
f1 = 1/P1=+ 1/3 m=+100/3 cm = +33.3cm
निकट दृष्टिदोष संशोधन के लेंस की फोकस दूरी (f):
P=-3D
f2 = 1/P2=−1/3 m=−100/3 cm = -33.3cm
प्रश्न 13. प्रातःकाल सूर्य रक्ताभ क्यों प्रतीत होता है? क्या कोई प्रेक्षक इस परिघटना का प्रेक्षण चन्द्रमा पर भी कर सकता है? अपने उत्तर की कारण सहित पुष्टि कीजिए।
उत्तर- सूर्योदय के समय सूर्य क्षितिज के समीप होता है। क्षितिज के समीप स्थित सूर्य से आने वाला प्रकाश हमारे नेत्रों तक पहुँचने से पहले पृथ्वी के वायुमंडल में वायु की मोटी परतों से होकर गुज़रता है। क्षितिज के समीप नीले तथा कम तरंगदैर्ध्य के प्रकाश का अधिकांश भाग वायुमंडल के सक्ष्म कणों द्वारा प्रकीर्ण हो जाता है। इसलिए हमारे नेत्रों तक पहुँचने वाला प्रकाश अधिक तरंगदैर्ध्य अर्थात् लाल रंग का होता है। इससे सूर्योदय तथा सूर्यास्त के समय सूर्य रक्ताभ प्रतीत होता है। कोई प्रेक्षक इस परिघटना का प्रेक्षण चन्द्रमा पर नहीं कर सकता क्योंकि यह परिघटना सूर्य के प्रकाश के किरणों की वायुमंडल के कणों द्वारा प्रकीर्णन के कारण ही होती है और चंद्रमा पर कोई वायुमंडल नहीं होता है।
प्रश्न 14. (i) मानव नेत्र में पक्ष्माभी पेशियों का महत्व लिखिए। उस दृष्टि दोष का नाम लिखिए जो वृद्धावस्था में पक्ष्माभी पेशियों के धीरे-धीरे दुर्बल होने के कारण उत्पन्न होता है। इस दोष से पीड़ित व्यक्तियों को सुस्पष्ट देख सकने के लिए किस प्रकार के लेंसों की आवश्यकता होती है?
(ii) अक्षय अपनी कक्षा में अंतिम पंक्ति में बैठे हुए, ब्लैकबोर्ड पर लिखे शब्दों को स्पष्ट नहीं देख पा रहा था। जैसे ही शिक्षक महोदय को पता चला उन्होंने कक्षा में घोषणा की, कि क्या पहली पंक्ति में बैठा हुआ कोई छात्र अक्षय से अपनी सीट बदलना चाहेगा? सलमान तुरन्त ही अपनी सीट अक्षय से बदलने के लिए तैयार हो गया। अब अक्षय को ब्लैकबोर्ड पर लिखा हुआ स्पष्ट दिखाई देने लगा। यह देखकर शिक्षक महोदय ने अक्षय के माता-पिता को संदेश भेजा कि वे शीघ्र ही अक्षय के नेत्रों का परीक्षण करवाएँ। उपयुक्त घटना के संदर्भ में निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
(a) अक्षय किस दृष्टि दोष से पीड़ित है? इस दोष के संशोधन के लिए किस प्रकार का लेंस उपयोग किया जाता है?
(b) शिक्षक महोदय और सलमान द्वारा प्रदर्शित मूल्यों का उल्लेख कीजिए।
(c) आपके विचार से अक्षय को शिक्षक महोदय और सलमान के प्रति अपनी कृतज्ञता किस प्रकार प्रकट करनी चाहिए?
