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Haryana Board 10th Class Social Science Solutions Civics Chapter 5 जन-संघर्ष और आंदोलन

Haryana Board 10th Class Social Science Solutions Civics Chapter 5 जन-संघर्ष और आंदोलन

HBSE 10th Class Civics जन-संघर्ष और आंदोलन Textbook Questions and Answers

अध्याय का संक्षिप्त परिचय

1. नेपाल में लोकतंत्र का आंदोलन – फरवरी, 2005 में नेपाल के राजा ज्ञानेन्द्र ने नेपाल संसद को भंग करके सत्ता अपने हाथों में ले ली। अप्रैल, 2006 में नेपाल में लोकतंत्र बहाली का आंदोलन चला।
2. लोकतंत्र की तीसरी लहर के देश- वे देश जहाँ लोकतंत्र की स्थापना 20वीं सदी के उत्तरार्द्ध में हुई थी।
3. एस०पी०ए०- नेपाल में लोकतंत्र बहाली के लिए नेपाल की संसद के सात राजनीतिक दलों का गठबंधन ।
4. माओवादी- चीनी क्रांति के नेता माओ की विचारधारा को मानने वाले साम्यवादी ।
5. नेपाल में लोकतंत्र बहाली – राजा ज्ञानेन्द्र ने 24 अप्रैल, 2004 को नेपाली संसद को बहाल कर दिया और गिरिजा प्रसाद कोइराला अंतरिम सरकार के प्रधानमंत्री बने ।
6. बोलिविया का जलयुद्ध – सन् 2000 में बोलिवियाई सरकार ने जल का निजीकरण कर दिया जिससे लोगों का जल का मासिक बजट 1000 रुपए तक हो गया। इसके खिलाफ बोलिविया के लोगों ने आंदोलन चलाया और सरकार को अपना फैसला बदलना पड़ा।
7. फेडेकोर – बोलिबिया में जल आंदोलन का नेतृत्व करने वाला संगठन | इसमें इंजीनियर, पर्यावरणवादी समेत स्थानीय कामकाजी लोग शामिल थे।
8. लोकतंत्र – ऐसी शासन प्रणाली जिसमें शासन के निर्माण और संचालन में लोगों की अधिकतम भागीदारी होती है ।
9. जन- संघर्ष – किसी खास मुद्दे को लेकर लोगों का संघर्ष; जैसे नेपाल में एस०पी०ए० तथा बोलिविया में फेडेकोर का संघर्ष |
10. लामबंदी – किसी विशेष मुद्दे पर विभिन्न विचारधाराओं वाले लोगों का एकजुट हो जाना ।
11. दबाव-समूह – समान पेशे, हित, आकांक्षा अथवा मत वाले संगठित या असंगठित लोगों का समूह जो अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए सरकार पर दबाव बनाते हैं ।
12. राजनीतिक दलों के कार्य – पार्टी का गठन करना, चुनाव लड़ना और सरकार बनाना ।
13. दबाव-समूह और राजनीति – दबाव-समूह न तो सक्रिय चुनावी राजनीति में हिस्सा लेते हैं और न ही सरकार का गठन करते हैं लेकिन अपने जनजागरण से राजनीति की दिशा को प्रभावित करते हैं ।
14. वर्ग विशेष के हित-समूह – किसी विशेष समुदाय या समूह के हितों को बढ़ावा देने वाले संगठन; जैसे पेशेवरों (वकील, डॉक्टर, शिक्षक आदि) के हित-समूह ।
15. जन-सामान्य के हित- समूह – जन-सामान्य के हितों या किसी सामाजिक समस्या के समाधान हेतु निर्मित संगठन; जैसे नर्मदा बचाओ आंदोलन, महिला आंदोलन, जनसूचना अधिकार आंदोलन, पर्यावरण आंदोलन आदि ।
16. बामसेफ – पिछड़ी जातियों और अल्पसंख्यक समुदाय से संबंधित सरकारी कर्मचारियों का समूह |
17. दबाव समूह के प्रभाव – दबाव-समूह सरकार को लोकहितकारी फैसले लेने के लिए बाध्य करते हैं और सरकार द्वारा लिए गए गलत निर्णयों को बदलवाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं ।

HBSE 10th Class Civics जन-संघर्ष और आंदोलन Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1. दबाव-समूह और आन्दोलन राजनीति को किस तरह प्रभावित करते हैं?
उत्तर- दबाव-समूह और आन्दोलन राजनीति को अनेक तरह से प्रभावित करते हैं। दबाव समूह व जन-आन्दोलन दोनां चुनावी मुकाबले में सीधे भागीदारी नहीं करते, अपितु राजनीति को प्रभावित अवश्य करते हैं। राजनीति पर इन के प्रभाव को निम्नलिखित बताया जा सकता है:
(i) दबाव-समूह और आन्दोलन अपने लक्ष्य तथा गतिविधि यों के लिए जनता का समर्थन और सहानुभूति हासिल करने की कोशिश करते हैं। इसके लिए सूचना अभियान चलाना, बैठक आयोजित करना अथवा अर्जी दायर करने जैसे तरीकों का सहाया लिया जाता है। ऐसे अधिकतर समूह मीडिया को प्रभावित करते की कोशिश करते हैं तोकि उनके मसलों पर मीडिया ज्यादा ध्यान दे।

(ii) ऐसे समूह अक्सर हड़ताल अथवा सरकारी कामकाज में बाधा पहुँचाने जैसे उपायों का सहारा लेते हैं। मजदूर संगठन, कर्मचारी संघ तथा अधिकतर आन्दोलनकारी समूह अक्सर ऐसी युक्तियों का इस्तेमाल करते हैं कि सरकार उनकी माँगों की तरफ ध्यान देने के लिए बाध्य हो।

(iii) व्यवसाय-समूह अक्सर पेशेवर ‘लॉबिस्ट’ नियुक्त करते हैं अथवा महँगे विज्ञापनों को प्रायोजित करते है। दबाव-समूह अथवा आन्दोलनकारी समूह के कुछ व्यक्ति सरकार को सलाह देने वाली समितियों और आधिकारिक निकायों में शिरकत कर सकते हैं। यह दबाव-समूह और आन्दोलन दलय राजनीति में सीधे भाग नहीं लेते लेकिन वे राजनीतिक दलों पर असर डालना चाहते हैं। अधिकतर आन्दोलन किसी राजनीतिक दल से संबद्ध नहीं होते लेकिन उनका एक राजनीतिक पक्ष होता है। आन्दोलनों की राजनीतिक विचारधारा होती है और बड़े मुद्दों पर उनका राजनीतिक पक्ष होता है।

(iv) कुछ मामलों में दबाव-समूह राजनीतिक दलों द्वारा ही बनाए गए होते हैं अथवा उनका नेतृत्व राजनीतिक दल के नेता करते हैं। कुछ दबाव-समूह राजनीतिक दल की एक शाखा के रूप में काम करते हैं। उदाहरण के लिए भारत के अधिकतर मजदूर-संगठन और छात्र-संगठन या तो बड़े राजनीतिक दलों द्वारा बनाए गए हैं अथवा उनकी संबद्धता राजनीतिक दलों से है। ऐसे दबाव-समूहों के अधिकतर नेता अमूमन किसी-न-किसी राजनीतिक दल के कार्यकर्ता और नेता होते हैं।

