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Haryana Board 10th Class Science Solutions Chapter 15 हमारा पर्यावरण

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HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 15 हमारा पर्यावरण

HBSE 10th Class Science हमारा पर्यावरण Textbook Questions and Answers

अध्याय संबंधी महत्त्वपूर्ण परिभाषाएँ/शब्दावली

1. पर्यावरण (Environment)- किसी क्षेत्र की भौतिक, रासायनिक तथा जैविक परिस्थितियाँ जिसमें जीव निवास करता है ।
2. पारितंत्र (Ecosystem)- एक जैविक समुदाय तथा इसके साथ जुड़ा भौतिक पर्यावरण ।
3. पारिस्थितिकी (Ecology ) – विज्ञान की वह शाखा जिसके अंतर्गत जीवों तथा उसके पर्यावरण के बीच संबंध का अध्ययन किया जाता है, जिसमें जैविक तथा अजैविक दोनों प्रकार के कारक आते हैं ।
4. पारितंत्र के घटक (Components of Ecosystem) – भौतिक, रासायनिक तथा जैविक कारक जो पारितंत्र का निर्माण करते हैं।
5. आवश्यक पोषक (Essential Nutrients) – तत्त्व; जैसे C, H, O, N, S, P आदि, जिनकी किसी जीव की वृद्धि व विकास के लिए आवश्यकता होती है।
6. जैव चक्र ( Biogeochemical Cycles) – सजीव, निर्जीव तथा उनके अजैविक पर्यावरण में तत्त्वों के चक्रण की क्रिया ।
उदाहरण-कार्बन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, सल्फर, फॉस्फोरस चक्र आदि ।
7. एंजाइम (Enzymes ) – ये विशेष प्रकार के प्रोटीन होते हैं, जो जैव-रासायनिक क्रियाओं में उत्प्रेरक का कार्य करते हैं।
8. जैव निम्नीकरणीय (Biodegradable ) – वे कार्बनिक पदार्थ जो सूक्ष्मजीव; जैसे जीवाणु, कवक आदि द्वारा साधारण पदार्थों में अपघटित कर दिए जाते हैं। उदाहरण के लिए – कृषि अपशिष्ट ।
9. अजैव निम्नीकरणीय (Non-biodegradable) – वे कार्बनिक या अकार्बनिक पदार्थ जिन्हें मृतोपजीवी कवक या जीवाणु सरल पदार्थों में अपघटित नहीं कर सकते हैं, जैसे प्लास्टिक, पॉलिथीन आदि।
10. जैविक – आवर्धन (Biological Magnification)- किसी खाद्य शृंखला के एक पोषी स्तर से दूसरे पोषी स्तर में लगातार हानिकारक रसायनों (जैसे DDT) की सांद्रता में बढ़ोतरी ।
11. जीवशाला (Aquarium)- मानव निर्मित पारितंत्र जिसे किसी काँच के पात्र में बनाया जाता है । इसमें जलीय पौधे तथा मछली जैसे जलीय जीव होते हैं ।
12. उत्पादक (Producer)- हरे पौधे जो अपना भोजन प्रकाशसंश्लेषण क्रिया द्वारा स्वयं संश्लेषित कर लेते हैं। जीव जो सौर ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तित कर देते हैं ।
13. उपभोक्ता (Consumer) — जीव जो पौधे तथा उनके उत्पादों को खाते हैं, या प्राणियों व उनके उत्पादों को खाते हैं और जो प्रकाश-संश्लेषण नहीं कर सकते।
14. अपघटक (Decomposers) – कुछ जीवाणु व कवक जैसे जीव जो जटिल कार्बनिक यौगिकों को एंजाइमों की सहायता से सरल पदार्थों में अपघटित कर देते हैं और फिर सरल पदार्थों को शरीर की सतह द्वारा अवशोषित कर लेते हैं।
15. प्रकाशसंश्लेषण (Photosynthesis) – हरे पौधों के द्वारा सूर्य की सौर ऊर्जा का सीधे ही रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तन।
16. शाकाहारी (Herbivores) – वे जीव जो केवल पौधों व उनके उत्पादों को खाते हैं, जैसे खरगोश, गाय, भैंस आदि ।
17. माँसाहारी (Carnivores) – वे जंतु जो दूसरे जंतुओं को या उनका माँस खाते हैं, जैसे शेर, बाघ आदि। (ये जीव पौधे या उनके उत्पादों को प्रत्यक्ष रूप में नहीं खाते ) ।
18. सर्वाहारी (Omnivores) — वे जीव जो पौधे व उनके उत्पाद तथा जंतु व उनके उत्पाद; जैसे माँस आदि खाते हैं; जैसे कुछ मनुष्य, कुत्ते, बिल्लियाँ आदि ।
19. परजीवी जीव (Parasites ) – वे जीव जो दूसरे जीवों के शरीर में या उसके ऊपर रहकर पोषण ग्रहण करते हैं; जैसे जूँ, जौंख, चीचड़ आदि ।
20. खाद्य शृंखला (Food Chain) – जीवों की ऐसी शृंखला जिसमें एक जीव पोषण प्राप्त करने के लिए दूसरे जीव को खाता है, जिसमें ऊर्जा एक स्तर से दूसरे उच्च स्तर में स्थानांतरित होती है।
उदाहरण –                    पौधे (वनस्पति) → हिरण → बाघ ।
21. खाद्य जाल (Food Web ) – खाद्य शृंखलाओं की जुड़ी हुई व्यवस्था खाद्य जाल कहलाती है।
22. पोषी स्तर (Trophic Level ) – किसी खाद्य श्रृंखला में किसी जीव की स्थिति / स्तर । उदाहरण के लिए उत्पादक, शाकाहारी, प्रथम स्तर के उपभोक्ता आदि ।
23. 10% का नियम (Law of 10%) – इस नियम के अनुसार किसी खाद्य श्रृंखला में एक पोषी स्तर से दूसरे पोषी स्तर तक संचित ऊर्जा का केवल 10% भाग ही स्थानांतरित होता है ।
24. ओज़ोन (Ozone) – ऑक्सीजन का एक अपररूप जिसका आणविक सूत्र O3 है ।
25. ओज़ोन परत (Ozone Layer) — स्ट्रैटोस्फीयर में विद्यमान ओज़ोन की एक परत जो पृथ्वी को घेरे हुए है ।
26. पराबैंगनी विकिरण (UV Radiations)- निम्न तरंगदैर्ध्य वाले उच्च ऊर्जा विकिरण, जिनकी तरंगदैर्ध्य बैंगनी रंग से कम होती है और जो जीवों पर हानिकारक प्रभाव डाल सकते हैं ।
27. कचरा (Garbage) – सामान्य प्रक्रियाओं से उत्पन्न घरेलू तथा कृषि अपशिष्ट ।
पाठ एक नज़र में
1. पर्यावरण किसी जीव का भौतिक, रासायनिक तथा जैविक वातावरण होता है।
2. औद्योगीकरण तथा मनुष्य के दूसरे क्रियाकलापों के कारण पर्यावरण का ह्रास हुआ है इसलिए पर्यावरण का संरक्षण तथा इसमें कुछ सुधार की आवश्यकता है।
3. मनुष्य द्वारा उत्पादित व्यर्थ पदार्थों को दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है । ये हैं— जैव निम्नीकरणीय तथा अजैव निम्नीकरणीय |
4. वे कुछ पदार्थ जिन्हें सरल पदार्थों में अपघटित नहीं किया जा सकता है, अजैव निम्नीकरणीय कहलाते हैं ।
5. अजैव निम्नीकरणीय पदार्थ जटिल / गंभीर प्रकार के प्रदूषक होते हैं, क्योंकि वे पर्यावरण में बहुत लंबे समय तक विद्यमान रहते हैं ।
6. ऐसे बहुत से पदार्थ पर्यावरण में रहते हैं तथा पर्यावरण व पारितंत्र को प्रदूषित करते हैं ।
7. पारितंत्र में पौधे, जंतु, सूक्ष्मजीव, मनुष्य, उनका भौतिक व रासायनिक पर्यावरण आता है
8. किसी क्षेत्र विशेष में पारस्परिक क्रिया करते हुए जीव तथा पर्यावरण के अजैविक घटक पारितंत्र बनाते हैं l
9. पारितंत्र जैविक तथा अजैविक घटकों से मिलकर बनते हैं ।
10. बाग, तालाब, झीलें, घास के मैदान, वन, समुद्र, खेत आदि सभी पारितंत्र के उदाहरण हैं।
11. पारितंत्र में जीव भोजन के लिए तथा अन्य आवश्यकताओं के लिए अन्य जीवों पर निर्भर करते हैं ।
12. पारितंत्र में जीव एक श्रृंखला बनाते हैं तथा भोजन व अन्य आवश्यकताओं के लिए अन्य जीवों पर निर्भर करते हैं। जीवों का यह क्रम खाद्य श्रृंखला कहलाता है ।
13. परस्पर क्रिया करती हुई खाद्य शृंखलाएँ एक जाल-सा बनाती हैं, जिसे खाद्य जाल कहते हैं ।
14. खाद्य श्रृंखला का प्रत्येक चरण / स्तर पोषी स्तर कहलाता है ।
15. स्वपोषी या उत्पादक प्रथम पोषी स्तर पर होते हैं तथा वे सौर ऊर्जा का स्थिरीकरण करते हैं और इसे अन्य जीवों जैसे विषमपोषी उपभोक्ताओं को उपलब्ध करवाते हैं ।
16. स्थलीय पारितंत्र में हरे पौधे उन पर पड़ने वाले सूर्य के प्रकाश की 1% ऊर्जा को ही ग्रहण कर पाते हैं ।
17. औसतन कोई भी जीव उस द्वारा ग्रहण भोजन का लगभग 10% भाग जैव द्रव्यमान में परिवर्तित कर देता है, जो अगले पोषी स्तर के लिए उपलब्ध रहती है ।
18. अगले स्तर के उपभोक्ताओं को बहुत कम मात्रा में ऊर्जा प्राप्त होती है इसलिए खाद्य श्रृंखलाएँ सामान्यतः 3-4 पोषी स्तरों से मिलकर बनती हैं ।
19. किसी पारितंत्र / खाद्य शृंखला में ऊर्जा प्रवाह केवल एक ही दिशा में होता है ।
20. जब कोई हानिकारक रसायन कम सांद्रता के साथ किसी खाद्य श्रृंखला में प्रवेश करता है, तो यह उच्च पोषी स्तरों में सांद्रित होता चला जाता है और उच्चतम पोषी स्तर में इसकी मात्रा अधिकतम होती है ।
21. मानव क्रियाकलापों ने ओज़ोन परत को पतला कर दिया है जो हमें सूर्य से आने वाली पराबैंगनी विकिरणों से बचाती है।
22. ओज़ोन परत का क्षय CFCs के अधिक उपयोग के कारण हुआ है ।
23. 1987 में UNEP एक समझौता करवाने में सफल हुई, जिसके अनुसार CFC उत्पादन को 1986 के स्तर तक रखने पर सहमति हुई है।
24. ठोस कचरा प्रबंध एक चुनौतीपूर्ण कार्य है क्योंकि प्रतिदिन इसकी बहुत अधिक मात्रा उत्पन्न होती है।
25. हमारे जीवन स्तर में सुधार होने के कारण बहुत अधिक मात्रा में व्यर्थ पदार्थों के उत्पादन में भी बढ़ोतरी हुई है।
26. अधिकतर सामान पैक करने के लिए प्रयुक्त पदार्थ या निवर्तनीय पदार्थ अजैव निम्नीकरणीय होते हैं ।
27. निवर्तनीय पदार्थों के अधिक उपयोग से उनके निपटान की समस्या उत्पन्न हो गई है ।
28. हमें पर्यावरण के स्वास्थ्य के विषय में और अधिक चिंतित होने की आवश्यकता है, क्योंकि पर्यावरण हमारे स्वास्थ्य का ध्यान रखता है ।

HBSE 10th Class Science हमारा पर्यावरण InText Questions and Answers

पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न 

(पाठ्य-पुस्तक पृ. सं. 292)

प्रश्न 1. पोषी-स्तर क्या है? एक आहार श्रृंखला का उदाहरण दीजिए तथा इसमें विभिन्न पोषी स्तर बताइए। 
उत्तर- पोषी-स्तर (Trophic Level) हरे पौधे सौर ऊर्जा की सहायता से अपना भोजन बनाते हैं। इन पौधों को शाकाहारी प्राणियों द्वारा खाया जाता है जिन्हें मांसाहारी प्राणियों द्वारा भोजन के रूप में ग्रहण किया जाता है। इस प्रकार से खाद्य के आहार के अनुसार विभिन्न प्राणियों में एक श्रृंखला निर्मित होती जाती है जिसे आहार श्रृंखला कहते है। आहार श्रृंखला की प्रत्येक कड़ी पोषी स्तर कहलाती है। एक आहार श्रृंखला नीचे दी गई है-
घास → कीट → मेंढ़क → सर्प → बाज