उत्तर- (i) पक्ष्माभी पेशियों का महत्व-पक्ष्माभी पेशियाँ लेंस की फोकस दूरी को परिवर्तित करके बिम्ब (वस्तु) का प्रतिबिम्ब रेटिना पर बनाती है।
वृद्धावस्था में पक्ष्माभी पेशियों के कारण नेत्र दोष-जरा दूर दृष्टिता दोष निवारण-द्वि फोकसी लैन्स की आवश्यकता होती है।
(ii) (a) अक्षय निकट दृष्टि दोष से पीड़ित है तथा इसके निवारण के लिये अवतल लैंस की आवश्यकता पड़ती है।
(b) दया तथा विषय की उपयोगिता।
(c) हमारे अनुसार शिक्षक महोदय तथा सलमान ने अक्षय की समस्या को समझ कर सामाजिकता तथा अपने कर्तव्यों का एक श्रेष्ठ उदाहरण प्रस्तुत किया।
प्रश्न 15. यह दर्शाने के लिए किसी क्रियाकलाप का वर्णन कीजिए कि किस प्रकार एक प्रिज्म द्वारा विपाटित श्वेत प्रकाश को अन्य सर्वसम प्रिज्म द्वारा पुनर्योजित करके पुनः श्वेत प्रकाश प्राप्त किया जा सकता है। श्वेत प्रकाश के स्पेक्ट्रम के पुनर्योजन को दर्शाने के लिए किरण आरेख भी खींचिए।
उत्तर-विधि :
(1) समान काँच पदार्थ तथा समान अपवर्तन कोण के दो प्रिज्म P1 और P2 लीजिए।
(2) दूसरे प्रिज्म P2 को प्रिज्म P1 के सापेक्ष उल्टा करके चित्र (नीचे) में दर्शाए अनुसार रखिए।
(3) श्वेत प्रकाश का एक पतला किरण पुंज प्रिज्म P1 पर डालिए तथा प्रिज्म P2 से आने वाले निर्गत किरण पुंज का प्रेक्षण किसी पर्दे अथवा दीवार पर कीजिए। पर्दे/दीवार पर श्वेत प्रकाश की चित्ती दिखाई देती है। पहला प्रिज्म P1 श्वेत प्रकाश को इसके सात-वर्ण के अवयवों में विक्षेपित अथवा विभाजित कर देता है। जब ये वर्ण उल्टे प्रिज्म P2 पर पड़ते हैं, तो वह उन्हें श्वेत प्रकाश में संयोजित कर देता है।
प्रश्न 16. सूर्य दोपहर के समय हमें श्वेत क्यों दिखाई पड़ता है?
उत्तर – पृथ्वी की सतह धरातल के पास वायु में विद्यमान कणों का आकार बहुत बड़ा होता है । कणों का आकार बड़ा होने के कारण, प्रकाश का प्रकीर्णन होता है, और प्रकीर्णित प्रकाश हमें श्वेत दिखाई पड़ता है।
Haryana Board 10th Class Science Important Questions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार
निबन्धात्मक प्रश्न [Essay Type Questions]
प्रश्न 1. मानव नेत्र की आंतरिक संरचना का नामांकित चित्र बनाकर नेत्र की संरचना का वर्णन करें ।
उत्तर – मानव नेत्र की आंतरिक संरचना – मानव आँख एक अत्यंत सुग्राही तथा मूल्यवान ज्ञानेंद्रिय है, जिसे प्रकृति ने हमें प्रकाश तथा वर्णों के इस अद्भुत संसार को देखने के लिए प्रदान किया है। इसके निम्नलिखित भाग होते हैं –
1. नेत्र गोलक—आँख छोटे गोलक के रूप में होती है जो खोपड़ी के गर्त (कोटर) में लगी होती है । आँख में बहुत से सहायक अंग होते हैं जो मुख्य रूप से आँख की रक्षा करते हैं। प्रत्येक नेत्र गोलक को काटने से पता चलता है कि वह तीन भिन्न-भिन्न तहों का बना हुआ होता है जिनके बीच के दो स्थान पारदर्शक पदार्थ द्वारा होते हैं ।