(v) कभी-कभी आन्दोलन राजनीतिक दल का रूप अख्तियार कर लेते हैं। उदाहरण के लिए ‘विदेशी’ लोगों के विरुद्ध छात्रों ने ‘असम आन्दोलन’ चलाया और जब इस आन्दोलन की समाप्ति हुई तो इस आन्दोलन ने ‘असम गण परिषद्’ का रूप ले लिया। सन् 1930 और 1940 के दशक में तमिलनाडु में समाज सुधार आन्दोलन चले थे। डी.एम.के. और ए.आई.ए.डी. एम.के. जैसी पार्टियों की जड़ें इन समाज सुधार आन्दोलनों में ढूँढी जा सकती हैं।

(vi) अधिकांशतया दबाव-समूह और आन्दोलन का राजनीतिक दलों से प्रत्यक्ष संबंध नहीं होता। दोनों परस्पर विरोध पक्ष लेते हैं। फिर भी इनके बीच संवाद कायम रहता है और सुलह की बातचीत चलती रहती है। आन्दोलनकारी समूहों ने नए-नए मुद्दे उठाए हैं और राजनीतिक दलों ने इन मुद्दों को आगे बढ़ाया है। राजनीतिक दलों के अधिकतर नए नेता दबाव-समूह अथवा आन्दोलनकारी समूहों से आते हैं।

प्रश्न 2. दबाव-समूहों व राजनीतिक दलों के आपसी सम्बन्धों का स्वरूप कैसा होता है? वर्णन करें।
उत्तर- दबाव-समूहों व राजनीतिक दलों के लक्ष्यों में भेद होता है। दबाव-समूह अपने स्वरूप में राजनीतिक नहीं होते, वह राजनीतिक चुनावों में भाग भी नहीं लेते। परन्तु उनके राजनीतिक दलों के साथ सम्बन्ध होता है। दबाव-समूह राजनीतिक दलों की चुनावों में, चुनावी अभियानों में तथा चुनावी कार्यों में सहायता करते हैं। राजनीतिक दलों के अधिकांश कार्यकर्ता दबाव-समूहों से आते हैं। दूसरी ओर राजनीतिक दल दबाव-समूहों को उनकी माँगों में सहमति देते हैं। कुछेक दबाव-समूहों का सम्बन्ध सीध राजनीतिक दलों से होता है। विद्यार्थियों का एन.एस.यू.आई. संगठन काँग्रेस से तथा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् का सम्बन्ध भारतीय जनता पार्टी से है।

प्रश्न 3. दबाव-समूहों की गतिविधियाँ लोकतांत्रिक सरकार के कामकाज में कैसे उपयोगी होती हैं?
उत्तर- दबाव-समूह की गतिविधियाँ लोकतांत्रिक सरकार के कामकाज में खासी उपयोगी होती है। यह दबाव-समूह अपनी माँगों को सरकार तक पहुँचाने में सहायक होते हैं। उनकी माँगें सरकार तक सुनिश्चित ढंग से पहुँच पाती है। इस प्रकार सरकार को लोगों की माँगों का लोकतांत्रिक ढंग से ब्यौरा मिलता रहता है। दबाव-समूह समाज में किसी वर्णन व्यवसाय व आकांक्षा का प्रतिनिधित्व करते हैं। लोकतंत्र में सभी प्रकार के समूहों व संगठनों की माँगें सरकार तक पहुँचे व सरकार उनके सम्बन्धि त कारगर कार्यवाही करे, अपने आप में लोकतांत्रिक बात होती

प्रश्न 4. दबाव-समूह क्या है? कुछ उदाहरण बताइए।
उत्तर- किन्हीं माँगों की पूर्ति के लिए सरकार पर डाले जाने वाले संगठित समूह का दबाव को दबाव-समूह कहा जाता है। दबाव-समूह एक प्रकार से हित समूह होते हैं। इन दोनों में अंतर यह होता है कि हित-समूह सरकार पर दबाव नहीं बना पाते, दबाव-समूह सरकार पर दबाव बना पाते हैं। मजदूर संघ, विद्यार्थी संगठन, व्यापारियों का संगठित समूह, किसानों के संगठन दबाव-समूहों के उदाहरण हैं।

प्रश्न 5. दबाव-समूह और राजनीतिक दल में क्या अन्तर होता है?
उत्तर-

(1) दबाव-समूह अपने स्वरूप में राजनीतिक नहीं होते, राजनीतिक दल अपने स्वरूप में राजनीतिक होते हैं।
(2) दबाव-समूह चुनावों आदि में चुनाव नहीं लड़ते, परन्तु वह दलों की चुनावों में सहायता करते हैं; राजनीतिक दल चुनावी राजनीति करते हैं।
(3) दबाव-समूह राजनीतिक दलों की सहायता से सरकार पर दबाव डालते हैं; राजनीतिक दल दबाव-समूहों की सहायता से सरकार की सत्ता प्राप्त करते हैं।

प्रश्न 6. जो संगठन विशिष्ट सामाजिक वर्ग जैसे मजदूर, कर्मचारी, शिक्षक और वकील आदि के हितों को बढ़ावा देने की गतिविधियाँ चलाते हैं उन्हें ………. कहा जाता है।
उत्तर- दबाव-समूह।

प्रश्न 7. निम्नलिखित में किस कथन से स्पष्ट होता है कि दबाव-समूह और राजनीतिक दल में अंतर होता है
(क) राजनीतिक दल राजनीतिक पक्ष लेते हैं, जबकि दबाव-समूह राजनीतिक मसलों की चिंता नहीं करते।
(ख) दबाव-समूह कुछ लोगों तक ही सीमित होते हैं जबकि राजनीतिक दल का दायरा ज्यादा लोगों तक फैला होता है।
(ग) दबाव-समूह सत्ता में नहीं आना चाहते जबकि राजनीतिक दल सत्ता हासिल करना चाहते हैं। __ (घ) दबाव-समूह लोगों की लामबंदी नहीं करते जबकि राजनीतिक दल ऐसा करते हैं।
उत्तर- (ग) सही है।

प्रश्न 8. सूची -I (संगठन और संघर्ष) का मिलान सूची-II से कीजिए और सूचियों के नीचे दी गई सारणी से सही उत्तर चुनिए:
HBSE 10th Class Social Science Solutions Civics Chapter 5 जन-संघर्ष और आंदोलन 1 HBSE 10th Class Social Science Solutions Civics Chapter 5 जन-संघर्ष और आंदोलन 2
उत्तर- (ख) सही है।

प्रश्न 9. सूची-I का सूची-II से मिलान करें जो सूचियों के नीचे दी गई सारणी से सही उत्तर हो चुनें:
HBSE 10th Class Social Science Solutions Civics Chapter 5 जन-संघर्ष और आंदोलन 3
उत्तर- (अ) सही है।