उपरोक्त आहार श्रृंखला में पाँच पोषी स्तर हैं –

  • प्रथम पोषी स्तर घास है जो कि स्वयंपोषी है और उत्पादक कहलाती है।
  • द्वितीय पोषी स्तर कीट है जो शाकाहारी है और प्राथमिक उपभोक्ता कहलाता है।
  • तृतीय पोषी स्तर मेंढ़क है जो मांसाहारी है और द्वितीयक उपभोक्ता कहलाता है।
  • चतुर्थ पोषी स्तर सर्प है जो मांसाहारी है और तृतीयक उपभोक्ता कहलाता है।
  • पंचम पोषी स्तर बाज़ है जो मांसाहारी है और चतुर्थ उपभोक्ता कहलाता है।

प्रश्न 2. पारितंत्र में अपमार्जकों की क्या भूमिका है ?
उत्तर- पारितंत्र में अपमार्जकों (scavengers) का प्रमुख स्थान है। जीवाणु तथा अन्य सूक्ष्म जीव अपमार्जकों का कार्य करते हैं। ये पेड़-पौधों एवं जीव-जन्तुओं के मृत शरीरों पर आक्रमण कर जटिल कार्बनिक पदार्थों को सरल पदार्थों में बदल देते हैं। इसी प्रकार कचरा जैसे- सब्जियों एवं फलों के छिलके, जन्तुओं के मल-मूत्र, पौधों के सड़े-गले भाग अपमार्जकों द्वारा ही विघटित कर दिए जाते हैं। इस प्रकार पदार्थों के पुनः चक्रण में अपमार्जक सहायता करते हैं और वातावरण को स्वच्छ रखते हैं।

(पाठ्य-पुस्तक पृ. सं. 295)

प्रश्न 1. क्या कारण है कि कुछ पदार्थ जैव निम्नीकरणीय होते हैं तथा कुछ अजैव-निम्नीकरणीय ?
उत्तर- ऐसे अपशिष्ट पदार्थ जो सूक्ष्म जीवधारियों द्वारा अपघटित होकर अपेक्षाकृत सरल एवं अहानिकारक पदार्थों में बदल दिए जाते हैं, जैव निम्नीकरणीय पदार्थ कहलाते हैं। उदाहरण के लिए शाक-सब्जियों, फलों आदि के अवशेष तथा मल-मूत्र आदि पदार्थों को सूक्ष्म जीवों द्वारा अपघटित कर दिया जाता है। कुछ पदार्थ ऐसे होते हैं जो इन सूक्ष्म जीव धारियों द्वारा अपघटित नहीं किये जा सकते हैं। ये लम्बे समय तक प्रकृति में बने रहते हैं। यह पदार्थ अजैव निम्नीकरणीय पदार्थ कहलाते हैं जैसे-प्लास्टिक, पॉलीथीन, काँच, डी. डी. टी. आदि।

प्रश्न 2. ऐसे दो तरीके सुझाइए जिनमें जैव निम्नीकरणीय पदार्थ पर्यावरण को प्रभावित करते हैं।
उत्तर- जैव निम्नीकरणीय पदार्थ निम्न प्रकार से पर्यावरण को प्रभावित करते हैं-

  • जैव निम्नीकरणीय पदार्थों के सूक्ष्म जीवों द्वारा विघटन से मुक्त विषाक्त एवं दुर्गन्धमय गैसें पर्यावरण को प्रदूषित करती हैं।
  • कार्बनिक जैव निम्नीकरणीय पदार्थों की अधिकता से ऑक्सीजन की कमी हो जाने से सूक्ष्म जीव नष्ट हो जाते हैं। इसके फलस्वरूप अपघटन क्रिया प्रभावित होती है और पर्यावरण प्रदूषित हो जाता है।

प्रश्न 3. ऐसे दो तरीके बताइए जिनमें अजैव निम्नीकरणीय पदार्थ पर्यावरण को प्रभावित करते हैं।
उत्तर- अजैव निम्नीकरणीय पदार्थ निम्न प्रकार से पर्यावरण को प्रभावित करते हैं-

  • अजैव निम्नीकरणीय पदार्थ लम्बे समय तक पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं। ये पदार्थ विभिन्न पदार्थों के चक्रण में रुकावट उत्पन्न करते हैं।
  • अनेक कीटनाशक तथा पीड़कनाशक रसायन खाद्य श्रृंखला के माध्यम से जीवधारियों तथा मनुष्य के शरीर में पहुँचकर उसे क्षति पहुचाते हैं।

(पाठ्य-पुस्तक पृ. सं. 296)

प्रश्न 1. ओजोन क्या है तथा यह किसी पारितंत्र को किस प्रकार प्रभावित करती है ? 
उत्तर- ओजोन एक गैस है जिसका अणुसूत्र ‘o,’ है तथा इसका प्रत्येक अणु ऑक्सीजन के तीन परमाणुओं से मिलकर बनता है। ओजोन गैस की परत वायुमंडल के समताप मण्डल में पायी जाती है। यह सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैंगनी किरणों को रोकती है। अतः पृथ्वी के जीवों को पराबैंगनी किरणों के घातक प्रभाव से बचाती है। पराबैंगनी किरणें ऑक्सीजन अणुओं को विघटित करके स्वतंत्र ऑक्सीजन (Nascent Oxygen; O) परमाणु बनाती हैं। ऑक्सीजन के ये स्वतंत्र परमाणु संयुक्त होकर ओजोन बनाते हैं।
HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 15 हमारा पर्यावरण 1
यदि वायुमण्डल में ओजोन परत नहीं होती तो हानिकारक पराबैंगनी किरणें पृथ्वी पर पहुँच जाती और मानव सहित विभिन्न जीवधारियों में घातक रोग जैसे कैंसर, आँख के रोग आदि उत्पन्न करती।

प्रश्न 2. आप कचरा निपटान की समस्या कम करने में क्या योगदान कर सकते हैं ?
उत्तर- कचरा निपटान की समस्या कम करने में हम निम्नलिखित योगदान कर सकते हैं-

  • हमें जैव निम्नीकरणीय तथा अजैव निम्नीकरणीय कचरे को अलग-अलग कर लेना चाहिए। अजैव निम्नीकरणीय पदार्थों को पुनः चक्रण हेतु कारखाने भेज देना चाहिए जिससे इन्हें पुनः प्रयोग में लाया जा सके।
  • जैव निम्नीकरणीय पदार्थों का प्रयोग ह्यूमस या खाद बनाने के लिए करना चाहिए जिससे पौधों को उच्च कोटि की खाद उपलब्ध हो सके।

HBSE 10th Class Science हमारा पर्यावरण Textbook Questions and Answers

पाठ्य-पुस्तक के अभ्यास प्रश्न 

प्रश्न 1. निम्न में से कौन से समूहों में केवल जैव निम्नीकरणीय पदार्थ हैं?
(a) घास, पुष्प तथा चमड़ा
(b) घास, लकड़ी तथा प्लास्टिक
(c) फलों के छिलके, केक एवं नीबू का रस
(d) केक, लकड़ी एवं घास।
उत्तर-(c) एवं (d)।

प्रश्न 2. निम्न में से कौन आहार श्रृंखला का निर्माण करते हैं?
(a) घास, गेहूँ तथा आम
(b) घास, बकरी तथा मानव
(c) बकरी, गाय तथा हाथी
(d) घास, मछली तथा बकरी
उत्तर- (b) घास, बकरी तथा मानव।

प्रश्न 3. निम्न में से कौन पर्यावरण-मित्र व्यवहार कहलाते हैं?
(a) बाजार जाते समय सामान के लिए कपड़े का थैला ले जाना।
(b) कार्य समाप्त हो जाने पर लाइट (बल्ब) तथा पंखे का स्विच बंद करना।
(c) माँ द्वारा स्कूटर विद्यालय छोड़ने की बजाय तुम्हारा विद्यालय तक पैदल जाना।
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर- (d) उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 4. क्या होगा यदि हम एक पोषी स्तर के सभी जीवों को समाप्त कर दें (मार डाले)?
उत्तर- एक पोषी स्तर के सभी जीवों को समाप्त कर देने से पारिस्थितिक असंतुलन उत्पन्न हो जाएगा। प्रकृति में सभी आहार श्रृंखलाएँ अनेक कड़ियों से मिलकर बनी हैं। इसकी प्रत्येक कड़ी एक पोषी स्तर कहलाती है। यदि आहार श्रृंखला की किसी भी कड़ी (पोषी स्तर) को समाप्त कर दें तो उससे पहले के पोषी स्तर में जीवों की संख्या अत्यधिक बढ़ जाएगी और उसके बाद के पोषी स्तर के लिए भोजन अनुपलब्ध होने के कारण संख्या घट जाएगी। उदाहरण के लिए यदि हम प्रथम पोषी स्तर (हरी घास) को नष्ट कर दें तो इन पर निर्भर करने वाले सभी जीव भूखे मर जाएँगे।

प्रश्न 5. क्या किसी पोषी स्तर के सभी सदस्यों को हटाने का प्रभाव भिन्न-भिन्न पोषी स्तरों के लिए अलगअलग होगा? क्या किसी पोषी स्तर के जीवों को पारितंत्र को प्रभावित किए बिना हटाना संभव है ?
उत्तर- नहीं, यदि एक पोषी स्तर के जीवों को नष्ट कर दिया जाए तो पहले तथा बाद के पोषी स्तरों में आने वाले जीवधारी प्रभावित होंगे और पहले तीव्रता से तत्पश्चात् धीमी गति से सभी पोषी स्तर प्रभावित होंगे। किसी भी पोषी स्तर (trophic level) के सभी जीवधारी पारितंत्र में बिना किसी हानि के अथवा क्षति के समाप्त नहीं होते।

प्रश्न 6. जैविक आवर्धन (Biological Magnification) क्या है ? क्या पारितंत्र के विभिन्न स्तरों पर जैव आवर्धन का प्रभाव भी भिन्न-भिन्न होगा?
उत्तर- फसलों में अनेक रसायनों जैसे-कीटनाशी, पीड़कनाशी, शाकना ी तथा उर्वरकों का प्रयोग किया जाता है। इनका कुछ भाग मृदा में मिल जाता है जो पौधों द्वारा ग्रहण कर लिया जाता है. जबकि इनका कछ भाग वर्षा जल के साथ घुल कर जलाशयों में चला जाता है। जलीय पौधे इन्हें अवशोषित करते हैं जिससे यह खाद्य श्रृंखला में प्रवेश कर जाते हैं। ये रसायन अजैव निम्नीकरणीय होते हैं जो आहार श्रृंखला के विभिन्न पोषीस्तरों में संचित होते जाते हैं, इस प्रक्रम को जैव आवर्धन कहते हैं। हाँ, विभिन्न पोषी स्तरों में रसायनों की सान्द्रता भिन्न-भिन्न होती है। जैसे-जैसे आहार श्रृंखला की श्रेणी बढ़ती जाती है रसायनों की सांद्रता में भी अधिकता होती रहती है और उसका प्रभाव भी बढ़ता जाता है।

प्रश्न 7. हमारे द्वारा उत्पादित अजैव निम्नीकरणीय कचरे से कौन-कौन सी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं ? .
उत्तर- हमारे द्वारा उत्पादित अजैव निम्नीकरणीय पदार्थों जैसे-प्लास्टिक, चमड़ा, काँच, डी. डी. टी. आदि से युक्त कचरे से अनेक समस्याएँ उत्पन्न होती हैं-

  • प्लास्टिक जैसे पदार्थों को निगल लेने से शाकाहारी जन्तुओं की मृत्यु हो सकती है।
  • नाले-नालियों में अवरोध उत्पन्न होता है।
  • मृदा प्रदूषण बढ़ता है।
  • जीवधारियों में जैविक आवर्धन होता है।
  • जल एवं वायु प्रदूषण बढ़ता है।
  • पर्यावरण अस्वच्छ होता है।
  • पारिस्थितिक संतुलन में अवरोध उत्पन्न होता है।
  • भूमि की उत्पादकता कम होती है।

प्रश्न 8. यदि हमारे द्वारा उत्पादित सारा कचरा जैव निम्नीकरणीय ही, तो क्या इनका हमारे पर्यावरण पर कोई प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर- यदि हमारे द्वारा (उत्पादित) सारा कचरा जैव निम्नीकरणीय हो तो निपटान आसानी से कर दिया जाएगा। जैव निम्नीकरणीय पदार्थ सरलता से सूक्ष्म जीवों द्वारा अपघटित कर दिए जाते हैं। अतः इनसे हमारे पर्यावरण पर कोई हानिकारक प्रभाव नहीं पड़ेगा।