2. दृढ़ पटल – नेत्र गोलक का सफेद अपारदर्शक भाग दृढ़ पटल कहलाता है । नेत्र गोलक के अगले भाग को छोड़कर इसके चारों ओर दृढ़ पटल होता है। दृढ़ पटल के आगे के भाग को स्वच्छ पटल अथवा कॉर्निया कहते हैं जो उभरा हुआ होता है ।
3. रक्तक पटल – यह नेत्र गोलक की दूसरी सतह है । इसका रंग प्रायः भूरा होता है । यह योजी ऊतकों का बना होता है । इस भाग में अनेक रुधिर वाहिकाएँ होती हैं। ये नेत्रों के लिए पोषक पदार्थ लाती हैं । रक्तक पटल का आगे का भाग कॉर्निया के पीछे एक वृत्ताकार पर्दे के समान गहरे भूरे रंग का होता है, इसे परितारिका (Iris) कहते हैं।
परितारिका के बीच में एक छिद्र होता है, जिसे पुतली कहते हैं । परितारिका का कार्य कैमरे के छिद्रपट के समान होता है। यह आँख के अंदर जाते हुए प्रकाश पर नियंत्रण रखती है। यदि प्रकाश अधिक हो तो पुतली सिकुड़ जाती है और यदि प्रकाश कम हो तो पुतली फैल जाती है ।
4. अभिनेत्र लेंस-पुतली के पीछे एक उभयोत्तल लेंस होता है । यह रेशेदार माँसपेशियों के द्वारा जुड़ा होता है । यह दूर की तथा पास की वस्तुओं को देखने के लिए पक्ष्माभी पेशियों द्वारा लेंस की फोकस दूरी को क्रमशः अधिक या कम करता है | लेंस आँख को दो भागों में बाँटता है – अग्रभाग में नेत्र जल तथा पिछले भाग में शीशे जैसा लेसदार पदार्थ भरा होता है । जब पेशियाँ शिथिल होती हैं तब इस लेंस की फोकस दूरी लगभग 2.5 cm होती है।
5. दृष्टिपटल या रेटिना – नेत्र गोलक की तीसरी और भीतरी पटल को दृष्टि पटल या रेटिना कहते हैं। इसमें एक बिंदु ऐसा होता है जिस पर प्रकाश पड़ने से कोई संवेदना उत्पन्न नहीं होती, उसे अंध बिंदु कहते हैं । अंध बिंदु के कुछ ऊपर एक और बिंदु होता है जहाँ प्रकाश पड़ने पर सर्वाधिक संवेदना उत्पन्न होती है, उसे पीत बिंदु कहते हैं। इसमें संशलाका तथा शंकु होते हैं।
6. दृष्टि तंत्रिकाएँ– मस्तिष्क से बहुत-सी तंत्रिकाएँ निकलती हैं जो नेत्र गोलक के पिछले भाग में खुलती हैं। ये दृष्टि तंत्रिकाएँ कहलाती हैं। ये दृष्टि तंत्रिकाएँ आँख की भीतरी परत बनाती हैं जिसे रेटिना कहते हैं | रेटिना पर प्रत्येक वस्तु का उल्टा तथा वास्तविक प्रतिबिंब बनता है ।
प्रश्न 2. आँख में पाए जाने वाले किन्हीं दो दृष्टि दोषों का सचित्र वर्णन करें।
उत्तर – आँख के दोष-एक सामान्य स्वस्थ आँख अपनी फोकस दूरी को इस प्रकार संयोजित करती है कि पास तथा दूर की सभी वस्तुओं का प्रतिबिंब दृष्टिपटल (रेटिना) पर बन जाए, परंतु कभी-कभी आँख की इस संयोजन शक्ति में कमी आ जाती है। इससे दृष्टिपटल (रेटिना) पर ठीक से प्रतिबिंब नहीं बनता, जिससे दीर्घ-दृष्टि तथा निकट दृष्टि दोष हो जाते हैं।
(1) निकट दृष्टि दोष – इस दोष के व्यक्ति को निकट की वस्तुएँ तो स्पष्ट दिखाई देती हैं, परंतु दूर की वस्तुएँ स्पष्ट दिखाई नहीं देतीं। इसका कारण यह कि दूर की वस्तुओं का प्रतिबिंब रेटिना (दृष्टिपटल) के सामने बनता है।
निकट-दृष्टि दोष के कारण – इस दोष के उत्पन्न होने के कारण अभिनेत्र लेंस की वक्रता का अत्यधिक होना अथवा नेत्र गोलक लंबा हो जाता है।