प्रश्न 10. दबाव-समूहों और राजनीतिक दलों के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
(क) दबाव-समूह समाज के किसी खास तबके के हितों की संगठित अभिव्यक्ति होते हैं।
(ख) दबाव-समूह राजनीतिक मुद्दों पर कोई-न-कोई पक्ष लेते हैं।
(ग) सभी दबाव-समूह राजनीतिक दल होते हैं। अब नीचे दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनें
(अ) क, ख और ग
(ब) क और ख
(स) ख और ग
(द) क और ग
उत्तर- (ब) ‘क’ तथा ‘ख’ सही है।

प्रश्न 11. मेवात हरियाणा का सबसे पिछड़ा इलाका है। यह गुड़गाँव और फरीदाबाद जिले का हिस्सा हुआ करता था। मेवात के लोगों को लगा कि इस इलाके को अगर अलग जिला बना दिया जाए तो इस इलाके पर ज्यादा ध्यान जाएगा। लेकिन, राजनीतिक दल इस बात में कोई रुचि नहीं ले रहे थे। सन् 1996 में मेवात एजुकेशन एंड सोशल आर्गेनाइजेशन तथा मेवात साक्षरता समिति ने अलग जिला बनाने की मांग उठाई। बाद में सन् 2000 में मेवात विकास सभा की स्थापना हुई। इसने एक के बाद एक कई जन-जागरण अभियान चलाए। इससे बाध्य होकर बड़े दलों यानी काँग्रेस और इंडियन नेशनल लोकदल को इस मुद्दे को अपना समर्थन देना पड़ा। उन्होंने फरवरी 2005 में होने वाले विधान सभा के चुनाव से पहले ही कह दिया कि नया जिला बना दिया जाएगा। नया जिला सन् 2005 की जुलाई में बना। – इस उदाहरण में आपको आन्दोलन, राजनीतिक दल और सरकार के बीच क्या रिश्ता नजर आता है। क्या आप कोई ऐसा उदाहरण दे सकते हैं जो इससे अलग रिशता हो?
उत्तर- उपर्युक्त घटना आरम्भ में एक आन्दोलन तथा बाद में यह राजनीतिक दल द्वारा एक माँग का रूप धारण कर लेता है। मेवात हरियाणा का एक जिला बनाया जाना राजनीतिक दलों द्वारा सरकार पर दबाव डालना होता है। लोकतंत्र में किसी पिछड़े क्षेत्र को विवाद की ओर ले जाने के लिए प्रायः ऐसे आन्दोलन चलाए जाते हैं।