प्रश्न 9. ओजोन परत की क्षति हमारे लिए चिंता का विषय क्यों है ? इस क्षति को सीमित करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं ? 
उत्तर- ओजोन परत सूर्य की पराबैंगनी किरणों से पृथ्वी पर जीवन की रक्षा करती है। यह सूर्य से आने वाले हानिकारक विकिरण को सोख लेती है। यह विकिरण हमारे शरीर में विभिन्न व्याधियों जैसे-कैंसर, त्वचा रोग, आँखों के रोग आदि उत्पन्न कर सकता है। रेफ्रिजरेशन वक्स, एरोसोल, जेट यानों आदि से उत्सर्जित रसायन जैसे-क्लोरोफ्लुओरो कार्बन्स (CFCs) ओजोन परत का क्षरण करते हैं जिससे सूर्य की पराबैगनी किरणों (UV-rays) के पृथ्वी पर आने की सम्भावना बढ़ रही है अतः ओजोन परत की क्षति हमारे लिए चिन्ता का विषय है।

ओजोन परत की क्षति को रोकने के लिए 1987 में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) में सर्वसम्मति से यह पारित हुआ कि क्लोरोफ्लुओरो कार्बन का उत्पादन 1986 के स्तर पर सीमित रखा जाए। मांट्रियल प्रोटोकॉल में 1987 में यह पारित हुआ कि 1998 तक इसके प्रयोग में 50% तक की कमी लायी जाए। धीरे-धीरे सभी देश इस समस्या से निपटने के लिए अग्रसर हो रहे हैं।

Haryana Board 10th Class Science Important Questions Chapter 15 हमारा पर्यावरण

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न (Very short Answer Type Questions)

बहुविकल्पीय प्रश्न (Objective Type Questions)

1. किसी पारितंत्र के घटक हैं
(A) उत्पादक
(B) उपभोक्ता
(C) अपघटक
(D) यह सभी।
उत्तर- (D) यह सभी।

2. निम्नलिखित में से कौन-सा पदार्थ अजैव निम्नीकरणीय है?
(A) कागज
(B) प्लास्टिक
(C) कृषि अपशिष्ट
(D) पशु मल-मूत्र
उत्तर-(B) प्लास्टिक
3. निम्नलिखित में से कौन-सा पदार्थ जैव निम्नीकरणीय है?
(A) फल सब्जियों के छिलके
(B) काँच
(C) धातु के टुकड़े
(D) DDT
उत्तर – (A) फल सब्जियों के छिलके
4. पॉलिथीन है –
(A) जैव निम्नीकरणीय
(B) अजैव निम्नीकरणीय
(C) जैव निम्नीकरणीय लेकिन अधिक समय लेता है
(D) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर- (B) अजैव निम्नीकरणीय
5. पर्यावरण / पारितंत्र के भौतिक घटक हैं –
(A) तापमान
(B) वर्षा/नमी
(C) मृदा
(D) उपरोक्त सभी
उत्तर- (D) उपरोक्त सभी
6. निम्नलिखित में से कौन-सा एक प्राकृतिक पारितंत्र है?
(A) उद्यान
(B) खेत
(C) जीवशाला
(D) नदी
उत्तर – (D) नदी
7. निम्नलिखित में से कौन एक मानव निर्मित पारितंत्र है?
(A) खेत
(B) समुद्र
(C) वन
(D) मरुस्थल
उत्तर – (A) खेत
8. अपघटक हैं –
(A) स्वपोषी
(B) विषमपोषी
(C) मृतजीवी
(D) परजीवी
उत्तर – (C) मृतजीवी
9. मृतजीवी के उदाहरण हैं –
(A) पौधे
(B) जंतु
(C) कुछ जीवाणु व कवक
(D) कीट
उत्तर – (C) कुछ जीवाणु व कवक
10. तिलचट्टा है एक-
(A) शाकाहारी
(B) माँसाहारी
(C) डैट्रीवोर
(D) सर्वाहारी
उत्तर – (D) सर्वाहारी
11. एंजाइम अपनी क्रिया में हैं –
(A) हमेशा विशिष्ट
(B) हमेशा अविशिष्ट
(C) कभी-कभी विशिष्ट
(D) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर – (A) हमेशा विशिष्ट
12. पौधे हैं—
(A) उत्पादक
(B) स्वपोषी
(C) प्रथम पोषी स्तर के जीव
(D) उपरोक्त सभी
उत्तर – (D) उपरोक्त सभी
13. जंतुओं को वर्गीकृत किया जा सकता है –
(A) उत्पादक में
(B) उपभोक्ता में
(C) अपघटक में
(D) परजीवी में
उत्तर –(A) उत्पादक में
14. प्रकाशसंश्लेषण में पौधे सौर ऊर्जा को रूपांतरित करते हैं –
(A) रासायनिक ऊर्जा में
(B) ऊष्मा ऊर्जा में
(C) विद्युत ऊर्जा में
(D) विकिरण ऊर्जा में
उत्तर –(A) रासायनिक ऊर्जा में
15. अधिकतर उत्पादक खाद्य शृंखलाओं में कितने पोषी स्तर होते हैं?
(A) 3
(B) 6
(C) < 6
(D) 1
उत्तर – (A) 3
16. अधिकतर कवक हैं –
(A) उत्पादक
(B) मृतजीवी
(C) अपघटक
(D) (B) तथा (C) दोनों
उत्तर – (D) (B) तथा (C) दोनों
17. स्थलीय पारितंत्र में हरे पौधे सौर ऊर्जा का कितना % भाग ग्रहण करते हैं?
(A) 100%
(B) 99%
(C) 1%
(D) 53%
उत्तर – (C) 1%
18. एक पोषी स्तर से दूसरे पोषी स्तर तक औसतन कितनी ऊर्जा स्थानांतरित होती है ?
(A) 1%
(B) 10%
(C) 90%
(D) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर – (B) 10%
19. निम्नलिखित में से कौन-सी एक प्रमुख पर्यावरणीय समस्या है ?
(A) वैश्विक ऊष्मन / हरितगृह प्रभाव
(B) ओज़ोन क्षय
(C) पर्यावरण प्रदूषण
(D) उपरोक्त सभी
उत्तर – (D) उपरोक्त सभी
20. ओज़ोन परत अवशोषित करती है-
(A) दृश्य प्रकाश
(B) अवरक्त प्रकाश
(C) पराबैंगनी विकिरण
(D) कॉस्मिक किरणें
उत्तर – (C) पराबैंगनी विकिरण
21. पराबैंगनी विकिरणों के कारण हो सकता है –
(A) मोतियाबिंद
(B) त्वचा कैंसर
(C) उत्परिवर्तन
(D) उपरोक्त सभी
उत्तर – (D) उपरोक्त सभी
22. ओज़ोन क्षय किसके कारण हो सकता है?
(A) हाइड्रोकार्बन
(B) O2
(C) CFCs
(D) NO2
उत्तर – (C) CFCs
23. ओज़ोन किससे बनती है ?
(A) हाइड्रोजन से
(B) ऑक्सीजन से
(C) मिथेन से
(D) जल से
उत्तर – (B) ऑक्सीजन से
24. मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल निम्नलिखित में से किसके सीमित उत्पादन व उपयोग से संबंधित है?
(A) CFCs
(B) CO2
(C) NH3
(D) हाइड्रोकार्बन
उत्तर – (A) CFCs
25. पर्यावरण दिवस मनाया जाता है –
(A) 1 दिसम्बर
(B) 22 अप्रैल
(C) 16 सितम्बर
(D) 5 जून
उत्तर – (D) 5 जून
26. ओज़ोन संरक्षण दिवस मनाया जाता है –
(A) 16 सितम्बर
(B) 5 जून
(C) 22 अप्रैल
(D) 4 अक्तूबर
उत्तर – (A) 16 सितम्बर
27. रेलगाड़ियों में निवर्तनीय कपों के स्थान पर कुल्हड़ों के प्रयोग पर पाबंदी लगा दी गई क्योंकि –
(A) कुल्हड़ स्वच्छ नहीं होते
(B) बहुत अधिक मात्रा में उपजाऊ मिट्टी की हानि होती है
(C) कुल्हड़ महँगे हैं
(D) कागज़ के कप उपलब्ध हैं
उत्तर – (B) बहुत अधिक मात्रा में उपजाऊ मिट्टी की हानि होती है
28. पारितंत्र के जैविक घटक हैं –
(A) ताप
(B) वर्षा
(C) खनिज
(D) पौधे/सूक्ष्मजीव
उत्तर – (D) पौधे/सूक्ष्मजीव
29. पर्यावरण के अजैविक घटक हैं –
(A) पौधे तथा जंतु
(B) मृदा, जल, वायु, खनिज
(C) प्रकाश, तापमान, दाब
(D) (B) तथा (C) दोनों
उत्तर – (D) (B) तथा (C) दोनों
30. वे जीव जो अन्य जीवों (पौधे तथा जंतु ) के शरीर को सरल पदार्थों में तोड़ते हैं, कहलाते हैं –
(A) उत्पादक
(B) उपभोक्ता
(C) अपघटक
(D) परजीवी
उत्तर – (C) अपघटक
31. वे जीव जो अपना भोजन स्वयं संश्लेषित करते हैं, उन्हें कहते हैं –
(A) उपभोक्ता
(B) उत्पादक
(C) अपघटक
(D) परजीवी
उत्तर – (B) उत्पादक
32. वे जीव जो केवल पौधों द्वारा संश्लेषित भोजन को अपने लिए प्रयोग करते हैं, कहलाते हैं –
(A) शाकाहारी
(B) मांसाहारी
(C) उत्पादक
(D) सर्वाहारी
उत्तर – (A) शाकाहारी
33. निम्नलिखित में से कौन-सा जीव शाकाहारी है?
(A) टिड्डा
(B) मेंढक
(C) साँप
(D) शेर
उत्तर – (A) टिड्डा
34. निम्नलिखित में से कौन-सा जीव उच्चतम माँसाहारी है?
(A) बाघ
(B) बाज
(C) शेर
(D) उपरोक्त सभी
उत्तर – (D) उपरोक्त सभी
35. निम्नलिखित में से कौन-सा जीव माँसाहारी है ?
(A) हिरण
(B) टिड्डा
(C) मेंढक
(D) खरगोश
उत्तर – (C) मेंढक
36. हानिकारक रसायन जैसे पीड़कनाशी खाद्य श्रृंखला में निम्नलिखित में से किसमें प्रवेश करते हैं ?
(A) उत्पादक
(B) उपभोक्ता
(C) शाकाहारी
(D) माँसाहारी
उत्तर – (A) उत्पादक
37. निम्नलिखित में से कौन पारितंत्र (Eco-system) का अजैव घटक नहीं है?
(A) वायु
(B) ताप
(C) वर्षा
(D) पौधे
उत्तर – (D) पौधे
38. एक खाद्य श्रृंखला में वनस्पति (पौधे), बाज, मेंढक, टिड्डा सम्मिलित हैं, इनमें से कौन-सा चौथे पोषी स्तर पर है?
(A) पौधे
(B) बाज
(C) मेंढक
(D) टिड्डा
उत्तर – (B) बाज
39. एक खाद्य श्रृंखला में जलप्लवक, कीट, मछलियाँ, पलीकन (पक्षी) हैं। खाद्य श्रृंखला में प्रवेश करने वाले पीड़कनाशी की सांद्रता किसमें अधिकतम होगी?
(A) जलप्लवक
(B) कीट
(C) मछली
(D) पक्षी
उत्तर – (D) पक्षी
40. एक खाद्य जाल में होती हैं-
(A) एक खाद्य शृंखला
(B) कई खाद्य शृंखलाएँ
(C) केवल दो खाद्य श्रृंखलाएँ
(D) जुड़ी हुई खाद्य श्रृंखलाएँ
उत्तर – (D) जुड़ी हुई खाद्य शृंखलाएँ
41. शाकाहारी कौन-से पोषी स्तर पर आते हैं ?
(A) प्रथम
(B) द्वितीय
(C) तृतीय
(D) चतुर्थ
उत्तर – (B) द्वितीय
42. खाद्य श्रृंखला में अंतिम पोषी स्तर होता है –
(A) माँसाहारी
(B) उच्चतम माँसाहारी
(C) अपघटक
(D) उत्पादक
उत्तर – (C) अपघटक
43. द्वितीय उपभोक्ता कौन-से पोषी स्तर पर आते हैं ?
(A) प्रथम
(B) द्वितीय
(C) तृतीय
(D) चतुर्थ
उत्तर – (C) तृतीय
44. किसी पारितंत्र के जैविक घटक है –
(A) उत्पादक
(B) उपभोक्ता
(C) अपघटक
(D) उपरोक्त सभी
उत्तर – (D) उपरोक्त सभी
45. निम्नलिखित में से कौन अजैविक पर्यावरण का भाग नहीं है?
(A) मृदा
(B) जल
(C) शैवाल
(D) तापमान
उत्तर – (C) शैवाल
46. एक पारितंत्र में होते हैं –
(A) केवल पौधे व जंतु
(B) अपघटक
(C) अजैविक पर्यावरण
(D) उपरोक्त सभी
उत्तर – (D) उपरोक्त सभी
47. अम्लीय वर्षा का कारण है –
(A) SO2
(B) CO2
(C) NO2
(D) उपरोक्त सभी
उत्तर – (D) उपरोक्त सभी
48. निम्नलिखित में से किसमें DDT की अधिकतम सांद्रता होगी?
(A) पादपप्लवक
(B) प्राणीप्लवक
(C) छोटी मछलियाँ
(D) पलीकन (पक्षी)
उत्तर – (D) पलीकन (पक्षी)
49. हरितगृह प्रभाव मुख्यतः किसके कारण होता है ?
(A) O2
(B) N2
(C) CO2
(D) जल वाष्प
उत्तर- (C) CO2
50. वायुमंडल का वह क्षेत्र जिसमें ओज़ोन विद्यमान है, कहलाता है –
(A) क्षोभमंडल
(B) समतापमंडल
(C) आयनमंडल
(D) तापमंडल
उत्तर – (B) समतापमंडल,
51. सीवेज़ जल द्वारा पीने के पानी को संदूषित होने से होता है –
(A) पेचिश
(B) पीलिया
(C) हैजा
(D) उपरोक्त सभी
उत्तर – (D) उपरोक्त सभी