निकट-दृष्टि दोष को दूर करना – किसी उपयुक्त क्षमता के अवतल लेंस के उपयोग द्वारा इस दोष को दूर किया जा सकता है। उपयुक्त क्षमता का अवतल लेंस वस्तु के प्रतिबिंब को वापस दृष्टिपटल (रेटिना) पर ले आता है जिससे इस दोष का संशोधन किया जा सकता है।
(2) दूर-दृष्टि दोष – इस दोष के व्यक्ति को दूर की वस्तुएँ तो स्पष्ट दिखाई देती हैं परन्तु निकट की वस्तुएँ स्पष्ट दिखाई नहीं देती। इसका कारण यह है कि निकट की वस्तुओं का प्रतिबिम्ब रेटिना के पीछे बनता है ।
दूर-दृष्टि दोष के कारण – दूरी – दृष्टि दोष के निम्नलिखित कारण हैं—
(1) नेत्र गोलक का छोटा हो जाना।
(2) अभिनेत्र लेंस की फोकस दूरी का कम हो जाना।
दूर-दृष्टि दोष को दूर करना – इस दोष को दूर करने के लिए उत्तल लेंस का प्रयोग किया जाता है । इस लेंस के प्रयोग से निकट बिंदु से आने वाली प्रकाश किरणें किसी दूर के बिंदु से आती हुई प्रतीत होती हैं तथा निकट पड़ी वस्तुएँ स्पष्ट दिखाई देने लगती हैं।
कभी-कभी किसी व्यक्ति के नेत्र में दोनों निकट दृष्टि तथा दीर्घ-दृष्टि दोष हो सकते हैं। ऐसे व्यक्तियों को प्रायः द्विफोकसी लेंसों (Bifocal lens) की आवश्यकता होती है। द्विफोकसी लेंसों के अधिकांश सामान्य प्रकारों में द्विफोकसी लेंस का ऊपरी भाग अवतल लेंस होता है जो दूर की वस्तुओं को देखने के लिए होता है। द्विफोकसी लेंस का निचला भाग उत्तल लेंस होता है जो पढ़ने में उपयोग होता है।
Haryana Board 10th Class Science Important Questions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार
महत्त्वपूर्ण प्रायोगिक क्रियाकलाप
प्रयोग 1 काँच की प्रिज्म में से प्रकाश अपवर्तन का अध्ययन करना।
आवश्यक सामग्री – काँच की प्रिज़्म, ऑलपिन, ड्राइंग बोर्ड, सफेद कागज़ की शीट |
विधि- (i) एक ड्राइंग बोर्ड पर ड्राइंग पिनों की सहायता से सफेद कागज़ की एक शीट लगाइए ।
(ii) इस शीट पर काँच का प्रिज्म इस प्रकार रखिए कि इसका त्रिभुजाकार फलक आधार बन जाए।
(iii) एक पेंसिल का प्रयोग करके प्रिज्म की रेखा खींचिए ।
(iv) प्रिज्म के किसी एक अपवर्तक पृष्ठ AB से कोई कोण बनाती हुई एक सरल रेखा PE खींचिए ।
(v) रेखा PE पर दो पिनें, बिंदु P तथा Q पर गाड़िए ।
(vi) फलक AC की ओर से P तथा Q पिनों के प्रतिबिंबों को देखिए ।
(vii) R तथा S बिंदुओं पर दो और पिनें इस प्रकार गाड़िए कि पिन R तथा S एवं पिन P तथा Q के प्रतिबिंब एक सीधी रेखा में दिखाई दें l
(viii) पिनों तथा काँच के प्रिज्म को हटाइए ।
(ix) बिंदु P तथा Q को मिलाइए तथा इसे प्रिज़्म की सीमा रेखा तक बढ़ाइए जो इसे बिंदु E पर मिलाती है।
(x) इसी प्रकार R व S को मिलाकर बढ़ाइए जो E तथा F पर मिलाती है ।
(xi) E व F को मिलाइए ।
(xii) प्रिज़्म के अपवर्तक पृष्ठों AB तथा AC पर क्रमशः बिंदुओं E तथा F पर अभिलंब खींचिए।
इसके पश्चात् आपतन कोण ∠i, अपवर्तन कोण ∠r तथा निर्गत कोण ∠e को चिह्नित कीजिए |
इन कोणों को मापिए तथा सिद्ध करने की कोशिश कीजिए कि ∠i + ∠e = ∠A + ∠D ।