परीक्षोपयोगी अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न
दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न [Long – Answer Type Questions]
प्रश्न 1. नेपाल में लोकतंत्र की बहाली के आंदोलन पर नोट लिखें ।
उत्तर – नेपाल लोकतंत्र की ‘तीसरी लहर’ के देशों में से एक है जहाँ 1990 के दशक में लोकतंत्र की स्थापना हुई लेकिन फरवरी, 2005 में नेपाल के राजा ज्ञानेन्द्र ने नेपाल की निर्वाचित संसद को भंग करके देश की सारी कार्यकारी शक्तियाँ अपने हाथ में ले लीं। अप्रैल, 2006 में नेपाल की संसद के 7 प्रमुख राजनीतिक दलों ने मिलकर सप्त दलीय गठबंधन (एस०पी०ए०) का निर्माण किया जिसका मुख्य उद्देश्य था नेपाल में लोकतंत्र की पुनः बहाली करना ।
अप्रैल, 2006 में नेपाल में उठे जन-आंदोलन ने तीव्र प्रगति की। एस०पी०ए० के इस आंदोलन में माओवादी बागी तथा अन्य संगठन भी साथ मिल गए | लोग कर्फ्यू तोड़कर सड़कों पर उतर आए । लगभग एक लाख लोग प्रतिदिन एकजुट होकर लोकतंत्र की बहाली की माँग कर रहे थे और लोगों की इतनी बड़ी संख्या के आगे सुरक्षा बलों की एक न चल सकी। 21 अप्रैल के दिन – आंदोलनकारियों की संख्या 3-5 लाख तक पहुँच गई और आंदोलनकारियों ने राजा को ‘अल्टीमेटम दे दिया। राजा ने आधे-अधूरे मन से कुछ छूट देने की घोषणा की जिसे आंदोलन के नेताओं ने स्वीकार नहीं किया । नेता अपनी माँगों पर डटे रहे कि संसद को बहाल किया जाए; सर्वदलीय सरकार बने तथा एक नई संविधान सभा का गठन हो ।
24 अप्रैल, 2006 अल्टीमेटम का आखिरी दिन था। इस दिन राजा तीनों माँगों को मानने के लिए बाध्य हुआ और संसद बहाल कर दी गई ।
प्रश्न 2. जन-संघर्ष किस प्रकार से लोकतंत्र को मजबूत बनाने में भूमिका निभाते हैं?
उत्तर – जन संघर्ष लोकतंत्र को मजबूत बनाने में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है । जनतंत्र सरकार को गैर-हितकारी निर्णय लेने से रोकता है। लोकतंत्र में जन संघर्ष की भूमिका के मुख्य के पहलू इस प्रकार से हैं –
(1) लोकतंत्र का जन-संघर्ष के जरिए विकास होता है । लोकतंत्र की निर्णायक घड़ी प्रायः वही होती है जब सत्ताधारियों और सत्ता में भागीदारी चाहने वालों के बीच संघर्ष होता है। ऐसा समय तब आता है जब कोई देश लोकतंत्र की ओर कदम बढ़ा रहा हो; उस देश में लोकतंत्र का विस्तार हो रहा हो और वहाँ लोकतंत्र की जड़े मजबूत होने की प्रक्रिया में हों।
(2) लोकतांत्रिक संघर्ष का समाधान जनता की व्यापक लामबंदी के जरिए होता है। कभी-कभी इस संघर्ष का समाधान मौजूदा संस्थाओं, संसद और विधायिकाओं के जरिए होता है लेकिन जब विवाद गहरे हो जाते हैं तो ये संस्थाएँ स्वयं विवाद का हिस्सा बन जाती हैं और विवाद का समाधान इन संस्थाओं के बाहर जनता द्वारा होता है ।
(3) लोकतंत्र में पैदा होने वाले जन-संघर्षों और लामबंदियों का आधार राजनीतिक संगठन होते हैं। इन राजनीतिक संगठनों में जनता की स्वैच्छिक भागीदारी की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। जन संघर्ष के परिणामस्वरूप पैदा हुए संगठित राजनीति के कई माध्यम हो सकते हैं। ऐसे माध्यमों में राजनीतिक दल दबाव-समूह और आंदोलनकारी समूह शामिल हो सकते हैं ।
प्रश्न 3. बोलिविया के जल विद्रोह / युद्ध पर नोट लिखें ।
उत्तर – बोलिविया लातिनी अमेरिका का एक गरीब देश है। विश्व बैंक ने यहाँ की सरकार पर नगरपालिका द्वारा की जा रही जलापूर्ति से अपना नियंत्रण छोड़ने के लिए दबाव डाला। सरकार ने कोचबंबा शहर में जलापूर्ति के अधिकार एक बहुराष्ट्रीय कंपनी को बेच दिए। इस कंपनी ने आनन-फानन में पानी की कीमत में चार गुना बढ़ोतरी कर दी । अनेक लोगों का पानी का मासिक बिल 1000 रुपए तक जा पहुँचा
जबकि बोलिविया में लोगों की औसत आमदनी 5000 रुपए महीना है। इसके फलस्वरूप स्वतः स्फूर्त जन-संघर्ष भड़क उठा। जनवरी, 2000 में श्रमिकों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं तथा सामुदायिक नेताओं के बीच फेडेकोर (FEDECOR) नाम के) एक गठबंधन ने आकार ग्रहण किया और इस गठबंधन ने शहर में चार दिनों की सफल आम हड़ताल की । सरकार बातचीत के लिए तैयार हो गई और हड़ताल वापस ले ली गई । फिर भी, कुछ हाथ नहीं लगा । फरवरी में आंदोलन फिर से आरंभ शुरू हुआ लेकिन इस बार पुलिस ने बर्बरतापूर्वक दमन किया। अप्रैल में एक और हड़ताल हुई और सरकार ने ‘मार्शल लॉ’ लगा दिया। लेकिन, जनता की ताकत के आगे बहुराष्ट्रीय कंपनी के अधिकारियों को शहर छोड़कर भागना पड़ा। सरकार को आंदोलनकारियों की सारी माँगें माननी पड़ीं। बहुराष्ट्रीय कंपनी के साथ किया गया करार रद्द कर दिया गया और जलापूर्ति दोबारा नगरपालिका को सौंपकर पुरानी दरें लागू कर दी गईं। इस आंदोलन को ‘बोलिविया के जलयुद्ध’ के नाम से जाना गया।
प्रश्न 4. ग्रीन बेल्ट मूवमेंट पर नोट लिखें ।
उत्तर – ग्रीनबेल्ट (हरितपट्टी) मूवमेंट के अंतर्गत पूरे केन्या में 3 करोड़ वृक्ष लगाए गए। इस आंदोलन के नेता वांगरी मथाई सरकारी अधिकारियों और राजनेताओं के रुख से बड़े नाखुश हैं। उनका कहना है, “सन् 1970 और 1980 के दशक में जब मैं किसानों को वृक्षारोपण के लिए उत्साहित कर रही थी तो मुझे पता चला कि सरकार के भ्रष्ट कर्मचारी ही वनों के अधिकांश विनाश के लिए जिम्मेदार हैं। इन लोगों ने अपने चहेते ‘डेवलेपर्स’ को जमीन और वृक्ष अवैध रूप से बेच रखे थे । सन् 1990 के दशक में राष्ट्रपति डेनियल अरेप मोई की सरकार के कुछ तत्त्वों ने जातीय समुदायों को जमीन के सवाल पर आपस में लड़वा दिया। इससे ‘रिफ्ट वैली’ के अनेक केन्यावासियों की आजीविका और अधिकार जाते रहे । कुछ को अपनी जान गँवानी पड़ी। शासक दल के समर्थकों को जमीन मिली और लोकतंत्र समर्थक आंदोलन के पक्ष में बोलने वालों को विस्थापित होना पड़ा । यह सरकार की एक चाल थी जिसका उद्देश्य समुदायों को जमीन के सवाल पर आपस में लड़वाकर सत्ता पर कब्जा जमाए रखना था । अगर वे एक-दूसरे से भिड़ते रहेंगे तो लोकतंत्र की माँग करने के लिए उनके पास कम मौके होंगे । ”