Haryana Board 10th Class Science Important Questions Chapter 15 हमारा पर्यावरण

 एक शब्द / वाक्यांश प्रश्न
प्रश्न 1. पर्यावरण क्या है?
उत्तर – पर्यावरण किसी जीव का भौतिक, रासायनिक तथा जैविक वातावरण है जिसमें वह जीव निवास करता है ।
प्रश्न 2. पर्यावरण में क्या-क्या निहित है ?
उत्तर – पर्यावरण में जैविक तथा अजैविक घटक निहित हैं। –
प्रश्न 3. पर्यावरण के हास का क्या अर्थ है ?
उत्तर – अधिक कचरा व अधिक प्रदूषण उत्पन्न होने से पर्यावरण ( वायुमंडल आदि) की गुणवत्ता में कमी आना पर्यावरण का ह्रास कहलाता है ।
प्रश्न 4. एंजाइम अपनी क्रिया में विशेष होते हैं, इसका क्या अर्थ है ?
उत्तर – एंजाइम विशेष पदार्थों पर क्रिया करते हैं । वे केवल विशेष पदार्थ पर / की क्रिया की गति को कम या अधिक कर सकते हैं ।
प्रश्न 5. दो मानव निर्मित पारितंत्रों के नाम बताएँ ।
उत्तर – (i) जीवशाला, (ii) फसली खेत ।
प्रश्न 6. उत्पादक क्या होते हैं?
उत्तर – हरे पौधे जो अपना भोजन प्रकाशसंश्लेषण क्रिया द्वारा स्वयं संश्लेषित कर लेते हैं, उत्पादक कहलाते हैं, इन्हें स्वपोषी भी कहते हैं ।
प्रश्न 7. ‘प्रकाशसंश्लेषण’ को परिभाषित करें ।
उत्तर – हरे पौधों द्वारा सूर्य की ऊर्जा (सौर ऊर्जा) का सीधे ही रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तन, प्रकाशसंश्लेषण कहलाता है।
प्रश्न 8. जीवशाला क्या है?
उत्तर- यह एक मानव निर्मित पारितंत्र है जिसमें जल, शैवाल, जलीय पौधे, मछलियाँ आदि होती हैं ।
प्रश्न 9. पारितंत्र क्या है ?
उत्तर – पारितंत्र एक स्वःनिर्भर तंत्र होता है जिसमें जैविक व अजैविक घटक एक-दूसरे पर निर्भर करते हैं ।
प्रश्न 10. काँच, प्लास्टिक, धातु के बर्तन आदि पर्यावरण में लंबे समय तक क्यों बने रहते हैं ?
उत्तर—क्योंकि ये अजैव निम्नीकरणीय हैं और जीवाणुओं व कवक के द्वारा बिना अपघटित हुए पर्यावरण में बने रहते हैं।
प्रश्न 11. मानव द्वारा उत्पादित कचरे के दो वर्ग बताइए ।
उत्तर – (i) जैव निम्नीकरणीय, (ii) अजैव निम्नीकरणीय |
प्रश्न 12. अजैव निम्नीकरणीय पदार्थ कौन-से होते हैं ?
उत्तर – वे पदार्थ जिन्हें अपघटक सरल पदार्थों में अपघटित नहीं कर सकते, अजैव निम्नीकरणीय पदार्थ कहलाते हैं ।
प्रश्न 13. अजैव निम्नीकरणीय पदार्थों के दो उदाहरण बताएँ ।
उत्तर – काँच, प्लास्टिक, DDT, पॉलिथीन आदि ।
प्रश्न 14. जैव निम्नीकरणीय पदार्थ कौन-से होते हैं ?
उत्तर – वे पदार्थ जिन्हें सूक्ष्मजीव अपघटित करके सरल पदार्थों में बदल देते हैं, जैव निम्नीकरणीय पदार्थ कहलाते हैं ।
प्रश्न 15. जैव निम्नीकरणीय पदार्थों के दो उदाहरण दें ।
उत्तर – गोबर, कृषि अपशिष्ट, फल, सब्जियाँ, कागज़, मृत जंतु व पौधे इत्यादि ।
प्रश्न 16. जीवमंडल की संरचनात्मक तथा कार्यात्मक इकाई …………. है। 
उत्तर- – पारितंत्र ।
प्रश्न 17. खाद्य श्रृंखला क्या है ?
उत्तर – किसी पारितंत्र में जीवों की श्रृंखला जिसमें एक जीव दूसरे जीव को खाता है तथा स्वयं अन्य जीव द्वारा खाया जाता है, खाद्य शृंखला कहलाती है।
प्रश्न 18. जलीय खाद्य शृंखला का एक उदाहरण दें ।
उत्तर – जलप्लवक → कीट लारवा → छोटी मछली → बड़ी मछली ।
प्रश्न 19. खाद्य जाल क्या है ?
उत्तर – खाद्य शृंखलाओं की जुड़ी हुई व्यवस्था खाद्य जाल कहलाती है।
प्रश्न 20. पोषी स्तर से क्या अभिप्राय है?
उत्तर – खाद्य शृंखला का प्रत्येक स्तर या सोपान जहाँ पर ऊर्जा का आदान-प्रदान होता है, पोषी स्तर कहलाता है।
प्रश्न 21. एक खाद्य शृंखला में 6 से अधिक पोषी स्तर क्यों नहीं होते ?
उत्तर – क्योंकि उच्चतम पोषी स्तर पर उपलब्ध ऊर्जा बहुत ही कम होती है और जीवों का इतनी कम ऊर्जा के साथ जीवित रहना कठिन होता है ।
प्रश्न 22. पौधों के पत्तों पर आच्छादित कुल ऊर्जा का कितने प्रतिशत भाग रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तित होता है ?
उत्तर – केवल 1% भाग ।
प्रश्न 23. पारितंत्र किससे मिलकर बना होता है ?
उत्तर – पारितंत्र जैविक तथा अजैविक घटकों से मिलकर बना होता है ।
प्रश्न 24. अपघटक क्या होते हैं ?
उत्तर – वे मृतजीवी सूक्ष्मजीव; जैसे कवक व जीवाणु जो जटिल कार्बनिक पदार्थों को सरल कार्बनिक पदार्थों में अपघटित कर देते हैं, अपघटक कहलाते हैं ।
प्रश्न 25. यू०एन०ई०पी० (UNEP) को विस्तारित कीजिए ।
उत्तर – संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (United Nations Environment Programme)।
प्रश्न 26. हरे पौधों को उत्पादक क्यों कहते हैं ?
उत्तर – क्योंकि हरे पौधे प्रकाशसंश्लेषण द्वारा अपने व दूसरों के लिए भोजन संश्लेषित करते हैं ।
प्रश्न 27. स्वपोषी क्या होते हैं?
उत्तर – पौधे तथा शैवाल जो अपना भोजन पोषण स्वयं संश्लेषित कर लेते हैं, स्वपोषी कहलाते हैं ।
प्रश्न 28. शाकाहारी जीव कौन-से होते हैं ?
उत्तर – वे जीव जो अपने पोषण के लिए केवल पौधों तथा उनके उत्पादों पर निर्भर करते हैं, शाकाहारी जीव कहलाते हैं।
प्रश्न 29. दो शाकाहारी जीवों के उदाहरण दें।
उत्तर — गाय, हिरण, टिड्डा, खरगोश आदि ।
प्रश्न 30. माँसाहारी जीव क्या होते हैं ?
उत्तर – वे जीव जो केवल अन्य जीवों या उनका माँस खाकर निर्वाह करते हैं, माँसाहारी जीव कहलाते हैं ।
प्रश्न 31. दो उच्चतम माँसाहारियों के उदाहरण दें।
उत्तर – शेर, बाघ ।
प्रश्न 32. सर्वाहारी जीव क्या हैं?
उत्तर – वे जीव जो अपने पोषण के लिए पादप उत्पाद (पौधे ) तथा जंतु उत्पाद (माँस) दोनों पर निर्भर करते हैं, सर्वाहारी कहलाते हैं ।
प्रश्न 33. सर्वाहारियों के उदाहरण दें ।
उत्तर – तिलचट्टा, कुत्ता, बिल्ली, मानव आदि ।
प्रश्न 34. विषमपोषी क्या होते हैं?
उत्तर – वे जीव जो अपना भोजन स्वयं संश्लेषित नहीं कर सकते बल्कि प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पौधों पर निर्भर करते हैं, विषमपोषी कहलाते हैं ।
प्रश्न 35. परजीवी क्या हैं?
उत्तर – वे जीव जो दूसरे जीव के शरीर में या उसके ऊपर रहकर पोषण ग्रहण करते हैं, परजीवी कहलाते हैं ।
प्रश्न 36. मानव परजीवियों के दो उदाहरण बताएँ ।
उत्तर – (i) प्लाज्मोडियम ( मलेरिया परजीवी), (ii) फीताकृमि, गोलकृमि ।
प्रश्न 37. एक पादप परजीवी का उदाहरण दें ।
उत्तर – अमर बेल ।
प्रश्न 38. अपघटकों के द्वारा पारितंत्र का कौन-सा महत्त्वपूर्ण कार्य किया जाता है ?
उत्तर – पोषक तत्त्वों का पुनःचक्रीकरण ।
प्रश्न 39. क्या होगा यदि पारितंत्र से अपघटकों का पूर्णतया सफाया कर दिया जाए ?
उत्तर- – यह पारितंत्र की कार्य प्रणाली में बाधा उत्पन्न करेगा तथा इससे जैव-रासायनिक चक्र रुक जाएगा ।
प्रश्न 40. क्लोरोफिल / पर्णहरिम क्या है ?
उत्तर – पौधों में पाया जाने वाला हरे रंग का वर्णक जो सौर ऊर्जा को ग्रहण कर लेता है, पर्णहरिम कहलाता है ।
प्रश्न 41. ……………. पदार्थ जैविक प्रक्रिया के द्वारा अपघटित नहीं हो सकते ।
उत्तर – अजैव निम्नकरणीय पदार्थ ।
प्रश्न 42. पौधे सौर ऊर्जा को …………… के रूप में संचित करते हैं ।
उत्तर – रासायनिक ऊर्जा ।
प्रश्न 43. एक पोषी स्तर से दूसरे ( उच्च ) पोषी स्तर तक ………….. प्रतिशत ऊर्जा का स्थानांतरण होता है ।
उत्तर – केवल 10%।
प्रश्न 44. क्या पौधे वास्तव में ऊर्जा का उत्पादन करते हैं ?
उत्तर – नहीं, वे केवल ऊर्जा के एक प्रकार को अन्य प्रकार में परिवर्तित करते हैं ।
प्रश्न 45.10% का नियम क्या है ?
उत्तर – एक पोषी स्तर से दूसरे पोषी स्तर तक केवल 10% ऊर्जा का ही स्थानांतरण होता है, शेष 90% ऊर्जा जीव अपने वृद्धि व विकास उपापचय के लिए ही प्रयोग कर लेते हैं ।
प्रश्न 46. ओज़ोन छिद्र से क्या अभिप्राय है?
उत्तर — ओज़ोन परत का कुछ विशेष क्षेत्रों में पतला होना ओज़ोन छिद्र कहलाता है l
प्रश्न 47. ……………… हानिकारक किरणें हैं, जिन्हें ओज़ोन परत पृथ्वी पर आने से रोकती हैं ।
उत्तर – पराबैंगनी ।
प्रश्न 48. ओज़ोन ऑक्सीजन से किस प्रकार बनती है ? केवल समीकरण दें ।
उत्तर – 3O2 → 2O3
प्रश्न 49. ओजोन व ऑक्सीजन के बीच एक अंतर बताएँ ।
उत्तर — ऑक्सीजन जीवों के जीवित रहने के लिए आवश्यक है तथा ओज़ोन एक जहरीली गैस है वह वायुमंडल की पृथ्वी की समीप वाली सतह में विद्यमान है।
प्रश्न 50. ओज़ोन क्षय से क्या अभिप्राय है?
उत्तर — ओज़ोन परत का पतला होना या लुप्त होना, ओज़ोन क्षय कहलाता है ।
प्रश्न 51. दो ओज़ोन क्षय करने वाले पदार्थों (ODS) के नाम लिखें।
उत्तर – क्लोरोफ्लुओरोकार्बन (CFCs) तथा एयरोसोल ।
प्रश्न 52. CFCs का उपयोग कहाँ होता है ?
उत्तर – शीतलन में तथा अग्निशमन में ।
प्रश्न 53. क्या ओज़ोन एक हरितगृह गैस है ?
उत्तर – हाँ, यह हरितगृह प्रभाव को बढ़ावा देती है l
प्रश्न 54. मृदा प्रदूषण का मुख्य कारण क्या है ? 
उत्तर – घरों से तथा उद्योगों से निकला ठोस कचरा जिसे भूमि पर फेंक दिया जाता है।
प्रश्न 55. रेलगाड़ियों में चाय आदि के लिए कुल्हड़ के प्रयोग को क्यों बंद कर दिया गया है ?
उत्तर – क्योंकि कुल्हड़ बनाने में ऊपरी उपजाऊ भूमि की हानि होती है ।
प्रश्न 56. पृथ्वी को पराबैंगनी किरणों से बचाने वाली परत का नाम …………… होता है ।
उत्तर – ओज़ोन।
प्रश्न 57. उस पदार्थ का नाम बताएँ जिसे जैविक विधि द्वारा विखंडित किया जाता है ।
उत्तर — जैव निम्नीकरणीय पदार्थ |