अवलोकन – आपतित किरण PQE सीधी नहीं जाती बल्कि बिंदु E पर अपवर्तित हो जाती है । अपवर्तित किरण EF के रूप में प्रिज़्म में से गुज़रती है और बिंदु F पर पहुँचकर दोबारा से अपवर्तित होकर FRS निर्गत किरण के रूप में बाहर आ जाती है ।
निष्कर्ष– दो पारदर्शक माध्यमों के मिलने के स्थान पर अपवर्तन होता है जिसमें प्रकाश एक पारदर्शक माध्यम से दूसरे पारदर्शक माध्यम में जाने पर अपने पथ से विचलित हो जाता है ।
प्रयोग 2. प्रकाश विक्षेपण का अध्ययन किसी प्रिज्म की सहायता से करना ।
आवश्यक सामग्री – काँच की प्रिज्म, कागज़ की शीट, पेंसिल, गत्ते की शीट आदि ।
विधि :
(i) गत्ते की एक मोटी शीट लीजिए तथा इसके मध्य में एक छोटा छिद्र या एक पतली झिरी बनाइए ।
(ii) पतली झिरी पर सूर्य का प्रकाश पड़ने दीजिए | इससे श्वेत प्रकाश का एक पतला किरणपुंज प्राप्त होता है ।
(iii) फिर काँच का एक प्रिज्म लेकर चित्र के अनुसार झिरी से प्रकाश को इसके एक फलक पर डालिए ।
(iv) प्रिज़्म को धीरे से इतना घुमाइए कि इससे बाहर निकलने वाला प्रकाश पास रखे किसी पर्दे पर दिखाई देने लगे ।
(v) हम वर्णों की एक आकर्षक पट्टी देखेंगे।
अवलोकन – रंगों की एक पट्टी वर्णक्रम प्राप्त होता है।
परिणाम – प्रिज़्म श्वेत प्रकाश को सात रंगों में विभक्त कर देता है जिसे प्रसिद्ध परिवर्णी शब्द VIBGYOR में याद रखा जा सकता है।
प्रयोग 3. प्रकाश प्रकीर्णन टिंडल प्रभाव को प्रदर्शित करने के लिए एक प्रयोग दें।
आवश्यक सामग्री – एक कोलॉइडी विलयन, दो उत्तल लेंस, एक प्रकाश स्रोत एक बीकर, एक कागज़ का पर्दा, एक गत्ता जिसमें एक छेद हो ।
विधि :
(i) एक अभिसारी लेंस के फोकस पर श्वेत प्रकाश का एक स्रोत रखें। यह स्रोत समानांतर प्रकाश-पुंज प्रदान करेगा ।
(ii) प्रकाश के समनांतर किरणपुंज को स्वच्छ जल से भरे एक पारदर्शी काँच के टैंक (T) से गुज़ारिए ।
(iii) किसी एक गत्ते में बने एक वृत्ताकार छिद्र (c) से इस प्रकाश किरण पुंज को गुज़रने दीजिए। एक-अन्य अभिसारी लेंस का प्रयोग करके वृत्ताकार छिद्र का स्पष्ट प्रतिबिंव परदे (MN) पर बनाइए ।
(iv) टैंक में लगभग 2 L स्वच्छ जल लेकर 200g सोडियम थायोसल्फेट घोलिए ।
(v) जल में लगभग 1-2mL सांद्र सल्फ्यूरिक अम्ल डालिए तथा अवलोकन कीजिए ।
अवलोकन :
(i) 2-3 मिनट में ही सल्फर के महीन क्रिस्टल अवक्षेपित हो जाते हैं ।
(ii) काँच के टैंक के तीन ओर से नीले प्रकाश का अवलोकन किया जाता है।
परिणाम :
(i) नीला रंग महीन सल्फर के कणों द्वारा कम तरंगदैर्ध्य के प्रकीर्णन के कारण से होता है ।
(ii) जब हम प्रकाश को टैंक के चौथे तल से देखते हैं, जो गोल छेद के सामने हैं, पहले नारंगी लाल रंग दिखाई देता है और फिर पर्दे पर चमकीला लाल (crimson) रंग दिखाई देता है ।
Haryana Board 10th Class Science Notes Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार
→ नेत्र प्रकाश के माध्यम से इस अद्भुत संसार को देखने में हमें समर्थ बनाते हैं।