प्रश्न 5. आंदोलन समूह क्या होते हैं? ये कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर–किसी एक विशेष मुद्दे पर केंद्रित आंदोलन को आंदोलन समुह कहते हैं जैसे पर्यावरणविद मेधा पाटकर ने नर्मदा नदी पर बन रहे बाँध का विरोध करने के लिए नर्मदा बचाओ आंदोलन छेड़ा हुआ है । ये आंदोलन प्रत्यक्ष रूप से तो चुनावी राजनीति में भाग नहीं लेते हैं लेकिन विभिन्न मुद्दों पर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलकर जनमत का निर्माण अवश्य करते हैं। इस प्रकार आंदोलनकारी समूह दो प्रकार के होते हैं –
(1) छोटी अवधि के आंदोलनकारी समूह – इस प्रकार के आंदोलन किसी एक मुद्दे विशेष से जुड़े होते हैं और जैसे ही उस मुद्दे का हल निकल आता है तो आंदोलनकारी समूह विखंडित हो जाता है । ये आंदोलन अधिक समय तक नहीं चलते हैं ।
(2) लंबी अवधि के आंदोलनकारी समूह लंबी अवधि के आंदोलनकारी समूह एक से ज्यादा मुद्दों से जुड़े होते हैं। पर्यावरण के आंदोलन तथा महिला आंदोलन ठेठ ऐसे ही आंदोलनों की मिसाल हैं । ऐसे आंदोलनों के नियंत्रण अथवा दिशा-निर्देश के लिए कोई एक संगठन नहीं होता । पर्यावरण आंदोलन के अंतर्गत अनेक संगठन तथा खास-खास मुद्दे पर आधारित आंदोलन शामिल हैं। इनके सबके संगठन अलग-अलग हैं। सुंदरलाल बहुगुणा का चिपको आंदोलन इसका प्रमुख उदाहरण है।
लघुत्तरात्मक प्रश्न [Short Answer Type Questions]
प्रश्न 1. नेपाली लोगों की माँगों का वर्णन कीजिए ।
उत्तर – अप्रैल, 2006 में नेपाल में शुरू हुए जन-आंदोलन का उद्देश्य नेपाल में लोकतंत्र को दोबारा बहाल करने का था । फरवरी, 2005 में नेपाल के राजा ज्ञानेन्द्र ने नेपाल की निर्वाचित संसद को भंग कर दिया था और शासन की बागडोर अपने हाथ में ले ली थी। इसके विरोध में नेपाली संसद के सभी 7 प्रमुख बड़े दलों ने इकट्ठे होकर लोकतंत्र बहाली का आंदोलन शुरू कर दिया ।
प्रश्न 2. अप्रैल, 2006 में नेपाल में उठे जन-आंदोलन की प्रगति पर नोट लिखें । 
अथवा 
नेपाली जनसंघर्ष का वर्णन कीजिए । 
उत्तर- अप्रैल, 2006 में नेपाल में उठे जन-आंदोलन ने तीव्र प्रगति की। एस०पी०ए० के इस आंदोलन में माओवादी बागी तथा अन्य संगठन भी साथ मिल गए। लोग कर्फ्यू तोड़कर सड़कों पर उतर आए। लगभग एक लाख लोग प्रतिदिन एकजुट होकर लोकतंत्र की बहाली की माँग कर रहे थे और लोगों की इतनी बड़ी संख्या के आगे सुरक्षा बलों की एक न चल सकी । 21 अप्रैल के दिन आंदोलनकारियों की संख्या 3-5 लाख तक पहुँच गई और आंदोलनकारियों ने राजा को ‘अल्टीमेटम’ दे दिया। राजा ने आधे-अधूरे मन से कुछ छूट देने की घोषणा की जिसे आंदोलन के नेताओं ने स्वीकार नहीं किया। नेता अपनी माँगों पर डटे रहे कि संसद को बहाल किया जाए; सर्वदलीय सरकार बने तथा एक नई संविधान सभा का गठन हो ।
24 अप्रैल, 2006 अल्टीमेटम का आखिरी दिन था । इस दिन राजा तीनों माँगों को मानने के लिए बाध्य हुआ और संसद बहाल कर दी गई ।
प्रश्न 3. एस०पी०ए० पर एक नोट लिखें ।
उत्तर – फरवरी, 2005 में नेपाल के राजा ज्ञानेन्द्र ने नेपाल की निर्वाचित संसद को भंग कर दिया । संसद की बहाली और लोकतंत्र की पुनःस्थापना हेतु नेपाल के सात प्रमुख राजनीतिक दलों ने मिलकर एक गठबंधन बनाया जिसे एस०पी०ए० के नाम से जाना गया । इस गठबंधन ने नेपाल में लोकतंत्र बहाली के लिए सरकार को अल्टीमेटम दिया जिसमें एस०पी०ए० को सफलता मिली ।
प्रश्न 4. 24 अप्रैल 2006 को नेपाल के राजा ज्ञानेन्द्र ने एस०पी०ए० की किन तीन माँगों को मान लिया ? 
उत्तर – (1) नेपाल की भंग संसद को बहाल कर दिया गया जिसने गिरिजा प्रसाद कोइराला को अंतरिम प्रधानमंत्री चुन लिया ।
(2) नेपाल में सर्वदलीय सरकार का गठन किया गया ।
( 3 ) देश का नया संविधान बनाने के लिए नई संविधान सभा का गठन किया गया ।
प्रश्न 5 कित्तिको हक्चिको आंदोलन पर नोट लिखें ।
उत्तर–सन् 1984 में कर्नाटक सरकार ने कर्नाटक पल्पवुड लिमिटेड नाम से एक कंपनी बनाई । इस कंपनी को लगभग 30,000 हेक्टेयर भूमि 40 सालों के लिए एक तरह से मुफ्त में दे दी गई। इसमें से अधिकांश भूमि का प्रयोग किसान अपने पशुओं के लिए चरागाह के रूप में करते थे। कंपनी ने इस ज़मीन पर 1987 में कित्तिको हक्चिको (अर्थात् तोड़ो और रोपो) नाम का एक आंदोलन शुरू किया। इसमें अहिंसक प्रतिरोध का रास्ता अपनाया गया। लोगों ने यूक्लिप्टस के वृक्ष तोड़े और इनके स्थान पर वे वृक्ष लगाए जो जनता के लिए लाभदायक थे ।
प्रश्न 6. दबाव-समूह की तीन विशेषताएँ लिखें ।
उत्तर – दबाव-समूह की तीन विशेषताएँ इस प्रकार से हैं –
(1) राजनीतिक पार्टियों के समान दबाव-समूह का लक्ष्य सत्ता पर प्रत्यक्ष नियंत्रण करना नहीं होता है ।
(2) दबाव-समूह चुनावी राजनीति में हिस्सा नहीं लेते हैं ।
(3) दबाव समूह में लोग एक समान उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए एकजुट होते हैं ।
प्रश्न 7. वर्ग – विशेष के हित-समूहों तथा जन-सामान्य के हित-समूहों में क्या अंतर है? 
अथवा
जनसामान्य के हित-समूह क्या हैं ?
उत्तर – वर्ग विशेष के हित समूहों और जन-सामान्य के हित समूहों में निम्नलिखित अंतर हैं –
वर्ग-विशेष के हित-समूह जन-सामान्य के हित-समूह
(1) ये हित-समूह प्रायः समाज के किसी खास हिस्से अथवा समूह के हितों को बढ़ावा देना चाहते हैं । (1) ये हित-समूह सामान्य लोगों के हितों को बढ़ावा चाहते हैं ।
(2) मजदूर संगठन, व्यावसायिक संघ और पेशेवरों ( वकील, डॉक्टर, शिक्षक आदि) वर्ग-विशेष के हित-समूहों के प्रमुख उदाहरण हैं। (2) शराब विरोधी आंदोलन, सूचना के अधिकार का आंदोलन, पर्यावरण आंदोलन और फेडेकोर जन-सामान्य के हित समूहों के प्रमुख उदाहरण हैं ।
प्रश्न 8. दबाव समूहों तथा आन्दोलनों में एक समानता तथा एक भिन्नता का उल्लेख कीजिए । 
उत्तर – समानता – दबाव समूह तथा आंदोलन राजनीति में प्रत्यक्ष रूप से भाग नहीं लेते अपितु ये सरकारी गतिविधियों में व्यवधान उत्पन्न करते हैं ।
भिन्नता – दबाव समूहों में अधिकतर एक जैसे पेशे से संबंधित लोग होते हैं जबकि आंदोलन में भिन्न-भिन्न वर्गों के लोग शामिल होते हैं।
प्रश्न 9. बोलिविया में अचानक जल विद्रोह क्यों फूट पड़ा?
अथवा
2000 में बोलीविया के लोगों ने संघर्ष क्यों किया?