Haryana Board 10th Class Science Important Questions Chapter 15 हमारा पर्यावरण

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1. जैव निम्नीकरणीय तथा अजैव निम्नीकरणीय प्रदूषकों में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- जैव निम्नीकरणीय तथा अजैव निम्नीकरणीय प्रदूषकों में अन्तर

जैव निम्नीकरणीय प्रदूषक अजैव निम्नीकरणीय प्रदूषक
1. ये सूक्ष्म जीवों द्वारा अपघटित हो जाते हैं। 1. ये सूक्ष्म जीवों द्वारा अपघटित नहीं होते हैं।
2. इनका चक्रीकरण सम्भव है। 2. इनका चक्रीकरण संभव नहीं है।
3. ये अत्यधिक मात्रा में उत्पन्न होते हैं। उदाहरण-फल तथा सब्जियों के छिलके, घरेलू मल-मूत्र, कागज, कृषि अपशिष्ट, लकड़ी, कपड़ा आदि। 3. ये कम मात्रा में उत्पन्न होते हैं। उदाहरण – प्लास्टिक, शीशा, पीड़कनाशी, डी. डी.टी, पारा, चमड़ा आदि।

प्रश्न 2. अपशिष्ट के निपटारे की समस्या को कम करने में हम किस प्रकार सहायता कर सकते हैं ? तीन विधियाँ सुझाइए। 
उत्तर- अपशिष्ट निपटारे की प्रमुख तीन विधियाँ निम्नलिखित हैं-

  • पुनः चक्रण (Recycling) : इस्तेमाल की गई पुरानी वस्तुओं को इकट्ठा कर उन्हें संबंधित उद्योगों को पुन: चक्रण के लिए देना। जैसे- कागज, काँच की वस्तुएँ, प्लास्टिक की वस्तुएँ। हमें नई वस्तुओं की अपेक्षा पुनः चक्रित वस्तुओं के इस्तेमाल को बढ़ावा देनी चाहिए।
  • कम्पोस्ट बनाना-रसोई के बचे हुए भोजन, फलों, सब्जियों के छिलके, चाय की पत्तियों आदि को गड्ढे में दबाकर कम्पोस्ट बनाना चाहिए। यह एक उत्तम खाद का कार्य करता है।
  • जैव निम्नीकरणीय और अजैव निम्नीकरणीय कचरे को अलग-अलग कूड़ेदान में फेंकना चाहिए।

प्रश्न 3. पारिस्थितिक तंत्र के विभिन्न घटकों के उदाहरण दीजिए। 
उत्तर- किसी भी पारिस्थितिक तंत्र के दो घटक होते हैं –
1. अजैविक घटक-इसमें जल, वायु, प्रकाश, ताप, मृदा, आदि सम्मिलित हैं।
2. जैविक घटक-ये निम्न प्रकार के हैं –

  • उत्पादक – सभी हरे पौधे।
  • उपभोक्ता – ये प्राथमिक, द्वितीयक, तृतीयक आदि होते हैं।
  • अपघटक – ये सूक्ष्म जीव, जीवाणु, कवक होते हैं।

प्रश्न 4. पारितंत्र की परिभाषा लिखिए। किसी पारितंत्र में ऊर्जा-प्रवाह दर्शाने के लिए ब्लॉक आरेख खींचिए।
उत्तर- पारितंत्र-पारितंत्र जैव तथा अजैव घटकों से मिलकर बना एक स्वव्यवस्थित इकाई है, जो एक-दूसरे पर निर्भर करता है। जैव घटक-पेड़-पौधे व अन्य जीव। अजैव घटक-वायु, जल, सूर्य का प्रकाश, मिट्टी आदि।

प्रश्न 5. जीवोम या बायोम का निर्माण कैसे होता है? किसी एक बायोम का उदाहरण दीजिए।
उत्तर- जैविक तथा अजैविक घटकों के बीच पारस्परिक क्रियाएँ होती रहती हैं फलस्वरूप ऊर्जा एवं पदार्थों का आदान-प्रदान चलता रहता है; जिसे हम पारिस्थितिक तंत्र कहते हैं। किसी भौगोलिक क्षेत्र में समस्त पारिस्थितिक तंत्र एक साथ मिलकर एक और बड़ी इकाई का निर्माण करते हैं जिसे जीवमण्डल. कहते हैं।
उदाहरण-वन बायोम में अनेक तालाब, झीलें, वन, घास मैदान पारितंत्र स्थित होते हैं।

प्रश्न 6. (a) पारितंत्र किसे कहते हैं ?
(b) किन्हीं दो प्राकृतिक पारितंत्रों की सूची बनाइए।
(c) हम तालाबों और झीलों की सफाई नहीं करते, परन्तु किसी जलजीवशाला को नियमित सफाई की आवश्यकता होती है ? क्यों 
उत्तर-
(a) पारितंत्र किसी क्षेत्र के जैव, अजैव घटकों, प्राणियों, पेड़-पौधों, जीव जंतुओं के आपसी संबंधों का एक संगठन है।
(b) दो प्राकृतिक परितंत्र-झील, तालाब ।
(c) तालाब प्राकृतिक पारितंत्र है जबकि जलजीवशाला मानव निर्मित पारितंत्र है। तालाब में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले सूक्ष्म जीव हैं जो अपमार्जक का कार्य करते हैं, पर जलजीवशाला में ऐसा नहीं है। इसलिए जलजीवशाला को साफ करना आवश्यक है, तालाब को नहीं।

प्रश्न 7. उत्पादक तथा उपभोक्ता में अन्तर लिखिए।
उत्तर- उत्पादक एवं उपभोक्ता में अन्तर-

उत्पादक (Producers) उपभोक्ता (Consumers)
1. ये सूर्य प्रकाश की उपस्थिति में पर्णहरित द्वारा अपना भोजन स्वयं बना सकते हैं। 1. ये अपना भोजन स्वतः नहीं बना सकते हैं।
2. ये सौर ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा में बदलते हैं। 2. ये पौधों से प्राप्त ऊर्जा का प्रयोग करते हैं।
3. ये एक ही प्रकार के होते हैं। 

उदाहरण-सभी हरे पौधे।

3. ये प्राथमिक द्वितीयक अथवा तृतीयक हो सकते हैं। उदाहरण-सभी जन्तु एवं अपघटक।

प्रश्न 8. स्वपोषी तथा परपोषी में अन्तर लिखिए।
उत्तर- स्वपोषी तथा परपोषी में अन्तर-

स्वपोषी (Autotrophs) परपोषी (Heterotrophs)
1. ये अपना भोजन सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में स्वयं बना लेते हैं। 1. ये अपना भोजन प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से स्वपोषी से प्राप्त करते हैं।
2. ये सौर ऊर्जा को रासाय- निक ऊर्जा में बदलते हैं। 2. ये सौर ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा में नहीं बदल सकते।
3. इन्हें उत्पादक कहते हैं। उदाहरण-सभी हरे पेड़-पौधे। 3. इन्हें उपभोक्ता कहते हैं। उदाहरण-सभी जन्तु  एवं अपघटक।

प्रश्न 9. जीवाणु एवं कवक अपघटक क्यों कहलाते हैं ? पर्यावरण के लिए अपघटकों का महत्व लिखिए।
उत्तर- जीवाणु एवं कवक अपघटक कहलाते हैं क्योंकि ये मृत पेड़-पौधों एवं जीव-जन्तुओं के शरीरों में उपस्थित जटिल कार्बनिक यौगिकों को सरल पदार्थों में अपघटित कर देते हैं।

पर्यावरण के लिए अपघटकों का महत्व निम्न प्रकार है-

  • अपघटक पदार्थों के चक्रण की क्रिया में योगदान करते हैं।
  • ये पर्यावरण की स्वच्छता के लिए योगदान करते हैं।

प्रश्न 10. (a) नीचे दिए गए जीवों की आहार श्रृंखला का सृजन कीजिए-कीट, बाज, घास, साँप, मेंढक।
(b) इस सृजित आहार श्रृंखला के तृतीय पोषी के जीव का नाम लिखिए। होगी?
(c) इस आहार श्रृंखला के किस जीव में अजैवनिम्नीकरण रसायनों की सांद्रता अधिकतम होगी?
(d) इससे संबद्ध परिघटना का नाम लिखिए।
(e) यदि इस प्रकार श्रृंखला में मेंढकों का 10000 जूल ऊर्जा उपलब्ध है, तो साँपों को कितनी ऊर्जा उपलब्ध 
उत्तर-

(b) मेंढक और साँप
(c) बाज में।
(d) जैव-आवर्धन (Biological Magnification).
(e) चूंकि 10% नियम के अनुसार अगले पोषी स्तर पर भोजन की मात्रा का केवल 10% ही जैव मात्रा में बदल पाता है और अगले स्तर के उपभोक्ता के लिए उपलब्ध हो पाता है इसलिए साँपों को उपलब्ध ऊर्जा .
= 10,000 J का 10% = 10,000x10/100 = 1000J

प्रश्न 11. यदि सूर्य से पौधे को 20,000 जूल ऊर्जा उपलब्ध हो तो निम्नलिखित आहार श्रृंखला में शेर को कितनी ऊर्जा उपलब्ध होगी ? गणना कीजिए
पौधे हिरण→ शेर ।
उत्तर-
पौधे → हिरण → शेर
लिंडमान के ऊर्जा प्रवाह के 10% नियम के अनुसार ऊर्जा की केवल 10% मात्रा ही एक पोषी स्तर से दूसरे पोषी स्तर पर स्थानान्तरित होती है। अतः पौधे से हिरण को 200 जूल तथा हिरण से शेर को केवल 20 जूल ऊर्जा प्राप्त होगी।

प्रश्न 12. एक पारितंत्र में ऊर्जा प्रवाह का आरेखी चित्र बनाइए।
उत्तर-

प्रश्न 13. पर्यावरणीय प्रदूषण क्या है? तीन अजैव निम्नीकरणीय प्रदूषकों के नाम लिखिए जो मानव के लिए हानिकारक हैं।
उत्तर- जल, वायु एवं मृदा के भौतिक, रासायनिक एवं जैविक गुणों में अवांछनीय परिवर्तन जिसके कारण ये प्रयोग हेतु नहीं रह जाते, इन परिवर्तनों को वातावरणीय प्रदूषण कहते हैं। डी.डी.टी., सीसा, प्लास्टिक अजैव निम्नीकरणीय प्रदूषक हैं, जो मानव को अधिक हानि पहुँचाते हैं।