→ रेटिना (Ratina)-मानव नेत्र एक कैमरे की तरह होता है, इसका लेंस-निकाय एक प्रकाश सुग्राही पर्दे पर प्रतिबिम्ब बनाता है। इस पर्दे को रेटिना या दृष्टि पटल कहते हैं।
→ सुग्राही कोशिकाएँ (Light-sensitive cells) रेटिना पर प्रकाश सुग्राही कोशिकाएँ होती हैं जो विद्युत सिग्नल उत्पन्न कर उन्हें मस्तिष्क तक पहुँचाती हैं।
→ अभिनेत्र लेंस रेशेदार जैली जैसे पदार्थ से बना होता है।
→ समंजन क्षमता (Power of Accommodation)-अभिनेत्र लेंस की वह क्षमता जिसके कारण वह अपनी फोकस दूरी को समायोजित कर लेता है, समंजन क्षमता कहलाती है।
→ किसी वस्तु को आराम से स्पष्ट रूप से देखने के लिये नेत्रों से इसे कम से कम 25 cm दूर रखना चाहिए।
→ मानव के एक नेत्र का क्षैतिज दृष्टि क्षेत्र लगभग 150° है जबकि दो नेत्रों द्वारा संयुक्त रूप से यह लगभग 180° हो जाता है।
→ दृष्टि के तीन दोष होते हैं-
- निकट दृष्टि दोष,
- दीर्घ दृष्टि दोष,
- जरा दूर दृष्टिता दोष।
→ निकट दृष्टि दोष को उपयुक्त क्षमता के अवतल लेंस द्वारा ठीक किया जा सकता है।
→ दीर्घ दृष्टि दोष को उपयुक्त क्षमता के उत्तल लेंस द्वारा ठीक किया जा सकता है।
→ जरा दूर दृष्टिता दोष दूर करने के लिए द्विफोकसी लेंसों का उपयोग किया जाता है।
→ आजकल संस्पर्श लेंस (Contact lens) अथवा शल्य हस्तक्षेप द्वारा दृष्टि दोषों का संशोधन संभव है।
→ काँच का त्रिभुज प्रिज्म प्रकाश की किरणों को अपवर्तित कर देता है।
→ विक्षेपण (Dispersion)-प्रकाश के अवयवी वर्गों में विभाजन को विक्षेपण कहते हैं।
→ विचलन कोण (Angle of derivation)-प्रिज्म की विशेष आकृति के कारण निर्गत किरण, आपतित किरण की दिशा से एक कोण बनाती है, इस कोण को विचलन कोण कहते हैं।
→ VIBGYOR (Violet, Indigo, Blue, Green, Yellow, Orange, red) वर्णों के क्रम को प्रकट करता है।
→ स्पेक्ट्रम (Spectrum)-सर्वप्रथम न्यूटन ने काँच के प्रिज्म का उपयोग सूर्य के स्पेक्ट्रम को प्राप्त करने के लिए किया था।
→ वायुमंडलीय अपवर्तन के कारण तारे टिमटिमाते प्रतीत होते हैं।
→ वायुमंडलीय अपवर्तन (Atmospheric Refraction) के कारण सूर्य हमें वास्तविक सूर्योदय से लगभग 2 मिनट पहले दिखाई देने लगता है तथा वास्तविक सूर्यास्त के लगभग 2 मिनट पश्चात् तक दिखाई देता है।
→ प्रकीर्णन (Scattering)-प्रकाश का प्रकीर्णन ही आकाश के नीले रंग, समुद्र के रंग, सूर्योदय तथा सूर्यास्त के समय । । सूर्य के लाल रंग का कारण है।
→ टिंडल प्रभाव (Tyndall effect)-कणों से विसरित प्रकाश परावर्तित होकर हमारे पास पहुँचता है।
→ लाल रंग के धुएँ या कुहरे में सबसे कम प्रकाश का प्रकीर्णन होता है इसलिए दूर से देखने पर भी वह लाल ही दिखाई देता है।
→ यदि पृथ्वी पर वायुमंडल न होता तो कोई प्रकीर्णन न हो पाता तब आकाश काला प्रतीत होता।
→ हमारे नेत्रों तक पहुँचने वाला प्रकाश अधिक तरंगदैर्ध्य का होता है, इस कारण से सूर्योदय या सूर्यास्त के समय सूर्य लाल (रक्ताभ) प्रतीत होता है।