उत्तर – बोलिविया लातिनी अमेरिका का एक गरीब देश है । विश्व बैंक ने यहाँ की सरकार पर नगरपालिका द्वारा की जा रही जलापूर्ति से अपना नियंत्रण छोड़ने के लिए दबाव डाला । सरकार ने कोचबंबा शहर में जलापूर्ति के अधिकार एक बहुराष्ट्रीय कंपनी को बेच दिए। इस कंपनी ने आनन-फानन में पानी की कीमत में चार गुना इज़ाफा कर दिया । अनेक लोगों का पानी का मासिक बिल 1000 रुपए तक जा पहुँचा जबकि बोलिविया में लोगों की औसत आमदनी 5000 रुपए महीना है। इसके फलस्वरूप जन-संघर्ष भड़क उठा। जनता की ताकत के आगे बहुराष्ट्रीय कंपनी के अधिकारियों को शहर छोड़कर भागना पड़ा । सरकार को आंदोलनकारियों की सारी माँगें माननी पड़ीं। सरकार ने बहुराष्ट्रीय कंपनी के साथ किए गए करार को रद्द कर दिया और जलापूर्ति का काम एक बार फिर से नगरपालिका को सौंप दिया।
प्रश्न 10. जन संघर्ष लोकतंत्र के लिए कैसे हितकारी होते हैं ? 
उत्तर – जन संघर्ष निम्नलिखित प्रकार से लोकतंत्र के लिए हितकारी होते हैं –
(1) जन संघर्ष के जरिए लोकतंत्र का विकास होता है । इसका उदाहरण नेपाल में लोकतंत्र बहाली के लिए हुए आंदोलन में देखा जा सकता है।
(2) जन संघर्ष जनता के सहयोग से समस्याओं के समाधान का मार्ग निकालता है ।
(3) जन संघर्ष लोकतंत्र में जनता के विश्वास को मजबूती प्रदान करता है।
प्रश्न 11. फेडेकोर संगठन पर नोट लिखें ।
उत्तर – बोलिविया में पानी के निजीकरण के खिलाफ जो जन आंदोलन चला उसकी अगुवाई करने वाले संगठन का नाम फेडेकोर (FEDECOR) था । इस संगठन में बोलिविया के इंजीनियर और पर्यावरणवादी समेत स्थानीय कामकाजी लोग शामिल थे। इस संगठन को सिंचाई पर निर्भर किसानों के एक संघ, कारखाना – मजदूरों के संगठन के परिसंघ, कोचबंबा विश्वविद्यालय के छात्रों तथा शहर में बढ़ती बेघर-बार बच्चों की आबादी का समर्थन मिला। इस आंदोलन को ‘सोशलिस्ट पार्टी’ ने भी समर्थन दिया।
प्रश्न 12. दबाव समूह का गठन किस प्रकार होता है ?
उत्तर- जब लोग अपने हितों की रक्षा करने के लिए या अपनी माँगों को मनवाने के लिए संगठित होते हैं तो उनका यह संगठन दबाव समूह कहलाता है। दबाव समूह में लोगों के हित साँझा होते हैं जैसे कर्मचारियों का संगठन (BAMSEF)। ये दबाव समूह आमतौर पर समाज के किसी खास हिस्से अथवा समूह के हितों को बढ़ावा देना चाहते हैं । ये किसी खास माँग को लेकर सरकार के समक्ष प्रदर्शन करते हैं ।
प्रश्न 13. नेपाल में उठे लोकतंत्र के आंदोलन का विशिष्ट उद्देश्य क्या था ?
उत्तर–सन् 2006 में नेपाल में उठे लोकतंत्र का विशिष्ट उद्देश्य नेपाल में राजतंत्र को उखाड़ कर लोकतंत्र की स्थापना करना था। आंदोलनकारी चाहते थे कि नेपाल की बर्खास्त संसद को बहाल किया जाए और देश के लिए नया संविधान बनाने के लिए एक नई संविधान सभा का गठन किया जाए ।
अति लघुत्तरात्मक प्रश्न [Very Short – Answer Type Questions] 
प्रश्न 1. ‘तीसरी लहर’ के देशों से क्या अर्थ है?
उत्तर – वे देश जिन्होंने उपनिवेशवाद, तानाशाही और राजतंत्र के शासन से 20वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में आज़ादी प्राप्त करके लोकतंत्र की स्थापना की । नेपाल एक ‘तीसरी लहर’ का देश है ।
प्रश्न 2. माओवादी किसे कहते हैं?
उत्तर- चीनी क्रांति के नेता माओ की विचारधारा को मानने वाले साम्यवादियों को माओवादी कहते हैं।
प्रश्न 3. एस०पी०ए० क्या था? यह क्यों गठित किया गया? 
उत्तर – एस०पी०ए० नेपाल के सात राजनीतिक दलों का गठबंधन था जो अप्रैल 2006 में बनाया गया। इस गठबंधन ने नेपाल में लोकतंत्र बहाली के जन-आंदोलन का नेतृत्व किया।
प्रश्न 4. दबाव-समूह की परिभाषा दीजिए।
उत्तर – निजी उद्देश्यों के लिए संगठित या असंगठित समूह को जो सरकार पर दबाव डालकर अपने हितों की पूर्ति करते हैं, उन्हें दबाव-समूह कहते हैं ।
प्रश्न 5. बोलिवियाई लोग पानी के निजीकरण का विरोध करने के लिए संगठित क्यों हुए? 
उत्तर–पानी का निजीकरण होने के कारण बोलिविया में पानी का मासिक बिल 1000 रुपए तक पहुँच चुका था।
प्रश्न 6. कित्तिको – हक्चिको (तोड़ो और रोपो) आंदोलन क्या था ? 
उत्तर – यह आंदोलन 1987 में कर्नाटक के किसानों ने चलाया। उन्होंने एक कंपनी द्वारा लगाए गए यूक्लिप्टस के पेड़ों को उखाड़कर ऐसे पौधे लगाए जो जनता के लिए फायदेमंद थे ।
प्रश्न 7. फेडेकोर (FEDECOR) संगठन क्या है?
उत्तर–फेडेकोर बोलिविया के इंजीनियरों, पर्यावरणविदों और कामकाजी लोगों का ऐसा समूह था जिसने पानी के निजीकरण के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व किया ।
प्रश्न 8. दबाव-समूह की दो विशेषताएँ लिखें ।
उत्तर – (1) दबाव-समूह प्रत्यक्ष रूप से चुनावी राजनीति में हिस्सा नहीं लेते हैं ।
(2) सरकार का गठन करने में इनकी दिलचस्पी नहीं होती है।
प्रश्न 9. जन – सामान्य के हित-समूह के दो उदाहरण दीजिए ।
उत्तर – (1) महिला आंदोलन, (2) पर्यावरण आंदोलन ।
प्रश्न 10. ‘बामसेफ’ (BAMCEF) क्या है ?
उत्तर – यह पिछड़े वर्ग तथा अल्पसंख्यक समुदाय से संबंध रखने वाले सरकारी कर्मचारियों का संगठन है ।
प्रश्न 11. दबाव-समूह का निर्माण कब होता है ?
उत्तर – दबाव समूह का निर्माण तब होता है जब समान पेशे, हित, आकांक्षा और मत के लोग एक समान उद्देश्य को पाने के लिए एकजुट होते हैं ।
प्रश्न 12. वर्ग – विशेष के हित-समूह की परिभाषा दीजिए ।
उत्तर- किसी विशेष समुदाय या समूह के हितों को बढ़ावा देने वाले संगठन को वर्ग – विशेष के हित-समूह कहते हैं।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न [Objective Type Questions]
I. एक शब्द या एक वाक्य में उत्तर दीजिए 
प्रश्न 1. नेपाल की राजधानी का नाम लिखिए।
उत्तर- काठमांडू ।
प्रश्न 2. नेपाल के राजा ज्ञानेन्द्र ने किस वर्ष जनता द्वारा निर्वाचित सरकार को भंग कर दिया?
उत्तर – सन् 2005 में ।
प्रश्न 3. अप्रैल 2006 में नेपाल में उठे जन आंदोलन का लक्ष्य क्या था ?
उत्तर – शासन की बागडोर राजा के हाथ से लेकर दोबारा जनता के हाथ में सौंपना ।
प्रश्न 4. बोलिविया कहाँ स्थित है?
उत्तर – बोलिविया लातिनी अमरीका का एक देश है।
प्रश्न 5. अप्रैल 2006 के जन-आंदोलन की सफलता पर किसे नेपाल का अंतरिम प्रधानमंत्री चुना गया? 
उत्तर – गिरिजा प्रसाद कोइराला को ।
प्रश्न 6. नेपाल की संसद में कितनी राजनीतिक पार्टियों ने गठबंधन बनाया ?
उत्तर- सात पार्टियों ने।
प्रश्न 7. बोलिविया के लोगों ने किस बात को लेकर विद्रोह कर दिया? 
उत्तर – बोलिविया के लोगों ने पानी के निजीकरण के फैसले को रद्द करने के लिए संघर्ष किया ।
प्रश्न 8. भारत के किस पड़ोसी देश में लोकतंत्र के विस्तार की चुनौती है? 