प्रश्न 14. सुपोषण को समझाइए।
उत्तर- जलाशयों में मल-मूत्र के अत्यधिक विसर्जन से जल प्लवकों की अधिक वृद्धि होने लगती है। प्लवकों की बढ़ती संख्या के कारण जल में घुलित ऑक्सीजन की मात्रा में कमी होने लगती है। ऑक्सीजन की कमी के कारण जल प्लवक मर कर सड़ने लगते हैं फलस्वरूप जल में घुली अधिकांश ऑक्सीजन की मात्रा में कमी आने लगती है। अतः जलाशय में पोषकों का अत्यधिक संभरण तथा शैवालों की वृद्धि तथा ऑक्सीजन की मात्रा में होती कमी की प्रक्रिया सुपोषण (Eutrophication) कहलाती है।

प्रश्न 15. अम्ल वर्षा क्या है ? संक्षिप्त में समझाइए।
उत्तर- अम्ल वर्षा (Acid Rain)-प्रदूषित वायु में उपस्थित सल्फर तथा नाइट्रोजन के ऑक्साइड वर्षा जल से क्रिया करके क्रमशः सल्फ्यूरिक अम्ल तथा नाइट्रिक अम्ल बनाते हैं। वर्षा के साथ ये अम्ल पृथ्वी पर आते हैं, इसे अम्ल वर्षा कहते हैं। अम्ल वर्षा, फसलों, पेड़-पौधों तथा इमारतों को हानि पहुँचाती है। यह जल को प्रदूषित करती है जिससे जलीय जीव-जन्तुओं को हानि पहुँचती है। इससे कृषि उत्पादकता में कमी होती है।

प्रश्न 16. वैश्विक तापन या पौधघर प्रभाव किसे कहते हैं?
उत्तर- जीवाश्म ईंधन (कोयला, पेट्रोलियम) के जलने से उत्पन्न CO2, तथा मेथेन गैसें पृथ्वी से होने वाली ऊष्मीय विकिरण को रोक लेती हैं। इसके फलस्वरूप पृथ्वी का ताप बढ़ता है, इसे पौधघर प्रभाव या हरित गृह प्रभाव कहते हैं। इसके कारण मौसम में परिवर्तन होने के साथ-साथ पहाड़ों से बर्फ तीव्रता के साथ पिघल रही है और समुद्र जल के स्तर में वृद्धि हो रही है जिसके भविष्य में घातक परिणाम हो सकते हैं।

प्रश्न 17. अम्लीय वर्षा, घनी आबादी और बड़ी संख्या में फैक्ट्रियों के चारों ओर वाले क्षेत्रों में क्यों होती
उत्तर- घनी आबादी तथा फैक्ट्रियों के चारों ओर के क्षेत्र में वायु को प्रदूषित करने वाली गैसों CO2, SO3, एवं नाइट्रोजन के ऑक्साइड की मात्रा अधिक होती है। अतः ये गैसें वर्षा जल के साथ मिलकर अम्ल वर्षा उत्पन्न करती हैं। क्योंकि ये प्रदूषक घनी आबादी वाले क्षेत्रों एवं फैक्ट्रियों से अधिक उत्पन्न होते हैं अतः अम्ल वर्षा इन क्षेत्रों में अधिक होती है।

प्रश्न 18. वायुमण्डल के उच्चतर स्तर पर ओजोन किस प्रकार बनती है ? ओजोन परत के अपक्षय के लिए उत्तरदायी यौगिक कौन से हैं ?
उत्तर- वायुमण्डल के उच्चतर स्तर पर पराबैंगनी विकिरण (UV-Rays) के प्रभाव से ऑक्सीजन के अणुओं से ओजोन का निर्माण होता है। उच्च ऊर्जा वाली पराबैंगनी विकिरण किरणें ऑक्सीजन अणुओं को विघटित कर स्वतंत्र ऑक्सीजन (O) परमाणु बनाती है। ऑक्सीजन के ये स्वतंत्र परमाणु संयुक्त होकर ओजोन बनाते हैं
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 15 हमारा पर्यावरण 5
क्लोरोफ्लुओरो कार्बन्स (CFCs) यौगिक ओजोन के अवक्षय के लिए मुख्य रूप से उत्तरदायी हैं।

प्रश्न 19. (a) किसी आधार श्रंखला में सामान्यतः तीन या चार पोषी स्तर ही होते हैं। व्याख्या कीजिए।
(b) जैव आवर्धन किसे कहते हैं ? व्याख्या कीजिए। 
उत्तर-
(a) किसी आहार श्रृंखला में सामान्यत : तीन या चार पोषी स्तर होते हैं क्योंकि प्रत्येक स्तर या चरण पर ऊर्जा का ह्रास इतना अधिक होता है कि चौथे स्तर के बाद उपयोगी ऊर्जा की मात्रा बहत कम हो जाती है।

(b) जैव-आवर्धन (Biological magnification) : अनेक प्रकार की फसलों को रोग एवं पीड़कों से बचाने के लिए पीड़कनाशक एवं रसायनों का प्रयोग किया जाता है जो बहकर मिट्टी अथवा जल स्त्रोत में चले जाते हैं। मिट्टी, से पौधों में तथा जलाशयों से जलीय पौधों और जंतुओं में, फिर आहार श्रृंखला के द्वारा खाद्यान्न-जैसे-गेहूँ, चावल, फल, सब्जियों से हमारे शरीर में, ये रसायन संचित हो जाते हैं, इसे ‘जीव-आवर्धन’ कहते हैं।

जैसे-जैसे पोषी स्तर में ऊपर की ओर बढ़ते हैं, जैवआवर्धन की मात्रा बढ़ती जाती है। चूँकि मनुष्य आहार श्रृंखला में शीर्ष पर है इसलिए हमारे शरीर में यह रसायन मात्रा में संचित हो जाते हैं।

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निबन्धात्मक प्रश्न [Essay Type Questions]

प्रश्न 1. निम्नलिखित को परिभाषित करें व प्रत्येक के दो-दो उदाहरण दें –
उत्पादक, शाकाहारी, माँसाहारी, सर्वाहारी, परजीवी ।
उत्तर – (a) उत्पादक – वे जीव जिनमें क्लोरोफिल होता है और जो प्रकाशसंश्लेषण द्वारा सौर ऊर्जा को उपयोग करके अपना भोजन स्वयं संश्लेषित कर लेते हैं, उत्पादक कहलाते हैं । वे सौर ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तित कर देते हैं ।
उदाहरण—सभी हरे पौधे, शैवाल, नीली हरी शैवाल, प्रकाशसंश्लेषी जीवाणु ।
(b) शाकाहारी – वे जीव जो केवल पौधे व उनके उत्पादों को खाते हैं, उन्हें शाकाहारी जीव कहते हैं ।
उदाहरण – हिरण, गाय, खरगोश, टिड्डा आदि ।
(c) माँसाहारी – वे जीव जो अन्य जीवों या उनका माँस खाते हैं, उन्हें माँसाहारी जीव कहते हैं I
उदाहरण- चीता, शेर, मेंढक, नीलकंठ, छिपकली आदि ।
(d) सर्वाहारी – वे जीव जो पादप उत्पादों के साथ-साथ जंतु उत्पाद भी खाते हैं, उन्हें सर्वाहारी जीव कहते हैं।
उदाहरण – कॉकरोच, बिल्ली, कुत्ता, मानव आदि ।
(e) परजीवी – वे जीव जो अन्य जीवों के शरीर में या उनके ऊपर रहकर उनसे पोषण प्राप्त करते हैं, उन्हें परजीवी जीव कहते हैं
उदाहरण — अमर बेल एक पादप परजीवी है ।
टिनिया, एस्केरिस, प्लैज्मोडियम आदि सभी मानव परजीवी हैं ।
प्रश्न 2. (a ) पृथ्वी के वायुमंडल में ओज़ोन परत कहाँ विद्यमान है? इसका क्या कार्य है ?
(b) ओज़ोन छिद्र क्या है? इसका क्या हानिकारक प्रभाव पड़ सकता है? ओज़ोन छिद्र किस प्रकार बनता है?
उत्तर – (a) ओज़ोन परत पृथ्वी की सतह से लगभग 16 km से अधिक ऊँचाई पर स्ट्रैटोस्फीयर में स्थित है। ओज़ोन का एक आवरण पृथ्वी को घेरे हुए है जिसे ओज़ोन परत कहते हैं ।
ओज़ोन परत का कार्य — ओज़ोन परत का गुण है कि वह सूर्य से आने वाली पराबैंगनी किरणों (UV) को सोख लेती है । पराबैंगनी किरणें पृथ्वी पर अनेक समस्याएँ उत्पन्न कर सकती हैं ।
(b) ओज़ोन छिद्र — ओज़ोन छिद्र वास्तव में एक छिद्र नहीं है बल्कि कुछ विशेष स्थानों पर ओज़ोन परत का पतला होना है। यह मुख्यतः आर्कटिक तथा अंटार्कटिक क्षेत्र के ऊपर स्थित है ।
ओज़ोन छिद्र के हानिकारक प्रभाव – ओज़ोन परत के पतला होने के कारण यह पराबैंगनी विकिरणों को अवशोषित नहीं कर पाएगी, जिससे पराबैंगनी किरणें पृथ्वी की सतह तक पहुँच सकती हैं और निम्नलिखित हानिकारक प्रभाव उत्पन्न कर सकती हैं –
(i) इससे मनुष्य तथा पशुओं में त्वचा कैंसर उत्पन्न हो सकता है ।
(ii) इससे मोतियाबिंद या अंधरता उत्पन्न हो सकती है ।
(iii) इससे शरीर में रोधक्षमता की कमी हो सकती है, जो शरीर की रोगाणुओं से लड़ने की क्षमता को कम कर देती है।
(iv) ये किरणें सूक्ष्मजीवों को मार सकती हैं, जो हमारे लिए लाभदायक हैं।
(v) इनसे जीन उत्परिवर्तन हो सकता है ।
(vi) इनसे कृषि उत्पादन में कमी आ सकती है।
(vii) इससे मौसम तथा वर्षा संबंधी परिवर्तन हो सकते हैं ।
ओज़ोन छिद्र बनने के कारण – ओज़ोन छिद्र के बनने का कारण ओज़ोन गैस की कुछ रसायनों के साथ क्रिया होना है; जैसे एयरोसोल – क्लोरोफ्लुओरो- कार्बन (CFCs)।
(i) इस हानि से बचने के लिए CFCs के उत्पादन में उल्लेखनीय कटौती की गई है ।
(ii) ओज़ोन छिद्र को भरने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं ।
प्रश्न 3. हम पर्यावरण के क्षय ( खराब होने ) को किस प्रकार रोक सकते हैं?
उत्तर – हम निम्नलिखित उपाय करके पर्यावरण की हानि को रोक सकते हैं –
 (i) संपोषित विकास की धारणा को लागू करके अपनी धरोहर ( संसाधनों) की हानि के बिना विकास और प्रदूषण फैलाए बिना विकास प्रक्रिया को आगे बढ़ाकर ।
(ii) वनीकरण द्वारा – यह केवल वह रास्ता है जिस पर चलकर हम पहले वाले स्वच्छ पर्यावरण को वापिस पा सकते हैं। हमने अपने बहुमूल्य वन आच्छादित क्षेत्रों को खो दिया है। वर्तमान में भारत के भौगोलिक क्षेत्र का केवल 20.5% भाग ही वनों से ढका हुआ है जबकि यह कम-से-कम 33% होना चाहिए ।
(iii) नियोजित औद्योगीकरण- हम औद्योगीकरण को रोक नहीं सकते लेकिन इस तरह की योजना बना सकते हैं जिससे कि, इसके कारण पर्यावरण को हानि न पहुँच सके ।
(iv) कृषि योग्य भूमि को केवल कृषि के लिए ही प्रयोग करना चाहिए, नहीं तो हम खाद्य सुरक्षा को खो देंगे जिससे पर्यावरण के ऊपर फिर दबाव बढ़ेगा ।
(v) कृषि योग्य भूमि का उपयोग आवासीय कॉलोनी बनाने के लिए बंद होना चाहिए ।
(vi) जल-विद्युत संयंत्र की योजना बनाते समय सरकार को उससे जैव-विविधता की होने वाली हानि तथा उससे विस्थापितों को होने वाली हानि के विषय में गंभीरता से सोचना चाहिए ।
(vii) विद्युत ताप संयंत्र लगाते समय ऐसे क्षेत्रों को चुना जाना चाहिए जहाँ का उत्पादन अपेक्षाकृत बहुत कम है l
(viii) औद्योगिक इकाई स्थापित करते समय इस बात पर ध्यान देने की आवश्यकता है कि इससे वनस्पति तथा जीव-जंतुओं की कम-से-कम हानि हो और अच्छी पर्यावरण परिस्थितियाँ बनी रहें ।