उत्तर – भूटान में ।
प्रश्न 9. फेडेकोर (FEDECOR) कहाँ का संगठन है ? 
उत्तर – बोलिविया का ।
प्रश्न 10. मेवात नया जिला कब बना?
उत्तर – सन् 2005 में ।
प्रश्न 11. सूचना का अधिकार भारतीय संसद में कब पास किया गया? 
उत्तर–सूचना का अधिकार भारतीय समूह में वर्ष 2005 में पास किया गया ।
प्रश्न 12. सात दलीय गठबंधन (एस०पी०ए०) ने नेपाल में आंदोलन शुरू क्यों किया?
उत्तर – लोकतंत्र बहाली के लिए ।
प्रश्न 13. नेपाल का अंतिम राजा कौन था ?
उत्तर – राजा ज्ञानेन्द्र नेपाल का अंतिम राजा था ।
प्रश्न 14. बोलिविया में सोशलिस्ट पार्टी को सत्ता कब हासिल हुई ? 
उत्तर – सन् 2006 में ।
प्रश्न 15. ग्रीन बेल्ट मूवमेंट का नेता कौन था ?
उत्तर – वांगरी मथाई ।
प्रश्न 16. पल्पवुड लिमिटेड कंपनी कौन-सी सरकार ने बनाई? 
उत्तर-कर्नाटक सरकार ने ।
प्रश्न 17. ‘ग्रीन बेल्ट मूवमेंट’ का संबंध किस देश से है ?
उत्तर – केन्या से ।
प्रश्न 18. 1990 के दशक में केन्या का राष्ट्रपति कौन था? 
उत्तर – डेनियल अरेप मोई ।
प्रश्न 19. NAPM का पूरा नाम बताइए।
उत्तर – नेशनल अलायंस फॉर पीपल्स मूवमेंट |
प्रश्न 20. कोचबंबा विश्वविद्यालय किस देश में स्थित है? 
उत्तर – बोलिविया में ।
प्रश्न 21. नर्मदा नदी पर कौन-सा बाँध बनाया गया है?
उत्तर – सरदार सरोवर परियोजना बाँध |
प्रश्न 22. नागरिक अधिकार आंदोलन किस देश से आरम्भ हुआ ?
उत्तर – संयुक्त राज्य अमेरिका से ।
प्रश्न 23. मेवात विकास सभा की स्थापना कब हुई?
उत्तर – सन् 2000 में ।
II. बहुविकल्पीय प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर दीजिए
1. निम्नलिखित में से किस देश को लोकतंत्र की ‘तीसरी लहर’ का देश कहा गया है?
(A) भारत
(B) नेपाल
(C) इंग्लैंड
(D) बोलिविया
उत्तर-(B)
2. 2005 में किसने नेपाल की निर्वाचित संसद को भंग कर दिया ?
(A) राजा वीरेंद्र
(B) राजा ज्ञानेंद्र
(C) गिरिजा प्रसाद कोइराला
(D) माओवादी संगठन
उत्तर-(B)
3. एस०पी०ए० (S.P.A.) का लक्ष्य था –
(A) नेपाल में लोकतंत्र की बहाली
(B) नेपाल में राजतंत्र की बहाली
(C) नेपाल में सैनिक शासन की बहाली
(D) नेपाल में माओवादी शासन की बहाली
उत्तर-(A)
4. नेपाल में लोकतंत्र की पुनः बहाली कब हुई?
(A) 2005 में
(B) 2006 में
(C) 2007 में
(D) 2008 में
उत्तर – (B)
5. बोलिविया में विद्रोह क्यों हुआ ?
(A) लोकतंत्र बहाली के लिए
(B) रोज़गार बहाली के लिए
(C) भूख की समस्या के कारण
(D) जल के निजीकरण को रद्द करने के लिए
उत्तर-(D)
6. राजनीतिक दल का कार्य है –
(A) पार्टी बनाई जाती है
(B) चुनाव लड़ा जाता है
(C) सरकार बनाई जाती है
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर-(D)
7. निम्नलिखित में से कौन-सा दबाव-समूह का उदाहरण है ?
(A) नर्मदा बचाओ आंदोलन
(B) सूचना के अधिकार का आंदोलन
(C) शराब विरोधी आंदोलन
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर-(D)
8. बोलिविया में ‘जल आंदोलन का नेतृत्व किसने किया?
(A) FEDECOR
(B) BAMCEF
(C) माओवादी
(D) सोशलिस्ट पार्टी
उत्तर-(A)
9. ‘बामसेफ’ किसका आंदोलन था ?
(A) किसान
(B) कर्मचारी
(C) उद्योगपति
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर-(B)
10. निम्नलिखित में से किस राजनीतिक पार्टी का गठन एक दबाव-समूह के माध्यम से हुआ है?
(A) असम गण परिषद
(B) डी०एम० के०
(C) ए०आई०डी०एम०के०
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर-(D)
11. कित्तिको-हक्चिको आंदोलन किस राज्य के किसानों ने चलाया ?
(A) कर्नाटक
(B) आंध्र प्रदेश
(C) पश्चिम बंगाल
(D) पंजाब
उत्तर – (A)
12. निम्नलिखित में से कौन-सा दबाव-समूह का उदाहरण नहीं है?
(A) आंदोलन
(B) राजनीतिक दल
(C) वर्ग-विशेष के हित-समूह
(D) लोक कल्याणकारी हित-समूह
उत्तर-(B)
13. निम्नलिखित में से कौन-सा लंबी अवधि का आंदोलन है ?
(A) नर्मदा बचाओ आंदोलन
(B) महिला आंदोलन
(C) अध्यापक संघों का आंदोलन
(D) खाद विक्रेताओं का संघ
उत्तर-(B)
14. निम्नलिखित में से कौन-सा एक मुद्दे पर आधारित आंदोलन है ?
(A) नर्मदा बचाओ आंदोलन
(B) बामसेफ
(C) खाद विक्रेताओं का संघ
(D) पर्यावरण आंदोलन
उत्तर- (A)
15. बोलिविया में सोशलिस्ट पार्टी को सत्ता कब हासिल हुई ?
(A) 2004 में
(B) 2005 में
(C) 2006 में
(D) 2007 में
उत्तर- (C)
16. ‘लोकतंत्र के लिए दूसरा आंदोलन’ किसे कहा जाता है?
(A) नेपाल में लोकतंत्र बहाली के आंदोलन को
(B) बोलिविया के जल विद्रोह को
(C) नर्मदा बचाओ आंदोलन को
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर- (A)
17. पप्तवुड कम्पनी किस सरकार ने बनाई थी ?
(A) महाराष्ट्र
(B) केरल
(C) तमिलनाडु
(D) कर्नाटक
उत्तर-(D)
18. 1990 में नेपाल का राजा कौन था?
(A) राजा विरेन्द्र
(B) राजा ज्ञानेन्द्र
(C) (A) और (B) दोनों
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर- (A)
19. कित्तिको-हक्चिको आंदोलन किस वर्ष छेड़ा गया ?
(A) 1986 में
(B). 1987 में
(C) 1988 में
(D) 1989 में
उत्तर-(B)
III. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
1. नेपाल में लोकतंत्र की पुनः बहाली ………………. में हुई।
2. बोलिविया में ‘जल आंदोलन’ का नेतृत्व ……………. ने किया ।
3. ‘बामसेफ’ ………………. का आंदोलन था ।
4. कित्तिको हक्चिको आंदोलन ……………. राज्य के किसानों ने चलाया ।
5. कित्तिको हक्चिको आंदोलन ……………. में छेड़ा गया ।
6. ग्रीन बेल्ट मूवमेंट का नेता …………….. था ।
7. नर्मदा नदी पर …………… बनाया गया है ।
8. कोचबंबा विश्वविद्यालय …………….. देश में स्थित है।
9. ‘ग्रीन बेल्ट मूवमेंट’ का संबंध ……………… देश से है I
10. नेपाल की राजधानी का नाम …………….. है।
उत्तर–1. 2006, 2. FEDECOR, 3. कर्मचारी, 4. कर्नाटक, 5. 1987, 6. वांगरी मथाई, 7. सरदार सरोवर परियोजना बाँध, 8. बोलिविया, 9. केन्या, 10. काठमांडू ।
IV. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर हाँ / नहीं में दीजिए
1. क्या बोलिविया लातिनी अमरीका का देश है?
2. क्या सूचना का अधिकार भारतीय समूह में वर्ष 2005 में पास किया गया?
3. क्या नागरिक अधिकार आंदोलन संयुक्त राज्य अमेरिका में आरंभ हुआ ?
4. क्या ‘ग्रीन बेल्ट मूवमेंट’ का संबंध पाकिस्तान से है ?
उत्तर – 1. हाँ, 2. हाँ, 3. हाँ, 4. नहीं।

Haryana Board 10th Class Social Science Notes Civics Chapter 5 जन-संघर्ष और आंदोलन

जन संघर्ष और आंदोलन नोट्स HBSE 10th Class

→ राजनीतिक व सामाजिक माँगों के लिए संघर्ष करना लोकतांत्रिक प्रयोजन होता है। ऐसे संघर्ष व आन्दोलन अक्सर होते रहते हैं।

→ इन आन्दोलनों में एक उदाहरण 2005-2006 में नेपाल में लोकतंत्र की स्थापना के लिए चलाया गया था। इसी प्रकार बोलिविया में जनसंघर्ष के चलाए जाने का उदाहरण भी हमारे सामने हैं।

→ वहाँ के इंजीनियरों, पर्यावरणवादियों व कामकाजी लोगों के एक संगठन ने जल-प्राप्ति के लिए एक सफल आन्दोलन चलाया था।

→ लोकतंत्र में अनेकों फैसले परस्पर मेल-जाने से हो जाया करते हैं। परन्तु कुछेक फैसलों के लिए कई बार आन्दोलन भी चलाए जाते हैं।

→ विरोध जितना अधिक होता है आन्दोलन व जन-संघर्ष उतना अधिक तीव्र होता है। लोकतांत्रिक संघर्ष का समाधान जनता की व्यापक लामबन्दी द्वारा होता है।

→ राजनीतिक संगठनों अर्थात राजनीति दलों व अनेको समाज सेवी संगठन ऐसे आन्दोलनों व जन-संघर्ष द्वार। लोगों में चेतना जगाते रहते हैं।

जन-संघर्ष और आंदोलन Notes HBSE 10th Class

→ लोगों की लामबन्दी प्रायः संगठनो द्वारा प्रेरित होती है। यह संगठन दबाव-समूहों का रूप लेकर लोगों में लामबन्दी करने में सफल हो पाते हैं।

→ दबाव-समूह जैसे लक्षण होते हैं। किसी लोकतंत्र में हित-समूहों का गठन स्वाभाविक होता है। ऐसे अनेक समूह बन जाते हैं जो जन-सामान्य व लोक-कल्याण हेतु कार्यरत रहते हैं।

→ बन्धुआ मजदूरी के विरुद्ध लड़ने वाले समूह ऐसे जन-सामान्य व लोक-कल्याण समूहों का एक उदाहरण है। ‘बाससेफ’ ऐसा ही एक अन्य उदाहरण है।

→ दबाव-समूहों में कुछेक ऐसे समूह भी होते हैं जो विशेष किसी उद्देश्य की प्राप्ति के लिए आन्दोलन करते रहते हैं।

→ नेपाल में नेपाल नरेश के विरुद्ध लोकतंत्र की स्थापना हेतु चलाया गया आन्दोलन करते रहते हैं। नेपाल में नेपाल नरेश के विरुद्ध लोकतंत्र की स्थापना हेतु चलाया गया आन्दोलन एक आन्दोलनकारी समूह था।

→ यह आन्दोलन किसी एक मुद्दे को लेकर चलाया गया था। कुछेक आन्दोलन कुछेक मुद्दों को लेकर चला जाते हैं तथा ऐसे आन्दोलनों को चलाने वाले संगठन भी अनेकों हो सकते हैं।

→ नारीवादी व पर्यावरणीयवादी आन्दोलन कई समूहों द्वारा चलाए जाते हैं। राजनीति में दबाव-समूहों की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है: वह जनता का समर्थन प्राप्त करने के लिए लोगों में जागृति पैदा करते रहते हैं।

→ हड़ताल आदि ऐसे समूहों का एक साधन होता है। कुछेक तो ‘लॉबिस्टों’ की भी नियुक्ति करते हैं। दबाव-समूहों का लोकतंत्र पर पड़ने वाला समूह प्रायः सकारात्मक ही होता है।

→ माओवादी: चीनी क्रान्ति के नेता माओ के विचारों को मानने वाले साम्यवादी माओवादी कहलाए जाते हैं।

→ माओवादी क्रान्ति : क्रान्ति लाने में हिंसा के प्रयोग के प्रचार का माओ का तरीका

HBSE 10th Class Civics Chapter 5 जन-संघर्ष और आंदोलन

→ सर्वहारा का शासन : मजदूरों व किसानों के शासन को सर्वहारा शासन कहा जाता है।

→ एस.पी.ए. : सेवेन पार्टी अलाएस (नेपाल में सात दलों का गठनबंधन)

→ जल-युद्ध : बोलिविया में पानी के लिए चलाया गया आन्दोलन

→ फेडेकोर : जल के लिए चलाया गया बोलिविया का वह आन्दोलन जिसे इंजीनियरों, पर्यावरणवादियों व कामकाजी लोगों के न चलाया था।

→ दबाव समूह : अपनी मांगों के लिए सरकार पर डाले जाने वाले दबाव-ऐसा दबाव कोई संगठित समूह चलाता है।

→ दबाव समूह के उदाहरण : पेशेवरों (वकीलों, डॉक्टरों, शिक्षकों, मजदूरों व्यावसायिक) से संगठन दबाव समूहों के उदाहरण हैं।

→ बामसेफ : बैकवर्ड एण्ड मायनॉरिटी कम्युनिटी एम्पलाइज सेफरेशनः जनसामान्य हितों की माँगों का प्रतिनिधित्व करने वालों के संगठन का एक रूप।

→ ग्रीन बैल्ट मूवमैण्ड : पूरे केन्या में (1970-1980) हरि पट्टी आन्दोलन के अंतर्गत लगभग 3 करोड़ वृक्ष लगाने वाला आन्दोलन

→ मेवात : हरियाणा का 2005 में बनाया गया एक जिला

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