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महत्त्वपूर्ण प्रायोगिक क्रियाकलाप
प्रयोग 1. व्यर्थ पदार्थों का उनकी जैव निम्नीकरणीय तथा अजैव निम्नीकरणीय प्रकृति के विषय में अध्ययन करना ।
विधि – (i) अपने घर से उत्पन्न व्यर्थ पदार्थ; जैसे खराब भोजन, सब्जियों के छिलके, उपयोग में लाई गई चाय पत्ती, दूध के पैकेट, खाली डिब्बे, व्यर्थ कागज़, दवाई की खाली बोतलें, पन्नी, फटे-पुराने कपड़े, टूटे हुए जूते आदि को इकट्ठा करें ।
(ii) स्कूल के उद्यान में एक गड्ढा खोदकर इन व्यर्थ पदार्थों को उसमें डालें तथा गड्ढे को 15 cm मोटी मिट्टी की परत से ढकिए।
(iii) इन पदार्थों को नमीयुक्त गीला रखिए तथा 15-15 दिन के अंतराल पर इनका निरीक्षण कीजिए ।
(iv) पता लगाइए कि कौन-से ऐसे पदार्थ हैं जो लंबे समय तक बिना कोई विशेष परिवर्तन के पड़े रहते हैं।
(v) वे कौन-से पदार्थ हैं जिनमें कुछ समय के पश्चात अवस्था, संरचना आदि में समय के साथ परिवर्तन आता है ।
(vi) जिन पदार्थों में परिवर्तन आया है, उनमें किस तेज़ी के साथ परिवर्तन आया है ।
अवलोकन तथा परिणाम / निष्कर्ष – (i) दूध के पैकेट, खाली डिब्बे, दवाई की खाली बोतलें, फटे हुए जूते आदि में लंबे समय तक कोई विशेष परिवर्तन नहीं आया ।
ये सभी पदार्थ अजैव निम्नीकरणीय हैं ।
जूते यदि प्लास्टिक के स्थान पर चमड़े के हैं तो उनमें कुछ परिवर्तन दिखाई देता है ।
(ii) व्यर्थ खाद्य पदार्थ, सब्जियों के छिलके, कागज़, फटे-पुराने कपड़े आदि में समय के साथ परिवर्तन होता है। इसलिए ये सभी पदार्थ जैव निम्नीकरणीय हैं ।
(iii) व्यर्थ खाद्य पदार्थ, सब्जियों के छिलके, उपयोग की गई चाय पत्ती, व्यर्थ कागज़, कपड़े आदि सभी विकारीय पदार्थ हैं तथा जिनका आसानी से अपघटन हो जाता है ।
प्रयोग 2. इंटरनेट/लाइब्रेरी का प्रयोग करके कुछ जैव निम्नीकरणीय तथा अजैव निम्नीकरणीय पदार्थों की सूची प्राप्त करने की कोशिश करें।
आवश्यक सामग्री–कागज, सूती कपड़े, गोबर / मल-मूत्र, प्लास्टिक, पॉलिथीन, खराब चमड़े के जूते, आदि।
विधि – (i) अजैव निम्नीकरणीय पदार्थों की एक सूची तैयार करें तथा यह ज्ञात करने की कोशिश करें कि वे पर्यावरण में कितने समय तक प्रभावित हुए बिना रहते हैं।
ऐसी वस्तुओं को तालिकाबद्ध करें तथा उनके बिना प्रभावित हुए पर्यावरण में रहने का समय नोट करें ।
(ii) नए प्रकार के प्लास्टिक के विषय में जानकारी प्राप्त करें जो जैव निम्नीकरणीय हैं। पता लगाएँ कि ये पदार्थ पर्यावरण को किसी प्रकार से प्रभावित करते हैं या नहीं ।
अवलोकन – नहीं, जिन पदार्थों का अपघटन हो जाता है वे पर्यावरण को न्यूनतम हानि पहुँचाते हैं।
प्रयोग 3. मानव निर्मित पारितंत्र – जीवशाला का अध्ययन करना ।
आवश्यक सामग्री – एक बड़ा ज़ार, पानी, वायु / ऑक्सीजन के लिए पंप, छोटी मछलियाँ |
विधि – (i) ज़ार को पानी से भरें ।
(ii) एयरेटर की सहायता से ऑक्सीजन उपलब्ध करवाई जा सकती है। बाज़ार से मछली आहार प्राप्त करें।
(iii) ज़ार में कुछ जलीय पौधे तथा जंतु डालें ताकि यह एक स्वपोषी पारितंत्र बन जाए |
(iv) इसे कुछ दिन रखा रहने दें।
(v) इसे कभी-क साफ भी करें । जीवशाला एक मानव निर्मित पारितंत्र है । हमें किसी तालाब या झील को साफ करने की आवश्यकता नहीं पड़ती क्योंकि इसमें बहुत सारे जीव होते हैं, जिनमें से कुछ सफाई कर्मचारी की तरह कार्य करते हैं। प्राकृतिक पारितंत्र प्राकृतिक रूप से ही साफ रहते हैं ।
प्रयोग 4. किसी जीवशाला में खाद्य श्रृंखला का अध्ययन करना । 
आवश्यक सामग्री- जीवशाला, जलीय पौधे, मछली, आदि ।
विधि – (i) जीवशाला में मछलियों को छोटे जीव; जैसे कीट, कीट लारवा आदि को खाने के लिए रखा जाता है ।
(ii) जानने की कोशिश करें कि ये जीव किस प्रकार एक-दूसरे पर निर्भर रहते हैं ।
(iii) जलीय जीवों को इस क्रम में व्यवस्थित करें कि कौन-सा जीव अन्य किस जीव को खाता है और एक खाद्य शृंखला बनाओ जिसमें कम से कम तीन सोपान हों।
जलप्लवक → प्राणीप्लवक → कीट लारवा → कीट → मछली
(iv) क्या आप जीवों के किसी समूह को प्राथमिकता देंगे ?
प्रतिक्रिया / निष्कर्ष – नहीं, क्योंकि खाद्य शृंखला में प्रत्येक पोषी स्तर महत्त्वपूर्ण है और प्रत्येक जीव समूह का एक निश्चित कार्य है ।
प्रयोग 5. पीड़कनाशियों के प्रभाव का अध्ययन करना तथा उनके उपयोग को कम करना ।
विधि- “कुछ राज्यों/देशों ने डिब्बा बंद खाने की वस्तुओं पर पाबंदी लगा दी है क्योंकि उनमें पीड़कनाशियों का उच्च स्तर होता है।”
(i) उनमें पीड़कनाशियों का स्रोत क्या होता है ?
(ii) क्या पीड़कनाशी उस स्रोत से खाद्य पदार्थों के माध्यम से हमारे शरीर में प्रवेश कर सकते हैं?
(iii) पीड़कनाशियों के शरीर में प्रवेश को रोकने के उपाय सुझाइए।
प्रतिक्रिया – (i) खेतों में पीड़कनाशियों का उपयोग पीड़कों को नष्ट करने के लिए किया जाता है या हम घरों में तथा आसपास के पीड़कों को नष्ट करने के लिए इनका उपयोग करते हैं ।
(ii) हाँ, पीड़कनाशी खाद्य पदार्थों के माध्यम से हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं । पौधे उन्हें मृदा या पानी से ग्रहण कर लेते हैं जहाँ से वे हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते हैं ।
(iii) (a) हमें पीड़कनाशियों के उपयोग को कम करना चाहिए l
(b) फल, सब्जियों को खाने से पहले ठीक प्रकार से धो लेना चाहिए ।
प्रयोग 6.
(i) ओज़ोन परत के क्षय के लिए उत्तरदायी रसायनों का पता लगाएँ ।
(ii) पता लगाएँ कि क्या इन पदार्थों के पर्यावरण में प्रवेश (रोकने) के लिए कोई कानून, नियम आदि बने हैं ? क्या इस प्रकार के कानून, नियमों आदि से ओज़ोन परत की हानि को रोका जा सकता है?
(iii) ओज़ोन परत के छेद में गत वर्षों में किस प्रकार का परिवर्तन हुआ है?
प्रतिक्रिया – (i) ओज़ोन परत के क्षय के लिए उत्तरदायी रसायन इस प्रकार हैं-
(a) क्लोरोफ्लुओरोकार्बन (CFCs),
(b) ब्रोमोफ्लुओरोकार्बन (BFCs),
(c) हैलोजन,
(d) सुपर सोनिक विमानों द्वारा छोड़ी गई गैसें,
(e) नाभिकीय विस्फोट/ परीक्षण,
(f) ज्वालामुखी से उत्सर्जित सल्फेट एयरोसोल ।
(ii) हाँ, मॉन्ट्रियल (आचार संहिता) प्रोटोकोल – 1987
(a) ओज़ोन क्षय करने वाले पदार्थों का सीमित उत्पादन ।
(b) ओज़ोन क्षय करने वाले पदार्थों (ODS) को धीरे-धीरे समाप्त करना ।
(iii) ओज़ोन छिद्र का आकार उसके बाद कम हो गया है ।
प्रयोग 7.
(i) पता लगाइए कि घर में उत्पन्न कूड़े का क्या होता है? क्या इस कूड़े को एकत्रित करने का कोई तंत्र काम करता है ?
(ii) स्थानीय निकाय / संस्थाएँ ( पंचायत, नगर-निगम, नगरपालिका) इस कचरे का निपटान कैसे करती हैं?
(iii) क्या जैव निम्नीकरणीय तथा अजैव निम्नीकरणीय कचरे से निपटने का कोई तंत्र काम करता है?
प्रतिक्रिया –
(i) हाँ, कूड़े-कचरे को एकत्रित करने का एक तंत्र काम करता है ।
(ii) स्थानीय निकाय मज़दूरों के द्वारा इस कचरे को अलग-अलग करती हैं । वे इसे घरों से इकट्ठा करके निपटान के लिए लेकर जाते हैं ।
(iii) (a) अजैव निम्नीकरणीय कचरे को संशोधित करके पुनःचक्रण के लिए ले जाया जाता है।
(b) जैव निम्नीकरणीय कचरे को सामान्यतः गड्ढा व नीची ज़मीन को भरने के काम में लाया जाता है।
प्रयोग 8.
(i) पता लगाएँ कि घर से प्रतिदिन कितना कचरा उत्पन्न होता है ?
(ii) इसमें से कितना कचरा जैव निम्नीकरणीय है ?
(iii) पता लगाएँ कि प्रतिदिन कक्षा कमरे से कितना कचरा उत्पन्न होता है ?
(iv) इसमें से कितना कचरा जैव निम्नीकरणीय है ?
(v) इस कचरे से निपटने के उपाय सुझाए ।
प्रतिक्रिया –
(i) घर से प्रतिदिन लगभग 1 kg कचरा उत्पन्न होता है ।
(ii) इसमें से अधिकतर जैव निम्नीकरणीय है ।
(iii) कक्षा कमरे से प्रतिदिन लगभग 500g कचरा उत्पन्न होता है ।
(iv) इसमें से अधिकतर जैव निम्नीकरणीय होता है ।
(v) इसमें से अधिकतर कचरे को जैविक खाद बनाने के लिए प्रयोग किया जा सकता है ।
प्रयोग 9.
(i) आपके क्षेत्र में मल-मूत्र का उपचार किस प्रकार किया जाता है ?
(ii) क्या आपके क्षेत्र में इस तरह की कोई व्यवस्था कार्य करती है, जिससे स्थानीय जलाशय एवं जल के अन्य स्रोत अनुउपचारित वाहित मल से प्रभावित न हों ?
(iii) आपके क्षेत्र में पता लगाइए कि स्थानीय उद्योग अपने अपशिष्ट के निपटान का क्या प्रबंध करते हैं ?
(iv) क्या वहाँ इस बात का प्रबंधन है जिससे सुनिश्चित हो सके कि इन पदार्थों से भूमि तथा जल का प्रदूषण नहीं होगा ?
प्रतिक्रिया–
(i) हमारे क्षेत्र में मल-मूत्र उपचार संयंत्र है जिसमें मल-मूत्र को उपचारित किया जाता है।
(ii) हाँ, एक व्यवस्थित सीवेज़ (मल-मूत्र) तंत्र कार्य करता है तथा मल-मूत्र को खुले तथा जल के स्रोतों में मिलने से रोकता है।
(iii) कचरा उपचार संयंत्र यद्यपि आवश्यक हैं लेकिन वे नहीं लगाए जाते या जो लगाए जाते हैं तो वे ठीक प्रकार से कार्य नहीं करते ।
(iv) इस प्रकार का कोई प्रबंध नहीं है और औद्योगिक कचरा मृदा तथा जल दोनों को प्रदूषित कर रहा है ।
प्रयोग 10.
(i) आप इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का निपटान किस प्रकार करेंगे ?
(ii) ये पदार्थ पर्यावरण को किस प्रकार प्रभावित करते हैं ?
(iii) पता लगाएँ, प्लास्टिक का पुनःचक्रीकरण किस प्रकार किया जाता है ?
(iv) क्या पुनःचक्रीकरण का पर्यावरण पर कोई प्रभाव पड़ता है ?
प्रतिक्रिया –
(i) इलेक्ट्रॉनिक उपकरण प्लास्टिक तथा धातु के टुकड़ों से मिलकर बने होते हैं जो अजैव निम्नीकरणीय हैं।
(ii) ये चीजें कचरे के रूप में भूमि पर ऐसे ही पड़ी रहती हैं तथा पर्यावरण की गुणवत्ता को प्रभावित करती हैं।
(iii) प्लास्टिक की चीज़ों को पिघलाकर दोबारा उपयोगी वस्तुएँ तैयार करके उन्हें उपयोग में लाया जा सकता है ।
(iv) हाँ, पुनःचक्रीकरण की प्रक्रिया पर्यावरण को स्वच्छ रखती है क्योंकि यह व्यर्थ पदार्थों को दोबारा से उपयोग में लाती है।

Haryana Board 10th Class Science Notes Chapter 15 हमारा पर्यावरण

→ पर्यावरण (Environment)-हमारे आस-पास का वह आवरण जो हमें प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से प्रभावित करता है, पर्यावरण कहलाता है।

→ पारिस्थितिकी (Ecology)-जीवधारियों पर पर्यावरण के प्रभावों के अध्ययन की शाखा को पारिस्थितिकी कहते हैं पारिस्थितिकी शब्द का सबसे पहले प्रयोग रेटर ने किया था।

→ पर्यावरणीय कारक (Environmental factors)-पर्यावरण के प्रमुख दो कारक होते हैं –

  • अजैविक कारक (Abiotic factors)-इसमें अजीवित अंश सम्मिलित होते हैं, जैसे-जल, वायु, वर्षा, ताप, नमी, मृदा, आदि ।
  • जैविक कारक (Biotic factors)-इसमें जीवित अंश सम्मिलित होते हैं, जैसे-उत्पादक, उपभोक्ता, अपघटक।

→ पारिस्थितिक तंत्र (Ecosystem) किसी स्थान विशेष पर पाये जाने वाले जीवधारियों तथा उनके पर्यावरण के बीच प्रकार्यात्मक सम्बन्ध को पारिस्थितिक तंत्र कहते हैं। इकोसिस्टम शब्द सर्वप्रथम ए. जी. टेन्सले ने दिया।

→ पारिस्थितिक तंत्र के घटक (Components of ecosystem) : पारिस्थितिक तंत्र के निम्नलिखित दो प्रमुख घटक
होते हैं –
(A) अजैविक घटक (Abiotic components)-ये निम्न प्रकार हैं –

  • अकार्बनिक (Inorganic) इसमें H2O, CO2 एवं अन्य गैसें, नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, अमोनिया, पोटैशियम, मैग्नीशियम, लवण, आदि सम्मिलित हैं।
  • कार्बनिक (Organic)-इसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, आदि वृहत्त् अणु सम्मिलित हैं।
  • भौतिक (Physical)-इसमें वातावरणीय कारक जैसे-वायु, जल, ताप, प्रकाश आदि सम्मिलित हैं।

(B) जैविक घटक (Biotic components)-इसमें विभिन्न जीवधारी सम्मिलित किये जाते हैं। ये निम्न प्रकार होते |

  • उत्पादक (Producers)-सभी हरे प्रकाश संश्लेषी पौधे उत्पादक कहलाते हैं। ये सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में पर्णहरित की सहायता से पानी एवं CO2 द्वारा भोजन संश्लेषित कर लेते हैं। यह भोजन प्रायः। मंड, प्रोटीन एवं वसा के रूप में संचित कर लिया जाता है।

उपभोक्ता (Consumers)-जन्तु भोजन प्राप्ति के लिए पौधों द्वारा बनाये गये भोजन पर आश्रित होते हैं।

अतः ये उपभोक्ता कहलाते हैं। ये निम्न प्रकार के होते हैं

  • प्राथमिक उपभोक्ता-ये सीधे पौधों को खाते हैं अत: शाकाहारी होते हैं, जैसे-टिड्डा।।
  • द्वितीयक उपभोक्ता-ये शाकाहारी जन्तुओं को खाते हैं, जैसे-मेंढ़क।
  • तृतीयक उपभोक्ता-ये द्वितीयक उपभोक्ताओं को खाते हैं, जैसे-सर्प।

(iii) अपघटक (Decomposers)-ये सूक्ष्म जीव होते हैं जो पेड़-पौधों एवं जीव-जन्तुओं के मृत शरीरों का अपघटन करके ऊर्जा प्राप्त करते हैं। ये पदार्थों का चक्रण करते हैं।

→ आहार श्रृंखला (Food chain) किसी पारितंत्र में जीव भोजन के लिए अन्य जीवों पर निर्भर करते हैं। उदाहरण के लिए घास को टिड्डा खाता है, टिड्डे को मेंढ़क और मेंढ़क को सर्प खा लेता है। इस प्रकार पारितंत्र में जीवधारियों की निर्भरता के आधार पर एक श्रृंखला बन जाती है, इसे खाद्य श्रृंखला या आहार श्रृंखला कहते हैं। प्रकृति में तीन प्रकार की खाद्य शृंखलाएँ देखने को मिलती हैं – जलीय खाद्य श्रृंखला, स्थलीय खाद्य श्रृंखला तथा अपरद (detrites) खाद्य श्रृंखला।

कुछ प्रमुख खाद्य श्रृंखलाओं के उदाहरण निम्न प्रकार हैं –

  • घास स्थल : घास → टिड्डा → मेढक → सर्प।
  • वन स्थल : पौधे → हिरन → शेर।
  • तालाब : पादप प्लवक → कीड़े-मकोड़े → मछलियाँ।।
  • अपरद : सड़ी-गली पत्तियाँ → जीवाणु → जीवाणु भोजी, कवक → कवक भोजी।

→ पोषण स्तर (Trophic level)—आहार श्रृंखला के विभिन्न स्तरों पर ऊर्जा का स्थानान्तरण होता है, इन स्तरों को पोषण स्तर कहते हैं।

→ आहार जाल (Food web)-प्रकृति में कोई भी आहार श्रृंखला एकल नहीं होती। अनेक आहार श्रृंखलाएँ आपस मेंसम्बन्धित भी होती हैं। उदाहरण के लिए घास को टिड्डा खाता है, लेकिन घास हिरन, खरगोश आदि द्वारा भी खायी | जा सकती है। इसी प्रकार हिरन को शेर खाता है परन्तु हिरन को चीता, भेड़िया, तेंदुआ आदि भी खा सकते हैं। अतः । यह आवश्यक नहीं है कि किसी भी जीव को किसी भी विशिष्ट जीव द्वारा ही खाया जाए। स्पष्ट है कि एक जीव | के एक से अधिक भक्ष्य हो सकते हैं और स्वयं भी जीव अनेक जीवों का भक्ष्य बन सकता है। इस प्रकार अनेक | खाद्य श्रृंखलाएँ आपस में जुड़कर एक जाल जैसी रचना बनाती हैं जिसे खाद्य जाल या आहार जाल कहते हैं।

→ सुपोषण (Eutrophication)-वाहित मलमूत्र जब बहकर जलाशयों में पहुँचते हैं तो इनमें कार्बनिक पदार्थों की मात्रा | काफी बढ़ जाती है जिसके फलस्वरूप जलीय प्लवकों की संख्या भी काफी बढ़ जाती है। प्लवकों की अत्यधिक | संख्या बढ़ने पर इन्हें जलीय ऑक्सीजन की कमी होने लगती है। ऑक्सीजन के अभाव में असंख्य जीव मरने और सड़ने लगते हैं। अतः जलाशय में पोषकों के अत्यधिक संभरण तथा ऑक्सीजन की कमी को सुपोषण कहते हैं। ।

→ ऊर्जा स्थानान्तरण का दस प्रतिशत का नियम-इसके अनुसार किसी भी आहार श्रृंखला में प्रत्येक पोषण स्तर पर उपलब्ध ऊर्जा उससे पहले स्तर पर उपलब्ध ऊर्जा का 10% होती है। प्रत्येक श्रेणी के जीव एक पोषण स्तर बनाते हैं।। प्रत्येक पोषण स्तर पर लगभग 90% ऊर्जा जैवीय क्रियाओं तथा ऊष्मा के रूप में निकल जाती है तथा केवल 10% ऊर्जा ही इसमें संचित रहती है। यह ऊर्जा ही अगले पोषण स्तर के लिए उपलब्ध रहती है। इस प्रकार अन्तिम पोषण स्तर तक पहुँचते-पहुँचते बहुत कम ऊर्जा रह जाती है। इसे लिन्डेमान का ऊर्जा सम्बन्धी 10% का नियम कहते हैं।

→ पारिस्थितिक पिरैमिड (Ecological pyramids)-किसी भी पारितंत्र में उत्पादकों, विभिन्न श्रेणी के उपभोक्ताओं की संख्या, जीवभार तथा संचित ऊर्जा के पारस्परिक संबंधों के चित्रीय निरूपण को पारिस्थितिक पिरैमिड कहते हैं। पारिस्थितिक पिरैमिड तीन प्रकार के होते हैं

  • जीव संख्या का पिरैमिड,
  • जीव भार का पिरैमिड तथा
  • ऊर्जा का पिरैमिड।

→ जैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट पदार्थ (Bio-degradable wastes)-ऐसे अपशिष्ट पदार्थ जो समय के साथ प्रकृति में सूक्ष्मजीवों की क्रियाओं द्वारा हानिरहित पदार्थों में अपघटित कर दिए जाते हैं, जैव-निम्नीकरणीय अपशिष्ट पदार्थ कहलाते हैं, जैसे-घरेलू कचरा, कृषि अपशिष्ट।

→ जैव-अनिम्नीकरणीय अपशिष्ट पदार्थ (Non-biodegradable wastes)-ऐसे अपशिष्ट पदार्थ जो प्रकृति में लम्बे समय तक बने रहते हैं और जिनका अपघटन सूक्ष्म जीवों की क्रियाओं द्वारा नहीं किया जा सकता है। जैव-अनिम्नीकरणीय अपशिष्ट पदार्थ कहलाते हैं, जैसे-प्लास्टिक, डी. डी. टी. आदि।।

→ जैविक-आवर्धन (Biological-magnification)-जब कोई हानिकारक रसायन, जैसे-डी. डी. टी. भोजन के साथ किसी स्व-आहार श्रृंखला में प्रवेश कर जाता है तो इसका सान्द्रण धीरे-धीरे प्रत्येक पोषी स्तर में बढ़ता जाता है। इस | परिघटना को जैविक आवर्धन कहते हैं। इस आवर्धन का स्तर अलग-अलग पोषी स्तरों पर भिन्न-भिन्न होता है, जैसे

→ ओजोन (Ozone)-ओजोन प्रकृति में गैस के रूप में पायी जाती है। इसके एक अणु में ऑक्सीजन के तीन परमाणु होते हैं। यह ऑक्सीजन का एक अपरूप है। ओजोन पृथ्वी के ऊपर लगभग 16 किमी की ऊँचाई पर एक सघन परत के रूप में स्थित है। यह सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैंगनी किरणों (UV-rays) से पृथ्वी पर जीवन की रक्षा करती है।

→ रेफ्रिजरेशन वर्क्स, अग्निशामक यंत्रों, जेट उत्सर्जन तथा ऐरोसोल स्प्रे से उत्सर्जित होने वाले एक रसायन क्लोरो-फ्लुओरो कार्बन (CFC) से वायुमण्डलीय ओजोन का क्षरण हो रहा है जिससे कुछ स्थानों पर ओजोन परत काफी पतली हो गयी है।

→ पराबैंगनी किरणों से त्वचा रोग, आँखों के रोग तथा प्रतिरक्षी तंत्र के रोग उत्पन्न होने की संभावना बढ़ जाती है। जीवमण्डल (Biosphere)-पृथ्वी का वह समस्त भाग जिसमें जीवधारी पाये जाते हैं, जीवमण्डल कहलाता है।

→ स्थलमण्डल (Lithosphere)-पृथ्वी की स्थल-सतह, जैसे-रेगिस्तान, मैदान, चट्टान आदि स्थलमण्डल कहलाती हैं।

→ जलमण्डल (Hydrosphere)-पृथ्वी का वह भाग जिस पर जल है, जलमण्डल कहलाता है।

→ वायुमण्डल (Atmosphere)-पृथ्वी के चारों ओर विभिन्न गैसों वाला क्षेत्र वायुमण्डल कहलाता है।

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